आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete

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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

होटल की इमारत के बगल मे चलकर मुख्य गेट तक पहुची । फिर गेट से बाहर सडक पर I वह जानती थी कि लाशे' मिलते ही वहां हगामा खडा हो जाना था लेकिन तब उसने कहा' होना था I मोना चौधरी ने आसपास निगाह घुमाई । होशाग कही भी नजर नहीं आया । तभी उसके कानों में हार्न की हल्की सी आवाज़ पडी ।

मोना चौधरी की निगाहें हार्न की तरफ उठ गईं I जो सढ़क पर से आईं थी । वहा नीले रग की कार खडी थी I डोम लाइट आन थी और ड्राइविग' सीट पर. होशाग का चेहरा नजर आया I


किसी तरह मोना चौधरी ने भीड भाड वाली सडक पार की और कार के करीब पहुचकर दरवाजा खोलते हुए होशाग की बगल में जा बैठी ।


होशाग ने कार… आगे बढा दी I

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कश लेकर मोना चौधरी ने सिगरेट खिडकी के बाहर उछाल दी ।


"इससे पहले कि तुम कोई बात करो मैं कुछ पुछना चाहती हू !"


"पूछो I " होशाग सामान्य गति से कार ड्राइव कर रहा था |


"जब मैं तुम्हारे घर से निकली तो तुमने कहा था तुम मेरे पीछे हो ?"

"हा I"



"तो तुम्हारी बस्ती में जो मेरे साथ हुआ तुमने देखा क्या ?" मोना चौधरी ने उस पर निगाह मारी I


"'देखा I मेरी आखो' के सामने ही तो सब कुछ हो रहा था ।"


"तो फिर तुमने आगे आकर मुझे बचाया क्यों नहीं ?"


"जरूरत नही समझी !"


"क्यों ? " मोना चौधरी के माथे पर बल पड गए I


"मैने सोचा I " होशाग एकाएक हसा…"जो चियाग से टकराने का दावा करती हो I खुद को तोप समझ रही हो उसे मामूली सी सहायता की क्या जरूरत I खुद निबट ले I ठीक 'सोचा ना मैने ?"


"हा ,ठीक सोचा l’" मोना चौधरी का. चेहरा कठोर हो गया I


"वह चीनी और कोरियन बस्ती के पहुचे हुए बदमाश थे I " होशाग बोला ।



"होगें !"

"जब तुम्हें होटल मे पुलिसमैनों ने घेरा तो मैं बाहर था I तुम्हारा पीछा करता हुआ ही आया था मैं I चाहता तो तुम्हें पहले ही खबर कर सकता था कि पुलिसमैन तुम्हारी तरफ जा रहे हें । परतु मैने ऐसा नहीं किया । सोचा क्या जरूरत है। जो चियाग से निबटने हिंदुस्तान' से यहा तक आ गई हो वह इन मामूली सै मसलों को तो आसानी से हल कर लेगी I "

होंशाम के होठो पर मुस्कान नाच रही थी ।


"यह भी ठीक सोचा I " मोना चौधरी ने होशांग के चेहरे ..पर निगाह मारी ।


. "तुमने एक घटे में ही छ को शूट कर दिया I ऐसे में अगर पुलिस के हाथ लग गई तो जानती हो...?"


"बेकार की बात मत करो । मेरे लिए यह मामूली बातें हैं I " मोना चौधरी ने… तीखे स्वर में कहा-"पुलिस का खौफ I उसे दिखाना जो इनकमटैक्स देता हो समझे मिस्टर होशाग' I"


"मतलब कि तुम इनकमटैक्स नहीं देतीं ?"


"देती हू I लेकिन मेरा देने का अदाज दूसरा है । मैं कैश में इनकमटैक्स नहीं देती I "


"तो कैसे देती हो ?"


"छोडो तुम्हारी समझ में नहीँ आएगा I"



"इशारा ही दे दो I मैँ समझ जाऊँगा I " होशाग ने मोना, चौधरी के चेहरे पर निगाह मारी ।


"मिस्टर होशाग I" मोना चौधरी ने सपाट स्वर में कहा…"मेरे पास बेकार की बातों के लिए वक्त नहीं है I तुम जानते हो कि मैं यहा किस काम की खातिर आई हू I और वह काम मुझें फौरन करना हे । "


होशाग ने गम्भीरता से सिर हिलाया I


"पैं तुम्हारा साथ दूगा । "

" तुम? "


" हा I इसमे हैरान होने की क्या जरूरत है I"


" तुम तो इनकार कर चुके हो । "


"तो क्या हुआ -! अब तो मैँ हा कर रहा हूं I " होशाग ने गम्भीरता से कहा-"दरअसल मैंने तुम्हें मात्र बीज समझा था परंतु अब समझ चुका हू कि तुम्हारी खूबसूरती मात्र दिखावा है I तुम तो मौत का बीज हो I चियाग से टक्कर लेने की चेष्टा कर सकती हो तुम I दम है तुममें l"


