मैं और मेरी बहू compleet

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मैं और मेरी बहू

लेखक --राज अग्रवाल

हिन्दी फ़ॉन्ट बाइ राज शर्मा
ये कहानी 44 साल की तलाक़ शुदा औरत प्रीति सहगल की है उसकी ज़ुबानी:-

मैं मनाली के एक पेंटहाउस में अपनी बहू रश्मि के साथ 69 की पोज़िशन में एक दूसरे की चूत चाट रहे हैं. साथ ही साथ हमारी गांद की चुदाई भी हो रही है. रश्मि की गांद मेरा बेटा राज मार रहा है मेरी गांद मेरे बेटे का खास दोस्त रवि मार रहा है. इसके पहले की में इसके आगे कुछ कहु में आप सब को ये बताना चाहती हूँ कि हम यहाँ तक कैसे पहुँचे.

मैं एक तलाक़ शुदा औरत हूँ जिसने बड़ी मुश्किल से अपने पति से अपने जीने का हक़ छीना है. मुझे तलाक़ के बाद एक चार कमरों का फ्लॅट, एक गाड़ी और अछी ख़ासी नकद रकम मिली जो हमारे गुज़ारे के लिए काफ़ी थी.

मेरा बेटा अपनी ग्रॅजुयेशन कर चुक्का था और अगले महीने शादी करना चाहता था. मेरा बेटा राज 22 साल की उमर और देखने में बहोत ही सुन्दर था, 6" फ्ट की हाइट, भूरी आँखें और उसका बदन देखने काबिल था. उसका सबसे खास और प्यारा दोस्त रवि की 6.01 फिट थी और बहोत ही ताकतवर था. रवि भी 22 साल का था और उसकी आँखों भी भूरी थी मेरे बेटे की तरह.

मेरा बेटा अपनी प्रेमिका रश्मि से शादी करना चाहता था, जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नही थी, लेकिन मैने अपने बेटे के आगे मजबूर थी. ना जाने क्यों मुझे हमेशा यही लगता था कि वो मेरे बेटे के पैसों के पीछे है.

वैसे रश्मि देखने मे काफ़ी सुंदर थी, हिएत् 5.07, पतला बदन, पतली कमर उसका फिगर 36-24-36 था. उसे मिनी स्कर्ट्स और इस तरह के कपड़े पहनने का बड़ा शौक था. मेने अक्सर उसकी मिनी स्कर्ट में से उसके चूतर के बाहर झँकते देखे थे.

मेरा भी फिगर कुछ कम नही था, 44 साल की उमर में भी मेने अपने शरीर को संभाल कर रखा था. 35.25.36 मेरा फिगर था. मैं रोज़ दो घंटे स्विम्मिंग करती थी जिससे मेरा शरीर शेप में रह सके.

राज और रश्मि अगले महीने शादी करना चाहते थे इसलिए हमने शॉपिंग भी बहुत की थी. वो अपने हनिमून पर मनाली जाना चाहते थे. एक दिन में शॉपिंग करने के लिए घर से निकली पर मुझे याद आया कि में कुछ समान घर में भूल गयी हूँ.

जैसे ही में घर में दाखिल हुई मुझे राज और रवि की आवाज़े सुनाई दी. मैं एक बेडरूम की ओर बढ़ी और उनकी आवाज़े सुनने की कोशिश करने लगी. इतने में मेने रवि की आवाज़ सुनी,

"हां मेरे लंड को इसी तरह चूसो, बड़ा मज़ा आ रहा है."

मेने कमरे में झाँक कर देखा, रवि बेड के किनारे पर बैठा हुआ था और मेरा बेटा घुटनो के बल बैठ कर रवि के लंड को चूस रहा था. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरा बेटा जिसकी शादी एक महीने मे होने वाली थी वो अपने दोस्त का लंड चूस रहा था.

"राज तुम तो यार रश्मि से भी अच्छा लंड चूस्ते हो?" रवि ने कहा.

में जो सुन रही थी उसपर मुझे विश्वास नही हो रहा था क्या रश्मि और राज दोनो रवि के लंड के चूस्ते थे.

"मेरा पानी छूटने वाला है राज!" रवि बोला.

"आज तुम तुम्हारा पानी मेरे मूह पर छोड़ो," कहकर राज ने रवि के लंड को अपने मूह मे से निकाल दिया.

में रवि के लंड को देख कर चौंक गयी, मुझे अंदाज़ा तो था कि उसका लंड मोटा और लंबा है लेकिन आज रूबरू देख कर मैं चौंक गयी. उसका लंड करीब 10" इंच लंबा और 4" इंच मोटा था. राज भी उसके लंड को अपने हाथों में नही ले पा रहा था.

राज उसके लंड को हिला रहा था और साथ ही चूस्ते जा रहा था, अचानक ही रवि के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया. मेने आज तक किसी को इस तरह पानी छोड़ते नही देखा था. रवि ने कम से कम 7 बार पिचकारी छोड़ी होगी. राज ने उसके लंड को चूस कर एक दम निढाल कर दिया था.

"आज तक मेने किसी लंड को इतना पानी छोड़ते हुए नही देखा." राज बोला.

"तुम्हे क्या अछा लगता है मेरा पानी छोड़ने का तरीका या तुम्हारे मूह में झड़ना." रवि ने पूछा.

"इस सवाल का जवाब देना बहोत कठिन है, जब तुम्हारा लॉडा हवा में पानी फैंकता है तो भी अच्छा लगता है और जब वो मेरे मूह में पिचकरी छोड़ता है तो ऐसा लगता है कि मेरे गले की सारी प्यास बुझ गयी है." राज ने रवि के लंड को और जोरों से चूस्ते हुए कहा.

"क्या तुम मेरी गांद मारने को तय्यार हो? मुझे सही में तुम्हारा लॉडा अपनी गांद में चाहिए," मेरे बेटे ने रवि से पूछा

मैं यही सोच रही थी कि मेरा बेटा इतना बड़ा लॉडा अपनी गांद में कैसे लगा, वहीं रवि ने क्रीम की शीशी निकाल अपने लौदे पर लगा फिर मेरे बेटे की गांद पर मल दी.

