आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete

Post Reply
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete

Post by 007 »

आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज

एक विषकन्या के लिए कुर्बान होने का जज्बा !


विदेशी धरती पर दुश्मनों के बीच अकेली खतरनाक हसीना ।


जब…जब उसे लूटने की कोशिश की गई, उसने लूटने वालों की लाशें बिछा दीं ।


आ बैल मुझे मार


मोना चौधरी का दिल दहला देने वाला डाइनामाइटी हगामा ।


अनिल मोहन
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

मोना चौघऱी के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा । वह फौरन समझ गई कि उसे घेरा जा रहा हैं-तगड़े वदोबस्त' के साथ घेरा जा रहा है । उसकी आखों में खतरनाक भाव नाच उठे I


सव ठीक चल रहा था ।


किसी प्रकार की दिक्कत और परेशानी नहीं थी ।


कल दोपहर की बात है । जव उसने अपने फ्लैट की खिडकी खोली तो सामने सडक पार फुटपाथ. के करीब हरे रग की कार को खडे देखा, जिसकी ड्राइविंग सीट पर कोई व्यक्ति मौजूद था । मोना चौधरी ने उसके वहां खडे होने को महज . इत्तफाक समझा I खिडकी वद कर ली । दो घटे के बाद उसने
फिर खिडकी खोली तो हरे रग' की कार को उसकी जगह पर मौजूद पाया । ड्राइबिग' सीट पर आदमी भी मोजूद था, परंतु वह नहीं, जो पहले था I अब नया आ गया था I मोना चौधरी को इस बारे में पूरा यकीन था कि जो व्यक्ति पहले कार में बैठा था - उसने सफेद रग की या ऐसे ही किसी लाइट कलर की शर्ट पहन रखी थी जबकि अब जो व्यक्ति बैठा था उसने गाढे रग की कमीज पहन रखी थी । मतलब कि कार बही थी, ड्राइविंग सीट पर मौजूद आदमी बदल गया था ।


मोना चौधरी को सतर्क करने के लिए इतनी बात ही काफी थी I
इस बार उसने खिडकी बद' नहीं की I पर्दा गिरा दिया और पर्दे की झिरी से कार को देखने लगी । कार का इस प्रकार घटों खडे रहना, ड्राइविंग सीट पर बैठे आदमी का बदलते रहना, वह भी उसके फ्लैट ,के ठीक सामने-यह बात खामखाह नहीं हो सकती थी । मोना चौधरी के हिसाब के मुतबिक कोई भी बात बिना वजह नहीं होती I इस बात के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है I


आधा घटा' कार पर पर्दे की झिरीं में से निगाह. रखने पर भी मोना चौधरी समझ नहीं पाई' कि हरी कार वाला उसके फ्लेट की निगरानी कर रहा है या किसी दूसरे की क्योंकि उसने हर तरफ देखा था । कार से बाहर आकर टहला भी था परतु मोना चौधरी के फ्लेट की तरफ नहीं देखा था I

सोचो' में डूबी मोना चौधरी खिडकी से हट गई I


वदन पर पडी लबी घुटनों तक आ रही कमीज उतारी तो उसका जानलेवा, हसीन जिस्म चमक उठा ।


आदमकद शीशे के सामने पहुंचकर उसने खुद को निहारा । देखती रही अपने एक एक अग को I मोना चौधरी को ऐसा लगा जैसे बीते हुए दिन की अपेक्षा आज वह ज्यादा जबान हो गई हो I आखों में मदहोशी के भाव नाच उठे I मोना चौधरी ने दातों से होठो को . काटा और पलटकर बाथरुम में प्रवेश कर गई । पद्रह मिनट बाद जव वह बाथरूम से बाहर निकली. तो उसके सगपरमरी' जिस्म पर पानी की बुंदे जैसै मोतियों की तरह चमक रही थी । आखो से मदहोशी के भाव गायब हो चुके थे I ठंडे' पानी ने उसे सामान्य अवस्था में ला दिया था I सुलगती सोचे' ठडी पड गई ।

