आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete

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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

" शांगली I हमें सफर पर रवाना होना हे I “ मोना चौधरी कुर्सी से खडे होते हुए बोली ।


"यह भी सफ़र की तैयारी है I थोडा-सा तरोताजा हो ले ।"

शामली उससे लिपट गया I


"हमें देर हो जऐगी-और फिर बाहर होशाग हमारा इतजार कर रहा है ।"



"अब चुप रहो I बोलो मत I"


तभी दरवाजे पर थपथपाहट गुजी I '


मोना चौधरी ने फौरन खुद को सभाला परंतु शागली उसे जकड़े रहा I



"छोडो I बाहर कोई है । " मोना चौधरी ने उसे पीछे हटाने की चेष्टा की I



"चुप रहो I " शागली जैसे नशे में अपने होश गुम किए हुए था I ~


"बाहर कोई दरबाजा खटखटा रहा है । " मोना चौधरी कहते हुए खडी हो गई।



शागली उसे बाहों के घेरे में लिए रहा I ~



"होश मे आओ । " मोना चौधरी झल्लाईं ।



"तंग मत करो । करने दो... उसके बाद .. I"



तभी पुन दरवाजा खटखटाया गया I शागली को जैसे अब होश आया I



"बाहर कोई हैं I ”



"तो मैं क्या कह रही थी ? " मोना चौधरी झल्लाई ।


"साला I" शागली दात भीचकर बोला--- "कौन उल्लू का पट्ठा आ गया ? मैं...।"



"उठो, दरवाजा खोलो I " मोना चौधरी अपनी कमीज के बटन वद करती हुई बोली ।



"आने वाले को अभी दफा... । "


"शागली I" मोना चौधरी उखड़े लहजे में बोली--"हमैं यहाँ से चलना है I हमारे पास वक्त कम है I "



"दस मिनट की देरी में कोई आफत नहीं आ जाती। मैं... !"

"नहीं I इस समय कुछ नहीं होगा ।" मोना चौधरी का स्वर सख्त-सा हो उठा I


शागली के चेहरे पर नाराजगी के भाव उभरे I


"तुम मुझे ! शागली को इनकार कर रही हो । "


मोना चौधरी एकाएक मुस्कराई, उसने बाहे शागली' के गले में डाल दी ।



"शागली I माई डार्लिंग I वक्त को भी समझो I यह तो हम रास्ते में कहीं भी कर सकते हैं ।"


"रास्ते में ?"


"हा I वहा तो और भी अच्छी तरह होगा ।याद करागे कि । "


"रास्ते में यह भी तो हो सकता है कि हमें मौका ही ना.....!"


"क्यों नहीं मिलेगा मौका I तुम तो I "

तभी पुन दरवाजा खटखटाया गया ।


साथ ही पुकारा भी गया I पुकारने वाली आवाज होशाग की थी I


शागली के चेहरे पर कढ़वे भाव फैल गए I



" उल्लू का पटठा I"



"डार्लिग" I नाराज नही I " मोना चौधरी ने उसका गाल थपथपाया I



"दरअसल I ” शागली ने गहरी सासं लेकर कहा-"तुम हो ही ऐसी कि सामने वाला खुद को रोक ना सके I " कहने के साथ ही शागली दरवाजे की तरफ बढा ।



दरवाजा खोला होशाग खडा था I शांगली अपने भावो पर काबू पा चुका था I



"हा । "



"तैयारी हो चुकी है I " होशांग ने कहते हुए मोना चौधरी पर निगाह मारी…और फौरन समझ गया कि भीतर शागली मोना चौधरी से क्या खास बात कर रहा था---"चलना चाहिए ।"



"चलो I " शागली ने तुरत सिर हिलाया I


होशाग ने मोना चौधरी पर निगाह मारी और पलटकर चला गया I



"चलो I " शागली ने मोना चौधरी को देखा I

मोना चौधरी आगे बढी I दरवाजे के बीच शागली खडा था ।


"याद हे ना ? रास्ते में मौका मिला तों हमने क्या करना है ?"


"ऐसी बातें तो मैँ कभी भी नहीं भूलती I " मोना चौधरी खिलखिलाई I


दोनों कमरे से बाहर निकल आए I


जब वह मकान के बाहर निकले तो साथ में होशाग भी था I


… होशाग खामोश हो चुका था । वह उतना ही बोल रहा था जितने की जरूरत थी I अन्यथा अपने काम से मतलब रख रहा था I वे तीनों उस बस्ती की पतली और लबी गलियों को पार कर रहै थे । रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी । चारों तरफ गहरा अधेरा छाया हुआ था I रोशनी का हल्का नामोनिशान नहीँ था I उन अंधेरी गलियों में सबसे आगे होशाग चल रहा था I वह उन सारे रास्तों से ठीक तरह से वाकिफ था I


एकाएक शागंली ठिठका l



गलियों मेँ से बस्ती के चौराहे पर निकल आए थे I शागली की निगाहे चौराहे पर मौजूद पब्लिक बूथ के बाक्स पर जा टिकी I एकाएक वह बोला I


"एक मिनट I मैं फोन करके आता हू I"


मोना चौधरी और होशाग की निगाहें आपस में मिलीं I


शागंली ने एक कदम ही आगे बढाया होगा कि मोना चौधरी ने उसकी बाह' को अपनी बाह मे फसा लिया । शागली ठिठका I पलटकर उसने मोना चौधरी को देखा I


मोना चौधरी के होठो पर जानलेवा मुस्कान फेल गई ।



"शागली डियर I." मोना चौधरी की छातियां शागली की बाह से रगड खाने लगी थी ।


शागली ने बेहद कठिनता से खुद पर काबू पाया वर्ना मोना चौधरी की छातियों की खैर नहीं थी ।


"हूं। " शागली ने मुस्कराकर मोना चौधरी को देखा।
"यह वक्त किसी को फोन करने का नहीं है I पहले ही हमारा बहुत वक्त वर्बाद....!"


