विकास दी ग्रेट complete

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007
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Re: विकास दी ग्रेट

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“बि...का...स...!" संध्या के मुख से भी आश्चर्य के साथ निकलता चला गया ।





"जी हां. . .बिकास. . . !" विजय जेब से कागज निकालता हुआ बडे अदब के साथ बोला-----"आप दोनों सज्जन इस मेज पर झुक जाएं ताकि हम अपके मस्तिष्क में अपने और उस साले दिलजले के शानदार दिमाग की बात ठूस सके !' कहते हुए विजय ने बह कागज निकालकर मेज पर फैला दिया जिस पर उसने पत्र में लिखे अंकों के अक्षर बनाकर संदेश निकाला था । अलफांसे और संध्या उत्सुक होकर कागज पर झुक गए ।

उस कागज पर A से Z तक के पूरे छब्बीस अक्षर लिखे हुए थे । प्रत्येक के ऊपरं 1 से 26 तक गिनतियां लिखी हुई थी । जैसे के A उपर 1 B के उपर 2,C दो ऊपर 3.. .इसी प्रकार X के उपर 24, Y के उपर 25, और Z के ऊपर 26 !




अभी अलफांसे और संख्या यही देख पाए थे कि विजय ने किसी रिकॉर्ड की भाति बोलना प्रारंभ किया------"सुनो. . .बात यह है कि जब हमे यह पत्र प्राप्त हुआ तो हमारी खोपडी भी तुम्हारी खोपड्रियों की भाति हवा में चकराने लगी थी परं हमारी खोपडी आखिर हमारी खोपडी ही है, थोडी देर चकराई और फिर बात को पकड़ लिया यानी आप लोगों से पैन और कागज मांगकर इस कागज पर ये सब, जो आप कागज पर देख रहे हैं लिखने लगा. .. ।"




विजय अभी कुछ कहना ही चाहता था कि संध्या बोली-----“लेक्लि आपने यह सब लिखते समय छुपाया क्यों?”


" इसीलिए देवीजी कि पता नहीं इस संदेश मे किस के विरुद्ध क्या रहस्य हो ?" विजय वोला------"जैसा कि इसमें हमारे पास खडे नकली विकास का रहस्य था । अगर------मैं दिखा देता तो वक्त से पहले ही वह सब कुछ समझ जाता ।"

"खैर… ।" अलफांसे बोला…“आगे बको !"




"अब बकने को हमारे पास रह ही क्या गया है, लूमड प्यारे! विजय बोला--"जो अंक उस पत्र में लिखे हुए थे, हम इन अंग्रेजी के 26 अक्षरों में से उसी नम्बर के अक्षर को लिखने लगे जैसे सबसे पहले लिखा था-अंक 22, अब जरा इस तालिका मे देखिए कि A से Z तक के 26 अक्षरों ने 22वां अक्षर V होता है । इसी प्रकार दूसरा अंक 9 था, हमने A से Z तक 9बां अक्षर ले लिया । उसके बाद 11वां यानी की फिर पहला यानी K, और उसके बाद 18वां यानी S के बाद कॉमा [ , ] लगा हुआ था जो इस बात का परिचायक था कि यहां तक एक शब्द है, यानी अक के निकले इन अंग्रेजी के अक्षरों का मिला दे तो शब्द बना- VIKAS [बिकास] । इसी प्रकार आगे लिखे अन्य अंकों के स्थान पर A से Z तक की भाषा है उसी नंबर का अक्षर लिखा तो निम्न वाक्य बने

VIKAS IS DUPLICATE LEFT THAT SIDE IMMEDIATELY .
VIKAS THE GREAT




" उसके पश्चात् विजय बोला---"तो , सज्जनों, मैं बताने जा रहा था उपरोक्त लिखे अंग्रेजी वाक्यों का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है…

विकास नकली है । उस स्थान को तुरंत छोड़ दो ।
--------महान बिकास"


सब कुछ समझने के पश्चात् अलफांसे आंखें फाड़े उस कागज की तरफ देखता रहा। मन-ही-मन अलफांसे विकास की बुद्धि की सराहना कर रहा था । विकास की गुप्तलिपि ने तो स्वयं उसे ही चकरा दिया था और संध्या तो मन-ही-मन विकास की प्रशंसा कर उठी । उसे लगा विकास जितना छोटा है उतना ही हर क्षेत्र में माहिर है । अब संध्या की समझ में यह भी आ आया कि विजय ने अचानक ही नकली विकास को कैसे पहचान लिया? वह खंडहर वाला अड्डा उसने तुरंत क्यों छोडा? इस केस में घटित प्रत्येक घटना संध्या को विकास की तरफ़ ले जा रही थी । उधर विजय कह रहा था…“अब बोलो लूमड़ प्यारे, है न साला असली दिलजला ।"




" ये लड़का तो वास्तव में गुरु बन गया ।" अलफासे कागज से दृष्टि हटाकर बोला।



" अब जरा वह उपाय बताओं, क्या बताने जा रहे थे?"


