एक एक आहट "ज़िंदगी" की complete

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Sexi Rebel
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-55

Post by Sexi Rebel »

गतान्क से आगे..............

लेकिन अंकित ने अपने हाथ की ताक़त से उसे पीछे ढकलने लगा...और आख़िर वो उसमे सफल भी हुआ..

रितिका पीछे की तरफ हो गयी..उसके नाज़ुक हाथों में इतनी जान कहाँ थी..अंकित अंदर घुसा और

उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया..


रितिका :- ये क्या कर रहे हो अंकित.....


इस बात पर अंकित मुद्दा और उसने रितिका को देखा...शायद अभी ही आई थी ऑफीस सी...

सारे पहन रखी थी लाइट रेड महरून टाइप कि ट्रांसपेरेंट थी हल्की सी...और एक ग़ज़ब की सेक्सी लग रही थी..

अंकित तो वैसी भी आज बहुत ज़्यादा उत्तेजित था..और रितिका को ऐसे देख के वो तो और ज़्यादा भड़क गया

आग में घी का काम हो गया ये तो..


रितिका ने अंकित को अपनी तरफ घूरते हुए देख लिया..और उसने अपने आप को समेटती वो घूम गयी..


रितिका :- प्लीज़ जाओ यहाँ से...क्या चाहते हो...


अंकित :- वही जो आप भी चाहती हो..


रितिका :- में कुछ नही कहती..ये सिर्फ़ तुम्हारी सोच है...


अंकित :- अच्छा...सिर्फ़ मेरी सोच है....(बोलता हुआ वो धीरे धीरे कदम आगे बढ़ा रहा था)


इधर रितिका उसके कदमो को अपने करीब आते सुन उसकी दिल की धड़कने तेज चल रही थी....


अंकित की नज़र रितिका के उस न्यूड बॅक पे थी जो पीछे से काफ़ी खुली हुई थी..ब्लाउस ही ऐसा था कि

बॅक तो हद से ज़्यादा खुला हुआ था और बस एक पतली सी स्ट्रॅप्स से बंद था.....


अंकित ने करीब आते ही रितिका की बॅक को अपने हाथ से सहला दिया......

बस इससे तो रितिका की पूरी आँखें खुल गयी और उसका पूरा बदन काँपने लगा....वो कुछ बोल

पाती या कुछ कर पाती....


अंकित ने शोल्डर पे से हल्की सी साड़ी हटा के रितिका के कूल्हो पे अपने तपते होंठ रख दिए...


अंकित.त.........हल्की सी आवाज़ मुँह से निकली और फिर उसकी आँखें बंद हो गयी....


फिर अंकित अपने होंठ नीचे करते हुए आने लगा और बड़ी तेज़ी से उसने पीठ पे अपने होंठो की

बरसात कर दी......

रितिका की आँखें बंद हो गयी...दिल और दिमाग़ इस शरीर के सामने हारने लगी....रितिका मदहोशी में

अपनी गर्दन हिलाने लगी..उसका चेहरा लाल हो गया था वो बहुत गहरी साँसें ले रही थी...


उसके चेहरे को देख के कोई नही कह सकता था कि वो नही चाहती कि ऐसा हो...उसके चेहरे पे एक

नशा चढ़ चुका था......


उधर अंकित ने तो पीठ पे चुंबनों की बौछार करनी बंद नही करी..वो तो मन बना के आया

था कि आज तो सब कुछ लूट लेगा इस हसीना का....

अचानक उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और उस ब्लाउस की स्ट्रिप्स जो हुक से बंद थी..उसे खोल दिया.


कत्तिथल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल अजीब सी आवाज़ करके वो खुल गया....

और ये आवाज़ रितिका के कानो में बखूबी पड़ गयी..और जैसे ही पड़ी..उसने अपनी आँखें खोल ली..


