विकास दी ग्रेट complete

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007
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

अचानक गोयरिग ने भी विकास को टांगों पर रखकर दूर उछाल दिया । इधर गोयरिग उछलकर खड़ा हुआ । उधर विकास न केवल खडा हो गया बल्कि उसकी उंगलियों के मध्य एक आलपिन नृत्य कर उठा ।


अभी गोयरिग कुछ संभल भी नहीं पाया था कि भयानक वेग के साथ सनसनाता हुआ आलपिन उसकी आंख में आ धंसा ।



आंख फूट गई ।

गोयरिग बुरी तरह चीखा ।

गर्म खून की धारा वह निकली ।


तभी विकास ने एक फ्लाइंग किक मारकर उसे फर्श पर गिरने के लिए विवश कर दिया । जोबांचू के कुछ साथियों ने तो घृणा से आंखें बंद कर ली । तभी एक अन्य जालपिन सनसनाया और गोयरिग की दुसरी आँख भी फूट गई ।



गोयरिग अंधा हो गया ।



वह बुरी तरह चीखने लगा ।


लेकिन विकास पागलों की भांति उस पर पिल गया । लात-धुसे ठोकरों से वह उहे बुरी तरह मारने लगा ।


गोर्यारेग असहाय ढंग से चीख रहा था ।

विजय और जोबांचू सहित सभी, मूर्तियों की भाति यह सब देख रहे थे । एकाएक बिकास के हाथों में ब्लेड नजर आया ।


अब उसकी आंखों का वहशीपन बढ़ गया था । ब्लैड देखकर सभी के जिस्मों में कंपकंपी दोड़ गई ।



जोबांचू विकास को रोकने के लिए आगे बढा, तभी विजय ने उसकी कलाई पकड़कर वापस खींच लिया और धीमे से बोला…“सब बेकार है, ऐसे मैंके पर वह किसी की नहीं सुनता ।"



जोबांचू का कंठ सूख गया ।



अंधा गोयरिग बुरी तरह तड़प रहा था ।


तड़पते हुए गोयरिग के जिस्म में एक स्थान पर ब्लैड धंसाकर बिकास एक रेखा-सी खींचता चला गया ।


गोयरिग पीड़ा से बिलबिला उठा, जोबांचू जैसे व्यक्ति ने घृणा से मुंह फेर लिया ।


विजय को ऐसा लगा जैसे विकास को धरती पर उतारकर विधाता ने बड़ा बुरा किया है ।


विकास गोयरिंग के तड़पने की चिंता न करता हुआ बार-बार ब्लैड से उसके जिस्म पर बड्री-बड्री रेखाएं खींचता जा रहा था ।



अंत में.. . . . ।


बुरी तरह लहुलुहान होकर गोयरिग धरती पर गिर गया ।


बह बुरी तरह तड़प रहा था ।


चीख रहा था, चिल्ला रहा था, किंतु अब उसमें उठने की शक्ति शेष नहीं रह गई थी ।



ब्लैड एक तरफ़ फेंककर विकास उसकी तरफ़ लपका और उसकी एक टांग दोनो हाथों में लेकर उठाई, दूसरी टांग पर अपनी दाई टांग रख दी और... ।



उफ्.. .इस बार विजय जैसे व्यक्ति ने भी घृणा से मुंह फेर दिया ।


टांग-पर-टांग रखकर विकास ने गोयरिग के जिस्म को बीच में से चीर दिया ।



मानो कोई कपड़ा फटता चला गया । दिल को चीरकर निकल जाने वाली चीख के साथ गोयरिग मर गया ।



गोयरिग की लाश के लबांई में दो टुकड़े पडे थे ।



गोश्त, और हड्डियां फैली हुई थी ।



विजय ने तो उसे उबकाई---सी जाने को हो गई ।


हजारों व्यक्तियों के हत्यारे गोयरिग का अंत कितना खौफनाक था । उसके चेहरे पर छाए वहशीपन के भाव धीरे--धीरे समाप्त होते जा रहे थे ।


भट्ठी की तरह धधकता हुआ चेहरा शांत पडता जा रहा था ।


उस समय वह चौका जव उसने विकास को, गोयरिग की लाश को 'वी' की शक्ल में रखते देखा ।



वह देख रहा था-विक्रास मासूम लड़के में बदलता जा रहा था ।

"हैलो फूचिंग बेटे, मैं अलफांसे बोल रहा है ।" अलफांसे ने माउथपीस में कहा ।




"तुम. .. ।" दूसरी तरफ से बोलने वाला फूचिंग जैसे अलफांसे का नाम सुनते ही आगबबूला हो गया…“तुम. . .तुम कहाँ हो, मैं तुम्हे जिंदा नहीं छोडूंगा ।”



"मैं तुमसे एक सौदा करना चाहता हू।”



"सोदा. . कैसा सौदा?”



“अंडों का सौदा!”



“अंडे... ।” फूचिंग के मुख से एकदम निकला ।



" यस फूचिंग बेटे, अंडों का सौदा. . . . तुम्हें मालूम होना चाहिए इस समय पांचों अंडे पर मेरे कब्जे में है और मैं तुमसे उनका सौदा करना चाहता हू।”



"फिर कोई चाल. . . . !"



