बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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kunal
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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उसी क्षण सारे ज्यूरज की लाइट एकदम गुल हो गई । सारा शहर अंधेरे में डूब गया । हर घर में, प्रत्येक दुकान मे, हर सड़क पैर केवल अंधेरा था ।


वड़ा रोमानचक और भयानक वातावरण बन गया ।


छोटे बच्चे भयभीत होकर अपनी मां से लिपट गए । नव-पत्नियां चीख मारकर अपने पति के अंक में समा गई । ऐसा लगने लगा जैसे विनाश होने वाला हो । प्रकृति मानो प्रलय करना चाहती हो ।


पूरे शहर की आंखें आकाश पर टिक गईं । वहाँ भी कुछ नजर नहीं आया----केबलल अंधेरा सिर्फ अधेरा, गहन, काजल-सा!


तभी….........



बादल पुन गरजे, बिजली फिर चमकी!



इस वार,ज्यूरेज के निवासियों के इंसानी जिस्म वृक्ष के सूखे पते की भांति कांप उठे । रीढ की हड्डियों में एक ठंडी लहर दोड़ गई । जिसने आकाश पर गरजती हुई बिजली देखी, उसके मुह से कांपती हुई आवाज निकली ।।।



"वि..ना...श...दू...त...वि...का...स !"



प्रत्येक इंसान कांप उठा । इस वार अधिक लोर्गों की आंखें आकाश की गहन अंधकार में टिक गईं । तभी फिरं बिजली भयानक गड़गड़ाहट के साथ गरजी । उफफ । देखने लायक दृश्य था ।


जब साधारणतया बिजली कड़कती है तो बादलों में दूर दूर तक टेढी-मेढी रेखा के रूप में बिजली चमचमाती हुई भागती-सी प्रतीत होती है । ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई चमकता हुआ लंबा, सर्पाकार जानवर बादलों में भागता चला गया हो । लेकिन आज तो ज्यूरेज के निवासियों ने, घने काले बादलों में बिजली चमकने पर बडी अजीब-सी बात देखी ।


उसे देखकर ही तो सब लाग कांप उठ थे ।


सबने देखा…काले बादलों में विजली कौधी ।


विजली कोंधने पर सबने देखा-काले बादलों के बीच लिखा था-" विनांशदूत विकास ।"

अंधेरे में विजली के कड़कड़ाने से 'विनाशदुत विकास' चमका ।


सर्पाकार रेखा के स्थान पर-"बिनाशदूत विकास!'


सारे ज्यूरज ने देखा । हर इंसान कांप उठा ।

जिन्होंने नहीं देखा था । इस बार उन लोगों की दृष्टियां भी ऊपर उठ गईं ।


कुछ ही अंतराल के पश्चात 'गड़गड़ाहट के साथ पुन: बिजली कड़की ।


" विनाशदूत विकास ।' इसके चमकने के साथ ही पूरे शहर के अंधेरे के बीच आंखो को चौधिया देने वाला प्रकाश फेल जाता था ।


उसके बाद अगले ही पल: घुप्प अंधेरा । अब पूरे ज्यूरज पर आतंक छा गया ।


साधारण जनता भी जान गई कि यह कोई प्राकृतिक प्रकोप नहीं बल्कि उसी शेतान विकास का करिश्मा है । सबको अपनी मौत सामने नजर आने लगी रह-रहकर विजली कड़कती वहीँ लिखा हुआ चमक उठता ।



बार-वार इंसान -कांप उठते । विजली उसी प्रकार कड़कती थी । अंतर केवल इतना था कि सर्पांकार के स्थान पर वह "विनाशदूत विकास' की आकृति में होता था ।


लगभग दस मिनट तक यूं ही भयानक वातावरण में विजली कड़कती रही ।


अचानक बादलों से चमकता हुआ एक चेहरा नजर आया ।



कांप उठे इंसान । यह चेहरा मासूम था, बेहद सुंदर । हर सुंदरी के दिल की धड़कन ।


उसके मस्तक पर चमचमाता हुआ ताज था ।


विकास ।। वह विकास ही था । अमेरिका के लिए शैतान, । पूरे अमेरिका के लिए-- --- -प्रलंय-कारी-विनाशदूत । उस मासूम लड़के से अमेरिका का बच्चा-बच्चा कांपता था । उस समय विकास का चेहरा अंधेरे के बीच ऐसा चमक रहा था , मानो अंधेरे के बीच पर्दे पर फिल्म । बिकास की मासूम आंखों से मानो खून बरस रहा-था ।

उसका मुखड़ा इस प्रकार भयानक लग रहा था मानो स्वयं यमराज सामने खड़ा हो । पूरा शहर बादलो मे चमकने वाले उस शैतान को देख रहा था । अचानक विकास के गुलाबी होंठ हिले, उसकी आवाज पूरे ज्यूरज पर गूंजी।


