विकास दी ग्रेट complete

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Re: विकास दी ग्रेट

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"कपड़े पहन शैतान की अम्मा !" विकास नवयौवना की तरफ़ देखकर गुर्राया----बरना पंखे पर लटका दूगा ।"


नवयौवना कांप गई ।


एकदम वह कपडों की तरफ़ लपकी । तभी चाऊ भी अपने कपडों की तरफ बढा परंतु उसी क्षण विकास की रिवॉल्वर का दबाव बढ़ गया और वह खूनी स्वर में बोला-“तुम कहां चले बेटा चाऊ डार्लिंग मेरे ख्याल से तुम इसी पोज़ में ज्यादा अच्छे लगते हो ।"


चाऊ ठिठका...मानो रो देगा ।



सामने यमदूत.. .हालत बेरंग ।



"बेटा चाऊ!" विकास ने पुकारा।



" जी...." वह मिमिया उठा !



"एक बात बताओं ।"



"पूछिए ।" बडी कठिनाई से उसने थूक सटकते हुए कहा ।



"भारत से जो पांच अंडे लाए गए हैं कहां हैं ?"



"ज . .ज . . जी मैं नहीं जानता।”



"प्रोफेसर बनर्जी कहां हैं?"


"व…वो भी नहीं जानता ।" चाऊ बहुत ही भयभीत हो गया था ।



"तुम क्या जानते हो ?"



"ज…जी… ।" वह बौखला गया।


उधर नवयौबना कपडे. पहनकर तैयार हो गई थी ।



विकास ने उसकी तरफ देखा और बोला…“शेतान की खाला!"



"जी........!"




" यह तो चाकू !" विकास ने एक खुला हुआ चाकू उसकी तरफ बढा दिया ।



बह कुछ हिचकिचाइं परंतु विकास के तेवर देखकर उसकी सात पुश्ते कांप उठी । उसने चाकू ले लिया ।


विकास ने अगला आदेश दिया…“अपने डार्लिग चाऊ का लिंग काट दो?


"क्या ..?" लडकी कांपकर दो कदम पीछे हट गई ।



“नहीं . . ऽ. . . ऽ . . ।" चाऊ बुरी तरह से कांप उठा । माने रो देस । बेचारा चाऊ कितना विवश था । उसकी आंखों में आसू तैर गए । वह करे भी क्या? लडकी की आंखें हैरत से फैली हुई थी ।


शायद वह साक्षात् मौत को देखकर भी इतना भयभीत न होता जितना इस समय विकास से था । लडका उसे सजा ही इतनी भयानक दे रहा था । वह गिड़गिड़ा उठा…"नहीं. . .नही. . .मुझ पर रहम करो. ..रहम... !"




"बक्रो मत अय्याश खटमल !” एकाएक विकास भयानक भेडिया बनकर गुर्रा उठा ।


उसका मासूम चेहरा दहककर भयानक हो गया था । आखे जल रही थी ।


वह फुफकार उठा…"तुम जैसे अय्याशों ने ही नारी मानवता को पतन के मुह पर ला खड़ा किया है । मैं तुम जैसे किसी अय्याश कुत्ते को इस लायक नहीं छोडूंगा कि आगे कभी . . . ।"


"नहीं--नहीं--. ।" चाऊ बीच में ही गिड़गिड़ा उठा । आँसू बहने लगे। वह विकास के पैरों में गिर गया और रोता हुआ बोला…“मुझे माफ कर दो ।"



“बक्रो मत, चीनी सूअर!" विकास गरज उठा । वह भला उन पूतो में से कहाँ था जो आसू देखकर पिघल जाएं? उसे अपराधियों से बेहद घृणा थी ।


अय्याशों को वह अय्याशी के काबिल नहीं छोड़ता था । चाऊ जितना गिड़गिड़ा रहा था, विकास उतना ही भयानक होता जा रहा था । उसने मेडिए की भांति दहकती आंखों से लड़की की तरफ़ देखा और किसी जहरीले सर्प की भांति फूफकारा-----" अय्याश लड़की, जो कहा, सुना नहीं?"