“कोई जाल नहीं फूचिंग बेटे, अब मुझे किसी प्रकार की चाल चलने की आवश्यकता नहीं है । तुम भी जानते हो कि मैं अगर किसी का भी साथ देता हूं तो उसके पीछे मेरा तो कोई-न-क्रोई स्वार्थ होता है । विजय का साथ देने में मेरा यही स्वार्थ था कि अंडे मेरे हाथ लग जाएं और उनके साथ आया और तुम्हारे विरुद्ध कार्य किया, लेकिन अव, जबकि मेरे हाथ में ये अंडे आ चुके हैं तो मैं तुम दोनो के बीच तटस्थ हूं।"



"मतलब? "



“मतलब विल्कुल साफ है । अंडों की जो भी अधिक कीमत देगा अंडे उसी को दे दिए जाएंगे ।"


फूचिंग चकरा गया ।



एक तरफ उसे लग रहा था कि अलफांसे जो कह रहा है वास्तव में सही है और दूसरी तरफ उसे यह संदेह था कि कहीं ये लोग फिर कोई चाल न चल रहे हों । लेकिन विवशता थी, बोला…“क्या कीमत चाहते हो?"


“पचास हजार!"


"पचास हजार?"


"विजय इन अंडो के बदले में मुझे इससे भी अधिक धन दे सकता है ।" एक पल के लिए फूचिंग सोच में पड़ गया ।


फिर बोला----" सौदा कहाँ होगा?"


"बैनसीन की घाटी पर !"


“ओ.कै!"


"लेकिन ध्यान रखना !" अलफांसे चेतावनी-के लहजे में बोला-"अलफांसे से चाल चलने का मतलब बड़ा भयानक होता है । पैसे लेकर तुम अकेले ही आओगे, रात के ठीक तीन बजे, इस समय डेढ़ बजा है । यानी डेढ़ घंटे पश्चात् ।"



इधर मे सौदा हुआ और उधर ।


अचानक विकास के सिर पर एक चपत पडा । उसकी आंखों के सामने रंग-बिरंगे तारे नाच उठे ।


उसने चौंककर देखा तो अपने सामने गन्ने को लहराते देखा । यानी सामने दुम्बकटू खड़ा था ।



विजय एकदम बोला…“बेटा टुम्बकटू यहाँ क्या मटर भूना रहे हो?"



"मैं आपको यह बताने आया हुकि आप यहां आराम फरमा रहे है जबकि बो अंतर्राष्टीय अपराधी पांच अंडों का सौदा फूचिंग से पचास हजार में कर चुका है !"



"क्या मतलब. ..?" विकास चौका…“क्राइमर अंकल . . . ।"



"यस प्यारे दिलजले, बो साला अपनी असलियत पर उतर आया है । अंडे हाथ में आते ही गिरगिट की तरह रंग बदल गया और उसके साथ अपना ये जोबांचू भी मिल गया था ।"



एक पल के लिए विजय सोचता रहा।



सहसा दुम्बकटू बोला-----" रात के ठीक तीन बजे बैनसीन की धरती पर यह सौदा होगा ।" कहने के साथ ही वह कमरे के दरवाजे पर नजर आया ।


तभी विजय चीखा'-'"लेक्लि टुम्बकटू तुम्हें यह खबर यहाँ पहुचाने से क्या लाभ?"



"मैं जानता हूं कि अब आप लोग वहां पहुंचेंगे और मजा रहेगा !”



कहने के साथ ही टुम्बकटू वहां से गायब हो गया ।


विजय, जोबांचू और विकास अवाक से खडे रह गए ।


किसी की भी समझ में टुम्बकटू का चरित्र नहीं आ रहा था ।
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

अचानक विजय बोला…"लो प्यारे दिलजले, अब लोग मजा लेने के लिए अपराध करने लगे हैं ।"



इस समय वे तीनों प्रोफेसर बनर्जी की लाश के समीप खडे थे जो यहाँ हुए इस युद्ध में मारे गए थे ।


बनर्जी की मौत का विजय और विकास को वहुत गहरा दुख हुआ, परंतु वे कर भी क्या सकते थे?


अब तो दोनों के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी…बैनसीन की घाटी ।

बैनसीन की घाटी...! मानो पत्थर के कोयले की घाटी थी । घाटी के चारो और काली स्याह ऊंची चट्टाने थीं, जिनके ऊपर यदि कोई आदमी गिर जाए तो पता भी न लगे कि कहां गिरा था ।



एक ऐसी ही चट्टान पर इस समय अलफांसे खड़ा हुआ था ।


उसके सारे जिस्म पर इस समय काला लिबास था । वह चट्टान के एक स्थाने पर खडा था जहां से वह बैनसौन की घाटी में प्रविष्ट होते हुए प्रत्येक इंसान को देख सकता था ।



उसने फूचिंग को प्रविष्ट होते हुए भी देख लिया था ।


उस समय अलफांसे के होठो पर बडी विचित्र-सी मुस्कान आई थी । जब छुपने का प्रयास करते हुए विजय और विकास को घाटी में प्रविष्ट होते हुए देखा ।


अलफांसे ने भलीभांति स्थिति का अध्ययन किया और पाया कि इन तीन इंसानो और उसके अतिरिक्त घाटी में आसपास कोई नहीं है ।



यही एकमात्र चट्टान ऐसी थी जहाँ से समूची घाटी पर नजर रखी जा सकती थी । कदाचित् इसीलिए फूचिंग भी इसी चट्टान पर आ गया था, किंतु अलफांसे उस समय एक विशाल काले पत्थर की बैक में हो चुका था ।


उसने यह भी देख लिया था कि विजय और विकास भी बड़े गुप्त ढंग से वहां पहुच चुके है और यह मी उसने देख लिया था कि फूचिंग उन को देख नहीं पाया है ।


ठीक तीन बजे... ।


अचानक अलफांसे विशाल पत्थर की बैक से बोला…"सामने आ जाओं, फूचिंग ।"



फूचिंग चौका, उसे यहां किसी की भी उपस्थिति का ज्ञान न था, लेकिन अगले ही पल वह अपना बैग पत्थर की बैक में ही छोडकर बाहर आ गया ।


अलफांसे भी सामने आ चुका था । उसके हाथ में रिवॉल्वर था, उसने एकदम प्रश्न क्रिया-"माल कहाँ है?"