" ज्यूरज के निवासियों, अमेरिकन कुतो तुम मुझे देख रहे हो! आने बाले दस मिनट में तुम्हारा यह शहर खाक में मिल जाएगा । लोग विकास को जल्लाद कहते हैं कुत्तों लेकिन आज तुम्हे मालूम होगा कि विकास केवल जल्लाद ही नहीं, बल्कि विनाशदूत भी है । न केवल तुम्हारे इस शहर में बल्कि मैं पूरे अमेरिका में ही विनाश फेला दूंगा ।प्रलय कर दूंगा ।। सुनो अमेरिकन कुतो! तुम्हारी सरकार ने मेरे देश में सी. आई .ए का जाल फैला रखा है । तुम विश्व के तख्ते से मेरे देश का नामो-निशान मिटा देना चाहते हो। जो भारत को विकास करता हुआ नहीं देख सकते हो तो हो, उसके क्या परिणाम होगा? उसका परिणाम होगा---अमेरिका मे विनाश! मैं अमेरिका के चपे-चपे को खाक में मिला दूगा । विकास का प्रतिशोध बड़ा भयानक होता है अमेरिकन कुत्तों! जो मेरे देश की तरफ़ आंख उठाते है, उसके लिए मेरे दिल में रहम नहीं । मैं देश के दुश्मन को चीर-फाड़कर सुखा दिया करता हूं । अब जाओ उन आकाओं के पास-जिन्हे वोट देकर तुमने अपनी सरकार बनाई है । कहो उनसे कि तुम्हें विकास के विनाश से बचा ले । अव प्रयोग करें, वे उन शस्त्रो का, जिनके बूतें पर वे विश्व के सरदार बनते है । तुम भी सुन तो अमेरिकन हुक्मरानो-कांप क्यो रहे हो? सुनो, तुम भी सुनो । विकास जो कहता है, डंके की चोट पर कहता है , अब भी कहता हू कि या तो मेरे देश को सी आई ए के जाल से मुक्त कर दो वरना............ वरना सारे अमेरिका को विनाश के कगार पर झोंक दूंगा । मै मंगल ग्रह पर हूं । अगर कुछ बिगाड़ सकते हो तो बिगाड लो ।। जिस तरह ज्यूरज दस मिनट में समाप्त हो जाएगा, उसी तरहु पूरे अमेरिका को समाप्त करने में भी मुझे दस मिनट लगेंगे । लो, अब देखो--ज्यूरज में विनाश ॥॥॥ विकास का प्रतिशोध ॥"




विकास की आवाज बंद हो गई । उसका दहकता हुआ प्यारा मुखड़ा अब भी चमक रहा था ।।।

अब पूरा शहर अवाक सा ऊपर देख रहा था, मानो इसानी जिस्म प्रतिमा बनकर रह गए हों ।


अचानक सभी चौक उठे । विकास के शब्द कानों में गूँजे-" दस मिनट में ज्यूरेज समाप्त हो जाएगा !"


फिर-----पूरे शहर में जैसे भगदड मच गई । चारों तरफ़ काजल-सा गहन अंधेरा । लोग घरों से निकलकर सडकों पर आए। इधर-उधर भागे, आपस में टकराए गिरे । भाग दौड चीख-पुकार-हुडदंग मारकाट ।


बडा अजीब-सा आतंक था ।



तंभी बदल जोरं से गरजे, बिजली जोर से कड़की और 'विनाश' का पहला अक्षर 'वि' एकदम टूटं गया ।


ऊपर अंधकार था लेकिन 'बि' की उस अकृति के चमकीलेपन से सारे शहर मे प्रकाश हो गया था । सब लोग भयभीत नजरों से उसे देख रहे थे ।


तब…जबकि वह ज्यूरेज की धरती के, किसी भाग से जा टकराया ।


कर्णभेदी धमाका हुआ----मानो वहाँ कोई विनाशकारी बम गिरा हो । सारे ज्यूरज की धरती भूकंप की भांति डगमगा गई । उस धमाके से हर इंसान 'घड़ाम-धड़ाम' करके धरती पर गिरे ।



और वहां…जहां 'बि' की आकृति का यह राँड गिरा था----विनाशकारी दृश्य सामने आया । दूर दूर तक का इलाका भयानक लपलपाती हुई आग की लपटों में लिपट गया । इंसानी जिस्मों के चिथड़े हवा में विखर गए । न जाने कितनी चीरखें एक साथ ही बहीं दफन होकर रह गई । आग ही आग--- चारो तरफ खौफनाक लपलपाती हुई आग ।



" हा हा हा !" विनाशदूत के भयंकर कहकहे ने ज्यूरेज़ के ज़र्रे-जर्रे को कंपकंपा दिया । वास्तव मे इस समय विकास शैतान लग रहा था, मानो वह इस विनाश को देखकर खुश हो । । सारे ज्यूरज में उसका भयंकर कहकहा गूंज रहा था ।