"एक मिनट लगेगा मोना डार्लिग I ओनली वन मिनट । "


"फिरकर लेना...! अब ।"


"नहीं फोन करना जरूरी हे I" शागली के स्वर से झलक रहा था कि इस बारे में वह किसी की बात मानने वाला नहीं--" मैं अभी आया I" कहने के साथ ही शागली बूथ की तरफ बढ गया I


होशाग के दात मिच गए । मोना चौधरी की आखों मेँ कठोरता भर आई थी I



"यह कुत्ता तुम्हारे बारे में मालूम करने गया है I अब इसका आदमी इसे रिपोर्ट देगा I "


"इसका फोन करना हमारे लिए खतरनाक हो सकता हे । " मोना चौधरी की सख्त निगाह शागली की पीठ पर थी I


. "लेकिन हम कुछ कर भी नहीँ सकते I ” होशाग ने दात पीसते हुए कहा l



"फोन करने के बाद अगर शागली ने कुछ करने की चेष्टा की तो I " मोना चौधरी की आखों में चिगारियां भडकी' I



"तो मैं तुम्हारे साथ हू I " होशाग की आवाज में मोत लिपटी हुई थी I



उनके देखते ही देखते शागली फोन बूथ में प्रवेश कर गया I


मोना चौधरी और होशाग की आखें मिलीं I


मोना चौधरी के चेहरे और आखों मे शांगली के प्रति दरिंदगी के भाव सिमट आए थे I

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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

"क्या मालूम किया ??" शागली माऊथपीस में बोला । I



"बहुत कुछ I "



“बको !"


"होटल में इस युवती ने दो पुलिसमैनों क्रो दो बदमाशों को और एक टैक्सी ड्राइवर को शूट किया I वह एशियन युवती थी । हिंदुस्तानी I होटल के रजिस्टर में उसका नाम मोना चौधरी दर्ज है ।"


" मोना चौधरी !” शागली के दात मिच गए ।



"जी हा I "
शांगली ने बूथ के बाहर कुछ दूर खडी मोगा चौधरी पर निगाह मारी ।


"पूरा मामला क्या है ?" ~


"शागंली साहब I" आवाज पुन आई…" इस घटना के धटा भर पहले वह मोना चौधरी उस बस्ती में थी जहा होशांग रहता हे I वहा कुछ दादाओं ने मोना चौधरी से जबरदस्ती करने की चेष्टा की तो मोना चौधरी ने दो बदमाशों को शूट कर दिया l उसके बाद वह होटल पहुची तो उन बदमाशों के साथी पुलिसमैनों को लेकर वहा पहुच गए I खुद को बचाने के लिए मोना चौधरी ने उन लोगों को शूट कर दिया ।"


शागली के चेहरे पर कठोरता छा गई थी ।


"मोना चौधरी होशाग की बस्ती में गई थी?" शागंली ने शब्द चबाए ।


"जी हा । "


"किससे मिलने गई थी ?”


"मालूम नहीँ हो सका !!"


" होशाग से मिलने गई हो सकती है मोना चौधरी I"


दूसरी तरफ से कोई ज़वाब नहीं आया । शागली ने रिसीवर रख दिया ।


चेहरे पर सख्ती के भाव फैले … हुए थे I होशाग ने कहा था कि मोना चौधरी उसे रेस्टोरेट में मिली थी I परंतु अब कोई और ही तस्वीर सामने आ रहीँ थी I


शामली और मोना चौधरी पहले से ही एक दूसरे को जानते थे I मोना चौधरी शामली से मिलने ही बस्ती में गई थी I परतु यह बात होशाग या मोना चौधरी ने उससे क्यों छिपाई ।

शागली बुथ से बाहर आ गया I अब उसका चेहरा पहले की ही तरह सामान्य और शात था I उनके पास पहुचते पहुचते शागंली ने सिगरेट सुलगाई और मुस्कराकर बोला I


"चलो I अब देर करना ठीक नहीं' I"

दिखावे के तौर पर मोना चौधरी और होशाग के चेहरे भी सामान्य थे I


परंतु उनके मस्तिष्क के भीतर खलबली मची हुई थी I एक बारगी तो उन्हें लगा कि वे कुछ गलत-तो नहीं सोच रहे ।

“चलो । " मोना चौधरी ने सिर हिलाया ।

वे तीनों आगे बढ गए ।


होशाग पहले की ही तरह उनके आगे चल रहा था और वे दोनों पीछे I


"हम कब तक चियाग तक पहुच जाएगे ?” एकाएक मोना चौधरी ने पूछा I


"देखती जाओ । " शागंली ने छोटा सा जवाब दिया ।


मोना चौधरी के मस्तिष्क में जाने क्यों खटका सा हुआ I उसे शांगली की आवाज मे जाने क्यो बदलाव सा लगा । मस्तिष्क में खत्तरे की घटी बजी । वह कुछ सतर्क सी हो गई । शागली का दूसरी बार इस तरह फोन करना उसके प्रति कोई जाल भी हो सकता है I शागंली उसके खिलाफ़ कुछ करता हुआ हो सकता है I होशाग की सोच गलत भी हो सकती है कि वह उसके बारे में मालूम करने की चेष्टा कर रहा है I मोना चौधरी को आने घाला वक्त घुधला ही नजर आया , स्पष्ट नहीँ । बहरहाल शागली को लेकर अब खतरे की सुई मोना चौधरी के मस्तिष्क में चुभने लगी थी । उसे लग रहा था जैसे उसके और शागंली के बीच घात प्रतिघात के सिलसिले का दौर आरभ हो चुका है ।


उस बस्ती को पार करके जब वे लोग बाहर निकले तो सामने खुला संमदर पाया । जिसका किनारा तो दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा था ।


चद्रमा की रोशनी में समदर की लहरें उछाल मार रही थी' I संमदर के किनारे पर अवश्य थोडी बहुत इसानी हलचल थी I


वे मछुआरे थे जोकि मछली पकढ़ने के' लिए समदर में जाने की तैयारी कर रहे थे I और भोर हो जाने के इतजार में थे ।