मेरा बेटा दरवाज़े के हॅंडल को पकड़ झुक गया और रवि ने अपना खंबे जैसा लॉडा उसकी गांद में घुसेड दिया.

रवि पहले तो धीरे धीरे गांद मारता रहा फिर जैसे ही उसने रफ़्तार पकड़ी मुझे विश्वास नही हुआ कि मेरा बेटा इतना मोटा और लंबा लंड झेल सकता है.

रवि पहले तो धीरे धीरे राज की गांद मार रहा था फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरा बेटा इतना मोटा लंड अपनी गांद में झेल लेगा.

"हाआआं ज़ोर सीईई मेरी गाआआंद मरूऊओ, पुर्र्ररा घःऊशाआआआआ दो" राज ज़ोर ज़ोर से रवि से कह रहा था.

"तुम्हारी गांद बहोत अछी है. सही में मुझे उतना ही मज़ा आ रहा जितना मुझे रश्मि की गांद मारने में आता है." रवि ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा.

"क्या तुम चाहते हो कि आज में तुम्हारी गांद का कचूमर बना दू," रवि ने तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए कहा.

"हां आज ज़ोर से मेरी गांद मारो चाहे मेरी गांद फॅट ही क्यों ना जाए." मेरा बेटा गिड़गिदते हुए रवि से बोला.

रवि ने अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींचा और ज़ोर से राज की गांद में पेल दिया.

"हां फाड़ दो मेरी गांद दो, छोड दो अपना पानी मेरी गांद में." कहकर राज अपने लंड पर मूठ मारने लगा.

"तुम्हारी गांद सही में बड़ी जानदार है, मुझे तुम्हारी गांद मारने में उतना ही मज़ा आ रहा है जितना मुझे रश्मि की गांद मारने में आता है," कहकर और ज़ोर से उसने अपना लंड अंदर पेल दिया.

रवि ने अपनी रफ़्तार तेज कर दी, और वो ज़ोर ज़ोर से अपना लंड राज की गांद के अंदर बाहर कर रहा था, "ले मेरा पूरा लंड ले ले मेरा छूटने वाला है." कहकर रवि ने अपना पानी राज की गांद में छोड़ दिया.

रवि रुकने का नाम नही ले रहा था. उसका लंड अब भी भी राज की गांद के अंदर बाहर हो रहा था, में पहली बार किसी को इतनी ताक़त से और ज़ोर से चोद्ते देख रही थी.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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"आज में तुम्हारी गांद की धज्जियाँ उड़ा दूँगा," रवि और तेज़ी से गांद मारते हुए बोला.

"हाआआं फ़ाआआद दो मेर्रर्र्ररी घाआआआआआआण्ड को." राज उसका साथ देते हुए बोला.

रवि का लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. उसके चेहरे के खींचाव को देख कर लग रहा था कि वो दुबारा छूटने वाला है. रवि और ज़ोर ज़ोर से लंड पेल रहा था. दोनो की साँसे फूली हुई थी.

"ये मेराआआ छूटा" कहकर रवि ने वीर्य राज की गांद में उंड़ेल दिया.

"ःआआआआआआआआण मुझे महसूस हो ऱाःआआआआआआआ है, छोद्दद्ड दो सारा पानी मेरी गाआआंद में छोड़ दो." राज हानफते हुए बोल रहा था.

इनकी चुदाई देख में दंग रह गयी थी. मैं सोच रही थी क्या रश्मि को ये सब मालूम है? रश्मि भी तो रवि से चुदवाती है, तो ज़रूर मालूम होगा. में चुपचाप अपने कमरे में आ गयी. मेरी चूत भी इनकी चुदाई देख गीली हो गयी थी. मेरा खुद का मन चुदवाने को कर रहा था.

शाम को में शॉपिंग के लिए घर से निकली, मेरे ख़यालों में अभी भी राज और रवि का नज़ारा घूम रहा था. मेने सोच लिया था कि में उनपर ज़्यादा नज़र रखूँगी, शायद रश्मि की चुदाई देखने का मौका मिल जाए.

दो दिन बाद में काम पर से घर लौटी तो मुझे राज के कमरे से आवाज़ें सुनाई दे रही थी. मेने धीरे से खिड़की से झाँका तो देखा बिस्तर पर रवि, राज और रश्मि के बीच में बैठा हुआ था. तीनो नंगे थे और उनके कपड़े कमरे में चारों तरफ बिखरे पड़े थे. रश्मि घुटनो के बल होकर रवि का लंड चूस रही थी.

"अब मेरी बारी है." कहकर राज ने रश्मि से रवि का लंड लिया और चूसने लगा.

रश्मि बिस्तर के नीचे उतर राज के लंड को अपने मूह में ले चूसने लगी.

में असचर्या चकित थी कि मेरा बेटा और उसकी होने वाली बीवी दोनो ही लॉडा चूस रहे थे.

राज और रश्मि दोनो लंड को तब तक चूस्ते रहे जब तक रवि और राज के लंड ने पानी नही छोड़ दिया. रवि ने अपने वीर्य से राज का मूह भर दिया और राज ने अपने वीर्य की पिचकारी रश्मि के मूह मे छोड़ दी.

रवि ने फिर रश्मि को बिस्तर के किनारे पर बिठा उसकी टाँगे फैला दी. उसने दोनो टाँगे को और फैला अपनी जीव रश्मि की चूत पर रख उसे चाटने लगा. रवि अब ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूस रहा था, वो अपनी जीव उसकी चूत के अंदर डाल चोद रहा था. थोड़ी देर में ही रश्मि के मूह से मादक सिसकारियाँ फुट रही थी.

"हाआआं चााआआतो और्र्र्ररर ज़ोर से चूवसो हाआआऐं यहीयईिन." रश्मि का शरीर अकड़ने लगा, वो अपनी गर्दन उन्माद में इधर उधर कर रही थी.

