बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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kunal
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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पत्र का अंत करते-करते माइक के जिस्म में झुरझुरी-सी दोड़ गई । हृदय काप उठा माइक का । उंसने गरदन उठाकर चीफ़ की-तरफ़ देखा-उनके चेहरे पर बारह बज रहे थे ।


माइक बोला ।


" यह लडका तो सर विजय का भी बाप निकला ।"


"बिज़य ने कभी अमेरिका के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया ।" चीफ गंभीरता के साथ बोला ।

"सर यह लड़का कुछ सनकी-सा है । एक वार जों बात दिमाग में आ जाती है, उसके पीछे यह लड़का पागल हो जाता है ।"

लेकिन तुम जानते हो इस लड़के से अमेरिका की जनता कितनी भयभीत है 1” चीफ बोला----“इसके नाम मात्र से अमेरिका का बच्चा-बच्चा कांप उठता है । पिछली बार जब यह प्रलयंकारी विकास' के नाम से यहां छा गया था, तभी से अमेरिका की जनता इससे बुरी तरह भयभीत है । जिस लड़के ने 'माफिया' जैसी संस्था के दांत खट्टे कर दिए, बह साधारण नहीं हो सकता । अगर यह सब साधारण जनता के सामने पेश कर दिए जाए तो अमेरिका मे आंतक छा जाएगा ।।"


" अब मुझें क्या करना होगा सर?”


"देखो ।।" चीफ़ उसे समझाने वाले भाव में बोला-----"एक आदमी का बिल्ली बन जाना एक्रदम अजीब और अनहोनी घटना है।। जनता में आतंकं फैलने के लिए यह बात कम नहीं है लेकिन इससे, भी खतरनाक बात यह है कि इस घटना के साथ उस शैतान का नाम जुडा हुआ है जिसे यहां के लोग प्रलयंकारी विकास के नाम से जानते है । यह नाम इस घटना से भी अधिक खतरनाक साबित हो सकता है ।”


“जी मैं समझ रहा हु, लेकिन ।"


"लेकिन क्या?"



" मेरे विचार से विकास मंगल ग्रह पर चला गया है, लेकिन फिर ये घटना ?"



"ये सब तुम्हारे सोचने का बिषय है ।" चीफ गभीर स्वर मे बोले------" हो सकता है कि उसऩे केवल तुम्हें धोखे में रखने के लिए यह खबर फैलाई हो कि यह मंगल ग्रह पर जा रहा है ।।"



"मेरे विचार से यह सब वह मंगल ग्रह से ही कर रहा है !"


…“क्या बेवकूफी की बात कर रहे हो? मालूम है! मंगल ग्रहं यहां से कितनी दूर है?”


" कितनी भी दूर हो सर ।" माइक ने' कहा------" यह तो आप भी मानेगे कि इस तरह आदमी को बिल्ली बना देना वैज्ञानिक करिश्मा है और जहाँ तक हम जानते हैं, विकास वैज्ञानिक नहीं है ।--------->>>>>

यह भी आप जान चुके हैं कि बिकास अपराधी वन चुका है । प्रिंसेज जैक्सन ने विकास को बताया था कि मंगल ग्रह पर सिगंही का शासन है । यह भी आप जानते है कि सारे बड़े बड़े अपराधी इस लड़के को प्यार करते हैं । मेरे विचार से सिंगही इस लड़के की सहायता कर रहा है । वे सब फार्मूले सिंगही ने विश्व-विजय करने के प्रयास हेतु जुटाए होगें और वही फार्मूले बिकास को सौंपकर वह उसकी मदद कर रहा होगा ।" माइक ने अपना विचार प्रकृट किया ।



"लेकिन मंगल ग्रह में रहकर... ।"


"आप यह क्यों भूल जाते है कि टुम्बकटू जैक्सन, अलफांसे सिगंही जैसे अपराधियों का संरक्षण उसे प्राप्त है? सिंगही के एजेंट पूरे विश्व में फैले हुए है । सिंगही के पास ऐसे यंत्र भी होंगे , जिनके जरिए बह मंगल ग्रह पर बैठा-बैठा धरती पर उपस्थित अपने एजेंटों से बात कर सके । संभव्र है यह सब उन्हीं एजेंटों के जरिए हो रहा है ।"



“खैर जो भी है, अब तुम अपना कार्य कहां से शुरू करना चाहृते हो ?"



"सबसे पहले ने फ्रिदतोफ़ को देखना चाहूगा !"


“फ्रिदतोफ़ अभी अपने घर पर है । तुम वहां जा सकते हो ----मैं फोन पर क्रीमिया को सूचित कर दूंगा ।"


" ओ.के सर !* माइक ने उठते हुए कहा !



इस प्रकार तीस मिनट पश्चात माइक फ्रिदतोफ की कोठी पर था । कोठी के बाबरी अपार भीड थी । पुलिस वालो को माइक के लिए विशेष आदेश थे, अत: उसे अंदर ले जाया गया । जव वह अदर पहुंचा तो सबसे पहले उसकी मुलाकात क्रीमिया से हुई । क्रीमिया यूं तो एक साहसी युबती थी लेकिन फिर भी इस समय उसके प्यारे नेत्रो मे आसूं थे ।वह एक कमरे में एक पारदर्शी शीशे के सामने खडी थी ।


उस शीशे के पार देख रही थी । उस शीशे के पार एक अन्य कमरा था । उस कमरे में एक पिंजरा रखा था जिससे फ्रिदतोफ़ बंद था । वह ऱहं-रहृकरं बिल्ली की भांति मयाऊ मयाऊ" कर उठता था । क्रीमिया एकटक अपने पति को देख रही थी । माइक जब वहां पहुचा तो उसके साथ एकं पुलिस की इंस्पेक्टर और दो कास्टेबल भी थे ।।

क्रीमिया आहट पाकर उनकी तरफ मुडी, माइक उसकी तरफ़ देखकर गंभीर स्वर में बोला ।


"आप सी आई ए की प्रमुख अधिकारी हैं । आपको इस तरह नर्वस नही हो जाना चाहिए !"