एक बार पुनः विजली कड़की -बादल गरजे ।

इस बार जीवित लोगों ने देखा 'विनाश' शब्द का 'बि' गायब था और केवल 'नाशदूत विकास' चमका था और इस गर्जना के साथ ही 'ना' टूटकर धरती की तरफ आने लगा ।।



वह ज्यूरेज़ के दूसरे कोने पर गिरा । फिर भयंकर परिणाम । आग की लपटें धधक उठी ।


विकास का किर वही पैशाचिक कहकहा । इस तरह क्रम जारी हो गया । रह-रहकर बिजली कड़कती, बदल गरजते एक अक्षर टूटकर धरती पर आ गिरता । इसी प्रकार दस मिनट पश्चात अंतिम अक्षर यानी 'स' टूटकर धरती पर आ गिरा । इस प्रकार सारा ज्यूरेंज आग की लपटों में धिर गया ।।


विनाश....प्रलय भंयकर आग.. .धधकते शोले!


पूरे ज्यूरेज में कोई भी इंसान जिदां नहीं था । लपलपाती आग पूरे ज्यूरेज को धधकते शोलों में बदलती रही ।।


और विकास के पैशाचिक कहकहे उस शहर को कंपकंपाते रहे ।


कुछ समयोपरांत पूरा ज्यूरेज एक राख का ढेर बना हुआ था ।


विनाशदूत अपने विनाशकारी बादलों के साथ गायव था ।


वातावरण में दिन जैसा प्रकाश पुन: फेल गया था ।


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एक नहीँ-ज्यूरेज जैसी अनेक घटनाएं थीं ।



अमेरिका के अनेक शहरों में इसी प्रकार धुआं फैला विकास के कहकहो के साथ पूरे शहर विनाश की भट्ठी में झोंक दिए गए थे । पूरे अमेरिका में भयंकर आतंक था । प्रत्येक की जुबान पर विनाशदूत विकास का नाम था । अमेरिका का बच्चा-बच्वा विकास के नाम से थर-थर कांपने लगता था । सरकारी मशीनरी में भगदड मची हुई थ्री लेकिन इसका क्या किया जाए कि उसके पुर्जे फेल हो चुके थे ।
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उन शहरों में जहां विनाशदूत ने विनाश फैलाया था, अब कुछ नहीं बचा था । मात्र राख का एक विशाल देर-स्थान-स्थान पर गहरे गड्ढे , इधर उधर बिखरी हुई इंसानों की हड्डिया अस्थिपंजर, जलते हुए लोग ।


विनाश के बाद का दृश्य बेहद भयानक होता था ।।

माइक जैसे बडे जासूस से लेकर एक पुलिसमैन तक ही नाक में नकेल पडी हुई थी ।

तुरंत सारे विश्व के प्रमुख देशों की सीक्रेट सर्विस से संबध स्थापित किए गए ।


परिणामातुर-न्यूयार्क ।


एक गुप्त स्थान पर अंतर्राष्टीय जासूसों की एक मीटिंग हो रही थी । मीटिंग में प्रमुख जासूस थे ।



अमेरिका से माइक,
इंग्लैंड से ग्रीफित,
रूस से बागारोफ,
पाकिस्तान से चंगेज खां,
काहिरा से अख्तर,
जर्मन से हैंम्बलर,
चीन से फांगसान,
बंगलादेश से रहमान,
फ्रांस से निवजलिंग,
आरट्रेलिया से क्लार्क रॉबर्ट

और भारत से पहुचा था सीक्रेट सर्विस का चीफ पवन यानी ब्लैक ब्वाॅय । यूं कोई जानता नहीं था कि ब्लेक ब्वाॅय भारतीय सीकेट सर्विस का चीफ है । वह सीकेट सर्विस के एक एजेंट के रूप में ही गृह मंत्रालय से विशेष परमिशन के बाद आया था ।



सबसे पहले खडा हुआ रूस का बूढा जासूस-सारे जासूसों का चचा, एकदम अपने ही लहजे में बोला ।


"तो बेटा अमेरिकन पूत! " वह माइक से संबोधित था------"यूं कहो कि लड़के ने तुम्हारी खाट खडी कर दी है ।"


"चचा .!”


"चुप वे भूतनी के बंगाली दूम!" बागरोफ ने रहमान को एकदम डपट दिया-----" खजूर की तरह बीच में ही टपका तो आमलेटं बनाकर यार लोगों में बंटवा दूंगा । हां तो हरामजादे अमेरिकन पूत मैं तुझसे बात कर रहा था…क्या ख्याल है?"


“विकास अपराधी वन चुका है!" माइक बोला-------" कल को वह विश्व के लिए दुश्मन भी वन सकता है ।"


“क्यों वे हरामखोर हिंदुस्तानी!" बागारोफ ब्लेक ब्वाॅय से बोला… "लडका अपराधी कैसे वन गया?"