तीनों ठिठके ।


"हमारी नौका उधर है I " होशाग ने कहा ।


तीनों उस दिशा की तरफ बढे ।

पाच मिनट चलने के पश्चात उन्हें छोटी स्री एक नाव बड़े से पत्थर से बधी नजर आई I वे उसके करीब पहुचकर ठिठके I

मोना चौधरी की पैनी निगाह चारों तरफ घूम रही थी I परंतु उसे ऐसा कुछ भी निगाह में ना आया कि जो शागंली के प्रति उसके शक को बढावा देता I


तीनो' नाव मे सवार हुए I


होशांग और शागंली ने नाव में मौजूद चप्पू उठाए और नाव खेने लगे I


देख़त्ते हीँ द्रेखते नाव किनारे से हटकर समंदर के ब्रीच में सरकती चली गई I समदर से टकराकर आती ठडी हवा बदन को वहुत भली लग रही थी I शरीर पर बहता पसीना जेसे ठडा पानी लग रहा था ।


धीरे धीरे नाव इतनी दूर हो गई क्रि समदर का किनारा भी नजर आना बद हो गया I अलबत्ता बस्ती की दो चार चमकती रोशनिया किसी चमकते जुगनू की तरह लग रही थी I


मोना चौधरी नाव के छोटे से फट्टे पर बैठी और सिगरेट सुलगाकर कश लिया I


"होशाग I" मोना चौधरी के होठ खुले I . चप्पू चलाते होंशांग ने गरदन घुमाकर मोना चौधरी को देखा।


"कुछ मुझे भी तो चले कि तुम लोगों ने क्या प्रोग्राम बनाया है सफ़र कैसा है और I "


"मैं कुछ नहीं जानता।" होशाग ने गरदन सीधी कर ली-"'और ना ही इन बातों का मुझे कुछ खास पता हे I जो I कुछ पूछना हे शागली से पूछो । "


"शांगली बता नहीं रहा I " मोना चौधरी ने शागली पर निगाह मारी I



"ठीक तो है I " होशाग ने कहा-"तुम्हें कुछ जानने की जरूरत भी क्या है! अपने काम से वास्ता रखो I तुम् 'चियाग तक पहुचना' चाहती हो और हम तुम्हे' पहुचा' रहे है' I "


मोना चौधरी ने कुछ नहीं कहा I कश लेते हुए उसने. कलाई पर बधी' घडी पर निगाह मारी I अब दिन की रोशनी फैलने में ज्यादा देर नहीं थी और वह जानती थी कि उनकी नाव किनारे की सीमा से इत्तनी दूर आती जा रही है कि उसे देख पाना सभव नहीं होगा I

करीब पौन घटा नाव की पानी मे दौड़ाने के बाद उन्होनै चप्पू चलाने बद कर दिए I


"होशाग I यह बोट है । इस तक ही हमेँ आना था ।” मोना चौधरी. ने तुरत अपनी निगाह दौड़ाई ।

कुछ आगे समदर में अधेरे में डूबी बोट नजर आ रही थी जिसका इजन बद था और समदर के हिलते पानी के साथ वह धीरे धीरे हिल रही थी ।

शागंली कई पलो तक बोट को देखता रहा ।



मोना चौधरी के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा । परंतु वह तुरत ही खुद पर काबू पा गई ।



शागली ने नाव के कोने में मौजूद टार्च उठाई और उसका रुख बोट की तरफ करके ठस' टार्च को जलाने बुझाने लगा I दो पल भी न बीते होगे कि मोटरबोट से वैसा ही सिग्नल मिला I

शागलीं की आखों ने' तीव्र चमक उभरी I उसने टार्च एक तरफ रख दी। . . .


"होशाग I नाव आगे बढाओ I "


फिर शागली और होंशाग नाव को खेने लगे I


मोना चौधरी की सिकुड चुकी आखें अधेरे में डूबी बोट पर टिकी थीं I कुछ ही मिनटों में वे बोट के करीब थे I ऊपर वालों ने सहारा देकर उन्हे ऊपर चढाया I जिस नाव से वे यहा तक पहुचे' थे I खाली होत्ते-ही उसे समदर की लहरे अपने साथ ले गई I मोना चौधरी ने जब सहारा देकर ऊपर चढाने वाले को ध्यानपूर्वक देखा तो वह हक्की बक्की रह गई I वे चीनी सैनिक थे, I


अंधेरे में मोना चौधरी का, हाथ तुरत अपने कपडों में 'छिपी‘ रिवाॅल्बर
पर पहुच गया I उसके दात भिच गए I


चेहरे पर खतरनाक भावों की चादर चढ आई थी । चीनी वर्दी के साथ साथ उन दोनों के हाथों में खतरनाक हथियार थमे थे ।


मौत की आधी मोना चौधरी की मस्तिष्क में नाट उठी । यानी कि शागंली के प्रति उसका शक सही था I

मोना चौधरी की निगाह तुरत होशाग की तरफ़ धूमी I


होशाग' को शात खडा देखकर वह असमजस में घिर गई ।


शांगली फौरन मोना चौधरी के' मन में पैदा हो रहे भावो को पहचान गया. और ठठाकर हस पडा । कई क्षणों तक हसता ही रहा I मोना चौधरी की सर्द निगाह शांगली पर ही टिकी रही ।



"तुम इन्हें चीनी सैनिक समझ रही हो I " शांगली हसंते हुए बोला……"'इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं हे I तुम्हारी जगह कोई और भी होता तो वह भी ऐसा ही सोचता । ऐसा ही सोचता वह । "



मोना चौधरी की आखें सिकुढ़ गई।


"तो फिर कौन हैं यह ?” मोना चौधरी ने दात भीचकर एक एक शब्द चबाते हुए कहा l


"मेरे आदमी I "


मोना चौधरी के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा ।


" तुम्हारे आदमी ?"