"मैं अधिकारी होने के साथ-सांथ उनकी पत्नी, भी हूँ…मिस्टर ....? "


" माइक ।" बह बोला-----" मुझे माइक कहते है ।"


"आप नहीं जानते कि पति को इस स्थिति में देखकर पत्नी पर क्या गुजरती है?”


"आप चिंता न करेंज मिस क्रीमिया! सब ठीक हो जाएगा ।"


माइक ने सांत्वना देनी चाही ।



"कुछ ठीक नहीं होगा ।" अचानक पगाल-सी होकर चीख पडी क्रीमिया ---" उस खतरनाक शैतान पर सारा अमेरिका भी काबू नहीं पा सकेगा । वह......वह सबको विल्ली बना देगा-सारे अमेरिका को ।"



माइक चुप हो गया । वह जान गया कि क्रीमिया के दिमाग पर विकास भूत बनकर सवार हो गया है । क्रीमिया विकास से बुरी तरह प्रभावित और भयभीत है ।


उसने क्रीमिया से अधिक बात करना उचित नहीं समझा बल्कि शीशे के पास पिंजरे में कैद फ्रिदतोफ़ को देखने लगा । बह बडे ध्यान से फ्रिदतोफ को देख रहा था ।


अचानक माइक के दिमाग में धमाका-सा हुआ । एक अजीब-सी बात उसके दिमाग में आ गई । वह तेजी से , इंस्पेक्टर की तरफ घूमा और बोला-----" मिस्टर इंस्पेक्टर कहीं से चूहे का प्रबंध करो ।" चौंक पड़ा इंस्पेक्टर ।।


क्रीमिया भी और दोनों कांस्टेबल भी ।।


सबने चौककर माइक की तरफ़ देखा ।



सब सोच रहे थे------कौन है यह व्यक्ति? बेहद घाघ । क्रीमिया को लगा कि यह आदमी कोई बहुत बड़ा जासूस है । अभी वे आश्चर्य से उसका मुंह ताक ही रहे थे कि माइक पुन: बोला ---" सुना नहीं इंस्पेक्टर, क्या कहा है मैंने ?"

" ओके सर ।" इंस्पेक्टर ने जल्दी से एकदम अलर्ट होकर कहा…"अभी लीजिए ।" उसके बाद वह एक कांस्टेबल की तरफ़ मुडकर बोला…"जल्दी से एक चूहे का प्रबंध करो" ।


आश्चर्य में डूबी मुखाकृति लेकर कांस्टेबल वहां से चला गया ।
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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माइक ने इंस्पेक्टर क्रो अगला यह आदेश दिया-“दूसरे कमरे में जाकर फ्रिदतोफ़ क्रो पिंजरे से बाहर कर दो।"


इस तरह.....!!


बीस मिनट पश्चात कांस्टेबल एक चुहेदान में कैद चूहा ले आया । उस समय तक फ्रिदतोफ को पिंजरे से बाहर निकल दिया गया था परंतु था वह उसी कमरे मे कैद । माइक ने कांस्टेबल से वूहेदान लिया ।


क्रीमिया, इंस्पेक्टर दोनों कांस्टेबल बड्री दिलचस्पी के साथ माइक की कार्य-प्रणाली देख रहे थे ।



उसने एक ऐसी नाली के मुह पर चूहेदान रखा जो सीधी उसी कमरे में खुलती थी जिसमें फ्रिदतोफ़ था । नाली के मुंह पर चूहेदान रखकर खोल दिया । उसमें कैद मोटा ताजा चूहा झट नाली के रास्ते कमरे के फर्श पर कूद गया ।


उसी पल जैसे विजली कौधी ।


फ्रिदतोफ की दृष्टि जैसे ही चूहेदान पर पडी, पल भर के लिए उसकी आंखें अजीब-से ढंग से चमकी और .......


ठीक विल्ली जैसी फुर्ती और स्टाइल मे .. ।


वडी तेजी के साथ वह चुहे पर झपटा ।



शायद ही कोई चूहा ऐसा होता हो जो बिल्ली की झपट से स्वयं को बचा पाए । लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है कि यह उन बिरलों में से नहीं था । एक झपट में बिल्ली बने फ्रिदतोफ़ ने उसे अपने पंजे मे दबा लिया ।


संभी आश्चर्य के साथ यह देख रहे थे ।

अगले ही पल


फ्रिदतोफ ने हाथ मे दवा हुआ चुहा, अपने मुँह में लिया और ...... उफ! अपने पैने दातों से उसने चुहे की खाल एक एक तरफ फेंक दी ।।


चूहा तो मर चुका था किंतु चूहे के कच्चे गोश्त मे फ्रिदतोफ ने एकदम अपने दांत गडा दिए .