"अंडों का डिब्बा?" फूचिंग भी कठोर और संयम स्वर में बोला ।



तभी अलफांसे के दाएं हाथ में दबी टार्च रौशन हो गई, सबसे पहले प्रकाश का दायरा अंधकार के भाग को पराजित करता फूचिंग के चेहरे से टकराया, फिर वहां से रेंगकर पत्थरों पर नृत्य करने लगा । अंत में एक काली चट्टान पर रखे एक डिब्बे पर स्थिर हो गया, साथ ही अलफांसे बोला------“वह रहा डिब्बा, माल देकर उठा सकते हो ।"



"माल उस पत्थर के पीछे है जहाँ मैं था, ले सकते हो ।" कहकर फूचिंग ने जैसे ही डिब्बे की तरफ बढना चाहा अलफांसे एकदम फुफकारा-“ ठहरो ..!"


फूचिंग ने ठिठककर उसकी तरफ़ देखा ।


" पहले स्वयं माल लाकर मुझे दो ।"



कुछ सोचकर फूचिंग शांति के साथ उस तरफ बढ़ गया लेकिन जब उसने पत्थर के पीछे से अपना बैग गायब पाया तो पैरों तले से मानो एकदम धरती खिसक गई । दिल पर जैसे किसी ने हथौड़ा दे मारा वह एकदम बोला-“बैग. . .मेरा बैग कहाँ गया? "



तभी अलफांसे के मस्तिष्क को भी झटका-सा लगा, उसने तेजी के साथ टार्च का प्रकाश डिब्बे पर फेका बिन्तु डिब्बा भी अपने स्थान से प्रस्थान कर चुका था । वह संयत स्वर में बोला…“फूचिंग बेटे, अंडे भी गायब है?"


"'क्या?" फूचिंग को ऐसा लगा जैसे अभी-अभी विस्फोट हुआ हो ।



"माल इधर है फूचिंग प्यारे" आवाज विजय की थी ।


"और अंडे इधर ।” शरारती विकास के आवाज आई ।



फूचिंग और अलफांसे ने देखा कि शैतान गुरु और चेले उनके दाएं-बाएं हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़े थे । जबकि दोनो 'के बांए हाथ में क्रमश: माल का बैग और अंडों का डिब्बा था । न जाने एक पल के लिए तो अलफांसे बड़े ही रहस्यमय ढंग से मुस्कराया और बोला…"पुझे मालूम था कि तुम यहीं हो ।"



"तुम मेरे गुरु जरूर हो, क्राइमर अंकल!" विकस चीखा----" तुम्ही ने से अपने देश से प्यार करना सिखाया है, साथ ही यह भी सिखाया है कि देश प्रेम मार्ग में चाहे जो आए उसे क्षमा मत करों और अव तुम भी मेरे देश के दुश्मन के रूप में सामने हो.।"


"मतलब? "


“मतलब ये कि मैं आपको जिंदा नहीं छोडूंगा ।" विकास गंभीर और सर्द लहजे में बोला---------“लेकिन वह भी दुनिया के इतिहास में शायद नई बात ही होनी कि शिष्य गुरु को मार दे ।"



"तुम अलफांसे के शिष्य तो जरूर हो प्यारे चेले दी ग्रेट ।" अलफांसे रहस्यमय ढंग से मुस्कराकर बोला-“लेकिन अभी इतने सशक्त नहीं हुए हो कि गुरु को मारने का रिकॉर्ड बना सको ।"



“गुरू !" अभी विकास कहना ही चाहता था कि विजय चीख पड़ा ।



"चुप हो बे साले दिलजले वरना तुझे उठाकर तेरे गुरु पर ही दे मारूंगा ।" विजय सतर्क था…“ये भी ख्याल नहीं है कि हम यहां खडे हैं । अबे, जब तू इस लूमड़ प्यारे गुरु को मारेगा तो हम क्या यहां टमाटर बेचने क्रो खडे हैं?”



"तुम दोनों में से कोई भी नहीं कर सकता, जासूस प्यारे!" अलफांसे बोला-" जरा एक-दूसरे के पीछे देख लो ।" कहते हुए टार्च का प्रकाश पहले विकास के पीछे वाली चट्टानों पर डाला, सामने से विजय ने देखा कि पत्थरों के पीछे से कई रिवॉल्वर झांक रहे थे जिनका रुख विकस की तरफ ही था । फिर अलफांसे ने टार्च का प्रकाश विजय के पीछे वाले पत्थरों में डाला । इस बार विकास ने देखा कि उनके झकझकिए अंकल के पीछे रिवॉल्वर तने हुए है ।



"तो लूमड यहाँ भी लूमड़पना दिखा ही गए ।"



"लूमड़पना तो तुमने भी दिखाया, लेकिन ये भूल गए कि मैं तुमसे ज्यादा बड़ा लूमड हू! बेटा दिलजले! अब ये तमंचे नीचे फेक दो ।" विजय ने अपनी रिवॉल्वर फेंकते हुए कहा ।

विकास ने भी स्थिति को समझते हुए रिवॉल्वर फेक दिया ।

तभी अलफांसे बोला…“फूचिंग बेटे! अब तुम आसानी से लड़के के हाथ से डिब्बा ले सकते है और मैं इस जासूस से अपना माल. . . ।"


"मैं एक प्रार्थना और करूंगा, मिस्टर अलफांसे!” अचानक फूचिंग बोला ।


"क्या?"