मोना चौधरी ने होशाग को देखा I


"जो मामूली सी बात पर फौरन छ: कत्ल कर दे वह कुछ भी कर सकती है । "


"गुड I मोना चौधरी मुस्कराई---" मुझे खुशी है कि तुम मेरा साथ देने जा रहे हो । " ~



"हा I साथ तो देने जा रहा हूं लेकिन सारा काम सावधानी से होगा अब I मुझें शक हे कि चियाग को इस बात का एहसास हो चुका हे कि हिंदुस्तानी एजेट उसके पीछे है । उससे फिल्म छीनना चाहते हैँ । "


मोना चौधरी कुछ नही बोली ।

होशाग ने कुछ देर बाद कार को पार्किग स्थल पर रोका और सिगरेट सुलगाकर इजऩ बंद करके मोना चौधरी को देखा I


चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे ।

"तुम कुछ कहान चाहते हो ?" मोना चौधरी ने अंधेरे में उस पर निगाह मारी ।"




"हा I "


" क्या ?"


"इस काम को हम अकेले नहीं कर सकेगे । बहुत खतरा है । हमें किसी की सहायता लेनी पडेगी ।"



"लेकिन कोई हमारी सहायता क्यों करेगा ? " मोना चौधरी ने कहा ।


होंशाग इस समय वेहद गम्भीर नजर आ रहा था ।


"मिस मोना चौधरी ! " होशांग ने कहा…"मैँ यहाँ का एक खतरनाक मेम्बर, हूं I और हमारा गैग इतना जबरदस्त है कि पुलिस भी एकबारगी सामने पडने के लिए सोचती हे I हमारा गैग कोई आम बदमाशों का ग्रुप नहीं है I हमारे गैंग मे एक से. …एकं खतरनाक लोग भरे पडे हैं । अगर हमारा गैंग तुम्हारी . सहायता करने पर आ जाए तो कोई बडी बात नहीं' कि चियाग को शिकस्त देकर, सीक्रेट की वह फिल्म हम हासिल कर ही ले ! लेकिन एक दिक्कत, हमारे सामने आ रही हे I"

"क्या ?" मोना चौधरी दिलचस्पी से होशाग को देख रही थी I
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

~ "कि हमारा गैग तुम्हारा काम क्यों करे ? गैंग के तौर पर हम उसी काम में हाथ डालते हैं जिसमें `हमेँ दौलत हासिल हो । और. तुम दोलत दे नही सकती । "



"लेकिन मेरा देश तो दे सकता है I " मोना चौधरी बोली |


" हा I लुम्हारा देश हिंदुस्तान इस मामले में फौरन दौलत दे देगा l फिर वह तुम्हें जवाब दे देगा I ऐसे में एक दो दिन लग जाएगें I जबकि हमारे पास तो एक एक मिनट' की मिंट की कमी हे । " होशाग ने अपने एक एक शब्द पर जोर देकर कहा ।


होशाग ठीक ही तो कह रहा था ।



एकाएक मोना चौधरी को उन पचास ताख का ध्यान आया जो मिस्टर पहाडिया उसे इस काम को करने की रजामंदी की एवज में उसे देवे को तैयार थे ।



"मिस्टर होशाग I पचास लाख देनें को. गारंटी तो मैं अभी दे सक्ली हू I "


" पचास लाख डालर... I"



" नहीं । रुपए I "


""कम हैं I काम जितना खतरनाक है उस हिसाब से कम है I" होशाग ने सिर हिलाया I



" इससे ज्यादा की बात मैं नहीं कर सकती I " मोना चौधरी की निगाह होशाग पर थी I .


होशाग के चेहरे पर सोच के भाव छाए रहे I कार में कई पलो तक खामोशी छाई रही I


एकाएक होशाग' 'ने कार में लगे' टेलीफोन का रिसीवर उठाया और नम्बर डायल करने, लगा I ’ इसके साथ ही 'होशाग' ' ने मोना चौधरी' क्रो देखा I



" गैंग के चद खास मेम्बरों के पास ऐसी ही कारें हैं, जिनमें फोन या फिर दुश्मन से निबटने का हर तरह का सामान है I " होशाग' ने बताया । "


"तुम खास मेम्बरों में आते हो गैग' के ?"

"हा I"

मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया I



"किसे फोन कर रहे हो ?"



तब तक लाइन मिल गई थी!



"हेलो I " होशाग ने कहा ।



"किससे मिलना है ?”