" इस विषय पर मैं क्या कह सकता हूं !" ब्लेक ब्वाॅय का उत्तर स्पष्ट था'--"किसी देश का कोई भी व्यक्ति अपराधी बनता है तो उसका देश क्या कर सकता है? चीन का सिगंही अपराधी बना तो उसमें चीन क्या कर सका? अमेरिकन की प्रिसेज़ जैक्सन अपराधी बनी तो अमेरिकन इसमें क्या कर सकते है? ठीक है-----कल तक बह भारतीय था । लेकिन आज़ विश्व का दुश्मन है । भारत से अब उसका कोई नाता नहीं है । अब पूरे विश्व के लिए भारत बिल्कुल उसी तरह विश्व के साथ है, जैसे किसी अपराधी को समाप्त करने के लिए रहता है ।"


" वैरी गुड चोंचू प्रसाद! " बागारोफ बोला-…" तुम तो हिंदुस्तानी नेता की भांति विना कोमा-विराम का प्रयोग किए ही भागते ही चले गए । खेर, ये बताओ कि भारत की तरफ से वो हरामखोर झकझकिया क्यों नहीं आया! "



"यह हमारी सरकार का अपना मामला है, जिसे मैं भी नहीं जानता-सरकार ने मुझे भेजा है ।"


" ये क्यों नहीं कहते कि विजय और अशरफ़ मंगल ग्रह पर हैं?" माइक चीख पड़ा ।


" इस बारे मेँ में कुछ नहीं जानता ।" ब्लैक ब्वाॅय के स्वर मे गुर्राहट थी ।


" ये भारत की चाल .......! "


"'बक मत वे भूतनी के?" बीच में कूदा बागारोफ-" अगर , इस तरह आपस में लडोगे तो वो लड़का तुम सबको पानी का जहाज बनाकर हिंद महासागर में छोड़ देगा ।"


माइक चुप होगया ।



" नहीं, इस बात का तो पता...... ।" पाकिस्तानी जासूस ने कुछ कहना चाहा ।


"बोलती पर ढक्कन लगा बे चंगेज खा की दूम !", बागारोफ़ ने उसे बीच मे ही कैच किया-"अभी तु उस लड़के से मिला नहीं है । जिस दिन मिल लेगा, उस दिन अम्मीजान तेरे पोतड़े धो-धोकर परेशान हो जाएगी ।"

“मेरा विचार है यही है !" फागसान बोला-- ---" भारत सरकार विकास से मिली… !"



" इस अलाप को बंद कर वे चीनी मुगदर! " आदतानुसार बागरोफ ने उसकी बात बीच में ही काटीं…"ये बता कि, वह काना फूचिंग क्यो नहीं आया?"



'विंकास ने उसकी दोनों आंखें फोड़ दी थी ।" फांगसान वोला "डॉक्टर लोग उसका इलाज कर रहैं है !"



"यानी किसी और की आखें फिट की जा रही है?” क्लार्क रोंव्रर्ट ने पूछा।


" जी हां !"


" देखां जाए तो हम बेकार की बातो में उलझ गए हैं ।" ये शब्द कहे क्विजलिंग ने--" हमारे सामने मसला है विकास से टकराने का । हम लोगों को उसी पर सोचना चाहिए ।"


-"वैरी गुड प्यारे लुटिया चोर !" बागरोफ एकदम बीच में टपका------" क्या बात कही है , हां तो अमेरिकन पूत विकास के साथ मिलकर तो हम तुम काम कर ही चुके हैं ।तुमने और मैंने देखा है कि वह मासूम-सा प्यारा सा लडका है । यकीन तो आता नहीं कि वह इतना भयानक अपराधी बन सकता है ।"


" आप कहना क्या चाहते है चचा ?"


" कहना मैं ये चाहता हूं प्यारे उड़क चुल्लू कि आखिर वो मासूम लड़का भयानकपन पर उतरा क्यों?"


" एक सनक थी जिसने उसे अपराधी बना दिया ।"


"'हमने सुना है कि वह भारत से सी आई ए का जाल तोड़ने के लिए अपराधी वना है ।" इस बार अखतर बोल पड़ा ।



"वह तो केवल उसका बहाना मात्र है ।" माइक बोला-----" भारत में सी आई ए का जाल नहीं है ।



सारे जासूस मन-हीं-मन मुस्करा उठे । सभी जानते थे कि माइक सरासर गलत कह रहा है लेकिन इस विषय पर बोला कोई कुछ नहीं,


बल्कि रहमान ने यह बात काटने का प्रयास करते हुए कहा ।।।

बल्कि रहमान ने यह बात काटने का प्रयास करते हुए कहा !

