चतुर शिष्य
- shubhs
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- Joined: 19 Feb 2016 06:23
चतुर शिष्य
प्राचीनकाल की बात है एक दंपति के लंबे समय तक संतान नहीं हुई। संतान की प्राप्ति के लिए उन्होंने अपना बहुत उपचार करवाया। उपचार के पश्चात ईश्वन ने उन्हें एक पुत्र प्रदान किया। उन्होंने अपने पुत्र का नाम माहेर रखा। माहेर धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। एक दिन माहेर के पिता ने अपनी पत्नी से कहा कि अब माहेर बड़ा हो गया है और उसे कोई काम सीखना चाहिए ताकि भविष्य में वह किसी का मोहताज न रहे। पत्नी ने अपने पति की बात मान ली। अगले दिन सुबह उसने अपने पति और पुत्र के लिए यात्रा का सामान तैयार किया और दोनों यात्रा पर निकल गए। चलते-चलते वे एक छोटी सी झील के किनारे पहुंचे जहां पर कुछ पेड़ लगे हुए थे। पिता ने माहेर से कहा कि आओ यहीं पर पेड़ों की छाया में बैठकर दोपहर का खाना खाते हैं। वे दोनों बैठे खाना खा रहे थे कि उन्होंने दखा कि झील के पानी से एक व्यक्ति निकलकर उनके सामने आया। पानी से बाहर आने वाला वह व्यक्ति, माहेर और उसके पिता के निकट आकर बैठ गया। उस व्यक्ति ने माहेर के पिता से कहा कि माहेर को मुझे देदो। मैं उसको विभिन्न प्रकार के काम और कलाएं सिखाऊंगा। तीन वर्षों के पश्चात तुम इसी स्थान पर इसी समय आकर माहेर को वापस ले जा सकते हो। पिता ने उस व्यक्ति की बात स्वीकार कर ली।वह माहेर को लेकर झील में वापस चला गया। इन तीन वर्षों के दौरान उस व्यक्ति ने माहेर को कई प्रकार की कलाएं सिखाईं। विभिन्न प्रकार की कलाएं सीखकर माहेर इतना दक्ष हो गया था कि स्वयं उसका गुरू उससे ईर्ष्या करने लगा था। तीन वर्षों के पश्चात उस व्यक्ति ने उसी स्थान पर माहेर को लाकर उसके पिता को दिया जिसका उसने वचन दिया था। माहेर और उसके पिता दोनों घर वापस चले गए। माहेर का पिता निर्धन व्यक्ति था और उसकी आय बहुत ही कम थी जिससे घर का ख़र्च नहीं चलता था। इस आधार पर माहेर ने निर्णय किया कि अब मैं तीन वर्षों के पश्चात घर वापस आया हूं तो क्यों ने अपनी कला से लाभ उठाते हुए अपने पिता को धनवान बनादूं। उसने अपने पिता से कहा कि पिता मैं एक सुन्दर सफ़ेद घोड़े में परिवर्तित होने की क्षमता रखता हूं। आप मुझको प्रतिदिन बाज़ार ले जाकर बेच सकते हैं। केवल इस बात का ध्यान रखियेगा कि मेरी गरदन से लगाम निकाल लीजिएगा अन्यथा आप फिर मुझको कभी भी नहीं देख पाएंगे। आप प्रतिदिन मुझको बेचने के बाद लगाम को अवश्य वापस लाइएगा ताकि अगले दिन मैं फिर एक सुन्दर घोड़े का रूप धारण कर सकूं। यदि आप इस काम को जारी रखें तो बहुत कम समय में धनवान हो जाएंगे। माहेर की बात को उसके पिता ने स्वीकार किया। इस प्रकार वह हर दिन यही काम करता और घोड़े को मंहगी क़ीमत पर बेचने के बाद उसकी लगाम को वापस घर ले आता। अब वह निर्धन व्यक्ति धनवान हो चुका था। धनवान हो जाने के पश्चात माहेर के पिता में लालच अधिक बढ़ गई थी। अब वह हर समय अधिक से अधिक धन कमाने के बारे में सोचता रहता था। इसी बीच वह व्यक्ति जिसने माहेर को कलाएं सिखाई थीं, ख़रीदार बनकर बाज़ार में आया और घोड़े को इस शर्त के साथ दुगने मूल्य पर ख़रीद लिया कि वह लगाम भी लेगा। इस प्रकार उसने माहेर को पुनः प्राप्त कर लिया। माहेर के गुरू ने, जो उससे ईर्ष्या करता था और उसे अपना सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी समझता था, माहेर की हत्या का निर्णय किया। । इसी उद्देश्य से उसने घोड़े की लगाम को धरती पर मज़बूती से बांध दिया। इसके पश्चात वह माहेर की हत्या करने के उद्देश्य से बहुत तेज़ी से चाक़ू लेने गया। इस बीच माहेर के गुरू की लड़की ने, जो पूरी घटना से अवगत थी, और तीन वर्षों के दौरान माहेर से भलिभांति परिचित हो चुकी थी, लगाम को खोलकर धरती पर फेंक दिया। इसी बीच माहेर का गुरू आया और उसने देखा कि माहेर भाग रहा है। माहेर, जो एक सफ़ेद घोड़े के रूप में परिवर्तित हो चुका था, अब सफ़ेद कबूतर में बदल कर आसमान में उड़ने लगा। माहेर को पकड़ने के उद्देश्य से उसका गुरू एक बाज़ में परिवर्तित होकर उसका पीछा करने लगा। माहेर ने आकाश से उड़ते-उड़ते देखा कि धरती पर एक शादी हो रही है। यह देखकर वह एक सुन्दर फूल में बलद गया और दुल्हन के दामन में जा गिरा। उधर गुरू एक गायक के रूप में परिवर्तित होकर शादी में गाना गाने लगा। लोग एक-एक करके फूल को सूंघ रहे थे और अंत में यह फूल माहेर के गुरू के हाथ में जा पहुंचा। गुरू ने फूल को पकड़कर उसे मसल दिया किंतु फूल का एक पत्ता गुरू के हाथ से गिरकर गेहूं के रूप में परिवर्तित हो गया। इसी बीच गुरू एक पक्षी में बदल गया और बड़ी तेज़ी से गेहूं चुगने लगा। गेहूं का एक दाना फिसलकर एक गडढे में गिर गया जो वास्तव में माहेर था और वह लोमड़ी के रूप में परिवर्तित हो गया। इस बार माहेर का गुरू अपने शिष्य से पीछे रह गया और पक्षी से किसी अन्य रूप में परिवर्तित नहीं हो सका। उधर माहेर ने, जो लोमड़ी का रूप धारण कर चुका था, अपने गुरू को पकड़कर खा लिया।
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Re: चतुर शिष्य
thanks for sharing .............nice job
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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