विकास दी ग्रेट complete

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007
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Re: विकास दी ग्रेट

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पल-भर में संध्या ने भी अपने वक्षस्थल से दशमलव तीन का एक नन्हा किन्तु खतरनाक रिवॉल्वर निकाल लिया ।



तभी उस कमरे में बदहवासी की स्थिति में भागता एक जोबांचू का आदमी प्रविष्ट हुआ और बोला-"चीनी सैनिकों ने इस अड्डे को घेर लिया है !"



'कितने सेनिक हैं?” विकास ने पूछा ।



"बहुत अधिक, उनका नेतृत्व गोयरिग कर रहा है ।"



रेट. . .रेट . .रेट . . . !





तभी मशीनगनों की गड़गड़ाहट से वातावरण गूंज उठा ।



"गोयरिंग. .कौन गोयरिग?"



"चीन का सबसे बड़ा हत्यारा जासूस. ..!" उसके लहजे में भय का पुट था ।



"क्या इरादा है?" विकास उसका मनोबल देखना चाहता था !


"आपके दोनों गुरु और मास्टर गायब है । मास्टर से मतलब जौबांचू से था ।



"घबराने की कोई बात नहीं है ।" विकास दृढ़ता के साथ बोला-----" उनका मुकावला करेंगे ।" कहते हुए विकास ने रिवॉल्वर संभालकर, तेजी के साथ कमरे बाहर जम्प लगा दी ।



चीख-पुकार, मार-काट मची हुई थी ।


अड्डे के अंदर उपस्थित जोबांचू के आदमी रायफल, एल.एम.जी, टॉमीगन, मशीनगन और दस्तीबम जैसे शस्त्र लिए बाहर की तरफ दौड़ रहे थे ।
विकास भी उनके उपर से होता हुआ हवा में किसी तीर की भाति सनसनाता हुआ आगे बडा ।



संध्या भी उसके पीछे झपटी थी । उसने विकास को हवा में सनसनाता भी देखा था और न जाने क्यो इस शैतान की वह करामात देखकर वह भयभीत-सी हो गई ।



अड्डे के बाहर…चारों तरफ की पहाडियों में छाया गहन अंधकार!



उधर पहाडियों में जोबांचू के साथियों ने मोर्चा संभाल रखा था और अंधेरे के पार गहन अंधकार में डूबी सामने की पहाडियों में शायद चीनी सैनिक थे । बिकास कुछ पल तक गहराई से स्थिति का अध्ययन करता रहा ।


गोली थम-थम कर चल रही थी ।



दोनों तरफ़ के जांबाज मोर्चा लगाए हुए थे ।


अचानक बिकास ने समीप बाले इंसान से पूछा-“क्या स्थिति है?”



"हम बुरी तरह धिर गए है ।" वह ध्यान से सामने वाली अंधेरी पहाडियों को घूरता हुआ थोड़े भयभीत से लहजे में बोला…“सैनिक संख्या में सैकडों हैं और उनका नेतृत्व स्वयं गोयरिग कर रहा है ।"




विकास ने अनुमान लगाया कि उपस्थित सब इंसानों पर गोयरिग का भय भूत बनकर छाया हुआ है ।



अभी वह कुछ सोच ही रहा था कि अचानक पहाडियों से एक डरावनी आवाज गूंजी…"आप लोगों के इस अड्डे को चारों ओर से धेर तिया गया है, अगर आप अपनी भलाई चाहते हैं तो आत्मसमर्पण कर दे वरना पहाडियों को भूनकर रख दिया जाएगा ।"



वह चेतावनी रह…रहकर पहाडियों से गूंज रही थी । विकास यह जानने का लाख प्रयास कर रहा था कि यह आबाज कहां से आ रही है किन्तु पहाडियों से टकराकर आवाज कुछ इस प्रकार प्रतिध्वनित हो रही थी कि यह पता लगाना बड़ा कठिन कार्य था । एकाएक उसको सर्चलाइटों का ध्यान आया ।




यहां रहते समय उसे बातों के मध्य पता चला कि पहाडी के नीचे यह अड्डा है ।


उस पहाडी की उभरी हुई चट्टानों पर सर्चलाइट सिस्टम है । यह ध्यान आते ही विशेष ढंग से उसकी आंखें चमक उठी ।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: विकास दी ग्रेट

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अगले ही पल दस्ती बम हाथ में दबाए वह पीछे की और रेग गया । उसने देखा कि यह संध्या थी जो बडी चतुराई और सावधनी के साथ एक ऊंची-सी चट्टान की और रेग रही थी । इस समय उसके हाथ में एक टांमीगन थी ।



विकास उसके पास पहुचा और शरारत के साथ बोला-----"जितने सेनिक मारोगी उतना ही प्यार दूंगा !"



