कठपुतली -हिन्दी नॉवल complete

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Jemsbond
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

Post by Jemsbond »

यह एक औसत दर्जे का होटल था । चक्रधर रिसेप्शन पर पहुंचा । यहाँ एक भदृदी-सी औरत बैठी थी ।
चक्रधर ने जब कहा---"मुझे 'मनसब' से मिलना है ।" तो औरत ने है आवाज़ देकर करीब पन्द्रह वर्षीय लडके को बुलाया । उससे कहा…"साहब को रूम नम्बर आठ में ले जा ।"


" मैं खुद चला जाऊंगा ।" कहने कै बाद चक्रधर चौबे आगे बढ़ गया ।



अगले दो मिनट बाद वह उस बंद कमरे की कमरे की वैल वजा रहा था " जिसकी चौखट पर 'आठ' लिखा था ।


बंद दरवाजा खुला! मनसब उसके सामने था । वह, जिसका कद किसी भी तरह छ: फूट दो इंच से कम नहीं था । अपने कद के अनुपात मे काफी पतला था वह । इस कारण 'बल्ली' जैसा लगता था । चेहरे पर करीने से तराशी गई दाढी थी । बावजूद इसके दोनों गालो की उभरी हुई हडिृडयां साफ़ नजर अाती थीं । आंखें बहुत छोटी--छोंटी थी । ऐसी चमक थी उनमे जैसी सर्प की आंखों में होती है । नाक तोते जैसी थी । होठ पतले । कान बड़े-वड़े । कुल मिलाकर वह एक कूर शख्स लगता था ।


चक्रधर चौबे पर नजर पड़ते ही एक तरफ हटता बोला---"आओ सेठ । आओ-- आ जाओ ।। "


चक्रधर अदर दाखिल हुआ । एक ही नजर में उसने सारा कमरा टंटोल डाला । पूछा--'" कहां है ?"


" क्या?" मनसब ने दरवाजा बंद करके चटकनी चढा दी ।



"लाश !"



"'आराम से बैठो । तुम तो जरूरत से कुछ ज्यादा ही बेचैन नजर आरहे हो।"



"बात ही बेचैनी की है । अभी तक लाश को अपने साथ लिए घूम रहे हो । भला ये भी कोई समझदारी हुई"'



"तुम्हारे हिसाब से बेवकूफी हो सकती है सेठ मेरे हिसाब से समझदारी है ।"



"क्या मतलब?"



"बताता हू।" कहने के बाद डबलवेड के सिरहाने की तरफ बढा उसके हाथ-पेर और अंगुलियां…सब कुछ लम्बे-लम्बे थे । सिरहाने के नजदीक ग्रे कलर की एक वहुत बडी अटैंची रखी थी । मनसव उसके नजदीक बैठा और फिर एक झटके से उसका ढक्कन उठा दिया ।


चक्रधर हडवड़ा गया ।
अपने मुंह से निकलने के लिए बेताब चीख को बड़ी मुश्किल से रोका ।



भयाक्रांत आंखें अटैची पर जमी रह गई थी बल्कि यह कहा जाए तो ज्यादा मुनसिब होगा------आखें बिदू की लाश पर जमी हुई थी । वह उकडू हालत में थी । देखने मात्र से पता लगता था--लाश को घुटने और क्रोहनियां मोड़कर उसे अटैची मे जबरदस्ती ठूंसा गया है । चेहरा दोनों घुटनों के बीच ठूंसा हुआ था ।।



चक्रधर चौबे के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई ।।

" प--प्लीज ।" बह कह उठा-“इसे बंद-कर दो ।"


"क्यों सेठ ।।" मनसब इस तरह हंसा कि चक्रधर पर खौफ हावी होगया । अटैची को बंद करने की कोई भी केशिश किए वगेर वह खड़ा होता हुआ बोला------" एक सेकण्ड पहले तक तो लाश देखने के लिए मरे जा रहे थे । अगले सेकण्ड इसे देखकर मेरे जा रहे हो । डरो मत । जिन्दा व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का सब कुछ बिगाड़ सकता है मगर लाश,कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।"



" मेरी समझ में नहीं आरहा, तुम अभी तक इसे लिए क्यो घूम रहे हो ?"



"क्योंकि पहले नहीं समझ सका था लाश इतनी कीमती है ।। "

" मतलब?"


"एकदम साफ है सेठ ।" कहने के साथ मनसब ने अपनी जेब से जर्दायुक्त-गुटखा निकाला ।। उसका कौना फाड़ा ।सारा मसाला एकही बार मुंह में डालने के बाद बौला-" नांवां दुगना लगेगा ।"

" दुगना ?"


