भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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आशना वीरेंदर द्वारा हो रही इस वाइल्ड फक्किंग से निहाल हो रही थी लेकिन उसकी आग कम होने की बजाए और भड़क रही थी. वीरेंदर भी कहाँ पीछे हटने वाला था. वो लगातार किसी मशीन की तरह अपनी पिस्टन को आशना के एंजिन मे दौड़ाए जा रहा था. जी भर कर आशना को इस पोज़ मे फक करने के बाद वीरेंदर ने आशना को बिस्तर पर पटक दिया और खुद उसकी टाँगों को हवा मे उठाकर अपने दहक्ते लिंग को उसकी योनि मे उतार दिया. आशना के गले से एक लंबी आह निकली और वीरेंदर ने फिर से ताबड़तोड़ धक्कों के साथ आशना को जन्नत तक ले जाने का काम शुरू कर दिया.

आशना के बार फिर से चरम सुख तक पहुँची मगर वीरेंदर के धक्कों मे कोई कमी नही आई. आशना तक कर चूर हो चुकी थी मगर वो वीरेंदर का बखूबी साथ दिए जा रही थी. वीरेंदर की उत्तेजना मे कोई कमी नहीं आ रही थी.उसका हर धक्का पहले से अधिक बलवान होने लगा. आशना का सारा बदन थिरक रहा था. वीरेंदर द्वारा हो रहे इस मर्दन से आशना निहाल हो चुकी थी. उसके मन में हर जनम में वीरेंदर को ही अपने जीवन साथी के रूप मे पाने की इच्छा जागृत होने लगी.

आशना की टाँगें दुखने लगी तो वीरेंदर ने उसे चौपाया की पोज़ मे कर दिया और पीछे से उसकी योनि मे लिंग उतार दिया. आशना के नितंबों को कसकर पकड़ कर वीरेंदर ने एक बार फिर से रफ़्तार पकड़ ली. सारे कमरे मे आशना की आहों की और ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी.इस घमासान फक्किंग को शुरू हुए करीब करीब आधा घंटा हो चला था. आशना के जिस्म मे अब और सहने की ताक़त नहीं बची थी.

आशना: आअह भैयआ, कम ऑन, कम इन मी.भर दीजिए अपनी गुड़िया की कोख को और मुझे अपने प्यार के रस से सींच दीजिए.

आशना की व्याकुलता और बेकरारी देख कर वीरेंदर ने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी. आशना की आहें अब चीखों मे तब्दील होने लगी थी. तभी वीरेंदर ने कसकर उसके नितंबों को पकड़ लिया और उसके लिंग से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े. वीर्य की धारा का परवाह इतना बलशाली था कि आशना को वीर्य की हर बूँद अपनी कोख पर गिरती हुई प्रतीत हुई. आशना की कोख को लगातार अपने वीर्य से भरते हुए वीरेंदर ने आशना के नितंबों को हाथ की थपकी से लाल सुर्ख कर दिया. हर थपकी से आशना के नितंब थिरकते और वीरेंदर के लिंग से इस नज़ारे के रोमांच से वीर्य उसकी कोख मे अर्जित होता.

तूफान थमा और कमरे मे एक ज़ोरदार चीख गूँजी. यह चीख दोनो के गले से निकली हुई संतुष्टि भरी आह का मिश्रण थी. दोनो ही अपनी अपनी मंज़िल को पाकर और अपनी हसरत को जीकर आनंदित थे.

वीरेंदर आशना के उपर ही गिर पड़ा. साँसें संभालते ही आशना ने वीरेंदर से कहा: वीर, आइ थिंक आइ विल बी प्रेग्नेंट बिफोर और लीगल हनिमून.

वीर ने मुस्कुरा कर उसके बालों मे उंगलियाँ फिराई और बोला: कल ही मैं तुम्हारे लिए प्रोटेक्षन का इंतज़ाम कर दूँगा.