"धांय . . धांय . . . !" तभी दो बार संध्या की टांमीगन ने खांसा । उत्तर में पूरी दो चीखों से वातावरण कांपा ।


वास्तव में संध्या का निशाना भी एकदम अचूक था ।


उत्तर में गोलियों की बाढ दोनों के उपर से गुजर गई । जबकि संध्या अंधेरे में विकास को घूरते हुए बोली-----"चार पहले मारे गए थे, दो अब मार दिए, लाओ छ: प्यार !"

विकास भी उनके उपर से होता हुआ हवा में किसी तीर की भाति सनसनाता हुआ आगे बडा ।



संध्या भी उसके पीछे झपटी थी । उसने विकास को हवा में सनसनाता भी देखा था और न जाने क्यो इस शैतान की वह करामात देखकर वह भयभीत-सी हो गई ।



अड्डे के बाहर…चारों तरफ की पहाडियों में छाया गहन अंधकार!



उधर पहाडियों में जोबांचू के साथियों ने मोर्चा संभाल रखा था और अंधेरे के पार गहन अंधकार में डूबी सामने की पहाडियों में शायद चीनी सैनिक थे । बिकास कुछ पल तक गहराई से स्थिति का अध्ययन करता रहा ।


गोली थम-थम कर चल रही थी ।



दोनों तरफ़ के जांबाज मोर्चा लगाए हुए थे ।


अचानक बिकास ने समीप बाले इंसान से पूछा-“क्या स्थिति है?”



"हम बुरी तरह धिर गए है ।" वह ध्यान से सामने वाली अंधेरी पहाडियों को घूरता हुआ थोड़े भयभीत से लहजे में बोला…“सैनिक संख्या में सैकडों हैं और उनका नेतृत्व स्वयं गोयरिग कर रहा है ।"




विकास ने अनुमान लगाया कि उपस्थित सब इंसानों पर गोयरिग का भय भूत बनकर छाया हुआ है ।



अभी वह कुछ सोच ही रहा था कि अचानक पहाडियों से एक डरावनी आवाज गूंजी…"आप लोगों के इस अड्डे को चारों ओर से धेर तिया गया है, अगर आप अपनी भलाई चाहते हैं तो आत्मसमर्पण कर दे वरना पहाडियों को भूनकर रख दिया जाएगा ।"



वह चेतावनी रह…रहकर पहाडियों से गूंज रही थी । विकास यह जानने का लाख प्रयास कर रहा था कि यह आबाज कहां से आ रही है किन्तु पहाडियों से टकराकर आवाज कुछ इस प्रकार प्रतिध्वनित हो रही थी कि यह पता लगाना बड़ा कठिन कार्य था । एकाएक उसको सर्चलाइटों का ध्यान आया ।




यहां रहते समय उसे बातों के मध्य पता चला कि पहाडी के नीचे यह अड्डा है ।


उस पहाडी की उभरी हुई चट्टानों पर सर्चलाइट सिस्टम है । यह ध्यान आते ही विशेष ढंग से उसकी आंखें चमक उठी ।




अगले ही पल दस्ती बम हाथ में दबाए वह पीछे की और रेग गया । उसने देखा कि यह संध्या थी जो बडी चतुराई और सावधनी के साथ एक ऊंची-सी चट्टान की और रेग रही थी । इस समय उसके हाथ में एक टांमीगन थी ।



विकास उसके पास पहुचा और शरारत के साथ बोला-----"जितने सेनिक मारोगी उतना ही प्यार दूंगा !"



