दूध ना बख्शूंगी/ complete

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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

"नहीं गुरू-----विकास का सिद्धांत सांप को फन उठाते ही कुचल देना ।"



" क्या मतलब ?"



"केस तव तक खत्म नहीं होगा, जब तक हैरी जिन्दा हैं !'



चकराए हुए विजय ने पूछा-“तब क्या हैरी को..... ?"



.परन्तु उसका वाक्य अधूरा ही रह गया--------- ----ना सिर्फ विजय-----बल्कि सभी बुरी तरह चौंक पड़े थे----- --- चीते की तरह झपटकर उसने ठाकुर साहब के होलस्टर से रिवॉत्वर निकाल लिया ॥॥॥



इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाए, रिवॉल्वर जूलिया की कनपटी पर रखे लड़का गुर्रा रहा था---------"सभी लोग हाथ ऊपर उटा ले.......यदि एक भी हिला तो मैं जूलिया आन्टी के भेजे में गोली उतार दूंगा ।"




समी चकित--हैरान---परेशान---उलझे हुए ।




"तुम्हें क्या हो गया है विकास?" रैना कह उठी ।



“बको मत मम्मी…आई से हेण्ड्स अप !" विकास जंगली शेर के समान गुर्राया-------------" अभी ये केस खत्म नहीं हुआ है------------ऐसा नहीं हो सकता गुरु कि कोई हरामजादा हिन्दुस्तानी सरहदों के अंदर घुसकर-------राजनगर में रहर्कर इतना सब कुछ करे और फिर सरहदों के पार भी निकल जाए------हरगिज नहीं गुरु-मेरी मां को मानसिक यातनाएं देने वाला---------पिता के हाथ काटने का इरादा रखने बाला और हमारे बीच हमेशा के लिए दुश्मनी की दीवार खडी करने की कोशिश करने वाला हैरी इतनी आसानी से नहीं निकल सकता ।"




"म...मगर-अब करना क्या चाहते हो प्यारे?"



"देखते रहो गुरू देखते रहो…यहां मौजूद एक भी व्यक्ति की गलत हरकत जूलिया आंटी की मौत साबित होगी ।"




"त… मुझे मारोगे विकास?" जूलिया कह उठी । "

"यदि हैरी डैडी का हाथ काटने भारत आ सकता है तो मैं दुश्मन की मां को मौत के घाट उतारने में जरा भी नहीं हिचकूगा आंटी? विकास ने कुछ ऐसे अन्दाज में कहा कि जूलिया के सारे जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गईं------लड़के के चेहरे पर इस वक्त ऐसे वाशियहिना भाव थे कि सबके हाथ स्वयं ही हवा में उठते चले गए-------जैकी और विजय जेसे लोगों ने भांप लिया था कि लडका कोरी धमकी ही नहीं दे रहा है-क्रोध मैं पागल हुआ बिकास जो कर जाए, वह कम ही हैं!



गहरा सन्नाटा छा गया था वहां ।



किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि सारी वारदात सुनने के बाद विकास पर यह प्रतिक्रिया होगी-----एकदम से बदली हुई इन परिस्थितियों ने सभी को र्किकर्तव्यविमूढ़ कर दिया था । ।




विकास ने उसी अवस्था में पुकारा…"मोन्टो?"



मोन्टो एकदम उछलकर सावधान की मुद्रा में सोफे की पुश्त पर खडा हो गया------विकास ने उसे आदेश दिया----"सबकी तलाशी लो…जेबें बिल्कुल खाली कर दो ।"



मोन्टो ने जो हुक्म कहने के-अंदाज में गर्दन हिलाई।



जूलियो की कनपटी पर रिवॉल्वर रखे------+ ----कठोर चेहरे वाले विकास ने एक-एक को अपनी लाल आंखों से घूरा, बोला-----" यदि मोन्टो द्वारा तलाशी के दौरान किसी ने भी चालाकी दिखाने की कोशिश की तो जूलिया आंटी तडप-तडप कर इस हाँल में जान दे रहीँ होंगी-------विशेष रूप से तुम सुनो गुरु----तुम भी डबल गुरू-----सबसे ज्यादा मुझें तुम दोनो की तरफ़ से गलत हरकत की उम्मीद है ।"




जैकी बोला----"म.......मगर बिकास….......हमारा क्या दोष है--!"




" हम तो खुद ही हैरी की कैद मे थे।"




"दोष आपका नहीं गुरु-----दोष तो मेरे डैडी का था-मेऱी मां का था !"



" हमने अपनी तरफ से उसे माफ कर दिया है विकास ।" रघुनाथ ने कहा ।

"लेकिन विकास देश में घुसकर उत्पात मचाने बाले को मांफ़ नहीं कर सकता डैर्डी-ऐसा नहीं हो सकता कि विकास सोया पड़ा रहे और कोई कुत्ता इतना सब'कुष्ठ करने के बाद देश से निकल भी जाए ।"




"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है दितजले!" हल्की सी झुझलाहट के साथ विजय ने कहा…"तुम्हें हजार बार समझाया कि विवेकहीन उतेजना----जोश---और बात-बात पर यूं पागल हो उठना बेवकूफी है…तुमसे बदला लेने की ऐसी ही जिद हैरी ने भी की थी----विरोध करने बालों को उसने कैद कर लिया-----मगर नतीजा क्या निकला प्यारे---------बैसी ही जिद इस वक्त तुम कर रहेहो।"



"इस वक्त मुझे आपका भाषण नहीं चाहिए गुरू !"