आशना: व्हाट डू यू मीन कि मेरे लिए. प्रोटेक्षन तो आपको यूज़ करनी चाहिए.

वीरेंदर: माइ डार्लिंग गुड़िया, साइन्स ने बहुत तरक्की कर ली है. किसी बेचारे को क़ैद करने से बेहतर है की खुल के मज़े लो और एक छोटी सी टॅबलेट खा लो.

आशना: जाओ हटो, प्रोटेक्षन भी मुझे ही लेनी लड़ेगी और आपके उस बेचारे के बारे मे तो मैं ही जानती हूँ कि वो कितना बेचारा है.

वीरेंदर: चलो कोई बात नहीं, तुम कहती हो तो टॅबलेट मैं ही खा लूँगा.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना मुस्कुरा पड़ी और उस से चिपक कर बोली: आपकी ख़ुसी के लिए कुछ भी करूँगी. आख़िर आप मेरे वीर जो हैं और "भैया का ख़याल तो मैं ही रखूँगी".

रात भर चली दिलों की हसरतों को पूरा करने की होड़ मे जहाँ आशना के जिस्म का एक एक अंग वीरेंदर के पौराष प्रेम से अपनी अन्भुज प्यास मिटाने की असफल और अथक कोशिश कर रहा था वहीं वीरेंदर के जिस्म का पोर पोर आशना के होंठों की छाप से सराबोर हो चुका था.

सुबह जब दोनो फ्रेश होकर नीचे आए तो मोहित नाश्ते की टेबल पर उनका ही वेट कर रहा था. रागिनी किचन मे मसरूफ़ थी. मोहित के लिए इस वक्त आशना और वीरेंदर को फेस कर पाना मुश्किल हो रहा था. वो शरम से गढ़ा जा रहा था. आख़िर कल रात उसने भी तो रागिनी के साथ मिलकर अपने दिलों के अरमान पूरे किए थे.

वीरेंदर को मोहित के पास जाने का इशारा कर आशना किचन की तरफ चल दी.

रागिनी नाश्ता तैयार करने मे बिज़ी थी. आशना के कदमों की आहट सुनकर रागिनी के दिल की धड़कने भी बढ़ गयी और आशना की तरफ देखे बिना ही बोली: दीदी, सिर के लिए आलो के परान्ठे बना दूं?

आशना: हां बना दो.

रागिनी: और आप के लिए?

आशना: मेरे लिए भी वोही बना दो.

रागिनी ने हैरानी से आशना की तरफ देखा और बोली: आप खा लेंगी? यह कहकर रागिनी ने अपना चेहरा फिर से आगे की तरफ मोड़ लिया.

रागिनी के इस सवाल पर आशना मुस्कुराइ और बोली: जिस इंसान को रिझाने के लिए डाइयेटिंग करती थी उसे तो मेरा भरा हुआ शरीर ही पसंद है.

आशना की बात सुनकर रागिनी ने चौंक कर आशना की तरफ देखा और दोनो की नज़रें मिली. एक दूसरे की आँखों मे रात भर ना सो पाने की थकान लेकिन चेहरे पर आए नूर और प्यार की संतुष्टि देख कर दोनो ही मुस्कुरा उठी और आशना ने आगे बढ़ कर रागिनी के हाथ पकड़ लिए. रागिनी की नज़रें अनायास ही झुक गयी.

आशना: तुम खुश तो हो ना रागिनी?

रागिनी ने नज़रें झुकाए हे आशना को शरमा कर हां मे जवाब दिया.

आशना: तुम्हारी खुशी मे तुम्हारी आँखों मे देखना चाहती हूँ.

रागिनी ने जब पलकें उठाई तो उसकी पलकें भीग चुकी थी.

रागिनी: दीदी, औरत और मर्द के बीच क्या रिश्ता होता है इसका सही मायने मे अर्थ मुझे कल मोहित से पता चला. पता नहीं मैं उनके काबिल हूँ भी या नहीं लेकिन उनसे अच्छा जीवन साथी मेरे लिए मिल पाना नामुमकिन है.

