चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़) complete

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Jemsbond
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Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

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-"दो दिन तो हो गये भारत से आने वाले हर विमान को चैक करते ।" दूसरी आवाज----"अभी तक तो वह......!" "तुम में यही कमी है सूंगपी ।" बातें चीनी भाषा में ही हो रही थीं-" तुम जल्दी ही हताश हो जाते हो । यह तो तुम समझ ही सकते हो कि पिछले दिन वतन और विकास बहुत अच्छे दोस्त बन चुके हैं ।। वतन उस वंन्दर का सगा भाई है जिसे विकास बहुत प्यार करता है । वतन का जो स्टेटमेंट विश्व के अ१बारों में छपा है, उसे पढते ही विकास समझ जायेगा कि वह खतरे में है । वह यहां अवश्य आयेगा ।।। बंदर तो अकेला ही आ गया है उसे तो चीफ ने पकड़कर कैद में डाल ही रखा है । अब तो बस विकास की प्रतीक्षा है" ।



"यह तो मैं भी मानता हूं कि वह यहां अवश्य आयेगा, किन्तु ......

" -किन्तु क्या ?"



"कहीं ऐसा न हो कि हम उसे यहीं तलाश करते रहे अौर वह वतन तक पहुंच जाये ।"



" हालांकि ऐसा तो हौगा नहीं और अगर ऐसा हो भी गया तो कौन-सा तीर मार मार लेगा ?" चीनी भाषा में कहा गया ।"



"चीफ ने राष्ट्रपति भवन में ऐसा जाल बिछा रखा है कि वह बच नहीं सकेगा, वतन से मिलने से पूर्व ही वह उस वन्दर की तरह चीफ की कैद में होगा ।।"



-"मुझे दो डर लगता है ।"



धीरे से हंसा कोई, बोला----"तुम तो नाम से डरते हो उसके । खैर, चलो-कही वह बन्दर न निकल भागे ।"



एक-एक बात विकास कान लगाये सुन रहा था । बात चीत की यह आवाज उसके बराबर वाले दूसरे बाथरूम में से अा रही थी । इन बातों से स्पष्ट था कि चमन में चीनी पूर्ण तया अपना जाल फैला चुके हैं ।।


उनकी बातों से यह भी स्पष्ट था कि धनुषटंकार चमन में आते ही वतन को मिलने के जगह पर इन लोगों के हाथ पड़ गया है और इन्होंने उसे कैद कर लिया है । विकास भूल गया कि वह बाथरूम में किस मकसद से आया था ।



वह तो उन आवाजों को सुनने में व्यस्त था । दरवाजा खुलने की आवाज सुनी उसने ।।

फिर बन्द होने की ध्वनि ।



शीघ्रता से विकास ने अपने बाथरुम का दरवाजा खोलकर एक झिर्री सी बनाई । बाहर झांका-बाह्रर वाले बाथरूम से निकलकर दो चीनी बाहर जा रहे थे ।
मेकअप परिवर्तन का विचार त्यागकर विकास उनके -पीछे लपका ।



उन दोनों-की गति काफी तीव्र थी ।



अभी तक विकास उनमें से किसी का चेहरा नहीं देख पाया था ।।।



एयर पोर्ट की इमारते से बाहिर निकलकर उन्होंने एक टेक्सी ली ।



लिख़ने की आवश्यकता नही कि विकास ने भी एक अन्य टेक्सी की सहायता से उनका पीछा किया ।




चमन के बाजार और सड़कों से भलीभांति परिचित था विकास । करीब एक घण्टे पश्चात आगे वाली टेक्सी गोल बाजार की एक इमारत के सामने रुकी ।



अपनी टेक्सी को विकास आगे निकलवा ले गया । टेक्सी में बैठे ही वैठे विकास ने देख लिया था कि टेक्सी बाले का विल अदा करके वे दोनो उसी इमारत में प्रविष्ट हो गये है ।

विकास ने अपनी टेक्सी रुकवाई । विल देकर टेक्सी वाले को बिदा किया और स्वयं वापस उस इमारत की और बढ़ गया ।



इमारत की बगल में ही उसे एकं पतली-सी गली नजर आई, उसी में प्रविष्ट हो गया विकास ।



दिल तो उसका चाह रहा था कि वह धड़धड़ाता हुआ इमारत में घुस जाये । दो-दो हाथे हों और पता लग जाये कि चक्कर क्या है ? किन्तु-बार-बार विजय गुरु के निर्देश याद अाने पर वह स्वयं को रोकता ।



इतना तो वह समझ ही चुका था कि वास्तव में दुश्मनों ने-चमन में सबको फंसाने के लिये चक्रव्यूह का निर्माण कर रखा है ।।



अत: उसे सोच-समझकर के इस व्यूह में प्रबिष्ट होना चाहिये ।
उसने देखा--वह संकरी-सी गली आगे जाकर बन्द थी । गली के अन्दर किसी मकान इत्यादि का दरवाजा भी नहीं था ।।


गन्दगी से भरी पड़ी वह गली ।


दोनों तरह की इमारतों के पतनाले उसी में खुल रहे थे । उसने देखा-गन्दे पानी के पाइपं उस इमारत की दीवार के सहारे-सहारे नीचे पहुंच रहे थे जिसमें वे दोंनो चीनी गये थे ।



विकास को समझते देर ना लगी कि इस गलि में कोई आता जाता नहीं ।



फिर क्या था ?

गन्दे पानी के एक पाइप के सहारे वह ऊपर चढ़ने लगा है इस प्रकार के कार्य अब विकास के लिये उसी प्रकार आसान हो गये थे, जैसे किसी रसगुल्ले को खा जाना है उसने ऐसा पाइप चुना था, जो सीधा इमारत की छत तक पहुंचता था है वन्दर की सी फुर्ती के साथ वह पाइप पर चढता चला जा राह था है


--- उस समय वह इमारत की एक बन्द खिडकी के समीप से गुजर रहा था कि--



भड़ाक से खिडकी खुल गयी पाइप विकास के हाथ से छूटते-छूटते-बचा है वह एकदम इस प्रकार की अप्रत्याशित घटना थी कि जिसकी विकास ने कल्पना भी नहीं की थी ।



खिडकी पर उसे एक आदमी नजर आया है



परिस्थिति ऐसी थी कि विकास जैसे लडके के जिस्म में भी झुरझुरी सी दौड़ गयी ।




वह तो सम्पूर्ण फुर्ती के साथ पाइप पर चढता चला जा रहा था ।



उसका ध्यान तो सिर्फ अपने लक्ष्य अर्थात् छत की तरफ था । उसे तो यह कल्पना भी नहीं थी कि बीच में ही यह खिडकी इस अप्रत्याशित ढंग से खुल पडेगी ।



खिड़की पर चमकने वाले इस चीनी के हाथ में रिबॉल्वर देखकर तो उसके जिस्म का रोयां-रोंया खड़ा हो गया ।

रिर्वाल्लर का रुख बिकास की अोर ही था और उसकी तरफ देखता वह बहुत ही भयानक ढंग से मुस्करा रहा था । बिचित्र-सी स्थिती में फंस गया या विकासा ।



दोनों हाथों से उसने कसकर पाइप को पकड़ रखा था ।


दांतों में दबा था सुटकेस का हैंडिल ।
जमीन ये इतना ऊपर-अा चुका था कि वह कूद नहीं सकता था ।




"इसं तरह चारों को भाँति किसी के मकान में दाखिल होना बुरी बात है मिस्टर विकास । " चीनी ने आराम से अपनी भाषा में कहा ।।



मुंह से कोई जबाव देता विकास तो मुंह से बैग निकल जाना था । जिस ढंग वह फंसा या, उस ढंग से फंसने की उम्मीद कम-से-कम उसने तो की नहीं थी ।



चुपचाप मुर्खों की तरह उस व्यक्ति को देखते के अतिरिक्त विकास कर भी क्या क्या सकता था?



हां- उस चीनी का चेहरा उसे कुछ जाना पहचाना- सा लगा ।



अभी वह उसी स्थिति में था कि--------

वह बोला---"आओ इस खिडकी के रास्ते से कमरे में आ जाओ ! "

कहने के साथ ही चीनी ने एक हाथ उसककी तरफ बड़ा दिया । विकास उसके साहस पर आश्चर्यचकित था । वह अच्छी तरह जानता था कि चीन में उसके उसका कितना आतंक है ,, बच्चा-बच्चा उसके नाम से कांपता है, किन्तु--किन्तु यह व्यक्ति उसे अदम्य साहसी लगा । उसकी बातों से ही लगता था कि उसके दिलं पर विकास का कोई प्रभाव नहीं है ।



विकास ने हाथ बढा दिया ।।



उसने कसकर पकड़ लिया । एक पैर पाइप से हटाकर विकास ने खिड़की पर रखा और फिर---इतने तीव्र झटके के साथ वह खिड़की के अन्दर आया कि वह चीनी बौखला जाये।।


विकास ने विचित्र ढंग से भयानक फुर्ती के साथ उस पर जम्प लगाई थी । उसे आशा थी कि चीनी बौखला जायेगा,



किन्तु , बौखेलाना उसे ही पड़ा था । चीनी को जैसे मालुम था कि विकास यह हरकत करेगा ।।
विकास से अधिक फुर्ती का प्रदर्शन करता हुआ व ह विकास का हाथ छोड़कर अलग हट चुका था ।।



मुंह के बल विकास कमरे के अन्दर फर्श पर जा गिरा ।




बैग उसके मुंह से निकलकर पहले ही कमरे में गिर चुका था ।।



गिरते ही भयानक फुर्ती के साथ वह उठ कर खड़ा हो गया ।।

घूमा, सामने ही हाथ में रिबाँल्वर लिये खड़ा चीनी मुस्करा रहा था ।



विकास ने उसके चेहरे हो ध्यानपूर्वक देखा । विशेष रूप से उसकी आंखों को है विचित्र ढंग से विकास की आँखें सिकुड़ती चली गयी ।




अगले ही पल उसके मुंह से निकला----"तुम्हें पहचान गया हूँ गुरु ।"



" अ--अब पहचाने तो क्या पहचाने ?" चीनी के मुंह से अलफांसे--- की आवाज निकलि--"'हमारे जाल में फंसकर यहां तक तो पहुंच गये ।"



आगे बड़कर अलफांसे के चरणों में झुक गया विकास । श्रद्धापूर्वक चरम-स्पर्श किये, बोला------"फंस भी इसलिये गया गुरु क्योंकि ये जाल तुम्हारा था ।। रही पहचानने की बात, तो उसका जवाब यह है कि आपकी सूरत ही ध्यानपूर्वक देखने का मौका मुझे अब मिला है"



" खैर ।" अशफांसे ने कहा… "बैठो ।" कमरे में पडे़ सोफे पर बैठते हुंए विकास ने पुछा---" अापके साथ दूसरा कौन था गुरु ।'"



"आपकां खिदमतगार ।" दूसरा चीनी अपने मुंह सै पिशाचनाथ की आवाज निकालता हुआ कमरे में प्रविष्ट हुआ-----"क्षमा करें महाराज । यह सब कुछ मुझे महाराज शेरसिंह की आज्ञा पर करना पड़ा !" कहने के साथ ही पिशाचनाथ ने विकास के पैर छू लिये ।।

तीनों ही आराम से सोफे पर बैठ गये ।
"ये सब चक्कर क्या है गुरु ?" विकास है पूछा----"आप चमन में क्या कर रहे है ?"



