आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete

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007
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

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वही हुआ, जैसा मोना चौधरी चाहती थीं I



चियाग ने मोटरबोट की ड्राइविंग सभाली और मोना चौधरी पीछे वाली सीट पर बैठ गई । हाथ में रिवाल्वर दबा हुआ था I रुख ड्राइबिग सीट पर बैठे चियाग की पीठ की तरफ था I


चियाग ने बोट स्टार्ट की और आगें बढा दी I



ठडी' हवा का झोका' उसके पसीने से भरे शरीर से टकराया I सकून मिला राहत मिली I सब कुछ ठीक होने के बाद भी मोना चौधरी… चियाग के . प्रति लापरवाह, नहीं हुईं थी'। वह जानती थी कि वह मौत के खेल का आखिरी दोर हे I जरा सी भी बाजी पलटी तो खेल खत्म । वह भी खत्म I

चियाग उसे मारकर उससे फिल्म बरामद करके उसे फौरन समदर की मछलियों के हवाले कर देगा ।



चियाग एक घटा बोट ड्राइव करता रहा I इस बीच उसने बीसियों बार गर्दन घुमाकर मोना चौधरी को देखा था परंतु I मोना चौधरी को उसने अपने प्रति हर बार सतर्क पाया या I


करीब घटे-भर की खामोशी के बाद मोना चौधरी ने चुप्पी तोडी I



"चियाग I माई डार्लिंग' I तुम कितने अच्छे हो I“ मोना चौधरी ने शोख और कड़वे स्वर में कहा I


"चियांग कुछ ना बोला l जाहिर हैं उसने होठ भीच लिए होगे I


"मैं तुम्हारे अड्डे पर गई-तुमने मेरी सेवा की वेड पर भी I नाचे भी मारधाढ़ भी की और अब अच्छे मेजबान की तरह मुझे विदा भी करने जा रहे हो I सच चियाग तुम बहुत अच्छे हो I चीनियों के प्रति मैने नई राय कायम की है I "



चियाग फिर भी कुछ न बोला ।



"बस एक गडबड हो-गई है I " मोना चौधरी ने मुह बनाया I


इस बार चियाग ने गर्दन घुमाकर मोना चौधरी को धूरा । फिर सामने देखने लगा I I


"तुमने पहले मुझे टापू से निकाल देने का वायदा किया I मैं तुम्हारे झासे में आ गई । फिर धोखे से तुमने मुझ पर वार कर दिया I अगर मै तुम्हारा मुकाबला न कर पाती तो मैं तो गई थी ना I"


चियाग ने पुन गर्दन घुमाकर पीछे देखा I उसके होठ भिचे हुए थे I



"तुम्हारे शब्द तुम्हारी आवाज वादाखिलाफी की तरफ जा रही है ।" चियाग बोला I


"मौत. की शतरज में वायदे नहीं गोलियों का इस्तेमाल होता है चियाग I


एकाएक मोना चौधरी फुफकार उठी-"तुम्हे जिदा छोढ़ देने का मतलव है अपनी मौत को दावत देना तुम हर तरफ से साधनसपन्न हो I हिदुस्तान तक तुम्हारे हाथ फैले हैं I तुम आजाद हौते ही फोरन मेरी मौत का....आर्डर सबको दे दोगे । और फिर कब तक मैँ बचती फिरूगी तुम्हारे हमलों से I कभी तो कोई गोली मुझे खा ही जाएगी I इसलिए बेहतर है जड को ही जला दिया जाए I "



एकाएक बोट की स्पीड धीमी होने लगी I


"इसलिए मैं तुम्हारे सिर का निशाना लेने जा रही हू। " यही वह क्षण थे जिन्होने जिदगी और मौत का फैसला करना था I चियाग ने किसी चीते की भाति उठते हुए पलटते हुए, मोना चौधरी पर छलाग लगा दी । वह सब मात्र क्षण में हुआ । मोना चौधरी क्रो इस बात की पूरी पूरी आशा थी ।



मोत को सामने देखकर कोई भी हाथ पर हाथ रखे नहीं बैठ सकता । और चियाग तो बिल्कुल ही नहीं बैठ सकता ।


पलकक झपकते ही मोना चौधरी अपनी जगह से खडी होकर एक तरफ हट गई । चियाग सीधा उस जगह से जा टकराया जहा मोना चौधरी बैठी थी I बोट को एक तीव्र झटका लगा I बोट पर खडी मोना चौधरी का वैलेस' बिगडा वह समदर में गिरने को हुई तो कठिनता से उसने खुद को सभाला I तव तक चियाग सीधा हो चुका था और उस पर झपटने ही जा रहा था I बिना पल.की देरी, के मोना चौधरी ने अपने जूते की ठोक उसके पेट व कमर में मारी I ठोकर तगडी तो न पडी , परंतु फिर भी चियाग का ध्यान दो पल के लिए बटाने के लिए काफी थी। चियाग ने ठोकर से बचने की चेष्टा की I ठीक उसी समय मोना चौधरी ने दात भीचकर रिवाल्वर सीधी की और ट्रेगर दबा दिया । फायर की तेज आवाज गूजी ! गोली चियाग की छाती में लगी । उसके शरीर को तीव्र झटका लगा