आशना ने उसकी आँखों से आँसू पोंछ कर उसे अपने सीने से लगा लिया और बोली: तू तो मेरी ननद है. याद हैं ना तेरा कन्यादान वीर ने करना है.

रागिनी ने हां में गर्दन हिलाई.

आशना: अच्छा यह सब छोड़, पहले तू यह बता कि मोहित तुझे खुश तो रखेगा ना?

आशना की बात का मतलब समझते ही रागिनी ने आशना को कस कर सीने से लगा लिया और धीरे से बोली "बहूत खुश रखेंगे वो मुझे दीदी".

आशना: अच्छा चल अब जल्दी से नाश्ता तैयार कर देते हैं. कहीं यह मुर्गे खाली पेट फिर से कोई शरारत करने के मूड मे ना आ जाए.

दोनो एक दूसरे की आँखों मे देख कर हंस दी. नाश्ते के साथ ही आशना ने न्यूज़ चैनल भी लगा दिया.
हर लोकल न्यूज़ चॅनेल पर एक ही हेडलाइन थी. "डॉक्टर. बीना का कातिल क़ानून के शिकंजे मे. एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी ने अपने दम पर केस की छानबीन करके हत्यारे को धर दबोचा."

न्यूज़ चॅनेल के मध्यम से ही उन्हे पता चला कि पोलीस ने उसे कल रात ही गिरफ्तार कर लिया था. बिहारी अपना मानसिक संतुलन खो बैठा था और वो पोलीस कस्टडी मे ही रहेगा. जैल मे ही उसका इलाज करवाया जाएगा.

आशना और वीरेंदर मन ही मन अपनी कामयाबी पर खुश थे.
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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22 दिन बाद:

जब आशना के मोबाइल की घंटी बजी, उस वक्त वो रागिनी के साथ शादी की शॉपिंग मे बिज़ी थी. ठीक उसी वक्त रागिनी के फोन की घंटी भी बजी. दोनो ने अपने अपने मोबाइल्स मे देखा तो आशना के सेल पर वीरेंदर की कॉल थी और रागिनी के सेल पर मोहित की. दोनो एक दूसरे को एक्सक्यूस बोलकर एक दूसरे से अलग हो गयी.

आशना ने कॉल पिक की और पिक करते ही बोली: वीर आप में तो बिल्कुल भी सबर नहीं है, शॉपिंग तो आराम से करने दीजिए.

वीरेंदर: खबर ही ऐसी है कि तुमसे शेयर किए बिना रह नहीं सका.

वीरेंदर की चहेक्ति आवाज़ सुनकर आशना के दिल मे भी खुशी की लहर दौड़ गयी.

आशना: क्या बात है वीर, आप इतने खुश किस खबर पर हो रहे हैं? मुझे भी बताइए ना.

वीरेंदर: सुनाना तो तुम्हे अपने सामने बिठा कर चाहता था लेकिन क्या करूँ कंट्रोल नहीं हो रहा.

आशना: अब आप बताएँगे भी या यूँही अकेले अकेले ही खुश होते रहेंगे.

वीरेंदर: बिहारी को कोर्ट ने 10 साल की ब-मुशक्कत सज़ा सुनाई है और यही नहीं उसकी दिमागी हालत को देखते हुए कोर्ट ने उसे फिलहाल आगरा शिफ्ट करवाने का हुकुम भी दे दिया है. जब तक वो मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हो जाता तब तक वो वहीं रहेगा. जैसे ही वो दिमागी तौर पर ठीक हो जाएगा, उसे सेंट्रल जैल मे शिफ्ट कर दिया जाएगा और उसकी सज़ा शुरू हो जाएगी.

आशना(खुशी से चिल्लाते हुए): सच!!!