" हम फिर बिषय से भटक रहे है । अगर हम इस तरह के बातें केरेगे तो आपस में ही फूट पडेगी ।"


"हमे केवल इतना सोचना है कि विकास अपराधी है और हम सबको मिलकर उसे समाप्त करना है ।" ग्रीफित ने रहमान से आगे कहा ।"


"तों फिर इसके लिए क्या किया जाए हरामजादो?" बागारोफ बोला !
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"विकास मंगल ग्रह पर हैं. . . ।" अभी हैंबलर कुछ कहना हो चाहता था कि अचानक ही उस हाल में अमेरिकन सीक्रेट सर्विस के चीफ की आवाज गूंजी-“कृपा करके आप लोग जल्दी से दाई तरफ़ रखा रेडियो खोल ले ।"



"ये गाना सुनने का समय नहीं है ।" बागारोफ़ के मुंह से निकल गया।


"अभी अभी दुम्बकटू नामक अपराधी ने घोषणा की है कि दो मिनट बाद मंगल सम्राट विकास आप लोगों से मुखातिब होकर कुछ कहना चाहते हैं ।"


इस बीच माइक ने रेडिया खोल लिया था ।

कुछ देर तक उसमे धुर्र. . .र्र. रं. , . होती रही, फिर अचानक अवाज गूंजी । बागारोफ, माइक ब्लैक ब्वाॅय, लाखों में पहचान सकते थे कि यह आवाज विकास की थी । विकास कह रहा था ।



“अमेरिका के जलील हुक्मरानों, कान खोलकर सुनो । मुझें मंगल सम्राट कहो या विनाशदूत, मैं तुमसे मुखातिब हू और कहना ये चाहता हूं कि तुम लोगों ने अपने देश के शहरों में होता हुआ विनाश तो देख ही लिया होगा । मेरे पास इतनी शक्ति है कि दस मिनट के अंदर पूरे अमेरिका को तबाह कर सकता हूं लेकिन मेरा सिद्धांत तुम्हारे सिद्धांत की तरह नीच नहीं है ! विश्व पर्दे से किसी भी देश का नामो-निशान मिटाना मैं उचित नहीं समझता । विकास अब भी तुम्हें मौका देता है कुत्तों, मेरे देश से यह भयानक जाल हटा त्तो । मेरी तरफ से इसके लिए पैंतालीस दिन निश्चित हैं । याद रखना, अगर पैंतालीस दिन के अंदर मेरे देश से सी-आई ए का जाल नहीं हटाया तो.तो अमेरिका का एक भी बच्चा छियालिसवे दिन का सुरज नहीं देख सकेगा । अगर नहीं माने तो मुझे अपना सिंद्वात तोड़कर अमेरिका' का नामो-निशान समाप्त करना होगा ।"


विकास कुछ पल के लिए ठहरा !


" ये लडका तो साला बढ़ा हरामजादा निकला ।" इस अंतराल का फायदा बागरोफ़ ने उठाया ।। बिकास की आवाज फिर आई------"पैंतालीस दिनो में से तुम जितने कस-से-कम दिनो में सी आईं एं का जाल हटा लोगे, उतने ही लाम में रहोगे क्योकि जब तक ये जाल नहीं तब तक हर रोज अमेरिका के पचास इंसान बिल्ली बनते रहेगे और एक दिन न इंसान रहेंगे और न बिल्ली । अच्छा अब जय हिंद !"



इन शब्दों के साथ विकास की आवाज बंद हो गई । सब सकते की-सी हालत में रह गए !


“मैं तो इस साले लड़के को मानों बच्चा समझता था!" क्विजलिंग बोला ।


" है ही मासूम ।" क्लार्ट रॉबर्ट ने कहा-----------"लेकिन कमाल है ।"


"भारत के लोगों में बचपन से ही प्रतिभा होती है ।" ग्रीफित ने कहा ।



"बक मत वे अंग्रेज की दुम ।।" बागारोफ़ बिदका.----" तुम्हें शायद इसलिए पता है क्योंकि इन्होंने मार…मारकर तुम्हें अपने देश से बाहर निकल दिया था ।"


खेर, कुछ देर तक यूं ही झड़प जारी रही ।


उसके बाद सबने गंभीरता से इस मामले पर विचार किया । फैसला किया गया कि मगंल ग्रह पर पहुचे विना कुछ काम नहीं बनेगा मंगल ग्रह तक जाने के लिए किसी तीव्रतम गति के यान की आवश्यकता थी ।


यहीं आकर उनके सोचने की गाडी रुक जाती थी । अंत में बागारोफ़ ने अपने देश से कुछ व्यक्तिगत बाते करने का समय मागा । जब वह बात करके वापस लौटा तो उसने बताया कि यान को प्रबंध उसके देश ने कर लिया है ।



इस प्रकार........


