आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete

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007
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

"अगर आवाज अन्य लोगों ने सुनी होगीं तो वे लोग कुछ ही देर में अवश्य यहा होगे…हम खतरे में हैं या नहीं यह तसल्ली करके ही आगे बढेगें I " मोना चौधरी ने गभीर स्वर में कहा-"आओ यहा से हटकर थोड़ सा उस तरफ़ चलें इन लाशों के ज्यादा करीब रहना भी ठीक नहीं I


अंधेरा पूरी तरह फैल गया ।

★★★
★★


★★
★★★


चद्रमा की रोशनी में सब कुछ चादी के समान स्पष्ट नजर आ रहा था । समदर से टकराकर आत्ती ठडी हवा पेडों के पत्तों को हिलाती खड़खडाहट पेदा कर रही थी…दिन-भर क्री गर्मी से ~ अब राहत सी महसूस हो रही थी I पसीना सूख गया था I जिस्म खुश्क-सा हो गया था ।


शागंली के दोनो साथियों ने ब्रैग उठाकर रखा था उन सबने बैग में से एक एक गन निकालकर हाथ मेँ ले ली थी I इस तरह छिपे अब लगभग उन्हे एक घटा होने को आ रहा था I


"मेरे ख्याल में सब ठीक है I अब हमें चलना चाहिए I " होशाग ने कहा-"'इस तरह कब तक हम अपना वक्त बर्बाद करते रहेगे I रात ही-रात में सब कुछ कर गुजरना हे I "


"कुछ देर और रुको । " मोना चौधरी ने कहा I


"मेरे ख्याल में हमें चलने की तैयारी करनी चाहिए I" होशाग ठीक कहता है I "


“नहीं-थोड्री देर बाद यहा से रवाना ....!" मोना चौधरी के शब्द मुह मे ही रह गए I आखे सिकुड गई' I चेहरे पर खतरनाक भाव उजागर हो उठे उसकी पैनी . . निगाह उन सायों पर जा टिकी जो चद्रमा की रोशनी में स्पष्ट नजर आने लगे थे ।


~ मोना चौधरी की निगाह घूमी I



उस तरफ ही नहीं, अन्य तरफ भी चद्रमा कीं रोशनी ने चमकते साए थे I
अन्यो ने भी यह सब देख लिया था I


"ओह I” शागंली के होठो से निकला I


मोना चौधरी के दांत भिच गए,. उनका अंदाज' बता रहा था कि उन्हें बाखूवीं मालूम हे कि वे कहां छिपे है और बहुत अच्छे . . ‘ढग' से उन्हें घेरा जा रहा था I


"‘य...ये तो हमें घेर. रहे हैं I " होशाग के होठो से निकला I



"कही-न-कहीँ गढ़बढ़ अवश्य हैI” मोना चौधरी खतरनाक लहजे में कह उठी…"वरना' इस अंधेरे में इन लोगों को यह कैसे पता चला कि हम ठीक किस जगह पर कहा छिपे हैँ ?"



"तो इसमें कोई गडबड़ कैसी ?” शागंली के होठो से निकला I


~ "वही तो समझ में नहीं आ रहा I” मोना चौधरी की .उगलिया गन पर सख्ती से लिपट चुकी थी-"क्योकि उन तीनों को शूट करने के बाद हम सब लोग एक साथ ही रहे। हममें से गद्दार कौन है कह नहीँ सकती I"

"गद्दार !!" शागंली चौका I


मोना चौधरी गन थामे दात भीचे निगाहें घुमाती रही ।



"दिमाग खराब हो गया है इसका भला हममें गद्दार कौन हो सकता हे ?"


"कोई तो हे ही l तुम दोनों मे से कोई एक या फिर तुम दोनो I अगर ऐसा न होता तो ये लोग इस अघेरे में भी हमें इस जगह पर आकर नहीं घेरते I” मोना चौधरी ने दात किटकिटाए I


"मोना तुम्हारी बात सहीं हे I ” होशाग ने व्यग्य से कहा…"लेकिंन अब यह भी तो बता दो कि हम सब पास पास ही रहे है-तो फिर हममे से किसने और कैसे चियांग तक यहा की स्थिति की खबर पहुचाई है ।'"



"यही बात तो समझ में नही आ रही I "


होशाग हसा I


" शागली I इसकी बात सुनो क्या कह रही है यह ? "


"मै तुम दोनो में से किसी की भी बकवास नहीं सुन रहा I " शागंली मुस्कराया---" और तुम लोग भी बकवास बद करो I"


" यह सोचो कि अब क्या करना है I इन लोगों से केसे बचना है I "


"कोई फायदा नहीं I " मोना चौधरी ने सिर हिलाया I


" क्या मतलब? ”


"ये लोग बीस से तीस तक है I अगर हम इनसे मुकाबला भी करें तो खुद हो सोचो कितनों की जान ले लेगें I
पाच-दस पद्गह की I लेकिन बाद में हमे ही जान से हाथ धोना पडेगा।"



"में मोना चौधरी की इस बात से संहमत हूं I " होशाग ने अघेरे में निगाह घुमाते हुए कहा I


"तो फिर क्या किया जाए ? ” शागंली ने शब्दों को चबाकर . कहा I


"इन लोगों से मुकाबला करना ठीक नहीं ।"



" मै खुद को इन लोगों के हवाले नहीं करूगा । " शागंली ने सख्त स्वर में कहा I


"जिद मत करो शागंली I इसी में हमारी भलाई है । और अगर तुम लोग आत्मसमर्पण नहीं करना चाहते. तो मत्त करो । कर लो मुकाबला I लेकिन उससे पहले मुझे आत्मसमर्पण करने दो । "



"तुम......! "


"हा I " मोना चौधरी ने कठोर स्वर मेँ कहा…"अभी तो जान बचेगी बाद की बाद में सोची जाएगी कि.....!"

मोना चौधरी के शब्द पूरे होने से पहले ही खतरनाक-सा स्वर गूंजता हुआ उनके कानो में पडा I



"तुम सब लोगों को हमने घेर रखा हे I समझदारी इसी में हैं कि खुद को हमारे हवाले कर दो ।"



जवाब में कोई भी स्वर न गूजा ।



" चुप रहने से तुम लोग बच नही सकते ! हमें बखूबी मालूम है कि तुम लोग यहीँ पर हो I बेशक तुम लोगों के पास हथियार होगे I परतु हम लोगों का. मुकाबला नहीं किया जा सकता I हम वहुत सारे हैं, हर एक के हाथ में गन है I " शब्दो मे दरिदगी कूटकूटकर भरी पडी---"हमें बार बार वार्निंग देने की आदत नहीं हे I कम आन बाहर जा जाओ हाथ उठाकर I "

मोना चौधरी धीमे स्वर में फुसफुसाई ।



"मेरा इन लोगों से मुकाबला करने का कोई इरादा नहीं . है । "


"तुम खुद को इनके हवाले करने जा रही हो ?" शागंली ने होठे भीचकर कहा I



"हा I तुम लोगों ने मुकाबला करना हो तो बेशक करो I . लेकिन तब तक तुम लोग फायरिंग नहीं करोगे जब तक कि मैं खुद क्रो उन लोगों के हवाले नहीं कर देती I ” रिवाल्बर थामे मोना चौधरी ने कहा I



शांगली के कुछ कहने से पहले ही होशाग कह उठा I

"मैं भी तुम्हारे साथ हू मोना चौधरी I हालात को देखते हुए, इन लोगों से टक्कर लेना बेवकूफी ही है I "



"तो मैं अकेला इन लोगों का क्या बिगाड लूगा ? " शांगली ने झल्लाकर कहा ।


"इस वक्त समझदारी यही है शागली कि खुद को इन लोगों के हवाले कर दिया जाए और आने वाले वक्त में जो हालात पैदा हों, उन्हे' देखते हुए किसी तरह अपनी जान बचाई जाए I " मोना चौधरी ने गभीर स्वर में कहा…"वेहतर होगा, अपने दोनों आदमियों के साथ तुम भी आत्मसमर्पण कर दो I "



शागली ने होठ भीचकर सहमति से सिर हिलाया I


तभी वह खतरनाक आवाज गूंजी I


"यह लास्ट वार्निंग है । अगर एक मिनट के भीतर ही तुम लोगों ने खुद को हमारे हवाले नहीं किया तो हम लोग शुटिंग शुरू कर देगे I सिर्फ एक मिनट I अब कोई वार्निंग नहीं दी जाएगी I"

अगले ही पल मोना चौधरी की आवाज वातावरण में गूज उठी I


"हम लोग आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार हैं । "


"गुड ! हथियारों को वहीं छोडकर, हाथ ऊपर उठाए, हमारे सामने आ जाओ। याद रखो, कही' भी, कोई भी चालाकी न हो I वरना वक्त से पहले तुम लोगों को मौत नसीब हो जाऐगी ।
मोना चौधरी I होशाग I शागली ओर उसके दोनों साथियों ने कही' भी कोई' चलाकी इस्तेमाल नहीं की और सबने खुद को उन लोगों के हवाले कर दिया I . .