मानो जैसे अभी अभी एक कड़वे सपने से जागी हो...और एक दम से आगे होके मूड गयी और अपनी

बूब्स के आगे हाथ लगा लिए...उसकी साड़ी हल्की सी साइड से गिरी हुई थी...हल्का सा क्लीवेज दिखाई दे

रहा था....ब्लाउस के हुक खुलने की वजह से वो ढीली हो गयी थी...पर रितिका ने आगे हाथ लगा रखा

था जिसकी वजह से वो नही गिरी पूरी...

रितिका की आँखों में पानी भर गया था और वो अंकित को घूर रही थी...


अंकित का फेस रियेक्शन चेंज नही हुआ वो रितिका को देखते हुए आगे बढ़ा...और अपने हाथ आगे

बढ़ा के उसे कमर से पकड़ लिया.....


रितिका अपने एक हाथ से उसे हटाने की कॉसिश करने लगी..लेकिन पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो नही हट

रही थी...


रितिका :- तुम...ऐइस..आ.आ....की....उ.न....कर..रही ह.हो... (अटकती हुई)


अंकित :- आपके लिए.....(इतना बोलता है)


और अपने होंठ आगे बढ़ा के रितिका की नेक पे रख देता है..और वहाँ बेइन्तिहा चूमने लगता है..

बिल्कुल पागलों की तरह...


आहह...रितका के मुँह से हल्की सी आवाज़ निकलती है....एक हाथ जो अंकित के हाथ को कमर से हटाने में

लगा था..वो तो ढीला पड़ता जा रहा था..बस नाम का हटा रही थी वो...


और जो दूसरे हाथ से उसने पल्लू पकड़ रखा था...वहाँ से भी वो हट गया..और अंकित के सर के पीछे

आ गया...


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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-56

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रितिका :- अंकित...आ.आ.ह..प्लीस..ए...मत.टीटी.त.. करूऊ (बोलते बोलते उसकी आँखें मदहोशी में बंद हो रही

थी) और वो अंकित के बालों को पकड़ के पीछे खिचने में लगी हुई थी..


प्लीज़..ए.ए..ए.ए... मत करो...ये सब ठीक नही हाइयैई........


अंकित ने अपनी होंठ हटा लिए और रितिका की आँखों देखने लगा..


अंकित :- अगर ये ठीक नही है...तो फिर क्यूँ भेजा मुझे वो लेटर क्यूँ वो सब किया क्या वो ग़लत नही

था...और अभी...खुद से क्यूँ बताया कि आर्नव घर पे नही है....इससे सिर्फ़ यही मतलब निकलता है कि

आपके दिल में भी वही है जो मेरे दिल में है..हम दोनो को अपनी अपनी परेशानी बतानी है...

और आप भी यही चाहती है...पर आपको एक अजीब सी डोर ने बाँध रखा है जो आज में तोड़ के

रहूँगा..क्यूँ कि ना तो में आपको परेशानी में देख सकता हूँ..और ना ही खुद परेशान

हो सकता हू....

(इतनी बाते उसने आँखों में आँखें डाल के बोली)


और रितिका को कमर से पकड़ की पीछे दीवार से सटा दिया..और अपने हाथ आगे करके...

उसके शानदार बूब्स के सामने से उसकी साड़ी का पल्लू हटा दिया जो सीधी जाके फर्श पर गिर गया

और फिर आगे बदः के उसके सीने से चिपक गया जिस्शे अंकित की चेस्ट में रितिका के बूब्स घुस गये

और फिर से..


पागलों की तरह कभी गालों तो कभी नेक और कभी ब्लाउस को शोल्डर पे से हटा के वहाँ

होंठो केए बरसात करने लगा...

रितिका ना कहते हुए भी हार चुकी थी..उसके हाथ अपने आप अप अंकित के सर के पीछे चले गये

और उसकी आँखें बंद हो गयी....और उसके मुँह से हल्की हल्की आह..निकलने लगी...

उसके शरीर ने उसके दिल और दिमाग़ पे आख़िर कर क़ब्ज़ा कर ही लिया...(इसमे अंकित की बातों का बहुत असर

था कि वो अब हार मान चुकी थी...)



अंकित का एक हाथ शरीर को सहलाता हुआ उसके पेट पे पहुच गया और उसकी उस न्यूड पेट की नाभि

पे रख वहाँ अपनी उंगलियों से ट्विस्ट करने लगा...

