माया complete

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jay
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Re: माया

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तो आइए, अब मिलते हैं इस कहानी के कुछ प्रमुख किरदारों से....




भारत :-




महाराष्ट्रा में मुंबई का रहने वाला भारत, एक 27 वर्षीया युवक जो अभी अपना एमबीए कंप्लीट करने वाला है.. कॉलेज का ड्यूड तो नहीं कह सकते, पर हां, है वो सब लड़कियों का फॅवुरेट... चाहे किसी को देर रात में आइस क्रीम चाहिए हो, या फिर सुबह सवेरे पिज़्ज़ा खानी हो... भारत हर चीज़ पे अपना जुगाड़ बिठाना जानता था.. वैसे उसकी यह सर्विस सिर्फ़ लड़कियों के लिए ही थी... क्यूँ कि वो कुछ फ्री में नहीं करता था.. अगर वो रात को किसी को आइस क्रीम खिलाता था, तो खुद भी अपनी प्यास भुजाके आता था.. भारत अभी किसी सीरीयस रिलेशन्षिप के लिए तैयार नहीं था, या यूँ कहिए के वो किसी कमिटमेंट में बंधना नहीं चाहता था... कॉलेज में एक्सट्रा करिक्युलर आक्टिविटीस के लिए सबसे आगे रहता था... यह कॉलेज का ड्रामा और फुटबॉल टीम की सक्सेस ही थी जिस वजह से वो लड़कियों में छाया हुआ था.. पढ़ाई में कभी पीछे नहीं था, लेकिन इतना आगे भी नहीं था... मिडियोकर स्टूडेंट था वो, जो हमेशा 65 % से पास हुआ है, और उसका यह रेकॉर्ड आज तक नहीं टूटा.. भारत 21 साल में अपना +5 कंप्लीट करके सेल्स की जॉब में लग गया.. सेल्स ऑफ फाइनान्षियल प्रॉडक्ट्स, म्यूचुयल फंड्स, डेमाट अकाउंट्स, बॅंक अकाउंट्स.. 4 साल तक सेल्स की फील्ड में काम करके भारत को पता चला लोगों को बॉटल में उतारने का सबसे अच्छा और सक्सेस्फुल तरीका,और कौनसी चीज़ कब बोलनी है, कहाँ बोलनी है वो उसे सेल्स की जॉब ने ही सिखाया.. यह सेल्स की जॉब ही थी जिसकी वजह से आज भारत अपने एमबीए कॅंपस में छाया हुआ था.. जब वो बोलता था उसके दोस्त उसको सुनना पसंद करते थे, वो कभी भारत की कंपनी में बोर नहीं होते... हाइ प्रोफाइल पार्टीस, हाइ प्रोफाइल लोगों से मिलना, फॅसिनेटिंग लाइफस्टाइल का दीवाना था भारत. चाहे वो उसके कपड़े हो या उसके जूते, या घड़ी हो, या चाहे वो उसका पर्फ्यूम.. भारत सब कुछ ब्रॅंडेड पहेनता था... उसके नॉर्मल कपड़े में सीके की जीन्स, लूयिस विटटन की शर्ट, बेरलूटि के जूते और टॅग्य्यूवर की घड़ी आती थी.... उसका मानना था अगर पैसा खर्च नहीं करेंगे तो पैसा कमाने की ज़्यादा इच्छा नहीं होगी...भारत.. एक बहुत ही इमपेशेंट बंदा या अग्रेसिव...जो भी समझिए, वैसा था... उसके दोस्तों को भारत से सिर्फ़ यह शिकायत थी के वो सुनता बिल्कुल नहीं है, या सुनके अनसुना कर देता था.. लाइफ में कुछ ज़्यादा ही प्रॅक्टिकल बंदा था...जबसे उसने एमबीए जाय्न किया उसने दिमाग़ में हमेशा एक ही चीज़ का टारगेट बनाया था.... "पैसा...पैसा...और ज़्यादा पैसा...."