लगता था कि रवि इस खेल का पुराना खिलाड़ी था उसे अच्छी तरह मालूम था उसे क्या करना है, वो ज़ोर से अपनी जीव रस्मी की चूत में घुसा अपने होठों से पूरी चूत को मूह में ले लेता. वो ज़ोर ज़ोर से तब तक रश्मि की चूत चाट रहा था जब तक रश्मि की चूत ने पानीनही छोड़ दिया और वो थक कर उसे रुकने को कहने लगी,

"प्लीज़ रुक जाओ बसस्स्स्सस्स और नही में और सहन नही कर सकती."

में अगले चार घंटे तक इस चुदाई का नज़ारा देखती रही. चारों आसान बदल बदल कर चुदाई कर रहे थे, जैसे पूरी कामसुत्रा का अनुभव करना चाहते हो. में खुद गिनती भूल गयी कि कौन कितनी बार झाड़ा.

थोड़ी देर सुसताने के बाद रवि का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया था, रश्मि भी उसका लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी. रवि बिस्तर पर लेट गया और रश्मि उसपर चढ़ उसके लंड को चूत के छेद पर लगा खुद उसके लंड पर बैठ गयी.

रवि का पूरा लंड रश्मि की चूत में घुस चुक्का था. उसने रवि के लंड को खुद की चूत में जगह बनाने का समय दिया और फिर खुद धक्के लगाने लगी. उसके कुल्हों को पकड़ रवि भी नीचे से धक्के लगा रहा था. रश्मि के मूह से सिसकारियाँ फुट रही थी,

"ःआआआआआआआआआआण ओह य्ाआआआआआ आईसस्स्स्स्सीईई ही."

इतने में राज रश्मि के पीछे आ गया और उसे थोड़ा नीचे झुका उसकी गांद को सहलाने लगा. उसने अपनी दो उंगली उसकी गांद में घुसा दी, "ऊऊऊऊऊऊऊऊ माआआआ," रश्मि दर्द से कराही.

राज ने थोड़ी वॅसलीन ले अपने लंड और उसकी गांद पे लगा दिया, और फिर अपना 6' लंड उसकी गांद मे पेल दिया. अब रवि रश्मि को नीचे से चोद रहा था और राज पीछे से. मेने आज तक दो लंड एक साथ नही लिए थे, ये सीन देख के मेरी चूत में पानी आ गया.

टू बी कंटिन्यूड…………

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Ye kahani 44 saal ki talak shuda aurat Preeti Sehgal ki hai uski jubani:-

Mein manali ke ek penthouse mein apni bahu Rashmi ke sath 69 ki position mein ek dusre ki choot chat rahe hain. Sath hi sath hamari gaand ki chudai bhi ho rahi hai. Rashmi ki gaand mera beta Raj mar raha hai meri gaand mere bete ka khas dost Ravi mar raha hai. Iske pehle ki mein iske aage kuch kahu mein aap sab ko ye batana chahti hun ki hum yahan tak kaise pahunche.

Mein ek talak shuda aurat hun jisne badi mushkil se apne pati se apne jine ka haq china hai. Mujhe talak ke baad ek char kamron ka Flat, ek gadi aur achi khasi nakad rakam mili jo hamare gujare ke liye kafi thi.

Mera beta apni graduation kar chukka tha aur agle mahine shadi karna chahta tha. Mera beta Raj 22 saal ki umar aur dekhne mein bahot hi sunder tha, 6" ft ki height, bhuri ankhen aur uska badan dekhne kabil tha. Uska sabse khas aur pyara dost Ravi ki 6.01 ft thi aur bahot hi takatvar tha. Ravi bhi 22 saal ka tha aur uski ankhon bhi bhuri thi mere bete ki tarah.

Mera beta apni premika Rashmi se shaadi karna chahta tha, jo mujhe bilkul bhi pasand nahi thi, lekin mien apne bet eke age majboor thi. Na jane kyon mujhe hamesha yahi lagta tha ki wo mere bet eke paison ke piche hai.

Waise Rashmi dekhne mien kafi sunder thi, hieht 5.07, patla badan, patli kamar uska figure 36-24-36 tha. Use mini skirts aur is tarah ke kapde pehnne ka bada shuk tha. Meine aksar uski mini skirt mein se uski choot ke bahar jhankte dekhe the.

Mera bhi figure kuch kam nahi tha, 44 saal ki umar mein bhi meine apne sharir ko sambhal kar rakha tha. 35.25.36 mera figure tha. Mien roz do ghante swimming karti thi jisse mera sharir shape mein reh sakun.

Raj aur Rashmi agle mahine shadi karna chahte the isliye humne shopping bhi bahut kit hi. Wo apne honeymoon par Manali jana chahte the. Ek din mein shopping karne ke liye ghar se nikli par mujhe yaad aaya ki mein kuch saman ghar mein bhul gayi hun.

Jaise hi mein ghar mein dakhil hui mujhe Raj aur Ravi ki awaje sunai di. Mien ek bedroom ki aur badhi aur unki awaze sunne ki koshish karne lagi. Itne mein meine Ravi ki awaz suni,

"Haan mere Lund ko isi tarah chuso, bada maza aa raha hai."

Meine kamre mein jhank kar dekha, Ravi bed ke kinare par baitha hua tha aur mera beta ghutno ke bal baith kar Ravi ke Lund ko choos raha tha. Mujhe vishwas nahi ho raha tha ki mera beta jiski shadi ek mahine me hone wali thi wo apne dost ka Lund choos raha tha.

"Raj tum to yaar Rashmi se bhi acha Lund chooste ho?" Ravi ne kaha.

Mein jo sun rahi thi uspar mujhe vishwas nahi ho raha tha kya Rashmi aur Raj dono Ravi ke Lund ke chooste the.

"Mera pani chutne wala hai Raj!" Ravi bola.

"Aaj tum tumhara pani mere muh per chodo," kehkar Raj ne Ravi ke Lund ko apne muh me se nikal diya.

Mein Ravi ke Lund ko dekh kar chounk gayi, mujhe andaza to tha ki uska Lund mota aur lamba hai lekin aaj rubroo dekh kar mien chounk gayi. Uska Lund kareeb 10" inch lamba aur 4" inch mota tha. Raj bhi uske Lund ko apne hathon mein nahi le pa raha tha.