" उफ्फ !" जैकी चीख पड़ा-"किसो एक का नहीं, वल्कि इन दोनों ही लड़को का दिमाग खराब हो गया है ।”



उनकी बातों से ध्यान हटाकर विकास ने कहा-------तलाशी लो मोन्टो !"


रघुनाथ- की कोठी का हॉल !


बिकास और मोन्टो ने मिलकर इस हाल का दूश्य बड़ा ही अजीब बना दिया था--हाल की दीबारों के सहारे चारों तरफ़ वे सभी मोटी-मोटी रस्सियों में कैद थे ।"


विजय---- रघुनाथ--- रैना -- अजय-----------गुलफाम अशरफ--विक्रम-नाहर--- परबेज ----आशा और ठाकुर साहब भी ।


हाॅल के बीचो--बीच छत में दो कुन्दो से होकर रस्सियां लटक रही थीं-रस्सियों के निचले सिरों पर लटके थे जैकी और जूलिया---सिर से उपर दोनों हाथ रस्सियों मे बंधे----हबा में झूल रहे थे !



पैर फर्श से पांच फुट ऊपर थे ।



उन सभी के जेबों से निकला सामान एक कोने में पड़ा था ।
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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

यह सब कुछ करने में विकास और मोन्टो को पूरा एक घंटा लग गया-----इस बीच हर व्यक्ति चाहकर भी कुछ नहीं कर सका था------------क्योंकि विकास का रिवॉल्वर प्रत्येक पल जूलिया की कनपटी से सटा रहा था !



विकास को सभी ने समझाने की कोशिश की ।


मगर वह तो जिद्दी था न ?



पक्का जिद्दी!



किसी की एक न सुनी उसने ।।।


हाथों-मैं रिवॉल्वर लिए इस वक्त विकास और मोन्टो सारे हाल-मे घूमते फिर रहे थे--विकास का अंदाज ऐसा था, जेसे हरेक के बंधन चैक कर रहा हो----आश्वस्त होने परे उसने पुकारा----" मोन्टो?"



नन्हे मोन्टो ने उसे एकदम सैल्यूट सा दिया ।

"तुम उस रोशनदान पर बैठ जाओ---------------रिवॉल्यर हर क्षण तुम्हारे हाथ मेँ रहेगा-------यदि इनमे से जब भी कोई किसी किस्म की चालाकी दिखाने की केशिश करे तो तुम बेहिचक जैकी और जूलिया को गोली मार दोगे ।"



स्वीकृति में गर्दन हिलाने के बाद मोन्टो उछला और रोशनदान पर जा जमा…जिस वक्त वहां बैठा मोन्टो जेब से एक सिगार निकालकर सुलगा रहा था, उस वक्त विकास ठाकुर साहब के नजदीक पहुंचकर बोला------"'सिर्फ आप इस हाॅल बल्कि इस कोठी से बाहर जाएंगे नानाजी!"



"क्या मतलब?"



"मैं आपको खोल रहा हूं----आप इस कोठी से बाहर.....जाएगे-----रेडियों पर यहां की स्थिति का हवाला देकर तुरंत ही एक स्पेशल बुलेटिन के जरिए यह ऐलान कराएंगे कि कल सुबह दस बजे तक हैरी खुद यहां पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दे वरना साढे दस बजे उसके मां-बाप लाश में बदल चुके होंगे।"




"ओह! " ठाकुर साहब के मुंह से निकला।



उन्हे घूरते हुए विकास ने कहा…"एक बार यहां से निकलने के बाद आप खुद भी लौटकर यहां नहीं आएंगे---"हैरी के अलावा कोठी की चारदीवारी में कोई नहीं घुसेगा ग्रांडफादर'------- यदि ऐसा हुआ तो सिर्फ जैकी और जूलिया को ही नहीं, बल्कि खुद सहित मैं इस हाल में मौजूद. एक-एक व्यक्ति को गोली मार दूंगा------आप हैरी को गिरफ्तार नहीं करेगे-उसे यहाँ आने देंगे-------क्योकि यदि वह कल सुबह दस-बजे तक यहां नही आया तो !!



"हम समझ गए बेटे!"



