बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी


अपराधी विकास-मंगल सम्राट विकास -बिनाश दूत बिकास
-विकास की वापसी



कहानी का श्रीगणेश शंकर प्लेस पर, मनाई जां ऱही एक पिकनिक से होता है । वह पिकनिक बी, आई डी कॉलेज विधार्थियों की होती है ।


यह कहानी उस समय की है जब सुपर रघूनाथ का लड़का विकास अठारह वर्ष का होता है ।


वह भी इस कालेॅज के बी एस सी में पढता है । अपने साथियों के साथ वह भी पिकनिक मनाने यहां आता है ।


यब समय ऐसा था जब विकास अत्य अधिक सुंदर व आकर्षक था कि कालेज की प्रत्येकं लडकी उसे पसंद करती थी लेकिन विजय और अंलफासे जैसे गुरुओं का यह चेला लडकियों मे कोई दिलचस्पी नही लेता था।



पिकनिक मनाने वाले अधिकाश विद्यार्थी षश्चिमी सभ्यता से प्रभावित थे । वे पूर्णतया हिप्पी बनें हुए थे ।


चरस, गांजे अफीम और एल एस डी इत्यादि के मादक पदार्थों के सेवन मे ये लोग राम और कृष्ण की खोज मे डूबे में होते है ।


इनमे एक लड़का, जिसका नाम बिशन मल्होत्रा जो काॅलेज की छात्र युनियन का अध्यक्ष होता है ।

विकास को बिशन मल्होत्रा पर संदेह होता है ।

वास्तव में वह संदेह ठीक ठीक था ।

बिशन मल्होत्रा सी आई ए के एक एजेंट कार्ली से मिलता है और कार्ली द्वारा दिए गए मादक पदार्थों से वह विधार्थियों को उनका आदी बनाकर उन्हें पथभ्रष्ट कर रहा होता है ।

उसके बाद जब कार्ली अमेरिका को ट्रांसमीटर द्वारा अपनीं काम की रिपोर्ट देता है तो विकास को भारत में फैले सी आईं ए के जाल का पता लगता है । उसे पता लगता है कि भारत इस समय जिस स्थिति मे है , उन सबका एक ही कारण है ------ अमेरिका की संस्था सी आई ए का जाल ।।


उसे पता लगता है कि जमाखोरी का विशेष कारण सी आई ए है । एक तरफ सी आई ए विद्यार्थियों को भड़काकर 'स्ट्राईक’ करवाना चाहती है, दूसरी तरफ़ विरोधी पार्टियों, के नेताओं को खरीद आंदोलन करवाना चाहती है । भारत में राशन,मिट्टी का तेल और घी इत्यादि अनेकं आवश्यक वस्तुओं के पीछे लगी लंबी-लंबी लाइनों का कारण सी आई ए.।।।



सी आई ए. एक तरफ देश में गृह-युद्ध छिड़वाना चाहती है और दूसरी तरफ पाकिस्तान को शस्त्र इत्यादि देकर उसे पुन: युद्ध के लिए तैयार करती है ।



खैर तात्पर्य यह है कि विकास को अमेरिका की एक ऐसी भयानक साजिश का पता लगता है जिससे भारत का भविष्य अंधकारमय हो सकता था । देशभक्त विकास भडक उठता है



विकास भडक जाए तो फिर कयामत आ जाती हैं।

लड़का भड़क गया । विकास ने कार्ली को बड़ा भयानक सबक दिया । ट्रांसमीटर पर ही उसऩे अमेरिका को चेलेंज कर दिया कि वह विश्व के नक्शे से अमेरिका का नामो-निशान मिटा देगा । यही-उसे पूजा मिलती है । पूजा उसके साथ पढ़ने वाली एक ऐसी लडकी है जो उससे बिल्कुल पवित्र प्यार करती है परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि पूजा बिशन मल्होत्रा की बहन है।


कार्ली के नाक-कान काटकर विकास धनुषटंकाऱ को साथ लेकर विजय के पास पहुंचता है ।


कार्ली के नाक-कान बह अपने गुरु के चरणों में अर्पित कर देता है । तब विकास सी आई ए. के जाल के विषय में विजय को बता देता है । विकास जो कुछ भी बताता है उसे सुनकर विजय बार-बार कह देता है कि वह सब जानता है ।


जब बार-बार विजय से यह सुनता है तो वह पागल होकर भयानक स्वर में चीख पड़ता है ।

" क्या खाक जानते है आप ! अगर यह सच है गुरु तो धिक्कार है आप पर ।। आपका खून सफेद हो गया है अंक्ल ।। आपको गुरु कहते हुए मुझे शर्म आती है । आप मेरे गुरू नहीं हो सकंते । सुना था अंकल कि आप भारत के लिए हीरा हो लेकिन आज पता चला कि, आप तो कायर हो...... बुजदिल हो गुरु! जिसका दिलं अपने देश को इतने भयानक जाल मे फंसा देखते हुए भी क्रांति न कर दे वह मेरा गुरु नही हो सकता। "


और इस प्रकार.....