Raj uske lund ko hila raha tha aur sath hi chooste jar aha tha, Achanak hi Ravi ke Lund ne apna pani chod diya. Meine aaj tak kisi ko is tarah panin chodte nahi dekha tha. Ravi ne kam se kam 7 bar pichkari chodi hogi. Raj ne uske Lund ko chus kar ek dam nidhal kar diya tha.

"Aaj tak meine kisi Lund ko itna pani chodte hue nahi dekha." Raj bola.

"Tumhe kya acha lagata hai mera pani chodne ka tarika ya tumhare muh mein jhadna." Ravi ne pucha.

"Is sawal ka jawab dena bahot kathin hai, jab tumhara lauda hawa mein pani fainkta hai to bhi accha lagta hai aur jab wo mere muh mein pichakri chodta hai to aisa lagta hai ki mere gale ki sari pyaas bujh gayi hai." Raj ne Ravi ke Lund ko aur joron se chooste hue kaha.

"Kya tum meri gaand marne ko tayyar ho? mujhe sahi mein tumhara lauda apni gaand mein chahiye," mere bete ne Ravi se pucha

Mein yahi soch rahi thi ki mera beta itna badd lauda apni gaand mein kaise laga, wahin Ravi ne cream ki shishi nikal apne laude par avam mere bete ki gaand par mal di.

Mera beta darwaze ke handle ko pakad jhuk gaya aur Ravi ne apna khambe jaisa lauda uski gaand mein ghused diya.

Ravi pehle to dhire dhire gaand marta raha phir jaise hi usne rafter pakdi mujhe vishwas nahi hua ki mera beta itna mota aur lamnba Lund jhel sakta hai.

Ravi pehle to dhire dhire Raj ki gaand mar raha tha phir usne rafter pakad li. Mujhe vishwas nahi ho raha tha ki mera beta itna mota Lund apni gaand mein jhel lega.

"HAAAAAAN JOR SEEEEEE MERI GAAAAAAND MAROOOOO, PURRRRA GHUSAAAAA DO" Raj jor jor se Ravi se keh raha tha.

"Tumhari gaand bahot achi hai. Sahi mein mujhe utna hi maza aa raha jitna mujhe Rashmi ki gaand marne mein aata hai." Ravi ne apne dhakkon ki rafter badhate hue kaha.

"Kya tum chahte ho ki aaj mein tumhari gaand ka kachumar bana du," Ravi ne teji se apne Lund ko andar bahar karte hue kaha.

"Haan aaj jor se meri gaand maro chahe meri gaand phat hi kyon na jaye." Mera beta gidgidate hue Ravi se bola.

Ravi ne apna Lund thoda sa bahar khincha aur jor se Raj ki gaand mein pel diya.

"HAAN PHAD DO MERI GAAND DO, CHOD DO APNA PANI MERI GAAND MEIN." Kehkar Raj apne Lund par muth marne laga.

"Tumhari gaand sahi mein badi jandar hai, Mujhe tumhari gaand marne mein utna hi maza aa raha hai jitna mujhe Rashmi ki gaand marne mein aata hai," kehkar aur jor se usne apna Lund andar perl diya.

Ravi ne apni rafter tej kar di, aur wo jor jor se apna Lund Raj ki gaand ke andar bahar kar raha tha, "Le mera pura Lund le le mera chootne wala hai." Kehkar Ravi ne apna pani Raj ki gaand mein chod diya.

Ravi rukne ka naam nahi lae raha tha. Uska Lund abbhi bhi Raj ki gaand ke andar bahar ho raha tha, Mein pehli baar kisi ko itni takat se aur jor se chodte dekh rahi thi.

"Aaj mein tumhari gaand ki dhajjiyan uda dunga," Ravi aur teji se gaand marte hue bola.

"HAAAAAAN PHAAAAAD DO MERRRRRRI GAAAAAAAND KO." Raj uska sath dete hue bola.

Ravi ka Lund teji se andar bahar ho raha tha. Uske chehre ke khinchav ko dekh kar lag raha tha ki wo dubara chutne wala hai. Ravi aur jor jor se Lund pel raha tha. Dono ki sanse phuli hui thi.

"Ye meraaaaaa chuta" kehkar Ravi ne virya Raj ki gaand mein undel diya.

"HAAAAAAAAN MUJHE MEHSUS HO RAHAAAAAAA HAI, CHODDDD DO SARA PANI MERI GAAAAAAND MEIN CHOD DO." Raj hanfte hue bol raha tha.

Inki chudai dekh mein dang rah gayi thi. Mein soch rahi thi kya Rashmi ko ye sab malum hai? Rashmi bhi to Ravi se chudwati hai, to jarur malum hoga. Mein chupchap apne kamre mein aa gayi. Meri choot bhi inki chudai dekh gili go gayi thi. Mera khud ka man chudwane ko kar raha tha.

Sham ko mein shopping ke liye ghar se nikli, mere khayalon mein abhi bhi Raj aur Ravi ka nazara ghum raha tha. Meine soch liya tha ki mein unpar jyada nazar rakhungi, shayad Rashmi ko chudate dekhne ka mauka mil jaye.

Do din bad mein kam par se ghar lauti to mujhe Raj ke kamre se awazen sunai de rahi thi. Meine dhire se khidki se jhanka to dekha bistar par Ravi, Raj aur Rashmi ke bich mein baitha hua tha. Teeno nange the aur unke kapde kamre mein charon taraf bikhre pade the. Rashmi ghutno ke bal hokar Ravi ka Lund choos rahi thi.

"Ab meri bari hai." Kehkar Raj ne Rashmi se Ravi ka Lund liya aur choosne laga.

Rashmi bistar ke niche utar Raj ke Lund ko apne muh mein le choosne lagai.

Mein ascharya chakit thi ki mera beta aur uski hone wali biwi dono hi Lauda choos rahe the.

Raj aur Rashmi dono Lund ko tab tak chooste rahe jab tak Ravi aur Raj ke Lund pani nahi chod diya. Ravi ne apne virya se Raj ka muh bhar diya aur Raj ne apne virya ki pichkari Rashmi ke muh meih chod di.