"मैं इस लडके से चीन में किए गए अत्याचारों का बदला लेना चाहता हु, इसकी कीमत तुम्हें मुंह मांगी मिलेगी ।"




"लडका तुम्हारे सामने खडा है ।" अलफांसे जहरीले स्वर ने बोला…"चारों औरर छुपे हुए मेरे आदमी तुम्हारा साथ देगे?"



“धन्यवाद !” कहता हुआ फूचिंग शैतानी ढंग से अंधेरे में विकास को घूरता हुआ उसकी तरफ़ बढा ।



"क्यो वे लूमड़ प्यारे, इसी चेले से प्यार करता था तू !" विजय क्रोधित होकर चीखा ।



“मुझे आपसे यह आशा नहीं थी, क्राइमर अंकल!'' विकास तेज स्वर में गुर्राया ।



"बड़े बेवकूफ़ हो तुम गुरु और चेले ।" अलफांसे जहरीले स्वर में बोला-----"इतने दिन अलफांसे के साथ रहकर भी नहीं जाने कि अलफांसे केवल दौलत का दोस्त हो सकता है ।"




"मुझे तो तेरी नस्ल का पहले ही पता था लूमड़!"



“फिर भी धोखा खा गए ।" कहता हुआ रिवॉल्वर संभालकर अलफांसे ठीक विजय के समीप पहुंच गया और बोला-----" जासूस प्यारे, वो माल का बैग मुझे दे दो ।"



उसी पल. . . ।
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

जो फुर्ती विजय ने दिखाई वह हैरतअंगेज थी ।

एक बार तो अलफांसे भी चमत्कृत रह गया ।


विजय ने इतनी तेजी से अलफांसे के रिवॉल्वर वाले हाथ में ठोकर मारी थी कि लाख प्रयास करने के पश्चात् भी वह स्वयं को संभाल न सका और रिवॉल्वर उसके हाथ से निकल गया ।


तभी विजय का हाथ विधूत गति से चला और जब उसका फौलादी घूंसा अलफांसे के जबड़े से टकराया अलफांसे का तो जबड़ा चरमरा ही उठा, साथ ही स्वयं अलफांसे हवा में उछलकर धड़ाम से पत्थरों पर गिरा ।




तभी विजय बोला---"आज तुम्हारा आमलेट बनाकर नहीं खाया तो लूमड खान हम भी विजय दी ग्रेट खानसामा नहीं ।" कहते हुए विजय ने अलफांसे को लिया और फिर जो विजय ने उसे विना कुछ भी करने का अवसर दिए ताबड़तोड़ घूसे उसके चेहरे पर जमाए तो अलफांसे की हालत बेरंग हो गई ।



इस क्षण-भर की पिटाई से ही अलफांसे समझ गया कि आज विजय क्रोध में है और उस पर हावी हो जाएगा ।



अत: उसने नाटक से पर्दा हटाने की सोची और विजय के कान के समीप धीरे से फूसफसाया-------"'विजय बात को समझने की चेष्टा करो ।"



"क्यो बेटा?" विजय एक जोरदार ठोकर उसकी पसलियों में जमाकर बोला-----" हाथ लगते ही पानी के बताशे की तरह फूट गए ।"



तभी अलफांसे को मौका मिला और उसने झट विजय की टांग पकड़कर एक झटका दिया । परिणामस्वरूप विजय महाशय भी त्यौराकर गिरे ।


अलफांसे तेजी और शक्ति के साथ चीखा…“इस चीनी घोंचू को मारो प्यारे चेले दी ग्रेट, इन चट्टानों के पीछे केवल रिवॉल्वर है ।"


अलफांसे के इस वाक्य पर विजय, फूचिंग और बिकास तीनों ही बुरी तरह चौंके ।



विजय और विकास तो ये ही नहीं समझ सके कि अलफांसे के यह सब कहने का अभिप्राय क्या है और फूचिंग की खोपडी तो मानो हवा में तैर रहीं थी ।


अभी वह कुछ समझने की चेष्टा कर ही रहा था कि विकास की जोरदार ठोकर ने उसके रिवॉल्वर वाले हाथ से इश्क लड़ाया, परिणामस्वरूप रिवॉल्वर उसके हाथ से निकलकर कहीं दूर जा गिरा और फिर. . .!



फूचिंग और विकास...!




दोनों जानी दुश्मन.. एक-दूसरे के खून के प्यासे ।


बुरी तरह भिड़ गए ।


उधर . . . !


विजय और अलफांसे!


विजय अलफांसे की हरकतों पर अवाक् था ।


दोनों लड़ाकू खूनी भेड्रिए की भाति एक-दुसरे के सामने खडे थे ।


अलफांसे पूर्ववत् मुस्कराकर बोला…“क्या समझे जासूस प्यारे !'



"हम क्या समझेंगे लूमड़खान तुम्हें तो साला अल्ला मियां भी नहीं समझ सकता ।"



"मैं ये चाहता था कि अपना चेला ही इस साले फूचिंग का कचूमर निकाले ।"


"क्या मतलब?"