अन्य बहुत-सी चेतावनी देते हुए उसने ठाकुर साहब के बंधन खोल दिये --रिवॉल्वर से खुद ही कवर करके उन्हें कोठी की बाउन्ड्री से बाहर छोड़ कर आया ।

अचानक रेडियो पर प्रसारित हो रहा एक मधुर गीत बीच में ही रुक गया…फिर एक गम्भीर आवाज गूंजी-----" अब आप एक विशेष सूचना सुनिए ।"




एक मिनट के लिए खामोशी ।



इस बीच श्रोताओं के दिल थड़क उठे------------ ऐसी क्या सूचना है, जिसके लिए गीत को बीच में रोक दिया गया, फिर वह आवाज ठाकुर साहब की थी, जो रेडियों पर गूंजी-------------'"हालांकि हम नहीं मानते कि अमेरिकी जासूस मिस्टर हैरी आर्मरट्रांग अभी तक राजनगर से भी बाहर निकल चुका होगा--------फिर भी हम दावे के साथ वह सकते है कि.वह कम-से-कम हिन्दुस्तान की सरहदों को पार नहीं कर पाया है----यह सूचना रेडियो स्टेशन से प्रसारित की जा रही है-----सूचना सिर्फ हैरी के लिए है-----यह कि उसके माता-पिता को विकास ने कैद कर लिया है-यदि हैरी इस सूचना को रहा है-------तो वह हिन्दुस्तानी सरहदों से बाहर निकलने की कोशिश न करे----कल सुबह दस बजे तक सुपर रघुनाथ की कोठी पर पहुच जाए-विकास का कहना है कि यदि वह निर्धारित समय तक वहां नहीं पहुंचता तो विकास उसके माता-पिता की हत्या कर देगा ।"



बस…यही सूचना एक वार फिर दोहराई गई ।

गीत शुरू ।



कमरे चल रहे रेडियों का स्विच आँफ़ करके जब सात फुट लम्बा लडका घूमा तो उसकी नीली आंखों में जैसे खून उतर आया था-------चेहरा सख्त----जबंड़े कस गए-दाएं हाथ मुट्ठी भीचकर वह बहुत जोर से बाएं हाथ की हथेली पर मारता हुआ बोला…“मुझे इसी बात का डर था !"



" अब क्या होगा?" सोफे से उठकर खडा होता हुअ एक युवक कह उठा ।



"होगा क्या ब्रेकर…मुझे बहा जाना पडेगा ।"



"म...मगर'-अभी आप हिन्दुस्तान की सरहदों से बाहर निकलने की बात कर रहे थे?"

"सब कुछ तबाह होने के बाद मैं सीधा यहां आ गया….....इसीलिए क्योंकि अभी तक किसी को तुम्हारे अमेरिकी ऐजेण्ट होने की जानकारी नहीं है---------चाहता तो मैं अभी तक दस बार राजनगर की सीमा से निकल सकता था, लेकिन नही निकला---- तुम्हारे पास समय गुजारता रहा---सिर्फ बिकास के होश मे आने के बाद की प्रतिक्रिया जानने के लिए और वही हुआ…मैँ जानता हूं कि यदि मैं निर्धाद्वित समय तक वहां नहीं पहुंचा तो विकास सचमुच मम्मी डैडी को मार डालेगा ।"



ब्रेकर कह उठा----"ल......लेकिन-यदि आप वहां गए तो ?"




"मेरी जान को खतरा है-यही न?"



"जी हां ।"



"यह खतरा तो अब उठाना-ही होगा ब्रेकर !"


"क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं सर !"



एक पल सोचने के'बाद हैरी ने कहा--------------"नहीं-अब मुझें वहां अकेले ही जाना होगा अफसोस है ब्रेकर कि मैं अपने लक्ष्य में कामयाब न हो सका----विजय अंकल अन्तिम क्षणों में वहां पहुंच गए----मेरी कोशिश यह थी कि मैं सब कुछ कर भी जाऊं और कोई यह भी न जान सके कि हैरी यहाँ आया था------मगर सब चौपट हो गया----उल्टे मम्मी-डैडी ही उनके-चंगुल में फंस गए, लेकिन. . . ।"




"लेकिन क्या सर?"



"‘मम्मी-डैडी को तो उसके चंगुल से निकालने मुझे जाना ही होगा-----साथ ही अपना मकसद पूरा करना भी मेरे लिए उतना महत्वपूर्ण है------सुनो ब्रेकर-क्या तुम एक काम कर सकते हो ?"



"आप हुक्म तो कीजिए सर !"




“मुझें एक ऐसा बम चाहिए, जिसके फटने से कम-से-कप बीस गज के हिस्से में मोजूद हर वस्तु तबाह हो जाए ।"


"मिल जाएगा सर !'

सारा राजनगर मानो सिर्फ और सिर्फ सुपर रघुनाथ की कोठी के चारों तरफ़ ही एकत्रित होगया------दूर दूर तक हुजूम और आपाधापी-सी मची हुई थी--- मेला सा लग गया था वहां ।




हालाकि ठाकुर साहब ने रेडियो-पर सुचना प्रसारित करंने से पहले ही अपने नेतृत्व में ढेर सारी फोर्स के साथ कोठी को चारों तरफ से घेर लिया था…मगर उमड़ती भीड को काबू मे
रखने के लिए, अतिरिक्त फोर्स भी लगानी पडी थी-ठाकुर साहब ने न तो एक बार भी स्वयं ही कोठी की चारदीवारी के अन्दर प्रविष्ट होने की कोशिश की न ही किसी को इसकी इजाजत दी ।



रात के ग्यारह बज रहे थे ।




कोठी की सभी लाइटे आंन हो चुकी थी !