जासूसों का ग्रुप मंगल यात्रा पर निकल पड़ा ।।


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बिकास ने अभीन्ताभी के यंत्र बंद किया था जिसके जरिए उसने अमेरिका के रेडियों से संबंध स्थापित किया था । अभी उसने पूरे अमेरिका को पैंतालीस दिन की वॉर्निग दी थी ।



उसके समीप अंदर घनुषटंकार बैठा दनादन शराब पी रहा था । इधर विकास ने यंत्र बद किया धनुषटंकार ने पौवा खाली करके एक तरफ़ उछाल दिया ।


" लंबू अंकल किधर हैं?" विकास ने घूमकर धनुषटंकार से प्रश्न किया ।


धनुषटंकार ने किसी गूंगे बच्चे की भांति संकेतों के माध्यम से ,बताया कि टुम्बकटू स्क्रीन पर विजय इत्यादि के यान पर नजर रख रहा है ।


विकास ने संतुष्ट होकर गर्दन हिलाई ।


तभी धनुषटंकार ने डायरी पर यूं लिखा…“गुरु जाप भी वही गलती कर रहे हैं जो हर अपराधी करता है ।"


पढकर बडी मोहक मुस्कान के साथ विकास मुस्कराया बोला------" क्या?"



"ये पैंतालीस दिन का चेलेज देने की क्या आवश्यकता है?" धनुषटंकार ने पुन: डायरी पर लिखा---"कौन जाने कि आने वाले दो ही दिन में क्या हो जाए? मेरी राय तो यह है कि विश्व के तख्ते से मिटा दो अमेरिका का नाम।"


पढकर पुन मुस्कराया विकास, बडे प्यार से उसने धनुष्टंकार की पीठ पर हाथ फेरा और बोला…" तुम्हारा गुरु इतना मूर्ख नहीं है मेरे यार । मैं जानता हूं कि विजय अलफांसे गुरु के साथ-साथ जैक्सन भी मंगल पर पहुंचने वाली है । तुम्हारा गुरू जानता है धनुषटंकार कि हमारे लिए गुरु लोग खतरा बन सकते है ।........विकास यह भी जानता है कि चारों तरफ हमारे दुश्मन है । ये भी मैं चाहता था कि गुरु लोगों के यहां पहुंचने से पहले ही मैं अमेरिका को समाप्त करके अपना प्रतिशोध पूरा कर लु लेकिन एक समस्या है मेरे यार , जिसे विकास सोल्व नहीं कर सकता । बो समस्या न होती तो. . ., ।" बस, इससे आगे विकास कुछ नहीं बोला बल्कि उसका चेहरा सुर्ख हो गया ।



" क्या समस्या गुरू ?" धनुषटंकार ने तेजी से लिखा…“गुलाम को हुक्म दो ।"



“नहीं मेरे यार, उस समस्या को तुम भी दूर नहीं करं सकते ।" विकास बोला-“वो समस्या यह है कि तुंगलामा बराबर काला धुआं बनाने में लगा हुआ है लेकिन उसका कहना है कि
जितने धुएं से अमेरिका को समाप्त किया जा सके, उतना धुआं पैंतालीस दिन से पहले तैयार नहीं हो सकता । ये धुआ और अक्षर उसी का आविष्कार है । इसके विषय में हम क्या जान संकेते हैं?"



" लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं गुरु कि वह गच्चा दे रहा हो ।” धनुषटंकार ने लिखा।



" ऐसी बात नहीं हैं ये तो माना कि मैं उस अविष्कार से अनभिज्ञ लेकिन उसकी कर्य-विधि से परिचित हूँ मैंने भली-भांति चैक किया है कि तुंगलामा ठीक कह रहा है । असली बात तो यह है कि उसकी इतनी पिटाई हो चुकी है कि अब उसमें हमसे धोखा करने का साहस नहीं रहा ।"


" पीटा आपने गुरु, मरहम लगा-लगाकर ठीक मुझें करना पड़ा ।" धनुषटंकार ने लिखा ।


" इसी तरह गुरु की सेवा किए जाओ, मेवा मिलेगी ।"


धनुकांकार ने फुर्ती से उछलकर विकास का एक चुंबन ले डाला ।
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दरअसल हुआ यूं था कि तुगलामा की पिटाई के बाद उसी के द्वारा आविष्कृत मरहम से ठीक किया गया था । उसे ठीक होने में केवल पांच दिन लेग ।


छठे दिन से उसे प्रयोगशाला में पहुंचा दिया गया था । उधर विकास ने जाम्बू के कुछ साथियों को वर्दी पहनाकर अपना सेवक बना लिया था जिनका पहरा उसने प्रयोगशाला के चारों तरफ़ लगवा दिया था !!!!!