राकेश :-



55 साल के राकेश, भारत के पिता.. वैसे तो वो बिज़्नेस्मेन हैं, पर ज़्यादातर वक़्त वो स्टॉक मार्केट्स में ही गुज़ारते हैं.. स्टॉक मार्केट्स जब ठंडे पड़े तो राकेश अपना ध्यान बिज़्नेस में लगाते... पैसों की कोई कमी नहीं थी इनके पास.. बस डर था तो भारत का.. राकेश को हमेशा यह डर था के भारत कुछ ज़्यादा तेज़ी से उड़ता था... वो उसका लाइफस्टाइल देख के घबराते थे.. पैसों की वजह से नहीं, डर था तो भारत के आटिट्यूड से.... राकेश हमेशा जानते थे के उनके बाद भारत ही उनका एक लौता वारिस है जो इस जयदाद का मालिक बनेगा... पर क्या वो यह सब संभाल पाएगा.. इसी डर के साथ राकेश रोज़ सुबह उठते, और इसी डर के साथ रोज़ रात को सोते.... वैसे एक चीज़ का और ज़्यादा डर था उन्हे.. भारत की नफ़रत उनके रिश्तेदारों के प्रति.. भारत अपने कज़िन्स से कभी बात नहीं करता.. जब भी उसके रिलेटिव्स उनके घर आते, भारत कोई ना कोई बहाना बनके घर से बाहर चला जाता और दोस्तों के साथ वक़्त गुज़ारता अपना.. लेकिन भारत का नालेज स्टॉक मार्केट्स में राकेश को भाता था... जब भी राकेश कहीं निवेश करता था भारत के कहने पे तभी राकेश को उम्मीद से दुगना फ़ायदा होता था... भारत की इसी चीज़ की वजह से राकेश उसपे चाह के भी गुस्सा नहीं करता था.. राकेश रोज़ अपना शेड्यूल फॉलो करते, मॉर्निंग 7 तो 9 जिम आंड ब्रिस्क वॉक... 9 तो 10 टी विद हिज़ वाइफ, 10 तो 11 रेडी होके अपने काम में लग जाते... इनकी शाम हमेशा इनकी बीवी के साथ समुन्द्र के किनारे निकलती, जहाँ यह शाम की ताज़ी हवा खाते और घर आके अपनी फेव स्कॉच.. राकेश हमेशा भारत को बिज़्नेस जाय्न करने के लिए कहते, पर भारत हमेशा से अपनी फ्रीडम चाहता था, तभी तो पहले सेल्स की जॉब और एमबीए के बाद भी वो जॉब की प्लॅनिंग कर रहा था..राकेश हमेशा भारत को प्यार से रिश्तों की एहमियत समझाता था.. बदले में भारत सिर्फ़ एक ही जवाब देता..

"डॅड... सब पैसों का खेल है.. आज आप के पास पैसा है तो रिलेटिव्स आपसे पूछते हैं.. कल जब मेरे पास अपना पैसा होगा ना तो यही रिलेटिव्स मेरे पास भी मुझसे मेरा हाल पूछने आएँगे"
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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सीमी :-