हॉल में भरपूर प्रकाश था-----मोन्टो अपने स्थान पर तैनात…अन्य सभी अपने-अपने स्थानों पऱ बंधे थे----विकास तभी से निरन्तर सारे हाल में चहलकदमी कर रहा था----एक मिनट के लिए भी वह कहीं नहीं बैठा था----, बीच-बीच मे ठिठककर वह सभी के बन्धन अवश्य चैक कर लेता था ।



विकास को समझाने'की कोशिश करके सभी हार गए थे ॥॥॥



हवा में लटके जैकी और जूलिया को अब काफी कष्ट होने लगा था ॥॥॥



सवा ग्यारह बजे-आकाश मे हल्की-सी गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दी…सभी के कान खडे हो गए…गड़गड़ाहट की आवाज प्रतिपल नजदीक आती जा रही थी-----एकाएक गम्भीर स्वर में विकास ने कहा…“वह शायद हेलीकाप्टर से आ रहा है मोन्टो-----------छत पर जाओ--वह वहां लैंड करेगा तुम्हारा काम सिर्फ उसे कवर करके इस हाल तक पहुचा देना है !"



'मोन्टो ने फर्श पर जम्प लगा दी।
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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

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उधर हैलीकाप्टर की आवाज सुनकर भीड में खलबली मच गई-----ठाकुर साहब सहित सभी की नजरें आकाश की तरफ़ उठ गई, सभी के एक साथ जलती तीन लाइटे नजर आईं-एक ही हेलीकॉप्टर की तीन लाइटें…शोर-शराबा तेज हो गया।



ठाकुर.साहब ने भीड़ को नियंत्रित करने के आदेश दिए ॥॥


तीव्र गड़गड़ाहंट के साथ हेलीकॉप्टर कोठी की छत पर लैण्ड कर गया----यही वह समय था, जबकि छत के एक अंधेरे, कोने से एक शक्तिशाली टार्च भक्क से रोशन हुई---प्रकाश का तेज झमाका सीधा-हेलीकॉप्टर के अंदर धंसा-चालक सीट पर बैठे व्यक्ति का चेहरा नहा उठा-वह हेरी हीँ था-अकेला ।


उस वक्त हैरी के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान थी, जब उसने हाल में पहला कदम रखा, क्रिन्तु दुसरा कदम आगे बढाते-बढाते ही वह ठिठक गया !!!




-होंठों से मुस्कान एकदम लुप्त हो गई-------------जबड़े कस गए…चेहरे परं कठोरता उभर आई---हवा में लटके जैकी-औरं जूलिया को देखते ही उसकी आंखें भी सुर्ख होती चली गई-------जबकि अपने स्थान पर खड़ा विकास उसे कडी दृष्टि से घूर रहा था ॥॥॥




सभी के दिल धडक उठे ॥



हैरी के पीछे हाॅल में दाखिल होकर मोन्टो ने दरवाजा बन्द करके अन्दर से बोल्ट कर दिया---- हैरी ने नजरें हटाकर बिकास को घूरा, गम्भीर स्वर-----"सबसे पहले उन्हें आजाद करों विकास !"



" तेरी मौत से पहले नहीं होंगे ।" विकास का सपाट स्वर ।


एकाएक ही चहलकदमी करते हुए हैरी ने कहा--------"मेरी मौत भी नहीं होगी और बे आजाद भी होंगे।"




"बिना मेरी जानकारी के हिन्दुस्तान में कदम रखने की तेरी हिम्मत कैसी हुई ?"



हैरी का बैसा ही जबाब----" जिस तरह तरह अमेरिका में कदम रखने की-तेरी हिम्मत होती है।"



“विकास बुजदिलों की तरह छुपकर काम नहीं करता---खुलकर मैदान मे आता है--किसी का बदला किसी दूसरे से लेने की कोशिशे नहीं करता और नकाम होने पर कायरों की तरह भागने की कोशिश भी नहीं करता है ।"




"जरूरी नहीं कि दो व्यक्तियों के काम करने का तरीका एक ही हो !"


॥॥॥॥॥

"अपने तरीके का अंजाम तो तू देख ही रहा है ।"



"मुझे अपनी नाकामी का अफसोस नहीं ।" हैरी का लहजा कठोर होता चला गया…"डैडी के कटे हुए हाथ का बदला लिया जाएगा विकास-हर हालत में लिया जाएगा ।"




" विकास का थोडा भावुक स्वर'-""ऐसा नहीं है कि जैकी गुरु का हाथ काटकर मुझे कोई दुख न हुआ हो----या मैं फूट--फूटकर रोया न होऊं-------तू गुरु से पूछ सकता है कि जब यह दुर्घटना घटी थ्री तब क्या हुआ था…खुद पर शायद तुझसे भी ज्यादा गुस्सा आया था मुझे------तुझे उस हाथ के बदले में मेरा हाथ का पूरा हक था------लेकिन यूं नहीं----मेरे पास आता कमीने------कहता कि इंसाफ तब होगा जब विकास के पास भी सिर्फ एक ही हाथ रहेगा----तू कहकर तो देखता-विकास एक ही झटके में अपना हाथ काटकर ।"




