वो बहुत चिंतित हो उठी नहीं नहीं भोला को कुछ नहीं होगा और ना ही वो किसी को कुछ बताएगा वो जानती थी क्योंकी अगर उसे बताना होता तो क्या वो कामेश या पापाजी को अभी तक नहीं बता दिया होता बिकुल ठीक पर वो चाहता क्या है नहीं उसके सामने पड़ता है और नहीं कभी कोई इशारा ही किया उसने वो तो कई बार कॉंप्लेक्स के काम से गई थी पर हमेशा वो कही ना कही काम से ही फँसा रहता था और जब भी उसके सामने आया तो नजर बिल्कुल जमीन पर गढ़ाए हुए ही रहता था उसके दिल में जरूर कुछ है पता नहीं क्या पर अभी तो कामेश गया है पता नहीं क्या खबर लाता है वो चाहती थी कि एक बार फोन करके पता करे पर हिम्मत नहीं हुई पर उसे देखकर स्पष्ट कहा जा सकता था कि वो परेशान है आखिर पापाजी से नहीं रहा गया
पापाजी-क्या बात है बहू कुछ परेशान हो
कामया- जी जी नहीं बस
पापाजी- अरे कन्स्ट्रक्षन साइट में यह सब होता ही रहता है और कामेश तो गया है तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा
कामया- जी
पर कामया को कहाँ चैन था उसे तो इस बात की चिंता थी कि भोला कुछ उगल ना दे कही उसके बारे में किसी को बता ना दे और तो और वो औरत कौन थी जिसे उसने भोला के साथ देखा था वो भी तो बता सकती है मन में हलचल लिए कामया कामेश के इंतेजार में दोपहर से शाम और फिर रात तक बैठी रही पर कामेश का कही पता नहीं था वो पापाजी के साथ ही घर भी आ गई घर पहुँचकर ही उसने पापाजी को ही कहा कि फोन करे
पापाजी ने ही उसके सामने फोन किया
कामेश- जी
पापाजी- क्या हुआ बड़ी देर लग गई तुझे
कामेश- जी कुछ नहीं सब ठीक है निकल गया हूँ आता हूँ
पापाजी ने फोन काट कर कामया को बताया कि कोई चिंता की बात नहीं है कामेश भी घर पहुँचता ही होगा
कामया अपने कमरे में जाने से डर रही थी क्यों पता नहीं वो वही पापाजी के सामने खड़ी रही
पापाजी- अरे क्या हुआ
कामया- जी कुछ नहीं
पापाजी- अरे जाओ प्रेश हो जाओ कामेश भी आता होगा चल कर खाना खाते है
कामया ना चाहते हुए भी जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और फ्रेश हो ही रही थी कि कामेश की गाड़ी की आवाज आई वो थोड़ा सा डरी पर खुद पर काबू रखकर कामेश का इंतेजार करती रही
कामेश के कमरे में घुसते ही वो कामेश के सामने एक प्रश्न सूचक चेहरा लिए खड़ी मिली
कामेश- बच गया अगर नीचे रेत नहीं होती ना मर ही जाता
कामया- हाँ… क्या हुआ है
कामेश कुछ नहीं थोड़ा बहुत ही चोट है असल में गिरा ऊपर से ना इसलिए थोड़ा बहुत अन्द्रूनि चोट है ठीक हो जाएगा दो एक दिन लगेंगे
कामया- अभी कहाँ है हास्पिटल में या
कामेश- अरे हास्पिटल में ही है पोलीस भी आई थी आक्सिडेंटल केस है ना इसलिए
कामया- पोलीस क्यों
कामेश-, अरे तो नहीं आएगी क्या आक्सिडेंटल केस में आती ही है गवाही के लिए
कामया- क्या गवाही
कामेश- अरे यार गिरा कैसे कौन था वहाँ और बहुत कुछ पूछा उससे
कामया की तो जैसे जान ही निकल गई थी गला सुख गया था थूक निगलते हुए पूछा
कामया- तो क्या बताया
कामेश तब तक अपने कपड़े चेंज करते हुए बाथरूम में घुस गया था बड़ा ही कषुयल था पर कामया की जान तो जैसे जाने ही वाली थी अगर उसने पोलीस को बता दिया कि उसने उसे धक्का दिया था तो
कामया को चैन नहीं था बाथरूम के बाहर ही खड़े होकर फिर से चिल्लाकर पूछा
कामया- क्यों बताया नहीं क्या बताया
कामेश की अंदर से आवाज आई
कामेश- अरे यार मुझे नहीं पता अरे बाहर तो आने दो
कामया की सांसें अब भी अटकी हुई थी बाथरूम का दरवाजा खुलने की राह देखते हुए वो वही बेड पर बैठी रही क्या यार कहाँ फस गई जब देखो तब वो कही ना कही फस जाती है कुछ दिनों पहले वो लाखा और भीमा के साथ फस गई थी और अब भोला
किसी तरह से अपने को उन लोगों से अलग करके अपने को बचाया था पर अब भोला तो क्या वो कभी भी ईमानदारी से जी नहीं सकती हमेशा ही उसे कॉंप्रमाइज करते रहना पड़ेगा अगर वो भोला को धक्का नहीं देती तो क्या वो गिरता और अगर वो उसे धक्का नहीं देती तो वो तो उसे पकड़ लेता और फिर उूउउफफ्फ़ क्या स्थिति में फस गई थी कामया गुस्से के साथ-साथ उसे रोना भी आ रहा था पर करे क्या क्या लाखा या फिर भीमा उसकी मदद कर सकते है इस बारे में अगर वो थोड़ा सा रिक्वेस्ट करके उनसे कहे कि भोला को धमकी दे-दे की चुप रहे किसी को कुछ ना कहे तो कैसा रहे