"मतलब देख ही रहे हो ।" अलफांसे अजीब ढंग से मुस्कराता हुआ बोंला----“मैंने स्थिति पैदा कर दी है कि विकास फूचिंग की धुनाई करके अपने मन की मुराद पूरी कर ले ।”



"लेकिन स्थिति पैदा करने के और ढंग भी तो हो सकते थे ।"



"वे ढंग ऐसे थे जिनमें मुझें फूचिंग से रुपए प्राप्त नहीं हो सकते थे ।"



" यानी कि तुमने चेले की सहायता भी की और अपने स्वार्थ से बाज भी नहीं आए।"


"जिस दिन मैं कोई कार्य निस्वार्थ भावना से करूंगा उस दिन मैं अलफांसे नहीं कहलाऊंगा ।"

"नहीं बेटा , तुम तो चुकंदर यानी बंदर कहलाओगे ।" विजय बोला-----"लेकिन लगता है कि तुम्हारी बुद्धि को भी जंग लग गया है । तुम जानते ही हो कि फूचिंग चीन का सर्वश्रेष्ठ जासूस है, अपना दिलजला उसका मुकाबला कर सकेगा?"




“लगता है तुमने भीमसेनी काजल में मूँग की दाल मिलाकर खाना छोड दिया है ।" अलफांसे बोला -------" इसीलिए तुम्हारी बुद्धि कमजोर होती जा रही है और ही ये जानकर भी दुख है कि तुम अब भी विकस की शक्ति पर संदेह करते हो, तुम्हें मालूम होना चाहिए कि वह शिष्य किसका है? विकास का विकास किसने कराया हैं ?"




"लूमड़ खान, फिर भी अपना दिलजला अभी बच्चा ही तो है ।"



"केवल आयु मे, जासूस प्यारे! ” अलफांसे बोला-------"हरकतों में वह हम दोनों का बाप हो चुका है ।"



"जब हम दोनों भाई नहीं है तो वह हम दोनों का बाप कैसे हो सकता है?"



"आजकल ऐसा भी होता है ।" अलफांसे बोला…“वेसे कभी भूलकर भी चेले दी ग्रेट के सामने बच्चा मत कह देना वरना तुम्हारी हड्डी-पसली तोड़कर तुम्हारे हाथ में थमा देगा ।"


"इस बात का ख्याल तुम भी रखना ।” विजय भी मस्ती में कह गया ।



और फिर. . .ये दोनों अजीब दोस्त जोरदार ठहाका लगाकर हंस पड़े । ठहाका लगाकर हंसते हुए विजय और अलफांसे गहरे दोस्तों की भाति एक-दूसरे की बांहों में समा गए ।



सारी पहाडी उन दोनों के ठहाकों से गूज रही थी ।


ये कैसे दोस्त थे?


कैसे दुश्मन थे?


दोनों ने एक चेला तैयार किया था बिकास ।


जिसमें विजय के गुण भी थे और अलफांसे की प्रतिभा भी ।


इन्होंने एक ऐसा चेला तैयार किया था जो विकास करता हुआ धीरे-धीरे सारे विश्व पर छाता जा रहा था । ये दोनों दोस्त एक-दूसरे की बांहों में समाए ठहाके लगा रहे थे और इनके द्वारा तैयार किया हुआ चेला इन दोनों के हिस्से का कार्य कर रहा था ।


कैसे खतरनाक थे ये दोस्त या दुश्मन?



"लेकिन प्यारे लूमड़ भाई, कहीं ऐसा न हो कि ये साला फूचिंग अपने दिलजले को ही कमा दे ।"



“ये, तुम्हारी कमजोरी है, जासूस प्यारे!" अलफांसे बोला------तुम्हें विकास की शक्ति पर भरोसा नहीं है, मुझे तो इतना भरोसा हो गया कि विकास को देखकर तो अब तोपें तक मुह फेर लेगी । विजय! सच मानना, हमारे सामने आने से कोई इतना नहीं थर्राता जितना लोग विकास के नाममात्र से ही कांपने लगते हैं ।"



"क्योंकि कुछ काम ये ऐसे ही करता है, जो न इसे तुमने सिखाए है और न ही मैंने ।"

"कारण चाहे जो कुछ रहा हो ।" अलफांसे बोला------" छोडो इन वातो को । आओं, इस शैतान की करतूत अपनी आंखों से देखें ।" कहते हुए दोनों उनकी तरफ़ बढ गए ।


विकास ने अपने पैरों पर रखकर फूचिंग को उछाला तो फूचिंग दुर जाकर गिरा ।


गिरते ही उसने अपनी जुराब से लंबा चाकू खींच लिया और विधुत गति से उछलकर खड़ा हो गया ।


विकास उसके सामने अपने दोनों हाथों को कैरेटों की शक्ल दिए सतर्कता के साथ उसे घूर रहा था ।


एक पल के लिए फूचिंग ने चाकू हवा में उछाला और फिर खूंखार-भाव से वह विकास की तरफ बढा । विकास भी पूर्णतया तैयार था ।



“घबराना मत, प्यारे चेले दी ग्रेट ।" अलफांसे चीखा-“इस साले चीनी का चोंचू का मुरब्बा वना दो ।"


"आपने घबराना सिखाया ही नहीं, अंकल ।” विकास फूचिंग पर दृष्टि जमाए हुए बोला ।


जीते रहो, मेरे मिट्टी के शेर ।"


