हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma) complete
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)
विकास के मुंह से निकला---"त. . .तू यहां?"
“यस !" हैरी ने बाल्टी एक तरफ' फेक दी…"मैं यहां ।"
विकास ने चारों तरफ देखा-----" काफी बडा कमरा था वह । विजय, अलफांसे और नजमा अलग अलग सोफों पर लेटे थे । विकास समझ गया----" अभी तक बेहोश हैं । केवल उसी को आया और . ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि हैरी ने पानी केवल उसके जिस्म पर डाला था । सारी सिच्चेशन देखने के बाद विकास ने हैरी से अगला सवाल किया----" हम पाकिस्तान में हैं न?”
"यकीनन ।"
'"..म मगर तू यहाँ कैसे पहुच गया?"
"क्यों , विजय अंकल के साथ-साथ क्या तुमने भी यह सोचा या कि हैरी को अगर तुम धोखा देकर आर्मी हॉस्पिटल में छोड आओगे तो वह पूरी जिन्दगी उसी वेड से वंधा रहेगा?”
"तू ज़ख्मी था यार ।"
“मुझे दुख है ।” हैरी ने कहा----" दुख इस बात का नहीं है कि विजय अंकल मुझे वहां छौड़ आए । मुझसे बड़े होने के नाते शायद उन्हें मेरे हित में यहीं लगा मगर तूने........... दुख मुझे इस बात का है विकास कि तूने भी उन्हीं के से अंदाज में सोचा । क्यों छोडकर आया मुझे वंहा? क्या तु नहीं जानता था कि गोलियों के जख्म मेरे लिए कुछ भी नहीं थे?”
उसकी नाराजगी पर विकास मुस्करा उठा । बोलना-" रूका तो तू फिर भी नहीं ।"
"क्या तूने यह सोचा था कि मैं वहाँ बंधा पड़ा रहूंगा?"
"नहीँ । ऐसा नहीं सोचा था मैंने ।" विकास की समझ में सारी सिच्वेशन आ चुकी थी, इसलिए कहता चला गया----" मगर ऐसा भी नहीं सोचा था कि तुम इतनी जल्दी हमे नुसरत-तुगलक की केद से निकाल लाओगे । केसे कर सके यह चमत्कार?"
“मैं वह बाहरी मददगार हूं जिसकी डिंमाड बिजय अंकल ने ट्रांसमीटर पर अपने भाई अजय से की थी ।"
""ओहा !"
" उस वक्त अजय अंकल आर्मी हाँस्पिटल में मेरे पास हीं थे ।
मुझे लगा… 'अगर मैं इस वक्त चूक गया तो हमेशा चूका ही रहूगा ।' सो, अजय अंकल पर हमला किया और उनका लोकट लेकर फरार हो क्या ।
भारत से पाकिस्तान आने के इतने रास्ते हैं कि मुझ जैसे आदमी को बार्डर क्रोस करने में कोई खास दिक्कत नहीं आईं । विजय अंकल बता ही चुके थे कि तुम सब लाहोर स्थित" राउड हाउस" नामक इमारत में कैद हो । मैंने अपने हिसाब से राउड हाउस के बोरे में जानकारियां जुटाई है दिन के समय उसके आसपास भटककर भौगोलिक स्थिति का भी अध्ययन किया !! नतीजा एक ही निकला----धूम-धड़ाके का प्रदर्शन करके तुम लोगों को यहाँ से नहीं निकाला जा सकता । तब. . .मेंने एक प्लान बनाया ।
जिसके परिणामस्वरूप आबू सलेम ने तुम सबको खुद बेहोश करके मेरे हवाले कर दिया ।"
"ऐसा क्या "प्लान बनाया तूने?"
"मैंने अजय अंक्ल के लाँकैट से आबू सलेम के ट्रांसमीटर पर सम्पर्क स्थापित किया । उससे तुगलक की आवाज में बात की । कहा…"हमारे यानी पाकिस्तानी सीक्रेट सर्विस के चीफ कैदियों की , सुरक्षा व्यवस्था चेक करने राउंड हाउस आ रहे हैं । अगर उन्हें कमी लगी तो कैदियों को अपने साथ ले जाकर सीक्रेट सर्बिस के हेडक्वार्टर में रखेंगे ।' उसके बाद मैंने अपने चेहरे पर धोड़ा-सा परिवर्तन किया । फ्रैचकट दाढी और उसी से जुडी मूंछें लगाई । गाल पर एक मस्सा लगाया और काले रंग की एक मर्सडीज लेकर राउंड हाउस पहुच गया - जिसका नम्बर तुगलक की आवाज में पहले ही आबू सलेम को बता चुका था । बेचारा आबू सलेंम । उसने भला सीर्केट सर्बिस के चीफ को कब कहां देखा था । मैंने खुद ही कभी नहीं देखा । नहीं पता कि जिस हुलिए में मैं उसके पास गया था उसका कोई छोटा-मोटा अंश भी सीक्रेट सर्विस के चीफ से मिलता है या नहीं । वह परिवर्तन तो मैंने केवल अपने अमेरिकी फेस को छुपाने के लिए किया था । हमेशा, हरेक पर हावी रहने वाले आबू सलेम की हालत पाकिस्तानी सीक्रेट सर्बिस के चीफ के सामने भीगी बिल्ली से भी कहीं ज्यादा बदतर थी और मुझे भी केवल एक ऐसे बहाने की तलाश थी जिसकी आड़ में तुम्हें वहाँ से' निकाल ला सकू। वह बहाना भी मुझे जल्द ही मिल गया । इस वक्त दावे के साथ कह सक्ता हू-----अगर मैंने वह तरकीब न अपनाई होती जो अपनाई तो जितनी सुरक्षा व्यवस्थाओं के बीच आबू सलेम ने तुम लोगों को रख रखा था उनसे दुनिया की हर कैद को तोडकर निकल जाने का दावा करने वाले अलफांसे अंकल भी पार नहीं पा सकते थे ।"
तुमने वाकई कमाल किया है हैरी डार्लिग ।" वातावरण में विजय की आवाज गूंजी…"धोती को फाड़कर रुमाल कर दिया है !"
" दौनो चौंके ! हैरी ,के मुँह से निकला-----“ओह !! आप होश में आ
चुक हैंं !!!
