चूतो का समुंदर

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jay
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Re: चूतो का समुंदर

Post by jay »

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

हम उन पात्रों से भी आपके सहयोग से रूबरू होंगे
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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rajaarkey
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Re: चूतो का समुंदर

Post by rajaarkey »

दोस्त मेरी तरफ से इस मुकाम को पाने के लिए आपको हार्दिक बधाई
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

कहीं दूर किसी गाओं मे....

दामिनी और रघु को इस गाओं मे रुके हुए लगभग 2 दिन निकल गये थे...फिर भी दोनो के हाथ अभी तक कुछ नही लगा था...

दोनो ने बहादुर के घर पर निगरानी रखी हुई थी...साथ ही साथ गाओं मे भी पूछ-ताछ करवा रहे थे....फिर भी कुछ नही हुआ...

उपेर से दामिनी इस बात से गुस्सा थी कि रघु ने उसे यहाँ रुकने के लिए मजबूर कर दिया और पूरी रात उसे चोदता रहता है...

लेकिन आज दामिनी ने रघु को मना ही लिया....

दामिनी ने रघु को आगे का काम समझाया और वो सहर की तरफ निकल आई....

दामिनी के जाने के बाद रघु से मिलने के लिए एक सक्श आया...

वो सक्श कार से निकला और रघु के साथ कमरे मे आ गया....

रघु- साब...सालों बाद कोई मिल ही गया जो आज़ाद को ढूँढ रहा है...

" ह्म्म...ये औरत अपने काम की है...क्या बताया इसने"...सामने वाले ने सिगरेट जलाते हुए बोला...

रघु ने दामिनी के बारे मे सब कुछ बता दिया...जो भी रघु को पता था....

" ह्म्म्मे..तो पता करो कि उसके माँ-बाप को आज़ाद ने कब और कहाँ मारा था...फिर देखना...खेल मेरा होगा और कीमत ये चुकाएगी...."...और उसने धुन्ये का छल्ला हवा मे उड़ा दिया...

रघु- ह्म्म..साब...एक बात बताइए...आप आज़ाद से इतनी नफ़रत करते है...फिर भी अब तक चुप है...आपको किसी दूसरे की क्या ज़रूरत थी....आप खुद ही उसे....

सामने बैठा सक्श अपनी सिगरेट को झटकते हुए रघु की बात काट कर बोला.....

" ह्म्म...क्या करूँ...गैरों से ज़्यादा अपनो को सज़ा देने मे तकलीफ़ होती है..."

रघु- क्या मतलब....

" तुम नही समझोगे.....चलो...मैं चलता हूँ....तुम दामिनी को ले कर जल्दी आना...."

और वो सक्श कार से निकल गया...और रघु उसकी बातों के बारे मे सोचता रह गया.....

सहर मे....मेरे घर पर....

इनस्पेक्टर के जाने के बाद मैं सबसे मिला...और फिर मैं डॅड के ऑफीस को देखने जाने लगा...

बट सविता ने बताया कि अभी पोलीस ने सब सील कर दिया है....पहले पोलीस से पर्मिशन लेनी होगी ...

मैने भी सोचा कि कल ही जाउन्गा...वैसे भी वहाँ देखने के लिए बचा क्या.है...

फिर मैं सबको ट्रिप की बाते बताने लगा....काफ़ी बाते हुई और फिर मैं रेस्ट करने रूम मे चला गया....

फिर जब मेरी आँख खुली तो रात हो चुकी थी....

मैं(मन मे)- मुझे तो सीक्रेट हाउस जाना था....अब क्या...रात भी हो गई...चलो कॉल ही कर लेता हूँ....

( कॉल पर )

स- हाँ अंकित...तुम आए नही...

मैं- सॉरी...मैं सो गया था...

स- कोई नही...रेस्ट करो...कल मिलते है...

मैं- ह्म्म..पर वो बात तो बताओ...मेरे डॅड और कामिनी की...

स- ह्म..एक काम करो...कल मिलो ..कुछ दिखाता हूँ...तुम खुद समझ जाओगे....

मैं- पर बताने मे क्या प्राब्लम है...
स - कुछ नही...बस मैं चाहता हूँ कि तुम खुद देख कर डिसाइड करो..कि बात कितनी इम्पोर्टेंट है...ओके


मैं- ह्म्म..चलो फिर कल ही देख लूँगा...

स- गुड...ऑर हाँ..एक गुड न्यूज़ है...

मैं- क्या...

स- तुमने कहा था ना कि सोनी को सबक सिखाना है...तो आदमी भेज दिए है....

मैं- नही...उन्हे वापिस बुला लो...सोनी को टच नही करना....

स- पर क्यो...उसे छोड़ रहे हो...क्यो...

मैं- छोड़ नही रहा...उसको अहसास दिलाना है कि धोखा मिलता है तो कैसा लगता है....साले के उपेर डॅड इतना भरोशा करते थे ...और उसने धोखा दिया...नही....इतनी छोटी सज़ा नही मिलेगी....उसको सज़ा भी मिलेगी और धोखे का अहसास भी होगा....अपने आदमियों को बुला लो...

स- ओके...वो अभी निकले है...मैं रोक देता हूँ...पर करना क्या है उसका....

मैं- कल प्लान करेंगे....कुछ मजेदार...

स- ह्म्म..और रिचा का क्या...

मैं- वो तो साली रंडी है...टाइम आने पर यूज़ करेंगे...पर हां....उसकी बेटी....उसकी डीटेल निकालो...पता तो चले कि रंडी की बेटी है कैसी....

स- ह्म्म..तो ठीक है...कल मिलते है...बाइ....

मैं- ह्म्म..बाइ...

और कॉल कट कर के मैं रेडी हुआ और नीचे आ गया...
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