------"'चक्कर अच्छे-खासे आदमी की खोपडी को घनचक्कर बना देने बाला है विकास प्यारे. ! "' अलफांसे ने बताया-----"तुम्हारा धनुषटकार हमारे चमन में पहुचनें से पूर्व ही वतन के पास पहुंच चुका है और मजेदार बात तो यह है कि एक अलफांसे भी वतन के पास पहुंच चुका है ।"




" क्या मतलब ?" चौका विकास ।



" मतलब एकदम साफ है ।" अलफांसे ने बताया ----" हैरी मेरे मेकअप में वतन से मिला है । वतन, धनुषटंकार और अपोलो उसे अलफांसे ही समझते हैं । तुम समझ सकते हो कि यह सब कुछ वह --वेवज एम-- का फर्मुला प्राप्त करने के लिये कररहा है ।"



“ओह ।" विकास का चेहरा गंभीर हो गया----" तो हैरी पहुंच चूका है यहां ।"



"उधर वह अपनी बात चाल रहा है और इधर हम अपनी अलफासे ने बताया ।



"कैसी चाल ?"

"वह्र सब कुछ बाद में संमझना ।" अलफांसे ने कहा--"पहले जरा यह समझ लो कि यहां कैसे क्या हो रहा है के अखबार में वतन का स्टेटमेंट पढकर ही मैं और पिशाचनाथ यहां पहुंचे हैं । पहुंचते ही चौके, क्योंकि पता लगा कि पहले ही एक अलफांसे यहां पहुंच चका है । यह पता लगाने की तरकीब सोच ही रहे थे कि वह कौन है कि अचानक हमारे गले में पड़ा ये लॉकेट रुपी ट्रासमीटर स्पार्क करने लगा । ओपिन करके बातें की तो पता लगा कि दूसरी ओर से विजय दी ग्रेट बोल रहे थे ।
उन्होंने पूछा कि, हम कहां से बोल रहे है ? हमने शराफत से बता दिया । दूसरों तरफ से कहा गया कि वतन के पास जो अलफासें पहुचा है वो हैरी है । हमने हमने पूछा कि यह चक्कर क्या है ? वह कहां से बोल रहा है ? जवाब आया--चीन से ।। हम चौकें । चौकने की वजह भी थी । चीन का बच्चा बच्चा विजय, का दुश्मन है और उसी, चीन से विजय बोल रहा था । साथ ही चीन में बैठे बैठे उसे यह भी मालूम था कि चमन में वतन के पास जो अलकांसे पहुँचा है, वह हैरी है । बहुत-से सवाल हमारे दिमाग में चकराने लगे जिनका जबाब हमने विजय से मांगा ।।


उत्तर में विजय से कहा कि 'जब तक सारा चक्कर हमें नहीं बतायेगा, हमारी समझ हैं … कुछ नहीं आयेगा । अत: विजय ने ट्रांसमीटर पर ही हमें पूरा चक्कर समझायां ।।
बताया कि किस-किस प्रकार विभिन्न राष्ट्र के जासूस 'वेवज एम' का फामू'ला प्राप्त करने के लिये चमन की ओर चले हैं । यह भी बताया कि सभी राष्ट्रों के जासूसों को नाकाम करने केलिये उसने भारतीय जासूसों का जाल किस प्रकार बिछाया है ।। उसने बताया कि अमेरिका में अशरफ ने सूचना भेजी है कि हैरी ने ट्रांसमीटर द्वारा अपने चीफ को रिपोर्ट भेजी है कि वह अलफांसे के मेकअप में वतन तक पहुंच चुकां है । यही खबर उसने मुझे दी ।। यह भी बताया कि आज किसी समय एक सरदार के भेष में तुम यहाँ पहुंचने बाले हो । बस-उसी सूचना पर हमने तुम्हें एयरपोर्ट पर पकड़ा और किस मजे से तुम्हें यहां तक ले आये ।"


" लेकिन गुरु, जब आपको मालूम है कि वह है तो ---?"



"तो क्या ?"



“क्यों नहीं राष्ट्रपति भवन में पहुंचकर, वतन से मिलकर उसकी असलियत खोल देते'"



"उससे क्या, होगा ?"

"होंना क्या है, 'वैवज एम' का फार्मुला प्राप्त करने के उसके इरादों पर पानी फिर जायेगा ।"' विकास ने कहा ----" इसके अतिरिक्त चमन में आने का हमारा मकसद भी क्या है ?"
"'मामला अगर सिंर्फ हैरी तक ही सीमित हो विकासं प्यारे, तो तुम्हारा बताया हुआ रास्ता सही था । अलफांसे ने कहा--"लेकिन यहाँ किस्सा सिर्फ हैरी का नहीं वल्कि बागरोफ, जेम्स बाण्ड तुगलक अली नुसरत खान, सांगपौक , हवानची और सिंगसी इत्यादि का है ।"



"क्याआपको मालूम है कि ये सब लोग कहां है और क्या कर रहे हैं ?"





" यही तो मालूम करना है ।" अलफासे ने कहा----"यह बातें तो स्पष्ट है कि ये सभी अलग अलग फार्मुला प्राप्त करने के लिये अपना-अपना मोर्चा जमा चूके है लेकिन कौन कहां किस ताक में है, यही पता लगाना है ।"'



" लेकिन यह पता कैसे लगेगा ?"


…"चुपचाप यहां बैठे तमाशा देखते रहो स्वयं ही पता ला जायेगा ।" अलफासे ने कंहा…अगऱ हम मैंदान में पहले कूद पड़े तो वे सभी हमारे प्रति सतर्क हो जायेंगे । अपने से पहले मैदान में कूदने को अवसर हमें उन्हें देना ।"



"'मैं समझ नही रहा हुं गुरु, कि आप कहना क्या चाहते हैं:' जै"



-"वह साला जासूस की दुम ठीक कहता है तुम्हारी खोपड़ी में अक्ल की बात नहीं घुस पाती है" अलफांसे ने कहा-"अबे हमारा सीधासा मतलब यह है कि हमें उस समय मैदान में कूदना है जब सब की स्थिति का, ज्ञान हो जाये ।
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Jemsbond
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Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

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" हम वह ज्ञान प्राप्त करते ही रह जायेंगें अौर हैरी फार्मुला प्राप्त कर लेगा ।" विकास ने कहां ।



हल्के से मुस्कराया अलफांसे । वही मुस्कान् जो अक्सर ऐसे समय उसके होंठों पर उभंरा करती है । ।।
" फार्मुला प्राप्त करना उतना आसान नहीं है बैटे, जितना तुम समझ रहे हों । पहली बात तो वतन ने उसे इतनी लापऱवाही से नहीं रखा होगा की कोई उसे आसानी से प्राप्त कर ले और दूसरी बात यह कि सांगगोक, बागारोफ और जेम्स बाण्ड इतनी सरलता से उसे फार्मुले के साथ अमेरिका नहीं पहुंचने देंगें । माना कि हैरी फार्मुला निकालने में सफल हो
जाता है । बीच में विभिन्न देश के जासूस उसका मार्ग अबरूध करेंगे --बस -हमें विदित हो जायेगा कि किसने कहां क्या मोर्चा लगाया है ? यह पता लगते ही हम स्वयं भी मैदान में कूद पड़ेंगे ।"



" क्या अाप स्पष्ट शब्दों में मुझे अपनी योजना नहीं बता सकते गुरु ?"



" बता तो दी है ।" अलफासे ने कहा…"इससे स्पष्ट अौर क्या -बताऊं ? तुम एयरपोर्ट से सीधे राष्ट्रपति भवन पहुंचकर हमारी सारी योजना पर पानी- न फेर दो यही सोचकर तो हम तुम्हें सीधे यहाँ ले आये । वैसे तुम्हें एक बात बता दें और वह, यह कि सब कुछ करने के लिये ट्रांसमीटर पर जासूसं प्यारे े ही हमसे कहा था । यह भी कहा था कि तुम्हारे यहां पहुंचते ही हम ट्रांसमीटर पर उससे सम्बन्ध स्थापित करें ।।"



विकास चुप ही रहा न जाने क्या सोच रहा था वह ?


अलफांसे ने अपने गले से लोंकेट-रूपी ट्रांसमीटर निकाला और सम्बन्ध स्थापित किया ।




"'चमगादड़ की मम्मी स्पीकिंग ।" दूसरी तरफ से विजय का स्वर उभरा ।


"'मैं चमगांदड़ का बाप बोल रहा हूं ।" हल्के से मुस्कराकर अलफासे ने कहा ।

" हांय ।" दूसरी तरफ से कहा गया है-""चमगादड़ के बापू , कहां हो तुम ? मैं चीन की दीवार पर उल्टी
तुम्हारी विरहाग्नि’ का स्वाद चख रही हूँ ।। मैंने जो अाम का अचार तुम्हारे पास भेजा था, वह पहुंचा या नहीं
।"

"पहुंच गया है ।" अलकांसे ने कहा-"स्बाद चखो ।"



कहते हुए अलफांसे ने ट्रांसमीटर विकास को पकड़ा दिया ।



विकास ने कहा…"पांव लागूं गुरु ।"



" जल्दी से हो जाओं शुरु ।" विजय की आवाज ।



" गुरू ये सब चक्कर क्या चल रहा है हैं"



"ये ज्ञान की बातें हैं प्यारे दिलजले । तुम समझने की कोशिश करोगे तो हमारी तरह चमगादड़ बनकर उल्टे लटक जाओगे ।" दूसरी ओर से विजयं कह रहा था… मुझे तुमसे सिर्फ इतना ही कहना है कि तुमसे अपने लूमड़ भाई -जो कहे, आँख, कान, नाक, मुंह बन्द करके वह करते चले जावो ।"


" क्या मतलब गुरु ?"



"मतलव कल्लो कहारी के मंजे हुए बर्तनों कौ तरह एकदम साफ है प्यारे दिलजले । दिमाग और धैर् यसे काम लोगे तो कामयाब हो जाओगे, वरना प्यारे, अन्तरोंष्ट्रीय जासूसों के चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु ही कहलावोगे
"

"आपके ढंग से काम करना मेरे बस का नहीं है गुरु ।"



"तुम क्या करना चाहते हो ?"



" मैं तमाशा घुसकर देखना चाहता हूं । "विकास ने कहा-मैं डरपोक नहीं जो जासूसों के चक्रव्यूह से डरुं ।"

" मुझे बहादुर आदमियों से डर लगता है प्यारे ।" विजय की आवाज-अच्छा है कि ट्रांसमीटर तुम अपने लूमड़ भाई के हाथ में दे दो ।"




" मैं कुछ करने की इजाजत चाहता हूँ गुरु !"


" क्या करने की ?"
"अभी मैं स्वयं भी नहीं जानता कि क्या करना है मुझे ?" विकास का स्वर निरन्तर गम्भीर होता चला जा
'रहा था…"इस अभियान को शुरू से ही आपने मुझे अपनी योजनाओं के चक्कर में बांध रखा है । इस तरह काम करना से मुझे बोरियत आती है । मैं खुलकर कुछ करना चाहता हूँ । अच्छा है कि आप अपनी योजनाओं के अँकुश मुझ पर न लगायें ।। मुझे अपने ढ़ग से काम करने दे । मुझे सिर्फ इतना विदित है किं हैरी गुरु का मेकअप करके वतन के पास चला गया है । मैं हैरी को इस ह्ररकत का सबक देना चाहता हूं ।"




"जिस आदमी को यह नहीं पता कि वह करना क्या चाहता है वह करेगा क्या ?"

"प्यारे लूमड़ भाई, अपने साले दिलजले का तो है दिमाग खराब है !" विजय ने कहा--- "उसे कोई ऐसी हरकत करने को रोकना तुम्हारा काम है जिससे हमारी योजना पर पानी न फिर जाये, मैं कहता था न --- असली जासूसी नहीं जानता वह । साला मारधाड़ में विश्वास करता है अौर इस समय उसके हाथ खुजला रहेॉ है कहीं ऐसा न हो कि हैरी से ही जाकर लिपट जाये । अगर ऐसा हो गया प्यारे लूमड़ भाई, तो तुम स्वयं समझ सकते हो कि हमारी सारी योजना का कचूमर निकल जायेगा ।"



"उसकी तुम चिंता मत करो जासूस प्यारे ।" अलफांसे ने कहा -" विकास मेरे पास है और इसे मैं देख लूगा तुम बताओं कि नई बात है क्या कुछ ?"


