विकास दी ग्रेट complete

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007
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Re: विकास दी ग्रेट

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अचानक हॉल के एक अन्य स्थान का फर्श हटा और मोंगपा का जिस्म नीचे आया। दोनों के हाथों में रायफलें थीं । दोनों एक-दूसरे के सामने प्रतिद्वंद्वी के रूप मे खडे थे । मोंगपा गुर्राया-“यहां केवल हम और तुम निबटेंगे ।"


धांय !


कहने के साथ ही मोंगपा ने एक फायर किया परंतु तभी. . .धांय---लगमग उसी समय विकास ने भी गोली चला दी । उसका निशाना मोंगपा के रिवॉल्वर से निकली हुंई गोली थी ।


जैकी द्वारा सिखाई गई कलानुसार दोनो गोलियां हवा में टकराकर बेकार होगई ।


मोंगपा अबाक् !


उसकी आंखें हैरत से फैल गई । गोली से गोली के टकराव का यह करिश्मा कदाचित् वह अपने जीवन में पहली बार ही देख रहा था ।


मोंगपा ने तभी एक फायर और किया कदाचित् उस समय वह हैरत में पड़ गया जब बिकास ने फिर वही करिश्मा दिखाया । अवाक्-सा मोंगपा चौदह वर्ष के उस लड़के को देखता रह गया । तभी विकास उसकी तरफ देखकर थोडा-सा मुस्कराया और बाई आंख दबाकर बोला-“कहो सूअर के बच्चे, क्या हाल है?"

कहने के साथ ही इस बार उसने स्वयं फायर किया । गोली सीधी मोंगपा के हाथ में दबी रायफल से टकराईं । रायफल छिटककर दूर जा निरी । विकास अब भी उसके सामने, रायफल लिए खडा था । वह मोंगपा की तरफ़ देखकर गुर्राया----"बोल कमीने! पहुचा दूं खुदागंज?"



मोंगपा कांप गया । सामने खडा था-साक्षात् यमराज । उसने विकास के बिषय में सुना तो था परंतु लड़का इतना खतरनाक, दिलेर और दुस्साहसी होगा, यह तो उसकी कल्पना में भी नहीं था । मोंगपा के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड गई परंतु तभी बिकास ने मुस्कराकर रायफल एक तरफ़ फेक दी और मोंगपा की तरफ देखकर बोला------"तुझे बताऊंगा सूअर के बच्चे कि किसकी कितनी आयु है?"



उसके रायफल फेंकते ही मोंगपा ने बेहद फुर्ती के साथ उस पर जम्प लगा बी, किंतु विकास अपने स्थान से हट गया, अत: मोंगपा फर्श का स्वाद चखने लगा ।।


जबकि विकास उसके पीछे खड़ा कह रहा था------"मैं तुझे मौका दे रहा हूं चीनी गीदड, अगर शक्ति है तो उठ ।"


उछलकर मोंगपा खडा हो गया किंतु अभी वह संभल भी न पाया था कि विकासं किसी जिन्न की भांति हवा में लहराया और एक जोरदार फ्तग्रइंग किक मोंगपा कीं छाती पर पड्री ।

मोंगपा लड़खड़ाया परंतु इधर विकास ने कुशल नट की भांति हबा ही कलाबाजी खाई और एक घूसा मोंगपा के जबड़े पर रसीद कर दिया ।

र्मोगपा और भी बुरी तरह लड़खड़ाया किंतु तभी उसके चेहरे पर लड़के के सिर की जबरदस्त टक्कर पडी, परिणामस्वरूप चीखता हुआ वह दूसरी तरफ पलट गया ।

इधर विकास सीधा फर्श पर जाकर गिरा ।

अचानक र्मोंगपा भी भयानक फुर्ती के साथ हवा में उछला ।


उसका इरादा बिकास को फ्ताइंग किक मारने का था परंतु जैसे ही वह लहराकर विकास के समीप आया विकास ने उसकी दोनों टांगे पकड़ ली और फिर तेजी के साथ सिर से ऊपर दो चक्कर देकर धड़ाम से फर्श पर दे मारा ।

मोगपा के कंठ से चीख निकल गई ।


परंतु मोंगपा भी कम नहीं था ।

काफी चोट लगने के बाद भी वह बेहद पुती के साथ उछल कर केवल खड़ा ही न हो गया बल्कि इस बार विकास पर जम्प लगाने के स्थान पर उसने एक फौलादी खूंटी की तरफ जम्प लगा दी थी ।


इससे पूर्व कि विकास कुछ कर पाता उसने मोंगपा के दाएं हाथ में एक अजीब-सा भयानक हथियार देखा ।


यह लगभग एक गज लंबी, मजबूत, मोटी और फौलादी जंजीर के एक सिरे पर लटकता हुआ एक फौलादी गोला था । अचानक अपने हाथ में दबे जंजीर के सिरे पर उभरे एक फौलादी बटन को मोगपा ने पुश कर दिया ।

परिणामस्वरूप नीचे लटके मोटे फौलादी गोले के चारों तरफ लगभग दस लंबे चमचमाते हुए चाकू बाहर निकल आए और साथ ही गोला दहकने लगा ।


धीरे-धीरे समूचा गोला दहककर लाल लोहे में बदलता जा रहा था । चाकू की नोंक भी दहकने लगी थी । कदाचित् इस गोले में हीटर सिस्टम था । उस गोले को अजीब अंदाज में संभाले मोगपा कुटिलता के साथ मुस्कराया ।


कमरे के लाल प्रकाश में यह दृश्य वेहद खूनी लग रहा था । विकास उसके हाथ में इस अजीब हथियार को देखकर निर्मीकत्ता के साथ मुस्कराया और सतर्क हो गया ।



र्मोंगपा खूनी ढंग से उसे लहराता हुआ आगे बढा बोला------"अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा, कुत्ते?"