विकास का पागलपन शुरू हो जाता है ।


वह गुरु के चरणों की सौगंध खाता है कि अमेरिका मे विनाश फैला देगा ।



विजय उसे समझाता है कि अभी हमारी ताकत अमेरिका से टकराने की नहीं है ।।


विजय विकास को मौत के मार्ग से बचाने के लिए उसे इस अभियान पर नहीं जाने देता ।


विजय जोश में आकर चीख पड़ता है-“पत्थर से टकराने वालों के सिर फूट जाते हैं विकास ।"



" जो पत्थरों से टकराते हैं, उन्हे सिर की चिंता नहीं होती गुरू !" जवाब में विकास भी गुर्रा उठता है ।



एक बार तो लडका यहां तक कह देता है------"बस गुरु अपने सिद्धात अपने पास ही रखो । आज़ आपकी बाते सुनकर आपसे घृणा-सी होती जा रही है । इतना मत बोलिए कि आप चेले ही नजरों मे इतना गिर जाएं कि चेला भबिष्य में आपको गुरु भी न कहं सके ।"



विजय चीख पड़ता है । -

" लेकिन तुम करोगे क्या ?"

" अमेरिका को तवाह !"


-"कैसे?"



" अपराधी बनकर ।"


और इस प्रकार विजयं और विकास आपस में ही भिड जाते है । विजय विकास को रोकने की काफी चेष्ठा करता है लेकिन लड़का विजय को धोखा देकर धनुषटंकार के साथ भाग जाता है ।

उधर-ट्रांसमीटर के द्वारा अमेरिका को दिए गए विकास के चेलेंज के कारण अमेरिका में खलबली मच जाती है । वहां से तुरंत माइक को भारत भेजा जाता है ।


उसका सीधा मिशन था-विकस की हत्या ! ..
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माइक लद्दाख की तरफ से हिंदुस्तानी सैनिकों से लड़ता-भिडता हिंदुस्तान मे प्रविष्ट होता है ।



इधर सी आईं ए की कोई युवती सीक्रेट सर्विंस की एजेंट आशा के मेकअप में सीक्रेट सर्विस मे आ जाती है ।


विजय उसका रहस्य खोल देता है । जब वह रघुनाथ की कोठी पर होता है तो ठाकुर साहब कुछ कांस्टेबलों के साथ एक लाश लेकर वहां आते है ।


जब उस लाश से कपड़ा हटाया जाता है तो रैना चीखकर बेहोश हो जाती है क्योकि वह लाश कार्ली की होती है । उसके माथे का गोश्त काटकर लिखा गया था----विकास ।।



जव विजयं यह रहस्य खोलता है विकास अपराधी बनना चाहता है तो ठाकुर साहब और रघूनाथ पसीने-पसीने हो जाते हैं।


विकास के नाम वारंट कर दिए जाते है ।


दूसरी तरफ विकास धनुषटंकार को साथ लेकर जब बिशन को देश के साथ गद्दारी करने का इनाम देने उसके फ्लेट पर पहुंचता है तो पूजा और बिशन में वार्तालाप हो रहा होता है । यहां बिशन बिकास पर गोली चलाता है, पूजा अपने भाई बिशन को गोली मारकर उसकी हत्या कर देती है । विकास संग-आर्ट से बच जाता है । लोग उसे घेर लेते हैं परंतु विकास पूजा को लेकर फरार हो जाता है ।



अगले दिन…राजनगर में भयानक हंगामां खड़ा हो जाता है । छात्रों में भयानक रोष है । प्रत्येक छात्र बुरी तरह क्रोधित है । छात्रों ने आंदोलन कर दिय, बाजार बंद हो गए । उनके अध्यक्ष की हत्या जो कर दी गई है-उसकी बहन को विकास उठाकर जो ले गया । प्रत्येक छात्र की एक आवाज है----" बिशन की बहन, हमारी बहन! हमारी बहन को -जल्दी ढूढों । रघुनाथ हो पदच्युत करों ।" इत्यादि मांगों के साथ जुलूसं निकलता है और रघुनाथ की कोठी पर छात्रो द्वारा पथराव किया जाता है ।



इधर यह हंगामे हो रहे होते हैं और उधर विकास को भारत में माइक नजर आ जाता है ।

विकास ने उसका पीछा किया लेकिन माइक वहुत चतुर निकला । उसने बिकास को कैद कर लिया । अभी वह विकास को गोली से उडाना ही चाहता कि ऐन वक्त पर आकर विजय उसे बचा लैता है । दरअसल आशा के मेकअप हैं जो लड़की पकड़ी जाती है, बह इसी कोठी का पता बताती है और कहती है आशा भी वहीं कैद है ।।