अपने हगामाखेज जिस्म पर बिना कुछ डाले मोना चौधरी खिडकी पर पहुची' और पर्दे की झिरी से बाहर देखा I वो कार अपनी जगह पर ही खडी थी I मोना चौधरी के होठे सिकुड गए I वह दूसरे कमरे में पहुची ची । बार्डरोब खोलकर कपडे निकाले।

ब्रा पैंटी के बाद जीन की पैंट और टॉप डाला। बालों मे कंघी फेरी ।


उसका चमकता जिस्म इस तारह छिप गया था, जैसे बादलो की ओट में चाँद I मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया ।

मस्तिष्क में बाहर मौजूद हरे रंग की खडी कार घूम रही थी I आगे बढकर मोना चौधरी ने ड्राज खोलकर. रिवाल्वर निकाला I चैम्बर चैक किया, फिर उसे पैट की जेब में डाल लिया । यूं तो रिवाॅल्बर की कोई जरूरत नहीं थी, परंतु सतर्कता बरतना उसकी जिदगी का अहम हिस्सा था । बाहर खडी कार . उसके लिए भी हो सकती-थी और उसके लिए नहीं भी । कुछ भी हो सकता था I शाम के पश्चात अधेरा' घिर आया था I


. . मोना चौधरी के पास इन दिनों कोई खास काम नहीं था ओर न ही उसे बाहर कहीं जाना था । वह फ्लैट में ही रही । अलबत्ता कार पर उसकी निगाह अवश्य रही I बीच चीच में रह रहकर कार पर निगाह मारती I रात की नीद उसने पूरी ली ।


सुबह उठकर पुन कार पर पर्दे की झिरीं में से निगाह मारी तो कार को वहीँ खडे पाया I ड्राइविंग सीट पर बैठा आदमी बदला पाया । मोना चौधरी की आखें सिकुड गई । जो भी हो, उसे भारी गडबड का अहसास हुआ I अगले ही पल उसने मन ही-मन फैसला लिया I

आखो में सख्ती के भाव नाचे I अब यह जानना जरूरी था कि हरी कार का चक्कर क्या है I


वह इस सिलसिले को ज्यादा देर नहीँ चलने देना चाहती थी । अगर वह हरी कार उसके लिए खडी हे तो । मोना चौधरी नहा धोकर तैयार हुईं I उसने स्कर्ट और जिप वाली छोटी सी शर्ट पहनी I स्कर्ट जरूरत के हिसाब से ही थी I वह मात्र कूल्हों को ही ढाप रही थी I ठीक इसी तरह जिप चाली शर्ट सिर्फ छातियों को ही कठिनता से छिपा पा रही थी I और ऊपर से झाकने पर छातियों का आधे से ज्यादा नजारा हो रहा था । कयामत ढा रही थी मोना चौधरी I छोटो पिस्टल उसने अपने कपडों में इस तरह छिपाई कि देखने वाले को पिस्टल का आभास न हो I . फिर कार की चाबियों को स्कर्ट की पॉकेट में डाला और फ्लैट सै बाहर आकर मेन डोर लाक किया और बाहर की तरफ बढ गई । इस समय सबसे जरूरी यह जानना था कि बाहर खडी हरी कार उसके लिए है या किसी और के लिए ।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

अपार्टमेंट के पोर्च में खडी अपनी काऱ पर मोना चौधरी ने निगाह मारी और पैदल ही चलती हुई बाहर आ गई I उसका रुख सढ़क पार फुटपाथ के किनारे पर खडी हरी कार की तरफ़ था ।


मोना चौधरी कार के पास पहुची ठिठकी I


कार की ड्राइविग सीट पर बेठे व्यक्ति ने गर्दन घुमाकर, होठ सिक्रोड़कर मोना चौधरी को देखा I वह तैतीस बरस या अड़तीस बरस का होगा I छ: फीट कद I भरा चुस्त बदन I


बदन पर बढिया कीमती कपडे I वह किसी अच्छे खाते पीते खानदान से वास्ता रखने वाले इसानों में से था ।


"हाय I" मोना चौधरी ने दरवाजे पर हाथ रखकर शोख स्वर में कहा । . .