फिदतोफ़ उस चूहे को चिगल-चिगलकर खा रहा था ।


कैसा बीभत्स दृश्य था । क्रीमिया देख न सकी । पहले सिसकी और फिर चीख मारकर धड़ाम से फर्श पर गिर गई ।



इंस्पेक्ट और कास्टेबल उसकी तरफ झंपटे लेकिन वह बेहोश हो चुकी .थ्री ।


माइक बराबर फ्रिदतोफ को देख रहा था । फ्रिदतोफ़ ने भी शायदं शायद क्रीमिया की चीख सुन ली थी , तभी तो बह पिंजरे की आड में पहुंचा और आराम से चुहे के स्वादिष्ट गोश्त को खूब चिगल-चिंगल कर खाने लगा ।।


माइक की आंखो में एक अजीब-सी चमक आती जा रही थ्री ।

अगला दिन-सारे अमेरिका के लिए जैसे कहर का दिन था ।


सारे अमेरिका में जैसे कोहराम मच गया हो ।


कोई गिनती नहीं थी । पता नहीं अमेरिका के कितने अधिकारियों की हालत फ्रिदतोफ़ जैसी हो गई । अमेरिकी सेना के न जाने कितने अधिकारी विल्ली वन गए थे । सी आई ए के कितने ही एजेंट "मयाऊं-मयाऊ' कर रहे थे । राजनैतिक नेता बिल्ली बने, अपने कमरे में चूहे तलाश कर रहे थे ।।


अमेरिका की जनता भयभीत हो उठी ।


अखबार चीख पड़े ।


सबकी जुबान पर केबल एक ही नाम था ।


विकास विकास विकास विकास !


भय.. आतंक विनाश का प्रतीक! !!


माइक परेशान ।



सीक्रेट सर्विस बौखलाई ।


सी आई ए के एजेंटों के भय से थर-थर कांपते जिस्म ।


अधिकारियों के चेहरे सफेद । सबके चेहरों पर भय, आतंक ।


बिल्ली बने हुए सभी अधिकारियों की जेबों मे वे ही विकास के धमकी भरे खत ।

अमेरिकन सरकार कहां तक छुपाती?

प्रेस रिपोर्टर को वे खत मिले ।

पत्र अखबांरो में छप गए ।


तभी तो… सबके दिमागों में केवल एक ही नाम था…विकास ।।


जैसे साक्षात यमदूत का नाम हो ।


अमेरिका की जनता अपील करने लगी कि भारत से सी अई ए का जाल उठा लो…वस्ना ...वरना .वह शैतान सारे अमेरिका को विनाश की खाई में झोंक देगा । किसी को नही छोड़ेगा । सारे अमेरिका को बिल्ली बना देगा ।



विल्ली---विल्लियों का देश ।।



बड़े-बड़े अधिकारियों की काफ्रेस हुई लेकिन परिणाम-ठाक के तीन पात ।।


जूत-पत्रम होकर रह गया । किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए?

कैसे इस खतरनाक लड़के को रोका जाए?
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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इसे लडके पर तो जनून सवार हो गया है । सी आई ए के एजेंटों को आदेश भी दें तो क्या? क्या करे सी आई ए ?


सीकेट सर्विस के चीफ ने माइक की खिंचाई की । बेचारा माइका ।। क्या करे वो? बौखला गया ।। विकास को कैसे रोके?


जैकी! !


यानी जैकी आर्मस्ट्राग । विकास का चौथा गुरु । विजय का भी गुरु । उसे जासूसों का देवता कहा जाता था ।। जैकी एक अखबार का क्राइम रिपोर्टर था । वह भी बुरी तरह बौखलाया हुआ था । वह क्या जानता था कि जिस लड़के को उसने स्वयं जासूसी के, अनेक पैतरे सिखाए हैं, यहीं एक दिन अमेरिका के लिए काल वन जाएगा । वह जानता था कि विकास अपरिमित शक्ति और विलक्षण बुद्धि का मालिक है । उसे भी वे दिन याद हैं जब उसके पास ट्रेनिंग ले रहा था और अचानक बह माफिया के विरुद्ध भडक गया था । तब उसके मना करने पर भी यह लड़का माफिया से टकरा गया था ।।

इस बार विकास अपराधी वन गया-क्या सचमुच वह अमेरिका को समाप्त कर देगा ।


सोचता-सोचता कांप उठा जैकी ।



अमेरिका को समाप्त करना है तो एक स्वप्न जैसी बात लेकिन उसके साथ विश्व के बड़े-बड़े अपराघी है जो विश्व सम्राट बनने के ख्वाब देखते है । न जाने कितनी बार उन अपराधियों ने अपनी वैज्ञानिक शक्तियों से सारे विश्व को खतरे में डाल दिया हे…तो. .तो. . .क्या .उऩ शक्तियों से अमेरिका को समाप्त करना कठिन है?


नहीं ।


कठिन तो हो सकता है लेकिन असंभव नही । कोई उस लडके का क्या बिगाड लेगा? बह तो मंगल ग्रह पर बैठा है । वह तो बिल्कुल अपराधी वन गया है । अपराधियों वाले हथकंडे आजमा रहा है । उसे अगर मालूम होता है कि एक दिन यह लड़का अमेरिका के लिए इतना बड़ा खतरा बन जाएगा तो बह कभी उसे जासूसी के हथकंडे न सिखता । उसका स्वप्न तो यह था कि विजय की तरह विकास भी एक महान जासूस वने लेकिन-इस बेवकूफ़ लडके ने यह क्या किया? अपनी जरा-सी सनक के लिए अपना सारा जीवन बर्बाद कर लिया-अपराधी वन गया ।


इन्हीं बिचारो में उलझा हुआ जैकी अपने घर पहुचा । उसके घर का वातावरण भी बड़ा अजीब-सा हो गया था ।।


उसकी पत्नी यानी जुलिया-विकास को वेहद प्यार करती थी…बिल्कुल अपने बेटे की तरह । जैकी का एक बेटा भी था, नाम---"हैरी आर्मरट्रांग !"