"डबल फोर हियर सिक्स से मेरी बात कराओ I " होशाग बोला I


"यस सर I करीब एक मिनट आपको होल्ड करना पडेगा I ” उधर से आवाज़ आई I


"एक मिनट ? " होशाग की आवाज सख्त हो गई I



"सर l नम्बर सिक्स किसी से बात कर रहे हैं I ऐसे में एक मिनट तो.... I”



"ओके! हरी अप...।"


लाइन पर खामोशी छा गई I



होंशाग ने माउथपीस पर हाथ रखकर कहा ।



" मेरे पास किसी. चीज की कमी नहीं I परंतु जिस गदी बदनाम बस्ती मेँ मैं रहता हूं वहा पर रहना ही मेरे लिए मेरे हक में बेहतर है I पुलिस को कभी भी मेरी जरूरत पड सकती है और ऐसी बस्ती में वह मुझे फौरन हासिल नही' कर सकेगे' I उससे पहले ही खबर मुझ तक पहुच जाएगी। उस बस्ती में पचास प्रतिशत से ज्यादा गुडे बदमाश रहते हैं I ऐसो जगह पर पुलिस भी जाने से पहले दस बार सोचती है I पुलिस का सोचना ही हम जैसों को बचा जाता है I "


~ मोना चौधरी ने समझने वाले भाव मेँ सिर हिलाया I



"यह फोन किसे कर रहे हो ?” मोना चौधरी ने पूछा I


" अपने गैंग के नेता को! "



"क्यों ?"


"अभी मालूम हो जाएगा I पहले बात कर लेने दो। "


होशाग ने गम्भीर स्वर में कहा I



"तुम्हारे गैग' का नेता कैसे वना जाता है ?" मोना चौधरी बोली ।


"गैंग के बाकी मेम्बर ही चुनते हैं । "



"और उसे नेतापन से हटाना हो तो ?


"तो भी गैंग के मेम्बर ही यह काम करते हैं । " होशाग ने मोना चौधरी को देखा…"और नेता को हटाया नहीं जाता। शूट कर दिया जाता है । तब जबकि उसके फैसलों से गैग को नुकसान पहुचना शुरू हो जाए I "

" शूट क्यों करते है उसे ?"



"मज़बूरी है I गैग का नेता बाद में गैंग' का मेम्बर बनकर तो काम करने से रहा I ऐसे में वह किसी भी तरह की बगावत करने पर उतारू हो सकता है जो गैग के हक मे नुकसानदेह साबित हो सकती है ।"


मोना चौधरी ने होठ सिकोढ़ लिए ---- "इस बात से नेता वाकिफ होता है कि उसके साथ ऐसा भी ही सकता है ?"


"हा I इसी कारण जिसकी निगाहें उसके खिलाफ़ उठती हैं , गैंग का नेता हर सम्भव चेष्टा करता हे कि उसे रास्ते से हटा दे | इसके लिए वह बाहरी हत्यारों का भी इस्तेमाल कर लेता है, चूकि कोई सबूत नहीं मिल पाता इसलिए गैंग. का नेता सुरक्षित रहता हे।"


"मतलब कि गैग के नेता को खुद को बनाए रखने के लिए काफी जोढ़ तोड करनी पढ़त्ती है ?"


"हा I नेता बनना आसान काम नहीं है I " होशाग के होठो पर मुस्कान उभरी I


तभी होशाग के कानो में आवाज पडी I


" . . "हैलो I"


. . . "सर I मैँ डबल फोर....!"


"कहो I "


" एक काम हाथ लगा है I किया जाए तो नुकसान नहीं . .होगा । "



"क्या काम है ?"


" किसी से कोई चीज खींचनी है I " होशाग सतर्क स्वर मे कह रहा था ।

"किससे ?"


"किसी से भी । हमे काम की कीमत सही मिल रही है और हम सिर्फ काम की कीमत देखते हैं I यह हमारे गैग का उसूल है I यह नहीं देखते कि खतरा कम है या ज्यादा ।"


दो पल के लिए लाइन पर खामोशी रही ।


कितनी कीमत ?"


"फौऩ पर बातें करना ठीक नहीं I कोई और भी सुन सकता है I "


"कहा से बोल रहे हो ?"



"'मै पार्टी को लेकर आ जाता हू I " होशाग ने कहा I



"पार्टी के बारे में तुमने तसल्ली कर ली हे ? " स्वर आया I


" हा I"


"ठीक है ले आओ I " पुन स्वर आया-"आखों पर वैल्ट लगा देना पार्टी की । "


"ओके I " कहने के साथ ही होशाग ने रिसीवर वापस रख दिया ।


मोना चौधरी असमज़स भरी निगाहो से उसे देख रही थी I
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

"मैं समझी नहीं तुम क्या कर रहे हो । " मोना चौधरी बोली I


होशाग ने गम्भीरता भरे अंदाज में सिगरेट सुलगाकर कश लिया


"तुम्हारा काम ही करवा रहा हू। "


"लेकिन मेरे पास तुम्हारे गैग को देने के लिए पैसे ही कहा है I"



होशाग ने सीट के नीचे हाथ डालकर काले रग की इलास्टिक की बेल्ट निकाली और उसे मोना चौधरी को थमाकर बोला I

"जब मैं कहूं इसे आखों पर चढा लेना I इस तरह कि कुछ भी नजर न आए I "


मोना चौधरी बैल्ट को हाथ में लेकर उसे देखने लगी I


"आज के वक्त में समझदार इंसान वहीँ हे जो अपना काम निकाल ले I" होशाग ने कहा-" तुम भी अपना काम निकालो I चियाग के कब्जे से सीक्रेट की वह फिल्म निकाली जानी चाहिए सबसे पहले उसके बाद जो होगा, उसी के मुताबिक काम करेगे I अगर चियाग ने चीन से उस फिल्म का सौदा कर लिया तो फिर तुम्हारे हाथ कुछ भी नहीं लगने चाला I "

"लेकिन मिस्टर होशाग...!"

