पाप पुण्य complete

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Rishu
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Re: पाप पुण्य

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मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर फोन मिलाने लगा. उधर से फोन रश्मि दीदी ने उठाया.

मोनू: दीदी, आज मैं कामिनी आंटी के घर पर रूक रहा हूँ. तुम मम्मी पापा को बता देना.

रश्मि: बड़ा खुश लग रहा है, लगता है ले ली रिक्की की.

मोनू: हा दीदी. एक बार तो पेल चूका हूँ साली को और बाकी कसर रात में पूरी कर दूंगा. इसीलिए रात में यही रुकुंगा.

रश्मि: पर मैं मम्मी पापा से क्या कहूँ. जब से मयंक के यहाँ से वापस आये है तुझे पूँछ रहे है.

मोनू: अरे कुछ समझा देना न मेरी प्यारी दीदी.

रश्मि: अच्छा. ठीक है.

मोनू: क्या हुआ मयंक के यहाँ.

रश्मि: क्या होना था. शादी की तारीख तय होनी थी हो गयी.

ये सुनते ही मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा पर क्या करता एक न एक दिन तो दीदी की शादी होनी ही थी.

मोनू: अच्छा, कब की डेट है.

रश्मि: अगले महीने की २० तारीख. २१ को मेरी सुहागरात होगी मयंक के साथ. और अब तुझे भी रिक्की की चूत मिल गयी है तो तुझे मेरी कमी महसूस नहीं होगी.

मोनू: दीदी तुम्हारी जगह कौन ले सकता है. खैर घर आकर बात करते है.

और मैं फ़ोन काट कर वापस कामिनी आंटी और रिशू के पास आ गया. रिक्की बाथरूम से निकल कर कपडे पहनने अपने रूम में चली गयी थी. कामिनी को देख कर पहले तो वो काफी घबराई थी पर जब आंटी से उससे बात की तो वैसे तो नार्मल हो गयी थी पर आंटी के सामने वो काफी शर्मा रही थी.

जब रिक्की कपडे पहन कर बाहर आई तो आंटी ने उसे बता दिया था की आज रात मैं उसके साथ रहूँगा. रिक्की ने भी मन में सोचा की आज वो एकदम बाजारू रंडी की तरह मुझसे चुद्वायेगी. रिशू और मैं भी नहाने चले गए और तैयार हो कर हमने थोड़ी देर टीवी देखा तब तक आंटी ने खाना लगा दिया. खाना खा कर आंटी और रिशू कमरे में चले गए पर रिक्की ने मुझसे कहा की तुम १५ मिनट बाद कमरे में आना.
Rishu
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Re: पाप पुण्य

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१५ मिनट बाद जब मैं कमरे में गया तो मज़ा आ गया, अंदर रिक्की बहुत ही सैक्सी टॉप-स्कर्ट में तैयार हो कर बैठी थी. रिक्की ने टॉप के उपर के चार बटन खोल कर नीचे से गाँठ बन्धी हुई थी और गज़ब का मेक-अप करा हुआ था. मुझे देख कर रिक्की खड़ी हो गयी और अपने चूत्तड़ हिलाने लगी. मैंने चुपचाप पीछे से जा कर उसकी मचलती हुई चूचियों को पकड़ लिया और रिक्की को घूमा लिया. फिर सीधा कर के हमने एक दूसरे को बाहों में कस लिया और तड़ातड़ एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे. रिक्की बहुत ही सैक्सी लग रही थी और अगर वो ऐसे रूप में कहीं सड़क पर चली जाती तो जरूर उसकी चूत का भोंसड़ा बन जाता.

मैंने पीछे से रिक्की की स्कर्ट नीचे खिस्का दी और झुक कर कुत्ते कि तरह उसके चूत्तड़ों में अपना मुँह लगा दिया और चाटने लगा. रिक्की ने काले रंग की नेट की बहुत ही टाईट रेशमी पैंटी पहनी थी जिससे वो उसकी गाँड की दरार में घुस गयी थी और उसके गोरे फूले हुए छोटे-छोटे मस्त चूत्तड़ों को और मादक बना रही थी.