--"हां है" विजय ने बताया, अलफांसे के साथ विकास भी ध्यानपूर्वक सुन रहा थां-"कुछ ही देर पहले अमेरिका से अपने झानझरोखे ने खबर भेजी है कि हैरी ने ट्रांसमीटर पर अमेरिकन सीक्रेट सर्विस के चीफ को एक रिपोर्ट भेजी है ।"'



"क्या ?"




"यह कि अलफासे के भेष से वह प्रयोगशाला के अंन्दर पहुंच गया है ।" विजय ने कहना प्रारम्भ किया---"हैरी ने वतन की प्रयोगशाला के अन्दर स्थान-स्थान पर अपनी योजनानुसार टाइम बम फिक्स कर दिये प्रयोगशाला से फार्मुला निकालने की न उसने सिर्फ पूरी योजना वना ली है वल्कि उसे कार्यान्वित भी करना प्रारम्भ कर दिया है हैरी ने अपने चीफ को बता दिया है कि अपनी योजना के अनुमान टाइमिंग सैट करके उसने प्रयोगशाला के अंदर कई बम फिट कर दिये हैं वह प्रयोगशाला से बाहर निकलेगा।। वतन, धनुषर्टकार और अपोलो के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचेगा भवन से चमन घूमने के बहाने वह ठीक शाम को छ: बजे बाहर निकलेगा--
इस समय में बह प्रेयोगशाला की चारों सर्चलाइटें फोड़ने का प्रबन्ध कर आयेगा ।ये चारों सर्चलाइटें रात के ठीक बारह बजे फूटगी । उस समय अलफांसे बना हैरी वतन इत्यादि के पास ही सौया होगा इत्यादि ।" दूसरी तरफ से विजय ने ट्रांसमीटर पर हैरी की सारी योजना बता दी अन्त में बोला----" इस प्रकार वह फार्मूला लेकर चमन से बाहर जाने वाली सडक पर ठीक वहां पहुंचेगा, जहाँ मील का वह पत्थर लगा होगा, जिस पर बारह लिखा होगा । हैरी ने यह भी बताया है कि उस समय वंतन के मेकअप में होगा ।"

-"हूँ ।" अलफासे सुनता रहा ।



" इधर अमेरिकन सीक्रेट सर्विस चीफ ने हैरी से कहा है कि वह हैलीकॉप्टर लेकर जैकी को भेजेगा, इत्यादि ।"





"निश्चय ही बडी सुन्दर योजना बनाई है हैरी ने ।" अलफांसे ने कहा---"हैरी क्या कुछ करने जा रहा है यह तुम जान चुके हो लूमड़ भाई ।" विजयं ने कहर-"बदले में तुम्हें क्या करना है; यह बात तुम जैसे समझदार आदमी को समझामे की आवश्यकता नहीं है है ।"





" हम सब सम्हाल लेंगे है"



"ओ - के ।" विजय ने कहा जरा दिलजले की लगाम खींचकर रखना यह ऐसा घोडा है कि बेलगाम होते ही सरपट दौड़ना शुरू कर देता है । फिर ऐस गिरता है सम्हालने गुरुयों को ही जाना पड़ता है ।। ध्यान रहे वह कोई ऐसाा कदम न उठा पाये जिससे सारा गुड़ गोबर हो जाये । "


इन शब्दों के साथ ही दूसरी तरफ से विजय ने सम्बन्ध विच्छेद कर दिया ।। ट्रांसमीटर आँफ करके लाकेट गले में पहनता हुआ अलफांसे विकास की तरफ देखकर बोला ---" सुना तुमने ? क्या कहा तुम्हारे अंकल ने ?"
"मैं तो ये सुनना चाहता हूं गुरु, कि आप क्या कहते हैं ।"



"किस विषय में ?"

" क्या मुझे गुरुयोॉ की कैद में रहकर काम करना पडेगा ?"



"साफ-साफ कहो ।" अलफांसे का गम्भीर स्वर ---" क्या कहना चाहते हो ! "



""यह कि शुरू से ही इस केस पर खुलकर काम करने का मौका नहीं दिया जा रहा है ।" विकासं का लहजा अलफासे से भी कहीं अधिक गंभीर था…"मै चमन के लिये रवाना होने बाला था, जवं मैंने अखबार में वतन का स्टेटमेंट पढा, किन्तु विजय गुरु ने यह कहकर रोक दिया कि सारा काम एक योजनाबद्ध तरीके से होगा । मैं रुक गया ।। उनकी बात मान ली । उनकीं योजना के अनुसार ही सरदार के मेकअप में मैं यहाँ पहुंचा । यहां पहुंचते ही आपने मुझे आनी कैद में ले लिया । फिर वही बन्दिश कि मैं कुछ न करु---सांरा काम योजनानुसार होगा ।"




" क्या सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है ?"



"खाक ठीक-चल रहा है !" गुर्रा उठा बिकास… "हैरी ने वतन की प्रयोगशाला में बम फिट कर दिये यह ठीक चल रहा है ?"



"ठीक न चलता तो यह खबर हम तक न पहुंचती । "




" जो कुछ चल रहा है, उसे आप ही ठीक समझे गुरु ।" विकास ने कहां…"मेरी दृष्टि में तो यह सब कुछ
गलत हो रहा है । योजना के नाम पर मैं आपकी तरह यहाँ चुपचाप बैठकर सव कुछ नहीं देख सकता ।"

" तुम करना क्या चाहते हो ?"
"हैरी की गर्दन तोड़ना चाहता हूं ।" विकास गुर्राया---"उसने वतन की प्रयोगशाला में वम फिट करने की जरूरत कैसे की ?"



" तुम मैदान में अाये तो सांगपोक, बागरोफ, तुगलक और जेम्सवाण्ड में से कोई तुम्हारी गर्दन तोड़ देगा ।"




" देखा जायेगा गुरु ।" बिकास गुर्रा उठा था---"इतना बुजदिल नहीं है आपका चेता कि उन कुतों के डर से इस बिल में छुपा रहे । "




-"सवाल बुजदिली का नहीं बेटे, सवाल है बुद्धिमानी का ।" अलफांसे ने कहा-"तुम स्वयं समझ सकते हो मैदान में सिर्फ हैरी उतरा है,.वह भी मेरे मेकअप में । जिस मकसद से हैरी यहाँ पहुंचा है, उसी मकसद से बाण्ड, बागरोफ, नुसरत खान और सांगपोक इत्यादी अपने-अपने देशों से चले हैं । जरा सोचो सोचो कि वे सब कहाँ गयै क्या कर रहे ?"



" आपकी तरह छूपे बैठे होंगे किसी विल में" ।



"क्यों ? " ।।


" हैरी फामुँला प्राप्त करे और वे उससे छीन लें ।"'




" मतलब सोंचने का पुरा दिमाग है तुम पर, किन्तु उसे कष्ट नहीं देते हो ।" हल्के से मुस्कराकर अलफांसे ने कहा--" निश्चय ही

अपना-अपना मोर्चा लगाये घात में बैठे है कि जैसे ही वह फार्मुला निकालकर प्रयोशाला से बाहर लाये और अपनेअपने ढंग से वे उस पर झपट पड़े ।। उनके बीच जमकर युद्ध होगा और जो भी उनमें अंतिम विजेता होगा, वह हमारा शिकार बनेगा ।"


" अगर सब यहीं सोचे बैठे रहे तो हैरी सफालतापूर्वक फार्मूला लेकर अमेरिका पंहुंच जायेगा ।"



" वहां उसे रोकने के लिए अशरफ मौजूद है ।"
"आवश्यक तो नहीं कि अशरफ अंकल उसे रोक ही लें ? " विकास ने कहा----"हम इस उम्मीद पर यहां क्यों बैठे रहें कि प्रयोगशाला से निकलकर अन्त में फार्मूला हमारे ही हाथ लगेगा । जब हम यह कर सकते हैं कि फार्मूले को वतन की प्रयोगशाला से बाहर ही न निकलने दे तो क्यों न ऐसा ही करें ? क्यों यह रिस्क उठाये कि हैरी फामुँला बाहर लाये ? अन्य जासूस उस पर झपटें ?"




-"मानते हैं कि अगर हम चाहें तो फार्मूले को प्रयोगशाला से बाहर ही न निकलने दें ।" अलकांसे ने कहा… "'लेकिन दिमाग लगाकर जरा यह सोचने की कोशिश करो..कि अगर हम ऐसा करें तो क्या होगा ?"




"फामू'ला सुरक्षित रहेगा और क्या 'होगा ?"




" बिल्कुल ठीक ।" अलफांसे ने कहा-"यह बात बिल्कुल सच है कि फार्मूला प्रयोगशाला में बिल्कुल सुरक्षित रहेगा, किन्तु याद रहे, जब तक वह प्रयोगशाला में सुरक्षित रहेगा तब तक किसी भी देश का जासूस चमन से नहीं टलेगा और इस प्रकार चमन न जाने कब तक अन्तर्राष्ट्रीय जासूसों का केन्द्र बना रहेगा, जो न चमन के लिए उचित है, न -वतन के लिए है"



-"तो आप यह चाहते है कि फार्मूला प्रयोगशाला से बाहर आये ।"

-"ठीक समझे ।"




" ठीक है ।'"विकास ने कहा…"फार्मूला प्रयोगशाला से बाहर तो अवश्य आयेगा, किन्तु उस तरह जिस तरह मैं चाहता हूँ ।"



"तुम किस तरह चाहते हो ?"


चुप रह गयो बिकास है उसने कोई जवाब नहीं दिया ।



इस बीच न जाने वह क्या… सोच रहा था । अलकांसे के साथ साथ पिशाचनाथ 'भी विंचित्र-सी दृष्टि से उसकी तरफ़ देख रहा था ।।।
जब काफी देर की खामोशी के पश्चात भी विकास 'कुछ न बोला, चुप ही रहा तो----



" क्या सोच रहे हो बेटे ?" अलफासे ने उसकी विचार श्रृंखला भंग की ।



एकाएक ही अलफांसे की ओर देखकर चुटकी बजाई बिकास ने, बोला-"दिमाग में आइडिया आ गया गुरु ।"



" क्या ?"

" ---सचमुच अलफांसे बना हैरी प्रयोगशाला से फार्मूला गायब करेगा ।



" ये कौन-सा नया आइडिया ? "




" सचमुच आपकी और विजय अंकल की स्कीम बहुत अच्छी है गुरु ।" अपनी रिस्टवाच में समय देखते हुए विकास ने कहा--- लेकिन मेरे दिमाग में जो आइडिया आया है अगर यह इस स्कीम में फिट कर दिया जाये तो सच, खतरे की कोई बात ही न रहे ।"




-"कुछ बताओगे भी या ऐसे ही पहेलियां ही बुझाते रहोगे ?"



"सुनिये ।" कहने के उपरान्त विकास धीरे-धीरे उन्हें कोई बात बताने लगा । उसकी बातें सुनने के लिए पिशाचसाथ भी करीब खिसक आया था और कान लगाकर उनकी बातें सुन रहा था । सवं कुछ सुनने के पश्चात उसके मुंह से वरबस ही निकल पडा-"सच महाराज । यह आइडिया फिट रहेगा ।"



किंतु, अलफांसे ने कहा…"यह क्या गारन्टी है कि जो तुम कह रहे हो, वह हो ही जायेगा ।"


" क्या अपने शिष्य पर भरोसा नहीं रहा गुरु ?"