"मिस मोना चौधरी I." होशाग' ने उसकी बात काटकर गम्मीर स्वर मेँ कहा…"मैं तुम्हें अपने गैग के नेता के पास ले जा रहा हू I वहा पर उससे, और अन्य मौजूद साथियों से कैसे .बात करनी हे वह मैँ तुम्हें बता देता हू समझा देता हू। आगे . I तुम्हारी समझदारी I "


"मुझे हिंदुस्तानी सीक्रेट की वह फिल्म चाहिए । उसे हासिल करने की एवज में मुझे जो भी करना पडा, वह मैं करूंगी । " मोना चौधरी ने दृढ स्वर में कहा । ~


"गुड I तो अब तुम मेरी बात ध्यान से सुनो और उस पर समझदारी से अमल करना । "


@@@

मोना चौधरी की आखो से जब पट्टी हटाई गई तो दो पल के लिए उसे सिवाय अधेरे के और कुछ भी नजर नहीं आया ।


वहा फैली तेज रोशनी ने जैसे उसे अंधा कर दिया था I फिर.....


धीरे धीरे उसकी आखें अघेरे मेँ देखने की अभ्यस्त होती चली गई ।



वह दस बाई दस का कमरा था I



कमरे के बीचो-बीच गोल टेबल के गिर्द पाच कुर्सिया थीं । जिस पर तीन व्यक्ति मौजूद थे I एक चीनी था और दो लोकल ही लग रहे थे परंतु चीनी नस्ल का मिश्रण उनमें था I उसकी अपनी बगल मे होशाग खडा था I


मोना चौधरी ने उन तीनों को गहरी निगाहों से देखा I मिश्रित नस्ल वाला ही उसे गैंग का लीडर लगा I जोकि पैनी निगाहों… से उसे सिर से पाव तक बारबार देख रहा था।


खासतौर से उसकी छातियों की तरफ I. उसकी आखै बता रहीँ थी कि अगर उसका बस चलता तो सब कुछ वह अभी कर गुजरता । लेकिन वह खुद को रोके, बेहद शालीन तरीके से बैठा था ।।

अन्य दोनों भी उसके जिस्म की तरफ़ तचल्जी दे रहे थे ।


"सर I " होशाग ने उसे ही कहा जिसे कि मोना चौधरी गेंग का नेता समझ रही थी…"यह खडी है पार्टी । आप लोग इससे बात कर सकते हैं।"


नेता सतर्क नज़र आने लगा I

होशाग आगे बढकर कुर्सी पर जा बैठा ।


"क्या चाहती है यह I" नेता ने होशाग से पूछा परंतु निगाह मोना चौधरी पर थी ।



"आप खुद ही बात कर लीजिए मिस्टर शागली ।" होशाग ने कहा ।



~शांगली ने सिगरेट सुलगाते हुए मोना चौधरी से कहा I


" बैठो !"


मोना चौधरी आगे बढकर खाली पडी पाचवीं कुर्सी पर जां बैठी ।



"क्या नाम हे तुम्हारा ?"


"मोना चौधरी ! ”

"हिंदुस्तानी हो ?"

"हा । "

शागली ने -कश लेकर अपने साथियों को देखा । फिर मोना चौधरी को ।

"यह तुम्हे कहा मिलीं ?” शागली ने होशाग को देखा ।

होशाग अपने माथे पर बल ले आया । उसने अन्य दोनों साथियों को देखा फिर शागली पर निगाहें टिकाकर अप्रसन्न स्वर में बोला-"मिस्टर शागली आप बेहद ही अजीब सा सवाल कर रहे हैँ ।"



"क्या मतलब? ” शागली ने होशाग को घूरा !!