"धांय . . धांय . . . !" तभी दो बार संध्या की टांमीगन ने खांसा । उत्तर में पूरी दो चीखों से वातावरण कांपा ।


वास्तव में संध्या का निशाना भी एकदम अचूक था ।


उत्तर में गोलियों की बाढ दोनों के उपर से गुजर गई । जबकि संध्या अंधेरे में विकास को घूरते हुए बोली-----"चार पहले मारे गए थे, दो अब मार दिए, लाओ छ: प्यार !"

विकास भी उनके उपर से होता हुआ हवा में किसी तीर की भाति सनसनाता हुआ आगे बडा ।



संध्या भी उसके पीछे झपटी थी । उसने विकास को हवा में सनसनाता भी देखा था और न जाने क्यो इस शैतान की वह करामात देखकर वह भयभीत-सी हो गई ।



अड्डे के बाहर…चारों तरफ की पहाडियों में छाया गहन अंधकार!



उधर पहाडियों में जोबांचू के साथियों ने मोर्चा संभाल रखा था और अंधेरे के पार गहन अंधकार में डूबी सामने की पहाडियों में शायद चीनी सैनिक थे । बिकास कुछ पल तक गहराई से स्थिति का अध्ययन करता रहा ।


गोली थम-थम कर चल रही थी ।



दोनों तरफ़ के जांबाज मोर्चा लगाए हुए थे ।


अचानक बिकास ने समीप बाले इंसान से पूछा-“क्या स्थिति है?”



"हम बुरी तरह धिर गए है ।" वह ध्यान से सामने वाली अंधेरी पहाडियों को घूरता हुआ थोड़े भयभीत से लहजे में बोला…“सैनिक संख्या में सैकडों हैं और उनका नेतृत्व स्वयं गोयरिग कर रहा है ।"




विकास ने अनुमान लगाया कि उपस्थित सब इंसानों पर गोयरिग का भय भूत बनकर छाया हुआ है ।



अभी वह कुछ सोच ही रहा था कि अचानक पहाडियों से एक डरावनी आवाज गूंजी…"आप लोगों के इस अड्डे को चारों ओर से धेर तिया गया है, अगर आप अपनी भलाई चाहते हैं तो आत्मसमर्पण कर दे वरना पहाडियों को भूनकर रख दिया जाएगा ।"



वह चेतावनी रह…रहकर पहाडियों से गूंज रही थी । विकास यह जानने का लाख प्रयास कर रहा था कि यह आबाज कहां से आ रही है किन्तु पहाडियों से टकराकर आवाज कुछ इस प्रकार प्रतिध्वनित हो रही थी कि यह पता लगाना बड़ा कठिन कार्य था । एकाएक उसको सर्चलाइटों का ध्यान आया ।




यहां रहते समय उसे बातों के मध्य पता चला कि पहाडी के नीचे यह अड्डा है ।


उस पहाडी की उभरी हुई चट्टानों पर सर्चलाइट सिस्टम है । यह ध्यान आते ही विशेष ढंग से उसकी आंखें चमक उठी ।




अगले ही पल दस्ती बम हाथ में दबाए वह पीछे की और रेग गया । उसने देखा कि यह संध्या थी जो बडी चतुराई और सावधनी के साथ एक ऊंची-सी चट्टान की और रेग रही थी । इस समय उसके हाथ में एक टांमीगन थी ।



विकास उसके पास पहुचा और शरारत के साथ बोला-----"जितने सेनिक मारोगी उतना ही प्यार दूंगा !"



"धांय . . धांय . . . !" तभी दो बार संध्या की टांमीगन ने खांसा । उत्तर में पूरी दो चीखों से वातावरण कांपा ।


वास्तव में संध्या का निशाना भी एकदम अचूक था ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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उत्तर में गोलियों की बाढ दोनों के उपर से गुजर गई । जबकि संध्या अंधेरे में विकास को घूरते हुए बोली-----"चार पहले मारे गए थे, दो अब मार दिए, लाओ छ: प्यार !"
अचानक वह चौक पड़ा । एक कमरे में उसे नारी चीख सुनाई पडी ।




लपककर बिकास कमरे के दरवाजे पर पहुंच गया ।



अंदर का दृश्य देखते ही उसका खून खौल उठा ।



लड़के का जिस्म तन गया । चेहरा दहक उठा । आंखें अंगारे वन गई ।



एक पल के लिए तो वह देखता ही रह गया ।



अंदर कमरे में उफ् !