उमर 50 साल.. राकेश की बीवी, भारत की माँ.. सीमी की ज़िंदगी के सिर्फ़ दो ही लक्ष्य थे.. एक, राकेश को स्टॉक मार्केट्स में से बाहर निकालना, और दूसरी. भारत की शादी करना.... उनकी पहली इच्छा तो पूरी होने से रही, पर उनकी दूसरी इच्छा को पूरा करने के लिए आए दिन लड़कियों की फोटोस मँगवाती और भारत को ईमेल करती.. भारत ने अपनी माँ के एक भी ईमेल का जवाब नहीं दिया था आज तक... हां, शादी को छोड़ के भारत को उसकी माँ बहुत प्यारी थी, वो जब भी कहीं फँसता हमेशा मा से पूछता क्या करना चाहिए... वैसे राकेश और सीमी की लव मॅरेज हुई थी, जिस वजह से आज भी इनका प्यार बरकरार था... सीमी ने अपने आप को अच्छी तरह मेंटेंड रखा था… जैसे राकेश अपना शेड्यूल फॉलो करते, वैसे सीमी भी कभी अपनी योगा क्लासस मिस नहीं करती.. इतना पैसा होने का बावजूद घर के सब काम सीमी खुद निपटाती, क्यूँ की उसके हिसाब से काम करने से ही बॉडी फिट रहेगी, अगर ज़रा भी सुस्ती की तो शरीर लटक जाएगा.
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Re: माया

Post by jay »



दीपा :-



23 साल की युवती, हाल ही में उसने अपना बॅच्लर्स इन इंजिनियरिंग कंप्लीट किया है.. और अपनी पढ़ाई पूरी करके अभी एक कॉलेज में लेक्चरर की जॉब करती है.. दीपा, एक सेन्सिबल बंदी है... उसकी ज़िंदगी में पैसों के साथ साथ रिश्तों की भी उतनी ही एहमियत है... तभी तो अपने रिश्तेदारो में दीपा सब की फॅवुरेट थी.. कुछ भी मुश्किल हो, दीपा को कॉंटॅक्ट करो...

जहाँ दीपा सुलझी हुई बंदी थी, वहीं वो किसी से ज़्यादा बात करना पसंद नहीं करती थी.. अपने आप में रहने वाली लड़की, जो सुबह कॉलेज जाती थी पढ़ाने, शाम को वक़्त पे घर आ जाती थी.. कॉलेज में उसके ज़्यादा दोस्त नहीं थे, क्यूँ कि वो बहुत ही सेलेक्टिव थी, किसी को फालतू मूह नहीं लगाती थी.. अपने काम से काम रखती थी.... इसलिए तो उसके दोस्त कम थे, और रिश्तेदार ज़्यादा थे..दीपा एक आंबिशियस लड़की थी और अपने दम पे कुछ करना चाहती थी.. उसके उसूल कहीं ज़्यादा मज़बूत थे.. उसकी ना मतलब ना... फिर कोई उसे कन्विन्स नहीं कर सकता था कभी.. दीपा का फिगर, 34-28-34 होगा..



अशोक :- दीपा के पिता, उमर 49 साल.. इनका कपड़े का व्यापार था.. रीटेल स्टोर था जिनसे इनके घर का गुज़ारा होता था.. इनके जीवन की जितनी ज़रूरतें थी वो उसके हिसाब से कमाते थे... घर पे कोई कमी नहीं थी... जितने कमाते उतना इन्हे काफ़ी पड़ जाता.. दीपा इनकी लाडली है, यह कहीं भी फंसते तो दीपा से उसका सल्यूशन माँगते थे



चाँदनी :-



दीपा की छोटी बहेन, उमर 21 साल.... लेकिन दीपा के बिल्कुल विपरीत, घर में सबसे ज़्यादा बदमाश और तूफ़ानी थी... कोई इसे देख के अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता था कि यह दीपा की बहेन है.. इसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और अभी घर पे ही बैठी रहती.. क्यूँ कि इसे कहा गया था कि काम सीखो, शादी ही तो करनी है.. अनलाइक दीपा, इसे पढ़ाई में बिल्कुल इंटेरेस्ट नहीं था.. वो आराम से सुबह उठती , काम करती और सो जाती... अपने मोहल्ले की बॉम्ब थी चाँदनी... जब घर से निकलती, लड़के उसे देख के वहीं रुक जाते.. या यूँ कहा जाए कि लड़के उसके जाने के लिए रास्ता बना देते थे उसे देख के... उसका फिगर 36 द- 28- 36