"मेरे ख्याल हमे फौरन ही जोबांचू के पास चलना चाहिए ।"



"बाह! क्या बोगस ख्याल है !" विजय ने व्यंग्य कसा ।



"क्यों ?"



"अबे तूमड़ प्यारे ! " विजय बोला…"सारे पीकिंग में ये साले गश्ती चीनी मंडरा रहे है ! इसीलिए तो हम इस बिल में घुसे बैठे है । पहले तो वहां पहुचना कालू घोबी को मारने के बराबर है । अगर हमने कालू धोबी क्रो मार भी दिया तो जोबांचू क्या धनिया देगा?"

"संभव है कि बता सके कि बनर्जी को चीनयों ने कहाँ रखा है?"



"यह केवल संभावना ।" विजय बोला…“और केवल संभावना है आधार पर इतना बड़ा खतरा मोल लेना कोई खास बुद्धिमानी का काम नहीं है । मान लो हम किसी तरह वहां पहुंच भी गए और तुम्हारे जोबाचू' ने किसी भैस की भाँति
नकारात्मक स्थिति में अपनी हंडिया हिलाकर हरी झंडी सफा कर दी तो अपनी तो घंटी बज जाएगी और फिर वहां झकझकी अलापने के अतिरिक्त कोई काम नही रहेगा ।"





“ज़रा-सी बात होती है और तुम पूरा भाषण दे डालते हो ।" अलफांसे बुरा-सा मुंह बनाता हुआ बोला…“तुम्हारे दिमाग में अगर इससे अच्छी कोई योजना हो तो बताओ ।"




"जहां तक भाषण की बात है लूमड़ मियां तो उसमें गलती मेरी नहीं है ।” विजय बोला-" हमारा देश ही भाषण प्रधान है, खैर. .इस बात को एक हाज़मे की गोली खाकर हज़म कर जाओ वरना भाषण के चक्कर में इतना भाषण दूगा कि तुम्हारे पेट में दर्द हो जाएगा ।" विजय कहे जा रहा था-"रही योजना की बात, तो प्यारे फिलहाल हमारी बुद्धि इस मामले में नहीं चल रही है ।"



संध्या मुस्करा उठी जबकि अलफांसे बुरा-सा मुह बना रहा था !



अचानक विजय की आंखें इस प्रकार चमकने लगी मानो कोई बहुत ही ठोस योजना वना ली हो । एक बार के लिए तो वह मन-ही-मन उस योजना पर बिचार करता रहा और फिर अचानक ही उछल पड़ा---------"'वो मारा साले मुल्ला के भेष में पंडित को ।"



"अब क्या हुआ ?"अलफांसे बोला ।




" होना क्या है लुमड बेटा !" विजय बोला'-…"ऐसी धांसू स्कीम तैयार की है
तुम कहोगे विजय जैसी बुद्धि चाणक्य के पास भी नहीं थी ।"


" कैसी योजना ! "




"अबे हम ऐसी योजना बनाते हैं ।" विजय अकड़कर दुगना हुआ जा रहा था--“इस बार ऐसी योजना तैयार की है कि उस साले फूचिंग की भी नाक मे नकेल पड जाएगी ।"




"योजना तो बताओं ।"




"आप दोनों सज्जन जरा अपने कान हमारे मुखारबिंद के समीप लाइए ।" विजय अलफांसे और संख्या से बोला…“सुना है कि दीबारो के भी कान होते हैं ।" उसके बाद पांच मिनट तक धीमे-धीमे भिनभिनातै हुए पूरी योजना बता दी : जिसे सुनते ही अलफांसे की आंखें चमकने लगी । उसे एक बार फिर मानना पड़ा कि विजय जितनी बकवास करता है उससे कहीं अधिक सोचता भी है । वह प्रशंसनीय नजरों से विजय को देखता रह गया ।



संध्या तो यह सोच रही थी कि बह कहीं भूल से भूर्तों के बीच तो नही आगई।



जबकि विजय अब भी गर्दन अकड़ाए महामूर्ख की भांति पलकें झपका रहा था । ।


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Re: विकास दी ग्रेट

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बेचारा फूचिंग !!!!