"हैरी भीख नहीं मांगा करता कुत्ते…छीन लेता है ।"




"अब तो तुझे भीख भी नहीं मिलेगी हरामजादे ।" विकास गुर्रा उठा---तूने रास्ता ही गलत चुना---मै दोषी था, हर सजा कुबूल कर सकता था, किन्तु यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि डिन्दुस्तान में घुसकर तू... ।"




"तो बर्दाश्त करने के किसने कहा है-+-----मत कर--------जो बिगाड सकता है, बिगाड मेरा ।"




“हरामखोर----कुत्ते दांत भीचकर कहने के साथ ही विकास ने उसपर जम्प लगानी चाहीं, परंतु हैरी एकदम कह उठा-----"रुको विकास-------यदि इस हाल को और यहां मोजूद एक-एक व्यक्ति को बचाना चाहते हो तो रूखो ।"


विकास ठिठक्रां ।



हैरी के होंठों पर बड़ी ही खतरनाक-जहरीली और व्यंग्यात्मक मुस्कान उभरी----अचानक ही उसने अपना कोर्ट उतारा----एक तरफ उछाला------पेट पर एक बैल्ट बंधी हुई थी---बैल्ट में एक बम जैसी वस्तु फिक्स थी !

॥॥॥॥॥

हैरी ने कहा---ये बेल्ट देख रहे हो और ये बैल्ट में फिक्स एक बम…इस बम से सैफ्टीपिन निकली हुई है बेटे और मेरे जमीन पर गिरते ही यह बम फट जाएगा-तेरी जानकारी के लिए यह भी बता दू कि इस बम से सिर्फ मैं ही नहीं मरूंगा, बल्कि इसके फटते ही सारे हाल के परखच्चे उड़ जाएंगे-----यहा मौजूद एक भी व्यक्ति जिन्दा नहीं बचेगा !!!




बिकास की आंखें सिकुड़ती चली गई ।



जबकि उसी मुस्कान के साथ उसी तरह चहलकदमी करता हुआ हैरी बोला---------------यदि तुमने और तुम्हारे उस चमचे मोन्टो ने मुझ पर किसी भी किस्म का हमला करने की कोशिश की तो बेहिचक फर्श पर गिर पडूंगा--------;-मेरे तो परखच्चे उड़ेगे ही मम्मी-डैडी को तो मरना ही हैं लेकिन बचोगे तुम भी नहीं--------विजय अंकल-उनके दोस्त---रघुनाथ अंकल-----रैना आंटी और गुलफाम में से कोई भी नहीं -यह हाॅल सबकी कब्रगाह बन जाएगा बेटे-------मुझे तो तुमने यहाँ मारने के लिए बुलाया ही है…मैं भी मरने लिए तैयार होकर आया हूं------मगर मैं अकेला नहीं मरूंगा ।"




"वाह प्यारे-वाह--मान गए…क्या कोडी लाए हो?" विजय कह उठा ।




सचमुच-सही भौचक्के रह गए…रैना और रघुनाथ के चेहरे तो पीले ही पड गए--------------सीक्रेट सर्विस की टीम और गुलफाम की आंखे आश्चर्य से फैल गई…जैकी और जूलिया की आंखें चमक उठी….....मोन्टो बौखला गया, जबकि विकास का सारा जिस्म मारे उत्तेजना के थरथरा उठा, जबकि उसी मुस्कान के साथ हैरी ने उससे कहा-------" अगर ताकत है तो मुझ पर हमला करों विकास-----------चाहे जिस हथियार से------------------------यदि बैल्ट में गोली भी मारी तो बैल्ट के जमीन पर गिरते ही बम फट ही जाएगा !"



विकास की जुबान तालू में चिपक गई..............कसमसाकर रह गया वह ।



मुस्कराते हुए हैरी ने कहा -----" मम्मी-डैडी को इन रस्सियो से उतारो !"



विकास अपने स्थान पर खड़ा कांपता रहा !!



" सुना नहीं तुमने ।" हैरी ने गुर्राया।



बिकास और मोन्टो की नजरें मिली----आंखों में अजीब-सी बिवशता थी-यह कल्पना तो शायद किसी ने भी नहीं की थ्री के कि यहाँ जाकर, हैरी अपना हुक्म चलाएगा-----उसका आदेश मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था !!!!!

" सुना नहीं तुमने ।" हैरी ने गुर्राया।



बिकास और मोन्टो की नजरें मिली----आंखों में अजीब-सी बिवशता थी-यह कल्पना तो शायद किसी ने भी नहीं की थ्री के कि यहाँ आकर, हैरी अपना हुक्म चलाएगा-----उसका आदेश मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था-----जाने क्या संकेत करके विकास हाल के एक कोने में गड़ी उस कील की तरफ़ बढ़ गया जिसमें उन दोनों रस्मियों के दूसरे सिरे बंधे हुए थे-रस्सियां खूंटी से छत के कुंदों के अन्दर से गुजरकर उनके हाथों में बंधी हुई थी।


हेरी की मुस्कान गहरी हो गई ।
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विवश विकास को खूंटी से जैकी बाली रस्सी का सिरा खोलना ही पड़ा…सिरा खोलकर उसने रस्सी को ढील दी ! !