मोना चौधरी ने पुन ट्रैगर दबाया ।


गोली चियाग की नाक को फोढ़ती हुई भीतर जा घुसी I उसके चेहरे के चीधड़े उढ़ गए I चद पल तो चियांग उसी तरह खडा घूरता रहा I और जब बेजान होकर बोंट. पर गिरने लगा तो मोना चौधरी ने दात किटकिटाकर जोरदार ठोकर उसे मारी I

चियाग का शरीर उछला और समदर मेँ जा गिरा ।


मोना चौधरी रिवाॅल्बर थामे मौत से भरी मुद्रा में कई पलो तक उसी तरह खडी समदर क्रो निहारती रही I फिर गहरी सास लेकर रिवाल्वर वापस रखी I अब रिवल्बर में मात्र एक गोली शेष बची थी I


मोटरबोट का इजन स्टार्ट था, परंतु उसकी गति अब ना के बराबर' थी I


आगे बढकर मोना 'चौधरी बोट की ' ड्रीइविग सीट पर बैठी I सिगरेट सुलगाकर कश लिया I फिर स्पीड के साथ बोट आगे बढा दी I एक निगाह चारों तरफ मारी I गहरा अघेरा हर तरफ था । समदर की सतह भी काली ही थी I चंद्रमा जब बादलों क्री ओट से निकलता तो समदर अवश्य चमक उठता था I .


मोना चौधरी ने निगाह सामने कर ली I होंठो के बीच सुलगती सिगरेट फसी थी I बोट पूरी रफ्तार के साथ दौडी जा रही थी I


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भोर का उजाला फैल चुका था I लोगों का आना जाना शुरू हो गया था । सडकों पर वाहन भी नजर आने शुरू हो गए थे I मात्र दो घटे पहले होशाग अपने मुर्गीखाने जैसे घर में आकर सोया था I सारा दिन और फिर रात के सफर ने उसे थका मारा था I


जोर जोर से दरबाजा खटखटाने की आवाजें सुनकर कठिनता से उसकी नीद' टूटी । वह समझ नहीँ' पाया कि इस वक्त कौन हो सकता है I नीद में ही डूबे झल्लाते हुए उसने आगे बढकर दरवाजा खोला तो रिवाॅल्बर की नाल होशाग के पेट से आ लगी ।

नीद' से भरी होशाग की आखें पूरी खुलती चली गई' I


सामने मोना चौधरी खडी थी I


"गुड मार्निंग होशाग I"


"तु तु तुम? ? "


" तो तुम क्या समझते हो कि मुझे मौत के मुहे में झोककर' खुद . चैन की नीद' ले लोगे ?" मोना चौधरी ने उसे रिवाल्वर की ताल के जरिए भीतर किया और खुद भी आगे बढकर दरवाजा बद किया ।

होशांग तो अभी तक सकते की-सी हालत मेँ था-"तुम्हारे बाप चियाग को तो मैंने शूट करके समदर में फेक दिया और जो मुझे चाहिए था वह भी मैं उससे ले आई।"


होशाग की आखें और फैल गईं I


"तुम I तुमने चियाग को मार दिया ?"


रिवाल्वर की नाल के दम पर उसे धकेलती हुईं मोना चौधरी भीतर ले आई । मोना चौधरी के चेहरे पर मौत के भाव नाच रहे थे । आखें सुलग रही थीं।



"याद है होशाग I मैने' तुम्हें यही पर कहा था कि मेरे साथ होशियारी मत करना । "



हौशाग. ने सूखे होठो पर जीभ फेरी I मुझे सिर्फ एक सवाल का ज़वाब चाहिए I ”


"क क्या ?" होशाग का स्वर लढ़खड़ा रहा था ।


"तुम मुझे सीधे तौर पर आसानी से चियाग तक ले जा सकते थे फिर तुमने शागली को बीच में क्यों लिया ?”