कार मे बैठे व्यक्ति के चेहरे पर छाई बोरियत में कोई कमी नहीं हुई I वह उसी प्रकार बैठा नाखुश निगाहों से मोना चौधरी को देखता रहा और जबरदस्ती वाले अदाज में उसके होठ हिले I


" है....लो !"


"क्या हो रहा हे ?" मोना चौधरी होले से हसी ।


"कुछ नहीं I " उसने मक्खी उडाने वाले अदाज में कहा I


" लगता है जिसका इतजार कर रहे हो वह आईं नहीं । जनाब का मूड उखडा हुआ है I "



जवाब में वह कघे उचकाकर रह गया I फिर उसने सिगरेट सुलगाई तो मोना चौधरी ने हाथ बढाकर उसके पैकेट में से एक सिगरेट निकालकर सुलगाने के पश्चात कश लिया I


वह बेपरवाह ही रहा मोना चौधरी की तरफ से ।



"चलें l" मोना चौधरी ने होठो को खास अदाज में गोल किया ।


"कहां ?" वह जैसे अभी भी बोरियत के ढेर पर बैठा था I


मोना चौधरी का कातिल जिस्म और खूबसूरती उसकी खोपडी खराब न कर सकी… थी I और यही बात मोना चौधरी को इस बात का एहसास दिला रही थी कि कहीँ न कही गढ़बड़ है । क्योकि उसके जवान, हसीन चेहरे और कहर बरपा देने वाले जिस्म को देखकर तो मरता आदमी भी एक बारगी खडा हो जाऐ ।

"कहीं भी I तुम्हारे पास जगह हो तो ठीक नहीं तो किसी होटल में चलते हैं !! "


उस व्यक्ति ने मुह बनाकर पहली बार खास निगाह मोना चौधरी के चेहरे पर मारी !! . . . मोना चौधरी ने आख दबा दी ।



"कितना ले लेती हो ?"


"सामने वाला जित्तना भी दे दे । कम हो ज्यादा हो मुझे कोई दिक्कत नही I "



"फिर भी कुछ मालूम तो हो कि... I”


"तुमने जितना देना हो दे देना ! मेरी तरफ़ से पूरी छूट !"


उसने कश लिया !! दो पल सोचा I "

"जाओ तुम ।"


"क्या ? " मोना चौधरी अचकचाई ।


"हा ।“ उसने सिर हिलाया-"तुम्हें कहा से दूगा I आज मैं साथ नंहीँ लाया।"


"साथ नहीं लाए I" मोना चौधरी ने आखे फार्डी-"घऱ छोड़कर आए हो क्या?"


"हा बीबी ने निकाल लिया था पर्स I उसे कितनी बार कहा हे पर्स में से जो लेना हो ले लो लेकिन वापस जेब में डाल दिया करो I लेकिन वह डालना भूल गई और मैं पैट डालकर वेसे ही घर से चलता बना I फिर कभी मिलना आज बात नहीं बनने वाली I " उसने लापरवाही से कहा और दूसरी तरफ मुह घुमाकर कश लेने लगा I
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

मोना चौधरी समझ गई कि वह सफेद झूठ बोल रहा है टरका रहा है और इस टरकाने का वह कारण भी नहीं समझ पाई ।


अब उसे स्पष्ट तौर पर गडबढ़ महसूस होने लगी ।


"चिता क्यों करते हो I पर्स घर रह गया तो कोई बात नहीं । मोना चौधरी हंसी-"आज ऐसे ही सही I अगली बार जब मिलोगे तब पेमेट कर देना । कम ओंन कहा चलना हैं ? बोलो डियर I"

उसने पुन निगाहे उठाकर मोना चौधरी को देखा ।


~ "अगली बार के लिए मैं खिसक गया, नजर ही न आया तो ?"