उसकी हालत खराब हो गई थी ।



उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? जैसे गहरे जाल और उलझन में वह इस बार फंसा था ऐसा कभी नहीं फंसा नहीं था ।



जितनी गहरी मात बह इस बार खाया था वह उसके पिछले रिकॉर्ड पर कलंक ही था ।



अजीब थी उसकी स्थिति ।



वह करे भी तो क्या?



उसके रहते हुए चीन में भयानक उत्पात फैला हुआ था और अभी तक बह किसी का भी तो कुछ नहीं बिगाड़ सका था ।



उसका दिल चाह रहा था कि वह अपने बाल नोंच ले ।



खोपडी धुन डाले ।



उसे अपने चारों तरफ से अपनी ओंर बढते चार भूत नजर आ रहे थे-----विजय, अलफांसे, टुम्बकटू महाशैत्तान विकास!



अपने सहयोगी र्मोगपा की स्थिति देखकर उसका शरीर क्रोध से कांपने लगा था । नसों में तनाव आ गया था । पीकिंग पर लाशों की वर्षा ने उसके तन-बदन में आग लगा दी थी ।




बह लैस होकर अपने डबलक्रास द्वारा बताए गए पते पर भी गया था परंतु वहां उसे वह खंडहर आग की लपटों में लिपटा मिला ।




उसके बाद डबलक्रास ने कोई सूचना नहीं दी । इससे भी वह बहुत परेशान था ।



एक के बाद एक घटित इन घटनाओं से फूचिंग बौखला उठा था


और..............



अब........अबब चीन के समस्त अखबारों में प्रकाशित विकास के इस चैलेंज ने तो मानो फूचिंग के जिस्म का समूचा खून निचोड़ लिया था । इस समय बह सोच ही रहा था कि उसे क्या करना चाहिए तभी फोन की घंटी बजी ।


फोन किसी अज्ञात इंसान का था । भाषा से ऐसा लगता था कि फोन करने वाला कोई पुराना घिसा-पिटा बदमाश है और बह विजय का कोई बहुत फुराना कट्टर दुश्मन है जो विजय को मारना चाहता था किन्तु अपनी शक्ति कम के कारण वह उससे नहीं टकरा सकता और अपने दुश्मन को खत्म करने के लिए खबर फूचिंग को दी । फोन पर उस व्यक्ति ने बताया कि इस वक्त विजय होटल डीतारा में तेरह नंबर की मेज पर एक सनकी-से नजर आने वाले बूडे के मेकअप में बैठा है । उसके चेहरे पर लंबी और सफेद दाढी-मूंछे हैं, आंखों पर एक चश्मा, मुह में पान. . .औंर इतना बताने के बाद अज्ञात व्यक्ति ने एक झटके के साथ संबंध विच्छेद कर दिया फूचिंग अवाक् खडा रह गया ।



उसके दिमाग में एक बात और उलझ गई------------यह अज्ञात व्यक्ति कौन था?



कुछ देर तक वह सोचता रहा कि कहीं यह विजय और उसके साथियों की कोई चाल तो नहीं है । उसने तुरंत फोन उठाया और कुछ नंबर रिग करके दो जीप से सैनिको क्रो एलर्ट होने का आदेश दिया ।




उसके दस मिनट बाद ।



तब जबकि दो सेनिक जीप होटल डीलारा के बाहर रुकी । फूचिंग पूरी तरह लैस होकर आया था । सबसे पहले उसी ने डीलारा के हाल में प्रवेश किया !

हॉल में अधिक भीड़ नहीं थी । किसी-किसी सीट पर लोग बैठे थे । सबकी नजर उस तरफ उठ गई ।


फूचिंग की नजर सीधी सीट नंबर तेरह की तरफ गई।

यह देखकर उसकी आंखें चमक उठी कि वास्तव में उस मेज पर ठीक उसी हुलिए का आदमी बैठा था जैसा फूचिंग को अज्ञात आदमी द्वारा बताया गया था। पलक झपकते ही उसके हाथ में रिवॉल्वर आ गया ।


धड़धड़ाते हुए सेनिक हाल में प्रविष्ट हो गए ।
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

तेरह नंबर की मेज पर बैठा हुआ बूढा अपनी लंबी नाक पर रखे हुए छोटे से चश्मे में से ऐसे झांक रहा था मानो वह सनकी हो । उसके बाएं हाथ में आइसक्रीम, उसने अजीब ढंग से मिच-मिचाकर उसने फूचिंग को देखा और आइसक्रीम का स्वाद लेने के बाद तुरंत ही एक घूंट कॉफी पी ।





इसी बीच उसका पाते ही सैनिकों ने तेरह नंवर की मेज को चारों तरफ़ से घेर लिया ।




लेकिन बूढे के हाव-भाव से ऐसा लगता था जैसे उसे इन सव बातों से कोई मतलब ही न हो ।




"मिस्टर विजय..!" वह प्रसन्न होकर गुर्राया-------"आपको पहचान लिया गयां है !"