" मेरा मतलब हैं कि बातं उल्टी भी तो पड़ सकती है ।"


" यह कार्य मेरे अधीन है गुरु और इस कार्य की आप चिन्ता न करें !" विकास ने कहा…"अगर आप मुझे सिर्फ यह इजाजत दें कि मैं यह सव कर डालूं ।"

हल्के से मुस्कराया अलाफांसे बौला-"जानता हूँ बेटे कि अगर में इजाजत न भी दूं तो जो तुम करना चाहते हो , बह करने से बाज नहीं आओगे ।। अत: इजाजत देकर अपना सम्मान बचाये रखना ही उचित हैै तुम वही करोगे जो कह रहे हो, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं करोगे ।। "



"'जियो गुरु, हजारों साल तक जियो !" कहते हुए विकास ने अलफांसे के चेहरे-पर चुम्बनों की झडी लगा दी ।।।
रात के आठ बज रहे थे है चमन की इमारतें, सड़क, बाजार और दुकानें विद्युत बल्वों एवं रोंंडों से चमक रही थी है कि अलफांसे बने हैरी के होंठों इस समय विजयात्मक मुस्कान थी ।




वह प्रयोगशाला के चारों और फैली छावनी से लौट रहा था । किसी प्रकार वह चार सैनिकों को मारकर उनकी गर्ने प्रयोगशाला की चारों सर्चलाइटों के निशाने पर इस प्रकार फिट कर आया था कि वे चारों गनें एक-एक…मिनट के अन्त-राल ठीक वारह बजे गर्जनी थीं ।।



वह जानता था कि जो प्रबन्ध वह करने आया है उसके अनुसार बारह बजे चारों सर्चलाइटैं फूट जायेंगी ।




चारों मृत सैनिको के शरीरों को वह मजबूत रेशम की डोरी की सहायता से खाई में लटका आया था ।।


इस समय टेक्सी में वह राष्ट्रपति भवन की और लोट रहा था ।



टैस्सी की गति से कहीं अधिक तीव्रता के साथ उसके मस्तिष्क में विचारों का आवागमन हो रहा था ।

वह एक बार पुनः मस्तिष्क में निर्धारित कर रहा था कि अपनी योजना अनुसार उसे अागे क्या करना है ।।




एक झटके के साथ टेक्सी रुक जाने से अचानक उसकी विचार श्रृंखला भंग हो गई ।।



उसने चौंककर देखा टैक्सी एक सुनसान इलाके में सड़क के किनारे रुकी थी ।।



हैरी एकदम स्तर्क हो गया जेब के बाहर से ही हाथ रिबाँल्वर पर जमाकर बोला---"क्या बात है ड्राइवर ?"

"ड्राइवर नहीं, तुम्हारा शिष्य है गुरु ।” ड्राइवर के मुख से विकास का स्वर निकला --' त--तुम ?" हैरी हकला-सा गया ।



."क्यों गुरु, मुझे यहाँ देखकर चकरा क्युं गए ।।



सचमुच हैरी का मस्तिष्क बुरी तरह चकरा उठा । झनाहट-सी हो रही थी उसके दिमाग में !



इस बात की तो उसने कल्पना भी नहीं की थी कि इस तरह अचानक-से उसका सामना विकास से हो जाएगा ।


एक बार को तो उसके दिमाग में विचार जमा कि वह रिवॉल्वर निकालकर फौरन विकास पर फायर कर दे, किंतु--ठहर गया । उसने ऐसा नहीं किया'। ऐसा करते ही यह स्पष्ट हो जाना था फि वह अलफांसे नहीं, कोई अन्य है विकास के उपर्युक्त वाक्यों से उसने जाना था कि विकास उसे अलफांसे ही समझ रहा है ।

यह जानना भी उसके लिए बहुत आवश्यक था कि विकासं यहां क्या कर रहा है ?


अत: सम्भलकर अलफांसे के स्वर में ही बोला---" चकराने का तो कोई प्रशन् ही नहीं, किन्तु...... !"



"किन्तु क्या गुरु ?"



--"तुम यहाँ क्या कंर रहे हो ?"


" जो आप कर रहे है !"


" यानी ?'"

"मैं वतन और उसकी हिफाजत के लिए चमन में आया हुं ।" विकास ने कहा ।
" उसके स्टेटमेंट का तो परिणाम है कि आप जैसी हस्ती चमन में घूम रहीं है ।" कहता हुआ विकास कार का देरवाजा खोलकर बाहर आ गया ।



हैरी भी पूर्णतया सतर्क और अपनी सतर्कता का परिचय देता हुआ वह भी दरवाजा खोलकर तुरन्त ही बाहर आ गया था है किन्तु-----विकास ने आगे बढकर उसके पैर छू लिए, बोला----" यह जानना चाहता हूँ गुरु कि आप चमन में क्या कर रहे है ?"






"जिस लिए तुम आए हो, उसी मकसद से मैं भी चमन-आया हूँ ।" अलफासे के ही स्वर में हैरी ने उत्तर दिया, यहाँ तक मेरा ख्याल है, सभी देश अपने-अपने जासूसों को यह फार्मूला प्राप्त करने के लिए चमन में भेंजेंगे ।"

" और आप उन सबसे पहले फार्मूला प्राप्त करने यहां पहुँच गये । "


" क्या बकते हो ?"



"फार्मूला प्राप्त करने के उपरान्त आप अपनी पुरानी आदतानुसार उसकी कीमत लगा सकें ।" विकास ने कहा… "जो देश आपको उसकी सर्वाधिक कीमत दें, उसे आप वह फार्मूला वेच सकें,, बोलिए-चमन में आपके अाने का यही मकसद है ना ?"




""क्या बात कर रहे हो विकास ?" अलफांसे ने कहा ----"हकीकत यह है कि से यहाँ उस फार्मूले की हिफाजत के लिए आया हूँ । यह सोचकर आया हूँ कि किसी भी राष्ट्र के जासूस को यह… फार्मुला प्राप्त नहीं करने दूंगा । क्या तुम समझते थे कि मैं वतन के साथ ऐसी हरकत करूंगा ?"



" -वतन के साथ ही क्या--- आप किसी के साथ भी यहीं हरकत कर सकते है ।"



" यह भी तो सम्भव है कि भारतीय सरकार ने तुम्हें चमन में वतन का यह फार्मूला प्राप्त करने भेजा हो ?"



"'यह आप कह रहे हैं ?"



.मुस्कराया वह, बोला, "'क्यों क्यों यह नहीं हो सकता? अन्य देशों की भांति भारत को भी तो यह फार्मूला प्राप्त करने का लालच हो सकता है और जहाँ तक मैं समझता हूं भारत के पास कम-से-कम इस काम के लिए तुमसे बेहतर जासूस नहीं है !"

सुर्ख हो गया विकास का चेहरा सारा जिस्म क्रोध से कांपने लगा ।
विकास गुर्रा उठा----"मेरा देश अमेरिका की भांति जलील और कमीना नहीं है ।"



" क्या मतलब?" हैरी एकदम सतर्क हुआ--" अमेरिका से क्या मतलब ..?"



"यह भ्रम अपने दिमाग से निकाल दो हैरी बेटे, कि विकास तुम्हें अलफांसे समझ रहा है ।" किसी खूनी भेड़िये की भाँति गुर्राता ही चला गया" विकास-----" जानता हूं कि तुम हैरी हो और यह भी जानता हूँ कि गुरु का यह मास्क पहनकर तुम क्या कुछ कर चुके हों ।"


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Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »


एक क्षण के लिये तो झनझना उठा हैरी का दिमाग । उसके जिस्म की समस्त नसों में एक विचित्र-सी जकड़न स्थापित हो गयी । बोला---"अगर यह जानते हो विकास बेटेे कि मैं हैरी हूं, तो यह भी अवश्य जानते होगे कि मैं चीनी जासूसों की तरह तुमसे डरता नहीं हूं ।"


उधर हैरी और इधर विकास ।।



दोनों ही एकदूसरे के किसी भी हमले के प्रति सतर्क हो गयेे ।




" छः महीने पहले ही तो वतन ने तुम्हें इस देश से मार-मारकर भगाया था ।" विकास गुर्राया…"लेकिंन तुम कुत्ते की दुम हो न-वारह वर्ष भी नलकी में रही तो भी सीधे नहीं होगेै यहांआकर फार्मूला प्राप्त करने की कोशिश करने से पूर्व यह तो सोच लेते कि वतन किसका दोस्त है ?"

उपर्युक्त शब्दों के साथ ही विकास ने जो तीव्र हरकत की थी उसे भाँप कर अगर हैरी फुर्ती का प्रदर्शन न करता
तो निश्चित रूपं से उंसकी एक आँख जाती 'रहती ।


हुआ यूं कि विकास ने अपना आलपिन चला दिया था ।


हैरी--किसी जमाने का विकास का दोस्त ।
वह जानता था कि विकास का आलपिन क्या रंग लाता है ।



भयानक फुर्ती के साथ वह स्वयं को बचा गया है किंतु--फिर भी आलपिन उसकी आंख में तो नहीं----गाल पर अवश्य लगा , गाल पर लगा आलपिन क्या करता ? एक सुईसी चुभकर रह गई हैरी को ।


असली करामात तो आलपिन आंख में लगकर बताता है ।



फटाक से आंख फूट जाती है ।


विकास के आलपिन से अपनी आंख तो बचा गया हैरी किंतु विकास के उस जबरदस्त घुंसे से न बच सका जो फौलाद की ,भांति उसके चेहरे पर पड़ा था ।


एक क्षण केलिये तो उसे ऐसा लगा की उसका जबड़ा हिल उठा है ।


न चाहते हुये भी हवा में उछलकर वह "धडाम" से फर्श पर गिरा ।


विकास ने किसी गोरिल्ले की भाँति उसपर जम्प लगाई ।


किन्तु---- लोमड़ी जैसी चालाकी के साथ हेैरी सड़क पर दौ-तीन करवटें बदल गया ।



विकास मुंह के बल गिरा । तुरन्त ही खडा हुअा तो---- हैरी की एक् फलाईंग किक उसके सीने पर पडी ।


वह पुन लडखड़ाकर सड़क पर आ गिरा और अभी उठने ही वाला था कि हवा में लहराता हैरी का जिस्म उसके ऊपर आ पड़ा ।


विकास ने अपनी टांगो पर रख कर उसे उछालना चाहा, किंतु उसी समय हैरी के सिर की एक तेज टक्कर विकास चेहरे पर पड़ी ।



विकास के मुख से चीख निकल गयी ।।


हवा में सिर घुमाकर हैरी ने अपने -सिंर का बार पहले से भी अधिक तीव्रता के साथ विकास के चेहरे किया तो ----इस बार चिकनी मछली की भांति फिसलकर उसके नीचे से विकास निकल गया ।।
हैरी का सिर बहुत् जोर से सड़क पर टकराया------- रंग बिरंगे तारे नाच उठे उसकी आँखों के सामने ।


अभी वह उनसे मुक्त हो भी नहीं पाया था कि विकास के उसकी पसली में इतनी जोर से अपने बूट का वार किया कि हैरी दर्द से तिलमिला उठा ।




झुककर विकास ने हैरी के बाल पकड़े ।

बेरहमी से बालों को एक तीव्र झटका देते हुये उसने हैरी कों ऊपर उठाया । उठाते ही, अपने सिर की एक टक्कर हैरी के चेहरे पर मारी ।



इधर उसेके सिर की टक्कर हैेरी के चेहरे पर पड़ी, उधर हैरी के दाहिने पैर का गुटना दोनों टागों के बीच में ।।