"हा चीनी सैनिकों की वर्दी का इस्तेमाल करना जरूरी था क्योकि आगे जाकर समदंर का वह हिस्सा शुरू हो जाएगा जहा , चीनी सेनिक समय में घूमते रहते हैं I ये चीनी बर्दिया हमे उनसे बचाएगी I "


शांजली ने जहरीले स्वर में हसते हुए कहा I ~


मोना चौधरी कुछ न कह सकी ।


"आओ भीतर चलें I "


वे सब बोट के भीतरी केबिन मेँ पहुचे ।

वहा उनके लिए भी बर्दिया मौजूद थी।उन्होने भी बर्दिया पहनीं I मोना चौधरी समझ नहीं पा रही थी कि हालात को किस नजरिए से देखे I

किसे झूठ और किसे सच समझे I

कुछ ही देर में होशाग और शागंली भी चीनी सैनिक लग रहे थे । मोना चौधरी हाथ में थमा रिवाल्वर अपने कपडों में फसा चुकी थी I शागंली के आदेश पर बोट स्टार्ट हुई तो उसके इजन की आवाज ने वहा के सन्नाटे को भग कर दिया I फिर रफ्तार के साथ बोट आगे बढ गई I मोना चौधरी चुप सावधान और सतर्क थी I

"आओ I जरा बाहर चक्कर लगा आएं I " शागली ने होशाग से कहा. I



" चलो ?"


दोनों बाहर निकल गए ।
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया और सोचों में डूब गई । यह ठीक था कि उसे जो दिखाया जा रहा था वह किसी भी तरह शक के दायरे से कहीं दूर था I परतु उसके मस्तिष्क में जो भी खटका हो रहा था…वह बेवजह नहीँ था I ~ कहीं-न-कहीं गड़बढ़ अवश्य थी I और वह गड़बढ़ कहां थी, मोना चौधरी क्रो यहीँ बात समझ में नहीं आ रही थी । मोना चौधरी ने एक बार फिर शागली की रवानगी पर ध्यान दिया । उसके कहते ही बिना किसी आनाकानी के शागंली तेयार हो गया उसे चियाग तक` ले जाने के लिए I फौरन तैयार हो गया I चलने की कोई तैयारी भी नहीं थी I परंतु हर बात देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे सारी तैयारी ठीक ठाक ढग से शाति से गई है I कार से होशाग और उसके साथ फौरन रवाना हो गया I समदर में नाव खडी मिली उनके लिए I उसके बाद समदर के बीच बोट और चीनी सैनिकों की वर्दी पहने उसके साथी I अभी जाने क्या क्या तैयारी हुई पडी थी ।


यह सब तैयारी दो पल में हो जाने वाली नहीं थी I मोना चौधरी ने शागली' को किसी भी व्यक्ति को किसी तरह के इत्तजाम के लिए कोई आर्डर देते न देखा था I मुलाकात होने के बाद शागली अमूमन उसकी आखों के सामने ही रहा था । यानी कि शागली पर शक करने की उसके पास मुनासिब वजह थी ।


मोना चौधरी को महसूस हुआ कि उसे बहुत सावधान रहने की आवश्यकता हे I होशाग की तो उसे कोई चिता नहीं थी I परतु शागली उसे शैतान से कम नहीं लग रहा था I कुछ पूछने पर भी वह किसी बात का जबाब. ठीक ढग से नहीं दे रहा था ।

मोना चौधरी ने ढीले छोड रखे अपने मस्तिष्क मे ठूंस ठूंसकर भर लिया कि अब उसे किसी तरह से लापरवाह नहीं होना है I दिमाग से भी नहीं शरीर से भी नहों।


तभी शागली ने भीतर प्रवेश किया I उसके होठो पर मुस्कान फैली हुई थी ।


मोना चौधरी के चेहरे पर भी गहरी मुस्कराहट फैलती चली गई ।



"हाय I कैसी हो ?” शागंली रोमाटिक मूड मैँ लग रहा था I

"एकदम फर्स्ट क्लास I”


शागली घूमना । पलटकर दस्वाजा भीतर से बद कर लिया ।


"यह क्या ? " मोना चौधरी जानबूझकर चेहरे पर घबराहट के भाव लं आई ।



"वही I" शागली ने आखें नचाई' I



"क्या वही ?"


"वही जो होता है I आदमी और औरत के बीच I"



"यहा ?" मोना चौधरी… ने आखें फार्डी I



"क्यो यहा क्या हे ? ”


शागंली' उसके करीब पहुचा ।


"बाहर आदमी हैं I होशाग है I वह क्या सोचेगा ?" मोना चौधरी जल्दी से बोली ।



शागंली ठठाकर हसा I



"वह कुछ नहीं सोचेगा । "


"क्या मतलब? " . .



"मत भूलो कि मैं उसका लीडर हू। वह किसी भी हाल में मेरे खिलाफ नही जा सकता I कम आन मोना डार्लिग I क्या अच्छा मौसम है यहा बाहर भोर का उजाला फैल रहा है I बोट का केबिन I समदर की नम हवा I यादगार रह जाएगा आज का वक्त जो हम दोनों के बीच बीतूने वाला है।"


मोना चौधरी ने शागंली का हाथ थाम लिया I


शांगली की आखों में तीव्र चमक भर आई I उसने मोना चौधरी को बाहों में लेना चाहा, परंतु मोना चौधरी ने तुरत खुद को बचाया और बोली।


"ऐसे नहीं ।"

"तो फिर कैसे ?" शागली हसा' I

"पहले दोर शोर हो जाए I "

"दौर I "


मोना चौधरी ने सिर हिलाया I

शागली ठठाकर हस पड़ा I


"तो यह बात हे I" मोना चौधरी से हाथ छुड़ाकर शागंली आगे बढा और कमरे के कोने मेँ रखी लकडी की छोटी सी अलमारी खोलकर उसमें से बोतल और दो गिलास निकाले I


"यही न !"


मोना चौधरी ने मुस्कराकर सिर हिलाया ।


शागली ने हसते हुए गिलास और बोतल तिपाई पर रखे और बोला I I


"मैं अभी आया । " शागंली ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गया I आधे मिनट में ही वापस आया तो हाथ में प्लास्टिक का छोटा सा केन था ।


दरबाजा बद करने के पश्चात शागंली ने कहा I "और तो कुछ है नहीं I पानी सै काम चला लेगे I "



"पानी न होता तो वेसे भी काम चले लेते । " मोना चौधरी ने शोख स्वर मे कहा ।


शांगली हसा I आगे बढ़कर उसने कुर्सी को तिपाई के करीब खीचा और कुर्सी पर बैठते हुए केन नीचे रख लिया I फिर पैग . . बनाने में व्यस्त हो गया I


"तुम उतारो I " पैग बनाने में व्यस्त शांगली बोला I


" क्या ?"