“अपनी चिंता कर गीदड़ की औलाद! " विकास गुर्राया-----" ऐसा न हो कि तू मौत मांगे और तुझे वह भी न मिले ।"


तभी भयानक ढंग से मोंगपा ने गोले का वार उस पर किया किंतु विकास ने न केवल वार बचा लिया बल्कि हवा में लहराकर उसने एक दुलत्ती मोंगपा की छाती पर मारी ।


मोंगपा लड़खड़ाया किन्तु तभी उसने फौलादी गोला बडी जोर से घूमाकर विकास की कमर पर मारा ।


इस बार विकास स्वयं को नहीं बचा सका और गोला उसकी पीठ में लगा ।


इस बार विकास के कंठ से चीख निकल गई । वास्तव में फौलादी गोले की मार बड़ी सख्त थी ।


गर्म दहकते हुए चाकू उसकी पीठ में धंसे तो पीठ का सारा गोश्त जैसे उबल पड़ा ।


विकास अभी संभल भी नहीँ पाया था कि मोगपा ने तेजी के साथ एक बार फिर खींचकर गोला मारा । इस बार विकास फिर चीख पड़ा । मोंगपा ने फिर तेजी के साथ खीचकर मारना चाहा परंतु इस बार उसका वार खाली गया क्योंकि विकास बडी पुती के साथ अपने स्थान से हट गया था । बार खाली गया ।


झोंक में मोगपा लड़खड़ा गया । इधर बिकास की उंगलियों में आलपिन आकर एक पल के लिए थिरका और अगले ही पल हवा में सनसना गया ।


उफू...दिल को दहला देने वाली चीख से कमरा दहल उठा ।


आलपिन किसी तीर की भांति मोंगपा की बाई आंख में गड़ा हुआ था । मोंगपा की आंख फूट गई थी । खून बह रहा था । फौलादी गोले वाला हथियार उसके हाथ से छूटकर गिर चुका था ।

वह पुरी तरह चीख रहा था ।

इधर विकास शैतान में बदल गया था ।

लड़के पर खून सवार हो बया ।

जब विकास पर खून सवार होता था तो बह जंगली भेडिया नजर आने लगता था ।

विकास की आंखें दहकने लगी थी । उसने फुर्ती के साथ-लपककर फौलादी गोला उठा लिया । मोंगपा के दोनों हाथ अपनी आंखों पर थे और वह बुरी तरह चीख रहा था ।


विकास अभी संभल भी नहीँ पाया था कि मोगपा ने तेजी के साथ एक बार फिर खींचकर गोला मारा । इस बार विकास फिर चीख पड़ा । मोंगपा ने फिर तेजी के साथ खीचकर मारना चाहा परंतु इस बार उसका वार खाली गया क्योंकि विकास बडी पुती के साथ अपने स्थान से हट गया था । बार खाली गया ।


झोंक में मोगपा लड़खड़ा गया । इधर बिकास की उंगलियों में आलपिन आकर एक पल के लिए थिरका और अगले ही पल हवा में सनसना गया ।


उफू...दिल को दहला देने वाली चीख से कमरा दहल उठा ।


आलपिन किसी तीर की भांति मोंगपा की बाई आंख में गड़ा हुआ था । मोंगपा की आंख फूट गई थी । खून बह रहा था । फौलादी गोले वाला हथियार उसके हाथ से छूटकर गिर चुका था ।

वह पुरी तरह चीख रहा था ।

इधर विकास शैतान में बदल गया था ।

लड़के पर खून सवार हो बया ।

जब विकास पर खून सवार होता था तो बह जंगली भेडिया नजर आने लगता था ।

विकास की आंखें दहकने लगी थी । उसने फुर्ती के साथ-लपककर फौलादी गोला उठा लिया । मोंगपा के दोनों हाथ अपनी आंखों पर थे और वह बुरी तरह चीख रहा था ।

तभी विकास ने फौलादी गोल तेजी के साथ घुमाकर मौगपा के सिर पर दे मारा ।



मोंगपा कंठ फाड़कर चिल्लाया ।

गर्म दहकते हुए लंबे चाकू उसके सिर में धंस गए । विकास ने फिर खीचा और इस बार फौलादी गोले का वार मोंगपा के पेट पर किया और वह तरह चीखा ।


पेट का मांस बाहर झांकने लगा । विकास ने अगला वार उसके चेहरे पर किया । हाथों को बेंधते हुए उसके चाकू चेहरे तक पहुच गए ।


उसके बाद. . . ।


विकास जैसे पागल हो गया था ।


मोंगपा चीखता रहा। विकास किसी पागल की भांति उसे बड़े निर्मम फौलादी गोले से मारता रहा । र्मोंगपा लहू-लुहान हो गया ।

सारा कमरा खून से चिपचिपा हो गया । मोंगपा के जिस्म के प्रत्येक कतेरे से खून बह रहा था । चेहरा क्षतविक्षत हो गया था । वह बुरी तरह से फर्श पर पड़ा चीख रहा था । एक आंख फूट गई। बिकास अभी तक उस पर पिला हुआ था ।


निरंतर दस मिनट मारने के पश्चात्. . . ।


विकास ने अंतिम बार फौलाद का वह गोला र्मोंगपा के जिस्म पर खींच मारा ।


मोंगपा फिर तिलमिला उठा । बिकास की सांस भी तेजी के साथ चल रही थी ।


अभी तक लडका बुरी तरह से खूनी नजर जा रहा था ।


अचानक उसके हाथ में ब्लेड आने लगा । ब्लेड को मोंगपा की एक आंख के सामने घुमाता हुआ विकास गुर्राया-“मैं तुझे मारूगा नहीं कुत्ते, तुझे जिंदा छोड़कर उस सूअर फूचिंग को चेतावनी दूंग कि यह मेरी तरफ से पहला वार है ।" कहने के साथ विकास का ब्लेड चला और एक मिनट पश्चात् मोंगपा के माथे पर उसने गोश्त काटकर 'विकास' लिख दिया । इस कार्य में उसने यह विशेष ध्यान रखा था कि उसके मस्तिष्क की कोई ऐसी नस न कट जाए जिससे वह मर जाए । चीखता-चीखता मोंगपा बेहोश होगया ।


विकास की आंखों में मानो कुछ ठंडक पडी ।


उसने ध्यान दिया तो पाया कि ऊपर हाल में भी फायरिंग अब लगभग समाप्त हो गई थी । उसने ऊपर देखा तो पाया कि वहीं उसका मददगार चीनी अधिकारी ऊपर खडा आश्चर्य के साथ उसे देख रहा था । कदाचित् वह विकास से वहुत प्रभावित हुआ था !



“अब यहा से जल्दी भागो लड़के वरना कोई खतरा... ।"



ऊपर खड़ा वह रहस्यमय चीनी अभी कुछ कहना ही चाहता था कि अचानक टॉर्चर रूम में रखा एक विशाल वायरलेस स्पार्क करने लगा ।


विकास उसकी बात बीच में ही छोड़कर सैट पर झपटा और उसे ऑन कर दिया ।


ऑन करते ही उसमे से स्वर उभरा-"हेलो . . . . . हेलो. . हैलो मोंगपा, मैं फूचिंग बोल रहा हू !"