बिकास का हमउम्र, जो स्वयं भी प्रलयंकारी विकास बाले अभियान मे जैकी और जुलिया को धोखा देकर विकास के साथ चला गया था।


हैरी और जुलिया इस समय पास ही एक सोफे पर वैठे थे ।और सामने दीबार पर टंगे हुए विकास के चित्र को देख रहे थे । न क्यों जूलिया की आँखों आंसू थे ।

हैरी के चेहरे पर अजीब-सी कठोरता थी ।।


चित्र में विकास बडी मोहक मुस्कान के साथ मुस्करा रहा था ।


कैसा मासूम-सा लगता था । कमरे में सन्नाटा था ।

तभी वहाँ जैकी ने प्रबेश किया ।।

तभी वहाँ जैकी ने प्रवेश किया । जैकी की हालत बड्री खराब ही । अस्त-व्यस्त बाल, परेशानियों से घिरा चेहरा ।


जूलिया हैरी ने जैकी की तरफ़ देखा । जैकी की आखें लाल थी । साहस जूलिया बोली ।


" क्या वास्तव में यह सब विकास कर रहा है?"


" बको मत !" झुंझला उठा जैकी-----" तुम हमेशा बेवकूफी की बाते करती हो । सारे अमेरिका में केवल तुम्ही ऐसी हो सबके पीछे विकास के होने में संदेह हैं । तुम जानती हो बह खतरनाक शैतान हमेशा इसी तरह की हरकत करता है । अपना काम करके हमेशा उनके पीछे अपना नाम छोड़ जाना उसकी आदत है । उसका दिमाग खराब हो गया है ।" वह विकास के चित्र की तरफ बढता हुआ बोला---" मुझी से सब कुछ सीखकर वह मेरे ही देश का दुश्मन बन गया है । अगर मेरे सामने आ जाए तो मैं उसे जिन्दा नहीं छोडूंगा । फेक दो इस तस्वीर को! यह अमेरिका का दुश्मन है । यहां इसका कोई काम नहीं ।" कहते हुए जैकी ने दीवार से विकास की शीशे से जड्री तस्वीर उताकर क्रोध से फर्श पर दे मारी । केस अलग जा गिरा । शीशा टूटकर चूर-चूर हो गया ।



"डेड्री !" अचानक हैरी चीख पड़ा----" यह आपने क्या किया?"


"बको मत ।" जैकी गुर्रा उठा । बह हमारा दुश्मन है !"


"क्यो डैडी-बिकास हमारा दुश्मन क्यों है?" हैरी दृढता के साथ बोला-----'‘विकास मेरा दोस्त है-सच्चा दोस्त ।"


"जैकी का लड़का होकर बेवकूकी की बाते करता है, नादान लड़के!-" जैकी गुर्रा उठा-"दोस्ती उससे होती है जो दुश्मन न हो । देश का दुश्मन, कभी दोस्त नहीं हो सकता । हर इंसान के लिए पहले देश है, बाद में सब कुछ । अपने उसी शेतान दोस्त के कर्मों से शिक्षा लो हेरी…उसने अपने देश का हित सोचा । सोचो, तुम भी सोचो! क्या अमेरिका को समाप्त करने से पहले उसने यह सोचा कि अमेरिका में उसका गुरू जैकी भी है? उसे मां की तरह प्यार करने वाली जूलिया भी है? तुम. . .तुम उसके दोस्त वनते हो!........

उसने यह सोचा कि तुम भी इसी अमेरिका मे रहते हो जिसका वह दुश्मन वन गया है ।"


"बिकास ने जो कुछ किया है, ठीक ही किया डैडी!” हैरो कठोर स्वर में बोला ।


"क्यो?” चीख पड़ा जैकी-''तुम्हारा दिमाग खराब हो गया हैरी !"


"मैं ठीक कह रहा हूँ डैडी !” हैंरी बोलता ही चला गया-----" जरा आप भी सोचिए! जिस तरह हमारे देश ने भारत में सी आईं ए का जाल फैला रखा है, जिस तरह हमारी सी आई
ए भारत का तख्ता पलट देना चाहती है । अगर उस तरह अमेरिका में किसी भारतीय जासूसी संस्था का जाल होता, अगर भारत अमेरिका का तख्ता पलटना तो.... तो. .आप क्या करते?”



"बको मत !", जैकी चीख पड़ा ।


"बक नहीं रहा हू डैडी, कड़वा सच कह रहा हूं ।" हैरी बिल्कुल बेखौफ कहता ही चला गया…" आप चाहे जो करते डैडी लेकिन मैं तो वही ,करता जो विकस ने किया है । अगर मेरे देश में भारत की जासूसी संस्था का जाल होता तो सचमुच मैं उसी तरह अपराधी बनकर भारत से बदला लेता, जैसे बिकास आज अमेरिका से ले रहा है !"


" हैरी .....!"



" चीखो मत डैडी!" हैरी गुर्रा उठा--- "सच्चाई सुनी तो बौखला उठे । आप ही सोचिए देशभक्ति से भी बडी एक भावना है…मानव-भक्ति! विश्व…भक्ति! आप केवल अपने देश को क्यों प्यार करते हैं, पूरै विश्व को प्यार कीजिए-पूरी मानव जाति के हित की सोचिए । माना कि आज विश्व अनेक देशो में बंटा हुआ है लेकिन हर देश में मानव रहता है डैडी! इन देशों में सहयोग भावना क्यो नहीं है? क्यो एक देश, दूसरे देश को खा जाना चाहता डै? किसी देश को क्या जरूरत पडी कि दूसरे देश में अपने जासूसों का जाल बिछाए?