रिक्की ने मेरी गर्दन में अपनी बाहें डाल कर बोली, “मोनू… मोनू… आज जी भर के अपने दोस्त की बहन को चोद लो!” और मुझे बिस्तर पर बिठाकर मेरी अंडरवियर में तन्नाए हुए लंड पर अपने चूत्तड़ घिसने लगी. मैंने उसकी टॉप के बटन और बंधी हुई गाँठ को खोल कर उतार दिया. रिक्की ने एक मस्त काले रंग की रेशमी ब्रा पहनी थी. एकदम पतले स्ट्रैप थे और ब्रा के कप सिर्फ़ उसके आधे निप्पल और नीचे की गोलाइयाँ छुपाये हुए थे. रेशमी नेट के अंदर से उसकी दूधिया चूचियों की साफ झलक मिल रही थी. मैंने उसे खड़ा होने को कहा और कुर्सी पर टाँगें फैला कर बैठ गया और रिक्की को बोला कि वो अपनी टाँगें मेरी टाँगों के दोनों तरफ करके अपनी पैंटी में कसी हुई चूत मेरे लंड पर रखे और आराम से बैठ जाये. तब तक मैं उसकी कसी हुई मस्त जवानी जम कर चूसना और दबाना चाहता था.

रिक्की बड़े ही कायदे से मेरे लंड के उठान पर बैठ गयी और बहुत हल्के-हल्के ढँग से अपनी पैंटी मेरे लंड से उठी हुई मेरी अंडरवियर पर घिसते हुए मेरी गर्दन में बाहें डाल कर बोली, “मोनू भैया मसल डालो मेरी इन जवानियों को. देखो तो सही कैसे तन कर खड़ी है तुमसे चुस्वाने के लिये.”

मैं भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी ब्रा के हूक खोल दिये और बड़े प्यार से उसकी चूचियाँ नंगी करी. उसकी चूचिया मेरे सामने तन कर खड़ी हुई थीं और मैंने भी बिना वक्त गँवाये दोनों चूचियों पर अपना मुँह मारना शूरू कर दिया. मैं बहुत ही बेसब्रा हो कर उसकी चूचियाँ मसल और चूस रहा था जिससे उसको थोड़ा सा दर्द हो रहा था. पर फिर भी मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाते हुए कह रही थी, “भैया आराम से मज़ा लो, इतने उतावले क्यों हो रहे हो. आज तो हमारा हनीमून है. कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ. जम के चूसवाऊँगी और मसलवाऊँगी. इनको इतना मसलो कि कॉलेज में मेरी चूचियाँ सबसे बड़ी हो जायें.”
Rishu
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Re: पाप पुण्य

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थोड़ी देर की चूसाई के बाद मैंने कहा, “रिक्की, अब तो आप तैयार हो जा दुबारा मेरा लंड लेने के लिये.”

मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और पलंग पर लिटा दिया. काले रंग की पैंटी से ढका रिक्की का गोरा बदन ऐसा लग रहा था जैसे कोई अपसरा अपने कपड़े उतार के सो रही हो और काला भँवरा उसकी ताज़ी चूत का रस चूस रहा हो. मैं करीब पाँच मिनट तक रिक्की के नंगे बदन की शराब अपनी आँखों से पीता रहा, और फिर बिस्तर पर चढ़ कर मैंने रिक्की की कमर चूसनी चालू किया और चूसते हुए अपना मुँह उसकी पैंटी पर लाया और पैंटी का इलास्टिक अपने दाँतों में दबा कर अपने मुँह से उसकी पैंटी उतारने लगा.