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'".अ......आप क्या कह रहे हैं सर ! म...... मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है ! "
“तुम्हारी समझ में तब भी कुछ नहीं आ रहा है जब समझने के लिए कुछ रह ही नहीं गया है । गलती हमारी है अाबू मियां । हम ही नहीं समझ सके कि तुम इतने पहुचे हुए कूढ़ मगज हो । अरे जब हम ' कह रहे है कि कल रात हमने तुमसे द्रासमीटर पर केई संपर्क स्थापित नहीं किया तो सीक्रेट सर्विस चीफ का वहां पहुचने का सवाल ही कहां उठता है । तुम दुश्मन के जाल में फंस गए । मिस्टर कूढ़ मगज । अपने हाथों से उन चार कैदियों को दुश्मन के हवाले कर दिया जिनके मेदान में पहूंच जाने का मतलब हे…हमारे सरि मंसूबों पर पानी फिर जाना । हमारा तो मिशन ही मटियामेट कर दिया तुमने । नहीं आबू मियां, ये गलती माफी के योग्य नहीं है । वेसे, उस काली मसंडीज का नम्बर क्या था? या छोडो..... हम वहीं आ रहे हैं । अागे की पूछताछ वहीं करेंगें । बस कुछ देर इंतजार करो ।" कहने के बाद उसके ज़वाब का इंतजार किए बगैर दुसरी तरफ से संबंध विच्छेद कर दिया गया । सिर पर हैड फोन रखे, हाथ में माइक लिए आबू सलेम जहाँ का तहाँ खड़ा रह गया । अब उसके कानों मेँ, बल्कि जेहन तक में केवल और केवल सांय-साय की आवाज गूज रहीं थी । इसके अलावा उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि पिछली रात वह धोखा खा चुका है और उसकी सजा देने के लिए नुसरत तुगलक यहां जा रहे हैं ।
क्या सजा देगे उसे !!!
उनके द्वारा आई एस आई. के चीफ़ को दी गई सजा याद जा गई ।
आई.एस.आई. के चीफ से वह मिला तो नहीं था मगर सुना' था------नुसरत-तुगलक ने उसकी नाक काट ली थी ।
" उफ्फ! "
क्या वे उसके साथ भी बैसा ही कुछ करेगे?
उससे उसके अपने जेहन ने कहा-------शायद उससे ज्यादा । बल्कि पवके तौर पर उससे कई गुना ज्यादा ।' तुगलक ने तो खुद ही कहा.....…मेरा अपराध आई एस आई के चीफ से क्हीं ज्यादा बडा है !
आबू सलेम के सम्पूर्ण जिस्म में झुरझुरी दौड गई ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)
माइक और हैड फोन अलमारी में पटका । ट्रांसमीटर आँफ किया । कांपता हाथ जेब में डाला । सिगरेट का पैकेट और लाइटर निकाला। सिगरेट सुलगाते वक्त वह जूडी के मरीज की मानिन्द कांप रहा था ।
चेहरा पीला पड़ चुका था । आखों में बीरानियों ने डेरा डाल दिया ।
अपनी दुर्गति उसे साफ-साफ नजर जा रही थी ।
नुसरत-तुगलक ने अगर वैसा ही कुछ कर दिया जैसा आई एस आई के चीफ़ के साथ किया था तो क्या करेगा जीकर ??
किस काम की यह जिंदगी? कैसे जाएगा लोगों के सामने? कैसे उन लोगों को अपना बीभत्स चेहरा दिखाएगा जिनके बीच आज तक शान से जिया है ।
किस काम की वह जिंदगी ??
ऐसी जिन्दगी से तो मौत भली ।
मर ही जाना चाहिए उसे ।
सिगरेट फेंककर आबू सलेम मेज की दराज की तरफ बढा । दराज खोली । उसमें मौजूद रिवॉल्वर उठाया। तभी, एक नजर डायरी पर पडी ।
पेन भी उसके बगल में पड़ा था । दूसरे हाथ से उसने उन्हें भी उठा लिया था ।
अब उसके चेहरे पर खौफ के नहीं बल्कि अजीब किस्म की दूढ़ता के भाव थे ।
उसने डायरी खोली । पेन से एक कोरे कागज पर लिखा---" मर्संडीज नम्बर पी, वाइ क्यू .7280 है ।
अपनी जिंदगी की पारी मैंने शान से खेली है और'आउट भी शान से ही हो रहा हूँ ।
बसा इतना लिखकर डायरी उसने दराज के टॉप पर रख दी ।
जूते उतारे ।
वेड पर चढा और गदृदेदार विस्तर पर आराम से लेट गया । सिर तकिए पर था ।
आखें कमरे के लिंटर पर । दाएं हाथ में मौजूद रिवॉल्वर की नाल उसने कनपटी पर रखी ।
" धांय !"
साउंड प्रूफ कमरे में वह आवाज़ घुटकर रह गई ।
"मारकेश हीयर ।" फुसफुसाकर कहे गए ये शब्द जैसे ही विकास के कानों में पड़े, उसके कदम जहाँ के तहाँ जाम होकर रह गए । जिस्म का रोयां-रोयां खड़ा हो गया । झपटकर उसने कान बाथरुम के 'को होल' से सटा दिया ।
आवाज वहीं से आाई थी ।
और. . .वही आवाज एक बार फिर आई----" हैरी ने किया है ये काम । सीक्रेट सर्विस का चीफ बनकर वहीं वहां पहुचा था ।"
"इस वक्त तुम लोग कहां हो?” इस वार दुसरी तरफ की बहुत महीन-सी आवाज भी विकास के कानों से टकराई ।
"लाहोर सिटी से दस किलोमीटर बाहर । पूर्व की तरफ यह एक फार्म हाउस है ।" जिस वक्त यह सब बताया जा रहा था उस वक्त विकास ने अपने कान की जगह आंख "की होल' से सटा दी । यह देखकर विकास रोमांचित हो उठा कि वह अलफांसे था जो अंगूठी रूपी ट्रांसमीटर पर कह रहा था----"हैंरी के मुताबिक यह फार्म हाउस पिछले बीस साल से लाहोर में रह रहे सी.आई.ए. के एजेंट का है ।"'
“इन लोगों का प्लान क्या है?”
विकास ने साफ देखा, बारीक आवाज़ अंगुली से निकल रही थी ।
"आगे की योजना पर अभी कोई खास डिस्कसन नहीं हुआ है ।" अलफांसे के मुंह से विकास साफ-साफ दूसरी आवाज निकलते देख रहा था----"मगर आप चिंता न करें । ये लोग जो भी रणनीति बनाएंगे उसका तोड़ मैं पैदा कर लूंगा । मारकेश न पहले कभी नाकामयाब हुआ है न आगे होगा । हिन्दुस्तानी प्रधानमंत्री को जिस…तरह मारा जाना है " उसी तरह मारा जाएगा ।'"
"हमें तुम पर पूरा यकीन है । मगर समय-समय पर हमें भी रिपोर्ट देते रहना ।" आवाज की टोन से विकास समझ गया कि दूसरी तरफ़ नुसरत है ।
" आप फिक्र न कंरे । मैं अपना काम बखूबी निपटाऊंगा ! "
"ओके ।" दुसरी तरफ से कहा गया…"बेस्ट आँफ लक !"
" थैंक्यू।" कहने के साथ "अलफांसे' ने संबंध विच्छेद कर दिया । उस वक्त वह अंगूठी के नग को दुरुस्त कर रहा था जब विकास ने आंख हटाकर खुद को बहुत तेजी से सीथा खडा किया ।
मारे _गुस्से के इस वक्त उसका बुरा हाल था ।
जिस्म का रोमां-रोयां तना हुआ था !