" मिट्टी का नहीं वे लूमड़ फौलाद का कहो ।" विजय बीच में बोला ।


लेकिन फिर भी उसने साहस का दामन नहीं छोड़ा ।


"बेटे दिलजले! " यकायक विजय बोला…“इसका आमलेट बनाकर खाना है ।"


“नहीं अंकल ।" विकास फूचिंग पर नजर जमाए हुए ही शरारती स्वर में बोल-----"ये चीनी है और चीनी की तो कोई मीठी चीज ही ठीक रहेगी ।"



"अबे ओ बाप हमारे?" विजय माथे पर हाथ मारता हुआ बोला…"तू हमारी कोई बात चलने भी देगा या हमारी छुट्टी करेगा ।"



"चलो अंकल, आपकी बात मान लेता हू ।" विकास इस प्रकार बोला मानो उसने विजय की बात मानकर उस पर केई वहुत बड़ा उपकार किया हो-----" इस चीनी का आमलेट ही बनाएंगे ।"



अभी बह अपना वाक्य पूरा कर ही पाया था कि फूचिंग गज़ब की फुर्ती के साथ चाकू लेकर उस पर झपट पडा, लेकिन लडका पूर्णतया सतर्क था ।


अत: न केवल हल्की-सी झुकाई देकर स्वयं को बचा गया बल्कि एक जोरदार दुलत्ती फूचिंग की पीठ में रसीद कर दी ।



लड़खड़ा कर वह मुंब के वल गिरा ।


अगले ही पल फूचिंग क्रोधावस्था में चाकू संभाले उसके सामने खड़ा था ।


बडी तेजी से वह फिर बिकास पर झपटा। विकास ने इस बार भी स्वयं को बचाने की कोशिश की लेकिन इस बार वह मात खा गया और खचाक से चाकू का फल उसकी बाई कलाई में धंसा ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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विकास के कंठ से हल्की-सी चीख निकल गई । भड़ककर विजय एकदम आगे बढा लेकिन अलफांसे ने तुरंत उसकी कलाई थाम ली बोला-----" जासूस प्यारे, हमारा चेला इतनी जल्दी परास्त होने वाला नहीं है !"

बिकास का हाथ तेज गति से चला और जंजीर फूचिंग के चाकू वाले हाथ पर न केवल लिपटी चली गई बल्कि उसके कांटे उसकी कलाई में धंस गए । विकास ने एक तेज झटका दिया, चाकू तो अंधेरे में पता नहीं कहा जा गिरा लेकिन एक चीख के साथ फूचिंग मुह के बल पत्थरों पर गिरा ।



उसके पश्चात्. . . ।



विकास जैसे पागल हो गया ।



पागलों की तरह वह दनादन जंजीर उसके शरीर पर बरसाने लगा । वह अधमरा-सा हो गया था ।



एकाएक पत्थरों पर तड़पते हुए फूचिंग के हाथ में वहीं पड़ा हुआ रिवॉल्वर आ गया । उसने फुर्ती के साथ विकास पर फायर कर दिया । गोली एकदम विकास के पैर में लगी ।



वह एक चीख के साथ त्यौराकर गिरा ।



विजय फिर उसकी सहायता के लिए बढा ।



किंतु अलफांसे ने सख्ती के साथ उसकी कलाई पकडकर पीछे खींच लिया, बोला…“जो शैतान चार गोलियां जिस्म में होते हुए तीस गज ऊची इमारत से कूद गया, वह एक गोली लगने के बाद इतना परास्त नहीं हो सकता ।"



“तुम इस लड़के को मरवा दोगे ।" अचानक विजय भयानक स्वर में गुर्रा उठा ।



"बको मत ।" अलफांसे भी उसी भाति चिंघाड़ा-"मुझे उस पर यकीन है ।"



“तुम्हारा विश्वास उसे ले डूबेगा !” विजय भावुक होकर न केवल बुरी तरह चीख उठा बल्कि विना किसी पूर्व सूचना के शक्तिशाली घूसा अलफांसे के जबड़े पर रसीद करके विकास की सहायता के लिए उस पर लपका, लेकिन तभी अलफांसे ने पीछे से लपककर उसे पकड लिया और अपने बंधनों में बुरी तरह कसता हुआ बोला…“उस तरफ नहीं, इस तरफ देखो ।" अलफांसे ने धाटी से नीचे संकेत करते हुए कहा…“वो देखो, पूरी एक सेनिक टुकडी इस धाटी को घेरने की कोशिश कर रहीं है ।"



और जब विजय ने देखा तो वास्तव में उसके होश फाख्ता हो गए ।


नीचे घाटी में रुकती हुई जीपे, उसमें से धड़धड़ाकर उतरते हुए सेनिक उसने देख लिए थे ।


वास्तव में इस धाटी को घेरने की चेष्टा की जा रही थी ।


विजय एकदम बोला…“लूमड़ प्यारे, ये क्या चक्कर है?"