" एक साथ दोंनों के कंठ से मार्मिक चीख निकली ।

चीखने के पश्चात भी दोनों में से कोई भी एक-दूसरे से अलग न हुआ ।


एक-दूसरे से बुरी तरह लिपट गये ।


किसी जमाने में एक-दूसरे के गहरे दोस्त थे वे। एक-दूसरे की ताकत का उन्हें पूरा अन्दाजा था ।


हैरी जानता था कि वह हल्का सा चूका और विकास उस पर हावी हुआ है विकास जानता था कि हैरी किसी भी प्रकार उससे कम नहीं है ।।


मगर वह क्षण मात्र के लिये भी ढीला पड़ा तो हैरी उस पर इस प्रकार हावी ही जयेगा कि फिर कभी सम्भाल में नहीं आयेगा ।



एक-दूसरे से गुंधे हुये दोनों ही सडक पर आ गिरे ।


न जाने कैसे दोनों के हाथों की उंगलियां अापस में फस -गयी ।


हथेलियाँ एक-दूसरे से सटी हुयी थीं । दोनों ही हाथ मोड़कर, एक-दूसरे की उगलियाँ तोडने का प्रयास कर रहे थे ।।

इतनी ताकत लंगानी पड़ रही थी दोनों को कि दोनों के ही चेहरे सुर्ख पड़ गये थे । लोहे की सलाखों की भांति उंगलियां फंसी थीं । उसी तरह हाथ फंसाये वे खड्डे हो गये ।



एकायक हैरी हाथ फंसाये ही घूम गया । पलक झपकते ही उसने विकास को अपनी पीठ पर लिया और झूक कर सड़क पर दे मारा ।।
यह दूसरी बात है कि सड़क पर चारों खाने चित गिरते ही विकास के कंठ से चीख निकल गयी मगर तुरन्त पलटकर उसने अपनी टांगे हैरी की गर्दन में फंसाई अौर हैरी को भी उसने सड़क पर दे मारा । हैरी के कंठ से भी चीख निकल गई ।


दोनों कलयुगी लड़कों के बीच जबरदस्त मल्लयुद्ध हुआ ।।


हैरी शैतान तो विकास महाशैतान ! विकास खतरनाक तो हैरी महाखतरनाक ।


करीब पन्द्रह मिनट तक उनके बीच युद्ध चला ।


पन्द्रह निबटे पश्चात् भले ही विकास ने हैरी की बेहोश कर दिया , पर इस कार्य में सफलंता अर्जित-करते-करते विकास कों दांतों पसीना अा गया ।



हैरी के बेहोश होते ही बहीं सड़क पर लेट गया था विकास लम्बी-लम्बी सांस लेता रहा ।।


कोई पांच मिनट बाद वह स्वय को सामान्य' स्थिति में ला पाया ।


वह उठा।



हैरी के बहाश शरीर को उठाकर कार, में डाला और कार तीव्र वेग पर सड़क पर दौडा दी ।

अधिक नहीं, सिर्फ दस मिनट पश्चात् विकास अलफांसे और पिशाचनाथ के पास बैठा था । वे तीनों एक दूसरे के अामने-सामने सोफों पैर बैठे थे और हैरी का बेहोश शरीर कमरे के फर्श पड़ा था ।


अलफांसे कह रहा था--"लगता है विकास वेंटे कि हैरी भारी पड़ा?"



" भारी तो पड़ना ही था गुरु । "' बिकास ने कहा----" वे सभी गुर इसे मालूम हैं, जो मैं जानता हूँ "


" खैर ।" अलफांसे ने कहा…"अब क्या इरादा है ?"

" इरादा ही क्या है ?" विकास ने पिशाचनाथ की और देखते हुये कहा-----" वही करना है, जों मैं बता चुका हूं । वह तैयार कर लिया ?"
" जी महाराज ।" कहते हुये पिशाचनाथ ने अपने बटुये में हाथ डाला है प्लास्टिक का बना एक ताजा फैसमास्क उसमे से निकालता हुआ बोला…" लिजिये आप देख सकते हैं । इसमें और हैरी के चेहरे में लेशमात्र भी अन्तर न होगा ।"




"अभी तो इसी के चेहरे पर गुरु का मास्क है ।" कहते हुये विकास ने हैरी के चेहरे पर से मास्क हटा दिया ।



इसके पश्वात्-विकास ने स्वयं वे कपडे जो हैरी के शरीर पर पहने थे ।अपने चेहरे पर पहले, हैरी का फेसमास्क चढ़ाया फिर अलफांसे का और हैरी को अलफांसे और पिशाचनाथ के हवाले करके स्वयं वहाँ से चल दिया है जिस अलफासे ने वतन के पास जाकर यह कहा था कि वह चमन घूमने गया था, वह हैरी था न अलकांसे बल्कि विकास था ।।


अलफांसे बना बिकास ही वतन की प्रयोगशाला तक पहुंचा था ।।


वह भी विकास ही था, जो प्रयोगशाला से फिल्म निकाल लाया ।

वह भी विकास ही था, जो फिल्म सहित हैलीकॉप्टर में जैकी से मिला ।


जैकी जिसे हैरी समझ रहा था असल में वह विकास था ।

असल में वह हैरी नहीं, विकास था , जौ जैकी के मुंह से एक अन्य आवाज सुनकर चौक पड़ा ।।



यह सब कुछ आप
"जला हुआ वतन" में पढ़ आये हैं । "
"हैरी हमारे पास है प्यारे जासूस !" ट्रांसमीटर पर झूका हुआ अलफांसे कह रहा था----" वतन की दृष्टि में अलफांसे और जैकी की नजरों में हैरी बनकर विकास सफलता अर्जित करता चला जायेगा । मेरा ख्याल है कि अव तक तो जैकी के साथ हैलीकॉप्टर में बैठ भी चुका होगा ।"


"आखिर तुम उस साले दिलजले को रोक नहीं पाये लूमड़ भाई ?" दूसरी ओर से विजय ने कहा ।



" रोकना चाहता तो रोक लेता, किंतु उसने योजना ही ऐसी बनाई कि जिसमें कहीं भी लोच नहीं था । " अलफांसे ने कहा…"तुम यह चाहते थे अन्तर्राष्ट्रीय जासूसों ही जासूसी का केन्द्र चमन न बन सके । । यहीं तो करण था नि तुम यह चाहते थे कि हैरी प्रयोगशाला से फार्मुला चुरा ले ।
और बाहर निकलने पर उसे हम छीन लें ।। विकास ने उस योजना को और निखार दिया है जितने भी जासूस इस चक्कर में लगे हुये हैं, वे ये समझते होगें कि हैरी फार्मूला ले गया ।
जबकि फार्मूला विकासं पर है ।अब, अन्तर्राष्ट्रीय जासूसी का केन्द्र अमेरिका बनेगा जबकि फार्मूला अशरफ लेकर अमेरिका से चुपचाप निकल अायेगा ।"




"खैर ।" विजय ने कहा…"जो हो चुका, वह ठीक है लेकिन आगे की योजना क्या है ?"

" तुम अमेरिका में स्थित अशरफ से कहोकि वह विकास से वाशिंगटन के लाजिक होटल में मिले । हेरी को तो अशरफ पहचानता ही है । किसी भी दिन शाम को सात बजे हैरी उस होटल के हाँल में आयेगा । तुम अशरफ कों सामझा सकते हो कि वह हैरी नहीं विकास होगा ।। दोनों फिल्में वह अशरफ की सौप देगा । बस, अशरफ को चुपचाप भारत के लिये रवाना हो जाना है ।"



" लेकिन लगता है लूमड़ भाई कि अमेरिका में अपने झानझरोखे के साथ कोई गड़बड़ हो गई है ।"




"क्यों ------? क्या मतलब ?" अलफासे चौंका ।



" कई बार उससे ट्रांसमीटर पर सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास कर चुके हैं, किन्तु सफलता नहीं मिली ।"
विजय ने कहा ---" खैर मैं विक्रम, नाहर परवेज और अाशा कों अमेरिका पहुंचने के आदेश दे चुका हूं ।। उनका काम अशरफ का पता लगाना होगा । साथ ही लाजिक होटल विकास से उनमें से कोई मिल लेगा ।'"




"हूँ ।" अलफांसे ने, कहा, "अव तुम्हारा क्या इरादा है ?"



"जब तक फार्मूला सुरक्षित भारत नहीं पहुंच जाता , तव तक चीन की दीवार पर ही लटके रहेंगे ।"





"और मैं यहाँ क्या करू ?"

"तुम वहाँ रहकर वतन प्यारे की हिफाजत करो लूमड़ भाई ।।" विजय ने कहा---"वतन चाहे कुछ भी सही " किन्तु इस समय वतन वैज्ञानिक है और जिन जासूसों के हाथ फार्मूला नहीं लगेगा वे वतन को किडनैप करने का प्रयास करेंगे ।"


अभी अलफासे कुछ कहने ही वाला था -----

"चचा से कह दो कि वतन का किडनैप करना छोटे मौटे जासूसों के बस का रोग नहीं है ।" इस आबाज को सुनते ही अलफांसे और पिशाचनाथ उछल पडे । बुरी तरह चौंककर उन्होंने कमरे के दरवाजे की देखा ।


"वतन ------ वतन ।" अलग--अलग दोनों के मुंहसे निकल पड़ा ।



सचमुच वतन ही कंमंरे में प्रविष्ट हुआ या । ऊपर से नीचे तक दुध जैसे बेदाग सफेद कपडे, आँखों पर सुनहरे फ्रेम का चश्मा । हाथ में छड़ी लिये वह खट-खट करता उनके समीप आया रहा ।। चेहरे पर हमेशा रहने वाली गम्भीरता विराजमान थी ।




उसे यहां देखकर सकते की सी हालत से रह गये थे अलफांसे और पिशाचनाथ ।।।।।।।
अलफांसे ने तो स्वप्नमें भी कल्पना नहीं की थी की वतन वहां आ पहुंचेगा । इतना अवाक-सा वतन कौ देखकर रह गयां वह कि जुबान तालू से चिपक गई । कुछ कहना चाहा भी कह न सका है ।



"प्रणाम चचा ।" कहकर लम्बा वतन अलफांसे के चरणों में झुक गया ।"




अलफांसे इतना ही कह सका---"तुम यहां ?"

किन्तु अलफांसे के प्रश्न का कोई भी उत्तर न :देकर वतन ने उसके हाथ में से ट्रांसमीटर ले लिया ।



दूसरी तरफ से ट्रांसमीटर पर विजय की यहीं आवाज गूंज रही थी---" अबे मियां लूमड़ प्यारे क्या हो गया है यार हमारे ? वतन --- वतन कहकर क्यों कहकर चुप क्यों हो गये ?"





"'प्रणाम चचा ?" वतन ने कहा---"मुझे यहां देखकर लूमड़ चचा हैरान रह गये ।"



"हांय ।" दूसरी तरफ से विजयं चौका----बटन प्यारे तुम साले राष्ट्रपति भवन की कमीज से टूटकर यहां कहाँ पहुंच गये ।।"





'" आप भूल गये चचा कि कम से-कम चमन में वतन वहीं पहुच जाता है, जहां उसकी आवश्यकता होती है ।" वतन ने गम्भीर स्वर में कहा-----"रही यह बात कि वतन का कोई किडनैप न कर ले तो क्या आप जवाब देंगे कि --- क्या महान सिंगही वैज्ञानिक नहीं है ?"



"विल्कुल है बटन प्यारे । " विजय की आबाज ----" रूपये में सत्रह आनें है !"


"क्या कभी किसी ने उन्हें क्रिडनैप किया ?"




'"किसी को मरना है क्या ?"