वहां भारी जंग होती है ।।

इस जंग मे माइक और विकास दोनों फ़रार हो जाते है। आशा इसी इमारत से बरामद जाती है ।


अलफांसे अचानक टेलीविजन पर विकास को देखता है ।

टेलीविजन पर से ही विकास अलफांसे, टुम्बकटू प्रिंसेज जैक्सन और सिंगही को अपनी सहायता के लिए पुकारता है ।


अपने प्रिय शिष्य विकास की पुकार टेलीविजन पर सुनते ही अंतर्राषट्रीय अपराधी अलफांसे उसकी सहायतार्थ राजनगर पहुचा ।


सर्वप्रथम वह सुपर रघुनाथ की कोठी पर पहुंचा । रैना विकास के विरह में बिस्तर पर अचेत पडी थी । उसका दिल एक मां का दिल था जो अपने बच्चे कारण बेहद बेचैन था ।


वहीं अत्तफांसे की मुलाकात विजय, रघूनाथ, विजय के माता-पिता से हुई ।। अंलफासे रैना को अपनी बहन वना चुका था । जब रैना को होश आया तो रैना अपने भैया अलफांसे के कंधे से लिपटकर सिसकने लगी । अलफांसे ने रैना को सांत्वना दी कि वह विकास को अपराधी नहीं बनने देगा । उसका जीवन बरबाद नहीं होने देगा । उसने रैना से यह भी कहा कि वह विकास को सुरक्षित वापस लाएगा ।


यह सांत्वना देकर अलफांसे वहां से चल दिया, लेकिन विजय ने अशरफ को अलफांसे के पीछे लगा दिया । अंलफांसे भी ताड गया कि विजय का एक साथी उसका पीछा कर रंहा है लेकिन इस बात की विशेष चिंता न करता हुआ अलफांसे होटल डीगारिका में पहुंचा । यहां एक गहरे षड़यंत्र के साथ पूजा और धनुटंकाऱ उससे संबंध स्थापित करने मे सफल हो गए ॥॥


उन दोनों ने अशरफ को गच्चा दिया अलफांसे को साफ़ निकालकर एक खंडहर में ले गए ।।

उस खंडहर में अलफांसे विकास से मिला । अभी वे भली प्रकार बात भी न कर पाए थे कि इस सदी का सबसे बडा आश्चर्य चंद्रमा का निबासी यानी महाबली टुम्बकटू वहां प्रकट हुआ । धनुषटकार और टुम्बकटू में दो-तीन झढ़पों के बाद दोस्ती तो हो गई मगर धनुषटंकार के दिमाग में पूरी तरह से यह बात बैठ चुकी थी कि टुम्बकटू ने उसे मात दी है।। अत: अवसर प्राप्त होते ही वह प्रतिशोध लेगा । तभी अपने विशेष मधूर संगीत के साथ वहां प्रिंसेज आँफ़ मर्डरलैंड यानी जैक्सन प्रकट होती है । विकास ने उन तीनो के अतिरिक्त सिंगही को भी पुकारा था लेकिन वह नहीं आया ।।



इन सब वारदातों को अमेरिकन जासूस माइक देख लेता है ।। अज्ञात व्यक्ति के रूप में विजय को सूचना दे देता है ।



विकास, पूजा, धनुषटंकार, अलफांसे, टुम्बकटू प्रिंसेज जैक्सन की आपस मे एक काॅफ्रेस होती है ।।

उसमे प्रिसेज जैक्सन बताती है कि सिंगही इसलिए विकास की पुकार सुनकर यहाँ नहीं आया , क्योंकि आजकल वह घरती पर नहीं, मंगल ग्रह पर है । वहां पर वह मंगल ग्रह के सम्राट की हैसियत से है और एक वार पुन:
विश्व सम्राट बनने के टार्गेट को लेकर मंगल ग्रह पर शक्तियां जुटा रहा है ।


विकास सबको यह बता देता है कि वह अपराधी बनना चाहता है । उसका प्रमुख उद्देश्य अमेरिका का नामो निशान, विश्व के नक्शे से मिटा देना है ।


इसके लिए उसे सिगही और जैक्सन जैसे विश्व सम्राट बनने के ख्वाब देखने वाले अपराधियों की सहायता की आवश्यक्ता होगी ।


वह चीन की भांति अमेरिका को हिलाकर रख देना चाहता है । इसके लिए प्रिसेज जैक्सन से मर्डरलैंड की सहायता मांगता है. . .तो इस पर जैक्सन कहती है कि अभी मर्डरलैड इतना विकसित नहीं हो पाया है जिसके आधार पर अमेरिका से टकराया जा सके । वह कहती है कि अमेरिका से टकराने के लिए हमे पहले मंगल ग्रह पर सिंगही के पास चलना होगा ।। सिगंही के सामने विकास अपना लक्ष्य रखकर सहायता मांगेगा और उसने विश्व विजय
करने हेतु जो शक्तियां जुटाई होगी, उनके द्वारा विकास अमेरिका को नष्ट कर देगा ।।