बूढे ने चौंककर उसकी तरफ देखा और बोला…“क्या तुम मुझसे बात कर रहे हो, नालायक इंसान?"




"अब तुम्हारी कोई एक्टिग नहीं चलेगी ।" कहता हुआ वह उसके पास आ गया और बूढे की आंखो में झांकता हुआ बोला…"मिस्टर विजया इस मेकअप के पीछे छुपे हुये चेहरे को मेरी आंखें भली-भाति पहचान गई हैं ।"




" अगर रिश्वत वगैरह लेना चाहते हो तो सीधी बात करो, लड़के !" बूढा बड़े आराम से आइसक्रीम का स्वाद लेता हुआ बोला-------"ये बाल धूप में सफेद नहीं किएं हैं । जानता हूं शरीफ आदमी की फंसाकर तुम अपनी जेब गर्म करना चाहते हो, हम भी खेले खाए हैं, बोलो क्या चाहिए?"


"मेरे पास बकवास के लिए अधिक समय नहीं है । मिस्टर विजय!" कहते-कहते फूचिग का चेहरा क्रोध से लाल हो गया ।


उसने एक भी क्षण व्यर्थ करने के स्थान पर एक झटके के साथ ही दाढी पकडकर खींच ली ।

अगले ही पल दाढी फूचिंग के हाथ में थी । वास्तव में दाढी के नीचे छुपा चेहरा विजय का ही था ।


सभी लोग अवाक् रह गए ।


उसी क्षण एक आश्चर्यजनक बात हुई । दाढी हाथ में आते ही फूचिंग की आंखों में अजीब-से भाव आए।



चेहरे पर विचित्र उतार-चढाब आया और अजीब-सी किलकारी मारकर फूचिंग चीख पड़ा ।



चीखते ही दाढी उसने उछाल दी और बुरी तरह अपने जिस्म को खुजाने लगा । उसके सेनिक अवाक् से उसे देखते ही रह गए ।


उसी क्षण विजय उछला और हवा में लहराता हुआ उसका जिस्म एक मेज के पीछे जा गिरा । उसका रिवॉल्वर उसके हाथ में आ चुका था ।



उसी पल सेनिक चौंके, फूचिंग अभी तक पागलों की भांति अपना जिस्म खुजा रहा था ।



तभी उसके कानों में विजय की आवाज पडी--------“बेटे फूचिंग हमारा नाम विजय कुमार झकझकिया है । ये क्या तिगनी का नाच नाच रहे हो ?" कहने के साथ उसके रिवॉल्वर ने एक गोली उगली ।



एक सैनिक चीखकर गिरा ।



शेष सभी ने पोजीशन ले ली ।



विजय के शब्द कान में पड़ते ही फूचिंग का खून खौल उठा । उसके जिस्म में इस समय तेज खुजलाहट लग रही थी परंतु अचानक उसने स्वयं को संभाला और रिवॉत्वार संभालकर एक मेज के पीछे जम्प लगा दी । इधर विजय को इस हालत में फूचिंग से यह उम्मीद नहीं थी कि वह कुछ कर जाएगा किन्तु उस समय वह आश्चर्यचकित रह गया जब उसके सोचते-ही-सोचते फूचिंग के रिवॉल्वर से निकला शोला उसके रिवॉत्वर से टकराया । परिणामस्वरूप उसका रिवॉल्वर दूर जा गिरा , तभी फूचिंग की चेतावनी गूंजी------“अगर अब तुमने कोई हरकत की विजय तो अगली गोली तुम्हारा भेजा फाढ़ देगी ।”


“अबे...नहीँ...नहीँ...प्यारे चीनी भाई!" विजय एकदम बोखलाकर खड़ा हो गया । उसके दोनों हाथ सिर से ऊपर पहुच चुके थे । पलक झपकते ही समस्त चीनी सैनिकों ने उसे घेर लिया । विजय अपनी दाढी में ऐसा पदार्थ लगाकर लाया था जिसके स्पर्श मात्र से समूचे जिस्म में खुजलाहट लगने लगती थी । ऐसा हुआ भी था परंतु वह फूचिंग की लाजवाब सहनशक्ति ही थी कि वह उस सबको सहन करके इतना सब कुछ कर गया था । अब विजय कुछ भी करने की स्थिति में नहीं था ।