संध्या निर्वस्त्र खडी थी । एकदम नग्न. . .जिस्म पर एक भी कपडा नहीं था । सिमटी, किसी भयभीत हिरनी की तरह... ।


उसके चारों ओर चीनी कुत्ते खड़े थे ।


वासना के क्रीड़े । हवस के पुजारी । सब जैसे मासूम नारी के शरीर को रोंद देना चाहते थे ।


असहाय अबला पर ये जुल्म । अचानक संध्या के नग्न उरोजों को एक चीनी ने बड़े भद्दे ढंग से मसला और बोला…“बता दो मेरी जान, वो लड़का कहां है?"




“नहीं ।" असहाय संध्या अपने आप में सिमटकर झिझक पडी ।



विकास. . शैतानियत की चरम सीमा पर पहुच गया ।


अगले ही पल वह भयानक और डरावनी आवाज में गरज उठा'-----संध्या. . .घबराओ नहीं मैं आ गया हू----लाशें बिछा दूगा ।" शब्दों के एकदम बाद ही उसकी टांमीगन का जबड़ा खुल गया और पलक झपकते ही सारे सैनिक चीखकर फर्श पर गिरे और तड़पने लगे ।




संध्या की हालत बिचित्र. . . ।


क्रोध में धधकता हुआ विकास । चेहरा----जैसे भट्ठी तप रही थी ।


आंखे…मानो आग उगल रही थी । संध्या दहल उठी मानो कोई वहशी राक्षस सामने खडा था ।


बिल्कुल कोई खूनी भेडिया ।


उन दोनों के नेत्र टकराए ।


न विकास को उसकी नग्नता का ध्यान रहा और न ही स्वयं संध्या को ।


एक-दूसरे की आंखों में खो गए ।


वह अवाक् चमत्कृत, बदहवास न जाने कितने भाव अपनी आंखों में लिए हुए थी । जबकि विकास की आंखे दहक रहीं थी ।

अचानक वहां भागते कदमों की आहट हुई । दोनों की तन्द्रा जैसे एकदम मंग हुई ।


विकास तेजी के साथ घूमा ।


वह अपने वस्त्रों की तरफ लपकी ।



घूमते ही विकास ने देखा कमरे के दरवाजे पर एक अमेरिकन खड़ा था, भयानक चेहरे और बिल्लोरी आंखों बाला अमेरिकन ।


बह गोयरिग के अलावा कोई नहीं था । गोयरिंग एकदम निहत्था था । विकास ने टॉमीगन चलानी चाही, किन्तु भाग्य की अनोखी बात कि टांमीगन में गोलियां समाप्त हो चुकी थी ।



“हा. . .हा. . .हा. . . ।" अचानक गोयरिंग भयानक तरीके से अट्टहास कर उठा ।


विकास का चेहरा कनपटी तक दहल उठा ।


इधर संध्या इस बीच अपनी स्कर्ट पहन चुकी थी ।


यकायक कहकहे के बाद गोयरिग गरजा…“तो तू है बो कुत्ता, जिसने सारे चीन को कंपा दिया है ।"



वह आगे बढता हुआ बोला…"गोयरिंग को तेरी ही तलाश थी ।"


गोयरिग . .यह नाम सुनते ही विकास के जिस्म की समूची नसें तन गई ।



वह भयानक भेडिए की तरह गुर्रा उठा-----------"तो तु है दो हजारों इंसानों का अमेरिकन हत्यारा गोयरिग, अपने देश से भागकर यहां चीनियों का मैला खा रहा है, गंदे सूअर !"