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चियाग !

पाच फीट लबाईं' कुल I सिर से पाव' तक देखने पर फुटबाल जैसे -आकार का लगता था I सिर के वेहद छोटे-छोटे बाल I भौहें तो जैसे बिल्कुल ही' …साफ थीं I बेहद गौर से ध्यानपूर्वक देखने पर भौहों के चद बाल नजर आ ही जाते थे I पतली हल्की हल्की सी मूंछे ।मूंछो के बाल बीच चीच में से गायब थे । रही बात दाढी की…तो शेव कर रखी थी उसने । परतु देखने पर स्पष्ट मालूम. हो जाता था कि गालों पर बाल भी गिनती के ये I

'मीतर धसी आखें । पोपटे भारी ।


भिचे होठ I इसी कारण क्रूरता का दूसरा रूप लगता था वह I आदत से मजबूर चियाग हर समय कमीज पैट और टाई बाधे रहता था I मौसम के मुताबिक जरूरत पड़ती तो कोट भी डाल लेता था I पावो में हर समय जूते पहने रहता था । टाई, कपडे और जूते वह कब उतारता, कब पहनता. यह बात शायद ही कोई जान पता हो, अन्यथा देखने वालों को तो यहीं लगता कि वह जैसें चौबीसों घटे यहीँ सब पहने रखता हो I

यह था चियाग !


और चियाग इतना खतरनाक था कि कई देश चियाग से दुश्मनी मोल लेना पसद नही करते थे जिनमें से प्रमुख तो चीन था I कई देशों मे चियाग के आदमी स्थायी तौर पर रहते थे और वक्त आने पर जरुरत के मुताबिक हर काम कर गुजरते थे I किस देश में किस नेता या उद्योगपति की हत्या करवानी है या अपहरण करवाना है या किसी से कोई बात मनबानी है, या एक देश कौ दूसरे देश के गुप्त राज चाहिए, कैसा भी काम हो यह सव कर गुजरना चियांग के बाए' हाथ का खेल था I दरिंदगी और कहर का जीता जागता दूसरा रूप था चियांग I

इन सब कामों के बदले वह भरपूर कीमत बसूलता था I आदमियों की खतरनाक फौज हर समय. चियाग के साथ रहती । किसी में इतनी हिम्मत नहीँ थी कि चियाग की तरफ आख भी टेढी करके देख ले।


चियाग की दो आदतें र्थी I जिसे उसकी कमजोरी भी कहा जा सकता था ।


बढिया से बढिया शराब और बढिया से बढिया औरत I


-चियाग के बारे में शराब तो बढिया से बढिया हर समय हाजिर रहती थी, परतु बढिया-से…बढिया औरत कभी कभार ही नसीब हो पाती थी । किसी तबाही औरत की खबर मिलती तो उसे अपने आदमियों को आदेश देकर टापू पर उठवा मगवाता
था I वैसे भी इस बारे में उसके बारह आदमियों का ग्रुप था जो चियाग के लिए तोपमार औरत की तलाश में रहते और नजर आते ही, देखते ही उसे जैसे तैसे टापू पर चियाग के… पास पहुचा देते I

चियांग तब तक उसका इस्तेमाल करता, जब तक कि उससे तबीयत . नहीं भर जाती, उसके बाद वह उस तोपमार औरत को अपने आदमियों के हवाले कर देता I इतने आदमियों के बर्दाश्त ना कर पाने के कारण ही कुछ घटों के पश्चात ही उसकी लाश समदर में तैर रही होती और उसके शरीर के मांस को समदर की मासाहारी मछलियां नोच चोचकर खा रही होतीं I


और' तब तक चियाग के लिए अगली तोपमार चीज का इतजाम हो रहा होता I


बही चियाग इस समय टापू के छोटे से महल के विशाल ड्राइगरूम में कमीज पैट टाई और जूते पहने टहल रहा था I


कमरे में पर्याप्त रोशनी जगमगा रही थी I


दस गनमैन, जोकि बेहद खूंखार नजर आ रहे ये, वहा खडे थे ।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

आखिरकार चियांग ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया और सिहासननुमा कुर्सी. पर आराम से भरी मुद्रा में बैठकर कश लेने लगा । उसकी पैनी निगाह चारों तरफ फिर रही थी । ठीक उसी पल उस हाल के प्रवेश द्धार पर आहट हुई I
छ हथियारबंद दरिदो जैसे नजर आने बाले चीनियों से घिरे मोना
चौधरी , होशाग , शागंली और उसके दोनों साथियों ने भीतर प्रवेश किया ।



चियाग. की सर्द निगाह पल-भर में ही उन सब पर घूम गई । चियाग की निगाह मोना चौधरी पर जा टिकी एकाएक वह मुस्कराया और सिहासननुमा कुर्सी से उठकर उनकी तरफ बढा ।


उसकी चाल हैं शाहाना अंदाज था I

सबकी एकटक निगाह चियाग पऱ थी । चियाग मोना चौधरी कैं करीब पहुचकर ठिठका । मोना चौधरी ने चियाग को देखते ही पहचान लिया था, क्योकि पहाडिया ने उसकी फाइल और तस्वीर दिखाई थी और इस समय मोना चौधरी शोख निगाहो, से चियाग को देख रही थी ।



"तुम तो वास्तव में बहुत खुबसूस्त हो I ” चियाग ने होले से हंसकर मोना चौधरी के गाल पर उगली ठकठकाई I


"और तुम्हें मुझ जैसी खूबसूरत युवतियाँ पंसद हैं I " मोना चौधरी भी हसी I भाषा उसकी चीनी थी ।


"खूब ! बहुत खुब ।" चियाग' ठहाका लगा उठा-"मेरे बारे में बहुत खबर रखती हो "



"चियांग जैसे इंसान के पास आना हो तो ऐसी जानकारी रखनी ही पढ़ती है I "


"तुम खूबसूरत ही नहीं बहादुर भी हो । अगर तुम्हारा मेकअप हटा दिया जाए तो मेरे ख्याल मेँ तुम और भी खूबसूरत निकलोगी । मेकअप ने तुम्हारी खूबसूरती दबा दी हे ।"


मोना चौधरी मन-हीँ-मन चौकी फिर तुरंत ही सभल गई ।


"तुम्हे कैसे मालूम मेरे चेहरे पर मेकअप है ?" मोना चौधरी के होठों से निकला ।


गहरी मुस्कान के साथ चियाग ने जेब से तस्वीर. निकालकर उसे दिखाई ।


मोना चौधरी को आश्चर्य का सामना करना पड़ा I वह तस्वीर उसकी अपनी थी और उन कपडों में थी, जिनमें वह सिंगापुर पहुची थी , यानी कि उसकी जानकारी-में नहीं आया कि उसकी तस्वीर ली जा रही है और वह तस्वीर चियाग के पास । वास्तव में हैरत में डाल देने वाली बात थी । मोना चौधरी की निगाह चियाग़ पर जा टिकी ।

"हम कब से तुम्हारे आने की राह देख रहे थे जानेमन I " चियाग' ने हस्रकऱ तस्वीर जेब में डाल ली---"'फिर भी ज्यादा इतजार नहीँ करना पडा हमे । "


" तो तुम्हे मालूम था कि मैं आ रही हूं ?”


"मुझे सब कुछ मालूम है । सब कुछ I मेरे हाथ बहुत -लंबे हैँ तुम सोच भी नहीं सकती ।"



मोना चौधरी के होठ सिकुढ़ गए ।


"तुम्हारे लवे हाथो का छोर होशाग है या शागंली I इन दोनों में से कोई है । "



चियाग हसा फिर सिर हिलाकर बोला I


"करेगे । तुमसे फुर्सत में बात करेगे I पहले जरा इन सबको तो चलता कर दू I " कहने के साथ हीँ चियाग की निगाह अन्यो पर घूमती हुई शागली पर जा टिकी ।


शांगली का चेहरा और भी फक्क पड़ गया । वह इस बात को तों एक पल के लिए भी नहीं भूला या कि उसके सामने चियाग जैसी हस्ती मौजूद है और वह उसके खिलाफ कदम-उठा चुका है I वह कितना भी खतरनाक सही परंतु चियाग के सामने उसकी हैसियत, छोटे से बच्चे की तरह थी I


"तुम ? " चियाग गुर्राया-"तुम शागंली हो ना ?"