यह भी हो सकंता है कि मंगल ग्रह सम्राट सिंगही उसे यह सहायता देने के लिए तैयार न हो । इस स्थिति में यह निर्णय लिया गया कि बे सब मिलकर मंगल ग्रह सिंगही
को परास्त करके "मंगल सम्राट" विकास को बनाएंगे और सिगंही की शक्तियों से विकास अपना उदेश्य पूर्ण कर सकेगा । यहां प्रश्न
मंगल ग्रह तक पहुचने का उठा जिसे जैक्सन ने दूर किया ॥॥


उसने बताया कि उसके पास मंगल की यात्रा हेतु 'रियाब्लो-8' नामक एक यान है जो मर्डरलैंड में है ।।
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अभी यहां इतनी ही बाते हो पाई थी कि विजय माइक द्वारा दी गई सूचना के आधार पर सीक्रेट सर्विस के जासूसों के साथ उन सबको घेर लेता है । तभी कमरे के एक रोशनदान से गोली चलती है और विकास की भुजा मे घुस जाती है ।

यह देखकर विजय पर खून सबार हो जाता है ।।

पागल सा होकर विजय चीख पड़ता है…" ये गोली किस कुत्ते ने चलाई?"


-“माइक ने यहां माइक है !"

" उसे जाने मत देना अशरफ ।" विजय भयानक ढंग से गुर्रा उठता है--" मै उसका खून पी जाऊंगा ।"


इधर-विकास को गोली लगते देखते ही बिजय का खून खौल उठता है । सब तरफ से ध्यान हटाकर वह माइक की जान का प्यासा हो जाता है उधर…प्रिंसेज़ जैक्सन के मुकुट से अदृश्य किरणे निकलती है । अदृश्य किरणों में बांधकर सबको मर्डरलैंड ले जाती है ।


उधर माइक किसी तरह विजय के हाथ से बचकर भाग जाता है ।।


मर्डरतैड में पहुंचकर अलफांसे एक ट्रांसमीटर के जरिए विजय को यह बता देता है कि वे मंगल ग्रह की यात्रा हेतु जा रहे है ।


उधर विजय यह सूचना ब्लेक ब्वाय को देता हैं ब्लैक ब्वाॅय विजय और अशरफ के लिए भी मंगल ग्रह की यात्रा का प्रबंध कर देता है ।।

दरअसल प्रेफेसर सुभ्रांत ने मंगल-यात्रा हेतु एक यान, जिसका नाम उसने रियाल्बो-7 रखा था तेयार कर लिया था ।।
इधर रियाब्लो 7 के जरिए विजय, अशरफ व स्वयं सुभ्रांत तथा उसके तीन सहयोगी मंगल यात्रा पर रवाना होते हैं, उधर विकास का ग्रुप मर्डरलैंड से रियाब्लो-8 के जरिए मंगल ग्रह के लिए निकल पड़ता है ।



वास्तविकता यह है कि मर्डरलैंड के वैज्ञानिकों ने प्रोफेसर सुभ्रांत के रियाब्लो-7 बाले सिद्धांत पर ही रियाब्लो-8 बनाया होता है। दोनों की बनावट बिल्कुल एक-सी होती है अंतर केवल उनकी गति में होता है । यानी कि रियाब्लो-8 की गति रियाब्लो 7 से दुगुनी होती है ।

रिंयाब्लो-8 मंगल पर एक माह में पहुचना था जब कि-रियाब्लो 7 दो माह बाद ।।


रियाब्लो दरअसल दो यान 'सर्जिबेण्टा' और माण्टोफो'नामक दो यानो से वना होता है जिसे कभी भी अलग जोडा जा सकता था । वैसे ये दोनों यान एक-दूसरे के पूरक होते इन दोनों यानों को मंगल की तरफ अग्रसर देख रूस अमेरिका के वेज्ञानिक चौंक पड़ते हैं ।रूस और अमेरिका का एक गुप्त कांफ्रेस होता है श जिससे भारत के विरुद्ध कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते है ।


बात उस समय की है जव, रियाब्लो 8 मंगत के समीप पहुंच जाता है [ वहाँ उसका टकराव र्सिंगही के कुछ पिंडनुमा यान से होता है ।

दरअसल सिंगही विकास की सहायता करने के लिए तैयार नहीं होता । इस टकराव में प्रिंसेज जैक्सन अपने मुकुट का कमाल दिखाती है लेकिन सिंगहीँ के ये यान पता नहीं किस घातु के बने होते है कि जैक्सन के सब हथियार विफल हो जाते है ।