"चवकर तो मेरी समझ में आ गया है ।" अलफांसे तेजी के साथ चीखा-----" ये साला चीनी चोंचू इस टुकडी को कहीं आस-पास ही खडा कर आया होया और कह आया होगा कि फायर की आवाज सुनते ही ये लोग धाटी को धेर ले ।"


"अरे बाह !" विजय एकदम उछलता हुआ बोला------" फिर तो अपना जोबांचू भी हेलीकॉप्टर लेकर आता होगा ।"



"क्या मतलब?" चौकने की बारी अलफांसे की थी ।

"मतलब ये प्यारे कि जोबांचू भी हेलीकॉप्टर लिए गोली की आवाज के प्रतीक्षा कर रहा होगा ।"



" बैरी गुड !" अलफांसे प्रसन्नता से उछलता हुआ चीखा----" अब तुम जल्दी से मोर्चा ले लो , ये लोग ऊपर न आने पाएं ।" दोनों तेजी के साथ लपके ।



उधर चीनी सैनिकों की बात सुनकर फूचिंग में एक नवीन शक्ति का संचार हुआ और उछल कर खड़ा हो गया लेकिन वह बेचारा क्या जानता था कि सामने खड़े हुए शैतान की उंगलियों के बीच इस समय उसका ब्रह्मास्त्र यानी आलपिन नृत्य का रहा है ।



अचानक एक क्षण के लिए उसने सू. . सू. . की ध्वनि सुनी और अगले ही पल उसके कंठ से बडी भयानक चीख निकली ।



आलपिन उसकी आंख में धंस गया था । आंख फूट गई थी । गर्म रक्त की धारा वह निकली थी मानो फव्वारा फूटा हो ।


आंख दबाकर वह बुरी तरह चीखा और धडाम से गिर गया ।



" मै तुझे कुत्ते की मौत मारूंगा, सूअर !'' खूनी स्वर में कहता हुआ विकास उस पर झपटा । इस समय उसके हाथ में ब्लैड था ।


इधर पोजीशन लिए हुए अलफांसे ने जब चेले का दरिंदगी-भरा यह वाक्य सुना तो बोला……"नही चेले दी ग्रेट, इसे मारना नहीं है ।"



'गुरुदेव ।" विकस गुर्रा उठा…“मैं हस्तक्षेप नहीं चाहता ।"



" हस्तक्षेप नहीं कर रहा हू बेटे?" अलफांसे बोला…" मै ये कह रहा हू कि इस समय फूर्चिग को मारना तुम्हारी बहादुरी नहीं होगी क्योंकि इस समय मैं और विजय मौजूद थे जिसके कारण फूचिंग खुलकर नहीं लड़ सका, तुम्हारा फूचिंग का असली मुकाबला तो उस दिन होगा जव तुम दोनों विल्कुल अकेले-अकेले भिडोगे ।"



"आप बहादुरी की बात करते है तो जिंदा छोड़ दूंगा गुरू!'' विकास ब्लैड लेकर फूचिंग की ओर बढता हुआ बोला…“लेकिन इस हालत में कि इसे अपनी हीनता का हमेशा ध्यान रहे ।"



और बस वार्तालाप यहीं समाप्त हो गया ।


उधर विजय और अलफांसे ऊपर आने का प्रयास करते हुए सैनिको को गोलियों से भूनने लगे, इधर विकास फूचिंग का क्रिया-कर्म करने लगा ।



समयानुसार विकास को ब्लैड से फूचिंग के माथे का गोश्त काटकर 'विकास' लिखने में केवल एक मिनट लगा ।



उसने नाम इस प्रकार लिखा कि जिससे फूचिंग की कोई ऐसी नस न कटे जिससे वह मर जाए ।



तभी वहां हैलीकॉप्टर की ध्वनि गूंजी ।
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

विजय, अलफांसे और बिकास ने ऊपर देखा----हेलीकाप्टर निरंतर इस पहाडी के करीब आता जा रहा था ।


विकास ने तेजी के साथ रेशम की डोरी निकली ।



फूचिंग के दोनों पैरों में बांधकर उसे चट्टान के नीचे उल्टा लटका दिया ।


फूचिंग चीख रहा था लेकिन व्यर्थ-----रेश्म की डोरी काफी लंबी थी ।

अत: उसने फूचिंग काफी नीचे तक लटका दिया था ।


अगर डोरी टूट जाती तो फूचिंग हजारों फीट नीचे गहरी खाई में जा गिरता और बचने का तो प्रश्न ही न रह जाता ।


डोरी का दूसरा सिरा एक बड़े से काले पत्थर से बांधता हुआ विकास बोला-------"अब आगे तुम्हारा भाग्य है प्यारे चीनी खटमल अगर कोई गोली इस डोरी से आ लगी तो तुम स्वाहा हो जाओगे वरना फिर मुलाकात होगी ।"



डोरी बांधकर वह जैसे ही मुडा तभी एक चपत उसके सिर पर पडा, आतिशबाजी का कमाल सामने नजर आया, तभी ऐसी आवाज उसके कानो में पडी मानो तेज आवाज पर चलता हुआ रेडियो खराब हो गया हो…“क्यो वे बच्चे...यह सब झगडा इस डिब्बे के लिए ही तो हो रहा है !”



बिकास ने देखा कि टुम्बकटू सामने खडा किसी गन्ने की भांति लहरा रहा था ।


उसके नन्हें से हाथ में अंडों वाला डिब्बा था ।


विकास ने आब देखा न ताव बस टुम्बकटू पर झपट पड़ा किंतु उसके ऊपर एक और चपत पडी और टुम्बकटू बोला…“ये क्या बदतमीजी हैं तुम्हें शरीफ़ आदमियों से बात करने का ढंग नहीं आता ।"


विकास संभला, टुम्बकटू अब भी सामने खडा कह रहा था…"तुम लोग देखते ही काटने को दौड़ते हो, अब मै तुम लोगों से नाराज हो गया हुं, मै अंडों को स्वयं ले जाऊंगा ।" कहने के तुरंत बाद ही टुम्बकटू ने एक तरफ़ जम्प लगा दो और इससे पूर्व कि विकास कुछ समझ पाए ।