एकाएक विकास के चेहरे पर फिर भयानक भाव उभर आए । वास्तव में वह आवाज मात्र से पहचान गया था कि दूसरी तरफ़ से फूचिंग बोल रहा है । वह अभी तक हैलो. . हेलो कर रहा था । विकस का खून खोल उठा, वह माउथपीस के करीब मुंह ले जाकर गुर्राया----------"यहाँ मोंगपा नहीं है हरामजादे, यह मैं बोल रहा है ।"


"क्या मतलब?” दूसरी तरफ से फूचिंग के चौंकने का स्वर…“कौंन हो तुम?”


“अपने काल को भी नहीं पहचानता, कुत्ते---------" विकास खौफ़नाक स्वर में बोला…"मैं विकास बोल रहा हू।”
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

"वि. . .का. . .स. . .!" दूसरी तरफ से बोलने वाले फूचिंग के मुख से विकास के नाम का एकाएक अक्षर टूट-टूटकर निकला । न जाने क्यों दूसरी तरफ़ से बोलने वाला फूचिंग वायरलेस पर इस प्रकार विकास को पाकर कांप गया था । उसे लग रहा था कि यह लड़का साक्षात् कालदूत है । वह स्वयं को संभालते बोला…"तुम. . .तुम वहां कैसे पहुंच गए?"


"अब मैं आजाद हो गया हु, गीदड़!" विकास गुर्राया-----"मुझे तो ऐसा लगता है कि मेरा नाम सुनते ही तुम्हारा पेशाब निकल गया है ।"


“इस बार मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा ।"


"अब अपनी चिंता करो, कमीने !" विकास गुर्राया-----"तुम्हारे इस अड्डे के जितने आदमी थे, सब लाशों के ढेर में बदल चुके है तुम्हारे सहयोगी मोंगपा को जिंदा छोड़ रहा हू ।"


"क्या मतलब ? ”


"कुछ देर बाद मतलब तुम्हें स्वयं ही पता लग जाएगा ।" बिकास खूनी स्वर मे गुर्राया---------"मैं तुम्हें चैलेंज करता हैं फूचिंग कि शीघ्र ही समूचे पीकिंग पर लाशों की वर्षा होगी, अगर तुम रोक सको रोक लेना !"



"सुनो लड़के !" दूसरी ओर से फूर्चिग गुर्राया---------“मेरा नाम फूचिंग !"



"तुम्हारे नाम में जान नहीं है डरपोक गीदड़ ।" विकास चीखा-----"ज़ब तुम इस अड्डे पर आआगे तो तुम्हें मालूम होगा कि विकास किस हस्ती का नाम है? चीनी कुत्ते, अब जो विनाश मैं तुम्हारे पीकिंग में फैलाने जा रहा हूं उससे तुम्हारी अत्या तक दहल उठेगी ।"


"मुझें लगता है तुम्हारे दिन करीब आ गए है ।"

"अब अपनी और अपने देश की सोचो, प्यारे मुर्गी चोर! " विकास ने कहा-------"मैं सेट आँफ कर रहा हूँ । अगली मुलाकात सनसनाती गोलियों के बीच होगी ।" कहने के साथ ही उसने वायरलेस सैट आँफ़ कर दिया। जैसे ही वह तेजी के साथ घूमा, अपने पीछे उसने रहस्यमय चीनी अधिकारी को पाया । एक पल के लिए विकास उसकी आंखों में देखता रहा और फिर बोला-" तुम कौन हो?"

“इस समय तो केवल इतना जान लो कि मैं तुम्हारा मददगार हू।” वह चीनी अधिकारी मुस्कराकर बोला…"पूरा परिचय अवसर आने पर दिया जाएगा। फिलहाल, यहाँ से निकलो क्योंकि तुमने फूचिंग को चैलेंज दिया है शीघ्र ही यहां की मुसीबत आने वाली है ।"


"यहाँ कोई विमान है?"


" हां क्यों ?"


“जो मैं पूछ रहा हूं उसका जवाब दो ।” बिकास गुर्रा उठा ।


"इस अड्डे की गुप्त और अंडरग्राउंड छत पर एक विशेष और विशाल विमान है जो मोगपा ने वक्त पर अपने भाग निकलने के लिए लगाया हुआ था ।"


"लेकिन बेचारा भाग नहीं सका ।" विकास मुस्कराया !


"लेकिन तुम विमान का करोगे क्या?"


"जो मैं कह रहा हू तुम वह करो ।" विकास सख्ती के साथ बोला----“अधिक बकवास सुनने का मैं आदी नहीं ।"


रहस्यमय मददगार चीनी चुप हो गया । वह तो पहले ही विकास से बहुत अधिक प्रभावित था परंतु जब वह विकास के साथ था तब से तो वह लडका उसके मस्त्तिष्क पर छा गया था । वह विकास की बात पर हल्ले से मुस्कराया और बोला ----"कहिए सरकार, क्या आदेश है?"

"जितने मृत व्यक्तियों को तुम पहुचा सको विमान में पहुचा दो ।" विकास बीला----"तब तक मैं एक दूसरे काम निबटता हूं ।" कहते हुए विकास ने जेब से रेशम की डोरी का टुकड़ा निकाल लिया । उसके बाद उसने मोंगपा के खून से लथपथ बेहोश जिस्म को नंगा करके उल्टा पंखे से लटका दिया और पंखा चला दिया । यह देखकर मददगार चीनी एक बार फिर उस खतरनाक लड़के को देखता रह गया ।


सारे टॉर्चर रूम में खून की बर्षा होने लगी थी । बिकास तेजी के साथ चीनी की तरफ घूमा और गुर्राया तुम अभी तक यहीं हो?"