लडकी की सात पुश्ते कांप उठी ।



सामने खडा था शैतान …!

मौत से अधिक भयानक!

मरती क्या न करती?

चाकू लेकर आगे बढी ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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रोता-गिड़गिड़ाता हुआ चाऊ विंग विकास के पैरों में लेट गया परं तभी उसके जबड़े पर विकास की एक जोरदार ठोकर पडी------------"तुम जैसे कुत्तों को मे इस धस्ती पर नहीं रहने दूंगा । खड़ा हो जा वरना उस कुत्ते मौत मारूगा कि सारा चीन दहल उठेगा ।"



"मुझे क्षमा... ।"


धांय! !!!



अभी उसका वाक्य भी पूरा नहीं हुआ था कि विकास ने एक गोली उसके हाथों के जोड पर दे मारी ।



वह भयानक ढंग से चीखा । साथ ही उसका हाथ बेकार होकर झूल गया । विकास के जिस्म का सारा खून जैसे बस उसके गोरे चेहरे पर उतर आया !




भयानक आग की तपिश जैसे उसकी आंखों में थी । वह लडकी को घूरकर गुर्राया------------"तुम अपना काम करो, गंदी कुतिया!"



उसके बाद विश्व का निर्मम, घृणास्पद, भयानक और खौफनाक दृश्य!


चाऊ तरह चीख रहा था । लड़की चाकू लेकर उसकी तरफ बढी ।



वह तड़पकर चिखा , गिड़गिड़ाया और रोया पर लड़की भी विवश थी । सामने यमदूत जो खडा था । उसका चाकू वाला हाथ विद्युत गति से चला ।



उफ् ! घृणा, भय और दहशत से लड़की ने स्वयं नेत्र बंद कर लिए ।


चाऊ की चीख से कमरा दहल उठा ।


इतना खौफ़नाक दृश्य कि वहशी खूनी भेड्रिए भी मुंह फेर ले ।


स्वयं क्रूरता कांप उठे । चाऊ के जिस्म का वह अंग फर्श पर गिरा जिससे वह अपराध करता था । खून से सना चाकू लड़की के हाथ से निकलकर फर्श पर गिर गया । चाऊ बुरी तरह तड़प रहा था । जबकि विकास गुर्रा उठा…"चीन में बसने वाले तुझ जैसे अय्याश तुझसे सबक लेंगे गंदी नाली के कीड़े ।"


चीखता-चीखता वह एकदम शांत हो गया । या तो बेहोश हो गया था अथवा मृत्यु को प्राप्त हो गया था ।



लड़की उसके जिस्म को देखकर थर-थर कांप रही थी । एक-एक शब्द विकास गुर्राया----------"तू भी तो अय्याश कुतिया है, जो पुरुषों को ठगती है ।"



“म...मैं...मैँ... ।" वह हक्ला ही रहीं थी कि…र्धाय! !!



एक गोली उसके सीने में लगी और वह चीखकर वहीं गिर पडी ।

अक्सर विकास अकेला काम करने का आदी था । इसीलिए वह जोबांचू को धोखा देकर बडी स्फाई के साथ उसके अड्डे से निकल आया ।



वही से एक जीप ली और इस समय वह पीकिंग में था । वह अंडों और प्रोफेसर के विषय में पता लगाना चाहता था ।


चीनी जाति से उसे बेहद नफरत थी । चीनियों ने उसे यातनाएं दी थी इसीलिए वह और भी अधिक प्रतिशोध की आग में जल रहा था ।


उस पर अय्याशो से तो वह बेहद घृणा करता था ।


उस समय से वह और भी अधिक घृणा करता था जब से माफिया के चीफ डान मास्रोनी ने उसकी मां रैना के ऊपर बुरी दृष्टि डाली थी ।