अंतरिक्ष में होने वाले इस युद्ध में सिगंही विजयी होता है । इस युद्ध,में रियाब्लो-8 का का एक यान सर्जिवेण्टा नष्ट हो जाता है । उनके पास केवल माण्टोफो बचता है । ये दोनों क्योंकि यान एक-दूसरे के पूरक हैं, इसलिए किसी भी एक यान से मंगल पर नहीं उतरा जा सकता । वे धरती की तरफ़ वापस लौट जाने पर बिवश हो'जाते है ।


विकास तो भड़क उठता है लेनिन अलफांसे अपनी सौगंध देकर उसे मनाता है। माण्टोफो में यह काफिला धरती की तरफ़ वापस आने लगता है ।

इधर-रियाल्बो 7 के साथ भी एक दुखद घटना घटती है । इसमे विजय, अशरफ, सुभ्रातं तीन सहयोगी होते हैं । इनका अपनी कीली पर घूमते हुए दो उपग्रहों के बीच फंस जाता है और अपने रियाब्लो--7 का माण्टोंफो खो देते है । अब ये भी विवश होकर सर्जिबेण्टा मे बैठकर वापस धरती की तरफ़ जाने लगता है ।

रियांब्लो8 का माण्टोंफो सुरक्षित होता है रियाब्लो-7 का सर्जिबेण्टा । वे अंतरिक्ष में एक दूसरे को देख लेते है और योजना बनाते हैं कि दोनों को जोड़ करके . एक नया रियाब्लो बना लिया जाए, ताकि दोनों मगल पर पहुँच सके ।


इस प्रकार दोनों यानों को मिलाकर दो काफिलो का एक काफिला बना दिया जाता है । विजय तो विकास को वापस लेने मंगल ग्रह जा रहा था । जब वे मिले तो उसका कहना था कि धरती की तरफ चला जाए, जबकि विकांस की यह जिद थी कि मंगल की तरफ चला जाए । दोनो अपनी जिद पकड़ लेते है----तब अलफांसे विजय को अकेले में ले जाकर समझाता है कि उनका मंगलम जाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि मंगल पर सिगंही विश्व-विजय हेतु शक्ति जुटा रहा है यानी वह निकट, भविष्य में विश्व के लिए-भयानक खतरा बनकर समाने आएगा अतः उसे पहले, ही समाप्त कर दिया जाना अत्यंत अनावश्यक है......और अंलफासे व विजय योजना बनाते है कि मंगल पर पहुंचकर सिगंही के साथ-साथ उसकी समस्त शक्तियों कों भी समाप्त कर देगे ताकि बिकास उनका अनुचित उपयोग करके अपराधी न बन सके ।।



उनकी यह गुप्त योजना टुम्बकटू विकास को बता देत है।। लिहाजा लडका भडक उठता है ।,


विकास को कुछ नहीँ सूझता तो वह माण्टोफो मे पहुंचता है ।। उस समय सभी सर्जिवेण्टा में सोए हुए होते है । वह धनुषटकार को साथ ले जाता मानाण्टोफो को सर्जिबेण्टा से अलग कर देता है ।


टुम्बकटू क्योंकि विकास का इरादा भांप गया था इसलिए वह पहले ही मोण्टोफो मे आ गया था ।

अपने गुरु लोगों को धोखा देकर मोण्टोफो को ले भागता है । मोणाटोफो की गति क्योंकि सर्जिबेण्टा से अधिक होती है इसंलिऐ विजय, अलफांसे इत्यादि विकासं का कुछ नहीं बिगाड़ पाते । वे पीछे रह जाते हैं जबकि लडका तेजी के साथ मंगल की तरफ़ निकल जाता है ।

विजय और अलफांसे जानते वे कि विकस एक जिद्दी लडका है । चाहे जान चली जाए लेकिन बह मोण्टोफो के जरिए ही मंगल पर उतर जाएगा ।


जैक्सन और सुभ्रांत कहते है कि मोण्टोफो के बिना 'सर्जिबेष्टा मंगल पर नही उतर सकेगा ।


अत: हमे बापस लौटना होगा लेकिन बिजय और अलफांसे भडक उठते हैं । वे अपने प्रिय विकास को मौत के मुंह छोडकर कैसे लोट सकते थे? उनकी जिद पर सर्जिवेण्टा भी अपनी गति से मंगल की तरफ बढ रहा था ।


इधर-माण्टोफो में केवल विकास, धनुषर्टकार और टुम्बकटू होते है ।


मंगल की कक्षा में प्रविष्ट होते ही उनका टकराव पुन: सिगंही के पिंडनुमा यान से होता है' ।