” चिंता मत करो I यह मेरी जिम्मेदारी रही I " मोना चौधरी हसी ।


"बात दरअसल यह है कि आज कुछ नहीं हो सकता । "


"घर तो पर्स रह गया हे और पर्स....?“


"तुम नहीं समझोगी I बस इतना समझ लो कि आज कुछ नहीं हो सकता I "


"पक्का ?“


" पक्के से भी पक्का I"


"मुझे तो लगता है कल भी कुछ नहीं हो सकेगा। " मोना चौधरी ने गहरी सांस ली ।


"क्यों कल क्यों नहीँ ?"


" तुम्हारे पास वह है ही नहीँ जिससे सब कुछ होता हैं । अगर वह होता तो मुझे फ्री की हासिल होते देखकर पागल हो उठते I " मोना चौधरी ने व्यग्य से कहा और बाह भीतर करके उसका गाल थपथपाया--"तुम झूठ बोल रहे हो कि तुम्हारी बीबी है । तुम जैसों की बीबिया नहीं होतीं I बाय बाय बीच के l ” कहने के साथ ही मोना चौधरी वापस पलटी और अपार्टमेंट के गेट के भीतर प्रवेश करके पार्किग में खडी अपनी कार मे बैठी…उसे स्टार्ट किया और गेट से बाहर सडक पर आ गई ।


और जब हरी कार के समीप पहुची तो फौरन ब्रेक लगाई I कार मे बेठे उसी व्यक्ति ने नीरस निगाहों से गर्दन घुमाकर उसे देखा I


"चलना है ? " मोना चौधरी ने ऊचे स्वर में कहा…"सारा खर्चा मेरा । "

उसने शात भाव में सिर हिला दिया । जवाब मे मोना चौधरी हँसी और कार आगे बढा दी।

गडबड़ ! यह शब्द बार वार उसके मस्तिष्क में कौघ रहा था । वह आदमी कार में किसी काम के लिए बैठा था । और किसी भी हाल में यहां से हिलना नहीं चाहता था I कल से कार खडी थी I ज़रा भी नहीं हिली थी, परंतु निगरानी करने वाले चेहरे बदल रहे थे I अगर यह निगरानी उसकी नहीं हो रही थी तो मोना चौधरी को उनकी हरकतों की ,जरा भी परवाह नहीं थी ।

और अगर उसकी हो रही थी...? यह बात अभी मालूम हो जानी थी I

कार आगे ले जाने के पश्चात मोना चौधरी बैक मिरर में पीछे का नजारा देखती रही I हरी कार अपनी जगह खडी रही l एक इच भी नहीं' हिली थी I देखते ही देखते उसकी कार काफी आगे आ गई थी I हरी कार का नज़र आना भी बद' हो गया था । मोना चौधरी ने गहरी सास ली I उसे लगा कि हरी कार उसके लिए नहीं है I उसकी टोह में नहीं है I उसकी निगरानी पर नहीं है I उसे किसी और से ही मतलब है I कुछ देर बाद मोना चौधरी हरी कार की तरफ से निश्चिंत हो गई थी । यहा तक कि वह कार और कार वाला भी उसकी सोचो से हट गया था । मोना चौधरी निंश्चित होकर ड्राइव करती रही I यह स्थिति मात्र तीन चार मिनट रहीँ I ज्यों ही उसने एक क्रासिंग को पार किया एकाएक दो कारे उसके अगल-बगल चलने लगीं I मोना चौधरी की आखें सिकुडी I

उसने कार को तेजी से आगे. बढा ले जाना चाहा, परंतु आगे जा रही कार ने न तो उसे रास्ता दिया और न ही आगे बढने दिया I


मोना चौधरी के दात भिंच गए I


मोना चौधरी ने कार की गति धीमी करके पीछे से निकल जाने की सोची I बैक मिरर में निगाह मारी तो दात और भी सख्ती के साथ भिच गए I ठीक पीछे भी कार थी, यह सब देखकर उसे फोरन इस बात का एहसास हो गया था कि उसे धेरा जा रहा हे-और तगडे हिसाब से घेरा जा रहा है ।


मोना चौधरी ने एक बार फिर स्थिति का जायजा लिया । परतु कोई फायदा नजर नहीं आया ।

बच निकलने का कोई रास्ता नहीं था । उसने घेरने वाली कारों पर निगाह मारी ।हर कार में मात्र एक ड्राइवर था I यानी कि चार कारें , चार आदमी I उनमें से कोई' भी पुलिस वाला नहीँ लग रहा था और
न ही कोई बदमाश या गैगस्टर I


"फिर ये लोग कौन है' ?"