शागली सूखे होठो पर जीभ फेरकर सिर हिलाने लगा I


"मै माफी चाहता हू I " शागंली का स्वर घबराहट से काप उठा I



"किस बात की ?" चियाग हसा I


~ "में फिर कभी आपके खिलाफ नहीं चलूगा I आपकी सरपरस्ती में तमाम उम्र I "


"मेरे पास तुम जैसे बहुत हैं जो हर समय मेरे तलवे चाटते रहते हैँ I बैसे भी आस्तीन मे साप पालने की आदत चियाग को नहीं है । " चियाग का स्वर वहशी हो उठा-" जो इंसान एक बार मेरे खिलाफ कदम उठा दे, उसे जिदा छोडना मैं वैसे भी पसद नही' करता I तुम मेरे सामने हो इससे बढिया और क्या बात हो सकती है I नहीं तो तुम्हें शूट करने का आदेश मुझे जारी करना पडता । "

"नहीं ऐसा मत कीजिए। मैं l"


तभी चियांग के हाथ में रिवाॅल्बर चमकी I


एक साथ तीन गोलियाँ चली ।

शागंली और उसके दोनों साथी शूट हो गए ।


"गुड I" मीना चौधरी के होठो से ज़हरीली आबाज निकली…"इनका खत्म हो जाना ही ठीक था क्योकि मेरी निगाहों में इनका इस्तेमाल और नहीं बचा था । "


चियाग हसा I


रिवाॅल्बर जेब में डालकर उसने होशाग को देखा I


"यहा तुम्हारी जरूरत नहीं तुम जाओ बोट तुम्हें छोड आएगी I "


"जी I" होंशागं' ने मुस्कराकर सिर हिलाया मोना ~ चौधरी को अगर जिदा छोडा गया तो इससे मेरी भी जान को खतरा पैदा हो सकता है I "


" औरत से घबराते हो ?” चियाग हंसा ।


"यह बहुत खतरनाक है I"



मैं देखूंगा कितनी खतरनाक है I तुम जाओ I "


टहलते हुए होशाग की निगाह मोना चौधरी से टकराई।


होशाग ने फौरन निगाहें फेर ली I क्योकि मोना चौधरी की … आखो में बरसती मौत के भाव उसने पहचान लिए थेI


होशाग के बाहर निकलते ही चियाग ने कहा I


"इसके चेहरे का मेकअप साफ करके इसे मेरे बेडरूम तक पहुचा दो ।



चार गनमैन मोना चौधरी को बहा से ले गए।


बाकी के दो वहा मौजूद लाशों को उठाने में व्यस्त हो गए I



चियाग तेज तेज़ कदमो से ऊपर जाने वाली सीढियों की तरफ बढ़ गया।

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मोना चौधरी का मेकअप साफ करा दिया गया I उसके बाद उसने नहाने की इच्छा व्यक्त की तो उसे वेहद खूबसूरत, कमरे जित्तने' बडे बाथरूम तक पहुचा दिया गया I


नहाने के बाद वह खुद को हल्का महसूस कर रही थी I लगता था, जैसे सारे सफर की थकान गायब हो गई हो I हिंदुस्तान से रवाना होने के बाद अब कही जाकर उसे चैन मिला था I दुश्मन के घर में चैन I


. मोना चौधरी का चेहरा बता रहा था कि वह कहीं भी, किसी भी तरफ से व्याकुल नहीं है I यहां पर जैसे उसे किसी चीज की परवाह ही नहीं । जैसे वह अपनो में हो । अलबत्ता चेहरे पर … सोच के भाव मडराते अवश्य दिखाई पड रहे थे I उसके बाबजूद चेहरा सपाट था I



शागंली की मौत को वह भूल नहीं पा रही था I चियाग ने कितनी आसानी से बिना किसी दिक्कत के शागंली को शूट कर दिया था और होशाग ने कितनी आसानी से उन्हे मौत के मुंह में ला झोका था ! मोना चौधरी को इस बात का एहसास तो हो रहा था कि कही कोई गडबढ़ है, कोई गद्दारी कर रहा हे परंतु होशाग की गद्दारी पर उसे यकीन नही था I पहले उसने ऐसा कोई काम भी नहीं किया था कि उसका शक यकीन में बदलता । चियाग उसे वास्तव में बेहद खतरनाक लगा था I उसकी
फाइल में उसकी दरिंदगी के कारनामे¸ जो पढे थे । शांगली और
उसके दोनों साथियों को शूट करने का अदाज़ बता रहा था कि उसकी फाइल में जो कुछ भी पढा था सहीं पढा था । और. तो और होशाग ने जाने कब…कैंसे उसकी तस्वीर भी चियाग तक पहुचा थी कि उसके लिए खूबसूरत युवती को लाया जा रहा था I मोना चौधरी के होठो पर मौत की मुस्कान फैलती चली गई । खूबसूरत युवती नहीं बल्कि खूबसूरत मौत को लाया जा रहा है । जो हिंदुस्तान से चलकर उसके पास आ रही है ।


मोना चौधरी ने सिर को झटका देकर यह सब विचार बाहर किये ।


इस समय उसे सिर्फ चियाग और हिंदुस्तानी सीक्रेट की फिल्म के बारे में सोचना था I वह दुश्मनों के घेरे मे थी । मौत अपने कूर पजे के साथ उसके सिर पर मडरा रही थी परंतु इन बातों की तरफ तो सोचना भी उसे गवारा नहीं था I वह जानती थी कि उसकी मर्जी के खिलाफ उसे रोक पाना आसान नहीं, बेशक उसके उठने वाले हर कदम के तले मौत ही क्यों न बिछी हो ।

कपडे डालकर वह बाथरूम से बाहर आ गई । बाथरूम में लगे शीशे में ही उसने अपने बालों को सवार लिया था । बाथरूम के बाहर ही चारों गनमैन मोजूद थे I



.. "अब आपको चियाग साहब के पास चलना है I" एक गनमैन ने कहा I



"चलो । "



"लेकिन उससे पहले आपकी तलाशी लेनी होगी I " एक गनमैन ने अपने साथी गनमैन को अपनी गन थमाई और आगे बढकर मोना चौधरी की तलाशी लेने लगा I


तलाशी के दोरान उसने बाखूबी मोना चौधरी की छातिया भी टटोलीं और नीचे भी उसकी उगलियों ने कमाल दिखाया I मोना चौधरी . क्रो भला क्या एतराज हो सकता था!



एक मिनट बाद वह अपने काम से फारिग हुआ ।


"इसके पास कोई हथियार नहीं है । "

"शकं की कोई गुजाइश? " दूसरे ने पूछा I



"नहीँ । " आगे बढकथ उसने अपनी गन सभाल ली I


वे लोग मोना चौधरी को लिए वहा से बाहर निकल गए I



" यह टापू तो बहुत बडा है I " मोना चौधरी जानबूझकर बोली I



"हा I"


"चियाग' का हे ?"


" हा चियाग साहब का ही है । " ~


"कितने घर हैँ यहा ?”


"पूरी कालोनी बसी हुई हे I सुबह देख लेना ।" गनमैन ने जवाब दिया I



"फिर तो वहुत लोग रहते होगे यहा ?"



“ हा I तीन-चार सौ I जिनमें से दो ढाई सौ आदमी हैं । " मोना चौधरी जो जानना चाहती थी जान लिया था । अगर वह सीधे तौर पर पूछती कि यहा कितने आदमी हैं तो उसे जबाब कभी भी नहीं मिलना था ।


"यह तुम्हारे चियाग साहब केसे आदमी हैं ? " मोना चौधरी ने पूछा ।

"बहुत अच्छे आदमी हैं I ” दूसरे ने कड़वे स्वर में कहा-" दो मामलों में चियाग साहब का कोई मुकाबला नहीं कर सकता I एक तो बेड पर वह बहुत अच्छे खिलाडी हैँ I दूसरे वह बहुत अच्छे निशानेबाज हैं । और मुझे पूरा यकीन है कि बहुत जल्द तुम्हें इन दोनो मुकामों से गुजरना पडेगा । "


मोना चौधरी हसी ।


~ "फिर तो बहुत मजा आएगा I ”


वे चारों मोना चौधरी को लिए एक बद दरवाजे के समीप पहुच कर ठिठके I



"इस दरवाजे से भीतर चली जाइए I चियागं साहब आपकी राह देख रहे हैं I "


मोना चौधरी बिना एक क्षण की… देरी के दरबाजा खोलकर भीतर प्रवेश कर गई । बाहर, मौजूद गनमैनों ने दरवाजे को पहले की तरह बद किया और वहा से चले गए I उनकी ड्यूटी यहीं तक थी ।


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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

चियाग के हाथ में बिस्की का गिलास था जिसमेँ से वह छोटे छोटे घुट भर रहा था I मोना चौधरी को उसने तौलने वाली निगाहो से देखा I


"इसमें कोई शक नहीं कि तुम्हारी खूबसूरती लाजबाब है । "



चियांग हसा I


जवाब में मोना चौधरी' होठो पर शोख मुस्कान ले आईं I


"बेड पर कैसी हो ? " चियाग ने पूछा-" ठंडी या गर्म ?"