चेहरा , चेहरा नहीं , लुहार की भटृठी नजर आ रहा था !!!
जेहन में मानो आग लगी हुई थी !!!!
चेहरा, चेहरा नहीं, लुहार की भटठी नजर आ रहा था । जेहन में मानो आग लगी हुई थी ।
उसी समय ।
बाथरूम के अंदर चिटकनी गिरने की अावाज उभरी ।
दरवाजा खुला 'अलफांसे' ने बाहर कदम रखा और. ..बिकास पर नजर पड़ते ही जैसे उस पर बिजली गिर पडी । जैसे "मारकेश हीयर' सुनकर विकास जहाँ का तहां खड़ा रह गया था बैसे ही विकास को सामने देखकर वह जमीन पर चिपका रह गया ।
दोनों की आंखें ' एक-दूसरे की आंखों में गडी जा रही थी । अभी तक दोनों में से किसी ने एक-दुसरे से एक लपज भी नहीं कहा था, परंतु विकास की अवस्था देखकर 'मारकेश' के जेहन में वहुत तेजी से यह ख्याल कौंधा…"बिकास सब कुछ जान चुका ।"
फिर भी, शायद एक चांस लेने के लिए उसने अलफफंसे की आवाज में पूछा…“क्या बात है विकास? तुम. .. ।”
"हरामजादे ।" विकास उसका वाक्य पूरा होने से पहले ही दांत भींचकर गुर्राता हुआ उस पर झपट पड़ा ।
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)
मारकेश को शायद उससे इतने फुर्तीले एक्शन की उम्मीद नहीं थी, इसलिए बच नहीं सका ।
विकास का फौलादी घुंसा उसके चेहरे पर पढा था । एक चीख के साथ वह गैलरी के फर्श पर जा गिरा !! विकास उसके उठने और खुद पर किए जाने वाले हमले का ज़वाब देने के लिए पूरी तरह तैयार था पर मारकेश ने जो हरक्त की उसकी उसे विल्कुल भी उम्मीद नहीं थी ! इसलिए पल भर के लिए तो बौखलाकर रह गया ।
फर्श से उठते ही मारकेश ने पहले विकास के विपरीत दिशा में जम्प लगाई, फिर दौडता चला गया ।
यह समझ में अाते ही विकास ने जेब से रिवॉत्वर निकाल लिया कि यह टकराने की जगह भागने की कोशिश कर रहा है । भागते हुए मारकेश पर रिवाल्वर तानकर वह चीखा…" रूक जाओं वरना मैं गोली मार दूंगा ।"
मगर मारकेश ने रूकने की कोई कोशिश नहीं की । उस वक्त वह गेलरी से फार्म हाउस के फ्रंट लान में खुलने वाली खिड़की से बाहर जम्प लगा रहा था !जब विकास ने ट्रिगर दबा दिया ।
"धांय ।" गोली चलने की अावाज दूर-दूर तक गूंज गई !!!!
गोली की आवाज सुनते ही फार्म हाउस के लान में "धूप स्नान' कर रहे विजय, हैरी और नजमा उछल पड़े । वे घास पर प्लास्टिक की एक गोल टेबल डाले उसके तीन तरफ पडी कुर्सियों पर बैठे वे ।
अभी ठीक से कुछ समझ भी नहीं पाए थे कि इमारत की तरफ से दोड़ता-हांफ्ता अलफांसे अाता नजर आया । वह लंगड़ा रहा था । दाई टांग की पिंडली से बहता खून किसी की नजरों से छुप नहीं सका ।
"म......मुझे बचा लो । मुझे बचा लो झकझक्रिए!" चीख के साथ वह लोहे वाले गेट की तरफ भागा ।
विजय ने पूरा-'" पर हुआ क्या लूमड़?"
"ये क्राइपर अंक्ल नहीं गुरु, मारकेश है । मारकेश है !!! चीखता हुआ विकास सामने अाया ।
उसी समय 'मारकैश' ने पलटकर विकास पर गोली चलाईं !
विकास ने छलावे की तरह खुद को हवा में उछालकर गोली से वचाया । विकास के रहस्योंदृघाटन ने एक पल के लिए तो जैसे विजय, हैरी और - नजमा को अवाक ही कर दिया था । लंगेड़ाता हुआ मारकेश उस वक्त तेजी से लोहे बाले गेट की तरफ बढ रहा था जब हैरी ने अपनी जेब से रिवॉल्वर निकालकर फायर झोंक दिया ।
यह गोली मारकेश की दूसरी टांग में लगी ।
एक चीख के साथ वह त्यौराकर गिरा । दांतों पर दांत जमाए हैरी 'मारकेश' पर गोलियों की बौछार करने ही वाला था कि विजय चीख पड़ा-,"नहीं हैरी, उसे मारना मत ।"
"ऐसे ही हरामजार्दो ने वर्ल्ड हैड सेटर को धराशायी किया है । इसी के कुत्ते साथियों ने पेंटागन को नुकसान पहुचाया है । इन्ही के कारण हजारों अमेरिकी मारे गए हैं । मैं इसे जिंदा नहीं छोडूंगा अंकल । छोड दो मुझे !
" बेवकूफी मत करे लडके ! " विजय उसके हाथ से रिवाल्वर छीनता हुआ बोला-----" अभी हमें उससे बहुत से सवालों के ज़वाब चाहिए ।"
उधर दोनो टांगे जख्मी होने के बावजूद मारकेश ने एक बार फिर उठकर भागने की कोशिश की मगर----
" धांय ।" विकास के रिवाल्वर से निकल शोला उसकी पीठ में घंस गया ।
इस बार मुंह के बल घास पर गिरा !
"क्या कर रहा है दिलजले ?" विजय एक बार फिर चीखा----" सुना नहीं तूने? मैंने कहा-----उसे मारना नहीं है ।" विकास की आग उगलती आंखे अभी भी घास पर पड़े कराह रहे मारकेश पर स्थिर थी । बडी मुश्किल से उंसने खुद को सीधा किया । उसके दाएं हाथ में अभी भी रिवॉल्वर था । विजय ने हैरी से छीना गया रिबॉंत्त्वर उस पर तानते हुए कहा----" रिवॉल्बर फेक दो मारकेश प्यारे । अब वह तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाएगा । मेरे दोनों लड़के खाल में भूसा भर देंगे तुम्हारी ।"
"हरामजादे! कुत्ते ।" जरा-सा मौका मिलते ही हैरी मारकेश पर यू झपट पड़ा जैसे नाग अपनी नागिन के हत्यारे पर झपटा हो । इस बात की उसने जरा भी परवाह नहीं की कि वह निहत्या है और मारकेश के हाथ में रिवॉल्वर है । मगर, अभी यह उसके नजदीक नहीं पहुच पाया था कि मारकेश ने अपना रिवॉल्वर अपने मस्तक के बीचों वीच रखा और..........