रितिका के पेट ने तो नाचना शुरू कर दिया इस प्रहार से...गहरी गहरी साँसे चल रही थी उसकी..


अंकित तो पागलों की तरह चुम्मा चाटी कर रहा था पूरी गर्दन पे...मानो कोई अनोखी चीज़

मिल गयी हो..(वैसे उसके लिए अनोखी ही है)


दूसरे हाथ से अंकित रितिका के चेहरे को सहला रहा था और रितका भी उसके हाथों पे अपना चेहरा घिस रही

थी...अब उसने अपने दिमाग़ की बाते सुननी बंद कर दी...

दिल और शरीर की बातों में खो गयी....और इस सुख का आनंद लेने लगी...


अंकित ने अपना हाथ रितिका के चेहरे से हटाया और ब्लाउज की तरफ बढ़ा के उसे शोल्डर पे से गिरा

दिया अब पीछे से तो खुला हुआ ही था...शोल्डर से गिरने की वजह से वो लटक सा गया मगर

अंकित की चेस्ट रितिका से चिपकने की वजह से वो पूरा नही गिरा..


अंकित ने वहाँ जीभ निकाली और शोल्डर पर अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी.


आहह..रितिका सिसकती हुई उसके बालों में हाथ फैरने लगी..उसके शरीर में गुलगुली होने

लगी....


कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रितिका को गुलगुली करने के बाद उसने अपना चेहरा उठाया और रितिका की आँखों

में देखने लगा..रितिका के हाथ बराबर अंकित के बालों में चल रहे थे...

रितिका भी उसकी आँखों में देख रही थी...

दोनो की आँखों में एक ही बात मुझे नज़र आ रही है..


कि अब बस और नही.....और नही....इंतजार होता इस पल को ज़िने दो...


बस देखते ही देखती अंकित के होंठ आगे बढ़ने लगे...और करीब बढ़ते चले गये..


और आख़िर कर रितिका के उन रसीले होंठो पे पड़ गये..और उन्हे चूसने लगी....

बड़ी ही बहरामी से अंकित रितिका के होंठ चूस रहा था..तो रितिका भी पीछे नही हाटी..और वो

भी उसी जोश के साथ किस करने लगी...


सर का नशा अब सर चढ़ चुका था...और वो पूरी ढोल बजाते हुए आगे बढ़ रहा था..

क्रमशः...........................
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एक एक आहट "ज़िंदगी" की-57-58

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गतान्क से आगे..............


अंकित के हाथ आगे बढ़ते हुए रितिका के उन आधे क़ैद बूब्स पर आ रहे थे....और कुछ ही सेकेंड

में जब दोनो की जीभ एक दूसरे से लड़ाई लड़ रही थी..तो उसने उन बूब्स पर हाथ रख दिए और

उन्हे कस कस्स के दबाने लगा...

अपने हाथों से जितना मसल सकता था मसल्ने लगा..मानो कोई फॉर्म की बॉल हो...बड़ी ही

बुरी तरह से....

किस में भी वही जुनून दिखाई दे रहा था......


रितिका का ब्लाउज ऐसे बुरी तरह निचोड़ दिए जाने से बूब्स के कुछ हिसों के उपर से हट गया था

जिसे रितिका के वो सुंदर या यूँ कहें बेहद सुंदर बूब्स उजागर होने लगे थे..


पर..


अंकित के ऐसा करने पर रितिका को दर्द हो रहा था..और इस बार अंकित को ये पता चल गया..

क्यूँ कि रितिका के हाथों में उसके बाल काफ़ी ज़्यादा कस गये थे...


अंकित ने अपना चेहरा अलग किया...और अपने हाथों से उसके बूब्स दबाना बंद कर दिया..और उसकी

आँखों में देखने लगा...

रितिका की साँसे बहुत तेज़ी से चल रही थी...यूँ कही उखड़ चुकी थी....


रितिका :- (उखड़ी साँसों में) क्या..इसे प्यार...से करना....कहते..आ.आ.. हैं.....