“तुम्हारी निर्ममता देख रहा हू ।”


“इस बात को छोडो, मैं जो कह रहा हूँ वह करो ।" विकास बोला ।


उसके बाद वे दोनों टॉर्चर रूम के ऊपर हॉल में आ गए । सारा हॉल लाशों से पटा पड़ा था ।


बिकास के हाथ में इस समय एक तलवार थी लाशों को देखते ही एक बार फिर विकास की आंखें दहक उठी ।


बिजली की गति से उसके हाथ में दबी तलवार चली और एक ताश के पलक झपकते ही दो टुकडे हो गए । तलवार खून से सन गई । उस समय वह मददगार चीनी दहल उठा जब विकास ने एक आदमी की लाश के दो दुक्टो को 'वी' की शक्ल में रख दिया । इतनी निर्ममता देखकर उसमें कुछ बोलने का साहस नहीं हुआ ।


उसके बाद-विकास ने पांच सेनिक लाशों को 'बी' की शाल दे दी ।


शेष लाशों को वे दोनों विमान में लाद रहे थे ।


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अगला दिन . . ।

न केवल पीकिंग शहर के लिए बल्कि समूचे चीन देश के लिए कहर का दिन ।


चीन देश का इतना बडा अपमान? इतनी शर्मनाक घटना ।


वह भयानक तबाही पीकिंग शहर से ही मचनी प्रारंभ हुई । चीन का बच्चा-बच्चा कांप उठा ।

लोग दहल गए ।

चीनी अधिकारी भयभीत हो गए ।


सेना को बुखार चढ़ गया ।


फूचिंग का चेहरा सफेद । काटो तो खून नहीं ।

प्रत्येक की जुबान पर केवल एक ही नाम था------विकास ।


भय और आतंक का प्रतीक!


चीन के लिए हव्वा ।


आज़ की सुबह... ।


सुबह मानो कहर था ।


सब लोगों ने, समूचे पीकिंग ने, पीकिंग में उपस्थित बच्चे बच्चे ने सूर्य की किरणों के साथ पीकिंग के ऊपर मंडराता हुआ एक विमान देखा था । उस समय साधारण जनता नहीं चौंकी थी ।


विमान तो वे लोग लगभग प्रतिदिन देखते थे किंतु उस विमान को आकाश में मंडराते हुए देखकर फूचिंग तथा चीन के कुछ विशेषाधिकारों बुरी तरह चौके थे ।


सबको पता था कि यह विमान वही है जो कि आज रात बिकास ने अड्डे से गायब कर दिया था ।


उस समय फूचिंग और उसके साथी उठे ।


विकास भयानक भूत बनकर उनके मस्तिष्क पर सवार हो गया था । फूचिंग ने तुरंत कार्यवाही की, एयर फोर्स हरकत में आई परंतु.............

परंतु तब तक तो वह विमान पूरे पीकिग पर भयानक आतंक फैला चुका था।


साधारण जनता ने अभी तक उस तरफ विशेष ध्यान नहीं दिया था किंतु अचानक उस विमान ने अपने गर्भ से एक मृत इंसानी जिस्म उगला । हवा मे लहराता हुआ वह जिस्म 'धड़ाम' से पीकिंग के एक बाजार में आ गिरा । गिरते ही वह मृत जिस्म खील खील होकर बिखर गया ।


खोपडी धड से अलग साबूत पडी थी । हजारों की भीड़ ने देखा कि लाश के जिस्म का प्रत्येक भाग अलग ।


हाथ अलग, पांव अलग, गोश्त के लोथड़े और हड्डियों का मेला । लाश एकदम नग्न थी । सबने देखा... ।


लाश के मस्तक पर. . . ।


विकास . . . ।


उफ्...खूंखार शेतान का नाम ।


अभी लोग इस लाश की चर्चा कर भी नहीं पाए थे, विमान के गर्भ से निकली एक अन्य चीनी सेनिक की ऐसी ही लाश किसी मकान के चौक में आकर गिरी।


कोई अन्य किसी मेदान में । कोई अन्य किसी की छत परा कोई अन्य पीकिंग ही सड़क पर ।

और फिर ।


प्रारंभ हुई, पीकिंग शहर पर लाशों की वर्षा ।


दनादन उस विमान से चीनियों ही लाशें गिराई जा रही थी । लोग अचानक अवाक्, बदहवास ।


भयभीत होकर लोग धरों में दुबक गए ।
पीकिंग बंद! कहीं कोई दुकान नहीं खुल रही थी । सड़को पर सन्नाटा ! समूचे पीकिंग पर होती लाशों की वर्षा!


चीनियों के पर हवाइयां उड रही थी ।


प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग पर एक ही नाम छा गया था'----विकासा सर्वत्र एक हैं चर्चा थी-विकास. .. ।


विश्व-मर के पिछले इतिहास में सबसे अधिक भयानक और अजीब घटना । समूचे पीर्किग पर विकास छा गया था परंतु इस समय लड़का भयानक खतरे में धिरा हुआ था ।


विमान रहस्यमय चीनी मददगार चला रहा था । पीकिंग पर वह कई लाशों की वर्षा कर चुका था । अब वे भागना ही चाहते थे कि अचानक उन्होंने अपने चारों तरफ वायु में मंडराते मिराज देखे, देखते ही चीनी मददगार चीखा--------"विकास हम घिर गये हैं !"



" जहाज को तेजी के साथ बाई तरफ को निकालो ।" लड़का पूरी 'सिचुएशन' देखकर चीखा ।


इस समय विकास के चेहरे पर खतरनाक भाव थे ।


रहस्यमय चीनी ने तुरंत उसका अनुसरण किया ।


विकास तुरंत फुर्ती के साथ यू. कक्ष की तरफ झपटा था ।


उसका ललाट लाल था ।


पीकिंग पर लाशों की वर्षा करना केवल उसकी सनक थी ।


वह अपने उद्देश्य में सफ़ल हो गया । मिराजों की संख्या तीन थी और इन्होंने विमान की गति आश्चर्यजनक रूप से तीव्र कर दी ।
मिराजों की संख्या तीन थी और इन्होंने विमान की गति आश्चर्यजनक रूप से तीव्र कर दी ।


विकास का विमान तेजी के साथ दुम दबाए भागा जा रहा था और तीनों मिराज उसके पीछे थे ।


पंद्रह मिनट पश्चात्. . . । चारों विमान पीकिंग शहर को छोडकर घुमावदार पहाडियों के ऊपर मंडरा रहे थे । विकास पूरी तरह चौकन्ना हुआ बैठा था ।



तीनों मिराज उनके काफी समीप आ गए थे । लड़के का चेहरा कठोर हो गया, जबड़े की हड्डियों में उभार जाया और उसने एक मिराज पर फायर कर दिया ।


लड़के का निशाना... । उसका निशाना जो गोली से गोली टकरा देता है ।


चूकता कैसे? आकाश में एक चिंगारी भड़की...जैसे बिजली कौधी हो ।


अगले ही पल कानफाड़ विस्फोट के साथ विमान के चिथड़े उड़ गए । अभी विकास भत्ती-भाति उस विमान का विनाश देख भी नहीं पाया था तभी...उनके विमान को एक तीव्र झटका लगा ।