" मैं किसी को लाया हूं । वह कोई काम चाहती है और हम वह काम कर सकते हैं अगर हमें पूरी कीमत मिले तो । अब इस सवाल की गुजाइश ही कहा रह जाती है कि यह मेम साहब मुझे कहा मिली और कहा नहीं । आप इससे बात कीजिए । मामला तय कीजिए, नहीं तय होता तो इसे बाहर पहुचा देते हैं ।



"लेकिन I ” शागली के चेहरे पर सख्ती नाची-" मेरी बात का जबाब देने में तुम्हें क्या एतराज है I”


"बेकार के सवालों का जबाव देने में एतराज होता ही है I होशाग ने शात स्वर में कहा…"मुझे आशा है किं भविष्य में आप ऐसा कोई सवाल नहीं पूछेगे I इस वार ज़वाब दे देता हूं I मात्र तीन घटे पहले यह मुझे एक रेस्टोरेटे में परेशानी की अवस्था में बैठी नज़र आई I खूबसूरत तो हे ही आप देख ही रहे हैँ I विदेशी भी है I यह सोचकर इसके पास पहुच गया कि इसे किसी प्रकार की सहायता की जरूरत ना हो I उसके बाद मेरे और मोना चौधरी के ब्रीच जो भी हुआ, उसे बताने की मैं जरूरत नहीं समझता। अत में यह मेरे सामने खुल गई कि असल में यह क्या चाहती. है I "


शागली की निगाह पुन मोना चौधरी पर जा टिकी I गैग के चुप बैठे अन्य दो ओहदेदारों में से एक बोला ।


"यस मिस मोना चौधरी I आप हमसे क्या करबाना चाहती हैं ?”

सबकी निगाहे मोना चौधरी पर थीं I


मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगाई औंर सब पर भरपूर निगाह डाली ।


"काम बहुत ही अहम और गोपनीय हे । " मोना चौधरी ने. होठ खोले I


"वहीँ तो हम जानना चाहते हैँ I ” शागली ने सपाट स्वर में कहा ।


"जानना तो आप अवश्य चाहते हैं-लेकिन मैं आपको बताना भी ठीक नहीं समझती I मैं इस बात का विश्वास केसे कर लू कि हममें मामला पट जाएगा। ना पटने की सूरत में बात लीक हो जाएगी I और ऐसा होना हमारे लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता हे । "

चारों ने एकदूसरे को देखा ।

फिर मोना चौधरी को I


"बात लीक कैसे होगी ?'"


"आप लोगो के द्वारा... ।"


"लेकिन हम क्यों लीक करेगे ?" गैग का ओहदेदार बोला ।।
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

"सौदा न पटने की सूरत में ऐसा हो सकता है । आप लोग किसी से इस बात कां जिक्र कर सकते है' I "


शागली ने नकारात्मक अदाज में सिर हिलाया' I


" नही , हमारे यहा ऐसा कभी नहीं होता । भरोसे पर ही हमारे. धघे टिके हुए है I इस तरह बातें लीक होने लगी तो हमारे पास आएगा कौन ? " कहकर शागली ने अपने सिर पर हाथ फेरा ।


" तो मै I आप लोगों पर विश्वास करके अपनी बात शुरू ~ करू' ?"


. "बेशक ! "


मोना चौधरी ने कश तिया और गम्भीर स्वर' मेँ कह उठी ।


“ चियांग के बारे मेँ तो आप बखूबी वाकिफ होगे?"


"चियाग !" दोनों ओहदेदार और शांगली चौका । . »


. "हां ! चियांग I" मोना चौधरी का स्वर सख्त गया । " उसी चियाग की बात कर रही हूं जिसका नाम सुनते ही आप चौके I जो चीन का नम्बर वन पिट्ठू हे I "


शागली की आखे सिकुड गई ।


"तुम्हारा चियाग से क्या वास्ता ? " शागली ने पूछा ।


"वही तो बताने जा रही हू। "

"पहले तुम अपने बारे मेँ बताओ I तुम कौन हो ?"


"मैं हिंदुस्तानी मिलिटरी सीक्रेट सर्विस की ऐजेंट हूं। " मोना चौधरी ने सपाट स्वर में कहा ।



शांगली चौका । हैरानी से उसकी आखें चौडी हुईं ।।


दोनों ओहदेदार फौरन सीधे हो गए I

’होशाग' इस दोरान आराम से बैठा रहा I


कई पलों तक वहां मौत का सा सन्नाटा छाया रहा I


"तुम...!" शांगली ने होशाग को देखा…"जानते थे कि यह हिंदुस्तानी एजेट है ? "


" हां !"


" जिक्र नही किया ?"

" क्या जरूरत थी I इसने जिक्र कर ही देना था । " होशाग ने शात स्वर में कहा ।


शांगली की निगाह पुन मोना चौधरी पर जा टिकी।


"अब बोलो क्या चाहती हो तुम? " एक ओहदेदार बोला।


मोना चौधरी ने कश लिया ओर कह उठी ।


"चीनी एजेट हमारे सीक्रेट की फिल्म बनाकर यहा आ गया था । यहां उसने, अपने साथी एजेंट को सीक्रेट की फिल्म सौंपनी थी, परतु चियाग को पहले से ही इस सारे मामले की भनक थी I उसने उस एजेट की हत्या कस्के सीक्रेट की फिल्म अपने कब्जे में कर ली और चीन से उसका सौदा करने-लगा I हमारे दो एजेट पहले भी चियाग से फिल्म हासिल करने आ चुके हैं । परंतु चियाग ने उनकी जान ले ली । अब मैं आई हूं I और इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हू कि बिना किसी की सहायता से काम पूरा नहीँ हो सकता । यह तो इत्तफाक ही रहा कि रेस्टोरेंट में मिस्टर होशाग से मुलाकात हो गई ओर.....!" मोना चौधरी ने शब्द अधूरे छोढ़ दिए।