"घाय ।"
उसके मरने की यह आवाज मुकम्मल फार्म हाउस में गूंजती चली गई !!
और फिर ऐसा सन्नाटा पसर गया वहाँ जैसा श्मशान में किसी शव के अंतिम-संस्कार के वक्त होता है ।
वैसे भी, अब वह जगह श्मशान के अलावा और रह भी क्या गई थी । विजय, विकास, हैरी और नजमा ससन्नाए से अपने-अपने स्थान पर खड़े मारकेश की फटी हुई खोपडी और गोली से वने सुराख से भल्ल भल्ल करके वह रहे गर्म लहू को देखते रह गए थे ।
उस माहौल से उबरकर सबसे पहला सवाल विजय ने ही किया-----"दिलजले तुझे पता कैसे लगा कि यह लूमड़ नहीं, मारकेश है?”
मगर, न विकास ने जवाब दिया…-न ज़वाब देने की ज़रूरत समझी । अभी तक पुरी तरह भन्ना रहा था वह । उसी भन्नाई हुई अवस्था में अागे बढा,। मारकेश की लाश के नजदीक पहुचा । मस्तक में गोली लाने के कारण "फेसमास्क' के सिर चुढ़मुड़ा्कर ऊपर उठ गए थे । उसने उन्हीं में से एक सिरा पकड़ा और झटके से फेस मास्क नोच लिया ।
विकास ने यहीं बस नहीं कर दी । उसने मारकेश की उंगली से मोटे नग बाली अंगूठी निकाली । नग अलग किया और "रिडायल' वाला स्विच दबा दिया !!!!!!!
कुछ देर बाद दूसरी तरफ से आवाज उभरी -----" यस !! "
विकास पहचान गया । आवाज तुगलक की थी । खुद पर काबू नहीं रख सका वह । गुरोंया ----" मैं बोल रहा हूं कुतों तुम सबका बाप ।"
"ले नुसरत भैया । तू ही बात कर ।" तुगलक की आवाज उभरी----"तुझे ही बचपन से तलाश है अपने बाप की । अनाथ जो ठहरा । खुश होने का वक्त आ क्या है तेरे लिए। बैठे…बिठाए बाप जो मिल गया ।"
अगले पल ट्रासंमीटर पर नुसरत की आवाज उभरी ---"अस्सलम वालेकुम अब्बा जान ।"
'विकास बोल रहा हूं कुत्तों । तुम्हारा मारकेश नामक प्यादा मारा गया ।"
"क...क्या?" इस खबर ने मानो बिजली गिरा दी थी ।
विकास ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि विजय ने लपककर अंगूठी उसके हाथ से लेते हुए कहा-----"मैं बात करता हू दिलजले। उनसे बात ठंड़े दिमाग से की जानी चाहिए ! "
दूसरी तरफ अब भी सन्नाटा छाया हुआ था !
विजय ने कहा----'"दिलजले ने तुम्हें "शुभ समाचार' सुनाया है !!नुसरत मियां , सांप से नहीं सुंघाया ।"
"ओंह !" नुसरत की आवाज-"यानी कमान अब बड़े मियां ने संभाल ली है । मगर मियां, ये छोटे मियां फरमा क्या रहै हैं? हमारी समझ में कुछ नहीं आया । मारकेश कौन न था जो मारा गया?"
विजय के होंठोॉ पर मुसकान दैड़ गई-----"तो तुम मारकेश को नहीँ जानते?"
" कसम से बड़े मियां ! यह नामुराद नाम हमने कभी नहीं सुना !! हम तो सोच भी नहीं सकते कि कोई समझदार मां बार अपनी औलाद का ऐसा नामुराद नाम रख सकते हैं !! नुसरत मारकेश की मौत के सदमे से उभर चुका था ----" वैसे वह था कौन जिसकी मौत पर छोटे मियां बल्लियों उछल रहे थे !!! इतने ज्यादा खुश हैं कि ट्रांसमीटर पर हमसे संबंध स्थापित करके उसकी मौत की खबर दे...... ।”
" यही !" विजय उसकी बात काट कर कह उठा ---" तुम्हें यही कहना चाहिए !"
" मारकेश वह था जिसके बूते पर तुमने हमारे प्राधान मंत्री की हत्या का षडृयंत्र रचा था !"
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)
ये तो अाप हम पर तोहमत लगा रहें हैं बड़े मियां । सरासर , तोहमत है । भला हम क्यों हिन्दुस्तानी प्रधानमंत्री की हत्या का षडूयंत्र रचेंगें !! वह भी उनकी पाकिस्तान यात्रा के दरम्यान । इससे तो विश्व समुदाय के सामने पाकिस्तान के आंख, कान, नाक सब कट जाएंगे । बल्कि पाकिस्तान यात्रा के दरम्यान तो उनकी हिफाजत करना हमारो डूयूटी है । चौलीस घंटे हम उसी डूयूटी में लगे हैं ।”
"नहीं नुसरत मियां । तुम्हारी आवाज इधर टेप नहीं की जा रही है । जिस खौफ़ से तुम यह भाषा बोल रहे हो उसे हम खूब समझ रहे हैं । घबराओ मत । हम इतने कमजोर नहीं है कि तुम्हारी आवाज के टेप के बेस पर हम विश्व समुदाय के सामने यह सावित करने की कोशिश करें कि तुम मारकेश के जरिए हमारे प्रधानमंत्री की हत्या कराना चाहते थे । अपनी लडाई हम खुद लड़ते हैं और वह लड़नी हमें अच्छी तरह अाती है । हम जानते हैं-कम से कम इस वार्ता में तुम अपने मुंह से कोई कच्ची बात नहीं निकालोगे । मगर, सच्चाई तुम भी जानते हो और हम भी । तुमने मारकेश के कंधे पर बंदूक रख साजिश रची, हमने वह कंघा ही दुनिया से गायब कर दिया ।"
"हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा की मियां, अाप कह क्या रहे हैं"!!
"समझने की कोशिश मत करों प्यारे, केवल वह सुनो जो मैं फरमा रहा हूं ! ” विजय का लहजा सख्त होता चला क्या…"मैं अपने चीफ़ से कहकर अाया था…-जब तक मेरी तरफ से ग्रीन सिग्नल न मिले तब तक प्रधानमंत्री को पाकिस्तान न भेजा जाए । आखिरी मौके पर भी यह दौरा रदृद करना पडे तो कर दिया जाए।
ऐसा मैं यह सोचकर कहकर अाया था कि मारकेश के जीवित रहते सचमुच उनका पाकिस्तान आगमन खतरों से भरा होता । खासतौर पर इन हालात में कि तुम जैसे पाकिस्तानी जासूस साजिश में शामिल थे, अब मगर हालात बदल गए हैं । हमने वह कामयाबी हासिल कर ली है जो चाहते थे, जिसके लिए तुम्हारे इस नामुराद देश में आए थे और अब......मैं तुम्हे चुनौती दे रहा हू । तुमसे वार्ता के तुरंत बाद मैं अपने चीफ को ग्रीन सिग्नल दुंगा । हमारे प्रधानमंत्री तुम्हारे देश में अाएंगे ।
. अपना दैरा पूरा करेंगे हम तुम्हारी साजिशों को चीरते हुए उन्हें सुरक्षित भारत ले जाएंगे ।" कहने के बाद उसने नुसरत का जवाब सुने बगैर कनेक्शन आफ कर दिया !