विमान लहरा उठा ।


यह परिणाम दाई तरफ लहराते विमान से निकली गोली का था, सनसनाती हुई गोली उनके विमान के इंजन से टकराई थी । टंकी को फाड़ती हुई पेट्रोल से जा मिली ।


आग और पेट्रोल ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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भयंकर आग लपलपा उठी । खतरनाक रूप से आग फैली । समूचे विमान पर आग जैसे अपना कब्जा करने लगी । विमान से निकली गोली ने विमान का पिछला भाग तोड दिया ।


एक तेज झटका लगा । विमान लहराया.. किसी पर-कटे पक्षी की भाति लड़खड़ाता हुआ विमान एक विशाल पहाडी के पीछे जा गिरा ।


पहाडी के पीछे ही दस मिनट पश्चात्. . . ।


पहाडी के पीछे से लपलपाती भयंकर आग देखी गई । गगन को स्पर्श करने का प्रयास करती आग की लपटें, धधकते शोले!


चीनी अधिकारी समझे कि भयंकर नन्हा शैतान के जबड़े में समा गया है किन्तु...आज के अखबारों में नए समाचार. . . ।


पूरे पीकिंग में हाहाकार मच गया । जो लोग पढ़ना नहीं चाहते थे उन्होंने भी आज का अखवार खरीदा ।


संपूर्ण अखबार विकास के नाम से पुता पड़ा था ।

हर कालम पर विकास!


प्रत्येक जुबान पर विकास !!


लाशों की वर्षा से ग्रस्त पीकिंग पहले ही बुरी तरह कांप रहा था, ऊपर तुर्रा आज के अखबारों ने तो जैसे तहलका मचा दिया ।


एक-एक घटना विवरण सहित मिली थी ।

अखबारों में छपे फोटों.. उल्टी लटकी नंगी लाशों के फोटो ।


माथो पर लिखा हुआ 'बिकास' फोटो में भी स्पष्ट चमक रहा था । चीन के अड्डे की भयानक तबाही का विवरणा लिखा था कि जब जासूस फूचिंग एक पेट्रोल गाडी लेकर अड्डे से लोटे तो. . तो. .अपने निवास-स्थान पर उन्होंने देखा कि उस गाडी के पिछले भाग से एक नग्न लाश बंधी हुई थी----पूरे क्रिया-कर्म के साथ ।



माथे पर लिखा हुआ शैतान का नाम ।


लाश देखते ही फूचिंग का दिमाग खराब हो गया । जिधर दुष्टि जाती उधर लाश नजर आती, साथ ही नजर आता शैतान द्वारा किया गया क्रिया-कर्म । बिमान क्रैश की दुर्घटना के बाद अखबारों के विशेष अंक निकाले गए ।


उनमें यह भी लिखा था कि जहां विकास का विमान गिरा, बाद में वहां का निरीक्षण किया गया किन्तु केवल विमान के टुकड़े मिले । जले हुए क्षतविक्षत दुकड़े । कोई लाश वहां नही मिली।


तो क्या शेतान बच गया?


पीकिंग का बच्चा-बच्चा कांप उठा ।


इतनी भयानक दुर्घटना के बाद भी जो लड़का बच जाए वह लड़का नहीं हो सकता! निसन्देह वह कोई भयानक भूत था ।


हर हृदय विकास के नाम से कांपने लगा । प्रत्येक दिल में विकास का भय बैठ गया ।


बच्चे-बच्चे के मन को 'बिकास' ने जकड़ लिया । हर चीनी को ऐसा लगने लगा कि जैसे अब आया विकास । उनकी नजरों में विकास खौफ़नाक जल्लाद था ।



और तब… । जबकि फूचिंग के सामने उसके सहयोगी की लाश लाई गई! मोंगपा...!



उफ्-वेचारा अजीब वीभत्स में था ।


बदसूरती की चरम सीमा तक; बदसूस्ती ।

फूटी हुई आंख ।

माथे पर लिखा हुआ'-विकास । यही नाम फूचिंग के जहन में उतरता चला गया । मानो कोई जहर का घूट हो । दिल-ही-दिल में फूचिंग भी विकास से भयभीत हो गया किन्तु प्रत्यक्ष में वह अपनी इस कमजोरी को नहीं दर्शा सकता था । अपने सहयोगी का हाल देखते ही फूचिंग की नसों में तनाव आ गया । आंखे दहक उठी । चेहरा कठोर हो गया । अंदर-ही-अंदर उसने विकास को भयानक ढंग से मौत के बाट उतारने का प्रण किया ।


मोंगपा को अस्पताल भेज दिया गया ।


उसके बाद. . ।


चीन सरकार ने उस शेतान की कीमत पचास हजार रखी । यह घोषणा कर दी गई कि विकास को जिंदा या मुर्दा हालत में चीन सरकार के सामने पेश करने वाले इंसान को पचास हजार का इनाम दिया जाएगा ।


विकास पर रखे हुए इनाम ने चीनियों के हदय में उसका भय और भी अधिक बैठा विया । सारे पीकिंग में हाहाकार था ।


प्रत्येक की जुबान पर केवल एक ही नाम था । विकास . . बिकास . . बिकास . . . ।

सड़ाक . . .!


भयंकर कांटेदार हंटर, प्रोफेसर बनर्जी के नग्न जिस्म से सर्प की भांति लिपट गया ।

प्रोफेसर बनर्जी के कंठ से चीख निकल गई । हंटर उनके जिस्म के मांस को नोचता चला गया था ।



समूचा जिस्म इंटर की मार से भरा पड़ा था । इस समय बनर्जी एक पथरीली गुफा में छुपे चीनी सेनिक अड्डे के एक हाँल में थे ।


उनके जिस्म पर केवल एक अंडरवियर था । दाढी बढी हुई, बाल लंबे । वे वेहद कमजोर हो गए थे ।


जिस्म पर जगह-जगह हंटरों की मार के चिन्ह थे । हलक सूखा हुआ । होंठ शुष्क ।


पीड़ा से बिलबिलाते हुए भारत के महान वैज्ञानिक ।


उन्हें मोटी-मोटी जंजीरों में कैद कर लिया गया था । दोनों हाथ दो तरफ फैलाकर जकड़ लिए गए थे । पथरीली गुफा के हाल में धुंधला-सा पीला प्रकाश फैला हुआ था । चारों तरफ़ चीनी सेनिक खडे थे और प्रोफेसर बनर्जी के ठीक सामने एक भयानक, काला और शक्तिशाली हब्शी खड़ा था । उसकी आंखें भट्टी में अंगारों की भांति दहक रही थी । दाएं हाथ ने वही कांटेदार हंटर लहरा रहा था । उसकी चीनी छाती, मांसल भुजाएं, विशाल जिस्म उसकी शक्ति का जीता-जागता प्रमाण थी । मोटे, लटके हुए भयानक और भद्दे होंठ । नाक का अग्रिम भाग मानो किसी सीधी गली का मोड़ । कान बड़े-बड़े । घुटा हुआ सफाचट्ट सिर ।