इधर फूचिंग के जिस्म में तीव्र खुजलाहट लग रही थी परंतु वह सबको सहन कर गया था । यह अलग बात है कि इस प्रयास के पश्चात् भी उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे मानो वह बड्री भयानक यातना से गुजर रहा हो । इस यातना को सहन करता हुआ वह रिवॉल्वर संभालकर बाहर आया और विजय की तरफ बढ़ता हुआ बोला------"ऊब तुझे मैं वो मौत दूगा कुत्ते कि तेरे फरिश्ते भी कांप उठेगे।"




"वो तो अभी भी कांप रहे हैं, फूचिंग भाई! "



"बको मत ।" फूचिंग गुर्राया तथा सैनिकों को विजय को गिरफ्तार कर लेने का आदेश दिया ।


इस समय विजय न तो किसी प्रकार की हरकत करने की स्थिति मे ही था और न ही कर पाया । यह दूसरी बात है कि वह ऊट-पटांग बातों से उन्हें बोर करने की चेष्टा करता रहा।



कुछ समय पश्चात् उसे जीप में ले जाया जा रहा था ।
जिस समय विकास बापस जोबांचू के अड्डे पर पहुचा उस समय सुबह के दस बज गए थे ।


बीच में कुछ सैनिकों ने उसे देख लिया था और उसके मार्गं में बाधा बनने की चेष्टा की थी किन्तु शैतान लड़के ने उनका पूरा क्रिया-कर्म करके वृक्षों की शोभा बना दिया था ।




जोबाचु के अड्डे पर पहुंचना कोई बच्चों का खेल नहीं था । अड्डे के चारों तरफ की पहाडियो. में उसके आदमी फैले रहते थे ।


उनको धोखा देकर गुफा तक पहुचना उसी प्रकार कठिन था जैसे रात को सूर्य का उदय होना । विकास को जोबांवू के पास पहुंचा दिया गया था । उसे देखते ही पहले तो जोबांचू के चेहरे पर अजीब-से भाव आए । फिर एकदम उसकी तरफ लपका-“तुम विना कहे... ।"



“वह मेरी अदत्त है ।" मुस्कराता हुआ लड़का बोला-----" अधिकांश कार्य अकेला करने का आदी हूं ।"



"लेकिन तुम्हे कहकर जाना चाहिए था ।" जोबांचू बोला…“यहां मैं सारी रात परेशान रहा ।"



"अगर मैं तुमसे कहता तो तुम साथ चले विना बाज नहीं आते और अगर तुम साथ होते तो उस प्रकार खुलकर काम नहीं कर सकता था ।" विकास बोला!



“तो क्या वास्तव में तुमने पता लगा लिया है कि इन्होंने प्रोफेसर बनर्जी को कहा छुपा रखा है?"



"अमी नहीं लगा पाया हु, लेकिन शीघ्र ही लगा लूंगा ।"



"क्या मतलब?" जोबांचू चौंक पड़ा--'"आज की रात तो तुम्हे--।"


"तुम्हें यह सब कैसे पता?"



"समाचार-पत्र पहले जोबांचू के पास आता है और उसके बाद समूचे चीन मैँ प्रकाशित होता है ।'" जोबांचू थोड़ा गर्व के साथ बोला-…""मैंने आप का समाचार-पत्र पढ लिया है, वह केवल तुम्हारे की कारनामों से भरा पड़ा है और तुम्हारा वह खुला पत्र भी पढ चुका हू !"



“ओह... ।” विकास समझता हुआ बोला---------"उससे क्या समझे?"



"केवल ये कि तुम आवश्यकता से अधिक बहादूर बनने लगे हो ।”



" ऐसा क्यों. .!" कहता हुआ लड़का शरारत साथ मुस्करा उठा ।



"इसलिए कि तुम अपने चेलैज में सफल नहीं हो सकोगे ।” जोबांचू करामाती बिकास को घूरता हुआ बोला…“तुम्हारे इस चेलेंज से सारी चीन सरकार हिल गई होगी । यह उसकी प्रतिष्ठा का सवाल है ! उनकी जितनी शक्ति है वे पूरी बहीं लगा देगे जहाँ प्रोफेसर बनर्जी होंगे ।"


“यहीँ तो मैं चाहता हूं ।" अजीब-सी रहस्यम के साथ विकास बोला ।

उसके इस उत्तर पर एक बार को तो जोबांचू रता रह गया ।


उसने ध्यान से उस लडके को देखा । विकास बेहद सुंदर था । दूध जैसा सफेद रंग, भरा-भरा चेहरा, गालों पर लालिमा, होंठ गुलाबी, चौडा मस्तिष्क, अर्ध-घुंघराले वाले वाल, कसरती गठा हुआ जिस्म, मुखड़े पर मासूमियत, ऐसा भोला लगता था मानो वह कुछ जानता न हो । वडी-वडी आंखों में इस समय शरारतपूर्ण चमक थी ।
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Re: विकास दी ग्रेट

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एक पल लिए तो जोबांचू यही सोचता रह गया कि इतना मासूम लड़का इतना अधिक खतरनाक क्यों और कैसे?