मगर इसका क्या जाए कि; तुगलामा में अब इतना साहस शेष नहीं ब्रचा था कि वह विकास के आदेशो की अवहेलना कर सकता ।



बिवश तुंगलामा पूरी लगने के साथ अपने प्रयोग में जुट गया ।


पहले उसने आदमी से विल्ली बना देने वाला विचित्र आविष्कार दिया और पांच दिन बाद ही उसका काले धुए और चमकीले अक्षरों वाला आविष्कार पूर्ण हो गया । इस आविष्कार मे वह तभी से उलझे हुआ था, जब से सिगंही उसे यहा लाया था । अब भी वह निरंतर प्रयोगशाला में कार्य कर रहा था ।




विकास धनुषटंकार से कह रहा था ।


" अब जरा मैं सोबर को कुछ आवश्यक आदेश दे दु तुम ज़रा उससे संबंध स्थापित करने की तैयारी करो ।"


सोबर अमेरिका की धरती पर फैले सिगंही के सदस्यों की टुकडी का सरदार था ।



कुछ ही देर मे धनुष्टंकार ने एक वेहद शक्तिशाली और अजीब से ट्रांसमीटर पर संबंध स्थापित कर दिया ।



बिकास उस पर झुका और...... कमाल कर दिया ।



धनुषटंकार तो अपने गुरु विकास को देखता ही रह गया । उसका गुरू ट्रांसमीटर पर झुकते ही अपराधी सम्राट सिंगही की आवाज मे बोला था ।



" सोबर… !"



" यस महामहिमा मैं सोबर बोल रहा हूं ।"


" हमारे वनाए हुए फार्मूले के अब तुन्हारे पास कितने इंजेक्शन हैं?" आवाज एकदम सिंगही जैसी थी !



-"अभी काफी हैं महामहिम?" दूसरी तरफ से सोबर का पतला-सा स्वर उभरा…वैसे मैंने बेलेट को आदेश दे दिया है, इंजेक्शन तेजी के साथ तैयार किए जा रहे हैं ।"



" वेरी गुड सोबर !" बिकास की आवाज सिंगही से तनिक भी भिन्न नहीं थी-" तुमने विकास के रूप में अमेरिका को दिया गया
हमारा चेलेज तो रेडियो पर सुन ही लिया होगा, यानी प्रतिदिन पचास इंसानो को विल्ली बनाना है और देखो, प्रत्येक के जेब में विकास
के नाम का वो पत्र रखना मत भूलना !"


"जैसी आज्ञा महामहिम !"

"ओवर एंड आॅल ।" कहकर विकास ने संबध विच्छेद कर दिया । धनुषटंकार की कुछ समझ में नहीं आया था इसलिए उसने पहले ही डायरी पर कुछ लिख लिया था, संबंध विच्छेद करते ही बिकास के आगे कर दिया, विकास ने पढा ।




" ये क्या चक्कर है गुरु?"




"ये सीधा-सा चक्कर है प्यारे धनुषटंकार! " विकास मुस्कराकर बोला-------" तो तुम जानते ही हो कि धरती पर सिंगही दादा के जो सदस्य है वे सिगंही के आदेशों के अतिरिक्त किसी का आदेश नहीं मानेंगे । बस मैंने उनसे संबंध स्थापित किया और सिंगही की आवाज बनाकर तुंगलामा द्वारा बताए गए फार्मूले को सोबर तक पहुचाया । मैंने सिगंही बनकर ही सोबर को यह समझा भी दिया कि इस बार मैं प्रत्येक घटना कै पीछे विकास को बदनाम करना चाहता हू ताकि एक होनहार लड़का विश्व की नजरों मे अपराधी बन जाए और विकास कभी भारत का होकर न रह सके । मैंने उसे यह भी बता कि विकास इस समय मंगल ग्रह पर हमारी कैद में है । ये उससे मैंने ही कहा था कि बिल्ली बने हुए प्रत्येक इंसान की जेब मे बिकासं के नाम का पत्र डाल दिया जाए ताकि लोग के हमारे (सिगही) कार्य को विकास का कार्य समझे और विश्व उसे अपराधी करार दे दे ।। मैंने उसे समझा दिया अमेरिका में मैं (सिंयही) जो विनाश फैला रहा हु, उसके पीछे भी इसी उद्देश्य से विकास का नाम जोड़ दिया है ।"



चमत्कृत-सा रह गया बंदर!


अपने गुरु विकास को वह बंड्री अजीब-सी निगाहों से देखता रह गया ।


कदम-कदम पर उसे मानना पढ़ रहा था कि आयु मे उससे छोटे गुरु बड़ा तेज दिमाग रखते हैं, फिर उसने डायरी पर लिखकर पूछा ।



" लेकिन गुरु, क्या सोबर ने यह प्रश्न नहीं किया कि केबल अमेरिका में ही विनाश क्यों फैलाया जा रहा है?"