तभी उसे अहसास हुआ कि वो एक शॉपिंग माल में है और खुशी के कारण ज़ोर से चिल्लाने पर सब लोग उसकी तरफ देखने लगे हैं. आशना के चेहरे पर शरम के भाव आ गये.

आशना(धीरे से): अच्छा मैं बाद मे कॉल करती हूँ.

वीरेंदर: सुनो तो. मेन बात तो अभी बाकी है.

आशना: अब क्या है?

वीरेंदर: कोर्ट ने रागिनी और बिहारी के तलाक़ को भी मंज़ूरी दे दी है. रागिनी अब बिहारी से आज़ाद है और अपनी नयी ज़िंदगी शुरू कर सकती है.

इस बार फिर से आशना अपने एमोशन्स को कंट्रोल नहीं कर पाती और ज़ोर से चीखते हुए बोलती है " आइ लव यू वीर, यू आर जीनियस".

एक बार फिर से सब लोग उसकी तरफ हैरानी से देखते हैं लेकिन इस बार आशना को किसी की परवाह नहीं थी. वो बहुत खुश थी.

आशना: हम घर पर आ रहे हैं, आप भी जल्दी आ जाइए. आज तो ट्रीट बनती है.

वीरेंदर: अच्छा सुनो तो यार, तुम एकदम से आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती हो.

आशना: अब क्या है?

वीरेंदर: तुम्हारे अंकल भी घर पर आ रहे हैं.

आशना: अंकल?????

वीरेंदर(हंसते हुए): अरे भूल गयी. तुम्हारे अंकल यार. डॉक्टर. अभय (बीना का पति).

डॉक्टर. अभय का नाम सुनकर आशना एक दम घबरा गयी. तभी उसे याद आया कि वीरेंदर को तो सारी सच्चाई मालूम है, वो उसे चिड़ा रहा है.

आशना: अच्छा जी, तो आप मेरी टाँग खींच रहे हैं.

वीरेंदर ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया और बोला: तुम तो एक पल के लिए घबरा गयी थी.

आशना खामोश रही.

वीरेंदर: डॉक्टर. अभय हमारा शुक्रिया अदा करने आ रहे हैं. हम ने उनकी पत्नी के कातिल को सलाखों के पीछे जो पहुँचाया है.

आशना: हां वीरेंदर, तुमने बहुत अच्छा किया जो इस सारे मामले से बीना का रोल ख़तम कर दिया वरना डॉक्टर. अभय अपनी ही नज़रों मे गिर जाते.

वीरेंदर: चलो शाम को मिलते हैं. डॉक्टर. अभय को मैं साथ ही ले आउन्गा और हां "आज चिकन और मटन दोनो बना देना, बहुत दिनो से तुमने मुझे डाइयेटिंग करवा करवा कर कमज़ोर बना दिया है".

आशना: कमज़ोर????बाप रे. मेरी जो हालत करते हो वो मैं ही समझ सकती हूँ.

वीरेंदर: तभी तो कह रहा हूँ. दमदार काम के लिए दमदार खाने की ज़रूरत पड़ती ही है.

आशना: ओके डन, लेकिन बस आज के लिए ही. उसके बाद आप मुझे फोर्स नहीं करेंगे. आपकी डाइयेट के हिसाब से मैं खुद ही आपको सर्प्राइज़ दे दिया करूँगी लेकिन आप मुझे फोर्स नहीं करेंगे.

वीरेंदर: आइ लव यू गुड़िया.

वीरेंदर के मुँह से गुड़िया शब्द सुनते ही आशना के जिस्म मे खून का परवाह तेज़ हो गया.

आशना(धीमे से): लव यू टू भैया.


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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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11 नवेंबर 2012:

आज आशना शादी करके शर्मा निवास मे बहू के रूप मे आ गयी और रागिनी मोहित के साथ अपने ससुराल चली गयी. अपने वादे के मुताबिक रागिनी का कन्यादान वीरेंदर ने किया और एक बड़े से होटेल मे शानदार रिसेप्षन के बाद दोनो न्यूली मॅरीड कपल्स अपने अपने घर की तरफ चल दिए.