एक पल लिए तो जोबांचू यही सोचता रह गया कि इतना मासूम लड़का इतना अधिक खतरनाक क्यों और कैसे?

इतना साहस उसमें कहां से है? इतना दिमाग भगवान ने उसे कहाँ से दिया । एक पल के लिए वह विकास को देखता रह गया, फिर बोला-"संभवत तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ।"


* कैसे पहचाना?" लड़का मुस्कराया।


"तुम्हारी उल्टी-सीधी बातों से ।" जोबांचू सपाट स्वर में बोला…“मैं कह रहा हूं चीन सरकार अपनी पूरी शक्ति वहां लगा देगी और तुम कह रहे हो कि तुम यही चाहते हो ।"




“तुम मेरा मतलब नहीं समझे, जोबांचू अंकल!" विकास अब भी शरारत के साथ मुस्कराता हुआ कह रहा था…“अब जरा ध्यान से सुनो जो मैं तुमसे कहने जा रहा हू।” कहता हुआ विकास जोबांचू की तरफ ऐसे झुका मानो कोई वहुत ही रहस्य की बात बताने जा रहा हो----------"पहली बात तो मैं तुम्हें बता दू कि अभी तक मालूम नहीं है कि बनर्जी को कहां रखा गया है?"



“तो ये चेलेंज किस बूते पर दिया है?” जोबांचू झुंझला गया-“आखिर तुम उसे गायब कहां से करोगे?”



“वही बताने जा रहा हू ।" विकास मुस्कराता हुआ बोला------" तुमने कहा था कि चीन सरकार इस चेलेंज को पढकर अपनी पूरी शक्ति वहीं लगा देगी और जरा अब बात की गहराई पर ध्यान दो कि पूरी शक्ति लगाने के लिए चीन सराकर सैनिकों की संख्या वहां बडाएगी । अत: बनर्जी कहां है, यह चीनी सेनिक भी जान जाएंगे और खबर फैलेगी तो हमें भी पता लग जाएगा कि बनर्जी को कहां रखा गया है?” कहकर विकास चुप हो गया ।

विकस के नन्हें दिमाग की यह साजिश सुनकर जोबांचू को ऐसा लगा जेसे उसकी खोपडी उलटने जा रही है । एक बार फिर अवाक्-सा वह उसे देखता रह गया ।



एक पल में विकास के लिए न जाने कितने विचार आए और गए । मन-ही-मन वह सोच रहा था कि काश, उसका दिमाग भी इतना सुलझा हुआ और चतुर होता किंतु स्वयं पर संयम पाकर वह बोला…“लेकिन यह पता कौन लगाएगा?"



"सैनिकों में फैले आदमी।"



बात एकदम सही थी ।



जोबांचू को चुप रह जाना पडा ।



वह तो मन-ही-मन विकास की प्रशंसा करते हुए नहीं थक रहा था किंतु न जाने क्यों वह यह प्रकट नहीं करना चाहता था कि वह उससे प्रभावित हुआ है, इसलिए वह बोला-----" यह तो माना कि इस तरह तुम्हें पता लग जाएगा कि बनर्जी कहां है, लेकिन यह नहीं सोचा कि इतने वड़े प्रबंधों के पश्चात् तुम उसे निकालोगे कैसे?”



"यह मेरा काम है ।" विकास बड़े रहस्यमय ढंग से मुस्कराया---"तुम अपना काम करों ।”


जोबांचू एक बार फिर उसे घूरता रह गया ।



न जाने क्यों प्रत्येक घटना उसके मस्तिष्क में विकास को वहुत ऊंचा उठाती जा रही थी । हधौड़े की भांति एक-एक शब्द उसके मस्तिष्क से टकरा रहा था ।


विकास . . . .बिकास . . . . .विकास . . . !