लाखा ने तो कहा ही था भोला उनसे डरता है हाँ यह ठीक रहेगा पर कहेगी कब वो तो अब पापाजी के साथ ही आती जाती है या फिर कामेश के साथ और तो और वो तो आज कल ना तो भोला की ओर ही देखती है और नहीं भीमा की ओर
पर इस स्थिति से निकलने के लिए तो इन दोनों से अच्छा कोई नहीं है पर अचानक ही उसके दिमाग में एक ख्याल आया पर इन लोगों को कहेगी क्या कि क्या नहीं बोलना है या क्यों धमकी देना है भोला को वो कुछ सोच नहीं पा रही थी तभी कामेश भी बाथरूम से निकल आया और दोनों नीचे डिनर के लिए चले गये पापाजी के साथ डाइनिंग टेबल पर जब बैठे तो
पापाजी- कैसा है
कामेश- हाँ ठीक है चोट ज्यादा नहीं है ठीक हो जाएगा
पापाजी- कहाँ है सरकारी हास्पिटल में
कामेश- हाँ… पोलीस केस हुआ है ना इसलिए कल या फिर परसो प्राइवेट में ले आएँगे
पापाजी- ठीक है पर देखना कुछ ज्यादा गड़बड़ ना हो जाए
कामेश- नहीं नहीं वैसा कुछ नहीं है एक्सीडेंटल केस है ना इसलिए पोलीस आई थी नहीं तो प्राइवेट हास्पिटल में ही अड्मिट करता
पापाजी- अच्छा ठीक है वो धरम पाल जी का फोन आया था कह रहे थे बॉम्बे जाना है कुछ एक्सपोर्टेर आ रहे है बात कर लेना
कामेश- जी कब आ रहे है
पापाजी- पता नहीं तू ही बात कर लेना
कामेश- हाँ… यह प्राब्लम तो ठीक हो पहले
पापाजी- पर वो गिरा कैसे
कामया जो कि अब तक दोनों की बातें सुन रही थी और खाने में व्यस्त थी अचानक ही रुक गई और कामेश की ओर देखती हुई चुप हो गई
कामेश- पता नहीं कह रहा था कि पैर फिसल गया था और कुछ नहीं बताया पोलीस भी ब्यान लिख कर ले गई
पापाजी- वो तो इतना बुद्धू नहीं है इतने दिनों से काम कर रहा है उसका पैर फिसल गया पता नहीं नशे में था क्या
कामेश- अरे नहीं वो काम के समय नहीं पीता मुझे पता है
पापाजी- हाँ तुझे तो सब पता रहता है बड़ा ही विस्वास पात्र है तेरा
कामेश- अरे पापा एक बात तो है बड़ा ही स्मार्ट है पढ़ा लिखा नहीं है पर एक बार जो समझा दिया वो कभी नहीं भूलता मुझे तो विस्वास है अब उसे वहां से हटा लूँगा
पापाजी- क्यों वहां क्या हुआ
कामेश - नहीं ऐसा कुछ नहीं पर वो शोरुम में ठीक है और जब कॉंप्लेक्स बन जाएगा तब उसे सेक्योंरिटी का इचार्ज बना दूँगा
पापाजी- जैसा तेरा मन ठीक है पर ध्यान रखना
कामेश- जी
और सभी खाने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में चले गये पर कामया के दिमाग में एक बात घर कर गई थी आखिर क्यों भोला ने यह बात कही कि वो पैर फिसलने से गिरा था आखिर उसने उसका नाम क्यों नहीं लिया
क्यों उसने इस तरह से उसे बचाया पहले भी उसने लाखा को जब बताया था कि उसने कामया को उसके साथ देख लिया है तब भी उसने किसी से इस बात की चर्चा नहीं की आख़िर क्या बात है भोला क्यों उसके साथ इस तरह का वर्ताब कर रहा है आखिर वो चाहता क्या है उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे कमरे में वो यही सोचते हुए बिस्तर पर अपनी जगह लेट गई थी कामेश भी उसके पास लेटा था पर कामया वहां होते हुए भी कहीं और थी
बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete
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Re: बड़े घर की बहू
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
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Re: बड़े घर की बहू
Happy new year friends
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Re: बड़े घर की बहू
उसके मन में ढेर सारे सवालों के बीच में वो घिरी हुई अपने आपसे उत्तर ढूँडने की कोशिश करती रही पर उसे कोई जबाब नहीं मिला तभी कामेश के नजदीक आने से से और उसे कस कर पकड़ लेने से उसकी सोचने में ब्रेक लग गया
कामेश कामया को पीछे से पकड़कर अपने हथेलियों से उसके चूचियां धीरे धीरे गाउनके ऊपर से ही दबाने लगा था और उसके गले पर अपनी जीब फेरने लगा था
कामया- उूुउउफफ्फ़ हमम्म्म आज नहीं प्लीज
कामेश- क्यों
कामया- मन नहीं कर रहा
कामेश- बाप रे तुम्हारा मन नहीं कर रहा
बड़े ही आश्चर्य से कामेश ने कामया के चेहरे को अपनी ओर घुमाकर पूछा कामया को अचानक ही पता नहीं क्यों एक चिड सी लगी
कामया- क्यों मेरा मन नहीं है तो इसमें बाप रे का क्या
कामेश- हाँ… हाँ… ही ही अरे यार भूत के मुख से राम नाम पहली बार सुन रहा हूँ
कामया- छोड़िए मुझे में भूत ही हूँ
