चूतो का समुंदर

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »


नीचे पारूल अपने कमरे मे पढ़ाई करने मे बिज़ी थी....

वो इतना मन लगा के पढ़ रही थी कि उसे पता भी नही चला कि मैं उसके पीछे आ गया हूँ...

उसे पढ़ते देख मुझे बेहद खुशी हुई...मैने अपना हाथ उसके सिर पर फिराया तो वो चौंक कर पलट गई...


पारूल- भैया...आप...आइए ना...

मैं- क्या हो रहा है बेटा....

पारूल- कुछ नही...पढ़ाई कर रही थी...

मैं- ओह्ह...इतना डूब कर...साबाश ...

पारूल- क्या साबास...कुछ भी समझ नही आता....

मैं- आएगा बेटा....मेहनत करो...सब समझ आएगा....

पारूल- भैया...मैं फैल हो गई तो....

और पारूल ने अपना सिर झुका लिया...मैने उसको चेहरा हाथो से उपेर किया...

मैं- नही बेटा...ऐसा नही सोचते...और मान लो हो भी गई...तो क्या...नेक्स्ट टाइम फिर ट्राइ करना....

पारूल- भैया...आपने मेरे लिए इतना कुछ किया...और फिर भी मैं पास नही हो पाई...

मैं- चुप....तुम पास हो या फैल...कोई फ़र्क नही पड़ता...तू मेरी प्यारी गुड़िया है और हमेशा रहेगी....

मेरी बात सुन कर पारूल मेरे गले लग गई और खुशी के आंशु बहाने लगी....

मैने उसे थपथपाया और फिर अलग करके आँसू पोछे...

मैं- अब एक भी आंशु नही..ओके..

पारूल(आँख सॉफ कर के)- ह्म्म...

मैं- अब अपने भैया को कुछ खिला भी दे....ह्म्म..बहुत भूख लगी है...

पारूल- ओह्ह..अभी बनाती हूँ...क्या खाओगे आप...

मैं- ह्म्म..एक काम कर आज एग करी खिला दे...हाँ..

पारूल- आप थोड़ा रूको...मैं अभी लाई...

और पारूल जल्दी से किचन मे निकल गई...और मैं उसकी नॉटबुक देखने लगा...

तभी मेरी नज़र एक डाइयरी पर पड़ी....जब मैने उसे खोल कर देखना शुरू किया तो 1 पेज पर मेरी आँखे ठहर गई....


उस पेज मे एक फोटो रखी हुई थी....जो कि मेरी थी....

और मैने जब फोटो उठाई तो उस पेज पर लिखी लाइन्स पढ़ कर मेरी आँखे नम हो गई....
पेज की लाइन्स :-


मेरे सर....मेरे मालिक...मेरे भैया....मेरे भगवान....

अगर आज कोई पूछे कि मैं सबसे ज़्यादा किसे मानती हूँ तो वो आप हो...

कोई मुझसे कहे कि भगवान देखा है..तो मैं कहुगी हाँ....आप ही मेरे भगवान हो....

मैने अपने पापा को कभी नही देखा था...और जिस माँ को देखा है वो भी दूसरों की माँ के जैसे नही है...

मेरी माँ ने मुझे बचपन से मार और गालियों के अलावा कुछ नही दिया....

मैं ये नही कहती कि वो बुरी है...पर शायद हालात ने उन्हे ऐसा बना दिया....

वो मेरा पढ़ाई करना पसंद नही करती थी...शायद पैसो की वजह से...

इसलिए उन्होने मुझसे काम करवाया...और काम ना होने पर मारा...गालियाँ दी...

उन्ही के कहने पर मैं जिस्म को बेचने के लिए राज़ी हुई....

पर कहते है कि भगवान चाहे तो सब ठीक होता है...

जब मैं जिस्म बेचने निकली तो आप ही मुझे पहली बार मे मिले....

मुझे उस दिन तो आप पर गुस्सा आया...पर आपने मेरी जिंदगी संवार दी...

आपने मुझे बेहन का दर्जा दिया....और सिर्फ़ दर्जा ही नही.. आपने मुझे अपनी बेहन की तरह रखा...

मुझे उस दलदल मे जाने से बचाया और अपने साथ इस महल मे ले आए...

आपने मुझे नौकरानी से राजकुमारी बना दिया....

आपसे मिलने के पहले लोग मुझे हवस और नफ़रत से देखते थे ...पर...

आज इस घर मे सब मुझे प्यार और सम्मान से देखते है....

आपने मुझे एक घर दिया....पढ़ने का मौका दिया...और सबसे बढ़ कर...मुझे आपके रूप मे एक भाई एक पिता और मेरा भगवान मिल गया...

आपको धन्याबाद कह कर मैं आपका अपमान नही कर सकती...बस सिर झुका कर अपने भगवान को नमन करती हूँ और आपकी तस्वीर अपने पास रखती हूँ...जो आपके कमरे से चुराई है....