“अब जाकर ऊंट अाया है पहाड़ के नीचे !" ट्रांसमीटर आफ करते हुए नुसरत ने कहा ।
तुगलक बोला…-"मगर ऊंठ को अभी पता नहीं लगा कि वह पहाड के नीचे आ चुका है ।"
"लग जाएगा । पता भी लग जाएगा । तव पता लगेगा जब पहाड उसके उपर गिर पड़ेगा । उसके नीचे दबने के बाद चाऊं-चाऊं करता रह जाएगा बेचारा ।"
"मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा कि आप बाते क्या कर रहे है ?" उस शख्स ने कहा जिसके जिस्म पर पुलिस कप्तान की वर्दी थी । लाहोर पुलिस का कप्तान था वह जो कहता चला गया----"उन्होंने मारकेश को मार डाला । उसे, जो मेन हिटर था और अाप खुश हो रहे हैं ।"
"बात ही खुश होने की है कप्तान साहब । कदम-कदम पर वही हुआ है जो हमने चाहा ।"
" मतलब?"
" वो शख्स जिसका नाम विजय हैं। सारी दुनिया विजय दी ग्रेट यूं ही नहीं कहती उसे । वह किसी छोटी-मोटी साजिश के झांसे में नहीं आ सकता था, इसलिए साजिश काफी लंबी रचनी पडी । ऐसी, जिसके कदम-कदम पर वह केवल और केवल वहीं सोचे जो हम सुचवाना चाहते हैं ।"
"नेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा अाप क्या कह रहे है?"
"बस यूं समझो कि मारकेश अभी मरा नहीं है ।"
"क्.......क्या?_” कप्तान यूं उछल पड़ा जेसे कुर्सी अचानक गर्म तवे में बदल गई हो !!
"बैठे रहो मियां । आराम से बैठे रहो ।" तुगलक ने कहा--"फुदकने से कुछ नहीं होगा ।”
"म.......मगर !" कप्तान की हैरत कम होकर नहीं दे रही यी…"आपने खुद ही तो बताया था कि मारकेश को आपने अलफांसे बनाकर उनके बीच घुसेड़ दिया है । उन्होंने उसे मार डाला और अब आप कह रहें हैं कि............!"
"हम जो कह रहे हैं ठीक कह रहे हैं वल्कि हम जो कहते हैं , हमेशा टीक ही कहते है ।" नुसरत कहता चला गया…"बह शख्स जो अतफांसे बनकर उनके बीच घुसा मारकेश नहीं बल्कि अत्माघाती दस्ते का एक मेम्बर था !!!!
उसे काम ही खुद को मारकेश साबित करते हुए अपनी जान गंवाने का सौपा गया था। उसने जान-वूझक्रर हमसे ट्रांसमीटर पर की गई अपनी वार्ता विकास को सुनाईं ताकि उन्है पता लग जाए कि वह मारकेश है और अंतत: उनके हाथों मारा जाए या आत्महत्या कर ले ।"
"म. . अगर, यूं अत्मास्ती दस्ते के एक शख्स को गंवाने का फायदा क्या हुआ ।"
"कुछ देर पहले विजय बी ग्रेट ने जो कुछ कहा उसे शायद आपने कान लगाकर नहीं सुना कप्तान साहब । उसने कहा----बह अपने चीफ से कहकर अाया था कि उसका ग्रीन सिग्नल न मिले तो प्रधानमंत्री का पाकिस्तान दीरा रदृद कर दिया जाए । जब प्रधानमंत्री यहाँ आते ही नहीं तो हम किसकी पूंछ उखाड़ते ? अत: मारकेश के आत्मघाती दस्ते के एक मेम्बर की बलि अत्यंत अावश्यक हो गई बी । ताकि विजय दी ग्रेट इस खुशफहमी के शिकार हो जाएं कि उन्होंने मारकेश को लुढ़का दिया है । तभी तो वे अपने चीफ़ को ग्रीन सिग्नल देते ।"
"यहीं हुआ ।" बोला----"आपने सुना, उन्होंने फरमाया-अब वे चीफ को ग्रीन सिग्नल देगे ।”
हैरान कप्तान के मुह से निक्ला-----कमाल की ट्रिक इस्तेमाल की है आपने ।"
"हम समझ गए । बात अब जाकर तुम्हारी समझ में आाई है ।"
"म. . .मगर. . .अब सवाल ये उठता है ---;असली मारकेश कहां है?
कम से कम तुरंत दोनों ने जवाब नहीं दिया । एक पल एक-दूसरे की तरफ देखने में गंवाया फिर नुसरत ने तुक्लक से पूछा--"बता दूं !"
"इन्हें तो बताना ही पड़ेगा । कप्तान ठहरे लाहौर पुलिस के । स्टेडियम में जहां गुल गपाड़ा होना है कमान इन्हें ही संभालनी है । इन्हें ही पता नहीं लगेगा कि गुल गपाड़ा हो क्या रहा है तो भला अपने हिस्से का 'एक्शन' कैसे ठीक से कर पायेगें ।"
"मेरे ख्याल से इन्हे बताया न जाए वल्कि दुनिया का सबसे बेहतरीन नजारा दिखा ही दिया जाए ।"
" मेरा ख्याल भी ऐसा ही है ।"
"'तो चलो?" कुर्सी उठाते हुए'तुगलक ने कहा-----"अाइए कप्तान साहव ।"
" कहां ? " कहता हुआ वह खडा हो गया !
"ज्यादा दूर नहीं, पाताल तक चलना है ।" कहने के बाद वे जिस कक्ष में बैठे थे उसके बाथरूम में पहुच गए । उस वक्त कप्तान के चेहरे पर हैरानी के भाव थे जब उन्होंने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद किया और उस वक्त तो उसके मुंह से 'अरे’ ही निकल पड़ा जब नुसरत ने एक बटन दबाया और समूचा बाथरूम लिपट की मानिन्द जमीन में धंसने लगा ।
"नहीं नुसरत मियां । तुम्हारी आवाज इधर टेप नहीं की जा रही है । जिस खौफ़ से तुम यह भाषा बोल रहे हो उसे हम खूब समझ रहे हैं । घबराओ मत । हम इतने कमजोर नहीं है कि तुम्हारी आवाज के टेप के बेस पर हम विश्व समुदाय के सामने यह सावित करने की कोशिश करें कि तुम मारकेश के जरिए हमारे प्रधानमंत्री की हत्या कराना चाहते थे । अपनी लडाई हम खुद लड़ते हैं और वह लड़नी हमें अच्छी तरह अाती है । हम जानते हैं-कम से कम इस वार्ता में तुम अपने मुंह से कोई कच्ची बात नहीं निकालोगे । मगर, सच्चाई तुम भी जानते हो और हम भी । तुमने मारकेश के कंधे पर बंदूक रख साजिश रची, हमने वह कंघा ही दुनिया से गायब कर दिया ।"
"हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा की मियां, अाप कह क्या रहे हैं"!!