इस बार टुम्बकटू कमाल कर देता है ।


वह उल्टा होकर अपने गले से प्लास्टिक की एक थैली निकालता है जो उसके छोटे-छोटे किंतु भयानक वैज्ञानिक शस्त्रों का पिटारा होती है । उसमें से एक नन्हीं-सी टॉर्च का कमाल दिखाता हुआ टुम्बकटू सिंगही के पिंडनुमा यान को नष्ट कर देता है । इस प्रकार अनेकों बाधाओं को पार करते हुए वे मंगल पर पहुच जाते है ।



उनका यान मंगल के एक गुदगुदे पहाड्री इलाके मे उतरता है, जहां हवा तूफानी वेग से चल रही होती है । यहाँ विकास विना सर्जिबेण्टा यान के अपनी जान की बाजी लगाता हुआ मंगल की धरती पर उतरता है ।


अनेक अजूबो से गुजरने के बाद ये तीनों उस समय मंगल निवासियों के पंजे मे फंस जाते हैं, जब वे एक हीरे की धरती पर होते है ।
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मंगल निवासियों को देखकर वे आश्चर्यचकितं रह जाते हैं तो क्योंकि वे धरती निबासियों की तरह नहीं होते । ये लोग उल्टे होते है---हाथ नीचे पैर ऊपर ॥॥ वे हाथों से चलते पैरों से हाथों का कार्य करते है । उनके माथे के बीचों बीच एकमात्र आख होती है । ये लोग बेहदं शक्तिशाली होते हैं अपने ढंग से इन तीनो को कैद कर लेते है ।

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इधर-मंगल सम्राट सिंगही का दरबार लगा हुआ है ।। सिगंही एक हीरे जड्रित सिंहासन पर विराजमान होता है ।। इस दरबार में मंगल निवासी यानी उल्टे लोग भी उसके गुलाम होते हैँ सीधे लोग, यानी धरती निवासी भी ।। यहाँ सिगंही भरे दरबार में जिब्राल्टा नामक एक उल्टे मानव को सजा देता है, इन उल्टे मानवों के लिए सबसे भयानक सजा है उसे सीधा लटका देना ।। उसे सजा देने के बाद सिगंही कुछ विशेष सेवकों को विकास की गिरफ्तारी का कार्य सौंपंता है । उसके बाद सिगंही तुंगलामा के पास पहुचता है।


तुगलामा मैकाबर संस्था का चीफ था लेकिन बिकास के कारण मैकाबर का अंत हो गया था ।।


तुंगलामा इस करारी हार पर पागल हच गया था लेकिन सिंगही ने उसे ठीक करके अपने कार्य करने पर बाध्य कर दिया था । तुंगलामा प्रयोगशाला में सिगंही के लिए किसी ऐसे ईजाद में लगा था जिनके जरिए विश्व-विज़य की जा सके ।।

बिकास कै प्रति उसके सीने में प्रतिशोघ के शोले भडक रहे थे ।। सिगंही उसे जाकर सूचना देता है कि विकास मंगल ग्रह पर आ चुका है ।


सुनकर तुंगलामा खुशी से पायल हो जाता है । वह सिंगहीं से कहता है कि वह विकास को उसके हवाले कर दे परंतु सिगंही शर्त रखता है कि वह उस दिन विकास को उसके सामने लाएगा जब वह विश्व-बिजय हेतु इंजाद पूरी कर लेगा ।


तुगलामा दूने जोश से अपनी ईजाद में लग जाता है ।।


इधर विकास, धनुषटंकार टुम्बकटू मंगल ग्रह के, क्रांतिकारिर्यो के चंगुल मे फस जाते है । इन क्रांतिकारियों का सरदार जाम्बू नामक एक शक्तिशाली उल्टा मानव होता है ।। दरअसल
बात यह थी कि सिगंही से पहले मंगल सम्राट जाम्बू का भाई जाम्बी था जिसे परास्त करके सिगंही सम्राट बन गया था । सिगंही एक क्रुर शासक था । मंगल की प्रजा उसके शाशन से खुश नही थी ।।


अपनी प्रजा क्रो इस शासन से मुक्ति.दिलाने हेतु और सिगंही से अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए जाम्बू ने एक दल गठन किया था ।।।

वे तीनो जाम्बू के दल के पंजों मे फस जाते हैं । जब जाम्बू को यह बिदित होता है कि बे तीनो यहां सिगंही कां पतन करने ही यहां आए हैं तो वह बहुत हंसता है कि सिगंही को आप लोग क्या परास्त करेगे ।।


इसी चक्कर में विकास जाम्बू को चेलेंज दे डालता है। जाम्बू और विकास का रोंगटे खडे कर देने वाला टकराव होता है टकराव में विकास जीत जाता है । जाम्बू अपने'वचन के अनुसार उसका गुलाम वन जाता है । अब इस दल का सरदार विकास होता है ।