"तो तुम चाहती हो कि हम चियाग से सीक्रेट फिल्म हासिल करने में तुम्हारी मदद करें ? " ओहदेदार बोला


" … हा I"



शागली ने सोच-भरी मुद्रा मेँ नईं सिगरेट सुलगा ली थी I


"तुम्हें मालूम है चियाग से कुछ भी हासिल करना बेहद असम्भव काम है I " दूसरे ओहदेदार ने कहा ।


" मालूम है I ” मोना चौधरी ने सिर हिलाया-"तभी तो आप लोगों की सहायता माग रही हू I"


होशाग ने शागली को देखा I


दोनों ओहदेदार भी अब शागली को ही देखने लगे थे । मोना चौधरी एक एक के चेहरे को परख रही थी ।


"मेरे ख्याल मे । " होशाग ने कहा…"यह काम हमारे बस का नहीँ है । "


एक ओहदेदार ने फौरन सिर हिलाया I


"मेरा भी यहीँ ख्याल हैं I यह चियाग जैसे इसान से ताल्लुक रखता मामला है । "


"और भविष्य मेँ चियाग को इस बात की हबा भी मिल गई कि हमने उनके खिलाफ हिदुस्तानी एजेंट-का साथ-दिया था वह हमारे गैग क्रो पूरी तरह तबाह कर देगा। लाशे बिछा देगा ।" दूसरे ओदेदार ने कहा ।


" चियाग के मामले मे दखल देना ठीक नहीI" उसने पुन कहा I


मोना चौधरी बेहद शात बैठी थी I


होशाग की निगाह शागली पर थी ।


" बोलो शांगली !" मोना चौधरी बोली…"तुमने क्या सोचा ?"


"सारी मिस मोना चौधरी।" ओहदेदार ने कहा---"यह काम नहीं हो सकेगा । "



' "शटअप I " शागली ने सख्त निगाहों से ओहदेदार कौ देखा…" तुम्हें बीच में बोलने को किसने कहा ? " ओहदेदार खामोश हो गया ।


~ शामली ने मोना चौधरी को देखा।


"तुम चियाग तक पहुचना चाहती हो ?”


"हा I "



" चियाग से हम तुम्हारा हाथ तो मिलाएंगे नहीं । अलबत्ता I कुछ पहले से ही तुम्हें यह बता देगे कि उस जगह पर चियाग है I आगे तुम जानो और तुम्हारा काम कि फिल्म ला पाती हो या नहीं I



"मजूर है । "


शागली ने होशाग को देखा I .


" चियांग इस वक्त कहा है ?’”



" अपने टापू पर I"


शामली ने होठ भीचकर मोना चौधरी को. देखा I


"ओके I हम तुम्हें चियांग तक पहुचा देगे I परंतु इस काम में खतरा बहुत हे।"



"काम करोगे तो खतरा तो उठाना ही पडेगा !"


"बदले में हमें क्या मिलेगा ?"



" तुम बोलो, क्या चाहते हो ?"
"यहीँ तो मैं तुमसे जानना चाहता हू कि तुम क्या दे सकती हो ?"


"मेरी बात छोडो I मैं तो बहुत कुछ दे सकती हू ! लेकिन शायद. तुममे ही ले पाने की हिम्मत ना हो I ”


"तुम देने की बात करो । " शागली बोता…"मैँ ले लूंगा I "


दोनों कई पलो तक एक दूसरे की आखों में देखते रहे I


"मुह तुम खोलोगे शागली । " मोना चौधरी ने सिर हिलाकर कहा ।



शागली ने कश लेकर सिगरेट ऐश ट्रे मेँ मसली फिर कह उठा I


"पच्चीस करोड अमरीकी डालर I "


"दिमाग तो नहीं खराब हो गया तुम्हारा I" मोना चौधरी फौरन उठ खडी हुई--।


"क्या मतलब ? ”

शामली के माथे पर बल पड गए ।

" पच्चीस हजार डालर तो तुम तब कहो, जब तुम चियाग से वह फिल्म मुझे लाकर देने का वायदा करो l‘ मुझे मात्र चियाग तक पहुचाने और दूर से उसका ठिकाना दिखाने की एवज में पच्चीस हजार डालर भी बहुत ज्यादा हैं I ”


"चियाग के ठिकाने को दूर से दिखाना भी हिम्मत का काम है I" शागली ने कडवे स्वर में कहा ।


"यह हिम्मत का काम तो थोडे बहुत पैसे लेकर कोई भी कर सकता हे I"


"भूल हे तुम्हारी I तुम नहीँ जानतीं कि रास्तों मे कैसी केसी अडचने हैं I "


"जब अढ़चने आएगी, मै देख लूगी I तुम काम की कीमत ठीक बोलो नहीं तो मैँ चलू I मेरे पास एक और रास्ता भी है I वहा कम कीमत में अच्छे ढग से काम होगा I "


"कैसा रास्ता ?"