" तूने अभी गोयरिग की शक्ति नहीं देखी है-हिन्दुस्तानी खटमल! " गोयरिग गुर्राया ।




" तेरे जैसे हत्यारे को ही चमगादड़ बनाने के लिए विकास ने ज़न्म लिया है, खटमल की औलाद!" विकास भी भयानक स्वर में गुर्रा रहा था ।



"तो संभल मच्छर !" कहते हुए गोयर्रिग ने उस पर जम्प लगा दी । तभी विकास ने घुमाकर रायफल का कुंदा गोयरिग के पेट में मारा और साथ ही चीखा-" ले तो मच्छर की दुम, आज़ तेरे पापों का घड़ा भर गया है ।" लहराकर चीखता हुआ गोयरिग फर्श पर गिरा परंतु गिरते ही उसने रिवॉल्वर निकाल लिया और विकास की तरफ तानकर बोला-----“हिलना मत्त गीदड़ वरना सारा जिस्म छलनी कर दूगा ।"
विकास ठिठका । ध्यान से अपने सामने रिवॉल्वर तानकर खड़े गोयरिग को देखा ।


इधर संध्या अबाक्. . .वह कपड़े पहन चुकी थी ।


इस समय वह ठीक विकास के बराबर में खडी थी ।


उसने धीमे से पैर चलाकर फर्श पर किसी सैनिक की टांमीगन खोजने का प्रयास किया तो गोयरिग गुर्राया----- लडकी चालाकी मत दिखा, वरना इससे पहले तुझे गोली मार दूगा ।"

संध्या ठिठक गई ।



गोयरिग फिर विकास पर दृष्टि गड़ाकर खूंखार स्वर में बोला-------"सुना है तुम शैतान हो और शैतान को अधिक देर तक जीवित रखना ठीक नहीं होता ।" कहने के साथ ही गोयरिग ने फायर झोंक दिया !


धांय . . . । "नहीं . . . !" चीखती हुई संध्या एकदम विकास के सामने आ गई ।



उफ्-गोली संध्या का कलेजा फाड़ गई ।


एक पल के लिए तो गोयरिग भी अवाक् रह गया ।


जो गोली विकास का सीना तोडने जा रही थी वह संध्या का कलेजा चीर गई । संध्या ने विकास को बचा लिया ।


बिकास भी न रह सका । वह एकदम चीखा…“संध्या...!"


"धांय . . . ! तभी एक गोली चली । लहराकर विकास फर्श पर गिर गया । गोली उसके पैर में लगी थी ।


गोली चलाने वाला गोयरिग था ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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वह अभी तीसरी बार ट्रेगर दबाना ही चाहता था कि-धांय.. .!


एक गोली विकास के रिवॉल्वर से चली ।


निशाना सीधा गोयरिग के हाथ में दबा रिवॉल्वर था । रिवॉल्वर छिटककर दूर जा गिरा ।



विकास ने अपना रिवॉल्वर पैर में गोली लगने के कारण लहराकर फर्श पर गिरते समय निकाल लिया था ।


रिवॉल्वर हाथ से निकलते ही गोयरिग ने फौरन ही कमरे से बाहर जम्प लगा दी ।


विकास गोली लगी होने के बावजूद भी झपटा लेकिन गोयरिग भाग चुका था । गैलरी के मोड़ तक विकास भागा लेकिन गोयरिग नजर नहीं आया ।


तभी उसे संध्या का ध्यान आया । बह लड़खड़ाता हुआ वापस कमरे में ।



संध्या की लाश देखकर विकास जैसा शैतान भी कांप उठा ।


उसकी पथराई आंखें मानो उसी को निहार रही थी ।


विकास भी दहल उठा ।



उसका हदय भी कराह उठा ।


एक क्षण पहले का वह दृश्य उसकी आंखों में घूम गया जब उसके सीने पर लगने वाली गोली संध्या ने अपने कलेजे पर खा ली थी ।


संध्या का प्रेम महान था । इसी का नाम ही तो त्याग है । संध्या ने अपना त्याग दे दिया था ।


विकास उससे छोटा था------"यह कैसा प्यार था? कैसा प्रेम. . कौन-सा अनुराग? घुटनों के बल विकास संध्या की लाश के समीप बैठ गया । उसे लगा जैसे संध्या खडी हो गई हो और वह कह रही हो--"चार पहले मारे थे, दो अब मार दिए, छः . . लाओ प्यार. . .सात. . ।



अभी नहीं. . . । विकास को अपने ही शब्द याद आये-दस युद्ध के बाद सब एक साथ लेना ।


लेकिन अगर इस युद्ध में मैं मारी गई. .. ।


संध्या का वाक्य उसके कान में गूजा----------"अगर मैं मारी गई तो तुम मेरी लाश के इतने ही प्यार लेना विकासा !