अय्याशो को भयानक सजा देने में उसके दिल को शांति-भी मिलती थी । इस समय वह भयानक भेडिया नहीं बल्कि मासूम बालक नजर आ रहा था ।



उसके सुदर चेहरे पर साधारण से भाव थे ।


चाऊ विंग और उस लड़की का वह पूरी तरह क्रिया-कर्म करके लौट रहा था ।


इस समय उसके दिमाग में एक योजना थी । पीकिंग की सड़के रात के समय खाली पडी थी ।


केवल मिलिट्री गश्त जारी थी , एक-आध गश्ती जीप विकास से टकराई भी थी जिन्हें विकास ने पूरा क्रिया-कर्म करके ठिकाने लगा दिया ।


इस समय वह अपने एक विशेष लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा था ।



रात के साढे तीन बजे का समय ।

उस कमरे में हरा नन्हा-सा नाइट बल्ब जल रहा था । यह कमरा "चोंचू बनाम घोंचू बनाम झोंचू" नामक अखबार के प्रधान संपादक मिस्टर पिंक लामा तबाले का था ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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मिस्टर पिंक लामा यूं तो अकेले ही थे परंतु उनके अकेले के पास इतना जिस्म था कि साधारण चीनी उसमें से कम-से-कम पांच वन सकते थे । पिंक लामा तों उनका नाम था ओंर तबालू यार लोगों ने उनकी दस-पाँच तबलों जैसी तोंद देखकर उनके नाम के साथ चिपका दिया था । वैसे इस समय इस छोटे से कमरे मे उन्हें खर्राटे ऐसे गूंज रहे थे मानो कोई भैंस रंभा रही हो ।


जब सांस उसके ज़बडो से बाहर निकलती तो लगता जैसे भयानक तूफान आ गया हो ।


दुनिया से बेखबर वे सो रहे थे ।


अचानक उनकी तोंद को एक रिवॉल्वर की नाल ने आ छेड़ा । जब छेड़खानी जरूरत से ज्यादा बढ़ गई तो चोंककर तबालू साहब ने अपनी बिल्लौरी आंखें खोल दी, उसकी सांस की गति कुछ तेज हो गई ।



तोंद के फूलने और पिचकने की गति में आश्चर्यजनक तेजी आ गई ।


आती भी क्यों नहीं? यमदूत जो खडा था । उसके हाथ में रिवॉल्वर था । रिवॉल्वर देखकर ही तो उसकी तोंद की गति में अंतर आया था । वरना वे सामने खड़े मासूम लड़के से भला कहाँ घबराने वाले थे ।

आखिर वह अपनी सात पुश्तों की शक्ति समेटकर मिमिया ही उठा-----"त . .तु.....तुम कौन हो. .?" ऐसा लगा जैसे कहीं दूर तबले बज रहे हौं ।



"विकास ।" लड़के ने बड़ा संक्षिप्त-सा उत्तर दिया ।



"वि...बि...का...सा" तबालू साहब की जैसे एकदम अम्मा मर गई । पांच चीनियों का संयुक्त जिस्म सूखे पत्ते की भाति कांपने लगा । कंठ में सूखा पड़ गया । उसे लगने लगा कि अब उसकी लाश पंखे पर दिखाई देगी । अब तबालू साहब की रिबाल्बर से नहीं उस नन्हें शैतान से डर लग रहा था । उसके मुह से दो मिनट बाद मिमयाता सा स्बर निकला-----------------“आप यहां?"



"हां बेटा, तबालू !" विकास बोला---"सुना है कि में चोचू के संपादक हो?"



"जी ......" ऐसा लगा कि जैसे अचानक कोई मुर्दा बोल उठा हो…"मैं चीन की दीवार की कसम खाकर कहता हू कि अगर आपको एतराज है तो कल मैं अखबार नहीं निकालूगा ।"


" अगर अखबार नहीं निकला तबालू बेटे तो ये तोंद फाड दूगा ।"



"ज. . .जी. .. ।" तवालू मिमिया उठा---------"तो. . .तो. ..आप क्या चाहते हो?"




