चूतो का समुंदर
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
कई पात्र जुड़ते जा रहे हैं
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
mitr abhi to bahut kuch hona baki haishubhs wrote:कई पात्र जुड़ते जा रहे हैं
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
यहाँ फार्म हाउस पर....
चंदा मेरी बाहों मे पूरी नंगी डली हुई थी....
मैं पिछले 2 घंटे से उसकी चूत और गान्ड की धज्जियाँ उड़ा रहा था...
इस दौरान मैं 2 बार झडा और चंदा की तो गिनती ही नही थी....
इस दमदार चुदाई के बाद चंदा बहुत खुश थी....
चुदाई के बाद चंदा नीचे निकल गई और मैं रेस्ट करने लगा....
फिर दोपहर को हम सब घर के लिए निकलने लगे....सब लोग बस मे सवार हो चुके थे...सिर्फ़ मैं और अकरम नीचे खड़े थे.....
मैं- चल अकरम...अब घर के मज़े लेगे...
अकरम- ह्म्म...चलते है...डॅड आ जाए बस...
मैं- क्यो..कहाँ गये....??
अकरम- यही थे यार...कॉल आया तो बात करने निकल गये...मैं बुला के आता हूँ...
अकरम के जाते ही मैने अपने आदमी को कॉल किया....
( कॉल पर)
स- हेलो अंकित...मैं तुम्हारे कॉल का ही वेट कर रहा था....
मैं- अच्छा...ऐसी क्या बात हुई...सब ठीक है ना....
स- हाँ...सब ठीक है...अपना काम हो गया...और हाँ...एक न्यूज़ है तेरे लिए...
मैं- गुड या बॅड...??
स- तुम खुद डिसाइड कर लेना...पर इतना ज़रूर कह सकता हूँ कि ये शॉकिंग न्यूज़ है...
मैं- अच्छा...बोलो....
स- ह्म्म..बात तुम्हारे डॅड और कामिनी की है....
तभी अकरम ने मेरे कंधे पर हाथ रखा....
अकरम- चल भाई...डॅड आ गये...
मैं(कॉल पर)- कल मिलते है...बब्यए...
और कॉल कट कर के हम बस मे सवार हुए और घर की तरफ चल पड़े...
मैं(मन मे)- मेरे डॅड और कामिनी की बात ....बट क्या...ये साली कामिनी का चक्कर पूरी तरह मिटाना ही होगा...हर बात मे इसका नाम आ जाता है....अब बस...आर या पार....
आख़िरकार ट्रिप ख़त्म हो गई....
ट्रिप मे काफ़ी काम हुए...मज़े भी किए और चोट भी खाई....
कही प्यार मिला तो कही नफ़रत....दोस्ती भी निभाई और प्यास भी बुझाई...
सम्राट सिंग के नाम का एक नया बंदा पिक्चर मे आया....अब इसके बारे मे पता लगाना ही होगा....
मोहिनी की सच्चाई भी पता चली और उसके मन का भाव भी...
अकरम की मोम भी खुश हो गई और सही रास्ते पर आ गई....
बस ज़िया को ठिकाने पर लगाना बाकी रह गया...वो भी टाइम मिलने पर कर दूँगा....
एक तरफ रूही, गुल और मोहिनी का जिस्म भी मिला ...और दूसरी तरफ जूही का प्यार मिला...
एक और बात अच्छी हुई...पूनम और संजू का सेक्स रीलेशन भी मेरे सामने ओपन हो गया....अब तो उसके घर पर मौका मिलते ही दोनो साथ मे बजाएँगे ...
लेकिन पूरी ट्रिप मे वसीम और सरद का कॅरक्टर पूरी तरह से नही समझ पाया....
है तो दोनो अयाश...पर फिर भी ज़्यादातर चुप चाप ही रहे...शायद मेरा भ्रम हो...
वेल रेकॉर्डिंग तो है ही मेरे पास...एक बार फिर चेक कर लूँगा....
ट्रिप तो ठीक थी ही...साथ मे सहर मे भी काफ़ी कुछ अच्छा हो गया...
कामिनी ने कमल के बारे मे पूरा राज़ खोल दिया....और दुश्मनी की वजह भी बता दी....
पर कुछ तो है जो सिर्फ़ दामिनी ही बता सकती है....उसे ढूड़ना पड़ेगा...
और काजल...अब वो भी गेम मे शामिल हो गई....ह्म्म..उसके नेक्स्ट स्टेप का इंतज़ार रहेगा....
रिचा पर नज़र रखना भी काम आ गया....साली की ठुकाई भी हो गई और काम भी नही हुआ ..