"उबलती हुई I"


चियांग ठहाका लगा कर हंसा ।


"खूब I बहुत खूब I क्या जवाब है I उबलती हुईं। "



"मुझे डर है कि कहीँ मेरी उबलन में तुम ना उबल जाओ I "



"चिता मत करो ,लोहे का हूं । मामूली तपिश से मेरा कुछ नहीं बिगढ़ता है ।"


"देखते हैं किसका क्या बिगड़ता हैं I"

चियाग ने एक ही साँस में गिलास खाली किया और बार काउटर की तरफ बढा l


"मेरे लिए भी बना देना I " मोना चौधरी ने कहा और आगे बढकर. कुर्ती पर जा बैठी।


चियाग ठिठका I पलटकर उसने मोना चौधरी को देखा फिर हस पडा I


'"श्योर I खूबसूरती की सेवा करके मुझे अक्सर खुशी होती | बार काउटर पर पहुचकर उसने दो पैग तैयार किए और आगे बढकर एक मोना चौधरी के हबाले किया ।



मोना चौधरी ने घुट भरा I


विस्की वास्तव में लाजवाब थी ।



"तुम हिंदुस्तानी वास्तव में बेवकूफ होते हो I " टहलते हुए चियाग ने धूट भरा I


"अच्छा I” मोना चौधरी मुस्कराई I


"हा I " चियाग सिर हिलाते हुए ठिठका और पलटकर मोना चौधरी को देखा…"तुम लोग उस सीक्रेट फिल्म को लेने की कोशिश कर रहे हो जो मेरे आदमियो ने चीनी एजेट से हासिल की थी I आखिर तुम लोगों को इतनी तो समझ होनो चाहिए कि चियाग से कोई चीज हासिल कर पाना असभव है ।"


मोना चौधरी ने एक साथ दो बड़े घूट भरे I

चियाग पुन बोला I


" इसी सिलसिले में आए हिदुस्तानी एजेट कौ मेरे आदमियो ने सिंगापुर में खत्म किया । "



"उसके बारे में तुम्हे होशांग ने ही खबर कर दी थी ?"


मोना चौधरी एकाएक बोली ।


"हा | होशाग डबल ऐजेट है । कहने को वह कुछ करता हैं परंतु काम उसका मेरे हक में होता है I "


"वह तो मैंने देख ही लिया है I " मोना चौधरी हंसी I


"उसके बाद उस खूबसूस्त रूबी को भेज दिया मेरा विस्तर गर्म करने के लिए I अच्छा बिस्तर गर्म किया उसने मेरा । इसमे कोई शक नहीं' I हिदुस्तान सा हुस्न दुनिया में कही नहीं l कही नहीं !"

मोना चौधरी पुन हँसी।

आखो में कहर के भाव थे।


"और अब मरने के लिए तुम्हें भेज दिया हे I इस मामले में हिंदुस्तानी बेवकूफ हैं । "



"किसने भेजा मुझे ?"


चियाग ने पलटकर मोना चौधरी को देखा ।


"हिदुस्तानी' मिलिटरी सीक्रेट सर्विस के चीफ मिस्टर पहाडिया ने I " चियाग ने शब्दों को चबाकर कहा I


"दिमाग खराब है तुम्हारा । "


"क्या मतलब? " चियाग के होठे मिच गए I


मोना चौधरी नें एक ही सास में पैग समाप्त किया और गिलास चियाग की तरफ बढाया I


"एक और बनाना I "


"उठो और खुद बनाओ I " चियांग का स्वर कठोर हो गया-"मेँ खूबसूरती का पुजारी अवश्य हू परंतु गुलाम नहीं । अगर तुम सोचती हो कि मैं तुम्हारे पाव दबा दूगा तो यह भूल है तुम्हारी I "


मोना चौधरी हसी । कुर्सी से उठकर बार काउटर की तरफ़ बढी I


"जब मैँ तुम्हें कहुंगी कि मेरी ब्रा का हुक खोल दो तो क्या यह गुलामी होगी ?" "


~ "वह दूसरी बात हे I ब्रा का हुक तो मैं बिना कहै ही खोल दूगा I"


"ठीक इसी तरह पैग बनाकर मुझे देना भी दूसरी बात है । मेरे बिना कहे ही तुम्हें पैग बनाकर मेरे सामने पेश कर देना चाहिए । आखिर जल्द ही हम दोनों बेड पर जाने वाले हैं I "


चियांग मोना चौधरी। को घूरता रहा।


. . "सारे चीनी ही बेवकूफ़ होते हैं या सिर्फ तुम ही हो चियाग ?"



" जिस तरह । “ क्रोध में आने की अपेक्षा चियाग मुस्करा कर कह उठा…"सारी हिंदुस्तानी युवतियां तुम्हारी तरह खुवसूस्त नही होतीं उसी तरह सारे चीनी मेरी तरह बेवकूफ नहीं होते जो तुम जैसी खुबसुरत को पैग बनाकर नहीं देते और खुद बनाने को कहते है !"

मोना चौधरी ने बार काउटर पर अपना गिलास रखा और बोत्तल उठाकर पेग तैयार किया I थोडी सी कोल्ड ड्रिक डाली फिर घुट भरकर गिलास काउटर' पर ही रखा और सिगरेट सुलगाने के पश्चात कश लेकर वह पलटी ओर चियाग' क्रो देखा ।


"चीनी नस्ल छोटी क्यों होती है ? लबा मिलता ही नहीं । "


"तुम्हें क्या चाहिए, लंबा ?“


"क्या मतलब ?"


" आदमी लबा चाहिए चीनी नस्ल का ? " चियाग तीखे स्वर I में बोला I"


" छोडो !" मोना चौधरी ने पलटकर घूट भरा जो तुम लोगों में है ही नहीं वह कहा सें लाओगे ?"


चियाग के दात भिच' गए ।



"बहुत ज्यादा बकवास कर रही हो तुम I अपनी मौत से डर नहीं लगता तुम्हें ? "


मोना चौधरी ने सर्द निगाहों से चियाग को घूरा I


"नहीं I " मोना चौधरी ने सिर हिलाया---"मुझे मौत से कभी भी डर नही लगता ।"


एकाएक चियांग के होठो पर मुस्कान फैल गई ।


" तुम्हारी मेरी आदतें कितनी मिलती है I मुझे भी मौत से डर नहीं लगता I "

"शायद इसलिए कि मौत को तुमने अपने सामने कभी नहीं देखा I" मोना चौधरी ने बेहद शात स्वर में कहा और एक ही सास में पैग समाप्त करके उसे बार काउटर पर रखा फिर सिगरेट का कश लिया I .


… . चियाग ने छोटा-सा धूट विस्की का भरा फिर वोला ।


"जिसकी खातिर तुम यहा आई हो आखिर तुम्हें उसके दर्शन तो करा दू I" चियाग ने ठहाका लगाकर कहा फिर उस तरफ आगे बढा जहा तिजोरी रखी नजर आ रही थी । देखने पर ही स्पष्ट मालूम होता था कि वह कोई मामूली तिजोरी नहीं है । कम्बीनेशन के जरिए चियाग ने उस तिजोरी को खोला ।



मोना चौधरी बार काउटर से टेक लगाए, शात _निगाहौं से उस तरफ देखती रही । फिर पलटकर पैग तैयार करने लगी । ऐसा करके वह अपने मनोभावों पर काबू पाने की चेष्टा का रही थी I


तिजोरी से चियाग पलटा I परतुं मोना चौधरी का ध्यान अपनी तरफ ना पाकर मन हीँ-मन हैरान हुआ I पैग समाप्त करने के पश्चात मोना चौधरी पलटी I


तव तक चियाग अपना पैग समाप्त कर चुका था I वह बार काउटर के पास पहुचा और मोना चौधरी. ने हाथ बढाकर उसका गिलास थामा ।


"लाओ तुम्हारा पैग तैयार कर दू I " मोना चौधरी ने चियांग का पैग तैयार किया ।


चियाग' ने बाए' हाथ की बद मुटठी मोना चौधरी के सामने करके खोली I


पल-भर के लिए मोना चौधरी की चमकपूर्ण निगाह चियाग की हथेली पर जा टिकी ।


अगले ही पल वह सामान्य हो गई और पैग चियाग की तरफ़ बढाया I

चियाग ने पैग थामकर धूट भरा I उसकी खुली हथेली में चने के दाने जितना चपटा सा कुछ पडा था I चियाग के होठो पर व्यग्य से भरी मुस्कान फैली थी I


" जानती हो यह क्या हे ?" चियाग ने तीखे लहजे में कहा !