"नहीं...नहीँ...संथ्या...!" तड़पकर विकास बुदबुदा उठा------“तुम मरी नहीं हो... मरी नहीं हो ।" कहकर वह पागलों की भाति संध्या के जिस्म से लिपट गया दीवाना-सा होकर बार-बार उसका मुखड़ा चूमने लगा ।


क्या था बिकास?


भावुक...अथवा पत्थर दिल ।


रेट. . .रेट . . .रेट. . . !


टोंमीगनों इत्यादि की गर्जना से जोबांचू दहल उठा । अभी वह अपने अड्डे के समीप वाली पहाडियों में प्रविष्ट ही हुआ था कि एकदम भांप गया कि आज चीनी सैनिकों ने उसके अड्डे को घेर लिया है ।



यह सोचते ही जोबांचू की नसों में तनाव आ गया ।


उसके कंधे पर अभी तक अचेत विजय पड़ा हुआ था ।


अभी वह कुछ सोच ही रहा था कि उसके कंधे पर पड़ा हुआ विजय कुनमुनाया और घीरे धीरे होश में आने लगा ।


जोबांचू ने जल्दी से विजय को एक पथरीली चट्टान पर लिया और होश में आते हुए विजय के गाल पर हल्के-हल्के चपत मारता हुआ प्यार से कहने लगा…"मास्टर. . .उठो मास्टर! "




अचानक विजय खड़ा हो गया और अपने सामने जोबांचू को देखकर वह अपनी बांह बढाता हुआ बोला…“अच्छा बेटा , अब मैं तुम्हारी चटनी वना दूगा ।"



"नहीं मास्टर!'' जोबांचू एकदम बोला…“आप परिस्थितियों को समझने की चेष्टा कीजिए। इस समय हम अपने अड्डे के बहुत समीप है और अड्डे को चीनी सैनिकों ने घेर रखा है ।"



अभी जोबांचू का वाक्य पूरा ही हुआ था कि एक भयानक विस्फोट से समूचा वातावरण दहल उठा ।




विजय ने फौरन उसकी तरफ देखा । उसे याद आया कि विकास उसी अड्डे'मेँ फंसा हुआ है ।



वह जोबांचू से बोला-“लूमड़ कहां है?"



“फ्ता नहीं मास्टर किंतु फिलहाल तो आप इधर की सोचिए!"



"सोचना क्या है बेटे, हमारा शैतान चेला कहां फंसा हुआ है? जो आंखें उसकी तरफ उठेगी उनका भूर्ता बनाकर खा जाऊंगा ।" कहने साथ ही विजय ने तेजी से अड्डे की तरफ़ दौडना आरंभ कर दिया र्कितु तभी पीछे से जोबांचू लपकता हुआ बोला…“मास्टर! यह रिवॉल्वर तो रख लीजिए ।" उसके पश्चात् जोबांचू और विजय भी उस युद्ध में कूद पडे ।




युद्ध उस समय अपने अंतिम दौर में चल रहा था । स्वयं उन दोनों को पता नहीं कि उन्होंने कितने आदमियों को मौत के धाट उतार दिया ।




कल्लेआम करते हुए वे तेजी के साथ अड्डे की तरफ बढते रहे । लाशे बिछाते हुए वे अग्रसर रहे ।



कुछ समय पश्चात् सब कुछ शांत हो गया । कुछ लोग जो जिंदा थे, इधर-उपर दरों में छुप रहे थे । जोबांचू विजय से बिछुड गया था ।



इस समय विजय अड्डे के अंदर पहुच चुका था । उसे विकास की तलाश थी ।


सहसा उसकी नजर एक कमरे में पडी तो विकास को देखकर दंग रह गया ।


पागलों की तरह वह संध्या से लिपटा उसकी लाश को रह-रहकर चूम रहा था ।



बिजय अवाक्-सा खडा हुआ उसे देखता रहा।


एकाएक विकास वहुत ही खतरनाक और ठंडे स्वर में गुर्राया, इतने अधिक ठंडे लहजे में कि सारा कमरा जमता-सा लगा------" तुम्हारी कसम खाता हूं संध्या कि; उस गोयांरेंग नामक कुत्ते की टांग-पर-टांग रखकर चीर दूगा. . . । मैं तुम्हारी मौत का भयानक बदला लूगा ।"




परिस्थिति ऐसी थी कि विजय भी भावुक होने जा रहा था किन्तु इस समय ठीक नहीं समझा, अपनी भावुकता का गला घोंटकर विजय अपने ही लहजे में बोला…“क्यो वे दिलजले, ये क्या कन्याबाजी हो रही है?"