" कल के अखवार की सबसे मुख्य खबर ये होगी ।" कहते हुए विकास ने अपना लिखा हुआ कागज उसकी तरफ बढ़ा दिया ।


तबालू साहव की तो जेसे बाछें खिल गई । क्या पता था कि वे सस्ते छूट जाएंगे । यह कागज पर ठीक ऐसे झपटे जेसे बाज कबूतर पर !


तबालू साहव की तो जेसे बाछें खिल गई । क्या पता था कि वे सस्ते छूट जाएंगे । बह कागज पर ठीक ऐसे झपटे जेसे बाज कबूतर पर !



एकदम जैसे मुरदे मे प्राण आ गए । यह बोला-------"जरूर. . .जरूर जैसे आपकी आज्ञा ।”



"रातोंरात यह खबर इस टेलीफोन के जरिए चीन के सभी प्रसिद्ध अखबारों को दे दो, यह खबर तुम्हारे ही अखबार में नहीं प्रत्येक अखबार मे होनी चाहिए वरना तुम्हारी लाश. . . ।"



“नहीं . . .नहीं . . . ।" तवालू मिमिया उठा-"जैसा आप कहते है वेसा ही होगा ।"



उसके बाद जब विकास वहाँ से चला गया था, तबालू साहब बिस्तर पर लंबे होकर लंबी-लंबी सांसे लेने लगे । मानो उम्हें अपने जीवित होने में संदेह हो ।




विकास के नाम पर भय से थर-थर कांपते पीकिंग के समूचे मस्तिष्क पर एक बेहद गहरी चोट और पडी ।



समूचे पीकिंग में मानो प्रलय आ गई ।


सारा चीन भय से थर-थर कांप रहा था । इस नई चोट से अधिकारी तिलमिला उठे परंतु करते क्या? प्रत्येक चीनी अधिकारी अंदर-ही-अंदर शैतान बिकास से कांपने लगा था ।




आज प्रात: होते ही सारे पीकिंग में हाहाकार मच गया । चीनी जनता पुरी तरह भडक गई । चीनी सरकार को गालियां पड़ने लगी । अधिकारियों की कुर्सियां डगमगा उठी ।



फूचिग जैसे जासूस की खोपडी भी हवा हो गई ।


आज के अखबार में छपी हुई खबर----------उफ्---चीन सरकार के अभिमान को कितनी बडी चुनौती? समूचे चीन का कितना बड़ा अपमान?

आज के अखबार में छपी हुई खबर----------उफ्---चीन सरकार के अभिमान को कितनी बडी चुनौती? समूचे चीन का कितना बड़ा अपमान?


चीन का ही नहीं बल्कि शायद कभी किसी देश का न हुआ हो । उसी के देश में छुपा हुआ विदेशी उसी की सरकारी मशीनरी को चेलेंज करे? कदाचित् ऐसा कोई अन्य उदाहरण नहीं था ।


रह…रहकर फूचिंग आज के अखबार में प्रकाशित खबर को पढ़ता और क्रोध से जैसे वह पागल हुआ जाता । उसी के देश में एक छटांक-भर का लडका उसे इतनी बडी मात दे, इससे बड़ा उसका अपमान नहीं हो सकता ।
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और इधर. .. ।


उस शेतान लड़के के शुभचिंतक !