एकाएक उसे हरी कार का ध्यान आया । परंतु इन चारों में कोई भी हरी कार नही थी और न ही इन कारों में वह हरी कार वाला था, जिससे उसकी बात हुई थी I परतु अब मोना चोघरी इस बात को दावे के साथी कह सकती थी कि उसे धेरने वाले उस हरी कार वाले के ही साथी-हैं l जोकि इनमें नहीं था I
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

बहरहाल मोना चौधरी ने मन ही मन फैसला किया कि जो लोग भी हैँ किसी भी सूरत में उसे इन लोगों के हाथ नहीं पड़ना है ।


परतु अगले ही पल मोना चौधरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसे घेरने वाली चारों कारें उसे आगें आने वाले मोढ़ की तरफ ले जाना चाहती हैँ और इसी कोशिश में उन सब. .कारों की स्पीड धीमी होकर वे कारें उसकी कार के वेहद करीब आ पहुची हैँ और एक तरह से उसे अपनी मनचाही दिशा की तरफ मुड़ने को कह रही हैँ ।


मोना चौधरी महसूस कर रही थी कि इस वक्त मनमानी नहीं चलेगी । और उसने नानुकर करने की चेष्टा की तो वे चारों खुलकर भी सामने आ सकते थे I जो कि किसी के भी हक में ठीक न होता I


सख्ती से होठ भीचे मोना चौधरी ने उन्ही के इशारे के मुताबिक कार को मोड लिया! यह सुनसान, सड़क थी I इस सडक पर ट्रैफिक न के बराबर था । मोना चौधरी को इस बात का पूर पूरा एहसास था कि यह सिलसिला ज्यादा देर नहीं चलने वाला, अब किसी भी मुनासिब जगह पर उसकी कार रोककर उस पर अपना कब्जा करेगे I इसलिए फौरन इनके घेरे से निकलना ज़रूरी था I



मोना चौधरी ने होंठो को सख्ती से भीचा और एक्सीलेटर पर पाव दबा दिया I

कार ने एकाएक स्पीड पकडी और तेजी से आगे जा रही कार से जा टकराई I


आगे वाली कार का वैलेस बिगडा I कार सडक के किनारे पर उतरती चली गई I मोना चौधरी ने खास अदाज' में स्टेयरिंग घुमाया तो बाईं तरफ चल रही कार को साइड लगीं और उसका भी वैलेस बिगड गया I अगले ही पल मोना चौधरी तेजी से कार को दोडाती चली गई ।


पीछे रह गई दोनों कारें तेजी से उसके पीछे दोर्डी I~

फायरिंग भी हुई और तुरत ही मोना चौधरी को इस बात का एहसास हो गया कि फायरिंग का निशाना वह नहीं उसकी कार है I यानी कि कार के पहिए I मोना चौधरी की तेजी से दौडती कार पीछे आ रही दोनों कारों से हर पल दूर होती जा रही थी I


मोना चौधरी जानती थी कि चद ही पलों में वह पीछे आने वाली कारो की पहुंच से दूर हो चुकी होगी!


परंतु कुछ आगे जाते ही उसकी आखें सिकुड गई । कार की स्पीड कम होती चली गई I होठो के बीच कठोरता से भरी मुस्कान रेग गई I


सडक के बीचो बीच आड्री तिरछी वही हरे रग की कार इस तरह खडी थी कि उसके दाए-बाए से कोई भी न गुजर सके… .