" तो यह समझिये उनके शिष्य को भी किडनैप करने का प्रयास करेगा तो वह अपनी मौत को ही दावत देगा ।"
"लेकिम मियाँ बटन प्यारे तुम यहाँ पहूंच कैसे गए?"बिजय ने पूछा।




"आपने महान सिंगही के शिष्य को मूर्ख समझकर बहुत बड़ी भूल की है चचा ।" वतन ने कहा- आप समझते हैं कि अखबार में स्टेटमेंट देना मेरी मूर्खता थी । हकीकतं है तो यह है कि वह स्टेटमै'ट एक बहुत बड़ी साजिश थी मेरी । उसमें आप भी फंस गये ।"






"क्या मतलब ?"




"मेरी बातों के मतलब उस समय तक समझे मैं नहीं आयेंगे चचा, जव तक कि मैं स्वयं आपको नहीं समझा दूंगा ।" वतन ने कहा-----" बहुत जल्दी ही आपसे मिलूंगा मैं । आपसे बातें करुगा ।"



" -लेकिन यह मामला क्या है वटन प्यारे ?"




"मामला सिर्फ यह है चचा कि कुछ दिनों के लिये दुनिया के इन महान जासूसों के बीच घूम रहा हूं मैं ।" अतन्त गम्भीर स्वर में वतन कह रहा था-----दोस्त और दुश्मन को पहचान चूका हूँ मैं । ऐलान कर दो चचा-दुनिया के महान जासूसों में ऐलान करार दो कि वतन आ रहा है । ढंके की चोट से मदान में आ रह हूँ । किसी में ताकत हो तो पूछ ले मुझसे वेवज एम का फार्मूला ।"

"तुम क्या चाहते हो ?"



यह कि जिस दिन से अखबार में मैंने स्टैटमेंट दिया है, उसी दिन से मेरी और सिर्फ मेरी ही जीत होती चली आई है ।" वतन ने कहा-"कौई भी इस भ्रममें न पड़े कि वह जीत गया है । आप, विकास, लूमड़ अंकल सभी हारे हैं । क्यों-कैसे? इन सब प्रश्नो के उत्तर मैं बाद दुगा ।"




कहने के साथ ही वतन ने सम्बन्ध बिच्छेद कर दिया ।



पलटकऱ अलफांसे और पिशाचऩाथ की ओर देखा ।
वतन बोला--" इस तरह क्यों खड़े हैं चचा , बैठ जाइये ।"



इस बीच अलफासे स्वयं को नियन्त्रित कर चुका था । बोला------"तुम यहाँ कैसे पहुंच गए ।"

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Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

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"'क्या आपको भी यह बात अलग से बतानी पडेगी की चमन में जहाँ वतंन की जरूरत होती है, वहीं पहुच जाता
है । "



" तो-----तो आज तुम्हारे साथ अपोलो नहीं है ?"

" आज उससे छुपकर आया हूं यहां " वतन ने बताया--विकास ने समझा कि प्रयोगशाला के प्रयोग-कक्ष में लड़ता-लड़ता मैं बेहोश हो गया था । वह बेचारा तो इस भुलावे में भी रहाँ कि मैं उसे आपको समझ रहा हूँ । मुझे राष्ट्रपति भवन में बंधा छोड़कर वह अपोलो और धनुषटंकार से यह वहाना बनाकर चला गया कि वह फिल्मों को सुरक्षित रखने जा रहा है । उसके जाने के बाद जब धनुषटकांर ने अलफांसे समझकर मेरी तलाशी ली तो जाना कि मैं वतन और वह अलफांसे था, जो वतन बनकर निकल गया । अपोलो और धनुषटंकार जो सचमुच मुझसे असीम प्रेम करते हैं, पागल से होकर कथित अलफांसे की तलाश में गए और अपने बन्धन खोलकर मैं यहाँ आ गया हूं ।।"





" तो तुम्हें यह भी मालूम है कि वह विकास था ?"



" ये पूछिए कि क्या नहीं मालूम मुझे ?" वतन का लहजा गम्भीर ही था--"मुझे,तो यह भी मालूम है कि शाम को घूमकर आने से पूर्व अापके मेकअप में हैरी था और तब जबकि हैरी मेरी प्रयोगशाला की चारों सर्चलाइटों का प्रबंध करके लौट रहा था तो टेक्सी ड्राइवर के रूपमें विकास ने उसे पकड़ लिया, उनका टकराव हुआ । हैरी को बेहोश करके विकास उसे यहाँ आपके पास ले आया और यंहां से हैरी और आपका फैसमास्क पहनकर मेरे पास पहुंचा ।"
हैरत से आँखें' फैल गई अलफांसे की । पिशाच की भी बूद्धि चकराकर रह गई ।



"तुम्हें सब कुछ मालूम था तो तुमने वह सव कुछ होने क्यों दिया, जो हुआ ।" अलफांसे ने पूछा ।।


"--क्योंकि मैं चाहता था कि वह सब कुछ हो ।"



" क्या कह रहे हो तुम ।"

’"मैं ठीक कह रहा हूँ लूमड़ चचा । जो भी कुछ हुया है, वह मेरी एक योजना थी ।"




"लेकिन क्यों ? यह सबकुछ तुमने क्यों होने दिया ?" अलफांसे ने पूछा---" यह सब कुछ करवाने के पीछे तुम्हारा मकसद क्या है ?"





-"'सुनिए, मैं बताता हूँ आपको ।" सदा की भांति गंभीर स्वर में कहना शुरू किया वतन ने…"यह सच है किं मैंने पहले वेवज एम और फिर उसके बाद डॉक्टर आवा की आवाज कैच करके 'अणुनाशकों किरणे बनाई । मगर प्रश्न यह हैकि मैंने यह घोषणा विश्वभर के अखबारों में क्यों की। आपने, विकास और विजय चचा ने मेरी इस हरकत को मूर्खतापूर्ण ही कहा । सचमुच, यह मूर्खता ही होती- किन्तु तब जबकि मुझे यह विदित न होता कि मेरी इस घोषणा को पढ़ते ही मेरे दुश्मन इस फार्मूले को प्राप्त करने है कि के लिए दौड पड़ेगे है मुझे मालूम था यह सब और मैं चाहता था कि मेरे दुश्मन चमन की तरफ दौड पड़े । यह चाहकर ही तो मैंने वह स्टेटमेट दिया था ।"



"लेकिन प्रश्न यह है कि तुमने ऐसी विचित्र बात चाही क्यों ?"
"चचा !" धीरे से कहा वतन ने…"यह पता लगाना मेरे लिए बहुत आवश्यक था कि विश्व की कौन-सी हस्ती मेरी दुश्मन है और कौन-सी, दोस्त है सम्पूर्ण विश्व अनेक राष्ट्रोंका एक समूह है ।" इस समूह में मेरा एक राष्ट्र है जो सिर्फ छ: मंहीने पहले ही आजाद हुआ है 'दुनिया के सभी ' राष्ट्र चमन-को अपना मित्र कहते थे, मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढाते थे, मेरे लिए उनमें से यह पहचानना कठिन था कि कौन मुझसे सच्ची दोस्ती चाहता है और कौन बगल में छुरी दबाए हुए है । यही जानने के लिए मैंने एकं तरीका निकाला' और वह तंरीका था-विश्वभर के अखबारों ये अपना स्टेटमेंट छपवा देना । वस…अ्सली चेहरे मेर सामने अा गए। दुश्मन फार्मू'ला गायब करने के केलिए दौड पडे । दोस्त मेरी मदद करने दौड़ पडे । ओर जिन्होंने कुछ नहीं किया वह न मेरे दोस्त हैं न दुश्मन । उन्हें दोस्त भी बनाया जा सकता है ।"

" बेशक ।"अलफांसे प्रशंसा कर उठा----" विश्व राजनीति को झटका देने के लिए तुम्हारा तरीका अच्छा था किन्तु' ....... ।"




"किंन्तु वया ?"



" यहां तक तो बात ठीक थी ।” अलफासे ने कहा ---- " अब तुम जान गए होने कि कौन दुश्मन और कौन दोस्त है फिर तुमने प्रयोगशाला से फामू"ला क्यों निकल जाने दिया ? हैरी को पकड़कर बैठा कयों नहीं लिया?"



जब से वतन यहां आया था, प्रथम बार हल्ले से मुस्काराया वह । वाणी में वहीं गम्भीरता---"जान लेना ही तो काफी नहीं कि कौन दुश्मन, कौन दोस्त है । उस समय तक दुश्मनों के विषय में जानने से ही क्या लाभ जव के उनसे बदला न लिया जाये ? वेचारे अकेले हैरी से मैं क्या बदला लेता ? बदला किसी व्यक्ति से नहीं, पांच राष्ट्र से लेना है ।। रूस, अमेरिका, चीन, इंगलैण्ड और पकिस्तान । सिंगही गुरु का शिष्य हूँ न चचा, जो करता हूँ, डंके की चोट पर करता हूं । स्वयं ही अपनी प्रयोगशाला से फार्मुला निकलवा दिया मैने , न न न यह ना समझना कि वह फार्मूला नकली है । "
जब से वतन यहां आया था, प्रथम बार हल्ले से मुस्काराया वह । वाणी में वहीं गम्भीरता---"जान लेना ही तो काफी नहीं कि कौन दुश्मन, कौन दोस्त है । उस समय तक दुश्मनों के विषय में जानने से ही क्या लाभ जव के उनसे बदला न लिया जाये ? वेचारे अकेले हैरी से मैं क्या बदला लेता ? बदला किसी व्यक्ति से नहीं, पांच राष्ट्र से लेना है ।। रूस, अमेरिका, चीन, इंगलैण्ड और पकिस्तान । सिंगही गुरु का शिष्य हूँ न चचा, जो करता हूँ, डंके की चोट पर करता हूं । स्वयं ही अपनी प्रयोगशाला से फार्मुला निकलवा दिया मैने , न न न यह ना समझना कि वह फार्मूला नकली है । "



"तुम कहना क्या चाहते हो ?"-



"प्रमाणितं करना चाहता हूँ की महान सिंगही का असली शिष्य हूं मैं !"

"हम फिर नहीं समझे ।"



"वे फिल्में अपनी प्रयोगशाला से निकालकर पांच राष्ट्रों को चुनौती दी है मैंने कि जिसमें ताकत है, वह प्राप्त कर ले उन्हें । अपनी फिल्मों के पीछे-पीछे मैं आरहा हूँ मेरा दावा है कि किसी के पास भी वे फिल्में सुरक्षित नहीं छोडूंगा । जिसमें ताकत हो मुझे रोके ले । अन्त में चाहे किसी के पास भी चली जायें मैं उन्हें निकालकर लाऊंगा । हां, भारत को तो वह फार्मूला देना ही चाहता हूं में ।"





"'वडी विचित्र-सी बात है !" अलफांसे ने कहा--"स्वयं ही अपनी प्रयोगशाला से फिल्में चोरी होने देते ,हो और फिर उन्हें प्राप्त करने के निकल पडते हो है तुम्हारी इस ऊटपटांग हरकत का मतलब ही क्या है ?"


एक बार पुन: हल्ले -से मुस्कराया बतन----" मतलब यह है कि दुश्मनों को चमन की शक्ति का पता लग जाए और वतन को पता लग जाए कि महान शक्ति कहलाने वाले ये राष्ट्र आखिर हैं कितने पानी में है ।"



" अजीब आदमी हो ।" अलफांसे ने कहा--"यह भी कौई बात हुई भला ?" "




"चचा !" वतन की वही गंभीर वाणी-------बहुत-सी बातें होती हैं जो पहले पहल ऊपर से देखने पर बडी विचित्र सी लगती हैं, किन्तु जब उन बातों को ध्यान से सोचा जाता है तो पता लगता है कि उनकी गहराई में क्या है ? यह समझिए कि यह लडाई मेरे द्वारा पैदा की गई है । "
आज न लड़ता तो के कल किंसी-न-किंसी ढ़ग से मुझ पर आक्रमण करते । ऐसे महत्त्वपूर्ण लोग भी दुनिया में कम ही होंगे जो अपनी इतनी महत्वपूण चीज को दांव पर लगाकर लडने चला है । मैं स्वयं दुश्मन की शक्ति का अन्दाजा करके उन्हें अपनी शक्ति दिखाना चाहता हूँ ।"

" मैं तुम्हारा मेकसद मकसद समझ गया हूँ" । .अलफांसे ने कहा…"किन्तु फिर भी बात है बिचित्र-सी ही !"