सिद्धार्थ :-





सिद्धार्थ कुमार.. जहाँ भारत एक हाइ क्लास बाप का सूपर ड्यूपर हाइ क्लास बेटा, वहीं सिद्धार्थ एक अप्पर मिड्ल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करता था.. सिड के पापा एक कंपनी में सीनियर मॅनेजर की नौकरी करते थे.. सिद्धार्थ अपने पापा की तरह ही लाइफ में सक्सेस्फुल बनना चाहता था.. तभी तो वो बहुत ही अच्छे नंबर्स से एंट्रेन्स टेस्ट क्लियर करके एमबीए करने आया था पुणे... बचपन से लेके एमबीए तक, सिड ने सभी एग्ज़ॅम्स में टॉप किया था.. कॉलेज के शुरू के कुछ दिनो में स्टूडेंट्स में भारत और सिड की कंपॅरिज़न होने लगी... सिड हमेशा एक डाउन टू अर्थ बंदा था, बट धीरे धीरे वो खुद को भारत का कॉंपिटिटर मानने लगा... कॉलेज की फुटबॉल टीम का कॅप्टन था और उसी टीम में भारत फॉर्वर्ड की पोज़िशन में खेलता था... जहाँ सिड अपनी गोल कीपिंग से सब को इंप्रेस करने की ट्राइ करता था, वहीं भारत अपने सूपर किक्स की बदोलत छा जाता था.. हर मॅच के बाद सिड को यह बात बहुत परेशान करती कि कॅप्टन से ज़्यादा क्रेडिट भारत को मिलती थी... सिड ने काफ़ी बार अपने कोच से बात की कि भारत की पोज़िशन चेंज की जाए, पर वो कामयाब नहीं हुआ.. इसी वजह से आज सिड , भारत को अपना कट्टर दुश्मन मानता था... पर भारत ने कभी इन बातों पे ध्यान नहीं दिया... उसका मानना था कि उसके कॉंपिटेशन में कोई नहीं, क्यूँ कि हर एक बंदा यूनीक है.. तभी तो वो कॅंपस में बहुत ही फेमस था, और सिड, फुटबॉल टीम का कॅप्टन, पढ़ाई में टॉपर होते हुए भी, गिने चुने लोगों का ही दोस्त था..



यह हैं कहानी के कुछ मुख्य किरदार... जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी, वैसे वैसे उनका इंट्रोडक्षन भी आएगा
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Re: माया

Post by jay »



कॉलेज में एग्ज़ॅम का आखरी दिन... भारत रोज़ सुबह की तरह, पुणे में बसे अपने कॉलेज के हॉस्टिल रूम नंबर 312 में सो रहा था... पता नहीं क्या लगाव था इसे 6 नंबर से, कि जब हॉस्टिल में रूम के लिए अप्लाइ किया, उसने सॉफ कहा था ऐसे रूम दो मुझे जिनका टोटल 6 हो.. रूम ना मिलने पर उसने हॉस्टिल वॉर्डन के साथ सेट्टिंग करके पैसे खिलाए और रूम बदलवा दिया अपना.. सुबह 7 बजे जैसे ही उसका अलार्म बजा



"ओह.... यार, व्हाई डू मॉर्निंग्स कम सो अर्ली" कहके भारत ने अपना मोबाइल उठा के अलार्म को स्नऊज़ किया और फिर सो गया... करीब आधे घंटे बाद उसका मोबाइल फिर बजा, पर इस बार उसका अलार्म नहीं था .. यह फोन उसकी कॉलेज की स्वीटहार्ट रूबी का था... रूबी भारत के लिए कुछ भी कर सकती थी, वो दीवानी थी उसकी... हाला कि भारत ने उसे कभी ऐसा कुछ करने को नहीं कहा, लेकिन रूबी हमेशा भारत के लिए हाज़िर रहती थी..