" क्या ?"


" हिन्स्तानी सीक्रेट की फिल्म I ले लो I "


"मैनै सिर में मारना है इसे I"



"क्या मतलब? " चियाग की आखें सिकुड गई ।



मोना चौधरी ने अपना पैग उठाया और वापस कुर्सी पर आ बैठी I बाए हाथ की उगलियों में फसी सिगरेट से कश लेकर घुआ उगला फिर घूट भरकर लापरवाही से बोली ।


"तुम इस समय बहुत बडी गलतफहमी में हों चियाग I "


"क्या कहना चाहती हो ?"


" तुम मुझे जो समझ रहे हो मै वह नहीं हूं I " मोना चौधरी ने कहा ।



" तो फिर कौन हो तुम?"


"मोना चौधरी।" कहते हुए मोना चौधरी के होठो पर मुस्कान फैलती चली गई ।।

"और मुझे मालूम है कि तुम मोना चौधरी ही हो I " चियाग ने कड़वे स्वर मे कहा ।


"लेकिन मैं हिदुस्तान की मिलिटरी सीक्रेट सर्विस की एजेट नहीं हू I हिंदुस्तानी. सरकार से मेरा कोई वास्ता नहीं है I मै सिर्फ मोना चौधरी हूं I अपने मन और इच्छा की मालिक हूं I तुम जो फिल्म या चने का दाना मुझे दिखा रहे हो मेरे लिए वह राख के समान है । इस समय तुम सोचो के गलत फेरे में हो I मैँ वह हू ही नहीं जो तुम मुझें समझ रहे हो चियाग I" मोना चौधरी ने शात स्वर में कहा I


चियाग मोना चौधरी को घूरता रहा I


"कल सुबह चीनी सरकार के आदमी यह फिल्म लेने आ रहे हैँ चीन से सौदा तय हो चुका है । "


"यह तो और भी खुशी की बात है I " मोना चौधरी हंसी ।


चियांग के होठ भिच गए ।


मोना चौधरी ने बड़ा-सा घूट भरकर गिलास टेबल पर रखा और उठकर टहलने लगी I



"गलती तुम्हारी नहीं चियाग I तुम वही कहोगे-जो तुम्हे बताया जाएगा I मतलब कि होशाग तुम्हें वही बात कहेगा जो I मेरे मुह से सुनेगा और मेरे मुह से उसने सरासर झूठ सुना है I ”


"मसलन l"


"मैं हिंदुस्तान के काइम वर्ल्ड की मोना चौधरी हिंदुस्तानी पुलिस में वाटेड हू I अगर पुलिस के हाथ पड जाती हूं तो फासी का फदा ही मेरे नसीब मे होगा I ” मोना चौधरी ने गभीर स्वर मे कहा-"हिदुस्तान में मेरी अब यह हालत है कि कभी भी पुलिस के हाथों पढ़ सकती हू I यानी कि वहा मेरे लिए खतरा-ही खतरा है I बहुत सोच समझकर मैने देश को छोड़ने की सोची। हिंदुस्तान से बाहर कहीं चली जाऊं। तभी मुझें तुम्हारे बारे में खबर मिली I मुझे लगा कि तुम्हारे साथ काम कर सकती हूं I परंतु तुम तक पहुचना कठिन था I मेरा वहा एक खास दोस्त है । उसने ही भीतर की खबर दी कि किस तरह चीनी एजेंट मिलिटरी सीक्रेट की फिल्म ले गया है I

जो कि तुम्हरि हाथ लग गई हे I तुमसे वह सीक्रेट लेने के चक्कर में मिलिटरी सीक्रेट सर्विस के दो एजेट अपनी 'जान से भी हाथ धो बेठे हैँ । उसी ने मुझे होशांग के बारे में बताया I मुझे तुम तक' पहुचना था I तुमसे बात करनी थी I इसलिए मैने यही रास्ता अपनाया । किसी तरह नकली पासपोर्ट पर हिन्दुस्तान से निकलकर सिगापुर पहुची और हिंदुस्तानी एजेट के रूप मे होशाग से मिली I अब तो तुम समझ गए होगे मिस्टर चियाग कि असलियत क्या है I"


"समझ गया I " चियाग ने कड़वे स्वर में कहा…"परतु इसमें झूठ कितना है ?”


"जरा भी नहीं । "


" मतलब कि तुम हिंदुस्तानी क्राइम वर्ल्ड से तालुक रखती हो I"


" हा l"


चियाग ने एक ही सास में गिलास खल्ली किया और मुह साफ करता हुआ बोला I



"अभी मालूम हो जाता है I " कहने के साथ ही चियाग एक तरफ नजर आ रही सपाट दीवार की तरफ बढा I दीवार के करीब पहुचकर दीवार के एक खास हिस्से को दबाया तो दीवार एक तरफ सरक गई ।


सामने ही एक खाने में बायरलेस सेट और कई तरह के यत्र रखे हुए थे । और एक टी बी स्क्रीन अन्य खाने में फिट थी । चियाग की उगलिया वायरलेस सेट से खेलने लगीं I


वायरलेस सेट को सैट करने लगा । करीब पांच -मिनट बाद वायरलेस सेट पर उसकी किसी से बात हुई ।


'हेलो I हैलो हिंदुस्तान I हिदुस्तान I" चियाग जल्दी से बोला I हेडफोन उसने सिर पर लगा रखा था I छोटासा माउथपीस उसके होंठो के सामने आ रहा था ।


करीब आधे मिनट के बाद उसके कानों में आवाज पडी' I


"यस I हिंदुस्तान स्पीकिंग I हिदुस्तान स्पीकिंग । "



" चियाग दिस साइड I"


!आँर्डर सर I "

"जो मैं कह रहा हू । वह सुनो और पद्रह मिनट के भीतर मुझे रिपोर्ट चाहिए । मैं दुबारा काल करूगा I "
कहने के साथ ही चिंयाग नै मोना चौधरी के बारे में उसे बताया-"उसके बारे में मुझे जानना है और अगर हो सके तो नबर चार पर इसकी तस्वीर भी मुझे दिखाओ । "


"सर I मोना चौधरी का रिकार्ड हमारे पास है I " दूसरी तरफ से आवाज आई…“ऐसी बडी बड़ी और खतरनाक हस्तियों का रिकार्ड तो हमें रखना ही पड़ता है I “


"तुम्हारा मतलब कि हिंदुस्तान के क्राइम वर्ल्ड में मोना चौधरी का वजूद है ?"


"सरासर हे जनाब । क्राइम वर्ल्ड का थंब है वह I एक मिनट मैं अभी उसकी फाइल लाकर बताता हू I "
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

इसके बाद चियांग पाच मिनट तक वायरलेस सेट पर व्यस्त रहा I



"गुड I" आखिरकार चियागं ने कहा---"अब मोना चौधरी की स्थिति पुलिस के सामने क्या हे ? "


"पुलिस से मोना चौधरी को तगडा खतरा है I वह जब भी पुलिस के हाथ लगी पुलिस उसे फासी के फ़दे तक नहीँ पहुंचने देगी किसीं न किसी बहाने उसे पहले ही शूट कर देगी I"


. . "हू ठीक है I तुम नबर चार पर मुझे मोना चौधरी की तस्वीर दिखाओ I उसके बाद र्जरूरत पडी तो मैं तुमसे सबध बनाऊगा I " चियाग ने तसल्ली भरे स्वर में कहा ।

"लेकिन सर आप मोना चौधरी के वारे में क्यों पूछ रहे हैँ ?"


"तुम अपने काम से मतलब रखो । "

"यस सर ! लेकिन मोना चौधरी के बारे में इतना बताना चाहूगा कि वह बेहद खतरनाक है अगर कभी सामने पडे तो लापरवाह मत हो जाइएगा I वह I"



"नबर चार पर उसकी तस्वीर.... हैंI"


"अखबार की कटिंग वाली तस्वीर मेरे पास है !"