कुन्दे में रस्सी सरकी----जैकी का जिस्म नीचे जाने लगा…पैर फर्श से टिक गए, विकास बोला------“खोल तो अपने बाप को ।"



हैरी ने उसी मुस्कान के साथ कहा------"यह काम मोन्टो करेगा।"




मोन्टो ने हैरी की तरफं देखकर दांत किटकिटाए विकास के अदिश पर उसे जैकी के नजदीक पहुचना ही पड़ा ----विकास ने और ढील दी ।



मीन्टो अपने दोनों पेरों पर खडा होकर बंधन खोलने लगा------हेरी दिलचस्प निगाहों से मोन्टो को ही देख रहा था…अभी मोन्टो शायद पहली गांठ भी नहीं खोल पाया था कि विकास ने बिजली की सी तेजी से अपने, हाथ वाले सिरे का फंदा हैरी की तरफ़ उछाला ।।।



फंदा हैरी के गले में जा गिरा।




हैरी बौखालाया------उससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, अपने हाथ में दबी रस्सी को पकडे मोन्टो पूरी ताकत सें हाल के एक कोने की तरफ भाग पड़ा------कुन्दे अंदर से रस्सी खिंचती ही चली गई ।





एक झटका-सा लगा और हैरी का जिस्म हवा में लहराता हुआ तेजी से छत की तरफ़ बढा--------गर्दन पर फंदे के कसाव के कारण हैरी के कंठ से घुटी… चीखें निकल गई जवकि-----!




"हा-हा-हा!" विकास पागलों के समान कह्रकहा लगां उठा ।।


दृश्य भी बदल गया था ।



॥॥॥॥॥

हैरी हवा में झूल रहा था !



गले में फन्दा------गर्दन घुटंने के कारण चेहरा लाल होता जा रहा था-वह अपने दोनों हाथो से गले से फन्दा निकालने की असफल कोशिश करने लगा----बंधा जैकी हाँल के फर्श पर पड़ा था….........रस्सी को मजबूती के साथ पकडे मोन्टो एक कोनै मैं।




“अब ज़रा हॉल के फर्श पर गिरकर दिखाओ बेटे?" पागलों की तरह हसता हुआ विकास कह रहा था…"बम बांधकर लाए थे…यदि कुछ करेंगे तो फर्श पर गिरने की धमकी.........!"



"फैंटास्टिक !" विजय कह उठा…"जियो प्यारे दिलजले क्या इलाज निकाला है!"



हैरी अब फंदे से ध्यान हटाकर वेल्ट खोलने की कोशिश करने लगा था ।



फर्श पर पड़ा जैकी चीखा…“उसे रोको विकास-----यदि उसने बेल्ट खोल ली तो…....... खतरा विकास भी भांप चुका था…भांपते ही उसने हवा में लटके हैरी पर जम्प लगा दी----बहा में झूलते हुए हैरी को पकड लिया उसने------एक तेज झटका लगा।।।।



मोन्टो के लिए भार सम्भालना मुश्किल हो गया------बह रस्सी के खिंचाव के साथ घिसटा।



हैरी और विकास तेजी से फर्श की तरफ़ आए।


जैकी चीख पंड़ा-----"सम्भालो मोन्टो----:---यदि बे फर्श से टकरा गए तो बम.........-।



मोन्टो ने पूरी ताकत से खुद को रोकर-------रस्सी खीची-फर्श पर टकराने से पहले ही वे ऊपर खिंचते चले गंए------हैरी फंदे मे और विकास हैरी को पकड़े लटक रहा था-वे झूल गए ।




रस्सी के उस सिरे पर दोनों की लडाई जारी हो गई---बे झूले रहे थे-लड़ रहे थे----रस्सी को तेज झटके लग रहे थे---उधर मोन्टो को ये झटके सहने कठिन पड रहे थे----हर झटके के साथ जमीन से उसके नन्है पैर उखड़ जाते---------हैरी और विकास का वजन उसे खदेड़ देता-----जितना वह खिदड़ता, उसी अनुपात मैं गुंथे हुए हैरी और विकास फर्श की-तरफ आते ।


॥॥॥॥॥

अजीब दृश्य था----अजीब सनसनीखेज ।


देखने वालो के प्राण खुश्क हो गए------------चेहरे पीले…दिल बूरी तरह धक-धक करने लगे…बड्री ही बिचित्र स्थिति थी----


------मौत सिर्फ एक पल दूर थी----फर्श की तरफ वढ़ती------मोन्टो अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करके फिर कुन्दे की तरफ खीच लेता ।



सारा खेल…सबकी जिन्दगी गोन्टो के हाथ में थी-------उसकी ताकत पर निर्भर थी…उधर हैरी लगातार अपनी बैल्ट को खेलते का प्रयास कर रहा था-----विकस की कोशिश उस बैल्ट को खुद कब्जाने की थी…उसे छोड़कर विकास के फर्श पर कूद जाने का अर्थ था---हैरी का बैल्ट खौल लेना और फिर हाल के फर्श या किसी दीवार पर दे मारना---------दोनों का वजन मोन्टो पर सम्भल नहीं रहा था-----उसके हाथ से रस्सी निकल जाने का अर्थ था------हैरी ओंर विकाश का फर्श पर गिर पड़ना !!