विजय, अलफांसे और उनके साथ थी-------------संध्या ।



उनकी आंखो के सामने आज़ का अखबार पडा हुआ था । तीनों उस लड़के की करतूत पढ़ रहे थे ।



विजय और अलफांसे शातिर अंदर-ही-अंदर कांप उठे । उन्हें लगा कि यह लड़का अधिक दिन तक जिंदा नहीं रह सकेगा । इतने भयानक खेल, एक इंसान कदापि नहीं खेल सकता ।



विकास का संदेश मिलने के बाद ये तीनों अपने उस खंडहर बाले अड्डे में आग लगाकर भागे थे, अंधेरी गलियों में से गुजरकर वे पीकिंग को पार करना चाहते थे ।


अलफांसे के कंधों पर उस समय चीन का एजेंट डाबलक्रास था जो विकास बनकर आ मिला था । वे जोबांचू के अहे पर जाना चाहते थे कि उन्हें महसूस हुआ कि पीकिंग के चप्पे-चप्पे पर सेनिक फैले हुए हैं ।

साधारण ढंग से उनकी आंखों धुल झोंककर
निकलना एकदम असंभव था । जिस समय वे एक सड़क पर से गुजर रहे है तो बे लोग एक गश्ती चीनी सैनिक टुकडी से टकरा गए थे ।



खैर, किसी तरह इन्होने उनसे जान छुड़ाई और भागकर एक घर में घुस गए । इस समय बे इसी मकान है थे ।



पीकिंग की सड़कों पर उन्हें खोजा जा रहा था । इस मकान से निकलने का मतलब था सीधी मौत !



इस मकान में एक साधारण-सा चीनी परिवार रहता था। जिसमे एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे एक लड़का और एक लडकी थी । इन्होंने इन सबको रिवॉल्बरों की नोंक पर एक कमरे में पहले अलग-अलग कसकर बांध दिया और फिर कमरा बंद कर दिया था । उनमें से कोई भी चूं-पटाक करने की स्थिति में नहीं था क्योंकि सबके मुह में कपडा ठूंस दिया गया था ।



इस मकान पर अब इन तीनों का ही राज्य था ।



तीनों ने अपने ही मुंह पर चीनी मेकअप कर लिया था । वे लगातार दो दिन है यहां रह रहे थे । पहले दिन हुई पीर्किग शहर पर लाशों की वर्षा के बिषय में भी उन्हें जानकारी थी ।



वह यह भी जानते वे कि यह सब वह शेतान लडका कर रहा है। विजय और अलफांसे के जिस्म में झुरझुरी भी दौड गई ।



दोनों की आंखें टकराई, मानो आखों-ही-आंखों में पूछ रहे हों कि विकास क्या है? कहीं यह लडका... ।


संध्या की आंखें तो भयमिश्रित आश्चर्य के साथ फैल गई । उसने विकास को देखा नहीं था । केवल उसके विषय में सुन रही थी । उससे कुछ भी नहीं छुपा था। पीकिंग शहर पर हुई लाशों की वर्षा, समूचे चीन पर छाया हुआ आतंक ।



अखबारों में छपे विकास के खूनी कारनामे । पंखों पर लटकती लाश । 'वी' की शक्ल में पडी लाशें! इत्यादि सभी संध्या की आँखों के सामने घूम जाता ।



उसके ह्रदय में विकास की तस्वीर खिंच गई । वह विकास के लिए भांति-भाति की कल्पनाएं करने लगी । वह बहुत आतुर थी, देखना चाहती थी कि चौदह वर्ष का यह कैसा लडका है जो इतना साहसी, इतना बुद्धिमान और बहादुर है?



पहले से ही संध्या के दिल में बिकास को देखने की, उससे मिलने की तीव्र अभिलाषा थी और फिर आज के पत्रों में छपे विकास के समाचार, चीन सरकार को दिया गया उसका चेलेंज । उफ् नहीं. . .संध्या के हृदय से एक आवाज उठी-----------“विकास कोई लड़का नहीं हो सकता । निश्चिराँ रूप से वह किन्हीं देवी शक्ति का मालिक है ।"