इस शादी मे मुझे यानी कि "त्रिवेणी" और "डॉक्टर. विजय" को भी इन्विटेशन मिला लेकिन भाग्य का खेल देखिए इसी दिन हमारी यानी मेरी और विजय की एंगेज्मेंट भी फिक्स हुई थी जिस वजह से हम दोनो अपने नेटिव टाउन मे थे. आशना की शादी को मिस करने की जितनी तकलीफ़ मुझे थी उतना ही दुख आशना को मेरी एंगेज्मेंट मिस करने का था.

एंगेज्मेंट के बाद देल्ही वापिस आने पर आशना से बात हुई तो पता चला कि वो दोनो हनिमून के लिए मलेशिया निकल गये हैं और 31स्ट डिसेंबर एक साथ मनाने के वाद करके हम उस दिन का इंतज़ार करने लगे.

31स्ट दिसंबर. 2012:

आख़िर वो दिन आया और वादे के मुताबिक हम चारो फिक्स की हुई जगह पर पहुँच गये. होटेल के हाल के चारो तरफ रंग बिरंगी रोशनी एक खुशनुमा महॉल बना रही थी. हर एक जोड़ा बाहों मे बाहें डाले झूम रहा था.

एक दूसरे को शादी और इंग़ेज़मेंट की विश करने के बाद मैने जीजू को डॅन्स फ्लोर पर खींचा तो वो मेरे साथ ताल से ताल मिलकर झूमने लगे. कुछ देर बाद मेरी नज़र आशना और विजय को ढूँढने लगी लेकिन वो दोनो कहीं नहीं दिखे.

अब शक्की तो मैं नहीं हूँ लेकिन फिर भी यार थोड़ा बहुत तो हो ही जाता है. जीजू की तरफ हैरानी से देख कर मैं बोली: जीजू वो दोनो कहाँ हैं?

जीजू ने मेरी तरफ देख कर स्माइल दी तभी किसी ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैं चिल्लाती इस से पहले विजय की फ्रॅग्नेन्स मेरे नथुनो मे समा गयी. एक अंजान डर से मेरी आँखें बंद हो गयी थी लेकिन फिर भी मैने उन्हे पहचान लिया और उनके सीने पर सर रख कर स्लो मूव्मेंट मे डॅन्स करने लगी.

आशना और जीजू मुझ पर हंस रहे थे लेकिन मैं विजय की बाहों मे सेक्यूर फील कर रही थी. खूब नाचने के बाद हम खाने की टेबल पर बैठे. जीजू ने स्कॉच का ऑर्डर दिया तो हम ने भी वोड्का के शॉट्स मग़वा लिए. हालाँकि मैं और आशना बियर से आगे कभी नहीं गयी थी लेकिन नये साल की खुशी मे हम हंगामा करना चाहते थे.

पीने और खाने के बाद मेरी और आशना की हालत बिगड़ चुकी थी. विजय और जीजू हमारा मज़ाक उड़ा रहे थे. आशना बार बार मुझे अपने घर ले जाने के लिए फोर्स कर रही थी लेकिन मेरा मन उस जगह से जाने का नहीं था. एंगेज्मेंट के बाद विजय से पहली बार मिल रही थी. वो बिज़ी हो गये थे और मेरे भी सेशनल्स थे तो हमारा मिल पाना बहुत मुश्किल था.

अंत मैं वीरेंदर बोला: आशना तुम त्रिवेणी को लेकर घर चलो, हम दोनो भी थोड़ी देर मे आते हैं. आज की रात यह दोनो हमारे घर पर ही रुकेंगे लेकिन आज की रात हम चारो मिलकर एक साथ ही बिताएँगे वरना सुबह पता चले कि नये साल की खुशी के नशे मे रातों रात क्या हो गया.