इस दल की-सहयता से विकास सिगंही के एक सेवक जिसका नाम कैण्टली था का मेकअप करके सिगंही के दरबार में पहुंच जाता है लेकिन सिगंही उसे पहचान जाता है । फिर सिगंही न जाने क्या चाल चलता है कि विकास को मंगल सम्राट बना देता है । सारे मंगल पर घोषणा कर दी जाती है कि अब मंगल सम्राट विकास है ।



" यहां विकास अकेला ही जाता है । टुम्बकटू और मोण्टो जाम्बू के पास ही होते हैं ।।




बात उस समय की है जब विकास के मंगल सम्राट बनने की खुशी में जश्न मनाया जा रहा था ।


सिगंही तुगलामा के पास पहुचा और उसके साथ विकांस को समाप्त करने का एक प्लान बनाया ।।


इस प्लान के मुताबिक सिगंही द्वारा विकास को अपना सारा अड्डा घुमाना था । फिर उसे एक ऐसे कमरे में ले जाने की योजना थी जिसमें ऐसा करेंट होगा जो इंसानी जिस्म को लकवे की तरह मार डालता है । यहाँ तुगलामा अपने विशेष लिबास में (जिसमें करेंट का प्रभाव नहीं ) उपस्थित होगा। उसके हाथ में एक कांटेदार हंटर होगा और हंटर से विकास की खाल उधेड़कर दहकती हुई भट्टी में डाल देगा । सिगंही के कपडों के नीचे भी वही विशेष लिबास होगा ।



पूरा प्लान बनाकर सिगंही वापस विकास के पास लौट जाता है ।



बस यहीं ( मंगल सम्राट विकास ) का अत था ।।


(पूरा विवरण जानने के लिए पढे
वेद प्रकाश शर्मा जी के दो उपन्यास--

1-अपराधी विकास

2-मंगल सग्राट बिकास ।

इससे आगे की दिलचस्प कहानी आप प्रस्तुत उपन्यास

3-बिनाश दूत बिकास

4-विकास की वापसी

पढे ।

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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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" बिकास-हा. .हा. . .हा ।" एक बार पुन: तुंगलामा जैसे पागल हो----'विकास. …हा.. .हा. . .हा ! आज मैं विकास को दहकती हुई भट्ठी में झोंक दूगा । विकास...वह विकास जिस पर भारत को नाज है, ..हा. . .हा. . .वह विकास, जिसने मेरी संस्था का अंत किया था. . .बह बिकास जिसने मुझे पागल कर दिया था.. .वह विकास जिससे सारी दुनिया कांपती है . . जिसके नाम से बडे बडे जासूसों के कलेजे कांप उठते हैं! बही कुता विकास-जो दरिंदा और बेरहम-नामों से प्रसिद्धृ हैं..आज उसे मालूम होगा कि दरिर्देगी क्या होती है! वषों से धधकती प्रतिशोथ की ज्वाला आजं.शांत होगी .इस हंटर से मे उसके-जिस्म से बोर्टी-बोटीं नोंच लूंगा ।" भयानक ढंग से कहकहा लगाते हुए तुंगलामा ने एक बेहद खतरनाक कांटेदार हंटर हबा मे झटकते हुए कहा--" आज उस विकास को मैं इतनी भयानक सजा दूगा कि खूनी भेड्रिएं भी दहल उठे । उसके जिंदा जिस्म को दहकती भट्ठी में जला दूगा ।" तुगलामा पागलों की भांति चीखता ही चला गया ।


तुगलामा इस समय गज़ब का डरावना लग रहा था ।। संसार की संमपूर्ण भयानकता जैसे जैसे उसी के चेहरे पर उभर आईं थी । उसकी छोटी छोटी आंखें अंगारे की तरह दहक रही थी । जिस्म क्रोध से कांप रहा था । हंटर को उसने हवा में एक और झटका दिया और अपने इस विशेष कक्ष से बाहर आ गया ।


इस समयं वह तेज कदमों के साथ गैलरी पार कर रहा था । उस पर पागलपन का दौरा सवार था ।


शीघ्र ही एक कक्ष में पहुंचकर उसने एक विशेष लिबास पहना और फिर एक अन्य क्रक्ष में पहुच गया।


कक्ष मे पहुचते ही एक बटन दबाया । कमरे की दीवार का एक छोटा सा भाग हटा और उस रिक्त भाग में से एक बंदर जैसी आकृति का जानवर कूदकर कमरे में आ गया ।


बह कमरे में इस प्रकार तांक-झांक करने लगा मानो कोई अनावश्यक वस्तु खोज रहा हो । उसे देखकर तुंगलामा के तमतमाए चेहरे पर, बडी अजीब-सी भयानकता उभर आई । भद्दे होंठो पर जहरीली मुस्कान लिए उसने एक अन्य बटन पुश दबा दिया । बटन दबाते ही यहीं एक छोटा-सा रिक्त स्थान उत्पन्न हो गया । उसमें से छोटी-छोटी चिडियां जैसे कई जानवर उडकर बाहर आए, उसी पल-बंदर जैसा जानवर बडी फुर्ती के साथ चिडिया जैसे जानवर पर झपटा ।