"समझने की कोशिश मत करों प्यारे, केवल वह सुनो जो मैं फरमा रहा हूं ! ” विजय का लहजा सख्त होता चला क्या…"मैं अपने चीफ़ से कहकर अाया था…-जब तक मेरी तरफ से ग्रीन सिग्नल न मिले तब तक प्रधानमंत्री को पाकिस्तान न भेजा जाए । आखिरी मौके पर भी यह दौरा रदृद करना पडे तो कर दिया जाए।
ऐसा मैं यह सोचकर कहकर अाया था कि मारकेश के जीवित रहते सचमुच उनका पाकिस्तान आगमन खतरों से भरा होता । खासतौर पर इन हालात में कि तुम जैसे पाकिस्तानी जासूस साजिश में शामिल थे, अब मगर हालात बदल गए हैं । हमने वह कामयाबी हासिल कर ली है जो चाहते थे, जिसके लिए तुम्हारे इस नामुराद देश में आए थे और अब......मैं तुम्हे चुनौती दे रहा हू । तुमसे वार्ता के तुरंत बाद मैं अपने चीफ को ग्रीन सिग्नल दुंगा । हमारे प्रधानमंत्री तुम्हारे देश में अाएंगे ।
. अपना दैरा पूरा करेंगे हम तुम्हारी साजिशों को चीरते हुए उन्हें सुरक्षित भारत ले जाएंगे ।" कहने के बाद उसने नुसरत का जवाब सुने बगैर कनेक्शन आफ कर दिया !
“अब जाकर ऊंट अाया है पहाड़ के नीचे !" ट्रांसमीटर आफ करते हुए नुसरत ने कहा ।
तुगलक बोला…-"मगर ऊंठ को अभी पता नहीं लगा कि वह पहाड के नीचे आ चुका है ।"
"लग जाएगा । पता भी लग जाएगा । तव पता लगेगा जब पहाड उसके उपर गिर पड़ेगा । उसके नीचे दबने के बाद चाऊं-चाऊं करता रह जाएगा बेचारा ।"
"मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा कि आप बाते क्या कर रहे है ?" उस शख्स ने कहा जिसके जिस्म पर पुलिस कप्तान की वर्दी थी । लाहोर पुलिस का कप्तान था वह जो कहता चला गया----"उन्होंने मारकेश को मार डाला । उसे, जो मेन हिटर था और अाप खुश हो रहे हैं ।"
"बात ही खुश होने की है कप्तान साहब । कदम-कदम पर वही हुआ है जो हमने चाहा ।"
" मतलब?"
" वो शख्स जिसका नाम विजय हैं। सारी दुनिया विजय दी ग्रेट यूं ही नहीं कहती उसे । वह किसी छोटी-मोटी साजिश के झांसे में नहीं आ सकता था, इसलिए साजिश काफी लंबी रचनी पडी । ऐसी, जिसके कदम-कदम पर वह केवल और केवल वहीं सोचे जो हम सुचवाना चाहते हैं ।"
"नेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा अाप क्या कह रहे है?"
"बस यूं समझो कि मारकेश अभी मरा नहीं है ।"
"क्.......क्या?_” कप्तान यूं उछल पड़ा जेसे कुर्सी अचानक गर्म तवे में बदल गई हो !!
"बैठे रहो मियां । आराम से बैठे रहो ।" तुगलक ने कहा--"फुदकने से कुछ नहीं होगा ।”
"म.......मगर !" कप्तान की हैरत कम होकर नहीं दे रही यी…"आपने खुद ही तो बताया था कि मारकेश को आपने अलफांसे बनाकर उनके बीच घुसेड़ दिया है । उन्होंने उसे मार डाला और अब आप कह रहें हैं कि............!"
"हम जो कह रहे हैं ठीक कह रहे हैं वल्कि हम जो कहते हैं , हमेशा टीक ही कहते है ।" नुसरत कहता चला गया…"बह शख्स जो अतफांसे बनकर उनके बीच घुसा मारकेश नहीं बल्कि अत्माघाती दस्ते का एक मेम्बर था !!!!
उसे काम ही खुद को मारकेश साबित करते हुए अपनी जान गंवाने का सौपा गया था। उसने जान-वूझक्रर हमसे ट्रांसमीटर पर की गई अपनी वार्ता विकास को सुनाईं ताकि उन्है पता लग जाए कि वह मारकेश है और अंतत: उनके हाथों मारा जाए या आत्महत्या कर ले ।"
"म. . अगर, यूं अत्मास्ती दस्ते के एक शख्स को गंवाने का फायदा क्या हुआ ।"
"कुछ देर पहले विजय बी ग्रेट ने जो कुछ कहा उसे शायद आपने कान लगाकर नहीं सुना कप्तान साहब । उसने कहा----बह अपने चीफ से कहकर अाया था कि उसका ग्रीन सिग्नल न मिले तो प्रधानमंत्री का पाकिस्तान दीरा रदृद कर दिया जाए । जब प्रधानमंत्री यहाँ आते ही नहीं तो हम किसकी पूंछ उखाड़ते ? अत: मारकेश के आत्मघाती दस्ते के एक मेम्बर की बलि अत्यंत अावश्यक हो गई बी । ताकि विजय दी ग्रेट इस खुशफहमी के शिकार हो जाएं कि उन्होंने मारकेश को लुढ़का दिया है । तभी तो वे अपने चीफ़ को ग्रीन सिग्नल देते ।"
"यहीं हुआ ।" बोला----"आपने सुना, उन्होंने फरमाया-अब वे चीफ को ग्रीन सिग्नल देगे ।”
हैरान कप्तान के मुह से निक्ला-----कमाल की ट्रिक इस्तेमाल की है आपने ।"
"हम समझ गए । बात अब जाकर तुम्हारी समझ में आाई है ।"
"म. . .मगर. . .अब सवाल ये उठता है ---;असली मारकेश कहां है?
कम से कम तुरंत दोनों ने जवाब नहीं दिया । एक पल एक-दूसरे की तरफ देखने में गंवाया फिर नुसरत ने तुक्लक से पूछा--"बता दूं !"