"कपडे तब . . . त्तक... I


~ "बहुत जल्दबाज हो I "


"क्या मतलब? ”


"अमी तो पैग बनना शुरू भी नहीं हुआ और तुम मामला खत्म करने क्रो कह रहे हो I हौसला रखो और जल्दबाजी मत करो ! ,मैँ यहौं हूँ भागी नहीं जा रही I " मोना चौधरी ने शब्दों' मे अदा का इस्तेमाल किया I


शागंली हंस पडा I जोर-से ठठाकर हंस पडा l

"ठीक कहती हो I बिल्कुल ठीक कहती हो ! तुम भी यहां, मैं भी यहां. ! फिर जल्दी दोड लगाने की क्या ज़रूरत' है ?" कहते हुए शागली कुर्सी से उठा I हाथ में दो पैग थे । एक उसने मोना चौधरी को थमाया और दूसरा खुद थामे ईजी चेयर पर बैठकर अपनी टागो पर हाथ मारकर बोला…"आओ यहां बैठो I प्यार मोहब्बत से मारेंगे I पैग !" कहने के साथ ही उसने विल्की का तगड़ा घूट लिया I इससे पहले मोना चौधरी आगे बढती दरवाजे पर थपथपाहट हुई I


शामली के दात भिच गए ।


"साला I कौन आ मरा । आराम भी नहीं करने देत्ते । "


"जाकर देखो । " मोना चौधरी ने बेहद शात अवस्था में घुट भरा I



शागली ने क्रोध भरे अदाज में एक ही सास में विस्की का गिलास समाप्त किया और उसे एक तरफ रखकर उठकर आगे बढा और दरवाजा खोला I


बाहर होशाग खडा था ।


"क्या है ? ” शागली ने फाड खाने वाले स्वर में पूछा I


"अगर कोई काम न हो तो मैं आराम कर लू ?" होशाग बोला ।


"तो मना किसने किया है ?" शागंली पूर्ववत लहजे मे ही बोला ।


"मैने कहा है अगर कोई काम न हो तो ?” होशाग ने अपने शब्दों पर जोर दिया ।


"कोई काम नहीं हे जाओ। "


"तुम ठीक तरह से बात नहीं कर रहे शागली I " होशाग ने तीखे स्वर में कहा I


"मै" ठीक तरह से बात कर रहा हू I ” शागंली ने फौरन खुद को संभाला I


"नहीं तुम्हारी आवाज मे टेढापन हे! " होशाग ने शामली के चेहरे पर निगाहें टिकाकर कहा-"यह बात हम बाद मे करेगे' I मुझे भीतर आने दो I दरवाजे पर इस तरहे क्यों खडे हो कि मैँ भीतर हीं न आ सकू?"

"भीतर ?" शांगली मुस्कराया-भीतर आराम करोगे ? कहीँ और कर लो।"

"यह जहाज नहीं है जहा सैकडों केबिन हों I छोटी सी यही जगह है और वहा तुम कब्जा जमाए हुए हो I"

"मैं व्यस्त हूं तुम कहीँ और जाकर आराम कर लो I जगह नहीं है तो थोडी-बहुत बना लो कहीं I "


हौशाग के चेहरे पर कड़वे भाव फैले I


"भीतर मोना चौधरी है ?"


"हां I ”


"उसके साथ तुम क्या व्यस्त हो? " होशाग का स्वर तीखा था । ~ ~


" चियाग के बारे में कुछ खास बातचीत कर रहा हू I "


वह बात तो मेरे सामने भी हो सकती है ।" शामली के चेहरे पर कठोरता नाची I


"लेकिन मै अकेले मे उससे बात करना चाहता हूं। " शागली ने सख्त…स्वर में कहा ।


"ज्यादा सबाल-जवाब मत करो I मत भूलो कि मै तुम्हारा लीडर हू। " .


"मेरे नही गैग के।"


" एक ही बात है I तुम्हें मेरी बात माननी चाहिए I मैँ... I "

"मैं तुम्हारा नौकर नहीं हू कि… तुम्हारी बात मानू। जो बात गैग के हित में होगी, वही मै' मानूंगा I और तुम जो कर रहे हो, मेरे साथ जिस तरह पेश आ रहे हो उसके लिए तुम्हें गैग के ओहदेदारो के सामने जवाबदेह होना पड सकता हैं I तब तुम्हें जवाब देने मे दिक्कत हो सकती है I "


" मैने ऐसा कुछ नहीं किया कि तुम वापस पहुचकर मेरी बात उठा सको I "


"यह क्या कम बात है कि कोई जगह न होने पर भी तुम मुझें बाहर सोने क्रो कह रहे हो और खुद भीतर I "


" क्या भीतर ?"


"भीतर अपनी मर्दानगी का दौर चलाने की चेष्टा मे हो ।”

होशाग ने कड़वे स्वर मे कहा I

" भीतर अहम बातों और बिस्की के अलावा और कोई दौर नहीं चल रहा I यह तुम्हारे खराब दिमाग का ख्याल है कि भीतर और कुछ भी हो रहा है । "
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

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"अच्छी बात है I वापस पहुचकर गैग के ओहदेदारों के सामने इस बारे में बात करूंगा । " तीखे स्वर में कहने के पश्चात होशाग वहा से हट गया ।


शागंली ने भडाक से दरवाजा बद किया ।


"उल्लूका पट्ठा ।"


"क्या हुआ ?" मोना चौधरी ने अनजान बनते हुए पूछा I


"कुछ नहीं ! साला-मूड खराब कर गया I साला दूसरे को खाता देख नहीं सकता I छोडो इन बातों को I साले का कोई' भरोसा नहीं दोबारा लौटकर दरवाजा खटखटा दे I जल्दी से काम निबटा लेते हैं आओ I "


"बिस्की ???? " मोना चौधरी ने जानबूझकर कहा I


"छोडो विस्की को बाद में पी लेगे पहले टिग....टाग हो जाए I " कहने के साथ ही शागली ने आगे बढकर मोना चौधरी को बाहों में भर लिया I


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"मोना डियर I” फुर्सत पाते ही शागली मदहोश निगाहों से उसे देखता हुआ ब्रोला-"तुम वास्तव में कमाल की चीज हो I मुझे नहीं पता था कि ऐसा भी होता है जबकि मैं सिगापुर की गली गली की खाक छान चुका हूं। रियली यू आर ग्रेट.. ग्रेट…ग्रेट !"