" किया था ।" मुस्कराता हुआ विकास बोला-------" लेकिन तुम्हें याद रखना चाहिए कि उस समय मैं सिंगही बना हुआ था और मैंने
सिगंही जैसी गुर्राहट में सोबर को डपट दिया कि महामहिम का कोई भी सेवक प्रश्न करने के गुस्ताखी नहीं करता । वेसे तो वह इसी से प्रभावित हो गया था. लेकिन फिर भी मैंने उसे बता दिया कि केवल अमेरिका को ही निशाना बनाना हमारे लिए एक पंथ दो काज वाली बात है यानी पहला तो ये कि अमेरिका पर ही हमले करके हम अच्छी तरह से यह सिद्ध का सकते है कि यह कार्य विकास का है । दूसरा ही लाभ यह है कि एक अमेरिका ही ऐसा देश है जो धऱती पर हमारा मुकाबला कर सकता है, अत: सबसे पहले हम उसे झुकाएँगे ।"



धनुषटंकार ने ताली बजा दी ।


वास्तव में वह मन-ही-मन विकास के दिमाग की प्रशंसा कर रहा था ।



उसी समय वहां एक उल्टे सेवक ने प्रवेश किया आदर के साथ उसने पहले अपने पैर झुकाए फिर नर्म स्वर में मंगल की भाषा मे बोला----" आपको महान टुम्बकटू ने याद किया है ।"


" चलो हम आते हैं ।" विकास ने सम्राट के अकडे हुए लहजे मेँ मंगल की भाषा मे कहा।



जाम्बू ने उसे और टुम्बकटू को यह भाषा सिखा दी र्थी।


उसके पश्चात....


विकास और उसके कंधे पर बैठा सिगार में कश लगाता हुआ धनुषटंकार टुम्बकटू के पास पहुचे ।


टुम्बकटू कै चारों तरफ़ अलग अलग किस्म की स्क्रीने रखी हुई थी । स्क्रीन पर सर्जिबेण्टा के भिन्न-भिन्न-कोणों के चित्र थे ।


सर्जिबेण्टा निरंतर मंगल की तरफ आ रहा था । टुम्बकटू अपनी अजीब-सी सिगरेट में कश लगाता जा रहा था और बड़े ध्यान से रह-रहकर स्क्रीन को देख रहा था ।


आहट सुनते ही लहराता हुआ टुम्बकटू खडा हो गया ।
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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"कहिए अंकल?" विकास ने मुस्कराते हुए कहा ।


"वक्त आ गया है बच्चे! " टुम्बकटू बड़े आराम से लहराता हुआ बोला------" गुरु लोगों का सर्जिबेण्टा इस समय-मंगल की अंतिम कक्षा में चक्कर लगा रहा है ।"

" कहां उतरेंगे?" विकास ने प्रश्न किया ।


" अभी यह तो निश्चय के साथ नहीं कहा जा सकता ।" टुम्बकटू बोला ।


" इसे लेकर आप जाम्बू के अड्डे पर पहुच जाओ, मैं इस ट्रांसमीटर पर बराबर सर्जिबेण्टा की स्थिति बताता रहूंगा । आप उन्ही निर्देशो पर जाम्बू और उसके साथियों को लेकर पहुच जाए और जैसे ही सर्जिबेण्टा मंगल की धरती को स्पर्श करे वे, सव, आपकी कैद में होने चाहिए ।"



"जैसी आज्ञा बापूजान ।।" टुम्बकटू शरारत के साथ बोला ।।



"एक बात याद रखना लंबू अंकल !" विकास ने बताया----“इनमे से किसी को हेडक्वार्टर के दर्शन तक नहीं होने चाहिए । इन्हें आप ले जाकर जाम्बू के अड्डे पर कैद कर देगे । ध्यान रहे लम्बू अंकल, आप जानते है कि वे गुरु लोग है हमारे । उनमे एक से एक बढकर शातिर है । उन्हें इस ढंग से कैद किया जाना चाहिए कि उनमें से एक भी कैद से फरार न हो सके ।"


" ऐसा ही होगा बापू! लेकिन वे मेरे नहीं, तेरे गुरु लोग हैँ, मेरे लिए तो मच्छर हैं ।"


" वेसे एक बात और है अंकल, सतर्क तो आपको रहना ही है ,लेकिन जैक्सन किस्री वैज्ञानिक करिश्मे से मात दे सकती है आपको। उसके प्रत्येक वैज्ञानिक करिश्मे से सतर्क रहना होगा ।"


"अबे ओ बच्चे की दूम !” जैसे एकदम भडक गया टुम्बकटू ---" तुझे धर्म-बाप क्या मान लिया, हमारी खोपडी पर ही चढा आ रहा है !अगर बेटे, कुतुबमीनार से कोई गिरे तो बच सकता है लेकिन हमारी खोपडी से गिरकर हड्डी-पसलियों तक का सूरमा वन जाती है । यानी कि हम सब जानते हैं ।"


“बस तो अंकल गुड लक !"
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