"इन्हें तो बताना ही पड़ेगा । कप्तान ठहरे लाहौर पुलिस के । स्टेडियम में जहां गुल गपाड़ा होना है कमान इन्हें ही संभालनी है । इन्हें ही पता नहीं लगेगा कि गुल गपाड़ा हो क्या रहा है तो भला अपने हिस्से का 'एक्शन' कैसे ठीक से कर पायेगें ।"
"मेरे ख्याल से इन्हे बताया न जाए वल्कि दुनिया का सबसे बेहतरीन नजारा दिखा ही दिया जाए ।"
" मेरा ख्याल भी ऐसा ही है ।"
"'तो चलो?" कुर्सी उठाते हुए'तुगलक ने कहा-----"अाइए कप्तान साहव ।"
" कहां ? " कहता हुआ वह खडा हो गया !
"ज्यादा दूर नहीं, पाताल तक चलना है ।" कहने के बाद वे जिस कक्ष में बैठे थे उसके बाथरूम में पहुच गए । उस वक्त कप्तान के चेहरे पर हैरानी के भाव थे जब उन्होंने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद किया और उस वक्त तो उसके मुंह से 'अरे’ ही निकल पड़ा जब नुसरत ने एक बटन दबाया और समूचा बाथरूम लिपट की मानिन्द जमीन में धंसने लगा ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)
करीब दस मिनट के सफ़र के बाद लिपट रुकी । दरवाजा । कई गैल्लरियां पार करने के बाद वे पारदर्शी कांच के बने एक कमरे के नजदीक पहुचे । दस बाई दस के कमरे की चारों दीवारें ही नहीं छत और फर्श भी कांच के थे । एक शख्स का जिस्म गेस के गुब्बारे की तरह उस कांच के कमरे की हबा में भटकता-सा उड़ रहा था । कभी वह कमरे की छत से जा टकराता तो कभी दीवार से टकराकर गदृदा-सा खाने के बाद पुन: हवा में उडने लगता ।
"कप्तान साहब । "' तुगलक ने कहा…"आपने जरूर सुना होगा…पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति जहाँ खत्म होती है, वहां के बाद के हिस्से को स्पेस कहा जाता है !! अगर कोई शख्स वहाँ फंस जाए तो अपने जिस्म के किसी भी अंग पर उसका कोई अंकुश नहीं रह जाता । . वातावरण में उड़ते रुई के छोटे से जर्रे से भी कम वजन रह जाता है उसमें । न भूख लगतीं है न प्यास । बस यूंही गैेस के गुब्बारे की तरह स्पेस में उड़ता फिरता रहता है ।"'
"हमारे वैज्ञानिकों ने कांच के इस कमरे में स्पेस जैसा वातावरण तैयार कर दिया है ।" नुसरत ने बात आगे बढाई…"हमारे अाला दिमाग में ख्याल आया-----" अगर किसी शख्स को इसमे डाल दिया जाए तो पूरे जीवन गैस का गुब्बारा बनकर वेचारा भटक्ता ही रहे ।"
"जब अपनी मर्जी से हाथ-पेैर हिला ही नहीं सकता तो निकलेगा कैसे?" नुसरत ने कहा ।
" हमने सोचा----किसी शख्स के लिए इससे बेहतर कैद नहीं हो सकती ।" नुसरत बोला----" किसी पहरेदार की जरुरत, न किसी किस्म की निगरानी की अावश्यकता ।"
"'यानी, न हींग लगे, न फिटकरी । रंग चीखा ही चोखा ।'"
"तो क्या मारकेश को आपने यहाँ कैद कर रखा है?”
"रहोगे तो घीवट के धीवट ही कप्तान साहब । भला मारकेश को हम इस कैद में क्यों रखने लगे ।"
"फिर कौन है ये?"
'दिखाते है ।" कहने के साथ नुसरत ने अपनी जेब से एक रिमोट निकाला । उसका एक बटन दबाते ही कांच के कमरे की इस तरफ ‘ वाली दीवार में चार बाई चार का एक मोखला खुल गया । मोखले का खुलना था कि कांच के कमरे में तेर रहे शख्स का जिस्म सीधा होकर तीर की तरह मोखले की तरफ लपका । तुगलक चीखा…“आँफ कर । आँफ़ कर वरना वह फुटबाल की तरह यहां आ गिरेगा ।"
नुसरत ने तेजी से रिमोट का दूसरा बटन दबाया । पलक झपकते ही मोखला बंद सा हो गया ओर............... उसकी तरफ़ बढ रहा जिस्म कांच से टकराया।
टकराने के बाद वह पुन: पूर्व की भांति कांच के कमरे की हवा में तैरने लगा था मगर इस बीच कप्तान उसका जिस्म सीधा होजीने के कारण उसकी शक्ल देख चुका था । शकल देखकर उसके चेहरे पर चौंकने के भाव उभरे थे इससे पूर्व वह कुछ बोल पाता नुसरत ने कहा'-“मोखता खुलते ही पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने अपना काम शुरू कर दिया था, इसलिए वह गोखले की तरफ़ खिंचा चला.....… आया।"
"म.. मगर ।" कप्तान ने कहा"--"‘व...वह तो हैरी है ।"
"हमारा सबसे बड़ा बैरी है ।"
"यदि हैरी यहाँ है तो वह उनके बीच कौन है?"
"मारकेश ।" तुगलक बोला ।
नुसरत ने कही-----"शुद्ध मारकेश ।"
च . .लेकिन वह तो आई.एस.आई. के चार्ज में आजाद कश्मीर में कैद था और उसके वहाँ से निकल जाने के दंड स्वरूप आपने आई. एस आई के चीफ की नाक तक काट ली थी ।"
“करना पड़ता है मियां । कभी-कभी ऐसा भी करना पडता है ।" तुगलक ने कहा ।
नुसरत बोला----"कभी-कभी नही बल्कि शतरंज के खेल में ऐसा अक्सर करना पड़ता है । सामने वाले को मात देने के लिए अपने मोहरे खुद पिटवाने पडते हैं । इस खेल में फतह ही उसकी होती है, जिसमें अपने मोहरे पिटवाने की कूबत हो !!! आई.ऐस.आई चीफ रहा हो या आवू सलेम । हमारे लिए उनकी हैसियत शतरंज की बिसात पर प्यादों से ज्यादा नहीं थी ! दुश्मन को मात देने के लिये हमने उन्हें खुद पिटवाया ! "
“एक बार फिर मेरी समझ में आपकी बाते नहीं आ रही हैं ।"
"याद रखो…पहले भी कह चुका हूं । विजय को विजय दी ग्रेट यूं ही नहीं कहा जाता । उसे चकमा देने के लिए पापड नहीं बल्कि हलवे वाला पराठा बेलने की जरुरत थी ।"
"वही हमने बेला ।" तुगलक ने नुसरत के सुर में सुर मिलाया----" हैरी मियां को न्यूयांर्क से उठाकर इस कमरे में डाला । मारकेश को हैरी बनाकर आई-एस-अाई के चीफ के हवाले कर दिया । प्लान के मुताबिक उसे यहाँ से फरार होकर भारत, विजय-विकस के पास पहुंचाना था और उनका विश्वास जीतने के लिए वहीं सब कहना और करना था जो उसने कहा और किया । हमने उससे काफी कहा----हम तुम्हारे लिए ऐसे प्लान क्रियेट करेगे ताकि तुम आराम से अाई.एस.अाई की कैद से फरार होकर भारत पहुचों । मगर मानना पडेगा-मारकेश एक जीवट किस्म का शख्स है । उसने कहा-नहीं, इस काम में अाप मेरी मदद बिल्कुल नहीं करेंगें। इतनी कूवत मुझमें है कि अपने बूते पर चाहे जैसी कैद से फरार होकर लक्ष्य तक पहुंच संकू । हैरी का उन तक पहुचना स्वाभाविक भी तभी लगेगा । इस प्लान के तहत अाई-एस-आई के चीफ को बिल्कुल नहीं बताया जाएगा कि उसकी कैद में नकली हैरी है । मारकेश सचमुच अपने बूते पर वहां से आर्मी हास्पिटल पहुचा’।"
" म.......मगर अाप तो जानते थे कि वह मारकेश है, हैरी नहीं । फिर "बेचारे आई-एस-आई. के चीफ़ की नाक......... ।"
‘बिजय दी ग्रेट को पूरी तरह फंसाने के लिए वैसा करना पड़ा ।"
"क्या मतलब?"