अंकित को रितिका की ये बात दिल को छू गयी...उसे समझ आ गया कि वो क्या कर रहा था..वो अभी जो

कर रहा था वो उसकी वासना था...उसे एहसास हुआ कि लड़की कोई खिलोना नही कि उससे जबर्जस्ती किसी भी

तरह मोड़ दिया...

उसे ये भी समझ आया..कि ये लड़कियाँ सिर्फ़ 2 बूँद प्यार की प्यासी होती है अगर वो दे दिया तो ये सब कुछ

देने को तैयार हो जाती है...


अंकित को समझने में देर ना लगी..वो आगे बढ़ा और रितके के कान के पास जाके उसके कान के

नीचे वाले हिस्से को अपने होंठों में दबा के उसे बड़े प्यार से चूसने लगा...


ह्म्‍म्म्मममममममममममममममम.....एक आवाज़ रितका के मुँह से निकली..


अंकित ने होंठ हटाए और फिर वो बोला...सॉरी......

और फिर कान में अंदर अपनी जीभ डाल के उसे चाटने लगा...रितिका को गुलगुली होने लगी लेकिन

उससे इस एहसास का मज़ा बहुत आ रहा था...


फिर अंकित अपना चेहरा वहाँ से हटा नीचे झुक गया और अपनी जीभ नाभि में डाल के वहाँ ट्विस्ट

करने लगा....

आहह रितिका के हाथ सिसकी लेते हुए अंकित के सर के पीछे आ गये...

उसने एक हाथ से अपना ब्लाउज आगे लगाए रखा था...जिससे वो ना गिरे...

पर एक साइड से उसके आधे बूब्स तो क्लियर्ली दिख रहे थे..शोल्डर पे से ब्लाउज गिरने की वजह से वो

हवा में झूल रहा था आधी जगह से..


रितिका की आँखें बंद हो गयी थी..अंकित उसके तपते हुए पेट अपने गीले ठंडे होंठो की बरसात

जो कर रहा था..उसका पेट कांप रहा था...और पैर भी साथ साथ हिल रहे थे...उसके लिए खड़ा होना

काफ़ी मुश्किल था....


फिर अंकित उपर उठा रितिका को ऐसी ही देखता रहा...उसकी आँखें बंद थी...तेज तेज साँसे ले रही थी..


फिर अचानक...


अंकित ने अपने हाथ आग बढ़ाए और उसे अपनी गोदी में उठा लिया..रितिका एक पल के लिए चौंक

गयी...लेकिन फिर आँखों खोल के अंकित को देखने लगी...

अंकित भी उसकी आँखों में देखने लगा...और चल पड़ा उसे उठाए बेडरूम की तरफ....

साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ ज़मीन को सॉफ कर रहा था लेकिन इस वक़्त साड़ी इतनी ज़रूरी नही थी

ज़रूरी था तो इन दोनो का आपस में मिलन होना..जो दोनो के लिए ही बेहद ज़रूरी था..


कमरे में पहुच के अंकित ने बड़े प्यार से रितिका को बेड पे रखा..और उसके हाथ को अपने

हाथ में पकड़ लिया..और हथेली के उपर अपने होंठ फिराने लगा..और किस करने लगा..और वहाँ

से किस करते हुए वो आगे बढ़ता चला गया और अपनी जीभ निकाल के अपने रस से रितिका के

हाथ को भिगो दिया और शोल्डर पे पहुच के वहाँ अपने होंठ रख के उन्हे चुस्सने लगा...


रितिका को इस सेंसुअल भरे खेल में बड़ा ही मज़ा आ रहा था हल्की हल्की बहुत हल्की सिसकी लेते

हुए आँखें बंद कर ली थी...


अंकित वहाँ से हटा और कुछ सेकेंड तक इस कमसिन जवानी को देखने लगा...पता नही कैसे काबू कर

रखा था इसने..नही तो इस बाला को ऐसी हालत में पलंग पर देख ले तो कोई भी राक्षस की तरह टूट

पड़े और पूरा खा जाए..हड्डी तक ना छोड़े....