पर कामेश जानता था कि कामया को क्या चाहिए उसने फिर से कामया को पीछे से जकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन और गले पर किस कने लगा था और अपनी हथेलियो को उसकी चुचियों पर बारी बारी से घुमाने लगा था अपने लिंग को भी कामया के नितंबों पर रगड़कर अपनी उत्तेजना को प्रदर्शित कर रहा था
कामया जो कि अपनी सोच से निकलना नहीं चाहती थी पर कामेश की हरकतों से वो भी थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी
कामेश- इधर घुमो हाँ… और अपने होंठ दो,
कामया भी बिना ना नुकार के कामेश की ओर पलट गई और अपने होंठों को कामेश को सोप दिया कामेश उसके होंठों को पीता गया और अपने हाथों से उसके गाउनको सामने से खोलकर अपने हाथों को उसके गोल गोल उभारों पर रख कर उनके साइज का सर्वे करने लगा था
कामया- हमम्म्म कहा ना मन नहीं है
कामेश- बस थोड़ी देर हाँ… बस लेटी रहो बाकी में कर लूँगा आज
कामया- प्लीज ना आज नहीं
पर उसके मना करने के तरीके से पता चलता था कि वो चाहती तो थी पर क्यों मना कर रही थी पता नहीं उसके हाथ अब कामेश के सिर और पीठ पर घूमने लगे थे
कामेश- रूको थोड़ी देर बस
कामया- उूउउम्म्म्ममममम ईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्सस्स
करती हुई धीरे-धीरे कामेश का साथ देने लगी थी कामेश के किस करने में आज कुछ अलग था वो आज बहुत ही तरीके से किस कर रहा था जोर लगा के उसके पूरे होंठों को अपने मुख के अंदर तक चूसकर घुसा लेता था और फिर अपनी जीब को भी उसके मुख के अंदर तक घुसा ले जाता था उसके हाथ अब थोड़े रफ हो गये थे
उसकी चूचियां खूब जोर-जोर से दबाते जा रहे थे कि तभी कामेश कामया के ऊपर से थोड़ा सा हटा और अपने पाजामे को नीचे की ओर सरका दिया और कामया के हाथ को पकड़कर अपने लिंग पर रखने लगा
कामेश- पकडो इसे
कामया ने कोई ना नुकर नहीं की और झट से उसके लिंग को अपनी कोमल हथेलियो में जकड़ लिया और कामेश को रिटर्न किस करने लगी
कामेश का लिंग टाइट हो चुका था पर अचानक ही उसकी आखों के सामने वो एक मोटा सा और लंबा सा लिंग घूम गया भोला का काले रंग की वो आकृति उसके जेहन में एक अजीब सी उथल पुथल मचा रही थी कसी हुई जाँघो के सामने से झूलता हुआ वो लिंग उसके मन में अंदर तक उसे हिलाकर रख दिया उसकी हथेलिया कामेश के लिंग पर बहुत कस गई और वो कामेश को किस करती हुई उसके लिंग को जैसे निचोड़ने लगी थी कामेश को भी अचानक ही हुए कामया की हरकतों में बदलाव से बेचैनी होने लगी थी वो थोड़ा सा उठा और कामया की जाँघो के बीच से एक ही झटके में उसकी पैंटी को उतार फेका और झट से उसकी योनि में समा गया
कामया भी जैसे तैयार ही थी अंदर जाते ही कामया फिर से एक सेक्स मेनिक बन गई थी अपनी कमर को उछाल कर बहुत ही तेजी से कामेश का साथ देने लगी थी वो जानती थी कि कामेश ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर ना जाने क्यों वो आज बहुत ही कामुक हो उठी थी शायद उसकी बजाह थी वो आकृति जो उसके जेहन में अचानक ही उठ गई थी भोला का सर्पाकार काले और मोटे लिंग की आकृति उसकी माँस पेशियाँ और उसका वो गठीला कद काठी और खा जाने वाली नजर वो अपनी आखों के सामने उस इंसान की याद करके अपने पति का साथ दे रही थी पता नहीं क्यों वो आज कामेश से पहले ही झड गई और एक ठंडी लाश की तरह से कामेश की बाहों में लटक गई
कामेश भी खुश था कि आज वो कामया को संतुष्ट कर सका और अपनी रफ़्तार को बढ़ाए हुए कामया को अब भी भोग रहा था और बहुत ही जोर-जोर से कामया को लगातार किस करता जा रहा था
कामेश- क्यों क्या हुआ आज तो मन नहीं था अन्नाअनाआआआआआआआआआआ हमम्म्ममममममममममम
हान्फते हुए कामेश भी कामया के ऊपर ढेर हो गया
कामया कामेश के नीचे लेटी हुई अपने हाथों से कामेश के बालों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कामेश को अपनी बाहों में धीरे से कस्ती जा रही थी जैसे वो नहीं चाहती थी कि कामेश उसके ऊपर से हटे पर अंदर की ओर देखती हुई वो भोला के बारे में सोचने को मजबूर हो रही थी क्यों सोच रही थी वो पर ना जाने क्यों बार-बार उसके जेहन में उस समय का सीन उभरकर आ जाता था उस औरत का और पीछे की ओर से भोला को आगे पीछे होते हुए देखा था उसने वो औरत चिल्ला भी नहीं रही थी यानी कि उसे मजा आ रहा था वो उसका साथ दे रही थी उस सांड़ का उस हबसी का और वो भी दिन के उजाले में छत पर आखिर क्यों