" जितना तय हुआ था उसका डबल।"

"यानी चार लाख ?"


" अच्छा है ! तुम्हें तय की रकम याद है ।"


" पर मनसब ये बात उसूल के खिलाफ है ।"


"कौंनं सा उसूल? "


"तुम्हारे धंधें का उसूल । मैंने सुना है तुम लोग एक बार जौ रकम कुबूल कर लेते हो.......


'"वेसा तब होता है सेठ जब सोचने का मोका मिला हो । जर्दा चबाता मनसब उसकी बात काटकर कहता चला गया'--"रकम सोच समझकर मांगी गई हो । मुझे सोचने का तुमने मौका ही नहीं दिया ।
गलती तुम्हारी है । तुमने रात के ठीक दस बजे मेरे मोबाईल पर फोन किया । कहा---" होटल ओबराय के सुइट नम्बर सेविन जीरो थटींन में एक लाश पडी है । किसी की भी जानकारी में लाये बगैर उसे बहां से हटाना है । मैं हकवका गया । लोग कत्ल तो कराते हैं मुझसे मगर ऐसा काम पहली बार करा रहा था । यानी कि कतंल हुए व्यक्ति की लाश तो घंटनास्थल से गायब करने का काम । मेरे मुंह से "दो लाख' अाए, वही कह दिया । `तुमने वगैर हील-हुज्जत किए रकम कबूल कर ली और कहा…“यह काम अभी इसी वक्त होना चाहीए । कैसे करोगे?"


मैंने कहा-"फिलहाल केवल इतना करो, होटल की सातवीं मंजिल पर किसी फ़र्जी नाम से एक कमरा बूक करा दो । पैर रखने की जगह तो मिले । बाद में स्रोचूंगा क्या कैसे करना है ।'

तुमने कहा…"'ठीक्र है अमरसिंह नाम से कमरा बुक करा देता हूं । रूम नम्बर रिसेप्शन से मालूम कर लेना । मेने पूछा-'-""रकम कब और कैसे मिलेगी? तुमने कहा -- "तुम्हारे लिए अजनबी तो हूं नहीं । काम होने के बाद 'कंस्ट्रक्शन कम्पनी' के मेरे अाफिस मे अाकर चाहे जब ले जाना ।' मैने बात कुबूल करली । इसके वावजूद कबूल कर ली कि हम लोगों का ' उसूल आधी रकम काम से पहले लेने का है । इस उसूल की याद दिलाकर मैं तुम्हें उस आधी रकम देने के लिए मजदूर कर सकता था मगर नहीं किया । यह सोचकर नहीं किया कि. व्यर्थ ही "मेरा सेठ' मुसीबत मे पड़ जाएगा । टाईम उस वक्त वैसे ही तुम्हारे पास जहर खाने तक का नहीं था। तुम्हारी मुसीबत को मैंने अपनी मुसीबत समझा और लग गया यह सोचने मे की भरेपूरे फाईव स्टार होटल के सुईट में पडी लाश को सबकी नजरों से बचाकर कैसे निकाला जा सकता । यह काम आसान नहीं था । सेठ ! मेरे अलावा किसी और की सौपते तो शायद वह कर भी नहीं पाता! तो तरकीब ही मेरे दिमाग में ऐसी अा गई कि काम साला काम ही नहीं लगा । ये अटैची लेकर पहुंच गया ओबराय के रिसेप्शन पर । अपना नाम 'अमरसिंह' बताया । उन्होंने रूम नंबर सेबिन जीरो सेबिन्टीन मे पहुंचा दिया । वेटर के जाते ही मैंने अपना कमरा बंद किया और अटैची सम्भाले सुइट की तरफ बढ गया । गेलरी में मोजूद इंचार्ज और होटल के दूसरे स्टाफ़ की नजरों से खुद को बचाने के लिए क्या-क्या पापड बेलने पड़े, उनके बारे में विस्तार से बताने लगा तो शाम, हो जाएगी इसलिए शॉर्ट में यूं समझो-सबकी आंखो में धुल झौकता सुईट के दरवाजे पर पहुच गया ।।।।
आंख 'की-होल' से सटाई । इन मोहतरमा की लाश सामने ही पड्री थी । एक बार फिर कहूंगा सेठ-------अगर यह काम तुमने किसी मर्डर सोशलिस्ट को सौंपा होता तो किसी हालत में सम्पन्न नहीं हो सकता था । दरवाजा लॉक था । और मर्डर सोशलिस्ट भले ही आदमी को भुर्ता बना सकते हो मगर बगैर चाबी के लॉक नहीं खोल सकते । और 'लॉक' खोले बगैर यह काम नहीं हो सकता था । शुक्र मनाओ-आदमियों का क्रियाकर्म करने में माहिर बनने से पहले मनसब नाम का यह बंदा चोरियां करने का उस्ताद माना जाता था ।