"मुझे अदृश्वर्य है को आपकी मेरी बात विचित्र लग रही है ।" वतन ने' कहा-"जवकि मैंने सुना यह है की आपराध की दुनियाँ में आप एकमात्र ऐसे अपराधी हैं, जिसका अपराध करने का मकसद आज तक कोई नहीं जान सका

"खैर !" अलकांसे ने कहा---" क्या मैँ जान सकता हूं कि तुम आगे क्या करना चाहते हो ?"

" जो भी कुछ करना चाहता हूं, उसमें आपकी और विशेष रूप से पिशाचनाथ की थोडी-सी आवश्यकता है । वतन ने कहा----"अखबारों में स्टेटमेंट के पश्चात् मैंने जाना है कि आप लोग मेरे दोस्त और हमददों में से है । सोचा कि आप मेरी थोडी-सी सहायता अवश्य करेंगे ।"



" बोलौ-क्या सहायता चाहते हो ?"



मैं जो कुछ करूंगा, उसे सारी दुनिया जानेगी ।" वतन ने कहा…"सभी जानेंगे कि वतन क्या कर रहा है । इतना सब कुछ करने के बावजुद भी मैं अन्तर्राष्ट्ररैय अदालत के शिकंजे हैं नहीं फंसनां चाहता । मैं यह चाहता हूँ कि सारी दुनिया यंह तो जाने कि वतन ने क्या किया है, किंतु वह सब कुछ वतन ने ही किया है, यह प्रमाणित करने हैं लिए किसी के पास प्रमाण न हो !"


" हम हर प्रकार से तुम्हारी सहायता करने के लिए तैयार हैं ।"



" मुझे आपसे ऐसी ही आशा थी ।" कहने के बाद वतन धीरे धीरे उन्हें सब कुछ समाझाने लगा ।।
हैरी के मेकअप में हैलीकॉप्टर ड्राईव करता हुआ विकास अपने बराबर में बैठे जैकी के मुंह से निकलने बाली आबाज को सुनकर बुरी तरह चौक पड़ा़ ।। उसका मस्तिष्क सन्ना उठै ।। स्वयं मानो अन्तरिक्ष में चकरा रहा था । उसकेे मुंह से निकंला---"'बाण्ड अकंलं ।"

"'ठीक पहचाना वेटे ।" जेम्स बाण्ड की आवाज---"लेकिन देर से पहचाना याद रहे हमारी रिवॉल्वर, का रूख तुम्हारी तरफ है । कोई भी हरकत करने से पूर्व यह याद रखना कि मैं गोली मारने में एक क्षण का भी विलम्व न कुंरूंगा ।"




एक क्षण स्थिर से नेत्रों से विकास ने बाण्ड को धूरा ।



बाण्ड कहे जा रहा था----मुझे दुख हैं हैरी बेटे कि फार्मूला प्राप्त करने के लिये तुमने जो मेहनत की थी वह------------बेकार हो गई !"




-"'अंकल ।" हरी के ही लह्रजे में विकास ने कहा ----"जो आपने किया, अपने हित में अच्छा नहीं-किया ।"



" मेरा नाम बाण्ड है बेटे ।" अपने रिवॉल्वर का दबाव हल्के से उसकी कनपटी रर बड़ाता हुया बोला-----तुम पैदा भी नहीं हुए थे तब से में अपना _हित और अहित समझता हूँ ।तुमने इस जासूसी के क्षेत्र में अभी कदम रखा है । बेशक इस बात के लिये तुम्हारी प्रर्शसां करनी होगी कि 'तुमने वतन की सुदृढ प्रयोगशाला से खुबसुरती के साथ फिल्में गायब की किंतु इसका यह मतलब नहीं कि उतनी ही खूबसूऱती से तुम इन्हें अमेरिका ले जाने में भी कामयाब हो जाते ।। न-न-कौई चालाकी नहीं, हैलीकॉप्टर चलाते रहो ।"


इस प्रकार, उन कुछ क्षणों के लिये विवश था, विकास ।



उसने जेम्ज बाण्ड पर यह भेद भी नहीं खोला कि वह हैरी नही विकास है । इस विचार से भी उसकां मस्तिष्क सन्ना रहा था कि 'बाण्ड' ने वे फिल्में जंगल में क्यों फेंक दीं ? अब स्वयं उन फिल्मों को कैसे ढूंढ पायेगा ?"

"हैरी वेटे !" अचानक बाण्ड ने उसकी बिचार श्रृंखला भंग की---" मुझे विदित था कि बही होगा, जो हो रहा है, अत: मैं पूरी तैयारी करके अाया था । इस हेलीकॉप्टर में सिर्फ एक पैराशूट है ।" कहते हुये वास्तव में बाण्ड ने सीट के नीचे से एक पैराशट निकाल लिया ।


विकास चुप था ।



-तुम जिस प्रकार; हैलीकाँप्टर चला रहे हो, उसी प्रकार चलाते रहोगे।" बाण्ड ने कंहा----"मैं कूद रहा हूँ ।"



''याद रहे---अगर तुमने भूमि से हैलीकॉप्टर की ऊंचाई लेश मात्र भी कम करने की चेष्ठा की तो अंजाम--ये हैलीकॉप्टर तुम्हारी चिता बन् जायेगा ।"
चुप ही या विकासं ।


"ये न समझना कि हैलीकॉप्टर को उडाने को धमकी अपने रिवॉल्वर के आधार पर दे रहा हूँ ।" बाण्ड ने पुन: कहा----"मेरे पास गन है और किसी भी क्षण तुम्हारा हैलीकॉप्टर मेरी गन की रेंज से बाहर नहीं होगा ।"




एकदम, किसी गूंगे की भाँति चुप था विकास उसका चेहरा सुर्ख हो चुका था-कनपटियों तक सुर्ख ।। नेत्रों में कठोरता । उसी प्रकार सीट पर -वैठा वह हैलीकॉप्टर ड्राईव किये जा रहा था ।।।



' विभिन्न प्रकार की चेतावनियां देता हुया बाण्ड पैराशूट इत्यादि बाँधकर तैयार, हो गया । अन्त में बोला--, "बहुत गुस्से में लग रहे हो हैरी बेटे लेकिन असलियत ये है कि इसमें गुस्से जैसी कोई बात नहीं है । कभी तुम्हारा दांव लगता है, कमी हमारा । अगर तुम बचकर निकलना चाहो तो हैलीकाप्टर वाशिंगटन की ही धरती छुए ।'"

कहकर हैलीकॉप्टर से बाहर अंधकार में कूद गया ।


विकास तो जैसे पहले ही सौचे बैठा था कि उसे कब कहाँ क्या हरकत करनी है । अभी तक वह जैसे सिर्फ समय का प्रतीक्षक था ।


उधर, बाण्ड कूदा ।।।

इधर विकास दूसरी दिशा बाली खिड़की से बाहर कूद गया ।


हैलीकाप्टर चालक रहित रहित हो गया । कूदते ही विकास कुछ दूर तक भूमि की तरफ प्रबल बेग से गिरा, फिर-एक झटका लगा ।


उसकी गति हवा में तैरते-से किसी इन्सान जैसी हो गई । हवा में तैरता विकास बुदबुदा रहा था ---" मैं भी जानता था बाण्ड बेटे कि ऐसा कुछ हो सकता है ।"
सचमुच एक पैराशूट की डोरियों में बंधा विकास हवा में तैर रहा था । उसका पैराशूट न जाने कौन से ऱंग का था कि वातावरण के स्याहीदार अंधेरे में उसका कोई अस्तित्व नजर नहीं आ रहा था ।


उसके ठीक विपरीत बाण्ड का पैरामूट नजर आ रहा था बिकास से थोड़ी ही दूरी पर हबा में तैरता बाण्ड भुमि की तरफ उतर रहा था ।



उधर-चालक रहित हैलीकॉप्टर हवा में लड़खडाया ।



उसी पल--बाण्ड की गन की गर्जना से वातावरण दहल उठा ।।


एक साथ गन की अनेक गोलियां हैलीकॉप्टर के जिस्म से टकराई । कोई गोली शायद टकीं को फाड़कर अंदर भी पहुंच गई थी है उसी के कारणवश सम्पूर्ण हैलीकॉप्टर आग की लपटों में घिर गया ।

विकास ने जलते हुए हैलीकॉप्टर को किसी परकटे पक्षी की भांति हवा में लहराते और अन्त में दूर किसी वृक्ष की चोटी से टकरा कर नष्ट होते देखा ।


न जाने किस विचार के परिणामस्वरूप उसके-होठों पर मुस्कराहट उभर आई ।



दुर-बृक्ष की शाखों में उलझा हैलीकॉप्टर जल रहा था ।


उसके साथ ही जल रंहा था वृक्ष का वह भागं जिसने हैलीकाप्टर को सम्हाल रखा था । पहले बाण्ड और उसके पांच मिनट पश्चात ही विकास भूमी पर पहुंच गया । बाण्ड का पैराशूट क्योंकि अंधेरे में स्पष्ट चमक रहा था , इसलिये विकास सरलता से प्रत्येक पत उस पर नजर रख सकता था ' मृ ३' क्रिन्तु बाण्ड को शायद स्वप्न मैं भी उम्मीद नहीं थी कि विकास भी उसके आसपास कहीं है ।



विकासं बाण्ड से करीब पचास गज दूर था । पैराशूट को लपेटकर सुरक्षित रखने की विकास ने कोई कोशिश की ।
विकास स्वयं को अंधेरे में रखता हुआ धीरे धीरे बाण्ड की तरफ बड़ा । अभी वह अपने और वाण्ड के बीच की दूरी ही तय कर सका था कि-----



बाण्ड की दिशा में एक टार्च चमकी ।।



विकास ठिठक गया ।।


ठिठककर गौर से देखने लगा ।
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Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »


टार्च से बाण्ड हाथ में मौजूद किसी चीज को देख रहा था ।

विकास यह न देख सका कि टार्च की रोशनी में बाण्ड ने क्या देखा है ।



फिर --- रोशन टार्च हाथ में लिये बाण्ड एक तरफ को बड़ गया ।।




जिसने की आवश्यकता, नहीं कि स्वयं को अंधेरे में रखकर विकास उसके पीछेे लपका । इतना तो विकास समझ ही चुका था कि जंगल के इस अंधेरे में बाण्ड ने फिल्में यूं ही नहीं फेंक दी ।


खोजने के लिये बाण्ड के पास कोई-न-कोई साधन अवश्य होगा । यह साधन क्या है ? जब तक विकास को यह पता न लग जाये, तब तक वह वाण्ड के सामने अाना उपयुत्त नहीं समझता था ।।


बाण्ड के हाथ में क्योंकि रोशन टॉर्च थीं इसलिये विकास को निरन्तर उसका पीछ् करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो रही थी ।। बीच बीच में बाण्ड टॉर्च का प्रकाश अपनी हथेली में दबी किसी चीज पर डालकर देख लेता और फिर आगे बढ़ जाता ।


कठिनता से पन्द्रह कदम की दूरी का अन्तराल रखता हुआ विकास उसका पीछा कर रहा था ।


कोई तीस मिनट तक यही सिलसिला जारी रहा।


फिर, एकाएक बाण्ड उस समय ठिठका ।
जब टार्च के प्रकाश में अपनी हथेली दबी चीज को देख रहा था ।
कुछ देर तक बाण्ड गौर से उस चीज को देखता रहा ।