वो औरत कौन थी और भोला के साथ वहां कैसे पहुँची क्या वो औरत उनके यहां ही काम करती है या कौन है पर भोला को मना भी कर सकती थी ऐसा क्या हुआ जो वो छत पर जाके यह सब करना पड़ा इतनी उत्तेजना किसकाम की
पता नहीं सोचते सोचते कब वो सो गई पर रात भर उसके सपने में वो सीन उसके शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना को हवा देता रहा और जब वो सुबह उठी तो उसकी उत्तेजना वैसे ही थी जैसे रात को थी वो पलटी और कामेश की ओर घूमी पर कामेश तो उठ चुका था और शायद नीचे भी चला गया था बाथरूम भी खाली था वो भी जल्दी से उठी और चाय पीने को नीचे आई फिर तो कुछ भी पासिबल नहीं था जल्दी-जल्दी से कामेश और कामया तैयार होकर कॉंप्लेक्स फिर शोरुम और फिर शाम और पूरा दिन यू ही निकल गया रात को भी कुछ ज्यादा बदलाब नहीं हाँ… एक बदलाब जरूर था कामेश अब ज्यादा ही कामया को प्यार करने लगा था रोज रात को कामेश खुद ही कामया को पकड़कर निचोड़ने लगा था और कामया भी उसका साथ देने लगी थी पर एक बदलाब जो कि कामया के जीवन में आ गया था वो था कॉंप्लेक्स में देखा गया वो सीन जो हमेशा ही उसके जेहन में छाया रहता था और उसे उत्तेजित करता रहता था शायद इसीलिए अब हमेशा कामेश की जीत होती थी और कामया की हार पर कामेश खुश था और कामया भी लेकिन कामया थोड़ा सा आब्सेंट माइंडेड हो गई थी वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सोचती रहती थी
क्या वो तो कामया के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है यह उसके पहले की शांति है यह कामया भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये
आज भी हमेशा की तरह कॉंप्लेक्स का काम खतम करके कामेश और कामया शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही
कामेश- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा
कामया- क्यों कहाँ
कामेश- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे
कामया- तो
कामेश- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत पापाजी भी मदद कर देंगे
कामया- हाँ… पर कितने दिन के लिए
गाड़ी चलाते हुए
कामेश- पता नहीं, जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा
कामया- हाँ पर जल्दी आ जाना में और पापा जी ही है घर में मम्मीजी भी नहीं है
कामेश- हाँ वो तो है पर चिंता मत करो भीमा और लाखा है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है
कामया- भी चुपचाप कामेश को देखती रही
कामेश- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी
कामया एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर कामेश की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके
कामया- अभी शोरुम जाना नहीं है
कामेश- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई कामया को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था
सीडिया चढ़ते हुए वो कामेश के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे कामेश और कामया को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया कामेश को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे कामया पर अटक गई थी
टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था
कामया को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए कामेश के पीछे-पीछे जाने लगी थी कामेश ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे
कामेश कामया को पीछे से पकड़कर अपने हथेलियों से उसके चूचियां धीरे धीरे गाउनके ऊपर से ही दबाने लगा था और उसके गले पर अपनी जीब फेरने लगा था
कामया- उूुउउफफ्फ़ हमम्म्म आज नहीं प्लीज
कामेश- क्यों
कामया- मन नहीं कर रहा
कामेश- बाप रे तुम्हारा मन नहीं कर रहा
बड़े ही आश्चर्य से कामेश ने कामया के चेहरे को अपनी ओर घुमाकर पूछा कामया को अचानक ही पता नहीं क्यों एक चिड सी लगी
कामया- क्यों मेरा मन नहीं है तो इसमें बाप रे का क्या
कामेश- हाँ… हाँ… ही ही अरे यार भूत के मुख से राम नाम पहली बार सुन रहा हूँ
कामया- छोड़िए मुझे में भूत ही हूँ
पर कामेश जानता था कि कामया को क्या चाहिए उसने फिर से कामया को पीछे से जकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन और गले पर किस कने लगा था और अपनी हथेलियो को उसकी चुचियों पर बारी बारी से घुमाने लगा था अपने लिंग को भी कामया के नितंबों पर रगड़कर अपनी उत्तेजना को प्रदर्शित कर रहा था