"अब भी पढ़ दे वैज्ञानिक कुत्ते ।" वह किसी शेर की भाति दहाड़ उठा---------“वरना तेरे जिस्म की बोटी-बोटी नोचकर मैं खुद चबा जाऊंगा ।" कहते हुए उसने अपने बाएं हाथ में फंसा हुआ कागज का एक टुकडा उनकी आंखो के सामने नचा दिया । इस कागज पर वही गुप्तलिपि अंकित थी जो उन पांच महत्वपूर्ण अंडों पर लिखी गई थी । प्रोफेसर बनर्जी ने एक नजर उस कागज की तरफ देखा और फिर उनके सूखे होंठो पर क्षीण-सी कुछ विजयात्मक और गर्वीली मुस्कान दौड गई और वे दुढ़ स्वर में साहस करके बोले------"इस लिपि को तीन इंसानों के अतिरिक्त कोई नहीं पढ़ सकता, चीनी कुत्ते!" उनके शक्तिहीन जिस्म में जैसे अचानक अजीब-सा तनाव आ गया----------“ये बात कान खोलकर सुन तो कि तुम्हारी कोई भी यातना हमारे मुंह से कुछ भी नहीं उगलवा सकती ।"



"मेरा नाम ग्रीन हर्बिश है, कुत्ते!" हब्शी भयंकर ढंग से गुर्रा उठा…“मेरे सामने पत्थर भी बोलने लगते है ! चीन में विशेष रूप से मुझें केवल तुम जैसे जिद्दी कुत्तों की जुबान खुलवाने के लिए रखा गया है । आज तक मेरे सामने कोई ठहर नहीं सका !"
"मेरा नाम ग्रीन हर्बिश है, कुत्ते!" हब्शी भयंकर ढंग से गुर्रा उठा…“मेरे सामने पत्थर भी बोलने लगते है ! चीन में विशेष रूप से मुझें केवल तुम जैसे जिद्दी कुत्तों की जुबान खुलवाने के लिए रखा गया है । आज तक मेरे सामने कोई ठहर नहीं सका !" कहते हुए ग्रीन हर्विश नामक हब्शी का दायां हाथ वेग से चला और एक बार फिर हंटर बनर्जी की खाल उधेढ़ता चला गया । बनर्जी के कंठ से फिर चीख निकल गई ।



" किसी हिन्दुस्तानी से तुम अभी तक नहीं टकराए होंगे ।” चीखते हुए बनर्जी बोले ।



“तुम्हें पता लग जाएगा हिन्दुस्तानी कुत्ते कि ग्रीन हर्विश किस आफ़त का नाम है?




कहने के बाद उसने फिर एक जोरदार हंटर मारा । उसके बाद वह तेजी के साथ उनके जिस्म पर हंटर बरसाने लगा । प्रोफेसर के जिस्म की खाल उधेड़ने लगी।



प्रोफेसर बनर्जी को भारत से अपहरण करके पीर्किग लाया गया । उन्हें लाकर खूब खातिर की गई । बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए गए और उनके ऐवज़ में केवल एक सेवा मांगी गई, वह यह है कि वे खास गुपालिपि का रहस्य बता दे किंतु बनर्जी चक्कर में नहीं आए । उसके बाद उसे भूखा रखा गया और अब निरंतर यातनाएं दी जा रही थी र्कितु उनका भी दृढ निश्चय था कि चाहे जान चली जाए पर ईमान नहीं बेचेंगे । अपनी जिद के कारण उन्हें भयानक यातनाएं सहनी पड़ रही थी ।

“बोल वे कुत्ते, वरना यूं बे मौत मर जाएगा ।” ग्रीन हर्बिश गर्जा ।


"किसी कीमत पर नहीं ।"


उसके पश्चात... ।

ग्रीन यश नामक उस हब्शी को एकदम भयानक क्रोध आया । वह खूनी भेडिए में बदल गया । हंटर छोड़कर वह खौफनाक ढंग से वायु में उछला और उसके दोनों जूतों की भरपूर मार बनर्जी के कमजोर सीने पर पडी । बनर्जी के कंठ से बेहद भयानक चीख निकली । उनके सीने में अनगिनत गहरे छेद हो गए थे । उनमें से तेजी से खून निकलने लगा । यह परिणाम ग्रीन के जूतों के तलों में लगी लंबी नोकीली कीलों का था । कीलों की लंबाई निसंदेह दो इंच रही होगी और एक-एक इंच गहो धाव तो बनर्जी के सीने में ही बन गए थे । वे चीख रहे थे !



इसी तरह की भिन्न-भिन्न यातनाओं से उन्हें गुजरना पड़ा ।


अन्त में उनका संमूर्ण जिस्म उधड़ गया ।

चीखने की शक्ति भी उनमें मैं नहीं रही थी ।


किसी अंग को स्वेच्छा से हिलाना तो जैसे असंभव हो गया । जंजीरों से खोलकर उन्हें फर्श पर डाल दिया गया !



लगभग बीस पहाडी चूहे उनके उपर छोड दिए गए जो उनका मास कुतरकर खाने लगे ।


बनर्जी की हालत बडी अजीब हो गई ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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"अब बोल दे, !" ग्रीन हर्विश गुर्राया ।



उसे लगा जेसे अब बनर्जी टूटते जा रहे हैं । भला कोई किस सीमा तक सहे !

आग की लपटों में लिपटा हुआ विमान घायल पक्षी की भांति जिस पहाडी के पीछे विलुप्त हुआ था वह पहाडी वहुत ऊंची थी ।



इसलिए विकास और रहस्यमय चीनी मददगार को संभलकर कुछ करने का अवसर मिल गया और दोनों चीनी मिराज भी कुछ न देख सके ।


इधर विकास के हाथ एक पैराशूट लग गया, जिसे पल-भर में कमर से बांधकर उसने विमान से बाहर जम्प लगा दी और उधर चीनी मददगार ने सीट के आटोमेटिक पैराशूट के जरिए विमान छोड़ दिया ।



दोनों के जिस्म कुछ दूर तक तेजी से गिरते चले गए र्कितु कुछ ही देर बाद संभल गए और पैराशूट खुल जाने पर वे वायु में तैरने लगे ।



यह सब कुछ उस पहाडी की ओट में हो रहा था । कदाचित् इसीलिए कोई देख न सका कि पीकिंग पर लाशों की वर्षा करने वाला नन्हा शैतान क्रैश विमान की दुर्घटना में कैसे बचा?