जैसे चूहे पर बिल्ली। एक झपट्टे में उसने चिडिया जैसे जानवर को अपने पंजे में दबा लिया।


वह बेचारा चिडिया जैसा जानवर हल्की…सी ची-ची करके रह गया, लेकिन बंदर जैसे जानवर ने इस बात पर लेशमात्र भी ध्याना न देकर तुरंत पंजे की सहायता से उसे फाड डाला । एक ही पल में सारा फूर्श खून से लथपथ हो गया । चिडिया जैसे जानवर का जिस्म अब वह बंदर जैसा जानवर बडे स्वाद के साथ चिंगल-चिंगलकर खा रहा था मानो उसका गोश्त सबसे अघिक स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ हो ।


तुंगलामा बडी दिलचस्पी के साथ वह दृश्य देख रहा था ।


उसकी आखो की सुर्खी बढती जा रही थी ।उसने फिर किसी निर्मम ज़ल्लाद की भांति कहकहा लगाया -और बोला-"उस हिंदुस्तानी कुत्ते के जिस्म को भी बर्लेन इसी प्रकार उधेड़ेगे ।।


कदाचित उस बंदर जैसे जानवर को वे लोग बर्लेन कहते थे । वह कहता ही जा रहा था------" वर्लेन उस कुते विकास के जिस्म की बोटी-बोटी नोचकर खा जाएंगें और....और बह चीखने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकेगा क्योकि क्योंकि,,,,,,,,,,,,,,,,,

कहते ही तुगलामा ने एक बटन दबा दिया-उस बटन के दबते ही बर्लेन के हाथ जहा-के-तहां रुक गए ।


वहाँ उपस्थित प्रत्येक जानवर एकदम निर्जीव-सा होकर फर्श पर लुढ़क गया । न बर्लेन में अब इतनी शक्ति थी कि वह अपने शिकारो, को पकड़ सके ना चिडिया जैसे जानवर के वश में अपना जिस्म जो वहां जान बचाकर भाग सके । उन सबके जिस्म को जैसे लकवा मार गया । कदाचित तुंगलामा के बटन दबाते ही सारे कक्ष में करेंट फैल गया था । तुगलामा चीखा-"ये है वो करेंट अब इनकी पुतली तक भी अपनी इच्छा से नहीं हिल सकती । ये बोल सकते है, लेकिन जिस्म के किसी भी भाग को स्वेच्छा से हिला नहीँ सकते हा .हा!"


उसके बाद........


तुंगलामा ने पुन बटन दबाकर कमरे को करेट रहित कर दिया । और चिड़िया जैसे जानवरों को उऩके रिक्त स्थान मे पहुंचा दिया ।


वर्लेन इस समय बड़े स्वाद के साथ अपने शिकार, शेष गोश्त को चिंगल ऱह्य था।

बड़ा ही वीभत्स दृश्य था ।।


तुंगलामा ने इस प्रकार के चार बर्लेनों को विशेष लिबास पहनावा जिस पर करेंट का कोई प्रभाव न प्रड़े, फिर उनको पुन: उनके रिक्त स्थानो में भेजकर रिक्त स्थान बंद कर दिए ।


उसके बाद उसने लगातार तीन् बटन दबाए ।


कक्ष की तीन दीवारों के आधे-आधे भाग ध्वव्रि करते हुए रिक्त हो गए और रिक्त स्थानों पर-उफफ्

सारा वातावरण जैसे गर्म हो गया ।।


इस्पातं को जलाने वाली तीन भट्टियां धधक रही थी । भट्टियो मे जैसै किसी ज्वालामुखी का लावा बह रहा था ।


भट्ठियो की तपन अपनी धरमं सीमा पर थी ।। तुगलामा का चेहरा भी सुलगकर उन भट्ठियों की भाति लाल होगया था। वह पुन चीखा ।।



"हा.. .हा. . हा बिकास की कब्र इस धधकती भट्ठी में वह शेतान हमेशा के लिए दफन हो जाएगा।"

इन सब तैयारियों के बाद तुगलामा ने बटन इत्मादि दबाकर भट्ठियों को उसी प्रकार कक्ष के पीछे छुपा दिया ।। फर्श से स्वयं ही उस जानवर-का खून और पंख इत्यादि साफ़ किए और करेंट फैलाकर कक्ष के द्वार के छुप गया । उसके हाथ मे हंटर था । अब उसे अपने शिकार की प्रतीक्षा थी बिकास की ।

सिंगही की आंखें किसी जहरीले सर्प की भाँति चमक रही थी ।
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