कामया जो कि अपनी सोच से निकलना नहीं चाहती थी पर कामेश की हरकतों से वो भी थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी
कामेश- इधर घुमो हाँ… और अपने होंठ दो,
कामया भी बिना ना नुकार के कामेश की ओर पलट गई और अपने होंठों को कामेश को सोप दिया कामेश उसके होंठों को पीता गया और अपने हाथों से उसके गाउनको सामने से खोलकर अपने हाथों को उसके गोल गोल उभारों पर रख कर उनके साइज का सर्वे करने लगा था
कामया- हमम्म्म कहा ना मन नहीं है
कामेश- बस थोड़ी देर हाँ… बस लेटी रहो बाकी में कर लूँगा आज
कामया- प्लीज ना आज नहीं
पर उसके मना करने के तरीके से पता चलता था कि वो चाहती तो थी पर क्यों मना कर रही थी पता नहीं उसके हाथ अब कामेश के सिर और पीठ पर घूमने लगे थे
कामेश- रूको थोड़ी देर बस
कामया- उूउउम्म्म्ममममम ईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्सस्स
करती हुई धीरे-धीरे कामेश का साथ देने लगी थी कामेश के किस करने में आज कुछ अलग था वो आज बहुत ही तरीके से किस कर रहा था जोर लगा के उसके पूरे होंठों को अपने मुख के अंदर तक चूसकर घुसा लेता था और फिर अपनी जीब को भी उसके मुख के अंदर तक घुसा ले जाता था उसके हाथ अब थोड़े रफ हो गये थे
उसकी चूचियां खूब जोर-जोर से दबाते जा रहे थे कि तभी कामेश कामया के ऊपर से थोड़ा सा हटा और अपने पाजामे को नीचे की ओर सरका दिया और कामया के हाथ को पकड़कर अपने लिंग पर रखने लगा
कामेश- पकडो इसे
कामया ने कोई ना नुकर नहीं की और झट से उसके लिंग को अपनी कोमल हथेलियो में जकड़ लिया और कामेश को रिटर्न किस करने लगी
कामेश का लिंग टाइट हो चुका था पर अचानक ही उसकी आखों के सामने वो एक मोटा सा और लंबा सा लिंग घूम गया भोला का काले रंग की वो आकृति उसके जेहन में एक अजीब सी उथल पुथल मचा रही थी कसी हुई जाँघो के सामने से झूलता हुआ वो लिंग उसके मन में अंदर तक उसे हिलाकर रख दिया उसकी हथेलिया कामेश के लिंग पर बहुत कस गई और वो कामेश को किस करती हुई उसके लिंग को जैसे निचोड़ने लगी थी कामेश को भी अचानक ही हुए कामया की हरकतों में बदलाव से बेचैनी होने लगी थी वो थोड़ा सा उठा और कामया की जाँघो के बीच से एक ही झटके में उसकी पैंटी को उतार फेका और झट से उसकी योनि में समा गया
कामया भी जैसे तैयार ही थी अंदर जाते ही कामया फिर से एक सेक्स मेनिक बन गई थी अपनी कमर को उछाल कर बहुत ही तेजी से कामेश का साथ देने लगी थी वो जानती थी कि कामेश ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर ना जाने क्यों वो आज बहुत ही कामुक हो उठी थी शायद उसकी बजाह थी वो आकृति जो उसके जेहन में अचानक ही उठ गई थी भोला का सर्पाकार काले और मोटे लिंग की आकृति उसकी माँस पेशियाँ और उसका वो गठीला कद काठी और खा जाने वाली नजर वो अपनी आखों के सामने उस इंसान की याद करके अपने पति का साथ दे रही थी पता नहीं क्यों वो आज कामेश से पहले ही झड गई और एक ठंडी लाश की तरह से कामेश की बाहों में लटक गई
कामेश भी खुश था कि आज वो कामया को संतुष्ट कर सका और अपनी रफ़्तार को बढ़ाए हुए कामया को अब भी भोग रहा था और बहुत ही जोर-जोर से कामया को लगातार किस करता जा रहा था
कामेश- क्यों क्या हुआ आज तो मन नहीं था अन्नाअनाआआआआआआआआआआ हमम्म्ममममममममममम
हान्फते हुए कामेश भी कामया के ऊपर ढेर हो गया
कामया कामेश के नीचे लेटी हुई अपने हाथों से कामेश के बालों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कामेश को अपनी बाहों में धीरे से कस्ती जा रही थी जैसे वो नहीं चाहती थी कि कामेश उसके ऊपर से हटे पर अंदर की ओर देखती हुई वो भोला के बारे में सोचने को मजबूर हो रही थी क्यों सोच रही थी वो पर ना जाने क्यों बार-बार उसके जेहन में उस समय का सीन उभरकर आ जाता था उस औरत का और पीछे की ओर से भोला को आगे पीछे होते हुए देखा था उसने वो औरत चिल्ला भी नहीं रही थी यानी कि उसे मजा आ रहा था वो उसका साथ दे रही थी उस सांड़ का उस हबसी का और वो भी दिन के उजाले में छत पर आखिर क्यों