सोनी भी पकड़ मे आ गया....अब इसे सबक तो सिखाना बनता ही है....
रिचा का भी बुरा हाल होगा...पर पहले उसका यूज़ करना है...
रजनी आंटी से बात करना ज़रूरी हो गया है....और बहुत जल्दी....
यही सब सोचते हुए मैं बस मे बैठा हुआ घर की तरफ आ रहा था.....
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
बस एक सवाल फिर से दिमाग़ मे खलबली मचा रहा है...कि मेरे डॅड और कामिनी की कौन सी बात पता चली...
साला अकरम को भी तभी आना था...2 मिनट बाद आता तो सब पता चल जाता...
वेल अब मौका मिलते ही पूछ लूँगा....
ये सब बाते...और कुछ प्लान सोचते-सोचते मैं सो गया....
पूरे सफ़र के दौरान हम सिर्फ़ एक जगह खाने के लिए रुके....वहाँ मैने अपने आदमी को कॉल किया बट उसने कॉल लिया ही नही...
बाद मे उसका कॉल भी आया..बट मैं बस मे था इसलिए नही लिया....क्योकि तभी जूही मेरे साथ थी...
फाइनली हम घर पहुच गये....सीधा अकरम के घर....
वहाँ मैने सबको बाइ बोला और संजू, पूनम के साथ घर के लिए निकल आया....
जब मैं संजू के घर पहुचा तो चोंक कर रह गया...
मुझे देखते ही रजनी आंटी लगभग भागते हुए मेरे सीने से चिपक गई....
मेरे साथ -साथ , वहाँ खड़े सब लोग रजनी आंटी की हरक़त से हैरान थे....
संजू और पूनम शायद यही सोच रहे होंगे कि माँ तो हमारी है और प्यार अंकित के लिए...
अनु, रक्षा, मेघा, विनोद और प्रमोद भी अजीब नज़रों से हमे देख रहे थे...
पर आंटी को किसी की परवाह नही थी...वो तो मुझे कस के अपने सीने से लगाए हुई थी...
रजनी- भगवान का सुक्र है कि तू ठीक है...
मैं- आंटी...क्या हुआ...आप...
रजनी- जबसे मैने सुना कि तुझ पर हमला हुआ...तबसे मैं...
और आंटी की आँखो से आँसू निकलने लगे....
आंटी के सुबकने की आवाज़ से तो मेरा माइंड ही हिल गया...मैं समझ ही नही पा रहा था कि बात क्या है...
आज आंटी के जिस्म की गर्मी कोई सेक्स की फीलिंग नही दे रही थी..बल्कि उनके बदन से प्यार टपक रहा था...
ये प्यार जिस्मानी नही था...ये तो दिल से दिल का रिश्ता था...पर मेरी समझ से परे था....
मैने वहाँ खड़े हर सक्श को देख कर जानने की कोसिस की पर कोई फायडा नही हुआ...
ना ही किसी ने कुछ बोला और ना ही किसी ने कोई इशारा किया....
मैं- आंटी...आख़िर बात क्या है...प्ल्ज़...चुप हो जाइए...
मैने थोड़ी देर तक आंटी को समझाया और फिर उन्हे ले जा कर सोफे पर बैठा दिया...आंटी अभी भी सिसक रही थी...
मैं- अब बोलिए...क्या बात है...
रजनी- बेटा..वो तुम पर हमला हुआ था ना....तुझे किसी ने मारने की कोसिस की...
मैं- हाँ...शायद धोखे से हो गया था...पर मुझे कुछ नही हुआ...मैं ठीक हूँ..
रजनी(मेरा हाथ देखती हुई)- और ये चोट...ये क्या है..
मैं- अरे...ये तो मामूली खरॉच है....बोला ना कि उसने धोखे से मार दिया था...
रजनी- पर बेटा ..
मैं(बीच मे)- बस आंटी...भूल जाइए...कुछ नही हुआ...अब रोना नही...प्ल्ज़्ज़...
फिर मैने आंटी को समझा कर चुप करा दिया और उनसे कॉफी बनाने का बोल कर संजू के रूम मे फ्रेश होने निकल गया....
बाथरूम मे आते ही मैं सोच मे पड़ गया....
मैं(मन मे)- क्या यार...ये आंटी भी ना...समझ मे ही नही आती...
एक तरफ तो मेरे दुश्मनो का हाथ पकड़ रखा है और दूसरी तरफ इतना प्यार....
मुझ पर हमले की खबर सुन कर ये हाल हो गया....अगर मुझे कुछ ज़्यादा चोट लग जाती तो...