Ravi ne phir Rashmi ko bistar ke kinare par bitha uski tange faila di. Usne dono tange ko aur faila apna jeev Rashmi ki choot par rakh use chatne laga. Ravi ab jor jor se uski choot ko choos raha tha, wo apni jeev uski choot ke andar dal chod raha tha. Thodi der mein hi Rashmi ke muh se madak siskariyan phut rahi thi.

"HAAAAAAN CHAAAAAAAATO AURRRRRR JOR SE CHOOOSO HAAAAAAAIN YAHIIIIN." Rashmi ka sharir akadne laga, wo apni gardan unmad mein idhar udhar kar rahi thi.

Lagta tha ki Ravi is khel ka purana khiladi tha use achci tarah malum tha use kya karna hai, wo jor se apni jeev Rasmi ki choot mein ghusa apne hothon se puri choot ko muh mein le leta. Wo jor jor se tab tak Rashmi ki choot chat raha tha jab tak Rashmi ki choot nahi chod diya aur wo thak kar use rukne ko kehne lagi,

"Please ruk jao basssssss aur nahi mein aur sehan nahi kar sakti."

Mein agle char ghante tak is chudai ka nazara dekhti rahi. Charon asan badal badal kar chudai kar rahe the, jaise puri Kamasutra ka anubhav karna chahte ho. Mein khud ginti bhul gayi ki kayn kitni bar jhada.

Thodi der sustane ke bad Ravi ka Lund phir tan kar khada ho gaya tha, Rashmi bhi uska Lund apni choot mein lena chahti thi. Ravi bistar par let gaya aur Rashmi uspar chad uske Lund ko choot ke ched par laga khud uske lund par baith gayi.

Ravi ka pura Lund Rashmi ki choot mein ghus chukka tha. Usne Ravi ke Lund ko khud ki choot mein jagah banana ka samay diya aur phir khud dhakke lagane lagi. Uske kulhon ko pakad Ravi bhi niche se dhake laga raha tha. Rashmi ke muh se siskariyan phut rahi thi,

"HAAAAAAAAAAN OHHHHHHHHHHHH YAAAAAAAAAAAA AISSSSSSEEEEEEE HI."

Itne mein Raj Rashmi ke piche aa gaya aur use thoda niche jhuka uski gaand ko sehlane laga. Usne apni do ungli uski gaand mein ghusa di, "UUUUUUUU MAAAAAAAA," Rashmi dard se karahi.

Raj thodi Vaseline le apne Lund aur uski gaand pe laga diya, aur phir apna 6' Lund uski gaand mien pel diya. Ab Ravi Rashmi ko niche se chod raha tha aur Raj piche se. Meine aaj tak do Lund ek sath nahi liye the, ye scene dekh ke meri choot mein pani aa gaya.

To be continued…………

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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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गतान्क से आगे......

मेने आने वाले दिनो में कई बार रश्मि, राज और रवि को एक साथ चुदाई करते देखा. मुझे भी किसी से चुदवाये कई साल हो गये थे और मेरा भी शरीर गरमा उठता था.

ऐसा लगता था कि तीनो को सेक्स के अलावा कुछ सुझाई ही नही देता था. मैं नही जानती थी कि ये सब कुछ कितने दिनो तक चलेगा. अगले महीने राज और रश्मि की शादी होने वाली थी.

एक दिन जब वो तीनो चुदाई मे मशगूल थे मैं हर बार की तरह उन्हे छुप कर देख रही थी. मैं अपने ही ख़यालों में खोई हुई थी कि अचानक मेने देखा कि रवि मुझे ही देख रहा था. शायद उसने मुझे छुपकर देखते पकड़ लिया था. क्या वो सब को ये बता देगा ये सोचते हुए में वापस अपने कमरे मे आ गयी.

कुछ दिन गुज़र गये पर रवि ने किसी से कुछ नही कहा. मैं समझी शायद उसने मुझे ना देखा हो पर उस दिन के बाद मेने छुपकर देखना बंद कर दिया.

शनिवार के दिन राज और रश्मि अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्निक मनाने चले गये. मेने सोचा कि चलो आज घर में कोई नही में भी थोड़ा आराम कर लूँगी.

मेने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी. एक रोमॅंटिक नॉवेल ले मैं सोफे पर लेट पढ़ने लगी. बेखायाली मे मुझे याद नही रहा कि मेने दरवाज़ा कैसे खुला छोड़ दिया. मुझे पता तब चला जब मेने रवि की आवाज़ सुनी, "किताब पढ़ी जा रही है."

मेने तुरंत अपना हाथ अपने नाइट गाउन की तरफ बढ़ाया पर रवि ने मेरे गाउन को मेरी पहुँच से दूर कर दिया था. मेने झट से एक हाथ से अपनी चुचियों को ढका और दूसरे हाथ से अपनी चूत को ढका.

"तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम तो राज के साथ पिक्निक पर जाने वाले थे?" मेने थोड़ा चिंतित होते हुए पूछा.

"पता नही क्यों मेरा मन नही किया उनके साथ जाने को. उस दिन के बाद मेने सोचा आप अकेली होंगी चल कर आपका साथ दे दूं. आपको ऐतराज़ तो नही?" रवि ने जवाब दिया.

"ज़रूर ऐतराज़ है. आज में अकेले रहना चाहती हूँ. अब तुम यहाँ से चले जाओ." मेने अपनी आवाज़ पर ज़ोर देते हुए कहा.

रवि ज़ोर से हँसने लगा और अपने कपड़े उतार दिए, "मैं थोड़ी देर आपके साथ बिताकर चला जाउन्गा."

मैं उसके व्यवहार को लेकर चिंतित हो उठी. जब उसने कपड़े उतार शुरू किए तो में चौंक पड़ी. मेने गौर से उसके लंड की तरफ देखा, मुरझाए पन की हालत में भी वो कम से कम 6' इंच लंबा दिख रहा था. मेने अपनी नज़रें हटाई और पेट के बल लेट गयी जिससे उसकी नज़रों से अपने नंगे बदन को छुपा सकु.

"इसमे इतनी हैरानी की क्या बात है. तुम मुझे इससे पहले भी नंगा देख चुकी हो." उसने कहा.