वो औरत कौन थी और भोला के साथ वहां कैसे पहुँची क्या वो औरत उनके यहां ही काम करती है या कौन है पर भोला को मना भी कर सकती थी ऐसा क्या हुआ जो वो छत पर जाके यह सब करना पड़ा इतनी उत्तेजना किसकाम की
पता नहीं सोचते सोचते कब वो सो गई पर रात भर उसके सपने में वो सीन उसके शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना को हवा देता रहा और जब वो सुबह उठी तो उसकी उत्तेजना वैसे ही थी जैसे रात को थी वो पलटी और कामेश की ओर घूमी पर कामेश तो उठ चुका था और शायद नीचे भी चला गया था बाथरूम भी खाली था वो भी जल्दी से उठी और चाय पीने को नीचे आई फिर तो कुछ भी पासिबल नहीं था जल्दी-जल्दी से कामेश और कामया तैयार होकर कॉंप्लेक्स फिर शोरुम और फिर शाम और पूरा दिन यू ही निकल गया रात को भी कुछ ज्यादा बदलाब नहीं हाँ… एक बदलाब जरूर था कामेश अब ज्यादा ही कामया को प्यार करने लगा था रोज रात को कामेश खुद ही कामया को पकड़कर निचोड़ने लगा था और कामया भी उसका साथ देने लगी थी पर एक बदलाब जो कि कामया के जीवन में आ गया था वो था कॉंप्लेक्स में देखा गया वो सीन जो हमेशा ही उसके जेहन में छाया रहता था और उसे उत्तेजित करता रहता था शायद इसीलिए अब हमेशा कामेश की जीत होती थी और कामया की हार पर कामेश खुश था और कामया भी लेकिन कामया थोड़ा सा आब्सेंट माइंडेड हो गई थी वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सोचती रहती थी
क्या वो तो कामया के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है यह उसके पहले की शांति है यह कामया भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये
आज भी हमेशा की तरह कॉंप्लेक्स का काम खतम करके कामेश और कामया शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही
कामेश- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा
कामया- क्यों कहाँ
कामेश- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे
कामया- तो
कामेश- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत पापाजी भी मदद कर देंगे
कामया- हाँ… पर कितने दिन के लिए
गाड़ी चलाते हुए
कामेश- पता नहीं, जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा
कामया- हाँ पर जल्दी आ जाना में और पापा जी ही है घर में मम्मीजी भी नहीं है
कामेश- हाँ वो तो है पर चिंता मत करो भीमा और लाखा है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है
कामया- भी चुपचाप कामेश को देखती रही
कामेश- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी
कामया एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर कामेश की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके
कामया- अभी शोरुम जाना नहीं है
कामेश- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई कामया को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था
सीडिया चढ़ते हुए वो कामेश के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे कामेश और कामया को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया कामेश को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे कामया पर अटक गई थी
टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था
कामया को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए कामेश के पीछे-पीछे जाने लगी थी कामेश ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे
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- sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू
कामेश अंदर चला गया और कामया बाहर ही रुक गई अंदर जाने की हिम्मत नहीं हुई दरवाजा बंद होने से पहले उसे कामेश की आवाज़ सुनाई दी
कामेश- भोला कैसे हो
भोला- जी भैया ठीक हूँ कल छोड़ देंगे भोला है
कामेश- कल क्यों आज क्यों नहीं
और दरवाजा बंद हो गया पर थोड़ी देर बाद फिर से दरवाजा खुला और
कामेश- अरे आओ ना रुक क्यों गई और कामया का हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया
कामया लगभग लरखड़ाती हुई सी अंदर कमरे में चली गई डोर के साइड वाली बेड पर कोई लेटा था और उसके साइड से ही भोला का बेड भी था
कामया को देखते ही भोला उठने की कोशिश करने लगा
कामेश- अरे लेटा रह उठ मत
भोला- नमस्ते मेम साहब
कामया- नमस्ते