" हैरी !" जैकी जैसे पागल होकर बूरी तरह क्रोध से चीख पड़ा

“तुम्हारे बिचारों से गद्दारी की बू आ रही है । अगर कोई और सुन लेगा तो सोचेगा, तुम विकस के साथी हो ।”


"अगर सच्ची बात करना गद्दारी है डैडी! तो समझ तो हैरी गद्दार है ।" हैरी जैसे पागल हो सा गया था…"माना डैडी कि आज विकास हमारा दुश्मन है । कसम मां के दूध की, अगर मेरे सामने… आ जाए तो उसे गोली मार दूं । लेकिन मेरा दिल जानता है कि सारा दोष उसका नहीं है । यमवह अगर अपने देशे केलिए अमेरिका का दुश्मन वन सकता है डैडी तो मै भी अपने देश के लिए उसे गोली से उडा सकता हूं लेकिन साथ ही अमेरिका को इस बात के लिए बाध्य कर दूंग । डैडी कि भारत से सी आई ए का जाल हटा लो ।"


जैकी हेरी को देखता ही रह गया।


हैरी का चेहरा तमतमा रहा था । जिस्म क्रोध से कांप रहा था । जैकी को लगा कि हैरी द्वारा कहा गया एक…एक शब्द सत्य है । उसे भी दिल-ही-दिल में मान लेना पडा कि यह ठीक है और यह उनका फर्ज है कि वे किसी भी तरह इस दुश्मन को समाप्त कर दे लेकिन यह बात भी अपनी जगह दृढ़ थ्री कि भारत में सी.आई.ए का जाल गलत है । मानव हित को देखते वह समाप्त होना ही चाहिए ।


जैकी यह सोचता ही रह गया और हैरी ने आगे बढकर विकास का फोटो उठाया, एक बार घूरा फिर एकदम उस फोटो को झटके से फाड़ दिया । फोटो के टुकडों को एक साथ मिलाकर चार करता हुआ बोला ।


"तुम मेरे देंश के दुश्मन हो विकास में तुमसे बदला लूंगा ।" ये शब्द कहते समय उसके चेहरे पर संसार भर की कठोरता उभर आई थी लेकिन...लेकिन...लेकिन जुलिया और जैकी ने बिल्कुल साफ देखा हैरी के चेहरे पर कठोरता अवश्य थी लेकिन उसकी आंखों में आंसू थे ।



जैसे उसके अपने ही कहे हुए शब्द उसके दिल में किसी तीर की भांति लगे हों!


न चाहते हुए भी जैकी और जुलिया तक की आंखो मे आँसू तेर गए ।


सर्जिबेण्टा निरंतर अपनी गति के'साथ मंगल ग्रह ही तरफ़ अग्रसर था । उसके एक विशेष कक्ष में विजय, अलफासे, जैक्सन, सुभ्रांत और पूजा उपस्थित थे ।
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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सुभ्रांत के तीनो सहयोगी बड्री सतर्कता के साथ सर्जिबेण्टा का चालन कर रहे थे ।


" बेटा लूमड़ मियां! ” विजय अलफांसे को बोर करने पर तुला हुआ था…" अब तक अपना दिलजला मंगल पर पहुंच गया होगा!"



"मेरे विचार से तो वह सिंगही की कैद में पड़ा होगा ।" सुभांत बोला ।


"अपने विचार की पोटली बनाकर हाजमे की गोली के साथ हजम कर जाओं प्यारे प्रोफेसर भाई!" विजय अपनी ही धुन में बोला---"अपने दिलजले के साथ जो साला लंबा कार्टून है न, वो चचा का बाप है ।"


"ज़ब वहां सिंगही सम्राट वना हुआ है तो भला कोई भी शक्ति उसका क्या बिगाड लेगी?" सुभ्रांत ने कहा ।



"वे तीनों महाशैतान हैं प्रोफेसर ।।" अलफांसे सुभ्रांत से बोला------" वे रसगुल्ले नहीं है जो सिगंही जीभ पर रखते ही हजम कर कर जाएगा ।"


"'इस बेकार की बहस में क्या रखा है मिस्टर अलफांसे!" अचानक जैक्सन बोल पडी-" हमें यह देखना चाहिए कि मंगल , तक पहुचने में अब कितना समय लगेगा ।"




" देखो मम्मी! साला अपना कित्तना बदमाश है!" विजय बोला-“खुदं तो साला एक्सप्रेस से निकल गया और हमें यहाँ बैलगाड्री में छोड़ गया । पता नहीं चरकचूं करती हुई कब मंजिल पर पहुँचे !"