रिक्की ने भी अपने चूत्तड़ हवा में उठा दिये थे ताकि पैंटी उतारने में परेशानी ना हो. पर उसने इतनी टाइट पैंटी पहनी थी कि मुझे अपने हाथ भी लगाने ही पड़े. पैंटी उतार के मैंने देखा की जो हलके रोयें रिक्की की चूत पर थे अब वो भी उसने साफ़ कर लिए थे. रिक्की चूत चुदने के लिये इतनी बेकरार थी कि चूत से पानी टपक रहा था.

मैंने कहा रिक्की तूने अपनी चूत शेव कर ली मेरी जान.

रिक्की बोली, “भैया मम्मी ने मेरी चूत को क्रीम से साफ किया है मैंने नहीं."

मेरा लंड तो रिक्की की चिकनी नंगी मस्ताई हुई, चुदने के लिये तैयार चूत को देख कर ही मेरी अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने के लिये बेकरार था और उछल-कूद मचा रहा था. मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी अंडरवियर उतार दी और अपना मुँह मेरे सामने लेटी हुई नशे की बोतल के खज़ाने के मुँह पर लगा दिया. रिक्की तो मस्त हो गयी और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी. मैं भी चाहता था कि रिक्की थोड़ा पानी और छोड दे ताकि उसकी चूत थोड़ी चिकनी हो जाये. मैंने उसकी चूत का दाना चूसते हुए अपनी जीभ से उसकी चुदाई चालू कर दी और करीब पाँच मिनट बाद ही रिक्की ने मेरा सिर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और कस कर अपनी पूरी ताकत से मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा लिया और जोश में काँपते हुए चूत्तड़ों के धक्के देती हुई मेरे मुँह में अपना रस देने लगी. मैंने भी मन से उसकी जवान चूत चूसी और चूत के लाल होंठों को अपने होंठों से चूसा.
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फिर मैं घूटने के बल रिक्की के सामने बैठ गया और बूरी तरह अकड़ा हुआ अपना लंड उसके सामने कर दिया और रिक्की की गर्दन में हाथ डाल कर उसका मुँह अपने लंड के पास लाया और बोला, “रिक्की, मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर अपनी चूत बजाने के लिये तो इनवाइट करो.”

रिक्की ने तपाक से अपना मुँह खोला और मेरा सुपाड़ा अपने होंठों के बीच ले लिया और जीभ फेरने लगी. मेरे लंड पर रिक्की के जीभ फेरने ने वो काम किया जो आग में घी करता है. मुझसे रहा नहीं गया और दोनों हाथों से रिक्की का सर पकड़ कर उसके मुँह में ही मैंने आठ-दस शॉट लगा दिये. लौड़े का तो मारे गुस्से के बूरा हाल था. उसके सामने ऐसी मलाईदार चूत थी और मैं उसकी भूख मिटाने की बजाये चुम्मा चाटी कर रहा था.

अपना लंड रिक्की के मुँह से बाहर निकाल कर के मैंने रिक्की की जाँघों को अपने हाथों से पूरा फैला दिया और एक हाथ से लंड पकड़ कर दूसरे हाथ से रिक्की की चूत के लिप्स खोल कर अपना गुस्साया हुआ लाल सुपड़ा उसकी गुलाबी चूत से सटा दिया और बहुत हल्के-हल्के घिसते हुए बोला, “देख लो मेरी जान. अपने लंड की तेरी चूत से मुलाकात करा रहा हूँ.”

रिक्की को भी अपनी चूत पर लंड घिसाई बहुत अच्छी लग रही थी. वोह सिर्फ़ मस्ती में “ऊँमम ऊँमम” कर सकी. एक दो मिनट बाद मैंने देखा कि रिक्की पर मस्ती पूरी तरह से सवार हो चूकी है तो मैंने अपने लंड का एक हल्का सा शॉट दिया जिससे मेरा लंड रिक्की की चूत बहुत ज्यादा कसी होने के कारण से फिसल कर बाहर आ गया. इससे पहले कि रिक्की कुछ समझ पाती, मैंने एक हाथ से अपना लंड रिक्की के चूत के लिप्स खोल के उसके छेद पर रखा और अपने चूत्तड़ों से कस के धक्का दिया जिससे मेरा लंड रिक्की की चूत में घुस गया.