इधर जलता हुआ विमान पहाडी धरती से जा टकराया और एक कर्णभेदी विस्फोट के साथ पहाडी के ऊपर तक धिसटता चला गया । धधकते शोले इस प्रकार उछले मानो कोई भयंकर ज्वालामुखी फ़टा हो, इस समय वे धरती से अधिक ऊंचाई पर नहीं थे । इसीलिए वे शीघ्र ही पहाडियों में उत्तर गए । उतरते ही पहाडियों की छांव में छुप गए ।



तभी तो ऊपर मंडराते विमान उन्हें नहीं देख सके ।


उसके पश्चात्. . . ।


उन्होंने तेजी से पहाडियों में ही पैराशूट लपेटे और फिर तेजी के साथ पहाडियों में एक ही तरफ़ को बढ़ गए । इस समय चीनी उसे कहीं ले जा रहा था ।



विकास को तो इन पहाडियों में लेशमात्र भी यह पता नहीं था कि ये रास्ते कहाँ जाते हैं, वह कहाँ जा रहा है । वह तो तेजी के साथ उसी के साथ बढ़ रहा था ।


" अब तुम कहां जा रहे हो?"


"मेरा अड्डा यहाँ से पांच मील दुर दक्षिणी पहाडियों में है ।" चीनी बोला ।



"अड्डा . . !" एक पल के लिए चकराया विकास-“तुमने यह तो बताया ही नहीं कि कौन हो और मेरी सहायता क्यों कर रहे हो?"



"मेरा नाम जोबांचू है ।"



“जोबांबू . . " आश्चर्य के साथ विकास ने दोहराया-----"कौन जोंबाचू. . ? इस नाम के किसी भी आदमी को मैं नहीं जानता ।"



"तुम मुझे नहीं जानते पर मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हू वल्कि तुमसे वहुत प्रभावित भी हूं । मैंने बहुत पहले से तुम्हारा नाम सुन रखा है और सोचा करता था कि विकास नाम का वह लड़का कैसे होगा जो इतनी कम आयु होने पर इतना भयानक है । दिल-ही-दिल में मैं तुम्हें प्यार करने लगा और कल जब अवसर मिला तो मैं तुम्हारी सहायता करके अपने गुरु की सेवा करने लगा !"

“क्या मतलब.....?" विकास बुरी तरह चोंका----""गुरु...!"



"जी हां , मैं अलफांसे का शिष्य हू ।"


“क्राइमर अंकल.. ।" विकास बोला ।


“तुम उनके सबसे प्रिय शिष्य हो, वे तुम्हें छुड़ाने का प्रयास कर रहे है । भारतीय जासूस विजय के साथ वे तुम्हारे धोखे में नकली विकास को ले गए और जब मुझे पता चला कि असली विकास भाग रहा है तो मैं भी उन्हीं सैनिकों में मिल गया था जो तुम्हारे पीछे भाग रहे थे और तुम्हारी सहायता करके मैं समझता है मैंने अपने गुरु जलफांसे की थोड्री-बहुत सेवा तो की ही है ।"


"तो तुम भी क्राइमर अंक्स के शिष्य हो ।"


“निःसंदेह ।"


"तुम चीनी सेनिक के भेष में क्या कर रहे थे !"



" वास्तविकता ये है कि मैं चीन का एक स्मलगर हू । सैनिकों ने मेरा बहुत अधिक कीमती माल और एक अड्डा पकड़ लिया है । यू सेना में मैं अपने कुछ आदमी रखता हू परंतु लिम्बाना को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकता क्योंकि यह मेरा दायां हाथ है । उसी की खोज के लिए मुझे चीनी अधिकारी का मेकअप करना पड़ा और लिम्बाना के स्थान पर तुम टकरा गए ।"

उसके बाद वे कुछ देर तक इसी प्रकार की बाते करते रहे । विकास के पूछने पर उसने बताया--- अड्डे पर पहुंचते-पहुंचते रात हो जाएगी, क्योंकि रास्ता दुर्गम था ।


शीघ्र ही वे उस स्थान से काफी दूर हो गए जहाँ उनका विमान क्रैश हुआ था ।



सारे दिन वे भूखे-प्यासे पहाडियों में भटकते रहे । परंतु जोबांचू जैसे इन पहाडियों के एक-एक मार्ग का पता था । वह बिनां लेशमात्र भी विचलित हुए रात के दस बजे तक अड्डे पर पहुँच ही गया ।


विकास को साथ लेकर उसने गुफा मे प्रवेश किथा ।कुछ इंसानों ने उन्हे रोकने का असफल प्रयासं भी किया परंतु जब जोबांचू अपने विशेष कोड बोलता तो एक जोरदार सेल्यूट कें साथ रास्ता दे दिया जाता ।


विकास जान गया कि जोबाँचू काफी बडा स्मगलर है ।



इस समय वे एक गुफा में वढ़ रहे थे । गुफा की दोनों दीवारों पर स्थान-स्थान पर मशालें रखी जल रही थी जिनके प्रकाश मे गुफा कुछ अजीम और रहस्यमय लग रही थी ।



जोबांचू विकास को अपने विशेष कमरे में ले गया । वहाँ मेज पर रखा एक लेम्प जल रहा था ।



वे दोनों एकाएक कुर्सी पर बैठ गए । विकास के मना करते-करते भी जोबांचू ने उसकी खूब खातिर की ।

तब विकास बोला------"क्या तुम बता सकते हो कि अब क्राइमर अंकल कहां होगे?"



“अब तो उनका कुछ पता नहीं ।" जोबांचू बोला ।



“क्या तुम पता लगा सकते हो कि हिन्दुस्तान से चुराए गए पांच अंडे और एक प्रोफेसर जिनका नाम बनर्जी है, कहां रखे गए होंगे?"



“यह पता लगाना तो बेहद कठिन है ।" जोबांचू बोला------"ये तो गंभीर सैनिक सीक्रेट है, केवल कुछ ही विशेष चीनी अधिकारी इस विषय में जानते होंगे !"