एक झटके के साथ विकास विजय की तरफ़ घूम गया । विकास का रूप देखकर अंदर-ही-अंदर विजय दहल उठा ।


विकास वहशी भेडिया नजर आ रहा था । विजय के जिस्म में अंदर-ही-अंदर एक झूरझूरी-सी दौड गई, लेकिन प्रकट मे वह बोला-------" क्यों बे बालब्रहाचारी का होकर ये हरकत ।”



“मैं उस गोयरिग के बच्चे को जिंदा नहीं छोडूंगा अंकल" विकास किसी शेर की भाँति दहाड़ उठा…"मैं उस कुत्ते को फाडकर सुखा दूगा, उसने संध्या को मारा है।"



“लेकिन प्यारे दिलजले फिलहाल तो यहां से चलो...यहां खतरा है ।"


"अंकल . . ।" विकास किसी सर्पं की भांति फुंफ़कार उठा----"आप अंकल होने के साथ-साथ मेरे गुरु भी हैं, आपका चेला खतरों से नहीं डरता अंकल, सारे चीन में आग लगा दूगा । सबको जलाकर खाक कर दूगा ।"



" तुम भावुक हो रहे हो बेटे?" विजय बोला--------“जबकि सबसे पहली शिक्षा तुम्हें यही गई कि भावुकता को ताक पर रख दो ।"
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"भाड में गए अपके सिद्धांत ।" विकास खूनी होकर गुर्रा उठा------" ऐसे गुरु को मुझे गुरु कहते हुए शर्म आती है जो नारी के इतने बड़े बलिदान को देखकर भी पत्थर बना रहे ।"



"तुम आवश्यकता से कुछ अधिक ही भावुक हो बेटे!" यू अंदर-ही-अंदर विजय की स्थिति भी विकास जैसे ही हो रही थी किंतु प्रकट में बोला-------"तुम ये भी भूल गए कि तुम्हारे सामने कौन खडा है?"



"मूला नहीं हूं अंकल!" यह गुर्राया---------------" जानता हूं कि सामने मेरे पूज्यनीय गुरु खड़े हैं, जिनका दिल पत्थर है, भाबुकता से जिनका नाता नहीं है । वे गुरु खडे है जिनका खून भावुकता के मामले में एकदम सफेद है [ आप भी सुन लीजिए अंकल, आपको याद नहीं रहा है कि अपके सामने आपका शिष्य खडा है है अगर संध्या अपनी जान न दे देती तो इस समय आपके सामने विकास की लाश होती ।"

“क्या मतलब?" इस बार वास्तव में विजय चौका ।



"जो गोली मेरी जान लेने जा रही थी, वह संध्या ने अपने सीने पर खाई है ।" बिकास गरज रहा था…"मैं उसक कुत्ते के चीथड़े कर दूगा ।"



यह जानकर तो विजय का दिल भी जैसे पिघल गया । ह्रदय भी भर आया । उसकी दिल ने भी चाहा कि गोयरिग को फाड़कर सूखा दे, लेकिन इस समय भावुकता प्रकट करना एकदम गलत था । विकास उस समय पुरी तरह भावुक था, विजय जानता था कि विकास एक जिद्दी प्रवृत्ति का लड़का है । अपनी जिद के सामने वह किसी की नहीं सुनता, विजय उसे समझाने वाले भाव में बोला----“लेकिन इस जिदगी में इस तरह की घटनाएं तो आए दिन की है, कब तक भावुक बने रहोंगे ?"



"जब तक संध्या जैसी बलिदानी इस धरती पर है !" विकास दृढ़ स्वर में बोला ।



"लेकिन अब गोयरिग को कहां खोजोगे?"