उसे पता था कि में उन लोगो को छुप कर देख चुकी हूँ और में इनकार भी नही कर सकती थी. उसने एक बार फिर मुझे चौंका दिया जब वो मेरे नग्न चुत्तदो को सहलाने लगा.

साइड टेबल पर पड़ी तेल की शीशी को देख कर वो बोला, "प्रीति तुम्हारे चूतड़ वाकई बहोत शानदार है और तुम्हारा फिगर. लाओ में थोडा तेल लगा कर तुम्हारी मालिश कर देता हूँ."

मेने महसूस किया तो वो मेरे कंधों पर और पीठ पर तेल डाल रहा है. फिर वो थोड़ा झुकते हुए मेरे बदन पर तेल मलने लगा. उसके हाथों का जादू मेरे शरीर मे आग सी भर रहा था. उसका लंड अब खड़ा होकर मेरे चुतदो की दरार पर रगड़ खा रहा था. मेने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर वो मुझे कस कर पकड़े तेल मलने लगा.

मेरे कंधों और पीठ पर से होते हुए उसके हाथ मेरी पतली कमर पर मालिश कर रहे थे. फिर और नीचे होते हुए अब वो मेरी नग्न जांघों को मसल रहे थे. अब वो मेरी गांद पर अपने हाथ से धीरे धीरे तेल लगाने लगा. बीच मे वो उन्हे भींच भी देता था. एक अजीब सी सनसनी मेरे शरीर में दौड़ रही थी.

रवि काफ़ी देर तक यूँही मेरी मालिश करता रहा. गांद की मालिश करते हुए कभी वो मेरी जांघों के बीच मे भी हाथ डाल देता था.

फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ा और पीठ के बल लिटा दिया. इससे पहले कि में कोई विरोध करती उसने मेरे होठों को अपने होठों मे ले चूसना शुरू कर दिया. अब मुझसे अपने आपको रोक पाना मुश्किल लग रहा था आख़िर इतने दिनो से में भी तो यही चाहती थी. मेने अपने आपको रवि के हवाले करते हुए अपना मुँह थोड़ा खोला और उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल घूमाने लगा.

रवि मेरे निचले होठों को चूस्ते हुए मेरी थोड़ी फिर मेरी गर्दन को चूम रहा था. जब उसने मेरे कान की लाउ को चूमा तो एक अजीब सा नशा छा गया.

अपनी जीब को होले होले मेरे नंगे बदन पर फिराते हुए नीचे की और खिसकने लगा. जब वो मेरी चुचियों के पास पहुँचा तो वो मेरी चुचियों को हल्के से मसल्ने लगा. मेरे तने हुए निपल पर अपनी जीब फिराने लगा. अजीब सी गुदगुदी मच रही थी मेरे शरीर मे. कितने सालों से में इस तरह के प्यार से वंचित थी.

रवि मेरी आँखों में झँकते हुए कहा, "तुम्हारी चुचियों बड़ी शानदार है."

में उसके छूने मात्र से झड़ने के कगार पर थी. रवि ने मुझे ऐसे हालत पे लाकर खड़ा कर दिया था कि मेरी चूत मात्र छूने से पानी छोड़ देती.

वो मेरी चुचियों को चूसे जा रहा था और दूसरे हाथ से मेरी जांघों को सहला रहा था. झड़ने की इच्छा मेरे में तीव्र होती जा रही थी. मेरी चूत में आग लगी हुई थी और उसका एक स्पर्श उसकी उठती आग को ठंडा कर सकती थी.

मेने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, "रवि प्लीज़ प्लीज़….."

"प्लीज़ क्या प्रीति बोलो ना? तुम क्या चाहती हो मुझसे? क्या तुम झड़ना चाहती हो?' जैसे उसने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.

"हां रवि मेरा पानी छुड़ा दो, में झड़ना चाहती हूँ." मेने जैसे मिन्नत माँगते हुए कहा.

वह मेरी दोनो चुचियों को साथ साथ पकड़ कर मेरे दोनो निपल को अपने मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगा. अपना मुँह हटा कर वो फिर से वही हरकत बार बार दोहराने लगा जब तक में अपने कूल्हे ना उचकाने लगी.

जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत पर पहुँचा उसने अपनी उंगली मेरी गीली हुई चूत में घुसा दी. फिर वह अपनी दो और उंगली मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा.

रवि फिर मेरी टाँगो के बीच आ गया और मेरी चूत को अपने मुँह मे ले लिया. उत्तेजना के मारे मेरी चूत फूल गयी थी. वो मेरी चूत को चूस और चाट रहा था. रवि अपनी लंबी ज़ुबान से मेरे गंद के छेद से चाटते हुए मेरी चूत तक आता और फिर अपनी ज़ुबान को अंदर घुसा देता.

उसकी इस हरकत ने मेरी टाँगो का तनाव बढ़ा दिया और एक पिचकारी की तरह मेरी चूत ने उसकी मुँह मे पानी छोड़ दिया. मेरा शरीर मारे उत्तेजना के कांप रहा था और मुँह से सिसकारिया निकल रही थी.

रवि ने अच्छी तरह मेरी चूत को चाट कर साफ किया और फिर खड़े होते हुए मेरी ही पानी का स्वाद देते हुए मेरे होठों को चूम लिया.

"देखा तुम्हारी चूत के पानी का स्वाद कितना अच्छा है. और तुम्हारी चूत पानी भी पिचकारी की तरह चोदती है." उसने कहा.

"हां राज मेरी चूत उत्तेजना में फूल जाती है और पानी भी इसी तरह छोड़ती है. मेरे पति का अच्छा नही लगता था इसीलिए वो मेरी चूत को चूसना कम पसंद करता था." मेने कहा.

"में समझ सकता हूँ. अब में तुम्हे आराम से प्यार करना चाहता हूँ और तुम भी मज़े लो." कहकर रवि मेरी चेहरे पर हाथ फिराने लगा.

रवि उठ कर खड़ा हो गया और उसका लंड और तन कर खड़ा हो गया. में अपनी जिंदगी में सबसे लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. रवि का लंड मेरे पति के लंड से दुगना था लंबाई मे. वो कमसे कम 9'इंच लंबाई मे और 5' इंच मोटाई मे था. मेरा जी उसके लंड को मुँह मे लेने को मचल रहा था और में डर भी रही थी क्योंकि मेने आज तक इतने लंबे लंड को नही चूसा था.