पलंग पर लेटी उपर से आधा नंग शरीर चेहरा इतना खूबसूरत पानी से भरा चेहरा उसपर आधी

खुली ब्लाउज जिसमे से वो सुंदर चुचियाँ खिड़की में से झक रही थी..और नीचे सपाट सुंदर

पेट...जिसके बीच में एक सुंदर होके...और नीचे आगे देखो तो घुटनो तक चढ़ि हुई साड़ी....


कोई भी लड़का दीवाना हो जाए....और पागल होके टूट पड़े...

लेकिन अंकित को पता था कि उसे क्या करना है.....


वो आगे बढ़ा और अपनी एक उंगली को पेट के कोने से फिराते हुए दूसरे कोने तक आया...और साथ

साथ पेटिकोट में धँसी साड़ी को भी खोल लिया.....


रितिका की कमर अपने आप ही हवा में उठ गयी....और अंकित ने फुर्ती दिखाते हुई नीचे फँसी साड़ी

भी खीच ली...और अब पूरी साड़ी शरीर पे से हट चुकी थी...उसने उस साड़ी को वहीं ज़मीन पे छोड़ दिया

और रितिका की टाँगो पे अपनी उंगलियाँ चलाते हुए अपने होंठो की रगड़ मारते हुए धीरे धीरे

पेटिकोट के उपर आने लगा और उपर आकर उसका नाडा भी खोल दिया.......और उसे हल्का सा

नीचे कर दिया....

रितिका का शरीर बुरी तरह से हिल रहा था....उसने अपनी एक उंगली अपने दाँत के बीच में दबा रखी थी..


हल्का सा नीचे होने की वजह से उसकी पेंटी की लाइन दिखनी शुरू हो गयी...

अंकित ने होंठ आगे बढ़ा के ठीक जहाँ पेंटी की लाइन थी उसपे उपर रख दिए और वहाँ चाटने

लगा...


आ..न.न...क......आअहह सिसकी लेती हुई रितिका उछल सी गयी....


क्रमशः...........................
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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की--59

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गतान्क से आगे..............

अंकित धीरे धीरे साँप की तरह रेंगता हुआ रितिका के शरीर के उपर चढ़ने लगा..और अपनी गर्दन

नीचे कर के...होंठो को पेट के उपर से चिपकाता हुआ उपर आने लगा और अपनी जीभ निकाल

कर साइड में से मम्मो से होते हुए उपर जाने लगा मानो कोई क्लीनिंग कर रहा हो....

रितिका तो पागल सी हो गयी..उसकी शरीर में झुनझुनी सी फैलने लगी..हालत बुरी होती जा रही थी..

अंकित ने सेम आइस ही दूसरी तरफ भी किया अपनी जीभ से.....

और हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज को उस तरफ से भी शोल्डर से गिरा दिया था....


अब बस रितिका के मम्मो के उपर एक मात्र कपड़ा सा पड़ा हो...मानो किसी फल या सब्ज़ी के उपर

कपड़ा रख दिया हो .....

अंकित उस नज़ारे को देखने लगा उसका हथियार तो ऐसे सख़्त हो गया था मानो कोई पोल रोड

के साइड में सीधा खड़ा हो...

रितिका को अपने पेट के उपर उस भारी चीज़ का आभास बखूबी हो रहा था जिससे उसकी जान और बुरी

तरह से निकल रही थी...उसकी चुनमुनिया ने अंदर अंदर ही अपनी पानी की सेना बाहर निकालनी शुरू कर दी थी..

जिससे उसका टाट यानी कि उसकी पेंटी उस पानी की सेना में सनती जा रही थी....


फिर अंकित ने बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में ब्लाउज को रितिका के मम्मो पे से हटाया जिसे

देख कर रितिका को भी एक बार को कामुकता भरी मुस्कान देनी पड़ी....


वो अंकित ने किया ऐसा था ... कि उसने अपना चेहरा आगे बढ़ाया और अपने दाँतों से पकड़ के उसके

ब्लाउज को खीच लिया वो भी बहुत धीरे धीरे..जिससे कि उसकी चुची धीरे धीरे उसकी आँखों के

सामने आने लगी....और जब उन चुचो के निपल सामने आए तो अंकित का मुँह खुल गया

और ब्लाउज वहीं पेट पे रितिका के गिर गया..