इस पेज की लास्ट लाइन पढ़ कर मेरे चेहरे पर हल्की स्माइल तो आई लेकिन मेरी आँखे नम हो गई थी....

ऐसा लगा कि पारूल ने दिल का सारा दर्द उन लाइन्स मे छिपा कर पेश कर दिया हो...

मुझे खुशी भी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था....

खुशी इस बात की मैने एक अच्छी लड़की को अपनी बेहन के रूप मे पाया ...और गुस्सा इस बात का ...कि मैने उसके साथ सेक्स क्यो किया....

फिर मैने सोचा कि जो हो गया सो हो गया...अब मैं अपनी बेहन के सारे सपने पूरे करूगा...

फिर मैने वो फोटो और डाइयरी पहले की तरह रख दी और आँखे सॉफ करते हुए बाहर निकल आया....

हॉल मे आते ही मुझे रेखा मिल गई...

रेखा- क्या हुआ सर ..आप रो रहे है...

मैं- हाँ..नही..नही...बस आँख सॉफ कर रहा था....थका हूँ...शायद इसलिए पानी आ गया....

रेखा- ओह्ह...वैसे सर...आज आपकी मालिश करने आ जाउ...

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म्मह...आ जाओ...तुम्हारी उसकी मालिश भी हो जाएगी...

और फिर हम बाते करते रहे जब तक पारूल खाना नही लाई....


खाना आते ही सबने खाना खाया और पारूल की तारीफ भी की...

फिर मैं पारूल को पढ़ने का बोल कर अपने रूम मे आ गया....

थोड़ी देर बाद रेखा भी आ गई और फिर देर रात तक रेखा की चूत , गान्ड और मुँह ने मेरे लंड की मालिश की....

सुबह मैं उठा तो पारूल स्कूल जा चुकी थी...मैं भी रेडी हुआ और नाश्ता कर के संजू के घर निकल गया......

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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

बहुत बिंदास
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

कामिनी के घर....आज सुबह....

सुबह-सुबह काजल रेडी हो कर घर से निकलने की तैयारी मे थी...वो कामिनी को बताने ही गई थी...तभी उसे देख कर कामिनी बोली....

कामिनी- ह्म्म...तो अंकित से मिलने जा रही हो...हाँ...

काजल- मोम...आपको कैसे पता ....

कामिनी- बेटा ..मैं तुम्हारी माँ हूँ...इतना तो समझ ही सकती हूँ....वैसे सोचा क्या है....??

काजल- ह्म्म..अभी तो बस उससे मिलने का सोच रही हूँ...मिले तो सही...फिर देखते है....

कामिनी- वही तो...मिलोगि कैसे....??

काजल- बस मोम...कुछ प्लान किया है...लेकिन अभी इतना ही बताउन्गी...बाकी प्लान पूरा होने पर...ओके...मैं निकलती हूँ...

कामिनी- ओके...बट ध्यान से बेटा...वो दिमाग़ भी खूब चलता है और बिस्तेर पर तो...उफ़फ्फ़...क़हर ढाता है ...

काजल(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...जानती हूँ मोम...बुत आपकी बेटी भी कम नही...मैं भी उपेर और नीचे से क़हर धाती हूँ...हहहे....

और काजल हँसती हुई घर से निकल गई.....

और थोड़ी ही देर मे पहुच गई सोनम के घर....

गेट खुलने पर सोनू उसके सामने खड़ा था ...जो थोड़ा परेशान और गुस्से मे दिख रहा था.....

काजल- हाई सोनू....तुम....ठीक तो हो...??

सोनू- ह्म...हाई...आओ...अंदर आओ...

काजल- हाँ....और...कहाँ थे तुम...कहीं गये हुए थे क्या...और सोनम कहाँ है...

सोनू- हाँ...मैं फ्रेंड्स के साथ गया था.....सोनम...वो अपने रूम मे होगी...

काजल- ओके...तुम सोनम को बुला दो यार...तब तक मैं मामी (सुषमा) से मिल लेती हूँ...

और काजल किचन मे निकल गई...और सोनू दाँत पीसते हुए सोनम के रूम मे चला गया.....

सोनू- जा ...काजल आई है...

सोनम(सोनू के पास आ कर)- ह्म्म...भाई...ये गुस्सा किस लिए....

सोनू- तू जानती है...पर फिर भी...

सोनम(बीच मे)- भाई....छोड़ो ना...शायद किस्मत मे यही था....

और सोनम बाहर आने लगती है...तभी सोनू पीछे से बोलता है ..

सोनू- सोनम...याद रखना...अंकित बहुत ख़तरनाक है...उसे पता भी चला तो....

सोनम(बीच मे)- नही चलेगा....और चला भी...तो वो भी मेरी किस्मत होगी....

और सोनम निकल गई....जबकि सोनू गुस्से को कंट्रोल करता हुआ कुछ सोचने लगा......

फिर काजल, सोनम को ले कर बाहर निकल गई....

( कार मे)

सोनम- हम जा कहाँ रहे है काजल...??

काजल- अंकित के घर...और कहाँ...