और अपनी नजर भोला से बचा कर साइड में पड़े हुए उस आदमी की ओर देखने लगी थी वो सिकुड़ कर सोया हुआ था शायद ठंड लग रही थी कंबल ओढ़े हुए हाथ पैर सिकोडे सोया था कामया कामेश के पास खड़ी हुई इधा उधर देखती हुई अपने आपको सहज करने की कोशिश में लगी थी पर जाने क्यों वो अपनी सांसों को तेज होते हुए पा रही थी यह वही राक्षस था जो उस दिन उसके सामने ही दोपहर को छत पर एक औरत के साथ ची ची क्या सोचने लगी थी वो पर एक बात तो थी कामया नजर चुरा कर भोला को एक बार देख जरूर लेती थी कामेश हँस हँस कर उससे बातें कर रहा था और भोला भी इतने में बाहर से सिस्टर आई और भोला को एक इंजेक्षन लगाने लगी भोला ने अपनी बाँह बाहर निकाली और सिस्टर को उसे इंजेक्षन लगाने में कोई दिक्कत नहीं हुई कामया ने एक बार भोला को देखा जैसे उसे कोई फरक ही नहीं पड़ा था वो एकटक कामया की ओर देख रहा था कामया थोड़ा सा झेप गई थी और कामेश को इशारा करने लगी पर सिस्टर की आवाज ने उसे चौका दिया
सिस्टर- सर वो आज या कल सुबह डाक्टेर साहब से मिल लीजिएगा
कामेश- क्यों
सिस्टर- जी सर वो डाक्टेर साहब ने ही कहा है
कामेश- हाँ… कल तो नहीं होगा अभी है क्या
सिस्टर- जी है तो
कामेश- तो चलो अभी मिल लेते है (और कामया की ओर देखते हुए कहा) तुम रूको में अभी आता हूँ
जब तक कामया कुछ कहती तब तक तो वो सिस्टर के साथ बाहर हो चुका था कामेश को भी बड़ी जल्दी रहती है सुन तो लेता कमरे में उसे बड़ा ही आजीब सा लग रहा था वो अब भी भोला के बेड के पास खड़ी हुई थी और उसकी ओर ना देखते हुए साइड में खिड़की की ओर देख रही थी उसे बड़ा ही अजीब सा एहसास धीरे-धीरे उसके पूरे शरीर में छाने लगा था वो बार-बार अपने हाथों से अपनी कलाईयों से लेकर बाहों तक एक हाथ से सहलाते जा रही थी कुछ परेशान भी थी भोला उसके सामने ही बेड पर लेटा हुआ था और शायद उसी की ओर ही देख रहा था पर कामया में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो भी भोला की ओर देख सके वो तो यहां से निकल जाना चाहती थी जल्दी से बस उसे कामेश का ही इंतेजार था
पर कामेश को गये अभी तो बस एक मिनट ही हुआ होगा और इतने देर में ही कामया के सारे शरीर में एक अजीब सी उथल पुथाल मच गई थी वो बार-बार सिहर उठ-ती थी चहरे के एक्सप्रेशन को देखकर साफ लगा रहा था बड़ी ही संभाल कर अपनी सांसें छोड़ रही है इतने में
भोला- कैसी है मेमसाहब
कामया- हाँ… ठीक हूँ हमम्म्ममम सस्स्स्शह
उसके मुख और नाक से एक अजीब सी सिसकारी भरे शब्द निकले वो नीचे भोला की ओर देखा जी कि एकटक उसकी ओर ही देख रहा था बड़े ही तरीके से और बड़े ही प्यार से
भोला- आप नाराज है हम से
कामया- नहीं क्यों
भोला- जी उस दिन
कामया- चुप रहो
उसके आवाज़ में गुस्सा था शायद बाहर भी चली जाती अगर वो कुछ ऐसा नहीं करता तो अचानक ही भोला की हथेली उसकी गोरी और नाजुक कलाई को अपनी सख्त गिरफ़्त में ले चुकी थी छुरियो के ऊपर से ही कामया का पूरा शरीर एकदम से सनसना गया था वो भोला की ओर डर के मारे देखती र्रही
कामया- छोड़ो मुझे क्या कर रहे हो पागल हो क्या
गुस्सा और बहुत ही धीरे उसके मुख से यह बात निकली वो नहीं चाहती थी कि पास में सोए हुए उस आदमी को कुछ पता चले कामया की पीठ दरवाजे की ओर थी सो एक बार अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश करती हुई उसने पलटकर भी देखा पर दरवाजा बंद था
कामया- प्लीज छोड़ो
भोला- छोड़ दूँगा मेमसाहब पहले जोर लगाना छोड़िए नहीं तो नहीं छोड़ूँगा
कामया का शरीर ढीला पड़ गया उसने जोर लगाना छोड़ दिया पर अपने दूसरे हाथों से उसकी उंगलियों को अपने कलाई से ढीलाकरने की कोशिश करती जा रही थी
कामया- प्लीज कामेश आ जाएगा प्लीज
उसकी आवाज में रुआंसी होने का साफ संकेत था वो उसकी गिरफ़्त से अपने को छुड़ाने में असमर्थ थी
भोला- मेमसाहब मैंने किसी को भी नहीं बताया कि आपने ही मुझे धक्का दिया था
कामया- ठीक है पर मुझे छोड़ो नहीं तो में चिल्ला दूँगी
भोला- चिल्लाओ मेमसाहब में भी बोल दूँगा कि मेमसाहब ने ही मुझे धक्का दिया था
कामया- प्लीज ईई अच्छा किया था तुम्हें धक्का दिया
भोला- क्यों मेमसाहब हमें जीने का हक नहीं है क्या गरीब है इसलिए
कामया- प्लीज ईयीई मेरा हाथ छोड़ो पहले
भोला- नहीं आपने मेरा जीवन खराब कर दिया है पागल हो गया हूँ में पता नहीं क्या-क्या करता जा रहा हूँ शायद कभी किसी दिन किसी का खून भी कर दूं