वाहह क्या बनाया है इतने सुंदर और गोल गोल मक्खन जैसे खरबूज़ पर ये बहुत ही

लाइट कलर के पिंक पिंक निपल्स.....मानो इसकी सुंदरता को और बढ़ा रहे हों.....

अंकित के मुँह से लार टपकने लगी....


रितिका ने जब अंकित को उसके मम्मो पे ऐसे घूरते पाया तो वो शरमा गयी..उसके गाल और उसकी

नाक एक दम लाल सुर्ख हो गयी..उसने अपने हाथों से उसे ढक लिया और अपनी आँखें बंद कर ली..


रितिका :- प्लीज़..डोंट सी देम लाइक दिस....


अंकित की उस कामुकता से भरी आवाज़ को सुन के और भी ज़्यादा गरम हो गया उसके चेहरे पे एक कातिलाना

स्माइल आ गयी...


अब और नही बसका हो रहा था उसके कि कुछ और करे..अब तो वो बस वो कर देना कहता था जिसके

लिए दोनो कब से सूखे पड़े हैं..आज वो यहाँ पानी का तसमा ले आना चाहता था...जिसमे दोनो

ही डूब जाए....और परम सुख का अनुभव लेते रहे....


अंकित ने अपने हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ाए और रितिका के हाथों को उसकी चुचियों से हटाने

लगा...रितिका ने भी देरी नही की और ना ही उसे रोकने का कोई दम लगाया.....और उसके हाथ पीछे

की तरफ होते चले गये....और कुछ ही सेकेंड में दोनो हाथ पीछे की तरफ फैल गये...जिसकी वजह

से...


सामने वो उभरी हुई चुचियाँ जिसके निपल ऐसे खड़े हो रहे थे मानो जंग में लड़ने जा रहे

सिपाही खड़े हो सामने एक अद्भुत तरीके से उजागर हो गये...जिसे देख कर अंकित की आँखें

फटी की फटी रह गयी...

उसने तो सपने में भी नही सोचा होगा कि वो ऐसी चुचियाँ ज़िंदगी में देखेगा कभी....


अंकित ने धीरे धीरे हाथ आगे बढ़ाने शुरू करे..उसके दिल की धड़कन तेज चल रही थी...रितिका ने

जब आँखें खोल के देखा कि अंकित अपने हाथ आगे बढ़ा रहा है तो उसके भी दिल की धड़कन तेज़ी

से चलने लगी..और उसकी वजह से उसकी चुचियाँ उपर नीचे तेज़ी से हो रही थी...


अंकित का हाथ बेहद करीब आके रुक गया.....उसने रितिका की आँखों में देखा और कुछ सेकेंड तक

ऐसे ही देखते रही..


और फिर....आख़िर कर हाथों का शरीर का एक असली मिलन हुआ...


अंकित के हाथ रितिका के मम्मो पे पड़ड़ ही गये और उन्हे हल्का सा दबा दिया...


आआआआहह...रितिका ने अपनी गर्दन उपर की तरफ करते

हुए एक लंबी सी सिसकी ली..


आअहह जब ठंडे हाथों के स्पर्श में वो सॉफ्ट मक्खन जैसे चुचें और कड़क निपल

हाथ में चुबहे तो अंकित के मुँह से भी आह निकल ही गाइिईई...........


अंकित के हाथ रितिका के मम्मो पे पद ही गये और उन्हे हल्का सा दबा दिया...


आआआआहह...रितिका ने अपनी गर्दन उपर की तरफ करते

हुए एक लंबी सी सिसकी ली..


अंकित ने अपने हाथ उन मम्मो पे चलाने शुरू किए...जिससे वो चुची हाथों के नीचे दब के

इधर उधर होने लगी और घूमने लगी...


जैसी गोल गोल चक्की चल रही हू.....अंकित की हथेली में वो तने हुए थोड़े मोटे निपल्स

चुभ रहे थे..