"नो बेब्स... कॅन’ट स्पीक टू यू नाउ.." कहके भारत ने उसका फोन कट किया और अपने बेड से उठ खड़ा हुआ.. बेड से उठके उसने सबसे पहले अपने कमरे का दरवाज़ा खोला, सुबह की ठंडी धूप में भारत को नज़ारा भाने लगा… कुछ देर नज़ारा निहारने के बाद, भारत अपने वॉशरूम में गया.. वहाँ अपना माउथवाश ना देख के भारत बाहर आया और अपनी मोम को फोन लगाने में व्यस्त हो गया



"मॉर्निंग सीमी.. हाउ आर यू स्वीटहार्ट" भारत अपनी मोम को उनके नाम से या स्वीटहार्ट कहके बुलाता था...



"मॉर्निंग बेटे, ऑल सेट फॉर युवर एग्ज़ॅम.." सीमी ने भारत से पूछा



"यआः मोम, रात को थोड़ा लेट हो गया, जस्ट गॉट अप नाउ" कहके भारत अपनी आँखें मीचने लगा



"ओह.. सो स्वीट ऑफ यू डार्लिंग, पहला कॉल मुझे ही" सीमी ने अपनी चाइ की चुस्की लेते हुए जवाब दिया



"मोम, यू नो ना, सुबह सबसे पहले मैं आपसे ही बात करता हूँ.. " भारत ने खुश होके जवाब दिया



"हां बेटा आइ नो.. चलो अब गेट रेडी, आंड डू वेल ओके.. बाय, लव यू" कहके सीमी ने फोन रख दिया




सीमी के साथ कॉल ख़तम करके भारत ने अपने कॅंटीन वाले को फोन घुमाया



"डेम्पो, भोसड़ी के तुझसे मैने लिस्टेरिने कहा था ना रात को, लाया क्यूँ नहीं साले... तो, तो चूतिए लिस्टेरिने नहीं था तो पेप्सी के कॅन्स ला देता, अब जल्दी से तीन पेप्सी के कॅन्स पहुँचा मेरे पास, " कहके भारत ने गुस्से में फोन काटा और रूबी को कॉल्लबॅक किया



"यस बेब.. टेल मी" भारत ने रूबी से कहा



"गुड मॉर्निंग बेबी, उठे कि नहीं, आंड फोन क्यूँ नहीं उठाया मेरा" रूबी ने अपनी उत्साह वाली आवाज़ में कहा



"बेब, यू नो ना, सबसे पहले मैं मोम के साथ बात करता हूँ.." भारत ने रूखा सा जवाब दिया



"हां बाबा, बट शादी के बाद भी उनसे ही बात करोगे सबसे पहले" रूबी ने सामने से कहा



"बेब्स, कॅन यू प्लीज़ कट दिस क्रॅप.. हज़ार बार आइ हॅव टोल्ड यू आइ आम नोट सीरीयस इन माइ रिलेशन्षिप्स ऑलराइट.. आंड तुमसे भी कह चुका हूँ, सो वॉट'स दा प्राब्लम हाँ" भारत ने रूबी को वोही जवाब दिया जो वो हर लड़की को देता है



"कूल डाउन ओके.. आइ वाज़ किडिंग" रूबी ने अपनी बात को मज़ाक कहा



"बेब्स, आइ डोंट लाइक दिस ओके.. चल सी यू इन क्लासरूम" कहके भारत ने फोन कट किया



भारत और रूबी पिछले 6 महीने से दोस्त थे., जहाँ भारत उसे दोस्त ही मानता था, रूबी उससे प्यार करती थी... हाला कि 3 महीने पहले ही जब रूबी ने उसे प्रपोज़ किया तब भारत ने उसे सीधा मना किया था यह कह कर, कि वो रिश्तों का बोझ नहीं उठा सकता... रूबी और भारत काफ़ी बार सेक्स कर चुके थे.. भारत ने उसे कभी वादा नहीं किया था कि वो उससे शादी करेगा

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