जीजू की बात सुनकर मे के दम शरमा गयी.

आशना ने कार ड्राइव की. वो काफ़ी स्लो ड्राइव कर रही थी. नशे का असर सॉफ देख रहा था उसपर. वो एकदम खामोशी से सामने देख कर ड्राइव कर रही थी. आशना को इतना खामोश मैने ज़िंदगी मे पहले कभी नहीं देखा. जैसे ही हम गेट के बाहर पहुँचे, बाहर मार्बल प्लेट्स पर बड़े बड़े अक्षरों मे लिखा था "शर्मा निवास".

यह नाम तो सुना सुना सा लग रहा था. नशा ज़्यादा हो जाने के कारण मुझे याद नहीं आ रहा था मगर मैं अपने दिमाग़ पर ज़ोर देकर याद करने की कोशिशों मे जुटी थी. कार से उतर कर आशना ने जब घर का लॉक खोला तो मेरे दिमाग़ मे एक दम धमाका हुआ.

मैं: यार यह तो तुम्हारे भैया का घर है, तुम मुझे यहाँ क्यूँ लाई हो?

आशना ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और किचन मे जाकर फ्रिड्ज से पानी निकल कर पीने लगी. इतनी सर्दी मे भी वो एकदम ठंडा पानी गतगत पी गयी. जब से हम होटेल से निकले थे,आशना एक दम खामोश हो गयी थी. रास्ते मे भी उसने कोई बात नहीं की. आशना सीडीयाँ चढ़ कर उपर के फ्लोर पर जाने लगी तो उसने मुझे भी उपर आने का इशारा किया.

परेशान सी मैं भी उसके पीछे चल दी. अपने बेडरूम का डोर खोलकर आशना ने मुझे पहले अंदर जाने दिया. मेरे पीछे आशना ने एंटर किया और लाइट्स ऑन कर दी. रूम की हर दीवार पर आशना और जीजू की शादी की बड़ी बड़ी तस्वीरे थी. मैं हैरानी से आशना की तरफ देख रही थी. मेरी समझ मे अभी भी कुछ नहीं आ रहा था.

आशना: बैठो.

मैं आशना के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी. आशना ने ग्लास मे पानी डालकर मुझे ऑफर किया.मैने ग्लास लेकर टेबल पर रखा और आशना की तरफ देख कर पूछा: तुम दोनो यहाँ रहते हो?

आशना: हां.

मैने हैरान होकर पूछा: तो तुम्हारे भैया कहाँ हैं?

आशना ने मेरी तरफ ध्यान से देखा और फिर मुस्कुरा कर बोली: मेरे जीजू के साथ अभी कुछ देर मे आने ही वाले होंगे.
पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन कुछ ही देर मे मेरे दिमाग़ मे अचानक से एक साथ कयि धमाके हुए. इस से पहले के मेरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया होती, आशना ने मेरे सामने चेयर रखी और अपने होंठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया.

कुछ देर हम दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखते रहे और फिर वो मुझे उस घटना पर लाई गयी जब "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक्स" के मालिक "वीरेंदर शर्मा" हॉस्पिटल के आइसीयू वॉर्ड में अड्मिट थे..........................
********समाप्त********



दोस्तो एक ज़रूरी सूचना देना तो भूल ही गयी. शादी के बाद अभी तक वीरेंदर ने आशना का दूसरा गिफ्ट नहीं लिया. जानती हूँ आप सब के लिए यह बड़े दुख की बात है. बट, हू नोस कि कब वीरेंदर अपनी हसरत पूरी कर ले . आफ़टेरल्ल, "मेन विल बी मेन"


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shubhs
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post by shubhs »

बहुत ही बढ़िया कहानी नेक्स्ट कहानी का वेट करेगे
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
mini

Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

Post by mini »

end achha nahi hua,mera bihari bina kuch kiye hi pagal ho gya................bahut bura hua
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