उस समय विकास एक पेड के पीछे उससे सिर्फ इतनी दूर पर था कि बाण्ड की बुदबुदाहट भी उसने सुन ली । बाण्ड बुदबुदाया था----"इसका मतलब फिल्में किसी के हाथ लग गयी है ।"

विकांस ने उसका यह वाक्य सुना और समझ लिया कि मामला क्या है । टार्च के प्रकाश में वह बार-बार किस चीज कों देखता है ।। कई प्रकार के विचार तेजी से विकास के दिमाग में चकरा उठे । यह समझने में उसे की प्रकार की कंठिनाई नही हुई की बाण्ड बार बार दिशा और दूरी बताने वाली विरामघड़ी देखता है ।
यह समझने में भी उसे देर न लगी कि विरामघड़ी का सम्बन्ध उस पर्स से होगा । पर्स में कोई ऐसा ट्रांसमीटर होगा जिसकी दिशा और दूरी बाण्ड के बायें हाथ में दबी वह विरामंधडी बता रही होगी ।


घडी की सुइयों को गतिमान देखकर ही बाण्ड इस नतीजे पर पहुंचा होगा कि पर्स किसी के हाथ लग गया है ।



उधर बाण्ड पहले से अधिक तेजी के साथ एक तरफ को बड़ गया ।।




सावधानीवश बाण्ड ने टार्च बुझा दी थी । परिणामस्वरुप, विकास को अब उसका पीछा करने से मुश्किल हो रही थी ।।
हालांकि विकास काफी सतर्कता से आगे बढ़ रहा था मगर यह बात बाण्ड से अधिक देर न छूप सकी कि कोई उसका पीछा कर रहा है ।

एकाएक गजब की तीव्रता के साथ बाण्ड पलट पड़ा ।। झनाक से टार्च की रोशनी विकास की तरफ लपकी ।




साथ ही बाण्ड की आवाज-" कौन है ?"




किन्तु उससे अधिक तेजी के साथ हवा में सन्नाया विकास का आलपिन।


सूं--सूं की हल्की सी ध्वनि के साथ आलपिन जेम्स बाण्ड की कलाई में घूस गया । बौखलाहट में टॉर्च उसके हाथ से गिर गई ।


अभी वह उसे पुन: उठाने के लिये फुर्ती से झुका ही था कि----" नहीं अंकल, टार्च उठाने की कोशिश न करना, वर्ना मैं फायर कर दूंगा ।

ठिठक गया बाण्ड, मुंह से निकला----"हैरी ।"



आप क्या समझते है अंकल, कि मैं इतनी सरलता से हैलीकॉप्टर में जलकर राख हो जाऊंगा ?"



"तुम विकास हों-विकास ।। तुम हैरी नहीं हो सकते ।"


"जानता हूं अंकल , आपको विदित है कि आलापिन को हथियार के रूप में सिर्फ विकास इस्तेमाल करता है ।"


इस बार विकास अपनी वास्तविक स्वर में बोला था----" पहचाना तो ठीक अंकल लेकिन काफी देर से पहचाना ।"



" त-----तुम----लड़खड़ा गई बाण्ड की जुबान----"हैरी में भेष में ?"



"क्यों---जब आप जैकी के रुप में हो सकते है तो क्या में हैरी के रुप में नहीं हो सकता ?"



" किन्तु....."
बाण्ड अभी कुछ कहना ही चाहता था कि विकास की आवाज गूजीं --" किन्तु -विन्तु कुछ नहीं अंकलं------------------ कोई भी हरकत की तो भेजा फोड़ दूगां ।"

जेम्स बाण्ड ने देखा -----


उपर्युक्त शब्दों के साथ ही लम्बा लड़का उसके ठीक सामने खड़ा हो गया था । बाण्ड के समीप ही जमीन पर रोशन टार्च पड़ी हुई थी । उसका प्रकाश ना बाण्ड पर पड़ रहा था ना विकास पर , किन्तु उसके प्रकाश में एक--दूसरे को साये को भली भातीं देख सकते थे ! बाण्ड ने विकास के हाथ में दबी रिवॉ्ल्वर का साया भी देख लिया था ।




" अंकल ।" विकास ने कहा ---" जब तुम्हारे गंजे "एम" ने तुम्हें काम सौंपा था तो वह भूल गया कि वतन यार है विकास का ?"



" विकास !" गुर्रा उठा बाण्ड ---" चीफ के बिषय में जुबान संभालकर बात करो ।"



" छोड़ो चीफ की बात ।" विकास हंसा ----" अंकल क्या तुम भी भूल गये थे कि विकास की जान दोस्तों के लिये है ? क्या ---तुमने नहीं सोचा था कि उन फिल्मों को प्राप्त करने जाओगे तो तुम्हारा टकराब विकास से भी होगा ?"



" जानता था ----फिर ....?"



" फिर भी इस अभियान में कूदने की हिम्मत हो गई तुम्हारी ?"



अन्दर ही अन्दर कांप उठा बाण्ड ।


दुनिया में विकास ही ऐसा लड़का था जिसका सामना करने में बाण्ड स्वयं को नर्वस समझा करता था ।।

ना जाने क्यों विकास के सामने आते ही वह घबराहट सी महसूस करता था , किन्तु उस घबराहट को उसने कभी प्रकट नहीं कीया ।



तभी तो बोला ----" क्यों , क्या तुमसे कुछ डरता हूं मैं ?"



" मैं जानता हूं अंकल , जो दिल में है , उसे प्रश्न बनाकर पुछ रहे हो मुझसे ।"
ह्रदय भले ही कांप रहा हो बाण्ड का, किन्तु ऊपर से मुस्कराया , बाण्ड बोला ----" अपने बारे मे तुम्हें बहुत बड़ी गलती होगयी है विकास बेटे ! जिस दिन बाण्ड को तुम जैसे छोकरों से डरना पडा, उस दिन बाण्ड जीवित रहने से वेहतर आत्महत्या करना समझेगा ।'"



" आत्महत्या करोगे कैसे अंकल , मौत तो तुरूहारी विकास के हाथों लिखी है ।"




-“यह तो वक्त वतायेगा बटे कि किसकी मौत किसके हाथ लिखी है ।" बाण्ड गुर्राया---"काम की बात करो ।"



" वह विरामधड़ी मेरे हबाले कर दो ।"




" कौन-सी बिरामघड़ी ?"



"वंही जिसके आधार पर उस पर्स तक पहुंचना चाहते है जिसमे......"



किन्तु--पूर्ण न हो सका विकास का वाक्य ।।

उससे पूर्व ही ऐसी हरकत कर दी बाण्ड ने जिसकी विकास ने आशा नहीं की थीं । अपने कदमों में पड़ी रोशन टार्च कों उसने एक ठोकर मारकर विकास की तरफ उछाल दिया ।।


निशाना इतना सटीक कि सन्नाती हुई टॉर्च विकास के हाथ में दबे रिवॉल्बर से जाकर टकराई ।


उस अप्रत्याशित हमले के प्रति विकास सतर्क न था और यही कारण था कि एक पल केलिये उस से चूक होगई ।



रिबाँल्वर जाके हाथ से छिटकर कहीं अंधेंरे में दुर जा गिरा।


अभी वह संभलने ही वाला था की हवा में सन्नाता हुअा जेम्स बाण्ड का शरीर उसके-ऊपर आ गिरा ।।



विकास अभी स्वयं की बाण्ड के मुकाबला करने हेतु तैयार भी नहीं कर पाया था कि-----" ये जो विरामंधडी ।"


बाण्ड के इस बाक्य के साथ ही एक जबरदस्त घूंसा बिकास की कनपटी पर पडा ।।


घूंसा इतना शक्तिशाली था की फिरकनी की भांति घूमकर विकास धड़ांम से जमीन पर गिरा ।।
भयानक फुर्ती के साथ वह उछल कर खड़ा हो गया । इस कार्य में अगर उसे एक क्षण का भी बिलम्ब हो जाता तो बाण्ड के बूट की ठोकर पूरी शक्ति से उसके चेहरे पर टकराती ।

किन्तु अब----अब वह हबा में घूमकर रह गयी बाण्ड की टांग ।


उसी पल विकास के सिर की एक जोऱदार टक्कर उसके चेहरे पर पडी है न चाहते हुए भी बाण्ड के कण्ठ से चीख निकल गई ।


टक्कर सीधी उसकी नांक पर बैठी थी और नाक से खून किसी टूटे हुए बांध की भाति बहने लगा था । बाण्ड पहली चोट के कारण ही अपने दिमाग को नियन्त्रित न कर पाया था कि विकास की लम्बी टांग धूम गई ।


बूट की जौरदार ठोकर बाण्ड के पेट में पडी ।


कराहकर बाण्ड पेट पकड़कर दुहरा हो गया । उसी समय बाण्ड की गुद्दी पऱ विकास का दुहत्तड़ पड़ा ।


मुंह के बल विकास के कृदमो में जा गिरा बाण्ड । इससे पूर्व कि विकास उस पर अपना कोई अगला बार करता, बाण्ड ने उसकी दोनों टांगे पकड़कर एक झटके के सांथ खीच दीं ।



विकास के पैर धरती से हटे और वह बिचित्र से ढंग से चकराकर जमीन पर गिरा ।


गिरा अौर गिरने के उपरान्त भयानक फुर्ती के साथ वह उठकर खड़ा भी हो गया , किन्तु---इस बार जब उसने बाण्ड पर जम्प लगानी चाहीं तो एकाएक ठिठक गया ।।


टार्च की रोशनी में उसे चमक रहा था-अपने सामने खड़ा बाण्ड का साया, साथ ही उसने बाण्ड के हाथ में चमचमाता हुआ एक चाकू देख लिया था । उस चाकू को देखकर ही ठिठका था, वह गुर्राया-----"क्यों अंकल, उतर अाये बुजदिली पर ?"

-'"रिवॉल्वर मेरी तरफ तानकर खड़े रहना बुजदिली नहीं है ?" कहने के साथ हीं बाण्ड ने विजली की गति से झपटकर विकास पर चाकू का बार किया ।
विकास ने हबा में ही बाण्ड की चाकू वाली कलाई थाम ली और बोला---" शेर का कलेजा है अंकल तो मुझे भी एक चाकू ......."


उसका वाक्य पूरा होने से पूर्व ही बाण्ड का घूटना उसकी टांगों के जोड पर पडा ।।



निश्चय ही दर्द से तिलमिला उठा विकासं, किन्तु उसके चक्कर में वाण्ड की चाकू बाली कलाई कों छोड़ने के स्थान पर इतनी जौर से मरोडा कि बाण्ड के कंठ से चीख निकल गई । मुंह से चीख निकालता हुआ वाण्ड विकास की कमर पर से होता हुआ जमीन-पर गिरा ।

इलना सव कुछ करने के बावजूद भी उसने बाण्ड की चाकू वाली कलाई नहीं छोड़ी । एक टांग उस कलाई के जोड़ पर रखी अौर इस तरह कलाई की खींचने लगा मानौ उसे बाण्ड के जिस्म से तोड़कर अलग फेंक देने का इरादा रखता हो । इधर विकास इस प्रयास में था और उधर बाण्ड ने अपनी दोनों टांगे उठाकर विकास की गर्दन में फंसा दी।



बड़ा विचित्र-सा दांव फंसा था ।



विकास उसकी कलाई नहीं छोड़ रहा था और बाण्ड उसकी गर्दन । बाण्ड उसे गिराने के लिये झटका देता तो दर्द उसकी कलाई में होता । काफी देर तक दौनो उसी स्थिति में रहे । फिर------------



जैसे एकसाथ दोंनों ने निश्चय किया ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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