"वही दिखाओ I " कहने के साथ ही चियाग ने वायरलेस सैट आँफ किया और टीवी. स्क्रीन के करीब लगा छोटासा बदन दबा दिया I
टीवी स्क्रीन रोशन हो उठी।


चियाग ने गर्दन घुमाकर मोना चौधरी को देखा I


~ मोना चौधरी विश्वास-भरे अदाज में मुस्कराई I


चियाग की निगाह पुन स्क्रीन पर ठहरी ।


फिर एकाएक रोशन स्क्रीन पर मोना चौधरी का अख़बार में छपा चेहरा उजागर हुआ I हालाकि' वह चेहरा स्पष्ट नही' था, परंतु चिंयाग की तसल्ली के लिए तो काफी था I स्क्रीन पर _ उभरे चेहरे वाली तस्वीर देखकर चियाग को पूरा विश्वास हो गया कि उसके पास मौजूद युवती मोना चौधुरी ही है और उसने जो कहा हे अपने बारे में सही कहा हे ।



~ चियाग ने टीबी.. स्क्रीन ऑफ की और पलटा I



अगले ही पल चियाग स्तब्ध रह गया I खुली आखें खुली रह गई I पलके तक नहीं झपका पाया कई पलों तक I दिमाग ने तो जैसे काम करना ही बद कर दिया था।



मोना चौधरी अपनी जगह ही खडी थी ।


परतु उसके कपडे कुछ हटकर चद कदमों के फासले पर पडे थे I. .


हक्का-बक्का सा चियाग देख्ता हीं रह गया I


अपनी जिदगी' मे जलवे बहुत देखे थे उसने I वहुत मूरतें देखी थी I सतुष्ट था कि इस मामले में कभी पीछे नहीँ रहा I परंतु इस समय उसे जाने क्यो' इस बात का एहसास हो रहा था कि अभी बहुत कुछ वाकी हे, और इस बात का अहसास कराया था मोना चौधरी के तपते सुरमई, जिस्म ने I


जो बिना कपडों के उसके सामने चद कदमों के फासले पर मौजूद था ।



चियाग की निगाह बार बार सिर से लेकर पाव तक फिसल रही थी I


मोना चौधरी कमर पर हाथ रखे किसी वुत की तरह खडी थी I वह बुत ही लग रही थी, अगर सांसें लेने के दोरान उसकी छातिया होले हौले ऊपर नीचे न उठ रही होती या फिर कश लेने के दौरान छातिया वाटर बॉल की ताह दाए बाए न हिलने लगतीं ।


चियाग बार बार सूखे होठो पर जीम फेर रहा था I
" चियाग I" मोना चौधरी की मीठी आवाज सुनकर चियाग के मस्तिष्क को झटका लगा I परंतु उसकी निगाह फिर भी मोना चौधरी के चेहरे पर नहीँ गई I नीचे ही अटकी रही ।


"अगर तुम्हें मेरी कही बातों पर विश्वास आ गया हो तो

आओ मेरे करीब आजाओ।"


चियाग का जिस्म हिला I हाथ में दबी हिंदुस्तानी सीक्रेट फिल्म बरबस ही उसने जेब में डाल ली I फिर निगाह छातियों पर टिकाए वह धीरे धीरे आगें बढा ।


" उल्लू के पट्ठे जल्दी का I " मोना चौधरी ने प्यार से झिड़की दी…"दौलत और बिना कपडों की औरत को कभी भी ज्यादा देर खुली हवा मे नहीं छोडना चाहिए । "

चियाग उसके करीब आ पहुचा I


"माईगाड ! मैने तुम जैसी कभी भी...कभी भी...नहीँ देखी मोना चौधरी I"


'चियाग' जैसे हाफ' रहा था I


"अभी तो तुमने देखा ही क्या है I" मोना चौधरी की आवाज में अजीब से भाव आ गए-""कुछ देर और बीत जाने दो, फिर तो तुम वाह-वाह करने के काबिल भी नहीं बचोगे । "


चियाग को फुर्सत ही कहा थी मोना चौधरी के शब्दों को सुनने की l एकाएक वह बाज की तरह झपटा और मोना चौधरी के जिस्म से चिपक गया I


मोना चौधरी ने कठिनता से खुद पर काबू पाया और किसी तरह चियाग को खुद से अलग किया I चियाग का चेहरा आवेश में लाल हो रहा था I 'वह जैसे हाफ रहा था ।


"मैँ मैँ शुरू होने के बाद रूकना पसद नहीं करता हूं !" चियांग तड़पकर बोला ।



" क्या चीन मैँ लोग टाई और जूत्तों सहित बेड पर जाते हैं ?" मोना चौघरी मुस्काई I


उसके बाद चियांग पल-भर के लिए भी नहीं रुका! रफ्तार के साथ उसने कपडे उतारने शुरू कर दिए-जूत्ते टाई कमीज़ मैंट फिर पुन मोना चौधरी के साथ जा चिपका।
उसकी पीठ पर फिरते फिरते मोना चौधरी के दोनों हाथ उसकी गदन पर आ ठहरे थे I हाथों को हल्का सा झटका देने की देर थी ।


चियाग का किस्सा खत्म हो जाना था I


परतु इसमें एक ख़तरा… था ।

चियाग चीख सकता था, अगर लेटी मुद्रा में उसकी गर्दन क्रो झटका देने की चेष्टा की और झटका ठीक न लगा तो I मोना चौधरी के दोनों हाथ उसकी गर्दन से फिसलकर पीठ पर आ गए। उसने यह खेल बीत जाने के समय तक सब्र करने का फैसला किया I वह नहीं चाहती थी कि उसको छोटी सी गलती के कारण चियाग के गले से चीख निकले और उस चीख को सुनकर चियाग के आदमी वक्त से पहले सतर्क हो जाए I


चियाग व्यस्त था।


बेहद व्यस्त |।!



मोना चौधरी ने हाथ बढाया और सिगरेट सुलगा ली I


"एक मुझे भी I " चियाग बोला I~


"उठकर सुलगा लो । ”


चियाग ने गहरी सास लेकर पुन आखें बद कर ली ।


"मोना डियर ? " चियाग ने कहा ।



"मैँ तुमसे हार गया l " चियाग ने पुन आखें खोलकर मोना चौधरी क्रो देखा-"तुम बहुत खूबसूरत हो । "


"अब तो तुम्हें मेरी हकीकत पर बिश्वास आ गया कि मैं कौन-सी मोना चौधरी हू ?"


"हा I आ गया विश्वास I तुम मेरे काम की मोना चौधरी हो I"


" मुझे अपने साथ काम करने का मौका दोगे ?"


" क्यो नहीं डियर I तुम. तो पार्टनर बनकर रहोगी मेरे I साथ l“



" सच ?" मोना चौधरी जैसै खुश हो I



"सच ही I चियाग कभी झूठ नहीं बोलता I "

मोना चौधरी ने सिगरेट चियाग के हाथों में थमाई और उठते हुऐ बोली " तुम कश लो । मै नहाकर आती हूं। फिर प्यार-भरी बातें करेगे । " कहने के साथ ही मोना चौधरी बेड से उतरी और देखते-ही-देखत्ते बाथरूम में प्रवेश कर गई ।


पाच'-सात मिनट बाद मोना चौधरी बाथरूम से बाहर निकली तो खिले कमल की भाती लग रही थी I पानी की बूदें मोतियों के समान उसके वदन से चिपटी हुई थी सिर से पाव तक वह बिना कपडों के थी । पर अधलेटे चियाग की आखो में चमक लहरा उठी I


"तुम जैसी पहले कभी नहीं मिली I " चियांग ने गहरी सास ली ।


" हिन्दुस्तान आते तो शायद मुलाकात हो जातो I " मोना चौधरी खिलखिलाईं और आगे बढकर कपडे पहनने लगी । उसकी खूवसूस्ती वास्तव में जन्नत का ही हिस्सा लग रहीँ थी !


"तुमने तो जान ही निकाल दी I दस घटे के लिए तो कम से कम मुर्दनी छाई रहेगी । "


"उठो । बाथरूम ने' जाकर फ्रेश ही जाओ I " मोना चौधरी शर्ट के बटन वद' करते हुए बोली-"अभी हमे कई बाते करनी हैं, आपस में तालमेल बिठाना जो भी करना हो दस घटे बाद कर लेना । "


चियांग हंसा ।


मोना चौधरी ने आगे बढ़कर चियांग की बाह पकडी और उसे बाथरूम की तरफ सरका दिया । बाथरूम में पहुचकर चियाग ने दरबाजा बंद कर लिया I


मोना चौधरी ने एक पल की भी देरी नहीं की ! वह उस तरह तपकी जहा चियांग के कपडे पडे थे I कपडे उठाकर वह फुर्ती के साथ पेंट की जेबे टटोलने लगी I उसे तलाश थी उस सीक्रेट फिल्म की, जो कि उसे पेट की बाई जेब से हासिल हुई ।

उस फिल्म को उसने जेब में डाला !