क्या ये सही मे परेसान है या फिर ये भी ड्रामा है...
वेल...अब ये पता करने मे ज़्यादा टाइम नही है....जल्दी ही आंटी को अकेले मे घेरता हूँ...फिर सारा सच सामने आ जायगा...
फिर रेडी हो कर हम ने कॉफी पी और मैं घर जाने लगा...
बट रजनी ने मुझे रोक लिया....उन्हे कुछ बात करनी थी...
मैं- हाँ आंटी...क्या बात है अब...
आंटी- वो...तू थोड़ा रेस्ट कर ले...फिर बताती हूँ...बस थोड़ा वेट कर...ओके...
मैने भी आंटी को फोर्स नही किया और उपेर आ गया...
उपेर आते ही मेरे सामने रक्षा आ गई...
रक्षा- क्या भैया...मुझसे नही मिलना क्या...भूल गये मुझे...??
मैं- नही बेटा...कुछ नही भूला...सब याद है..तुम भी और तुम्हारी...
मैने अपनी बात आधी छोड़ दी और रक्षा बुरी तरह शरमा गई...
मैं- हाँ तो...क्या हाल है...
रक्षा- ऐसे नही...आप खुद देख कर बताना...
मैं- पागल...तू भी ना...तेरे क्या हाल है...समझी..
रक्षा- ह्म्म...पर आप भी समझो ना...बहुत बुरा हाल है...
मैं- ओह्ह...कोई नही...मैं आ गया हूँ ना..सब ठीक कर दूँगा...
रक्षा- अभी ...
मैं- नही...अभी नही...सब है यहाँ...वेट कर...जल्दी ही करेंगे...
और फिर मैं संजू के रूम मे आ गया...
थोड़ी देर बाद मुझे आंटी ने नीचे बुलाया ....
मैं- हाँ आंटी ..अब बताइए...फिर मुझे घर जाना है..
आंटी के साथ प्रमोद अंकल भी खड़े थे...मेरी बात सुनकर दोनो एक-दूसरे को देखने लगे...
मैं- बोलिए...क्या हुआ...??
रजनी- बेटा वो...वो तुम्हारे डॅड का ऑफीस...
मैं- हाँ...ऑफीस का क्या...??
रजनी- वो बेटा..एक ऑफीस जल गया...किसी ने आग लगा दी...
मैं- क्या...कैसे...किसने...और क्यो...ये कब हुआ...??
रजनी- नही पता बेटा..बस ये पता है कि कुछ लोग आए और आग लगा गये...
मैं- पर गौर्ड़ क्या कर रहे थे और वहाँ काम करने वाले...
रजनी- उस दिन ऑफीस बंद था...कोई नही था वहाँ...
मैं- ओह माइ गॉड...ये क्या हुआ...आंटी...मैं चलता हूँ...
रजनी- बेटा...मेरी बात तो सुनो...
मैं(घर से निकलते हुए)- बाद मे आंटी...बाद मे आता हूँ...
और आंटी की बात सुने बिना कार से अपने घर की तरफ निकल गया...
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Re: चूतो का समुंदर
कार मे आते ही मैने अपने आदमी को कॉल किया.....
( कॉल पर )
स- हाँ अंकित..आ गये...
मैं- हाँ आ गया...अब बताओ कि कौन सी बात बता रहे थे....
स- हाँ..बताउन्गा...पर अभी अपने घर पहुचो...अर्जेंट है...
मैं- अर्जेंट...पर ऐसी क्या बात हुई...
स- ज़्यादा कुछ नही...वो एक पोलीस वाला कुछ ज़्यादा ही इंटरेस्ट ले रहा है...तुम्हे और तुम्हारे डॅड को ढूँढ रहा है...
मैं- पर किस लिए...
स- और किस लिए...ऑफीस मे आग लगी और गान्ड उसकी जल गई...हाहाहा...
मैं- हाहाहा....ऐसा क्या...चलो तो मिल ही लेते है...आग को थोड़ा और भड़का दे...
स- ह्म्म...तुम पहुचो...और मज़ा लो....
मैं- ह्म्म..बाइ...
और कॉल कट कर के मैने कार दौड़ाई और सीधा घर पर ब्रेक मारा...
जैसे ही मैं घर मे एंटर हुआ तो सामने का नज़ारा देख कर मुझे गुस्सा आ गया...
सामने सविता, सोनू, रेखा, रश्मि, हरी, और पारूल किसी मुजरिम की तरह डरे-सहमे खड़े हुए थे और एक पोलीस वाला अपना डंडा घूमाते हुए उनके सामने खड़ा हुआ था...साथ मे 2 हवलदार भी वही खड़े थे...