"मैं उसे पाताल में भी नहीं छोडूंगा ।"


“लेकिन इस समय तुम चीन में हो और ये बेकार की बाते... ।"



"बस ।" विकास बीच में ही चिंघाड़ उठा---------चुप हो जाइए अंकल, ऐसे शब्द मत कहिए कि शिष्य की नजरों में गुरु गिर जाए.. आपको ये सब बाते बेकार की लगती है ?"




"जुबान को लगाम दो, शैतान लड़के!" इस बार विजय भी खूंखार स्वर में गुर्रा उठा…"तुमसे ज्यादा मैंने दुनिया देखी है । हर काम भावुकता से नहीं चलता। भावुकता पर रखे गए फैसले हमेशा धोखा देते है ।"




गुरु की गुर्राहट सुनकर विकास कांप उठा ।


विकास ने आज पहली बार विजय को गुर्राते देखा, गुर्राहट सुनकर वह सहम गया था परंतु साहस करके वह बोला…“आपने इस दुनिया को पत्थर दिल ह्रदय से देखा है अंकल, आपको वह नज़र नहीं आएगा, जो मैं देख सकता हूं !"



"तुम्हारी जुबान बहुत लंबी हो गई है, लड़के!'' विजय बोला-“तुम्हें यह ध्यान नहीं रहता कि सामने कौन खडा है?"



“मैं आपकी बेहद इज्जत करता हू अंकल!" विकास का लहजा एकदम सर्द था--------------“आप मेरे गुरु है, आपके चरणों की सौगंध लेकर कहता हू गुरु कि मैं गोयरिग से संध्या की मौत का बदला अवश्य लूगा ।"



"तुम नहीं जानते कि तुम्हारी यह जिद्द तुम्हें कितने खतरे में डाल सकती है ।"



"बिजय अंकल! आप. . .मेरे गुरु मुझे खतरों से डरा रहे है ।"



"व्यर्थ के खतरों से खेलना कहां की बुद्धिमानी है?”



"अंक्ल...!" एक बार फिर विकास भयानक ढंग से चीख पडा…“व्यर्थ का खतरा होगा, आपके लिए...म...मैं...मैंने ।"



अभी विकास कुछ कहने ही जा रहा था कि तभी जोबांचू ने कमरे में प्रवेश किया ।



प्रविष्ट होते ही वह बोला-----"कुछ सैनिक मारे गए और कुछ पकड़े गए. . उनमे गोयरिग भी है ।"



तभी जोबांचू के कुछ आदमी गोयरिग को लेकर अंदर प्रविष्ट हुए, गोयरिंग इस समय रायफ्लॉ के साए में था ।



गोयरिंग.......!




विकास के समूचे जिस्म में एक अनोखा तनाव आ गया । समस्त नसें बुरी तरह तन गई ।

जिस्म क्रोध से कांप उठा ।


सारा चेहरा दहकती हुई भट्ठी में बदल गया ।



लडके का यह रूप देखकर सभी कांप गए ।



और गोयरिंग... ।



उसकी हालत.. . ।



जैसे कसाई के सामने बकरा, हजारों का हत्यारा कांप उठा ।



विकास का भय तो पहले से ही उसके दिमाग पर था जिसको वह ऊपरी शक्ति से दबा रहा था, परंतु उस समय तो पंद्रह वर्षीय उस शैतानी रूप के सामने उसकी रूह तक फ़ना हो गई ।



विजय भी कुछ नहीं बोला, वह जानता था कि इस समय विकास अर्ध-पागल की स्थिति में है ।


इस समय वह उसका भी ख्याल नहीं करेगा । इधर विकास खूंखार स्वर में चीखा--------------"गोयरिंग......... अमेरिकन कुत्ते! तेरी मौत बड्री भयानक होगी ।" कहने के साथ ही वह गोयरिग पर झपट पड़ा । एक फ्लाइंग किक में गोयरिग पथरीली धरती पर गिरा ।



तभी जोबांचू के एक साथी ने लपककर विकास को पकड़ना चाहा किन्तु विकास ने एक झटके में उसे दूर फेक दिया---- "जोबांचू!" कहने के तुरंत बाद वह फिर गोयरिग पर झपट पड़ा ।



फिर जो गोयरिग के चेहरे पर घूंसों की वर्षा हुई कि… ।



विजय चुपचाप खडा देखता रहा।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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