"केवल पंद्रह दिन और लगने हैं मिस्टर विजय !" जैक्सन ने कहा ।


" विजय......!" अचानक, कक्ष में अशरफ की आवाज गूंजी…"कोईं हमसे संबंध स्थापित करने की चेष्टा कर रहा है ।"



"हाय !” विजय ने थर्ड क्लास ढंग से अपनी छाती पर हाथ मारा और एकदम उछलकर खड़ा हो गया----" कहीं साला अपना दिलजला तो नहीं है?" उसके साथ ही सब खड़े हो गये और चालक कक्ष की तरफ़ बढे । सबसे पीछे पूजा थी, वह अपने में गुम थी । जिस दिन से विकास गया था, न जाने क्यों-वह खुश रहना चाहकर भी खुश न रह सकी थी । जब वे सब चालक कक्ष में पहुंचे, सबसे पहले बिजय ट्रांसमीटर पर झुका ।



उसी पल. . . ।


जैसे दूसरी तरफ वाले का प्रयास एकदम सफ़ल हो गया हो यानी एकदम संबंध स्थापित हो गया । चालक कक्ष में लगी एक स्कीन पर झटका-सा लगा और उस पर एक आकृति स्पष्ट दिखाई देने लगी । एक झटके के साथ सबकी दृष्टि उस तरफ उठ गई ।


सवके दिल धक्क सेरह गए।



स्कीन पर सबके दिल का टुकड़ा था-विकास


पूजा का दिल बड्री तेजी से धड़क्ले लगा ।


विजय, अलफांसे, अशरफ, जैक्सन इत्यादि तो उस लड़के को देखते ही रह गए । कैसा सुदर लग रहा था! मासूम सा बेहद प्यारा लड़का, मस्तक पर ताज, मंगल सम्राट के रूप वह वहुत सुन्दर लग रहा था ।


“गुरु लोगों को मेरा चरणस्पर्श ।" विकस की आबाज कक्ष है में गूंजी ।


सब चौक पड़े, सबसे पहले बोला विजय ।


" अबे दिलजले, क्यों हमारे चरणों की दुर्गति करने पर तुले हुए हो? अरे हम तेरे नहीं, तू हमारा गुरु है । अबे प्यारे, ये तो बताओ ये माथे पर क्या लटका रखा है?"


"आपका बच्चा, मंगल सम्राट बन गया है गुरू!"


"हाय. . .यानी कि वनस्पति चचा की लुटिया डुबो दी ।"

" सिगंही दादा मेरी कैद में पड़े हैं गुरु! अब मंगल पर अपके बच्चे का शासन चल रहा है । आप क्यो चुप हैं क्राइमर अकंल कुछ बोलो । लगता है बच्चे से नाराज हो?"


" तुमने अपने गुरु को समझा नहीं विकास ।" अलफांसे गभीर स्वर मे बोला…" तुमने सोचा कि मैं तुम्हारे साथ धोखा करके विजय के सार्थ मिलकर तुम्हारे खिलाफ साजिश रच रहा हूं ।"


" जब मुझे पता लगा गुरू तो बड़ा दुख हुआ ।"


"तुम्हारी गलतफ़हमी बिकास ।" अलफांसे प्रभावशाली स्वर मे बोला-----"विजय के साथ वह साजिश नकली थी । वह तो मैने विजय से केवल इसलिए कहा था ताकि विजय मंगल की तरफ़ चलने के लिए तैयार हो जाए ।"



" सच गुरू ?"


"तुम मेरे दिल को क्या समझोगे विकास !"



"क्षमा करना गुरू-विकास जैसे एकदम पश्चाताप-सा करने लगा-"आपको गलत समझकर मैंने यह गलत कदमम उठाया । आपका वच्चा आपके चरणों में गिरकर क्षमा मांगता है गुरु! लेकिन आपके आशीर्वाद से आपका बच्चा आपकी अनुपस्थिति में भी सफल रहा गुरु । अमेरिका को मैने पहला सबक तो दे दिया है" ।


“अरे !" जैक्सन बोली------"क्या किया तुमने?"


" सब देखना चाहते हैं तो मैं दिखा रहा हूं ।" विकास ने कहा …"देखो गुरु ।"



इसके साथ ही स्क्रीन पर से विकास का चेहरा हट गया । अब वहां एक ऐसे इंसान का दृश्य उभर आया जो बिल्ली वन चुका था ।


कक्ष में मय्ऊं-मयाऊं की आवाज गुंजने लगी । सब बड़े ध्यान से उसे देख रहे थे, तभी विकास की आवाज गूंजी ।


" यह आप अमेरिका की धरती का दृश्य देख रहे है गुरु । यह व्यक्ति अमेरिका की मिलिट्री में मेजर के पद पर था लेकिन अब बेचारा बिल्ली वन चुका है । इसे किसी चूहे की तलाश है ताकि अपना स्वादिष्ट भोजन कर सके !"



" क्या मतलब?"


" मतलब यह गुरु कि ये पूरी तरह विल्ली वन चुका है !"


विकास की आवाज गूजी--“केवल यही नहीं बल्कि अमेरिका के अनगिनत अधिकारी बिल्ली बने चूहों को दूंढ रहे हैं । इस खेल का श्रीगणेश मैंने सी आई ए. के चीफ मिस्टर फ्रिदतोफ से किया था । इस समय पूरे अमेरिका मे हा-हाकार है । वहां के बच्चे-बच्चे की जुबान पर आपके बच्चे का नाम है ।"



" यह क्या बेवकूफी है दिलजले?" कांप उठा विजय ।


"यह बेवकूफी नहीं गुरु, मेरा प्रण है जो पूरा होने जा रहा है ।" बिकास का सख्त स्वर उभरा-"आपके बच्चे ने आपके चरणों की सौगंध ली है कि अमेरिका से बदला लेगा और मेरा वहीं क्रम जारी है । गुरु ! एक बार विकास को अमेरिका ने प्रलयंकारीके रूप में जाना था , इस बाऱ बिनाशदूत के रूप में जानेगा ।"



" इसका का मतलब यह कि अब तुम पूरी तरह अपराधी वन गए ?"