और कार की वाडी से लापरवाही से टेक लगाए वहीँ खडा था जिससे कुछ देर पहले उसने बात की थी I दातों में माचिस की तीली दबाए उसे दाए वाए घुमा रहा था I मोना चौधरी ने उसके करीब पहुचकर कार रोक दी I निगाहें हर पल उस पर ही टिकी रही' I इस दौरान उसने सिगरेट सुलगाई और स्कर्ट में छिपा रखी पिस्टल टटोली I फिर निगाहें . उस व्यक्ति पर टिका दीं I उसने ब्राउन क्लर की पैट , लेदर के जूते और चैक शर्ट पहन रखी थी. I चेहरे पर दो दिन की शेव बढी हुई थी I बालों में उगलिया फेर फेरकर वह उन्हे' पीछे की तरफ का रहा था I


कार में बैठी मोना चौधरी को देखते हुए उसने सिगरेट सुलगाई ।

पीछे वाली दोनों कारें भी पीछे आ रही थी परतु किसी ने भी उसकी कार तक आने की चेष्टा' नहीँ की थी. I


लेकिन मोना चौधरी' जानती थी कि पीछे वाले हथियारों के साथ तैयार होगे' ।


वब आगे नहीं आया । वहीँ खडा मोना चौधरी को देखता रहा, कश लेता रहा ।


मोना चौधरी समद गई कि उसे ही कार से बाहर निकलना पड़ेगा I वह निकली-बेहद सतर्क और दिलोदिमाग ने' खतरनाक इरादे लिए I इस दृढता के साथ कि यह जो लोग भी हैं, इनके जो इरादे भी हैँ, वह उन्हे' किसी भी हाल में कामयाब नहीं होने देगी I होठों में फसी सिगरेट का कश लेकर. उसे उगतियो में फसाया और होठो पर दिलकश मुस्कान त्तिए अदा भरी चाल से चलकर व उसके पास पहुची' ।


"हेलो !" मोना चौधरी खित्तखिलाई ।



वह उसी बोरियत-भरे अदाज में खडा रहा ।


"मेरे पीछे कारों मेँ आने वाले आदमी तुम्हारे ही हैं ना ?" मोना चौधरी पुन: बोली ।


जबाव में उसने होले से गरदन हिला दी ।


" 'तुम्हारे आदमियों का निशाना बहुत घटिया है I इतने फायर किए, एक भी निशाने पर नहीं लगा ।


" मैं समझा दूगा, अगली बार निशाना नहीं चूकेगा । "



"इसी बार ही समझाकर लाते I " मोना चौधरी ने . खिलखिलाकर कहा और कश लेकर सिगरेट एक तरफ उछाल दी ।


"चल । " वह उसे घूरकर बोला-"कार ने बैठ I"



"मैं इतनी पसद आ गई हूं तुझे ! " मोना चौधरी हसी I


" हां !"



"तो उसी समय चल पडते, जब मैने तुम्हे चलने को कहा था ।"



"जरूर चलता I लेकिन मुझे माल की कीमत देने की आदत नहीं है I " वह कड़वे स्वर मे बोला I


"मैँ तो फ्री मे तैयार थी।"



"फ्री की चीज को तो मै देखता भी नहीं I " उसने तीखे स्वर में कहा I

"अब क्या तीर मार रहे हो ?"


"अब तो छीनकर ले रहा हू। '"


मोना चौधरी हसी I जबकि वह अच्छी तरह समझ रही थी कि बात वह नहीं है जो हो रही है I असल मामला असली मुद्दा कुछ और ही है I उसे ले जाने का इनका दूसरा ही मकसद है ।



" पता बता दो कहा पहुचना है I दो घटे तक आ जाऊगी' I "



"अब और इंतजार का बक्त नहीं है I कार मेँ बैठो । " उसने सख्त स्वर में कहा I



मोना चौधरी ने उसे घूरा I



"कल से तुम लोग मेरे फ्लैट की निगरानी कर रहे हो I तब अदर ही क्यों न आ गए ?”


"ओह I तो तुम्हें मालूम था ?”


"क्या चाहते हो ?" मोना चौधरी अब शात थी I


"मालूम. हो जाएगा । कार में बैठो-फौरन I "



मोना चौधरी ने दृढ़ता भरे अदाज में नकारात्मक मुद्रा मैं सिर हिलाया । …
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
Post Reply