फिर चियांग के कपडों से उसने रिवाॅल्बर वसूल की और कपडे नीचे फ्रैंक दिए I रिवॉल्वर का चेंबर खोलकर देखा, उसमे तीन गोलियां थी I

शेष तीन गोलियां शागंली और उसके साथियों पर इस्तेमाल हो चुकी थी ।


रिवाल्वर जेब में डाल ली और आगे बढकर कुर्सी पर जा बैठी ।


विचार भरी मुद्रा में मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगाई और कश लेने लगी । I चियाग फिल्म को तिजोरी की अपेक्षा जेब में रखकर भारी
गलती कर चुका था I देखा जाए तो इसमें चियाग की भी गलती नहीं थो । चियांग' की खोपडी तो मोना चौधरी… ने खराब कर दी थी I हिंदुस्तान स्थित अपने. आदमी से जब चियाग ने उसके बारे में बात करके तसल्ली की तो मोना चौधरी. अच्छी तरह जानती थी कि. चियाग सबसे पहला काम फिल्म को तिजोरी में रखने का करेगा I अगर फिल्म उस तिजोरी में
चली गई तो दिक्कतें पैदा हो जाएगी I तिजोरी तगडी लग रही थी, उसे खोल पाना सभव नहीं था और ना ही चियांग' किसी कीमत पर फित्म उसके हवाले करता I और फिर दिन निकलते ही चीन सरकार के आदमियों ने फिल्म लेने आ जाना था I ऐसा चियाग ने ही कहा था, यानी
कि चियाग को फोरन रोकने का जो एकमात्र हथियार मोना चौधरी के पास था उसने उसी हथियार का इस्तेमाल किया ।

-इससे पहले…कि चियाग बात खत्म करके पलटता I मोना चौधरी ने अपने कपडे उतार दिए थे । और फिर वही हुआ, जैसाकि मोना चौधरी ने सोचा था I चियांग जव पलटा तो मोना चौधरी का नग्न रुप देखकर ठगासा रह गया था I मुट्ठी में फिल्म दबी थी, जो खुद-ब-खुद जेब में सरक गई यी और वह मोना चौधरी की तरफ सरक आया था ऐसा ही तो चाहती थी मोना चौधरी ! बैसे भी उसके प्रति सहीं जानकारी पाकर चियाग' तसल्ली से भरकर,
कुछ लापरवाह भी हो गया था I ऐसा न होता तो चियाग" पहले फिल्म कभी जेब में न रखता I


और अब हिंदुस्तानी. सीक्रेट की फिल्म मोना चौधरी के कब्जे में थी । मोना चौधरी को विश्वास नहीं आ रहा था कि इतनी आसानी से उसका काम हो गया है-फित्म हाथ आ गई हैं ।
और ऐसा इसलिए हुआ कि चियाग को खुद पर अपने साम्राज्य पर और अपने आदमियों पर पूरा भरोसा था कि यहा आकर कोई उसकी मर्जी के बिना बाहर नहीं जा. सकता I यहा कोई भी अपनी मनमानी नहीं कर सकता । परंतु मोना चौधरी जानती थी कि अभी खतरा टला नहीं है । शुरू होगा I यहा पहुच पाना इत्तना कठिन नहीं था जितना कि यहां से निकलना I यहा से निकलने के रास्ते को मोना
अपनी सोचो' में फिट करने लगी I आने वाले खतरे के प्रति पहले ही खुद को सचेत करने लगी I


तभी दरवाजा खुला और चियाग बाहर निकला I वह नहा चुका. था और नगा था । आगे बढ़कर चियाग नीचे पडे अपने कपडे उठाने लगा I


~ उसी क्षण मोना चौधरी को हैरत का तीव्र _झटका लगा I


. चियग्ग का… चेहरा तप रहा था, जैसे बाथरूम नहीं, आग के 'कुएं से बाहर आया हो I चट्टान की तरह कठोर था चेहरा I भिचे होठ जैसे जिदा' नाग निगलकर मुह बद कर लिया हो कि कही' नाग बाहर ना निकल जाए I उसकी आखों में मौत के भाव नाच रहे थे ।



मोना चौधरी के होठ एकाएक मुस्कराहट के रूप में फैल गए I


मोनां चौघरी को ही घूर रहा था बह ।


"क्या बात है डियर I बाथरूम में क्या है जो लाल-पीले होकर निकले हो ?’"


चियाग कपडे पहनकर हटा और सिगरेट सुलगाई ।


"बाथरूम में वीडियों कैमरा लगा हे और जब मैं बाथरूम जाता हू…और जब मेरा कोई खास अजीज मेहमान यहा होता हैं तो बाथरुम में जाकर वीडियो कैमरा चला लेता हू ताकि मुझे
हर पल की जानकारी मिलती रहे स्क्रीन के ज़रिए कि मेरा अजीज मेरे बिना किस काम में व्यस्त है।"' ~



मोना चौधरी के मस्तिष्क को झटका लगा I उसको मास पेशिया तन गई I और फिर अगले ही पल ठठाका हस पडी I


चियांग होंठ भीचे मोना चौधरी को देखता रहा I
" वास्तव मेँ तुम तो मेरी अपेक्षाओं से कही ज्यादा समझदार निकले I"



"तुम हो कौन ?"



" मैं वही’ हू जिसके बारे में तुमने हिदुस्तान से जानकारी हासिल की है !"



"तो फिर मेरी जेब से फिल्म निकालकर अपनी जेब मे डालने का क्या मतलब? "


"माई डियर चियाग I" मोना चौधरी ने कश लिया और मुस्कराई---" जिस तरह तुम अपराधी होकर अपने देश चीन के लिए काम कर सकते हो ठीक उसी तरह मैं भी तो अपने देश हिंदुस्तान' के लिए काम कर सकती हू। " .

"ओह ।” चियाग के होठ' सिकुड़कर गोल हो गए-"तो यह बात है I"


दोनो' कईं पल मौत की सी निगाहो' से एकदूसरे को देखते रहे ।



"लाओ वह दिचात्वरं और फिल्म मेरे हवाले करो । " चियाग बोला ।
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

"पागल तो नहीं हो गए तुम I" मोना चौधरी ने सिर हिलाकर कढवे स्वर में कहा…"जिस चीज को पाने के लिए मैं अपने देश हिंदुस्तान से जान हथेली पर रखकर आईं हू, वह तुम्हें दे दू ऐसा कभी हुआ है?"


चियाग के होठो से गुर्राहट गुर्राहट निकली।


"नहीं हुआ तो अब होगा । जानती हो इस समय तुम कहा' हो ।"


"चियाग डियर की बाहो' में ।" मोना चौधरी जहरीली हसी' हँसी ।


"अभी मालूम हो जाता है I " चियांग' ने दात पीसकर कहा और एक तरफ मौजूद टेबल की तरफ बढा I



"बस चियाग I वस I और नहीं I जहा हो वहीं रुक जाओ । " आवाज ने' मौत के सर्द भाव थे I


चियांग ठिठका I उसने गर्दन घुमाकर देखा I

मोना चौधरी के हाथों दबी रिबाल्बर का रुख चियाग की त्तरफ था I आखों में मौत चमक रही थी I उसका चेहरा बता रहा था कि कभी भी वह चियांग क्रो शूट कर सकती थी । चियाग के जबडों में कसाव आ गया I


"पहली बार यहा किसी ने रिवाॅल्बर का रुख मेरी तरफ़ किया हे I ” चियाग खतरनाक लहजे में बोला ।


"मै जानती हू तुम सच कह रहे हो I " मोना चौधरी कुर्सी से उठ खडी हुईं…"और ऐसा पहले कभी इसलिए नहीं हुआ कि मोना चौधरी ने यहा कदम नहीं रखा था और अब रख दिया है I"


एकाएक चियाग के होठो पर वहशी मुस्कान उभरी I


तुम शायद भूल रही हो कि यह मेरा टापू है मेरी जगह है । 'बाहर हर कदम पर हथियारों सहित मेरे आदमी तैनात हैं I तुम, यहां से किसी भी कीमत पर बाहर नहीं निकल सकती, फरार नहीं हो सकतीं I बेहतर यही होगा कि मेरी रिवाॅल्बर मुझे वापस दे दो I जिसके चैंबर में सिर्फ तीन गोलियाँ हैं I तुम देख भी चुकी हो I "


" मैं यहा से फरार हो सकी कि नहीं l यह देखने के 'लिए तुम तो जिदा' होगे नहीं I " मोना चौधरी ने एकाएक शब्द चबाकर वहशी स्वर में कहा---"इसलिए इस वारे में चिता करना छोड दो ।"


चियांग के होठो से गुर्राहट गुर्राहट निकली I


""तुम अपनी मौत्त को दावत दे रही हो।"


"बेकार की बातें छोडो और हाथ ऊपर कर लो । कोई देर करें मुझे पसद नहीं । "