मोना चौधरी हस पडी I . .

" हंस क्यों रही हो ???"


" तुम्हारे तारीफी शब्द सुनकर I "



"कुछ गलत कह दिया ?"


"नहीं ठीक कहा I " मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगा ली I


"मैने तुम जैसी पहले कभी नहीं देखी । " शागली की हालत अजीब हो रही थी ।


"ग़लत रास्तों पर चलोगे तो ठीक कहा देख पाओगे I”
मोना चौधरी ने लापरवाही से कहा--"शागली इस वक्त हम कहा जा रहे हैँ ?"


"चियाग के टापू पर । "


"कब तक पहुंचेगे ।"


"शाम ढलने तक I " शामली हाथ बढाकर उसकी टाग सहलाने लगा-"लेकिन । "


"क्या लेकिन ?"


"पहले तो मेरा इरादा तुम्हें चियाग के टापू पर भेजकर वापस आ जाने का था जैसाकि हममें तय हो चुका है परतु अब मेरा इरादा क्रुछ और हीँ हे।"


"कुछ और? ”


"हा I " शागली उसकी टागों को देखता हुआ बोला--- "मैं तुम्हें चियाग के टापू पर अकेला छोढ़कर नहीं आऊँगा I बल्कि तुम्हारे साथ रहुगा I होशाग और वाकी के दोनो आदमियो को भी ले जाऊँगा I जहां तक हों सकेगा, तुम्हारी हर भरपूर सहायता करूगा कि तुम सफल हो सको I "


" ’मुझ पर इतनी मेहरबानी क्यों ? " मोना चौधरी हसी' I



"क्योकि मैं तुम जैसी करामाती सुदर हसीना को खोना नहीं चाहता I " शागली ने उसकी टाग दबाई…"तुमने तो जैसे मेरे होशोहवास छीन लिए हैं I पागल कर दिया हे मुझ जैसे इसान को I "


मोना चौधरी ने अपनी टाग पर रेंगता उसका हाथ थपथपाया ।


"चिता मत करो I अभी और पागल करूगी जो मेरे लिए कुछ करता है उसके लिए मै सब कुछ करती हूं। "


जबाब में शामली खुशी से हस पडा।

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~ होशाग बोट पर कुर्सी बिछाए समदर को निहार रहा था I उसके होठो में सिगरेट फसी हुईं थी चेहरे पर सोच के भाव विद्यमान थे I धूप चारों और किसी हुई थी I समदर का पानी भी गर्मसा हो रहा था । पानी से टकराकर आती हवा मे तपिश का एहसास था ।

बोट पर अगर छोटी.-सी छंत न होती...... तो समंदर का यह गर्म वक्त निकाल पाना वेहद कठिन था । होशाग ने कलाई पर बथी घडी पर निगाह मारी I


तभी कदमों की आहट सुनकर होशाग ने गर्दन घुमाई । शागली उसकी तरफ बढा आ रहा था । होशाग ने मुह फेर लिया I


" हेलो I ” शागली करीब पहुचकर बोला । होशाग ने कोई जबाब नहीं दिया I


"सुना नहीं तुमने I” शागली की आवाज में कठोरता भर आईं थी ।


" सुना I तुमने हैलो कहा है I " होशाग ने उसे बिना देखै कहा ।


"तो जचाब क्यो नहीं दिया तुमने ?"


"यह कोई ऐसी बात नहीं थी कि मै' तुम्हे' जवाब दू। " होशाग खडा हुआ और उसे घूरकर जहर भरे स्वर में कह उठा-"'और कान खोलकर सुन लो कि तुम गैग के नेता हो मेरे बाप नहीं हो जो अपना हुक्म मुझ पर दागते फिरो I काम ,की वात है तो करो नहीँ तो चलते बनो।"


शागली ने कहर भरी निगाहों से होशाग को देखा I होशाग के चेहरे के भाव नहीँ बदले ।


शामली ने खुद पर काबू पाया-"तुम्हें आगें का प्रोग्राम बताने आया हू।"


" बोलो I "



"हम मोना चौधरी को चियाग के टापू पर छोड़ेगे नहीं . बल्कि उसके साथ जाएगे और पूरी कोशिश करेगे कि चियाग से वह फिल्म मोना चौधरी को दिलवा सकें I " शागली ने कहा ।


होशाग की आखों में कहर के भाव उभरे !!


"खूब I तो मोना चौधरी ने दरवाजा बद करके तुम्हे तगडे झटके दिए हैँ जिन्हें कि तुम अभी तंक बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हो और उसके हक मेँ सोचने लगे हौ।"


"शटअप I " शागंली गुर्राया…"मैँ गैंग के हित में काम ~ कर रहा हूंI "



"इसमे गैग का हित कहा से आ गया ?"