उसने मुझे धीरे से सोफे पर लिटा दिया. में आराम से लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी. उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से अंदर घुसा दिया.

मेने कस कर रवि को अपनी बाहों में जाकड़ लिया था. उसके लंड की लंबाई से मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो मेरी चूत को सही मे फाड़ ना दे.

रवि धीरे से अपने लंड को बाहर खींचता और फिर अंदर घुसा देता. मेने अपनी टाँगे उठा कर अपनी छाती से लगा ली जिससे उसको लंड घुसाने में आसानी हो. जब उसका लंड पूरा मेरी चूत मे घुस गया था तो वो रुक गया जिससे मेरी चूत उसके लंड को अड्जस्ट कर सके. मुझे पहली बार लग रहा था कि मेरी चूत भर सी गयी है.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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Post by rajsharma »

रवि ने मेरी आँखों मे झाँका और पूछा, "प्रीति तुम ठीक तो हो ना?"

मेरे मुँह से आवाज़ नही निकली, मेने सिर्फ़ गर्दन हिला कर उसे हां कहा और अपने बदन को थोड़ा हिला कर अड्जस्ट कर लिया. मुझसे अब रहा नही जा रहा था.

"पल्ल्ल्ल्ल्लेआआअसए अब मुज्ज़ज्ज्ज्ज्झे चूऊओदो." मेने धीरे से उससे कहा.

रवि ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिए. पहले तो वो मुझे धीरे धीरे चोद्ता रहा, जब मेरी चूत गीली हो गयी और उसका लंड आसानी से मेरी चूत मे आ जा रहा था अचानक उसने मेरी टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रख ली और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.

उसका हर धक्का पहले धक्के ज़्यादा ताकतवर था. उसकी साँसे तेज हो गयी थी और वो एक हुंकार के साथ अपना लंड मेरी चूत की जड़ों तक डाल देता. अब में भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे रही थी. में भी अपनी मंज़िल के नज़दीक पहुँच रही थी.

"चूऊऊदो राआआआवी आईसस्स्स्स्स्ससे ही हााआअँ ओह मेयरययाया छुउतने वायायेएयेयायायाल हाईईइ." में उखड़ी सांसो के साथ बड़बड़ा रही थी.

"हाआआं प्रीईएटी चूऊऊद डूऊऊ अपनााआ पॅनियीयैयियी मेरे लिईई." कहकर वो ज़ोर ज़ोर से चोदने लग गया.

रवि मुझे जितनी ताक़त से चोद सकता था चोद रहा था और मेरी चूत पानी पर पानी छोड़ रही थी. मेरा शरीर उत्तेजना मे कांप रहा था, मेने अपने नाख़ून उसके कंधों पे गढ़ा दिए. मेरी साँसे संभली भी नही थी की रवि का शरीर अकड़ने लगा.

"ओह प्रीईईटी मेरााआआआ भी चूऊऊथा ओह ये लो." रवि ने एक आखरी धक्का लगाया और अपना वीर्य मेरी चूत मे चोद दिया.

पिचकारी पिचकारी मेरी चूत मे गिर रही थी. जैसे ही हम संभले मेने अपनी टाँगे सीधी कर ली. रवि तक कर मेरे शरीर पर लुढ़क गया, हम दोनो का शरीर पसीने से तर बतर था.

"चलो नहा लेते है." रवि ने मुझे चूमते हुए कहा.

अब मुझे अपने किए हुए पर शरम नही आ रही थी. में नंगी ही उठी और रवि का हाथ पकड़ बाथरूम की ओर बढ़ गयी. हम दोनो गरम पानी के शवर की नीचे खड़े हो अपने बदन को सेकने लगे. हम दोनो एक दूसरे की बदन को सहला रहे थे और एक दूसरे की बदन पर साबुन मल रहे थे. मेने रवि के लंड और उसकी गोलियों पर साबुन लगाना शुरू किया तो उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया.

में उसके मस्ताने लंड को हाथों मे पकड़े सहला रही थी. मुझमे भी फिर से चुदवाने की इच्छा जाग उठी. मैं उसके लंड को अपनी चूत पर रख रगड़ने लगी.

रवि भी अपने आपको रोक नही पाया उसने मुझे बाथरूम की दीवार के सहाहे खड़ा किया और मेरे चुतदो को अपनी ओर खींचते हुए अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया.

उसके हर धक्के के साथ मेरी पीठ दीवार मे धँस जाती. में अपने बदन का बोझ अपनी पीठ पर डाल अपनी चूत को और आगे की ओर कर देती और उसके धक्के का साथ देती. थोड़ी ही देर में हम दोनो का पानी छूट गया.

हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे लिए शवर के नीचे थोड़ी देर खड़े रहे. फिर में उसे अलग हुई तो उसका लंड मुरझा कर मेरी चूत से फिसल कर बाहर आ गया. मेरे मन में तो आया कि में उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले दोनो के मिश्रित पानी का स्वाद चखू पर ये मेने भविष्य के लिए छोड़ दिया.

पूरा दिन हम मज़े करते रहे. कभी हम टीवी देखते तो कभी एक दूसरे को छेड़ते. पूरे दिन हम कई बार चुदाई कर चुके थे. मेने रात के लिए भी रवि को रोक लिया. रात को एक बार फिर हमने जमकर चुदाई की और एक दूसरे की बाहों मे सो गये.

दूसरे दिन मे सो कर उठी तो मन में एक अजीब सी खुशी और शरीर मे एक नशा सा भरा था. मेने रवि की तरफ देखा जो गहरी नींद मे सोया हुआ था. उसका लंबा मोटा लंड इस समय मुरझाया सा था. उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से मे अपने आपको नही रोक पाई.

में उसके बगल मे नंगी बैठी थी. मेरी चूत और निपल दोनो आग मे जल रहा था. मेने अपना हाथ बढ़ाया और रवि के लंड को पकड़ अपने मुँह मे ले लिया. मैं ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी इतने में रवि जाग गया और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, "हााआअँ प्रीईटी चूऊसो ईसीईईई चतत्तटो मेरी लंड को."