मोना चौधरी की आवाज में मौत के भावों को पहचानकर चियाग ने दोनों हाथ ऊपर उठा लिए I


"जो भी हो तुम यहा से बाहर नहीं निकल सकतीं I मौत . तुम्हारा मुकद्दर बन चुकी है I "


मोना चौधरी रिवाॅल्बर थामे चियाग की तरफ बढी I


" बेकार की भौ भौ मत करो मेरी सुनो I अगर मुझे मरना है तो तुम्हारे बाद ही मरूगी तुमसे ज्यादा जी लूगी I हो सकता है बच भी जाऊ' । परतु यहां से निकलने से पहले तुम्हें शूट करूगी I यानी कि तुम तो मरे ही मरे I अब अगर अपनी जान बचाना चाहते हो तो एंक ही रास्ता है तुम्हारे पास I " मोना चौधरी चियाग से दो कदम पहले पहुचका ठिठक उठी I


"क्या ? " चियाग ने कसे जबडों से पूछा I


"मुझे टापू से बाहर पहुचा दो I इस हद तक कि कोई । खतरा ना रहे I ऐसा होने पर मैं वायदा करती हूं कि तुम्हें शूट नहीं करूगी I बोलो चलते हो मेरे साथ चियाग I” मोना चौधरी ने क्रूर स्वर में कहा-"नहीँ तो तुम्हें शूट करके' अपने बारे में सोचू । चाहो तो एक मिनट सोच सकते हो । "


चियाग ने सोच-भरी मुद्रा मेँ कश लिया ।


मोना चौधरी जानती थी कि चियाग इस समय फसा पडा है और अपने हालात से वह अच्छी तरह वाकिफ भी है I चियाग के पास इसके सिवा और कोई रास्ता भी नहीँ कि उसकी बात मान ले ।


आखिरकार चियाग ने सह्रमतिपूर्ण मुद्रा में सिर हिलाया ।


"तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं तुम्हारी बात मानने के लिए मजबूर हू और I ” इसके साथ ही चियाग' के शरीर मे बिजली की-सी गति से हरकत हुई I उसका जूता मोना चौधरी के हाथ में पडे रिवाल्वर पर पडा I रिवाल्वर हाथ से निकली और छत से जा टकराई I क्षण-भर के लिए मोना चौधरी ठगी सी खडी रह गई ।


बह कुछ समझ ही नहीं पाई I दूसरे ही पल चियाग के जूते की ठोकर मोना चौधरी के पेट
में पडी । वह कराहकर दोहरी हो गई I इसके साथ ही चियाग का हयोड़े के समान घूसा मोना चौधरी के चेहरे पर पंडा । मोना चौधरी के पाव उखड गए, वह पीठ के बल पीछे जा गिरी


चियाग के दो ही बारो' ने मोना चौधरी को इस बात का एहसास करा दिया कि चियाग यू ही चियाग नहीं है I वह कुछ है । जिस तरह उसने बाजी पलट दी थी, वह काबिले तारीफ बात थी ।

मोना चौधरी कराही और सीधी हुई


"कुछ तो शर्म करो I इस बात का भी ध्यान नहीं कि कुछ देर पहले मेरे साथ बेड पर थे । "


चियांग के चेहरे पर खतरनाक भाव छाए हुए थे I


"वो वक्त वेड का था और यह वक्त बेड के नीचे. का है I " चियाग गुर्राया I


"बहुत मतलबी आदमी हो I काम निकला और खिसक गए। " मोना चौधरी ने गहरी सास ली ओर मुह बनाकर हाथ बढाते हुए कहा---"अब कमसे कम उठा तो दो I ” ~


चियाग उसी मुद्रा में आगें बढा ।


मोना चौधरी के उठे हाथ को उसने थामा और झटका दिया I अगले ही पल मोना चौधरी । पावों के बल खडी हो गई । और उससे अगले ही पल मोना . . . चौधरी का लोहे' के समान सिर चियाग के माथे से जा टकराया I


चियांग के होठो से दर्दभरी चीख निकली I वह लंड़खड़ाकर दो कदम पीछे हटा I . मोना चौधरी उछली और उसके दोनो' घुटने चियाग की छाती से जा टकराए ।



चियाग उछलकर पीछे जा गिरा I . तभी मोना चौधरी करीब हीँ नीचें पडी रिवाल्वर पर झपटी और उसे उठा लिया I चियाग कुछ पल अपनी सासे' सयत करता रहा । फिर धीरे से उठा । उसकी आखो से चिगारिया बरस रही थी । चेहरे पर छाए मौत के सर्द भाव और भी गहरे . हो गए थे I


सीधा खडा होते ही मोना चौधरी के हाथ में रिवाॅल्बर देखी तो ठिठक गया I मोना चौधरी के रंग ढंग में मौत के भाव नाच रहे थे ।


"मैं तुम्हें शूट करने जा रही हूं चियाग I" मोना चौधरी गुर्राई I

" नही मुझे मत मारना I " चियाग ने अपनी सासों को सयत करके जल्दी से कहा I



"अफसोस है मुझें कि इसके सिवाय मेरे पास और कोई रास्ता नहीं I ”

"म मैँ तुम्हें टापू से बाहर निकाल दूंगा I I"


" 'टापू से बाहर निकालने के बहाने तुम फिर कोई चालाकी करोगे चियांग-ओर तुम्हारी वह चालाकी मेरी मौत का कारण ~ भी बन सकती हे I मैं किसी भी तरह. का रिस्क नहीं ले सकती I "


"मेरी जान लेना तुम्हारे लिए रिस्क ही है कि तुम बाद में अपने को नहीं बचा पाओगी I समझोता कर ले कि मैँ तुम्हें बाहर निकाल देता दू और तुम मेरी जान नहीं लोगी । "


मोना चौधरी कई पलों तक चियांग को देखती रही I



चियाग की व्याकुल निगाहे मोना चौधरी पर थीं I ~


कई पल ऐसे ही बीत गए।


"ठीक हे चियाग I मुझे तुम्हारी बात मजूर है I लेकिन कोई गड़वड़... I " . .



"नहीं होगी I लेकिन मैं तुम्हें आफर देना चाहता दू। ”


"क्या ?"



"हिंदुस्तानी सीक्रेट फिल्म के बदले में तुम्हें मोटी रकम दे सकता हूं। “


" हम दोनों के बीच अब इस फिल्म के बारे में कोई बात नहीं होनी चाहिए I " मोना चौधरी ने सख्त स्वर में कहा I



चियाग ने फिर कुछ नहीं कहा । ~


"रास्ते में किसी भी तरह की कोई गडबड करने की कोशिश मत करना ।"


" अब ऐसी कोई बात नही होगी !"

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जीप चियाग ने खुद ड्राइव की I


मोना चौधरी चियाग की बाह में वाह डालकर इस तरह चली थी कि जैसे चियांग की सोहबत में रहकर उसे बहुत खुशी हो रही हो I जबकि चियाग की कमर से उसने रिवॉल्वर सटा रखी थी I मोना चौधरी के इशारे पर चियाग ने होठो पर मुस्कान बिखेरी हुई थी I . ..


देखने बाले के आदमियों ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया ।।

चियांग ने जीप को मोटरबोट स्टेशन के करीव रोका जो टापू के किनारे पर था I इस समय वहा चार बोट मौजूद थीं I जीप में बैठे ब्रैठे मोना चौधरी ने चियाग की कमर से नाल को दबाया था I I तुम मेरे साथ चलोगे और अपने आदमियों से कहोगे कि हम धूमने जा रहे हैं ।"


"ले लेकिन मैं वापस कैसे आऊगा ?" चियाग के होठो से ,निकला I


"जव मैं बोट छोढ़ दूगी तो तुम उसी बोट से वापस आ जाना I "


" चलो I"


दोनों जीप से उतरे ।


मोना चौधरी ने रिवाॅल्बर इस तरह थाम रखी थ्री कि कोई देख न सके I वेसे भी वे दो आदमी थे । खास खतरे वाली बात ~ नहीँ थी ।



चियाग को एकाएक वहा देखकर वे वैसे ही हड़बडा उठे थे ।



चियाग खुद को बेबस महसूस कर रहा था I इस तरह मजबूर तो वह कभी नहीँ हुआ था I और अब भी नही होना था अगर मोना चौधरी को बेड पर लेने के चक्कर मे ना आता I


मोना चौधरी कितनी खतरनाक है इस बात का एहसास उसे हो चुका था I वह इस बात का फैसला कर चुका था कि आजाद होते ही उसका सबसे पहला मकसद मोना चौधरी को खत्म करना होगा I बेशक इसके लिए उसे यहा से हिंदुस्तान ही क्यो न जाना पडे ।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

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`·.¸.·´
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