अचानक ही भोला की आवाज कुछ सख्त हो गई थी और थोड़ा उची आवाज में भी बोला
कामया एकदम से सन्नाटे में रह गई वो अभी अपना हाथ उसकी हथेलियो से छुड़ाना चाहती थी पर वो भोला को देख रही थी कुछ अजीब तरीके से उसने उसका जीवन खराब कर दिया कैसे
कामया- मैंने खराब कर दिया कुछ भी बोलागे तुम ,,अब उसके चहरे में भी गुस्सा था और आवाज में सख़्त पन था पर धीमे थी
भोला- जी हाँ… आपने जब से मैंने आपको देखा है में पागल सा हो गया हूँ और तो और जब मैंने आपको लाखा काका के घर में जाते हुए देखा था तब से और तभी से जब भी आपको देखता हूँ में पागल हो जाता हूँ छुप छुप कर सिर्फ़ आपको देखता रहता हूँ दिन भर पागलो के समान घूमता हूँ ना जाने कितनी ही औरतों के साथ मैंने किया पर मेमसाहब
आपको नहीं भुला पाया
भोला की आवाज में अचानक ही तेजी के बाद नर्मी आ गई थी वो शायद उससे मिन्नत कर रहा था भोला के मुख से निकली हर बात उसके जेहन में किसी तीर के माफिक उतरगई थी अब उसकी छूटने की कोशिश कुछ ढीली पड़ गई थी
भोला- तब भी मैने किसी को कुछ नहीं कहा था मेमसाहब और जब जान भी गवाने वाला था तब भी मेमसाब किसी से कुछ नहीं कहा शायद में आपसे कभी भी नहीं कहता पर क्या करू मेमसाहब इतने पास खड़ी हुई है आप कि आपकी खुशबू से ही में पागल हो गया हूँ
कामया-
चुपचाप खड़ी हुई कभी पीछे की ओर तो कभी उस आदमी की ओर देख रही थी और कभी भोला की आखों में उसे भोला की आखों में एक विनती और नर्मी देखने को मिली शायद बहुत तकलीफ में था
कामया- प्लीज भोला मुझे छोड़ दो कामेश आ जाएगा उसकी आवाज में धमकी नहीं थी मिंन्नत थी
भोला- में क्या करू मेम्साब क्या करू पागल कर देती हो आप देखो क्या हाल है मेरा
और अपने दूसरे हाथ से कंबल को हटा कर दिखाया सीने में और उसके नीचे बहुत सी खरोंचो के निशान थे कुछ गहरे तो कुछ सुख गये थे काले बालों के झुंड में उसके बलशाली शरीर का एक नमूना उसके सामने था छाती के दोनों तरफ उसकी चूची के समान उसका सीना फूला हुआ था ठोस था बिल्कुल पत्थर की तरह
भोला- देखा मेमसाहब और क्या दिखाऊ मर जाता तो आपको कभी भी नहीं बताता पर क्या करू मेमसाहब शायद बहुत पाप किया है इसलिए इतनी तकलीफ के बाद भी जिंदा हूँ
कामया- नहीं भोला तुम ठीक हो जाओगे अब प्लीज छोड़ दो मुझे कामेश आ गये तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी प्लीज
कामया बड़े ही तरीके से भोला से गुजारिश कर रही थी वो जानती थी कि जब तक भोला नहीं छोड़ेगा वो उसकी चुगल से नहीं छूट पाएगी
भोला- छोड़ दूँगा मेमसाहब मुझे भी चिंता है पर में क्या करू बताइए इसका क्या करूँ
और बिना किसी संघर्ष के ही उसने कामया के हाथ को नीचे कंबल में घुसाकर अपने लिंग के पास लेगया
कामया जब तक समझती तब तक तो सबकुछ हो चुका था उसकी हथेलियो में उसका गरम सा लिंग टच होने लगा था कामया की सांसें रुक गई थी और अपने आपको खींचकर जब तक वो संभालती तब तक तो भोला उसकी हथेली में अपने लिंग को घिसने लगा था
कामया- क्या कर रहे हो ह्म्म्म्ममममह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह कोई आआआआजाएगा आआआआआआआअ
भोला- नहीं मेमेसाहब बस थोड़ा सा पकड़ लीजिए प्लीज ईईई
कामया- नहीं प्लीज ईईईईईईईईई छोड़ो
भोला - छोड़ दूँगा मेमसाहब पर थोड़ी देर को ही मेमसाहब प्लीज़ नहीं तो मर जाऊँगा
कामया के हाथ के चारो ओर उसका लिंग झटके से टकरा रहा था बहुत ही गरम था बड़ा था पर वो अपने हाथों को उससे बचाने की कोशिश में थी पर भोला उसे अपने लिंग को पकड़ाना चाहता था पर वो बच रही थी
भोला- अब मेमसाहब आप ही देर कर रही है एक बार पकड़ लीजिए ना प्लीज नहीं तो भैया आ जाएँगे जल्दी
कामेश के आ जाने के डर से कामया ने झट से उसके लिंग को कंबल के नीचे ही अपनी कोमल हथेली में कस कर पकड़ लिया पर भोला का लिंग इतना मोटा था कि उसकी हथेली भी उसके आकार को पूरा नहीं घेर सकी गरम-गरम लिंग के हाथों में आते ही कामया के शरीर में एक सनसना देने वाली सिहरन दौड़ गई थी वो अपना हाथ खींचना चाहती थी पर भोला ने भी अपने हाथों से उसकी कोमल और नाजुक हथेली को कस कर जकड़ रखा था
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- Ankit
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Re: बड़े घर की बहू
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