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अपनी सफ़लता पर फूचिंग बेहद प्रसन्न था ।


उसने विजय क्रो एक सुरक्षित स्थान पर कैद कर दिया था ।



अभी उसे विकास द्वारा दिए गए चेलेंज को भी विफल करना था ।


फूचिंग का जिस्म और मस्तिष्क बडी गति से काम कर रहा था । इस समय वह फोन पर कह रहा था…“यस. . . यस. . .तुम "बोगा डैफशिन' पर अपनी टुकडी लेकर पहुचो ।"



"बोंगा डैफशिन' नामक एक स्थान था जहाँ बनर्जी को रखा गया था ।



फूचिंग ने स्वयं यह कार्य अपने हाथ में लिया था ।



अब इस बात को गुप्त रखने से बोई लाभ नहीं था ।


अत: यह बात प्रकट कर दी गई कि बनर्जी कहा है? उन्हें विशेष स्थान पर रखा गया था और पीकिंग में उपस्थित अधिकांश सेनिक टुकडियां वहां तैनात कर दी गई ।



इस समय फूचिंग भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को फोन कर रहा था और अलग-अलग निर्देश दे रहा था, लेकिन थे वे सब बोंगा डैफशिन की सुरक्षा हेतु ही है उसका दृढ़ संकल्प था कि आज की रात या तो वह इस खतरनाक लड़कें को भूनकर रख देगा अथवा गिरफ्तार कर लेगा ।




फूचिंग बुरी तरह कहकहा लगा उठा ।


यह कहकहा उसने अपनी वास्तविक आबाज मे लगाया था ।


अतः चांगली यह भापते ही चौका कि सामने खड़ा व्यक्ति साधारण व्यक्ति नही फूचिंग है !


अभी चांगली के सुख से कुछ निकल भी नहीं था कि फूचिंग बोल------"क्यों चांगली, खा गए न धोखा !"




“मेकअप ही कमाल का है, सर !" वह रिवॉल्वर क्रो होलस्टर में रखता हुआ प्रशंसनीय स्वर में बोला ।



"अब देखता हू ये हिन्दुस्तानी कुत्ते कैसे बचते हैं?"



"लेकिन इस मेकअप का मतलब?"




"एक वहुत ही सीक्रेट न्यूज है ।" फूचिंग बोला…"जिसे सुनते ही तुम उछल पड्रोगे ।


वैसे अभी तुम भी उसे गुप्त ही रखना, यह समाचार अभी तक केवल कुछ ही महत्वपूर्ण व्यक्ति जानते हैं ।"



“क्या?"


“मैंने विजय को गिरफ्तार कर लिया है ।”



"क्या?" चांगली इस प्रकार चौंका मानो चीन की दीवार हवा में तैरती देख रहा हो ।



" यस चांगली! " फूचिंग अपनी प्रसन्नता को दबाता हुआ बोला…"विजय को गिरफ्तार कर लिया गया है ।"




"तो फिर अब इस मेकअप का क्या लाभ?"



“अभी उस शेतान लड़के विकास को भी देखना है, उसके अतिरिक्त भी पीकिंग में विजय की सहायता करने वाले उसके साथी हैं, आज उन सबको गिरफ्तार करना है !"


"क्या अपको पता है कि वे कहां हैं! "



“बिल्कुल पता है ।"



* कैसे पता लगा?"



"अगर मैं इस तरह जानकारियां हासिल न करू तो मुझें चीन का सर्वश्रेष्ठ जासूस ही कौन कहे ?"



कहते-कहते फूचिंग का सीना गर्व से फुल गया ।



“लेकिन इस मेकअप का लाभ?"



"अभी इस मेकअप में वह मेकअप और किया जाएगा जिसमे विजय को गिरफ्तार किया गया है ।" फूचिंग बोला----" वही सनकी बूढा बनकर उन लोगों से मिलूंगा । उन्हीं के सामने अपना बूडे वाला मेकअप उतार दूंगा और फिर वे विजय को देखेंगे !'




चांगली अवाक-सा सब कुछ सुन रहा था ।


"मे उनसे जाकर कहूंगा कि मैंने छुपने के लिए यहाँ से भी सुरक्षित स्थान तलाश कर लिया है । सीधी बात है कि मैं उसे अपने साथ ले जाऊंगा । मैं सीधा उन्हें वहां लाऊंगा और यहां तुम सैनिकों सहित होगे ही ।"



"बैरी गुड, सर. . . !" चांगली प्रसन्नतापूर्ण लहजे में बोला------"वास्तव मे योजना बडी घुमावदार है ।"


"अब मै चाहता हू.. . !" कहते हुए फूचिंग ने बूढे का मेकअप करना प्रारंभ किया ।




चांगली मन-ही-मन फूचिंग के दिमाग की प्रशंसा करते हुए नहीं थक रहा था ।

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कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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007
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Re: विकास दी ग्रेट

Post by 007 »

बौखलाए से विजय ने उस स्थान के दरवाजे पर दस्तक दी । वास्तव मे वह फूचिग ही था । फूचिंग के चेहरे पर विजय का मेकअप था और उस मेकअप पर बूढे का मेकअप था । उसने उसी मकान का द्वार खटखटाया था जिसका पता उसके अज्ञात मददगार ने बताया था ।



इस समय यह ऐसी ऐक्टिग कर रहा था मानो उन लोगों पर किसी प्रकार की कठिनाई आ गई हो ।



अभी वह दस्तक देना ही चाहता था कि की द्वार के पीछे से आवाज़ आई…“तुम्हारे पीछे तो कोई नहीं है?"