वह अंधेरे में लुप्त हो गया ।



टुम्बकटू डिब्बा लेकर गायब हो चुका था । विकास आंखें फाड़-फाड़कर उसे खोजने की चेष्टा कर रहा था परंतु टुम्बकटू तो गधे के सींग की तरह गायब हो गया था ।



इधर हैलीकॉप्टर ठीक पहाडी के ऊपर मंडरा रहा था । उसकी सीढी का अंतिम सिरा पहाडी के पत्थरो को स्पर्श कर रहा था । विजय और अलफांसे ने मोर्चा इस प्रकार लगाया था कि एक भी चीनी सेनिक ऊपर नहीं पहुच सका था ।


जैसे ही सीढी का सिरा विजय के समीप अलफांसे चीखा…“चढ जाओ, जासूस प्यारे! हैं, और अगले ही पल विजय हैलीकाॅप्टर की सीढी पकड़कर तेजी के साथ दो-तीन डंडे चढता चला गया ।



इधर अलफांसे भागता हुआ बिकास के समीप आया और बोला-“भागो प्यारे चेले दी ग्रेट, जल्दी वह सीढी पकढ़ लो!"

"लेकिन अंकल, अंडे!” विकास अभी कुछ कहने ही जा रहा था कि अलफांसे तेजी के साथ बोला…“अंडे तुम्हारी जेब पहुच चुके हैं ।"



"क्या.. .?" विकास ने चौंककर 'अपने कोट की जेब पर हाथ मारा तो चौक पड़ा ।


वास्तव में उसकी जेब में एक डिब्बा था जो कदाचित् अलफासे ने ही उसकी जेब में सरका दिया था, किन्तु फिर भी विकास जल्दी से बोला------" अंकल आप ?"


“अबे, मेरी चिंता मत कर उल्लू की दुम फाख्ता!" अलफांसे बोला-"चीनियों के खून में वह ताक्रत्त नहीं है जो अलफांसे को मार सके ।" कहते हुए अलफांसे ने गजब की-सी फुर्ती दिखाते हुए शिष्य को उठाकर हैलीकॉप्टर की सीढी की ओंर ठीक इस प्रकार उछाल दिया मानो कोई गेद उछाल दी हो ।



विवश विकास को सोढी पकड़नी पडी और सीढी पकड़ते ही हेलीकाप्टर हवा में ऊंचा उठता चला गया ।


बिजय और विकस आगे-पीछे डंडो के माध्यम से -धीरे-धीरे ऊपर-ऊपर चढ़ते जा रहे थे ।



कुछ देर तक अलफांसे ऊपर उठते हुए हेलीकॉप्टर को देखता रहा ।



फिर फूचिंग के द्वारा लाए गए माल से भरा वेग उठाया और चूमता हुआ बोला…“भाड़ में जाओ सालो, अपना काम तो हुआ ।"



हैलीकॉप्टर सुरक्षित आकाश में लुप्त हो चुका था ।



इधर चीनी ऊपर चढने की चेष्टा कर रहे थे जबकि अलफांसे इस पहाडी के ऐसे मार्ग को भी जानता था जिसके बारे में चीनी लोग कभी सोच भी नहीं सकते थे ।



माल से भरा हुआ बैग संभालकर बह एक ऐसी दरार में प्रविष्ट होकर गायब हो गया जिसमे केवल एक ही व्यक्ति समा सकता था ।


चीनियों ने उसे बहुत तलाश किया लेकिन उन्हें कुछ न मिला, अलबत्ता रेशम की डोरी को खींचा गया फूचिंग जरूर मिला ।



जिसकी हालत यही खराब थी ।


बह बेहोश हो चुका था ।


एक आंख फूट चुकी थी ।


उसके चेहरे पर टार्च का प्रकाश डाला गया तो सबके दिल एकदम कांप उठे-----“विकास. . .!"



उपस्थित समस्त सेनिक एडी से चोटी तक कांप गए ।



प्रत्येक के दिमाग में केवल एक ही नाम हथौड़े की तरह टकरा रहा था !



विकास . . बिकास . . .विकास . . . !

जोबांचू क्योंकि एक बहुत बड़ा स्मगलर था, अत: उसे चीन से बाहर जाने का गुप्त मार्ग पता था ।


उसने विजय और विकास को भी बडी सरलता के साथ चीन की सीमाओं से सुरक्षित निकाल दिया था ।


जाते समय विजय और बिकास ने उसका धन्यवाद अदा किया था ।


विकास की जेब में रखे डिब्बे में से केवल दो अंडे निकले । साथ में अलफांसे का एक पत्र भी था ।


जिसमें उसने लिखा था…'ये दो अंडे इन पांचों में से हैं और तीन भी उस डिब्बे मे है जो मैं फूचिंग को दे रहा था, इनके स्थान पर उसमे दो नकली अंडे रख दिए हैं ।


अब इन अंडों का महत्व ही समाप्त हो गया है ।


तुम इन दोनों को समाप्त कर देना, शेष तीन स्वयं ही महत्वहीन हो जाएंगे ।


रही उन धाराओं की बात, तो तुम्हारे देश के महान दिमाग यानी डाक्टर जैन और वित्तमंत्री महोदय वे धाराएं जानते हैं, अत: लागू हो सकती हैं ।'



इधर वे दोनों चीन से बाहर पहुच गए थे और उधर चीन में भयानक आंतक फैला हुआ था ।



मुर्दानगी छाई हुई थी ।


मानो मातम मनाया जा रहा था ।


प्रत्येक चेहरा उतरा हुआ, भयभीत, जनता में रोष था ।
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