फिर अंकित ने हाथ हटाया और उंगली से निपल्स के साथ खेलने लगता...

कभी इधर से मारता तो कभी उधर से उन पर उंगली से मारता ... मानो बॉल लटकी हो रस्सी से और

उसे बॅट से मार रहा हो...


आह उूुुुुुुउउ उफफफफफफफफफफफ्फ़...अंकित.........रितिका के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी.....


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Re: एक एक आहट "ज़िंदगी" की-60

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अब अंकित से भी रहा नही जा रहा था उसने अपना चेहरा नीचे किया और अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली

और निपल ले टॉप पे अपनी जीभ को रख के उसको हल्का सा चख लिया....


आआहह ह्म्‍म्म्मममममम.....रितिका ने सिसकी लेते हुए अपने होंठ दबा लिए...


लेकिन अंकित के चेहरे पे एक मुस्कुराहट आ गयी...उससे अब कंट्रोल तो नही हो रहा था..लेकिन वो रितिका

और टीज कर के ही उसके साथ करना चाहता था.....


फिर उसने अपने दोनो होंठो के बीच में अपने निपल दबा ली और जैसे कोई बच्चा निपल वाली

बॉटल से दूध पीता है सेम वैसे ही पीने लगा......


आह न..ओ.हह..ह....ह्म्‍म्म सीईईईईईई ...अंकित...म..त काओरूऊओ.... (अंकित के पीछे बालों पे हाथ फेरते

हुए बोल रही थी)


हाथ आगे बढ़ा के उसके बड़े ही फ्लफी दूसरे चुचे पे रख के उसे हल्का हल्का प्रेस

करने लगा..मानो कोई हॉर्न बजा रहा हो......


कुछ ऐसे ही 2 मिनट तक निपल को अपने मुँह में भर के उसे प्यार करने के बाद वहाँ से हटा.

हटते ही उसके पास चमकते निपल्स आ गये...जो उसके थूक़ से शाइन मार रहे थे...उसके बाद

उसने सेम दूसरे चुचे के साथ भी किया....


निपल्स को तो उसने अच्छे से चूसा ....और रितिका को बहुत बुरी तरह से टीज़ भी किया..उसका हाल तो

खराब पड़ा था.....


फिर अंकित ने जीभ निकाली..और दोनो मम्मो के बीच की दरार में घुसा दी और वहाँ से अपनी

छाप छोड़ता हुआ उपर आने लगा..


एक अजीब सी गुदगुदी और झुनझुनी सी फैल गयी..


अहह ओह ह्म्‍म्म्मममम उसके हाथ अंकित के बालों में बुरी तरह से घुसे हुए

थे और वहाँ चल रहे थे....


जीभ वो गर्दन से लाता हुआ वो रितिका के होंठो के करीब आ गया.....दोनो एक दूसरे की सांस

को अपने अपने गरम होंठो पे महसूस कर रहे थे....

अंकित ने रितिका के हाथ अपने पीछे से हटाए और उन्हे फिर से पीछे की तरफ फैला दिया...

फिर अंकित ने अपने होंठ आगे बढ़ा के रितिका के होंठ पे रखा और उन्हे चूसने लगा ही था

रितिका भी अपनी होंठो का उपयोग करके उन्हे चूसने लगी ही थी..कि अंकित ने अपना चेहरा हटा लिया

रितिका ने आँखें खोल के गुस्से भरी प्यारी नज़रों से अंकित को देखा..


अंकित मुस्कुरा दिया और फिर अपने होंठ आगे करके किस करने के पोज़िशन में आया रितिका तो पूरी

टायर थी ... उसने अपने होंठ आगे करके अंकित को चूमने की कॉसिश की लेकिन अंकित ने फिर से एक बार

अपना चेहरा पीछे कर लिया..


इस बार रितिका की आँखों में जो गुस्सा था वो एक औरत के शरीर के साथ हो रहे मज़ाक का था...

जो अंकित समझ रहा था लेकिन उसे मज़ा आ रहा था...