“मैँने चेक कर लिया है ।" फूचिंग विजय की आवाज़ में बोला…"कोई नहीं लेकिन जल्दी खोलो ।"



अगले ही पल दरवाजा खुल गया ।


सामने अलफांसे रव्रड़ा था ।



अलफांसे को देखते ही मन-ही-मन फूचिंग बुरी तरह चौंका परंतु बाहर से उसने कुछ प्रकट न होने दिया ।



चौंकने का कारण यह था कि वह जानता था अलफांसे अतर्राष्ट्रीय अपराधी है लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि विजय अलफांसे को क्या कहकर पुकारता है ।


उसके मन की उलझन केवल मन ही में रही, बाहर से एकदम सफल अभिनय कर रहा था ।

अंदर प्रविष्ट होते ही फूचिंग ने दाढी इत्यादि नोंच ली । चश्मा उतारता हुआ बौखलाए स्वर में बोला------" यह स्थान फौरन छोड़ दो लूमड़ प्यारे?"



"क्यों?" दरवाजा बंद करता हुआ अलफांसे चौंकने वाले स्वर में बोला ।




"यह बाद में पूछना, लूमड़ मियां! " फूचिंग पूर्णतया विजय का अभिनय करता हुआ बोला------" इस समय यहां बेहद खतरा है । तुरंत यह स्थान छोड़ दो, विकास इत्यादि कहां हैं?”



"आओं ।” अलफांसे लूमड़ मियां आगे चलता हुआ बोला------“आपका दिलजता इस कमरे में है ।"


दोनों कमरे मे प्रविष्ट हो गए।

संध्या उन्हें देखकर खडी हो गई थी ।


विकास कहीं नहीं था ।



फूचिंग ने तेजी से बोला-“विकास कहां है?"




“सो रहा है ।" अलफांसे ने समीप के बिस्तर की ओर संकेत करके कहा । वहां चादर ओढे कोई सो रहा था । विजय वना फूचिंग तेजी से उस तरफ़ बढता हुआ बोला------" अबे ओ दिलजले उठो, वरना वे आलूबुखारा बना देंगे ।" कहने के साथ ही उसने एक झटके के साथ चादर खींच ली ।




चादर खींचते ही उसे लगा जैसे किसी ने एक बम उसकी छाती पर दे मारा हो ।



वास्तव में विकस ही पलंग पर लेटा था । न जाने क्यों उसको इस तरह से सामने देखकर वह स्वयं को संभाल न सका । उसकी आंखों में खौफनाक चमक उभर आई ।



विकास ने उसके अनगिनत देशवासियों को बड़ी निर्मम ढंग से मौत के घाट उतारा था । उसके सहयोगी र्मोंगपा को. . .उफ्. . .पीकिंग पर लाशों की वर्षा करने वाला भी यही मासूम शैतान था ।



उसके सामने भयानक और निर्मम सीन घूम गए । एक पल में उसके दिमाग में आया कि विजय तो उसकी कैद में है ही । यह उसका साथी विकास ही है, इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा? क्यों न इसको यहीं गोली मार दे?



सारा झंझट खत्म हो जाएगा, अलफांसे को तो वह किसी तरह भुगत ही लेगा । वह विकास के खून का इतना प्यासा था कि वह स्वयं पर संयम न रख पाया । एक ही पल में उसके दिमाग में समस्त विचार घूम गए थे ।


अगले ही पल फूचिंग ने तेजी के साथ रिवॉल्वर निकाला और...धांय. .. ।

गोली सीधी सोते हुए विकास के सीने को फाड़ती चली गई । विकास के कंठ से कोई चीख नहीं निकली ।


र्कितु वह तो क्रोधावस्था में जैसे पागल हो गया था ।



बिना एक क्षण का भी विलंब किए दो गोलियां उसने और विकास के सीने ने उतार दी ।



हा-हा-हा-हा-हा--. ।




एकाएक कमरा भयानक और सर्द कहकहे से गूंज उठा ।
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