“अब नहीं गुरु, अपराधी तो मे बहुत पहले वन चुका हूं ।" बिकास सपाट स्वर में कहता गया…“जिसको भी मैंने बिल्ली बनाया, हरेक की जेब में मेरा एक पत्र है और वह पत्र अमेरिकी के हर अखबार मे छाया हुआ है।"



……“तो तुम माने नहीं !" . . .



" आप भी वह पत्र पढो गुरू !" विकास के इन शब्दों के साथ ही स्क्रीन के दृश्य मेँ परिवर्तन आया।




बिल्ली बने हुए मेजर के स्थान पर टाइप किया…हुआ एक पत्र स्क्रीन पर नजर आने लगा । सबने बड़े ध्यान से और तेजी के साथ
उसे पढा । कक्ष में उपस्थित कोई भी इंसान नहीं था जो पड़ते-पड़ते कांप न उठा हो ।


कुछ ही देर बाद स्क्रीन के दृश्य में परिवर्तन आया । अब स्क्रीन पर विकास नजर आने लगा ।


तभी अलफांसे …"मैं नहीं जानता था विकास, तुम इस तरह की हरकत कंरोगे । विश्व की निगाहों में मैं तुम्हें अपराधी नहीं बनाना चाहता था ।"


“अब तुम अपराधी वन गए हो दिलजले । भारत से अब तुम्हारा कोई नाता नही ।" विजय गुर्रा उठा !"

"‘यह मत समझे विजय गुरु कि विकास आपके दिल की भावनाओं से अनभिज्ञ है । विकास जानता है कि आपने विकास को भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का एक महान जासूस बनाने का स्वप्न देखा है । विकास जानता है गुरु कि विकास के लिए अपके दिल के लिए में अथाह पेम है । विकास यह भी जानता है गुरु कि विकास को बर्बाद होते, आप नहीं देख सकते ।"
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

Post by kunal »

" सब कुछ जानते हुए भी तुमने मेरे सारे सपनो को चूर-चूर कर दिया ।"



"नहीं विजय गुरु नहीं! आपके सपने साकार होगे, आपकी इच्छाएं पूरी होंगी । आपके साए में पलकर विकास जासूस बनेगा गुरू--विश्व का सबसे बड़ा जासूस !"


"अब तो तुम सबसे बड़े अपराधी बन गए हो दिलजले! " विजय बोला------"सारा विश्व तुम्हारे पीछे पड़ जाएगा, विश्व का एक-एक इंसान तुम्हारे खून का प्यासा होया । तुमने अपना जीवन बर्बाद कर लिया विकास ! तुम्हारे इस अपराधी जीवन को मैं स्वयं अपने हाथ से गोली मारकर समाप्त कर दूगा । तुम्हारा खून मेरे हाथों होगा विकास! तुम्हें मैं मारूंगा ।"



" नहीं गुरु! आपका विकास जासूस बनेगा ।"


" अब ऐसा नहीं हो सकता विकास!" विजय के स्वर में तड़प थी------" अब तो पूरे विश्व के लिए तुम अपराधी हो । अमेरिका यूएनओ. के जरिए तुम्हें भारत से ले लेगा, हम भी तुझे
बचा नहीं सकेंगे ।"



“नहीँ गुरु नहीं!" विकास का दुढ़ स्वर उभरा-------" यकीन करो मेरा, यह सब नहीं होगा । विकास की वापसी होगी गुरु! विकास भारत आएगा । आपके बच्चे को कोई रोक नहीं सकेगा गुरु! विकास फिर अपके चरणों में आएगा, आपके साए में जासूस बनेगा । यू. एन .ओ भी आपके बच्चे का कुछ बिगाड़ नहीं सकेगा गुरू !"


" तुम इतने आगे बढ चुके हो विकास कि वापस नहीं जा सकते ।" विजय के स्वर में जैसे पीड़ा थी ।


"आपका बच्वा वापस आएगा गुरु ! ज़रूर आएगा । कोई नहीं रोक सकेगा ।" विकास दृढता के साथ कहता ही जा रहा था-----"अगर अपराधी बना हूं तो कुछ सोचकर । आगे तो जरूर बढा हूं गुरु! लेकिन मेरा स्थान आप ही केवल में है ।"



विजय गंभीर हो गया था ।


जव से जैक्सन ने अमेरिका की हालत देखी थी, तब से वह भी गंभीर थी ।


पूजा तो जैसे एकटक स्क्रीन पर उभरे विकास को देख रही थी ।


अलफांसे भी आश्चर्यजनक रूप से चुप था ।

अशरफ सोच रहा था-कहां पहुच गया वह लड़का । इतने वड़े--वड़े शातिरों को धोखा देकर आखिर अपनी मंजिल पर पहुच ही गया । यह विकास का कैसा रूप सामने आया है । जैसा अक्सर सिंगही और जैक्सन का आया करता है ।


" तुम चुप क्यों हो पूजा?” अचानक बिकास पूजा से, संबोधित हुआ ।


चौकी पूजा, दिल में मीठा-सा दर्द उठा । बोलना चाहा मगर बोल न फूटा ।


" जिस दिन से गए हो बेटे दिलजले, उसी दिन से इसकी हालत विन मजनू की लैला जैसी है ।"


" माफ़ करना पूजा !" विकास गंभीर स्वर में पूजा से बोला-"गुरु लोगों की हरकतों के कारण तुम्हें भी धोखा देना पडा । लेकिन तुम उदास मत होना । मैं तुम्हारा इतना ख्याल नहीं रख सकता जितना गुरू लोग रखेंगे ।"


पूजा में तो कुछ बोलने का साहस ही नहीं था परंतु विजय अवश्य बोल पडा ।


" क्यों वे दिलजले यहां भी कन्याबाजी से बाज नहीं आया और वो भी गुरूओं के सामने ही !"