उसके बाद विकास जोबांचू से इसी प्रकार की जानकारियां लेता रहा । अंत में जोबांचू ने विकास को आराम करने के लिए कहा और कुछ देर बाद दोनों फर्श पर पड़े सो रहे थे ।



लगभग एक बजे अचानक ही जोबांचू की आंख खुली तो खुली ही रह गई ।



उसकी आंखें आश्चर्य के साथ फैलती जा रही थी ।



विकास अपने स्थान से गायब था ।



विकास भूत बनकर जोबांचू के दिमाग से लिपट गया । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह शैतान लडका कहाँ गया और क्या करेगा?


न जाने क्यो विकास के विषय में सोचता हुआ जोबांचू कांप उठा ।


उसने बड़े--वड़े भयानक जासूस और अपराधी देखे थे किंतु इस सुन्दर जैसा कोई नहीं था । वह यह सोच रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए । वह कैसे जाने कि नन्हा, सुंदर परंतु खतरनाक शेतान कहां गया?
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

उसका नाम चाऊ विंग था ।


गुट्टा-सा, गोल-मटोल मजबूत चीनी ।


चीनी सेना में उसे कर्नल जैसा सम्मानित पद प्राप्त था । अय्याश किस्म का चाऊ विंग हमेशा किसी नारी जिस्म की तमन्ना में डूबा रहता था ।



उस रात को वह रात नहीं मानता था जिसमें उसने जी भरके पी न हो और किसी नए नारी जिस्म का आनंद न भोगा हो । लगभग उसकी प्रत्येक रात रंगीन होती थी ।


आज की रात… ।



रात के ढाई बजे थे परंतु न तो उसे इस बात का ज्ञान था और न ही उसके समीप बिस्तर पर पडी उस नवयौवना को इस बात की चिंता थी । उन दोनों के जिस्म तो जवानी की आग में जल रहे थे । धीरे--धीरे दोनों एक-दूसरे के वस्त्र उतारने लगे !!!!



एक स्थिति ऐसी आई कि दोनों निर्वस्त्र हो गए । दोनों के नग्न जिस्म एक-दुसरे की बांहों में समा गए । सांस तेजी के साथ चलने लगी । दोनों की आंखें मुंदी हुई थी। चाऊ बिग नवयौवना के जिस्म के ऊपर आना चाहता था कि कोई सख्त चीज़ उसकी पसलियों से आ सटी ।



घृणित वासना में डूबा चाऊ बिंग ।


पहली बार तो वह पहचाना ही नहीं कि सख्त वस्तु क्या है? उस तरफ से पूर्णतया लापरवाह, अपने नीचे दबी-दबी, आनंदित हुई नवयौवना के अधरों का चुंबन लेने के लिए उसने अपने भद्दे होंठ उस तरफ बढा दिए परंतु अभी रास्ते में ही थे कि पसलियों में सख्त वस्तु का दवाब बढ़ गया र्कितु चाऊ विंग तो इस समय दो बोतल की पिनक में था । उसे लगा कि कोई मच्छर है जो उसकी पसलियों पर अता बैठा है । उसे हटाने का उसने प्रयास किया और साथ है भिनभिनाया---"अवे हट मच्छर ।"

परंतु मच्छर भला कहां हटता था ?



इधर नवयोवना ने अपनी गोरी-गोरी बाहों में चाऊ बिंग को जोर से भीच लिया और बोली--------"आओं न, चाऊ डालिंग ! " उधर पसलियों पर पड़ने वाली वस्तु का दबाव इतना बढ गया कि चाऊ बिग जान गया कि मच्छर नहीं किसी रिवॉल्वर की सख्त नाल है ।




यह आभास पाते हैं चाऊ के नशे में तैरते दिमाग को एक तेज झटका लगा और उसने उछलकर खडे हो जाना चाहा तो नीचे से नवयौवना ने अपने बंधन को और अधिक सख्त करते हुए शिकायत-भरे लहजे में कहा----------"क्या करते हो चाऊ डार्लिग, आओं न !"


बेचारा चाऊ डार्लिग!


अजीब परिस्थति में फंस गया ।



एक तरफ़ बांहों का दायरा था तो दूसरी तरफ मौत का साया ।


नवयौवना उसी प्रकार आंखें बंद किए हुए थी । एक पल के लिए उसकी बांहों में जकडा चाऊ विंग कसमसाया किंतु जब उसने नहीं छोड़ा तो तीव्र झटके के साथ उसने स्वयं को झुड़ाया और नवयौवना के उस नग्न जिस्म पर, जो कुछ पल पूर्व उसे अच्छा लग रहा था, एक जोरदार लात मारकर गुर्राया-" हट ससुरी ।"


चौंककर नवयौवना ने आंखें खोल दीं । आंख खुलते ही उसके सिर से वासनां का गंदा मूत हिरन की भांति चौकड्रियां लगाता हुआ भाग गया । उसने देखा कि चाऊ विंग कांपने में सूखे पत्ते को भी मात कर रहा था । दोनों की दृष्टि एक लड़के पर जमी हुई थी । वह लडका जितना सुंदर था उसके हाथ में उतनी ही खतरनाक चीज थी-------रिवॉत्वर लड़के का रिवॉल्वर चाऊ विंग की छाती से इश्क लडा रहा था । चाऊ विंग के कंठ में सूखा पड़ गया । समूचा चेहरा पसीने से तर था और नशा
सिर पर पैर रखकर हबा के साथ भाग चुका था ।

" तुम कौन हो?" साहस करके चाऊ मिमिया ही उठा ।



" विकास . . . ।"



" वि... का.... .स. ..!" एक साथ दोनों के मुंह से निकला, दोनों की अंतरात्माएं कांप उठी ।


जिस्म में एक भयानक झुरझुरी दौड गई । ऐसा लगता था जैसे कमरे में कोई विस्फोट हुआ हो । दोनों अवाक्-से विकास की और देखते हुए कांप रहे थे । दोनों के नग्न जिस्म कांप उठे। उन्हें विश्वास नहीं आया कि इतना सुन्दर और भोला-सा नजर आने वाला यह लडका विकास है, जिसके नाम से ही खूनी भेड्रिए भी थर्रा उठते हैं ।




"क्यों बेटा चाऊ डार्लिग?" विकास रिवॉल्वर हिलाता हुआ बोला…“क्या हो रहा था? "



बेचारा चाऊ डालिंग…! काटो तो खून नहीं !
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