उसकी टाँगे अकड़ रही थी और में समझ गयी कि थोड़ी देर की बात है और वो झाड़ जाएगा. कई सालों बाद में किसी मर्द के वीर्य का स्वाद चखने वाली थी. में उसके लंड को चूसने मे इतना मशगूल थी कि कोई कमरे मे दाखिल हुआ है इसका मुझे ध्यान ही नही रहा.

में बिस्तर पर बैठी और झुकी हुई रवि का लंड चूस रही थी कि मेने किसी के हाथों का स्पर्श अपनी जांघों पर महसूस किया. रवि के लंड को बिना मुँह से निकाले मेने अपनी नज़रे उप्पर उठाई तो देखा कि मेरी बहू रश्मि एकदम नंगी मेरी जांघों के बीच झुकी हुई थी.

रश्मि मेरी जाँघो को चूमने लगी और उसके हाथ मेरे कूल्हे और कमर को सहला रहे थे. मैने अपना ध्यान फिर रवि का लंड चूसने मे लगा दिया और इतने में ही रश्मि मेरी चूत को मुँह में भर चूसने लगी.

उसकी जीब ने तो जैसे मेरी चूत की आग को और भड़का दी. में अपने कूल्हे पीछे की ओर कर उसकी जीब का मज़ा लेने लगी. इतने अपनी जीब के साथ रश्मि अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. मेरा शरीर उत्तेजना मे भर गया.

मेने ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूस रही और साथ साथ ही रश्मि के मुँह पर अपनी चूत दबा रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने रश्मि के मुँह पर पानी छोड़ दिया.

अचानक रवि ने मेरे सिर पर हाथ रख उसे अपने लंड पे दबा दिया. उसके लंड को गले तक लेने मे मुझे परेशानी हो रही थी कि उसके लंड ज़ोर की पिचकर छोड़ दी. इतना पानी छूट रहा था की पूरा वीर्य निगलना मेरे बस की बात नही थी. उसका वीर्य मेरे होठों से होता हुआ मेरी चुचियों पर गिर पड़ा.

रश्मि ने आगे बढ़ मेरे चुचियों परे गिरे वीर्य को चाट लिया और मेरी चुचियों को चूसने लगी.

"क्या इनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी नही है?" रश्मि ने मेरे निपल्स को भींचते हुए रवि से पूछा.

रवि के लंड से छूटा वीर्य अभी भी मेरे होठों पे लगा हुआ था. में बिस्तर पर आराम से लेट गयी थी, तभी रवि ने मेरे होठों को चूम कर मुझे चौंका दिया. उसने मेरे होठों को चूस्ते हुए अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी. मैं इतनी उत्तेजित हो गयी कि मुझे लंड लेने की इच्छा होने लगी.

रवि ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से फैला एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना लंड मेरी चूत मे अंदर तक पेल दिया. उसके एक ही धक्के ने मेरी चूत का पानी छुड़ा दिया.

रश्मि मेरे उप्पर आ गयी और मेरे चेहरे के पास बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, मैं डर गयी, "प्लीज़ रश्मि ऐसा मत करो, मेने आज तक ये सब नही किया है." मेने विरोध करते हुए कहा.

"बेवकूफ़ मत बनो. वक्त आ गया है कि तुम ये सब सीख लो. वैसे ही करते जाओ जैसे मेने तुम्हारी चूत चूस्ते वक़्त किया था." रश्मि ने कहा.

"रश्मि अगर तुमने जिस तरह से मेरे लंड को चूसा था उससे आधे तरीके से भी तुम चूत चतोगी तो रश्मि को मज़ा आ जाएगा." रवि ने मेरी चूत मे धक्के लगाते हुए कहा.

मेने अपना सिर थोडा सा उप्पर उठाया और अपनी जीब बाहर निकाल ली. मुझे पता नही था कि चूत कैसे चाती जाती है इसलिए मैं अपनी जीब रश्मि की चूत के चारों और फिराने लगी.

रश्मि की चूत इतनी मुलायम और नाज़ुक थी की में अपने आप को रोक नही पाई और ज़ोर से अपनी जीब चारों तरफ घूमने लगी, रश्मि के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. रश्मि को भी मज़ा आ रहा था.

मुझे खुद पर विश्वास नही हो रहा था, मुझे उसकी चूत का स्वाद इतना अच्छा लगा कि मेने अपनी जीब को एक त्रिकोण का आकर देकर उसकी चूत मे घुसा दी. अब मैं उसकी चूत मे अपनी जीब अंदर बाहर कर रही थी.

रश्मि को भी मज़ा आ रहा था. उसने अपनी जंघे और फैला दी जिससे मेरी जीब को और आसानी हो उसकी चूत के अंदर बाहर होने मे.

जैसे जैसे मे रश्मि की चूत को चूस रही थी मेरी खुद की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. रवि एक जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था. उसका लंड पिस्टन की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उत्तेजना मे मेने अपनी दोनो टाँगे रवि की कमर पे लपेट ली और वो जड़ तक धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगा.

रवि ने एक ज़ोर का धक्का लगा अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ दिया और उसी समय मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. मेरी चूत हम दोनो के पानी से भर गयी थी. मेने नज़रें उठा अपना ध्यान रश्मि की ओर कर दिया.

अब मे अपनी जीब जोरों से उसकी चूत के अंदर बाहर कर रही थी. मेने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने दांतो मे ले काट लेती तो वो मारे उत्तेजना के चीख पड़ती, "ओह काआतो मेरिइई चूओत को ओह हाआअँ घुसााआआअ दो आआपनी जीएब मेर्रर्र्ररर चूऊत मे आआआः आचाा लग रहा है."

रश्मि ने उत्तेजना मे अपनी चूत मेरी मुँह पर और दबा दी और अपनी चूत को और मेरे मुँह मे घुसा देती. मैने उसके कुल्हों को पकड़ और ज़ोर से उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. रश्मि ने अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाते हुए अपना पानी छोड़ दिया. आख़िर वो थक कर मेरे बगल मे लेट गयी.
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