संध्या की आंखें आज के अखबार में छपे एक चित्र पर जमी हुई थी । उसने देखा------एक चीनी की लाश थी । विल्कूल नग्न, उल्टी, पंगे से लटकी हुई, एकं आंख फूटी हुई, माथे पर लिखा हुआ विकास । और. . .और...सबसे अधिक भयानक उस चीनी के जिस्म का एक अंग काट लिया गया था ।



संध्या दहल उठी । उसकी आंखो के आगे एक चित्र खिंचा------किसो वहशी राक्षस का चित्र । निश्चित रूप से विकास कोई राक्षस होगा । संध्या के सुंदर सुंदर मुखड़े पर पसीना उभर आया, सारा जिस्म कांप उठा । फिर संभलकर उसने पढ़ा----- लाश के नीचे "चाऊ विंग' लिखा हुआ था । एक तरफ़ मोटे-मोटे अक्षरों में विकास का संदेश था…..... "चाऊ विंग' नामक यह चीनी सूअर अपने आपको अय्याश कहता था । मेरे पास अय्याशी की सही सजा एक है । मैं समझता हू अब यह कभी अय्याशी नहीं कर सकेगा ।।।


--------चीनियों का दूश्मन

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Re: विकास दी ग्रेट

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संध्या अवाक् रह गई । उसे लगा कि विकास एक आदर्श लड़का है । उसके पास एक कट्टर, क्रूर और पिघलने वाला दिल है परंतु वह उसे बुरे लोगों पर ही प्रयोग करता है । उसकी आंखो के सामने फिर विकास की एक अच्छी तस्वीर खिंची । चाऊ विंग के समीप में एक लड़की की लाश के दो दुक्रड़े थे जो "वी" की शक्ल में रखे थे और नीचे लिखा था-'यह वही लड़की है जिसके साथ चाऊ विंग आज रात था ।' सब कूछ समझकर संध्या के होश फाख्ता हो गए । सारा अखबार चित्रों से भरा पड़ा था । प्रत्येक चित्र में एक चीनी लाश थी । उन सबके साथ नाम एक ही जुड़ा था…विकास ।।।।।।।

संध्या के दिल में विकास के लिए न जाने कैसे-कैसे भाव उठने लगे । उधर विजय और अलफांसे भी परेशान थे । इन सब चित्रो और कारनामों से अलग 'विकास' की एक चेतावनी भी अखबार में थी जिसमें बेहद दुस्साहस छुपा था । जिसमें चीन का अपमान था । एक साथ तीनों की दृष्ट वहीं जम गई । उस चेलेंज का शीर्षक था ।


शैतान का चेलेंज... ।


उसके बाद विकास का एक पत्र इस प्रकार प्रकाशित था-----


"ह्ररामजादो चीनी कुत्तो. . .


तुम्हारा बाप विकास दी ग्रेट यह पत्र लिख रहा हैं । मैं इस खुले पत्र में तुम्हें चैलेंज करात हू कि आज रात अपने देश के चुराए गए महान प्रोफैसर बनर्जी को तुम लोगों की नारकीय कैद से मुक्त करा लुगा । तुम्हें याद होगा, प्रोफेसर बनर्जी को तुम मेरे प्यारे देश हिन्दुस्तान से लाए हो ।। उन पांच अंडों को भी मैं प्राप्त करके रहूगा । चीनी कुत्तो. . तुम शायद विश्व के सबसे की खूँखार इंसान बनते हो । इस बात का सबूत, तुम्हारे उस सूअर जासूस फूचिंग ने मुझे यातनाएं दी । मैरे देश मे चीनियों ने जो अपराध किए । बदले में क्या कर रहा हू यह सारा चीन जानता हैं । अब में इस खुले पत्र के माध्यम से समुचे चीन....को चैलेंज करता हूं कि आज में प्रोफैसर बनर्जी को अपने साथ ले जाऊंगा । चीन सरकार मुझे रोकने के लिए अपनी हर शक्ति प्रयोग कर ले !