वो जोर से चीखी, “हाय मोनू ओह मार डाला” मैंने लंड थोडा बाहर निकाल कर एक शॉट और लगाया और अब मेरा लंड जड़ तक रिक्की की चूत में समा गया. ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल के छोटे छेद में अपना लंड घुसा दिया हो और बोत्तल के मुँह ने कस कर मेरे लंड को पकड़ लिया हो. मैंने रिक्की से पूछा, “रिक्की कैसा लग रहा है?”

रिक्की बोली, “आह्ह भैया इस्स्स्सस लगता है मैं ज़न्नत में हूँ. मेरे बदन से ऐसी मस्ती छूट रही है कि क्या बताऊँ. मोनू भैया बहुत मज़ा आआआ आ रहा है. अब तुम जी भर के मुझे चोदोऊऊऊऊ .”
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Re: पाप पुण्य

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मैंने रिक्की की दोनों जाँघें चौड़ी कर दीं और अपने हाथों से उसके पैरो के पंजे पकड़ लिए और खुद घूटने के बल बैठ कर अपनी गाँड के दनादन धक्के मारने लगा. रिक्की को अब भी तकलीफ हो रही थी पर वो भी अब चुदाई में पूरा साथ दे रही थी. वो ज्यादा मस्ती सहन नहीं कर पायी और सितकारी भरती हुए अपनी चूत का पानी मेरे लंड पर गिराने लगी और बड़बड़ा रही थी, “आह आँह मोनू मज़ा आ गया. मुझे क्या मालूम था अआह इतना मजा आएगा आःह्ह. इसके लिये तो मैं अपनी चूत बार-बार तुमसे फड़वाऊँगी.”

मैंने भी लगातार आठ-दस शॉट लगाये और उसकी चूत में जड़ तक अपना लंड उतार के झड़ गया. मैं रिक्की की चूत को चोद कर मस्त हो गया था और आराम से उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूस रहा था. थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से हटा और और उसका मुँह पकड़ कर अपने लंड पर लगा दिया और कहा, “बहन की लौड़ी रिक्की जब तक मैं न कहूँ मेरा लंड चूसती रहना नहीं तो गाँड मार मार के लाल कर दूँगा!” और आराम से अपनी पीठ टिका कर बैठ लगा.

रिक्की ने भी पूरी हिम्मत दिखायी और बिना वक्त बर्बाद करे मेरा लंड चूसना चालू कर दिया. करीब दस- पँद्रह मिनट की लगातार चूसाई से मेरा लंड फ़िर से तन्ना गया पर मैंने अपने आप पर पूरा कंट्रोल रख कर रिक्की के मुँह में अपना लंड तबियत से चूसवाता रहा. आज मैंने जितना रिशू से सीखा था सब उसकी सगी बहन पर अजमाना चाहता था.

करीब दस मिनट बाद मैंने रिक्की को बोला, “चलो आज तुझे घोड़े की सवारी करना भी सिखा दूँ. मेरी प्यारी रिक्की. करेगी ना मेरे लंड पर घोड़े की सवारी?”

रिक्की ने बड़े आश्चर्य से पूछा, “मोनू भैया तुम्हारा मतलब है कि मैं तुम्हारे लौड़े पर बैठ और उसे अपनी चूत में अंदर लूँ और अपने चूत्तड़ ऊपर-नीचे उछाल-उछाल कर लंड को अपनी चूत में लूं, जैसा ब्लू फिल्मों में होता है.?”

मैंने कहा, “हाँ मेरी कुतिया. लगता है बहुत ब्लू फिल्मे देखी है तूने… अरे जो ब्लू फिल्मों में होता है वो सब असलियत में भी होता है समझी. पर ध्यान रहे लंड बाहर नहीं निकलना चाहिए.”
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