"बता चुके हैं---आई-एस-आई के चीफ की हैसियत हमारे लिए प्यादे से ज्यादा नहीं थी । प्यादे की नाक काटने का प्रचार हमने इतने जोर-शोर से किया कि खबर विजय-विकास के कानों तक पहुच जाए । लक्ष्य एक ही था । अपने पास पहुंचे हैरी पर उन्हें थोड़ा-बहुत शक हो भी तो उस पर धूल पड़ जाए ।सोचें …हैरी में अगर कोई खोट होता तो उसके फरार होने के जुर्म में आई-एस-आई. के चीफ़ को अपनी नाक क्यों गंवानी पड़ती ।"
"दुर्भाग्य से आर्मी हास्पिटल तक पहुचते पहुचते मारकेश को दो गोलियां लग गई थी जिसकी वजह से विजय-विकास उसे भारत ही में छोड़कर पाकिस्तान आ गए थे । वहां से वह विजय के भाई का ट्रांसमीटर छीनकर फरार| हुआ । फरार होते ही उसने हमसे सम्पर्क किया फिर, हमारी मदद से ही उसेने विजय-विकास, नजमा और अलफांसे को आबू सलेम की कैद से निकाला। मदद हमने उसकी केवल इतनी की थी कि ट्रांसमीटर पर आबू सलेम से हमने कहा…"हमारे चीफ सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने आ रहे है ।' बाद में जब आबू सलेम ने हमसे कहा…ट्रांसमीटर पर हम ही ने उससे बात की थी हम साफ मुकर गए । बेचारा नाक कटने के डर से खुद ही अपनी इंहलीला समाप्त कर बैठा ।"
" अब कहो, कैसा रहा हमारा चक्करदार चक्कर?"
"चवकर तो आपका वाकई चक्करदार था ।"
"था नहीं कप्तान साहबा है कहो…है 1" नुसरत कहता चला गया----" दुनिया के तुम पहले आदमी हो जिसे हमने अपना पूरा चवकर बताया है । बताया भी इसलिए है क्योंकि अब आगे के चक्कर में तुम्हारी ही भूमिका सबसे अहम है । स्टेडियम तो स्टेडियम, हम तो वहां से मीलो मील दूर तक नहीं होंगे । वहां की कमान तुम्हें संभालनी है । अब तुम जानते हो…-हैरी असल से मारकेश है । वह विजय-विकास के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के सुरक्षा घेरे का प्रमुखअंग होगा ! ठीक तीन पैंतालीस पर यह पाकिस्तानी राष्ट्रपति यर हमला करेगा । उन पर हमला करता वह केवल नजर जाएगा: असल में निशाना होंगे भारतीय प्रधानमंत्री । जैसे ही वह अपना काम करके चुके, तुम्हारा काम होगा उसका काम तमाम कर देना ।"
"म. . .मारकेश का?"
"कोक्ट ।”
“उसका क्यों? "
"खोपडी के कपाट खोलकर रखा करों कप्तान साहब । हम ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहते कि मारकेश पकड़ा जाए और कल विकास के टॉर्चर से टूटकर षडयंत्र में पाकिस्तानी भूमिका बयान कर सके !
" क्या मारकेश को मालूम है कि उसका काम खत्म होने के बाद में उसे ........!"
"उसे यह मालूम है कि जब वह अपना काम कर चुकेगा तो तुम उसे स्टेडियम से फरार होने से मददृ करोगे । उसकी हैं सोच के कारण तुम्हारे लिए उसे ठिकाने लगाना और भी आसान हो जाएगा !!!
"उसे यह मालूम है कि जब वह अपना काम कर चुकेगा तो तुम उसे स्टेडियम से फरार होने से मददृ करोगे । उसकी हैं सोच के कारण तुम्हारे लिए उसे ठिकाने लगाना और भी आसान हो जाएगा !!!
“सुना तो था पाकिस्तानी किसी के नहीं होते । अपने बाप की स्वाभाविक मीत तक का इंतजार नहीं करते । उसे कत्ल करके गददी पर जा बैठते है । मगर देखा पहली बार, तुम उस मारकेश तक के नहीं हो, जो तुम्हारे लिए इतने खतरे उठाकर भारतीय प्रधानमंत्री की हत्या' करने पर आमादा है ।"
नुसरत चौंका---"मियां, ये कौन-सी जुबान बोलने लगे तुम?"
"वही जुबान बोल रहा हूं जो अब मुझे बोल ही देनी चाहिए ।" कप्तान का लहजा तो पहले ही बदल चुका था । इस बार आवाज भी बदल गई । साथ ही एक झटके से उसने अपनी जेब से रिवॉल्वर निकालकर उन पर तान दिया था । दूसरे हाथ से अपने चेहरे से फेसमास्क नोचता हुआ बोता---. " और बोल इसलिए रहा हूं क्योंकि तुम्हारी समझ में जुबान ही यह आती है ।"'
उछल पड़े दोनों । तुगलक के मुंह से निकला-----'"ज........जेकी ।"
"पूरा नाम जैकी आर्मस्ट्रांग । बाप हूं उसका ।"' उसने कांच के कमरे में तेर रहे हैरी की तरफ इशारा किया-"यही कहूंगा----"एक नम्बर के गधे हो तुम जो मुझे भुलाए वैठे हो । तुमने सोच लिया कि हैरी का अपहरण हो जाएगा और उसका बाप न्यूयांर्क में निष्क्रिय बैठा होगा ।"
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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