वो पोलीस वाला और कोई नही बल्कि रफ़्तार सिंग ही था...
रफ़्तार- मैं आख़िरी बार पूछ रहा हूँ..सीधे से बता दो कि आकाश और उसका बेटा कहाँ है...वरना....
मैं(गेट पर खड़े हुए)- ये क्या हो रहा है...और तुम हो कौन मेरे डॅड को पूछने वाले...
मेरी आवाज़ सुनते ही सबकी नज़रे मेरी तरफ घूम गई और उनकी सहमी आँखो मे खुशी झूम गई....और सभी मेरा नाम ले कर खुश हो गये...
रफ़्तार- ओह..तो यहाँ है तू...
मैं- हाँ...और तुम बताओ कि ये सब क्या है...
रफ़्तार- क्या है ..दिख नही रहा...पूछ-ताछ चल रही है...
मैं- कैसी पूछताच्छ...
रफ़्तार- यहाँ आओ तो...फिर बताता हूँ ..
मैं(पास मे आकर)- ह्म्म..अब बोलो..क्या है ये सब...
रफ़्तार- तुझे पता है कि तेरे बाप का ऑफीस जल कर खाक हो चुका है..
मैं- ह्म्म...पता चला मुझे...तो जाओ और उन्हे पकडो जिसने आग लगाई..यहाँ क्या कर रहे हो...
रफ़्तार- पकड़ेंगे...पकड़ेंगे ...क्या है ना कि पहले कुछ बाते पूछनी पड़ती है...कि कोई दुश्मनी थी क्या ...कोई आक्सिडेंट है..किसी पर शक है...या फिर बाप का कोई नाजायज़ रिश्ता...ह्म्म..हाहाहा....
मैं(गुस्से मे)- बकवास बंद कर....क्या बक रहा है...
रफ़्तार- चुप...मुझे आँख मत दिखा...नही तो ऐसा हाल करूगा कि...
मैं(बीच मे)- मेरी छोड़...और जा कर काम कर...पकड़ उन्हे जिसने आग लगाई...
रफ़्तार- ओह छोरे...मेरा काम मत सिखा मुझे...और ये गर्मी भी मत दिखा..वरना ऐसे केस मे अंदर डालूँगा कि तेरा बाप भी...
मैं(बीच मे)- चुप...तू समझता क्या है अपने आप को...हाँ...तू मेरा घंटा नही उखाड़ सकता...समझा....
रफ़्तार अब पूरा गुस्सा हो गया....
रफ़्तार- साले तेरे पर पहले से ही नज़र है मेरी...अब तूने मुँह चला कर अपनी शामत बुला ली...देख मैं क्या करता हूँ...
मैं(रफ़्तार को घूर कर)- देखना तो तुझे है...मुझसे पंगा लिया ना...तो रफ़्तार का रफ अलग हो जायगा और तू तार-तार हो जायगा...समझा...
रफ़्तार ने गुस्से से मेरी कलर पकड़नी चाही पर मैने उसका हाथ पकड़ लिया....
रफ़्तार- मेरा हाथ पकड़ने की हिम्मत...अब देख साले...
और रफ़्तार ने दूसरा हाथ उपेर किया कि एक आवाज़ सुन कर वो रुक गया...
आवाज़ इनस्पेक्टर आलोक की थी...जो इस टाइम अपने हवलदारों के साथ गेट पर खड़े थे....
आलोक- रफ़्तार सिंग...ये सब क्या है...
रफ़्तार- सर ..मैं तो बस पूछ ताछ....पर ये लड़का...
आलोक- तुम चुप रहो...(मुझे देख कर) आप बताओ...क्या हुआ...
फिर मैने और मेरे फॅमिली मेंबर्ज़ ने शुरू से अंत तक की सारी बात बता दी...जिसे सुन कर आलोक को गुस्सा आ गया...
आलोक- ये सब क्या है रफ़्तार....
रफ़्तार- सर...ये सब झूठ है..मैं तो...
आलोक(बीच मे)- शट अप....यू आर सस्पेंडेड...अब निकलो यहाँ से...अब ये केस मैं खुद देखुगा...
रफ़्तार कुछ नही बोल पाया बस गुस्से मे मुझे घूरते हुए मेरे घर से निकल गया...
और फिर आलोक ने हम से केस के सिलसिले मे थोड़ी बात की और सबसे रफ़्तार की हरक़तो की माफी माँग कर निकल गये.....