अगर मुझे न रोक सकी तो, लानत है चीन पर ।



चीनियों का दुश्मन


'विकास दी ग्रेट'


,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

वह यहीं पत्र था जिसने एक बार फिर समूचे पीकिंग में खलबली मचा दी थी।


फूचिंग के जिस्म को लेकर, उसकी नसों में तनाव लाने के साथ-साथ रोंग़टे खड़े कर दिए थे ।



विजय, अलफांसे और संध्या ने पढा तो तीनों के कंठ सूख गए । आंखो में अजीब-सा खौफ़ उभर आया ।




विजय अलफांसे की तरफ देखकर बोला---------" देख लिया लूमढ़ बेटे, तुम्ही इसे चीन लाए थे ।"



"तुम्हें क्या दिक्कत है ?" अलफांसे संभला और मुस्कराकर बोला-----" चेला मेरा है ।"




“चेला तो तुम्हारा है बेटा ।" विजय अजीब-से गंभीर और खतरनाक स्बर मे गुर्राया-------------“लेकिन अगर उसे कुछ हो गया तो तुम्हें मैं जिंदा नहीं छोडूंगा । मैं रैना भाभी से वादा करके आया हूं कि विकस को मैं सही-सलामत भारत ले आऊंगा।"




"रैना तुम्हारी भाभी है मेरी बहन, मैं समझता हू तुमसे ज्यादा मुझें उनका ख्याल रखना चाहिए था ।"



“मैं कहता हुं, तुम्हे उसे यहाँ लाने की आवश्यकता क्या थी ?"



"क्या तुम अब भी नहीं समझे कि विकास हम दोनों का चेला होकर भी गुरु बन गया है?” अलफांसे मुस्कराया ।




“लूमड़ प्यारे!” विजय ठंडी सांस लेकर बोला…“आज की रात जैसे भी हो, मुझे वहां जाना होगा जहाँ प्रोफेसर कैद हैं । तुम नहीं जानते हो कि उस लडके में अभी केवल साहस है । अपना अच्छा-बुरा सोचने की बुद्धि उसमें नहीं है ।"


"सच बात तो ये है कि मैं बिकास को चीन इसलिए ले आया था कि यहाँ मैं उसे और बहादुर बना सकूंगा ।" अचानक अलफांसे गंभीर स्वर में कह रहा था-----“लेकिन यहाँ आते ही वह मुझसे बिछूड गया और अब देख रहा हू कि मैं विकास को जो बनाना चाहता था वह उससे भी कहीं अधिक निकल चुका है ! विजय सच समझना, मैं इतना भयानक अपराधी होते हुए भी वह सव सोच भी नहीं पाता सो यह लड़का कर जाता है ।"




“क्यो प्यारे, अब क्या नानी मर गई ?"



"जिसकी नानी का कुछ पता ही नहीं, वह क्या जाने?" अलफांसे बिचित्र-से स्वर में बोला…"विजय तुम हमेशा एक गलतफहमी के शिकार रहे हो , तुम हमेशा यही सोचते हो कि विकास से केवल ही प्यार करते हो मै नही ।
कदाचित् तुम यह समझते हो कि अलफांसे एक अपराधी है इसलिए उसे विकास से प्यार नहीं है, लेकिन यह धारणा दिल से निकाल दो, मेरे दोस्त !" अत्तफांसे आज अचानक भावुक हो उठा था…......“अलफांसे के सीने में भी दिल है । मेरे पास भी वह कलेजा है जिसे किसी से प्यार हो जाता है । यह मैंने केवल विकास के पैदा होने के बाद जाना था कि मेरे पास दिल नहीं है । लोग पागल हैं जो एक-दूसरे से प्यार करते है । सच मानना विजय बिकास से पहले मैंने कभी ऐसा महसूस तक नहीं किया था कि मेरे सीने में भी दिल है, मैं भी किसी से प्यार कर सकता हू । मेरे दोस्त, इस दिल पर केवल विकास ने कावू पा लिया था । उस नन्ही-सी मासूम जान ने इस दिल को सिखाया है------बच्चे का वात्सल्य क्या होता है? मै दावे के साथ कह सकता हू विजय कि तुम विकास को इतना प्यार नहीं कर सकते जितना मेरे दिल में है । अभी तुम्हें उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है दोस्त, अभी अलफांसे जिंदा है !” कहता-कहता अलफांसे बेहद भावुक हो गया था ।