"हमें मोना चौधरी से एक करोड रुपया मिलेगा, जिससे हम अपने गैग को अच्छी तरह सवार सकते हैं । अपनी जरूरतों कों पूरा करके दूसरे गैगस पर हावी हो सकते हैँ I दरवाजा बद काके मैं मोना चौधरी से सौदेबाजी की ही बात कर रहा था और तुम गलत सोच रहे हो I" शागली ने कहा ।


"मैँ कुछ भी गलत नहीं सोच रहा यह तुम बखूबी जानते हो शागंली I"



शागली होठ भीचकर होशाग को घूरने लगा ।


होशाग बापस कुर्सी पर बैठ गया I


"एक बात तो बताओ होशांग ?" शागली का लहजा सर्द हो उठा I


होशाग खामोश रहा I


"तुमने कहा कि मोना चौधरी' को तुम रेर्स्टरिट मेँ मिले थे r" शांगली ने एक एक शब्द चबाकर कहा…"लेक्लि मेरा मालूम किया जाहिर करता है कि मोना चौधरी को तुम पहले से ही जानते हो I वह तुमसे मिलने तुम्हारी बस्ती मे गई थी ।"



होशाग ने कुछ नहीं कहा I


" और इस बारे में तुमने गैग से झूठ बोला I अगर यह बात. . सबको मालूम हो जाए तां तुम्हें शूट कर दिया जाएगा I "


होशाग ने खामोश और ठडी निगाहों से शामली को देखा I


"इसलिए यह सोचना भी छोड दो…कि मैं दरवाजा बद करके मोना चौधरी के साथ किस मुद्दे पर बात कर रहा था । तुम सिर्फ इस बात पऱ ध्यान रखो कि हमने मोना चौधरी के साथ टापू पर जाना है I"


होशाग गर्दन धुमाकर, समदर की लहरों को देखने लगा I जो शात थी I सतह पर थी । परतु कभी कभी इतनी जोरों से उछलती थीं कि जैसे सारा समदर हिल उठता हो I होशाग की आखो' में जहरीले भाव नाच रहे थे I ओर चेहरे से लग रहा था जैसे वह कठिनता से खुद पर काबू पाए हुए हो I

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पश्चिम की तरफ झुकते सूर्य की रोशनी जैसे समदर के पानी क्रो भी पीला किए दे रहीँ थी I ऐसे में समदर को देखने पर आखे चौंधिया. सी जातीं र्थी I


दिन-भर खामोश शात पडा समदर अब शोर डालने लगा था I लहरें अब उछलनी शुरू हो गई थीं। जैसेकि अब समदर की आखें खुली हों।


सामने ही किनारा नज़र आ रहा था । मोटरबोट की गति धीमी हो चुकी थी ।


शामली होशाग मोना चौधरी और अन्य दोनों की निगाहें किनारे की ही तरफ थीं I किनारा शात्त और सुनसान नजर आ रहा था । बडे बडे घने पेडों ने उस जगह काफी बडा हिस्सा अपनी आड़ में ले रखा था I


यह टापू या I


चियाग का टापू I


"यहा तो कोई भी नजर नहीं आ रहा था I " मोना चौधरी बोली ।


"यह टापू का पिछला हिस्सा हे I " होशाग ने कहा I


शागली ने होशाग को देखा I
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

"तुम्हें केसे मालूम कि यह टापू का पिछला हिस्सा है ?” शागली ने पूछा I


“हर समझदार इसान यही बात कहता जो मैने कहीं है ।" होशाग ने कहा ।


"साफ कहो I "


"अगर यह टापू का सामने वाला हिस्सा होता तो इस तरह सुनसान नहीं होता यहा हलचल होती I अब तक कई लोग हमें नजर आ गए होते और कइयों ने हमे देख लिया होता I" होशाग ने कहा I


"होशाग का कहना सही है I " मोना चौधरी ने सहमति से सिर हिलाया I


बोट का इजन बद था I वह पानी में हिलती हुई हौले होले आगे बढती हुई किनारे पर आ रुकी थी I शागंली ने अपने दोनो' आदमियों को देखा ।



. . "बोट को बाघ देना I कही लहरे इसे साथ न ले जाएं I " शागंली ने कहा और बोट से पानी में कूद गयाI नीचे पिडलियो तक पानी था I पानी में कदम उठाता हुआ शागली किनारे तक आ पहुचा I मोना चौधरी और होशाग भी इसी तरह पानी मे से निकलकर किनारे पर आ गये ।

शागंली के दोनो आदमियों ने बोट क्रो रस्सी से बाधा ओर दूसरा कोना टापू पर लकडी का छोटा-सा खूंटा गाढ़कर वहा बाध दिया । अब बोट के समदर में खिसक जाने के चास नहीं थे I


पाचों इक्टठे हुए । शाम ढलती जा रही थी I


" अब ?" शागंली सोचपूर्ण निगाह टापू पर दौडाता हुआ बोला I



"सोचने की जरूरत नहीँ आगे बढो I " मोना चौधरी ने कहकर सिगरेट सुलगाई--- "हम यहा छिपकर आक्रमण करने नहीं आए। चियाग से फिल्म लेने आए है' और वह तभी ले सकते हैं जबकि उसके सामने पहुच जाए।"


"मोना चौधरी ठीक कहती हे I " होशांग ने फौरन कहा-"लेकिन सामने जाने में खत्तरा है I चियाग हमें छोडने वाला नही'।"


"आगे बढकर पीछे हटना हम् लोगों को शोभा नहीं देता I " शागंली बोला I "


होशाग मुस्काराया l


"मेने पीछे हटने को तो नहीँ कहा I"


शांगली ने सब पर निगाह मारी I

"आओ I ”


वे सब आगें बढ गए ।



शाम ढलती जा रही थी I पेडों के साए लवे होंकर अब समाप्त हो गए थें I पेडों के तने में से गुजरकर वे आगे बढते रहे। पेडों की छाव ने जैसे अधेरा कुछ पहले ही कर दिया था I



"टापू के किस हिस्से पर चियाग ने ठिकाना बना रखा होगा ?” शागंली बोला I


"चलते रहो सब कुछ सामने आ जाएगा I ” मोना चौधरी ने शात स्वर मे कहा ।



और अभी वे लोग सौ कदम ही चले होगे किं कड़कती खतरनाक आवाज़ उनके कानों में पडी I
" खबरदार! !!! रूक जाओ ।।"


उनके पैर जडबत हो गये ।



उनकी एक दूसरे से निगाहे मिली I हर ताफ पेड के तने थे मोटे मोटे I और कुछ भी नजर नहीं आ रहा था l



" कौन है ? " दोबारा आवाज ना आने पर. शागली ने ऊँचे स्वर मे कहा ।



"फालतू के सवाल मत करो…तुम लोगों के पास हथियार है ?"