अंकित ने मन में सोचा...क्यूँ ना थोड़ा और तडपाया जाए..बहुत मज़ा आ रहा है...इसमे...


अंकित ने सोचने के बाद अपना चेहरा आगे किया और फिर से होंठो को रितिका के पास लाने लगा..

रितिका ने भी पिछली 2 बार की तरह अपने होंठ आगे बढ़ाए....दोनो के होंठ आपस में हल्के से

जुड़ ही गये थे कि अंकित ने अपना चेहरा पीछे किया..लेकिन...


लेकिन इस बार वो कामयाब नही हुआ....क्यूँ कि रितिका ने अपने हाथ पीछे ले जाके उसे कस्स के

अपनी तरफ खीच लिया जिसे दोनो के होंठ चिपक गये ......

और अंकित की तो ऐसी तैसी कर दी...क्यूँ कि जो किया सिर्फ़ रितिका नी ही किया...उसके होंठो को बुरी तरह

से चूसने लगी...मानो वो अंकित से पिछली 2 बार की की गयी शरारत का बदला ले रही हो...उसे बुरी

तरह से चूस रही थी..चांट रही थी..अंकित तो बस उसके इशारों पे नाच रहा था....


अचानक अंकित के शरीर में दर्द भरी ल़हेर दौड़ गयी......उसने किसी तरह से रितिका के हाथ को पीछे

हटाया और खुद पीछे हो गया.....उसने अपना हाथ अपने होंठ पे लगाकर देखा तो निचला होंठ

पे खून उभर आया....वो गुस्से भरी आँखों से रितिका को देखने लगा....

(अब ऐसे देखने से क्या होगा....जब एक भूकि बिल्ली को ऐसे चोदेगा तो फिर वो तो ऐसे ही काटेगी ना)


रितिका ने अपने हाथ आगे बढ़ाए और अंकित के चेहरे पे रखे...लेकिन अंकित ने उन्हे झटक दिया..

वो जानती थी कि अंकित में गुस्सा बहुत है..लेकिन वो ये भी जानती थी कि इस वक़्त वो उसे शांत भी कर सकती

है..


इसलिए उसने दुबारा हाथ आगे बढ़ाया और आगे गालों पे रख के उसके चेहरे को अपनी तरफ खिचा

अंकित घूरती आँखों से खिचा चला गया....दोनो के चेहरे बेहद नज़दीक आ गये...

फिर रितिका ने अपनी जीब बाहर निकाली और उस उभरे हुए खून पे रख दिया और उसे वहाँ से चाट

गयी....


उफफफफफफ्फ़ अंकित के दिल में ये आया...क्यूँ कि ऐसा करने पर उसके पूरी शरीर में मस्ती की ल़हेर दौड़ गयी


फिर रितिका वहाँ चाटती रही...और अपने होंठों से बड़े प्यार से उसे चूसने लगी.....आख़िर कार खून

निकलना बंद हुआ...दोनो ने एक दूसरी की आँखों में देखा...


और फिर अंकित ने आगे बढ़ के रितिका के होंठों पे अपने होंठ रख दिए..और उन्हे प्यार से बेहद्द

कोमलता से उस कोमल रस का पान करने लगा....


इधर रितिका का हाथ अंकित की टी-शर्ट पे गया और उसने उसे उपर खिचने लगी....लेकिन गर्दन पे जाके

अटक गयी...अंकित को समझते देर ना लगी बस 3 सेकेंड के लिए उसने अपनी गर्दन पीछे की टीशर्ट बाहर निकली

और फिर से जुड़ गये होंठ..

लेकिन इस बार अंकित के शरीर में एक और मस्ती की लेहर दौड़ पड़ी..क्यूँ की इस बार नंगी चेस्ट पे

उसे रितिका के चुचों का एहसास हुआ और कड़क हो रहे निपल्स की चुभन हुई उसे.....


अंकित के मुँह से घुटि हुटी आवाज़ रितिका के मुँह में ही निकल गयी...दोनो एक दूसरे की जीब से

लड़ाई लड़ रहे थे.....


क्रमशः...........................
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