उसका चेहरा आवेश बश तमतमा उठा । विजय आश्चर्य के साथ उस अजीब से अलफांसे को देखता रह गया था । संध्या भी इस आदमी का नया रूप देख रही थी ।


अलफांसे जैसे उन दोनों की मनोस्थिति से बेखबर अपने भावों को व्यक्त कर रहा था…......“जहां विकास के खून की एक बूंद भी गिरेगी, वहां अलफांसे खून की नदियां बहा देगा । जो कुत्ता विकास को हाथ लगाएगा उसके जिस्म के हजारो-लाखों टुकडे अलफांसे हवा में छितरा देगा । जो जाति उसकी दुश्मन होगी, अलफांसे उस जाति का नामोनिशान इस धरती से खत्म कर देगा । अलफांसे के जिस्म का एक-एक कतरा विकास का है । खून की एक-एक बूंद उस लड़के की है । विकास की.. . ।"




"बस . .बस. . बेटा लूमड़ प्यारे! , अभी अलफांसे और कुछ कहने ही जा रहा था कि बीच में ही विजय बोला-----"लगता है तुमने शोहराब मोदी की कोई भावुक फिल्म देखी है । वास्तव में यार डायलॉग बोलने में तुमने शोहराब मोदी, देवानन्द, राजकुमार, शत्रुध्न सिम्हा, घर्मेंन्द्र, माला सिम्हा, वेजयन्ती माला, वहीदा रहमान इत्यादि सभी को मात कर दिया है । यार, तुम किसी दिन बम्बई की तरफ मत निकल जाना । कहिं-एस. जौहर तुम्हें राजेश खन्ना समझकर वहीं धर पकड़ेगा ।"




विजय की बकवास पर अलफांसे के मस्तिष्क को एक झटका-सा लया । वह संभला, उसे ध्यान आया कि आज वास्तव में वह भावनाओं में बह गया है । उसने सिर को झटका देकर समस्त विचारों से मुक्ति पाने की चेष्टा की परंतु फिर भी पूरी तरह सफल न हो सका इसीलिए थोडी गंभीरता के साथ ही बोला-----"आज रात मुझें भी विकास की सहायता के लिए जाना होगा ।”



"लेकिन लूमड़ प्यारे, जाओगे कहा?" विजय बोला ।



संध्या इन लोगों के बीच फंसकर ऐसे महसूस कर रही थी जैसे वह इंसानों के बीच न होकर फरिश्तों के बीच है !
"अरे . . . !" अलफांसे चौंका…“यह तो पता नहीं ।"




"वही तो मैं भी कह रहा हू प्यारे लूमड़ भाई कि इसमें यह नहीं लिखा है कि अपना दिलजला, बनर्जी को कहाँ से गायब करेगा?"



" यह तो समस्या है ।" अलफांसे सोचता हुआ बोला ।



"बिल्कुल समस्या है प्यारे!''




कुछ देर तक अलफांसे सोचता रहा और फिर बोला-------""एक उपाय है सकता है ।"



"वह क्या?"


"उपाय बाद में बताऊंगा ।" अलफांसे बोला…“पहले जेब से कागज निकालकर यह बताओ कि खंडहर से प्राप्त होने वाले पत्र में गुप्तलिखि में क्या लिखा था? वह तुमने कैसे पढा और वह किसने 'भेजा ?"



"वह अपने दिलजले ने भेजा था ।"




'"क्या. . ?" अलफांसे उछल पडा-----------------“वि.. .का. ..स. ..!"
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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