"द...दो बाते थीं I" होशाग सूखे होठो पर जीभ फेरकर रिवाल्वर को देखता हुआ बोला…"अगर मैं तुम्हें सीधे तौर पर ले जाता तो तुम मुझ पर शक कर सकती थी कि मैं तुम्हें लेकर चियाग तक आसानी से केसे पहुच गया I और दूसरे शागली गैग का लीडर था जबकि मैं लीडर बनना चाहता था I उसे रास्ते से हटाना बहुत जरूरी था I इसलिए उसे बीच में लिया कि चियाग शागली को जिदा' वापस नहीं आने देगा I "


" यानी कि एक तीर से दो शिकार मोना चौधरी मौत से मरी हसी हसी I"


होशाग को स्पष्ट तौर पर अपनी मौत नजर आ रही थी ।


"प्लीज मुझे मत मारना । ” होशाग घबराए स्वर में कह उठा…"मैं तुम्हें समझ नहीं सका था I वास्तव में मुझसे भूल हुई । भविष्य में तुम्हें कभी भी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा I"



"मैं जानती हूं कि भविष्य में तुमसे मुझे कभी भी शिकायत नहीं होगी I" मोना चौधरी ने वहशी स्वर मे कहा रिवाल्वर की नाल सीधी की I दहशत से होशाग का मुह खुल गया I



"नहीं I" पागलों की तरह होशांग रिवाल्वर पर झपटा ।

मोना चौधरी ने तुरत रिवाॅल्बर वाला हाथ पीछे किया, दूसरे हाथ से होशाग के सिर के बालों को पकढ़कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके खुले मुह में रिवाॅल्बर की गाल घुसेड़कर द्रेगर दबा दिया I


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मिस्टर पहाडिया ने सिर हिलाकर गभीर निगाहों से मोना चौधरी क्रो देखा।


"मुझे इस बात पर कोई हैरानी नहीं कि होशाग हमारे साथ गद्दारी कर रहा था और हमारे पहले दोनों एजेट होशाग की गद्दारी के कारण मरे I हम लोगों की जिदगी हीं ऐसी होती है I कौन एजेट' कब गद्दारी पर उतर आए यह मालूम ही नहीं हो पाता I कब कौन कत्ल कर दे पता नहीं चलता । बहरहाल. मुझे खुशी है कि तुमने समझदारी के साथ इन सबका मुकाबला किया और काम में सफल होकर वापस लौटीं I


मोना चौधरी के होठो पर हल्की सी मुस्कराहट उभरी I


" वह फिल्म तो तुमने नष्ट कर दी होगी ?’” मिस्टर पहाडिया ने पूछा I


अगले ही पल मोना चौधरी ने जेब में हाथ डाला और चने के दाने के समान छोटी सी फिल्म जेब से निकालकर. मिस्टर पहाडिया के सामने रख दी I


मिस्टर पहाडिया की आखो में चमक उभरी और होठ' सिकुड गए I



" बडरफुल I " मिस्टर पहाडिया ने वह फिल्म उठा ली । करीव ही खडे के के कालिया ने हैरानी से मोना चौधरी को देखा…"तुम फिल्म अपने साथ ले आई ?"


र्मोंना चौधरी ने एक मुस्कराहट उस पर डाली I


"यह तो तुमने बहुत बडा रिस्क लिया I ऐसी चीज तो हाथ . आते ही नष्ट कर देते हैँ।"


"ऐसी चीजों को सभालकर रखना मेरे लिए मामूली काम है। भोना चौधरी:ने कहा ।
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज

Post by 007 »

" छिपाकर लाईं ?" कालिया ने पूछा !


"हां !!"
" एयरपोर्ट पर मशीन चैकिंग में यह फिल्म सामने भी आ सकती थी I कहा छिपाया था ???"


" वही !"


"क्या वहीं ? ” कालिया नें असमजस भरी निगाहों से उसे देखा I



"वही"


"मैं मैं समझा नही ।"


"नही समझें ?"


"नहीं !"



" बिलकुल भी नहीँ ?" सोना चौधरी के होठो पर गहरी मुस्कान फैली थी ।



वह कुर्सी से उठ खडी हुईं।



कालिया ने नकारात्मक अदाज में सिर हिलाया I


"तुम्हारी बीवी है ?"


"हा।है।"


"घर पर है ?"


"हा I " कालिया ने सिर हिलाया I ~


मोना चौधरी ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया I


"तो घर जाकर अपनी बीबी को सारी बात बताना I वह तुम्हें फौरन बता देगी कि मेरा वहीँ क्या हे…क्योकि हर. . औरत .का "वंही" वही होता हे I " मोना चौधरी ने कहा और बाहर निकलने वाले दरवाजे की तरफ बढ गई I


मिस्टर पहाडिया ने मोना चौधरी को. कुछ कहने के लिए मुह खोला कि फिर जाने क्या सोचकर गहरी सास लेते हुए कहने का इरादा छोइ दिया I


जबकि कालिया का चेहरा मोना चौधरी का ’वहीं' जानकर कानों तक लाल सुर्ख. हुआ पडा था I


मोना चौधरी दरवाजा खोलकर बाहर निकल चुकी थी I


समाप्त
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