" चाहे.मैं कछ भी करू गुरु लेकिन छुपाता नहीं हूँ । सुनो गुरू, . कान खोलकर …मैं पूजा से प्यार करता हूं इसलिए नहीं कि बह एक नारी और मै एक पुरुष हूं बल्कि इसलिए कि पूजा भी एक वहुत बड्री देशभक्त है-बहन के दिल से पूछो गुरु कि भाई को वह कितना चाहती है लेकिन जिस बहन ने देश के हित हेतु भाई को गोली मारी हो, क्या वो प्यार की हकदार नहीं है? गुरु ऐसे ही देशभक्तों प्यार की जरूरत है ।
पूजा, पूजा के योग्य है गुरु । अगर पुजा के त्याग को यह कहकर टाल देगे कि पूजा एक नारी है और आप नारियों से दूर भागते है तो यह आपकी भूल होगी । आप यह भूल जाइए कि पूजा एक नारी है । उसके त्याग को याद रखिए, उसके बलिदान को याद रखिए।”


"एक दिन ऐसा जाएगा कि तुम त्याग को भूल जाओगे और पूजा याद रहेगी ।"


और......... उधर विकास की बाते सुनकर पूजा की आखों में आसू आ गए !!


. . . . न जाने क्यो?


तभी विकास की आवाज आई------"खैर, आप लोग पद्रह दिन पश्चात मेरे पास पहुंच जाएंगे! तब तक के लिए विदा------!"



" अबे सुन तो दिलजले!" विज़य एकदम बोला।


"बोलो गुरु ।"


"जरा यह बताओ कि अपनी वापसी की बात तुम इतने दावे से…कैसे कर रहे हो ?"



"वक्त बताएगा गुरु मेरे पास पूरा प्रबंध हैं ।"



इस अतिम वाक्य के साथ ही विकास का चेहरा गायब हो गया ।


सबके दिल धक्क से रह गए, कुछ पलों के लिए तो वहां गहन सन्नाटा छा गया।



मानो कोई मौत होगई हो।

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सिंयुडाड ज्यूरेज ।।


यह नाम था अमेरिका के एक प्रमुख नगर का, संक्षेप में लोग उसे ज्यूरज कहा करते थे ।


अभी एक ही घटा पूर्व तो ज्यूरेज की स्थिति पूर्णतया सामान्य थी । प्रत्येक कार्यं दिनचर्या की भाति विनी किसी विरोध के चल रहा था ।



लेकिन .........


अभी तीस ही मिनट पूर्व वहां आश्चर्यजनक परिवर्तन हुआ था ।


आधा घंटां पूर्व वातावरण बिल्कुल साफ था । वेज्ञानिक, भविष्यवाणी भी यहीं थी कि वातावरण साफ़ रहेगा लेकिन अचानक लोगों ने देखा कि गगन पर घने बादल छाने लगे ।


साधारण जनता ने पहले तो कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन वैज्ञानिक अवश्य चौके थे और शीघ्र ही ये बादल साधारन जनता के लिए भी चौकने का कारण बन गए!


ये बादल, प्राकृतिक बादलों से कुछ पृथक थे ।


बादल के स्थान पर अगर उसे धुएं की संज्ञा दी जाए तो अधिक उचित होगीं ।


साधारणतया धरती से जितनी ऊचाई पर बादल होते हैं, उसके मुकाबले यह धुआं कम ऊँचाई पर आबारा-सा घूम रहा था ।


धुआं एकदम काला था-काजल की भांति नितांत प्याला काला ! अपारदर्शी ।



पहले यह धुआं कछ कम था । परंतु प्रत्येक पल वह बढता ही गया यानी तीस मिनट के अंदर ही धुआँ बढकर इतना गहन हो गया कि संपूर्ण ज्यूरज अंधेरे की चादर से लिपट गया ।




ज्यूरेज के निवासी चमत्कृत थे।


दिन के....... दिन के बारह बजे , रात के बारह बजे का समा देखने को मिल रहा था । प्रत्येक घर की लाइट जल गई । सरकारी रोड लैंप भी जगमगाने लगे । ऐसे आसार नजर आ रहे थे मानो यह धुआं अभी गरजकर बरसेगा ।



लोग भयभीत, चमत्कृत, परेशान और उत्सुक थे ।


मौसम विभाग के दिमागी पुर्जे ढीले पड़ गए थे ।


सारा ज्यूरज गहन अंधकार के आगोश में समा गया ।


दफ्तर बंद हो गए ।

मिलो में काम रुक गया । सभी कार्य असामान्य हो गया । लोग जल्दी-जल्दी अपने परिवार के पास पहुचने का प्रयास करने लगे ।

अचानक काजल-से काले बादलों में जोरदार गर्जना हुई ।

ऐसी गर्जना जैसी कभी किसी बादल मे नहीं हुई । बिजली चमकने से गर्जना तो होती थी लेकिन इतनी तेज कभी नहीं । एक-एक इंसान काप उठा । एक पल के लिए ठीक ऐसा ही चमचमाता हुआ प्रकाश जैसा बिजली कौंधने पर होता है । वह प्रकाश एकदम गायब हो गया घुप्प अंधेरा ।
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