" वान ली I "


"वह हरामजादा I " शामली दात भीचकर बडड़ाया l

" मूझे नहीं मालूम वह हरामजादा है कि नहीं I लेकिन मेरे पास उसका पता है और मेरे चीफ ने किसी प्रकार की दिक्कत आने पर, वान ली से सौदा पटाने और बात करने को कहा था I "
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

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"नाम मत लो उस हरामजादे का I वह कई बार हमारा काम खराब कर चुका हे I" शागली खतरनाक स्वर में गुर्राया- "साला हाथ नहीं लग रहा, वरना कब का मारा गया होता वह।"

मोना चौधरी की निगाह शागली पर थी ।


"बान ली का पता बताओ I "





"क्यों ?" मोना चौधरी ने कड़वे स्वर में कहा…"ताकि तुम उसकी हत्या कर सको ?”


… "हा | वह....!"


"तुम लोगों के मामले में मैँ नहीं पढ़ना चाहती I मुझे सिर्फ अपने काम से मतलब है । "


शागली मोना चौधरी को घूरने लगा I

मोना चौधरी उसकी निगाहों से बेपरवाह खडी रही I


"बोलो शागली! भाव कम करते हो या मै वान ली के पास जाऊ ?"

तभी होशाग कह उठा ।


"तुम कितना दे सकती हो ?"

मोना चौधरी ने होशाग को देखा । .

"अगर फिल्म मुझे लाकर दे दी जाए तो हिन्दुस्तानी एक करोड रुपया I "


"नही तो ?"


"अगर मुझे चियांग के ठिकाने तक ही पहुचाना हे तो पचास लाख रुपया I ” मोना चौधरी ने सपाट स्वर में - कहा…"इसमें कोई गुजाइश नहीं हे कि रकम को बढाया जा सके I इतनी रकम तक ही सौदा करने के मेरे पास आर्डर हैं I इससे ज्यादा तो मैं एक रुपया भी नहीं दे सकती । "

पल-भर की खामोशी के बाद शागली ने सिर हिलाया ।


"यह तो कम हैं I "


"रहने दो I मैँ वान ली के पास जाकर । "


"तुम उस हरामजादे के पास नहीं जाओगी I ” शांगली दहाडा ।

"मैं तुम्हारी गुलाम नहीं हूं जो तुम इस तरह मुझसे पेश आओ । " मोना चौधरी सख्त स्वरं में कह उठी-"अगर हम में सौदा नहीं पटता' तो किसी से तो सौदा पटेगा ही I " मोना चौधरी मन ही-मन मुस्करा रही थी I

होशाग ने ठीक ही बताया था कि शागली के साथ कैसे बात करनी है I वान-ली का नाम सुनकर शागली तडप उठा था I दोनों में धधे की दुश्मनी थी और दोनों सगे भाई थे I शागली ने अपने पर काबू पाया और होशाग तथा दोनों ओदेदारो को देखा ।


"तुम लोगों की इस बारे में क्या राय है ?"


~ "आप खुद ही फैसला कीजिए मिस्टर शागली I " ओहदेदारों ने कहा I


"इस समय हमारे सामने दो बातें अहम हैँ I " शागली ने होशाग को देखा I I

"क्या बात ?"


"नम्बर एक तो वान…ली के पास यह लडकी नहीं पहुचनी चाहिए I उसे पैसा मिलेगा तो वह अपने धधे को और भी मजबूती से जमाएगा । सवाल काम का नहीं, उसके पास पैसा आने का है जितना पैसा वान ली के पास आएगा वह खुद को मजबूत करता चला जाएगा I "


"यह बात तो ठीक है I " होशाग ने गभीरता से सिर हिलाया I


"और दूसरी बात तो यह हे कि आज़ हमारे गैग को हथियारों के लिए खुद पैसे की जरूरत है I ” शामली ने गभीर स्वर में कहा-"इससे मिलने वाले पैसे से हम हथियारों की पूर्ति कर सकते हैं I "


" गुड I ” होशाग ने सिर हिलाया-"यह बात तो बहुत अच्छी कहीँ I "


" मेरे ख्याल में हमें पचास लाख वाले सौदे पर हा कर देनी चाहिए I"