ऐसा होते ही हाल के परखच्चे उड जाने थे !!



जैकी-विजय-रघुनाथ--रैना--जूलिया आदि सभी चीख रहे थे----मोन्टो का हौंसला बढा रहे थे-----उसे जोश दिला रहे थे---उन सबकी जिन्दगी को मौत में तब्दील कर देने बाला बम उसके हाथों में झूल रहा था-----मोन्टो के कमजोर पड़ते या हिम्मत, हारते ही सबकी मौत निश्चित थी ।




फंदे में लटका हैरी पागलों की तरह अपने दोनों हाथो के दुहत्थड विकास के सिर में मार रहा था-----बिकास के दोनों हाथ उसकी कमर में बंधी बैल्ट में घुसे हुए थे । मोन्टो के कमजोर पडने पर जब वे फर्श की तरफ आते तो देखने बालों की चीखें निकल जाती ।




यही दृश्य करीब पांच पिनट तक रहा ।



किर-जब विकास ने एक तेज झटका दिया तो बैल्ट टूट गई----बेल्ट टूटते ही वह तेजी से फर्श की तरफ़ गिरा-------एक साथ सभी चीख पडे----------"सम्भलो विकास !"



विकास फर्श पर गिरा----चीखें निकल गई।



दूर तक लुढ़कता चला गया, किंतु दाएं हाथ में दबी बैल्ट को लडके ने फ़र्श से न टकराने दिया वह हाथ उसने हवा में ही लहराए रखा----रूका----बैल्ट संभाले खडा हुआ ।।।



सबने राहत की सांस ली ।।



हैरी अब भी फंदे में कैद बहा में झूल रहा था ।

खतरा टलता देखते ही जैसे मोन्टो पागल हो गया----उसने एकदम रस्सी ढीली छोड़ दी…फ्रंदे के साथ ही हैरी 'फड़ाक' " से फर्श से आ टकराया----मोन्टो ने रस्सी खींची----------फिर छोड़ दी----हबा में उठने के बाद हैरी का जिम फिर फर्श से टकराया।
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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

झुंझलाए से मोन्टो ने बार-बार यही क्रिया दोहरानी शौरू कर दी----ठीक इस तरह, जैसे कुएं से पानी भरता कोई व्यक्ति-बार बार बाल्टी को पानी की सतह से टकराता है ।




विकास बैल्ट को हाल के साथ ही अटैच्ड स्टोर रूम में ले गया------बैल्ट को स्टोर रूम में रखकर वह शीघ्र ही वापस आया----स्टोंर रूम के बाहर का ताला लगाकर उसने चाबी रोशनदान के जरिए हाल से बाहर फेक दी-----------तब बोला-"रूक जाओं मोन्टो ?"


मोन्टो रुक गया ।



उस वक्त हैरी छत के समीप हबा में झूल रहा था । उसकी तरफ देखते हुए विकास ने कहा-----“इसे नीचे उतारो ।"



मोन्टो ने एकदम रस्सी छोड़ दी।



हैरी तेजी के साथ गिरा और "भड़ाक' से फर्श से टकराया।



“तुम बीच में नहीं बोलोगे…मोन्टो-फैसला सिर्फ हम दोनों के बीच होगा ।"



हैरी के गले मैं पडे फंदे को ढीला करके विकास ने निकालते हुए कहा----------"तुम जैकी गुरु को उसी तरह लटकाकर रस्सी खूंटी मे बांधो।"




आजाद होते ही हैरी ने दोनों जूतों का प्रहार विकास की छाती पर किया ।




एक चीख के साथ विकास हवा में उछलकर दूर जा गिरा, मगर गिरते ही जबरदस्त फुर्ती के साथ उछलकर खडा भी हो गया ॥



-इधर हैरी भी गुर्राकर खडा हो चुका था ।


वे आमने सामने थे-----हैरी और विकास ।


दो बराबर लम्बाइयां ।


दोनों के चेहरे पर वाशियाना भाव-आंखों में खून----गुस्से से जले भूने-----विकास गुर्राया-----"बम बांधकर आया था सोचा तो ये होगा कि के सामने इस हाॅल से निकल जाओगे ?"

दोनों के चेहरे पर वाशियाना भाव-आंखों में खून----गुस्से से जले भूने-----विकास गुर्राया-----"बम बांधकर आया था सोचा तो ये होगा कि के सामने इस हाॅल से निकल जाओगे ?"



"रोक तो तू मुझे अब भी नहीं सकेगा हैरामी !"


विकास ने उछलकर फ्ताइंग किक मारी--------हैरी फर्श पर गिरा----विकास की ठोकर उसके चेहरे पर पडी----फिर उठा---ठोकर फिर चेहरे पर----फिर उठा------इस बार हैरी ने उसका जूता पकडकर टांग मरोडी-चकरधिन्नी की तरह घूमकऱ विकास फर्श से जा टकराया।



वे भिड़ चुके थे !