"हा हैं l"


"हथियार निकालो और दूर फेक दो I "


"नहीं । " शागंली सख्त स्वर में बोला-"ऐसा नहीं हो सकता। देख नही रहे हम कौन हैँ ?"


" तुम लोगों के जिस्म पर पडी वर्दिया यहीँ दर्शा रही हैं कि तुम चीनी सेनिक हो।"


"हा हम चीनी सैनिक ही हैँ !" . .



"तो यहा क्यों आए हो ?"



"भटकते-भटकते आ गए I रास्ता नहीं मिल पा रहा था हमे चीन की तरफ़ जाने का I लेकिन तुम कौन हो और इस निर्जन टापू पर क्या कर रहे हो ?" शागंली ने अधिकार भरे स्वर में कहा I ~



"यह निर्जन टापू नहीं हे l चियाग साहब का टापू, हे I" आवाज आई I


~ "चियाग ?" शाग़ली ने चौंकने का अभिनय किया I



"हा I अब तुम I "



"यह तो बहुत अच्छी बात बताई तुमने I चियाग का टापू I चियाग चीन का दोस्त है और चीन चियाग का I हम यू ही घबरा रहे थे । लेकिन अब तो हमें ऐसा लगता है जैसे हम चीन की ही धरती पर है !"



"हम भी इसे चीन की ही धरती समझते हैँ I अब तुम लोग चियाग के नाम पर हथियार फेक दो I"
"नहीं हम चीनी सैनिक हैं और सैनिक कभी भी अपने हथियार जुदा नहीं करते I "



"तुम हमारी बात मानने से इनकार कर रहे हो I .."




"हा क्योकि तुम्हारी बात ही गलत हे तुम दोस्तो पर शक कर रहे हो I "



कई पलो तक उनके बीच खामोशी रही ।



बोलने वाला कही नजर नहीं आ रहा था ।



"यह लडकी कौन है ?"


"मेरी बीवी है I समदर में गश्त पर निकले ये इसे भी घुमाने के इरादे से साथ ले लिया I "




"इसकी लवाई तो बहुत ज्यादा है I"


"हा | पूरे छ: फीट हैं I" शागली नें छाती फुलाकर कहा-"इसकी लवाई देखकर ही तों मैने इससे शादी क्री थी I अब इन बातों को छोडो दोस्त I सामने आ जाओ मुझसे ऊचा नहीं बोला जा रहा I "


~ और फिर अगले ही पल पेडों के पीछे से तीन खतरनाक से नजर आने वाले चीनी निकले I तीनों के हाथों मेँ गने थीं।



सामने चीनियों को देखकर वे तीनों कुछ लापरवाह अवश्य हो गए थे ।


"यहा से जाने से पहले तुम लोगों को चियाग साहब से अवश्य मिलना पड़ेगा I ऐसा चियांग साहव का आदेश है । " कहते हुए चीनी की कामुकता भरी निगाह मोना चौधरी पर फिर रही थी और मोना चौधरी ने उस पर ऐसी मुस्कराहट फैंकी थी भ कि उसकी घंटी बजनी शुरु हो गई I

"हमें कोई एतराज नहीं I " शागंली ने कहा…"बल्कि -चियाग सै मिलकर हमेँ खुशी होगी I "


" आओ' I "


वे तीनों आगे और बाकी सब पीछे थे । शागंली और मोना चौधरी की निगाहे मिलीं I अंधेरा सिर पर सवार होने जा रहा था I इन लोगों के साथ आगे बढने में खतरा था I वे पाचों एक साथ चियाग के चगुल में पहुच जाते और ऐसे मेँ चियाग उनकी असलियत भापकर उनके साथ वुरा सलूक भी कर सकता था I

उन्हें शूट भी का सकता था I


इसलिए बेहत्तर यही था कि वह लोग अलग अलग दिशा के ठिकाने की तरफ बढें I


~ मोना चौधरी ने आखों हीं आखों में शागली को इशारा ~ किया I और फिर अगले पल जैसे कयामत से भरे थे I शागंली और मोना चौधरी के हाथों मेँ रिवाल्यर चमके तीन गोलिया चलीं I तीन धमाके हुए । आगे जा रहे चियांग के तीनों आदमियों की खोपडिया उड गई' I यह सब होने पर होशांग चौका ।


"यह तुम लोगों ने क्या किया ? "



"क्यों ?" शागंली, ने होठ सिकोढ़कर उसे धूरा…"तेरे रिश्तेदार थे वह? "


"बकवास मत करो शागली I मुझे तुमसे इतनी बडी बेवकूफी की उम्मीद नहीँ थी I ”


"तुम कहना क्या चाहते हो होशाग ?" मोना चौधरी ने. पूछा I


"इन पर फायर करन की क्या जरूरत थी…अगर इन्हें खत्म ही करना था तो वेसे ही झपट पड़ते I हम पाच है । आसानी से इनका गला दबाकर इन्हें खत्म कर सकते थे I" होशाग सख्त स्वर में कह रहा था--""इस सुनसान जगह पर गोलियों की आबाजें दूर दूर तक गई होगीं। "


होशाग की बात सबको ठीक लगी ।


"यह _ठीक कहता हे I " मोना चौधरी के होठो से निकला-"इस तरफ हमने पहले नहीं सोचा ।"

शागली ने गभीरता भरे अदाज में सिगरेट सुलगाकर कश लिया I


"लेकिन जो होना या वह तो हो ही चुका I अब हमे आगे को सोचनी चाहिए । " शागली ने कहा I

शागंली की बात भी ठीक थी I

अधेरा होना शुरू हो गया था I


मोना चौधरी ने कहा-“ अभी ताजा ताजा गोलियों की आवाजे गूजी हैं । कुछ देर यही' रुककर हमेँ देखना चाहिए कि फायरिंग की आबाजे कोई रग लाती है' कि नही' I "


किसी ने कुछ नहीं कहा I
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