" नहीं । " एक ओहदेदार ने फौरन टोका ।


"क्यों ?" शांगली ने तीखी निगाहों से उसे देखा ।
"यह चियाग से वास्ता रखता मामला हे I अगर उसे इस बात की भनक भी पढ़ गई और उसकी टेढी निगाह हम पर पड़ गई । तो हमारे. साथ…साथ वह गैंग को भी खत्म कर देगा I" ओहदेदार ने एक एक शब्द चबाकर कहा…"थोड़े से पैसों की खातिर हम अपने लिए तबाही नहीं ला सकते । "


"थोबड़ा बद रखो I " शागली गुर्रोंया I


"यह ठीक तो कह रहा है I ” दूसरा ओहदेदार बोला ।


" गैंग का बडा मैं हू तुम नहीं I मुझे मालूम हे किं हमारे गैंग' को हथियारों की ज़रूरत है और हथियारों के लिए दौलत की । आने वाले वक्त में हमारे पास हथियार कम हो गए तो बात किसके ऊपर आएगी मेरे ऊपर I दल के नेता के ऊपर I' शामली ने सख्त स्वर में कहा ।


"ऐसा है तो हम कुछ और करके भी दौलत हासिल कर सकते हैं । " ओहदेदार बोला I


"यह काम क्यों न करें l”


" इसमें खतरा है I "


"परवाह नही खतरे की अगर हम खत्तरे से डरने लगे तो... I "


"तुम नहीं डरते माना लेकिन जो लोग इस काम मे लगेगें । वे तो जान से जा सकते हैं । "

शांगली ने दात भीचकर ओहदेदार को घूरा I


"ठीक हे इस काम में मोना चौधरी के साथ मैं रहूगा । "


" तुम- ? " ओहदेदार चौका' ।


" 'हा मै' I मैं भी साथ चलूगा । यह काम पूरा हो गया तो हमें दो फायदे होगे । गैंग मेँ हथियारों की पूर्ति पूरी हो जाएगी और हमारा दुश्मन वान ली मोना चौधरी से पैसा नहीँ कमा पाएगा I "


इसके बाद कोई ओहदेदार नहीं बोला ।


शागली ने मोना चौधरी को देखा I


"मुझे पचास लाख़ बाला सौदा मजूर है I " शागली ने कहा…"पच्चीस लाख एडवास I "


"एडवास तुम्हें दो दिन बाद मिलेगे I" मीना चौधरी ने विश्वास-भरे स्वर में कहा-"मैँ अपने साथी क्रो खबर कर देती दूं I पैसा कहीं पडा है, उसे लाने में दो दिन लगेंगे' I "

"ठीक है जब हमें पैसा मिलेगा I " शांगली कह उठा --- "'तब हम काम की शुरुआत करेगें I ”


"नहीं काम की शुरूआत तो अभी हो जाएगी I " मोना चौधरी ने कहा…"मैं । "


"बिना पैसा लिए हम काम की शुरुआत नहीं करते I "


" मिस्टर शागली" I " मोना चौधरी ने शागली की आखो में झाका'-"काम हम अभी शुरू करेगे I दो दिन बाद मेरा आदमी तुम्हें पच्चीस लाख़ दे देगा I जिस सीक्रेट फिल्म को मैने
हासिल करना है वह मैं तुम्हें दे दूगी अगर उसे हासिल कर पाई तो I वापस आकर अपनी तसल्ली कर लेना कि पेमेट मिल गई कि नहीं । "


"तुम वहा मारी भी जा सकती हो चियाग तुमसे मजे लेकर तुम्हे साफ भी करा सकता है I "

"तो ?


"तब हमारो पेमेट का क्या होगा ? इस बात को मद्देनजर' रखते हुए तो हमें एडवास में पूरे पचास लाख मिल जाने चाहिए I ” शागली ने एक एक शब्द, चबाकर मोना चौधरी की आखों में झाका ।


" तुम लोगों को पूरी पेमेट ही मिल जाआऐगी शागली I"


"वह कैसे ?”


"मेरा एजेट साथी देगा I " मोना चौधरी बोली…"मै' उसे अभी फोन कर देती हू I डेढ दिन या दो दिन के भीतर वह पच्चीस लाख देगा और यही पर रहेगा, मेरी वापसी, होने तक । अगर मै वापस नहीं आ सकी तो मेरा वह ऐजेंट साथी बाकी . पच्चीस लाख देकर चले जाएगा I ”


शामली ने पहलू बदला ।


"मामला जमा नही I " शागली ने सिर हिलाया I


"हम पेमेट पहले लेते है' I " ओहदेदार बोला I '


"यह बात नहीं बनेगी I " मोना चौधरी ने कहा…"मैं पैसे हाथ में लेकर नहीं घूमती । हमारे पास तो हथियार हौते हैं और हम लोग वायदों पर खरे उतरते हैँ I वान ली हमारे लिए पहले भी काम कर चुका हैं I दो बार तो,उसे सप्ताह बाद पेमेट दी गई I वह जानता है कि हम चीटिग नहीं करते ।"


"फिर तुमने वान ली का नाम लिया। " शागली गुर्राया ।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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-- 007

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