सोनम(चौंक कर)- क्या...नही-नही...रूको...प्लीज़...

काजल ने तभी कार साइड मे रोक ली...

काजल- क्या हुआ...रोका क्यो...हमे अंकित से मिलना है...भूल गई मैने क्या कहा था...

सोनम- नही...कुछ नही भूली ..पर ऐसे डाइरेक्ट...बिना किसी वजह के...आइ थिंक ये सही नही होगा...

काजल- ह्म्म..बात तो सही है...पर और करें भी क्या.....तू जानती है ना कि मैं जल्द से जल्द उसके करीब होना चाहती हूँ...

सोनम- हाँ...पर ऐसे नही जा सकते....कुछ सोच कर जाना होगा...वरना शायद....

काजल(बीच मे)- ह्म्म...एक आइडिया है ...चल...

और काजल , सोनम को जवाब दिए बिना कार को अंकित के घर पर दौड़ा देती है....

थोड़ी देर बाद दोनो अंकित के घर पर थी...

सोनम(धीरे से)- बता तो...क्या सोचा तूने...

काजल- रुक...बताती हूँ...

तभी सविता सामने से आ जाती है...

सविता- जी कहिए ...

काजल- हमे अंकित से मिलना है...

सविता- अंकित...वो तो बाहर निकल गया....एक मिनट देखती हूँ...शायद आ गया हो...

और सविता अंकित के रूम मे कन्फर्म करने जाती है...तभी काजल , सोनम को कान मे कुछ समझा देती है...

सविता(वापिस आ कर)- माफ़ कीजिए...वो तो घर पर नही है....आप बोलिए क्या काम था. .

काजल- सोनम...(और सोनम को देखती है )

सोनम- वो...आक्च्युयली...आप अंकित से इतना बोल देना कि सोनम आई थी...बस...अब हम चलते है...

और फिर दोनो जल्दी से निकल गई.....

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रेणु के घर....

रेणु के पास एक कॉल आया....

रेणु- हाँ...बोलो....थे कहाँ आप...??

बॉस- रिलॅक्स..मैं बिज़ी था...अब मेरी बात ध्यान से सुन...गुड न्यूज़ है...

रेणु- ह्म्म..बोलो...

बॉस- अब टाइम आ गया है...आकाश वापिस आ रहा है...और उसके दुबारा वापिस जाने के पहले ही तुम्हे अंकित के पास जाना होगा....

रेणु- मैं अपना काम जानती हूँ...

बॉस- गुड...तो तैयार हो जाओ...जो भूख तुमने अंकित के जिस्म मे पैदा की थी...उसका फायदा अब होगा...

रेणु- जानती हूँ...मुझे इस वक़्त का सालो से इंतज़ार था....

बॉस- ओके...बाइ..

और कॉल कट होते ही रेणु खुश हो जाती है...और अंकित की बुआ के पास जा कर बोलती है...

रेणु- हमे जिस टाइम का इंतज़ार था ..वो आ गया...अब हमारे बदले की आग जल्दी बुझ जाएगी....अब आकाश को समझ आएगा कि..""अपने जब धोखा देते है तो क्या हालत होती है..."" और साथ मे अंकित को भी....बेचारा...बहुत भरोसा करता है मुझ पर...हहहे...

और रेणु के साथ-साथ आकृति भी मुस्कुरा देती है......


संजू के घर...सुबह के वक़्त...

मैं अपने घर से निकल कर सीधा संजू के घर पहुचा ....

इस टाइम सब लोग नाश्ता करने मे बिज़ी थे...सिर्फ़ संजू नही था वहाँ....

मैं(हॉल मे आते ही)- उउउंम...आलू के पराठे...वाउ...

मेरी आवाज़ सुन कर सबने मुझे प्यारी से स्माइल दी और आने का इशारा किया...

रजनी- हाँ बेटा...आजा...तेरे लिए ही ख़ास बनाए है...

मैं(बैठते हुए)- मेरे लिए....पर आपको कैसे पता....कि मैं आ रहा हूँ...

रजनी(बीच मे)- एक माँ का दिल सब खबर रखता है बेटा...समझे...

मैं(मुस्कुरा कर)- हाँ...समझ गया...लाइए...और हाँ..ये माँ का दूसरा बेटा कहाँ है...

रजनी- उसका तो पूछ मत बेटा...सुबह से रेडी हो कर ऐसे निकला जैसे फ्लाइट पकड़ना हो...पता नही इतनी जल्दी मे कहाँ निकल गया...

मैं- ओह्ह..मैं पता करता हूँ...पर पहले पेट पूजा फिर काम दूजा...लाइए....

और मैं भी सबके साथ गरमा- गरम आलू के परान्ठो का मज़ा लेने लगा...

नाश्ता करते हुए मैने गौर किया कि अनु थोड़ा गुस्सा है...शायद मैने बात नही की थी इसलिए...

पर दूसरी तरफ रक्षा बहुत खुश थी...शायद उसकी खुशी मुझ पर क़हर बरसायगी...
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