जंगली शेरों की तरह----एक-दूसरे के खून के प्यासे होकर ।


रैना और जूलिया चीख रही -रैना विकास से इस खूनी लडाई को बंद करने के लिए कह रही थी तो जूलिया हैरी से -----विजय और जैकी चीख-चीखकर दोनों से ही कह रहे थे ।



मगर एक भी तो न माना-------एक ने भी तो न सुनी ।



मोन्टो ने अपना काम कर दिया था।



दोनों ही लड़ते रहे-----दरिन्दो की तरहा पांच मिनट-दस मिनट--पन्द्रह, बीस, पच्चीस और तीस मिनट खाद वे दोनों ही खून से लथपथ हो गए------हाॅल के फर्श पर भी जैसे खून की पुताई हो गई-किसी को नहीं मालूम था कि खूऩ का कौंन-सा ज़र्रा हैरी का है और कौन-सा विकास का ।





ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वे अभी…अभी खून के किसी दरिया से निकलकर आए हों !



अपने जिगर के टुकडो को ऐसी अवस्था में देखकर तो रैना और जूलिया कलेजे फट गए । बुरी तरह बिलखती हुई वे इस खूनी खेल को वन्द करने के लिए कहती रहीं ।।।।




विजय और जैकी जैसे जांवाजों के कलेजे थर्रा गए ----गुलफाम जैसा दहाड़े मार-मारकर रो पड़ा-अशरफ, विक्रम,, नाहर, परवेज, आशा और अजय के तो होश ही फाख्ता हो गए ।




मोन्टो तक के नन्हें से जिस्म-----का एक-एक रोयां खडा हो गया ।



उन सबके मनोभावनों से लापरवाह विकास ने हैरी के खून से लथपथ जिस्म को सिर से ऊपर उठाकर पूरी बेरहमी के साथ फर्श पर दे मारा ----------

उन सबके मनोभावनों से लापरवाह विकास ने हैरी के खून से लथपथ जिस्म को सिर से ऊपर उठाकर पूरी बेरहमी के साथ फर्श पर दे मारा ----------एक चीख के साथ हैरी लुढ़कता ही चला गया....…अभी वह फर्श से उठ भी नहीं पाया था विकास ने झपटकर उसके खून से लथपथ बाल पकडे----ऊपर उठाया और सिर की भरपूर टक्कर उसके चेहरे पर मारी । खून ताजा हो उठा !!!!!




हैरी के हाथ-पांव ढीले पड़ने लगे-------जबकि इस बात की परवाह किए बिना विकास उसे मारता ही चला गया-----हेरी की गूंजती हुई चीखें भी धीमी पडती जा रही थीं।




हैरी मेँ बिरोध की ताकत-न रही।





"मोन्टो!" विकास दहाड़ा----"चाकू ला !




मोन्टो हिचका----आदेश का पालन नहीं किया उसने ।



हैरी के बाल पकड़े ही विकास मोन्टो की तरफ घूमकर कर गरजा-----"सुना नंहीँ तूने?"




मोन्टो सहम गया-----हाथ जेब में पहुंचा-----कांपत्ते हुए मोन्टो ने चाकू विकास की तरफ़ उछाल दिया-एक हाथ से बाल पकड़े विकास ने, दूसरे हाथ से चाकू लपका-बटन दबाया ।


क्लिक --- चाकू खुल गया!!!



अभी उसने चाकू हैरी के सीने मेँ घोंपने के लिए हवा मे उठाया ही था कि रैना चीख पडी---------"नहीं विकास-नही… तुझे पेरी कसम मेरे लाल…मेरे दूध की कसम तुझें !"




"मा........मां…!" दहाड़ता हुआ लड़का उसकी तरफ घूमा ।

बुरी तरंह बिलखती हुई रैना कह उठी------------यदि तूने जूलिया बहन के अरमानों का खून इस तरह बहाया तो हैं तुझे कभी दूध ना बख्शूंगी------मैं अपनी जान दे दूंगी विकास ------ मेरे बेटे…जैसे तू मुझें प्यारा है, उसी तरह जूलिया बहन को हैरी प्यारा है । छोड़ दे!"



"'म._..मां तुम पागल हो गई हो क्या?" हैरी के बाल छोड़कर विकास वहशियों के समान चीखा------पागलों की तरह दोढ़कर रैना के नजदीक पहुँचा…गुस्से की अधिकता में चाकू
हवा में उठाकर चीख पड़ा--"म...मां.. .मैँ तुम्ही को... ।"



"म.. .मार डाल-मुझे मार डाल विकास-लेकिन हेरी कों बख्श दे----मै तेरे हाथ जोड़ती दूं…दूघ का वास्ता देती हूं?"

"दूध...दूध....दूध.....दूध पिलाया ही क्यों था मुझें---------म......मां-----यदि तेरा दूध पीकर आज इतना बड़ा न हुआ होता तो तेरी कसम------तेरी मांग में भी सिन्दूर की कसम----इस कुत्ते की बोटी-बोटी करके इस मुल्क के खेतो में बिखेर देता मैं ।"




"व...विकास'…खुद को सम्भाल मेरे लाल------इतना जोश--इतनी देशभक्ति भी ठीक नहीं।” . .
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