007 wrote:
दो महीने पहले की बात है बहुत खुश था डॉक्टर ने कह दिया था कि बच्चे की डेलिवरी होते ही वाइफ की तबीयत भी ठीक हो जाएगी खुश था मैं घरवाले भी खुश थे सब लोग तैयारिया कर रहे थे एक नन्हे से मेहमान के आने का
बॉस को 15 दिन की छुट्टी के लिए बोल दिया था बस एक दो रोज मे इस्तांबुल से वापिस अपने घर को चले जाना था , दिल मे हज़ारो उमंग थी कि ये करूँगा वो करूँगा आख़िर पहली बार पिता बन ने का सुख ही अलग होता है पर उस उपरवाले से ये देखा ना गया , काम कर रहा था मैं कि मेरा फोन बजा घर का नंबर देखते ही मैं समझ गया था कि खूसखबरी ही होगी पर मुझे क्या पता था कि वो एक मनहूस दिन था जब मेरे कानो ने वो खबर सुनी
बच्चा पेट मे ही मर गया था और निशा भी थोड़ी देर बाद …………….. ………………………………… थोड़ी देर बाद मुझे छोड़ कर इस दुनिया से रुखसत हो ली थी, समझ ही नही आया कि कैसे बोलू , कैसे रिएक्ट करू आसान नही था मेरे लिए खुद को संभालना और सच कहूँ तो संभाल नही पाया जैसे तैसे करके घर आया जिस घर मे कहाँ खुशियो की तैयारिया हो रही थी और अब वहाँ पर मातम पसरा पड़ा था, वाइफ के अंतिम संस्कार के बाद जब उस छोटू को मिट्टी देने के लिए गया तो गड्ढा खोदते हुए मेरे हाथ कांप रहे थे उसको दफ़नाने के पहले उसकी सूरत को देखा मैने उसको अपने सीने से लगाया मैने बिल्कुल मुझ जैसा ही था वो छोटा सा नाज़ुक सा लगता था जैसे की अभी बोल पड़ेगा पर ये भी एक सितम था उसका लोग कहते है कि उपरवाला जो करता है अच्छे के लिए करता है पर सिर्फ़ मैं ही क्यो जो हर बार पे करता है इसका जवाब दे कोई मुझे हर बाज़ी को बस मैं ही क्यो हारता हूँ
Ravi is update ko dhyan se padho