अपने उसी फ़न के इस्तेमाल से मैंने लॉक खोता । सुईट में पहुचा । लाश सुटकेस में ठूंसी । गनीमत थी तव तक इस मोहतरमा को मरे ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था अर्थात् लाश अकड्री नहीं थी । वैसा हो गया होता तो इसे सूटकेस में ठूंसना नामुमकिन हो जाता है । उसके बाद मेने लाश के चारों तरफ बिखरे मोती चुने ।"


"म-मोती'-"' चक्रधर चौबे के मुंह से यहीं एक लफ्ज निकला ।


" "हां सेठ ! मोती! इसी मोहतरमा की माला के मोती थे वे । हालाकि तुमने यह काम नहीं सौपा था । केवल लाश को सुईट से निकाल कर कहीं ठिकाने लगाने की बात कहीं थी मगर मोती मैंने खुद चुने । अपनी खोपडी से यह सोचकर चुने कि जव वे पुलिस को बरामद हो गए तो शायद तुम्हारा वहां से लाश को हटवाने का मकसद ही खत्म हो जाएगा ।"



चक्रधर चौवे को अपनी 'भूल का एहसास हुआ ।


ठीक ही कह रहा था मनसब उसने खुद भी लाश के चारों तरफ बिखरे मोती देखे थे परन्तु मनसब से लाश के साथ उन मोतियों को भी हटाने के बारे में कहना भूल गया था । यह टाईम ही ऐसा या । दिमाग पर हड़बड़ाहट हावी थी । जितना सूझ गया वह काफी था । सारे हालात पर गोर करने के वाद वह बोला----"छोटी-छोटी बाते नहीं बताई जाती मनसब| जव मैंने लाश हटाने का काम सौपा था तो जाहिर था-------मैं किसी को वहाँ हुए मर्डर की भनक नहीं लगने देना चाहता । अपने विवेक से तुमने मोती हटाने का काम करके ठीक ही किया ।"


"मेने केवल मोती ही नहीं हटाए हैं सेठ । अच्छी तरह सफाई भी की है । अब कोई माई का लाल यदि खुर्दबीन लेकर भी वहां का निरीक्षन करेगा तो ताड नहीं सकेगा तुमने वहाँ इस मोहतरमा का क्रियाकर्म किया है ।।
"म--मैंने!" हलक से निकले इस लफ्ज के साथ चक्रधर चौबे का मुंह सूख गया ।

" तुम तो यूं उछल रहे हो सेठ जैसे इसका क्रियाकर्म तुमने नहीं मेने ‘ कियाहो । मर्डर करना आसान है । मुश्किल उसके बाद कै हालात है से जूझना है । खेर, भला तुम्हें इन बातों का क्या एक्सपीरियेस हो सकता था । मेरे ख्याल से तुम्हारा यह पहला ही काम है । तभी तो अभी तक चेहरे की दोनों सुईयां बारह पर अटकी पड़ी है । मर्डर कर तो दिया तुमने लेकिन उसके बाद बूरी तरह घबरा गए । मुश्किल काम' मुझे सौप दिया । इससे तो बेहतर होता मर्डर ही मुझसे करा लेते ।"

प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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Jemsbond
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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चक्रधर चौबे को कहने के लिए कुछ सूझा नहीं ।।।


जबकि अपनी घुन में मस्त मनसब.जर्दा चबाता एक बार फिर कहता चला गया------" ये जो सारी रामायण मैंने तुम्हें सुनाईं है, यह समझाने के लिए सुनाई है कि दो लाख लाश को वहा से हटाकर कहीं ओऱ ठिकाने लगाने के तय हुये थे ।। तुम्हें फंसने से बचाने के लिए नहीं जबकि किया मैंने यही है । मोती चुन लाया हू वहां से । सफाई कर आया हूं । चार लाख पक्के हुये के नहीं ?"

"ठीक है ।" चक्रधर ने कोई हील-हुज्जत नहीं की----" मैं तुम्हें चार लाख रुपये दूगा मगर...........


लाश कभी किसी को मिलनी नहीं चाहिए ।"


" नहीं मिलेगी सेठ । खुद खुदा भी ढूंठेगा तो नहीं मिलेगी ।" चार लाख की सम्भावित कमाई ने मनसब की छोटी--छोटी आँखों में जगमगाहट-पैदा कर दी थी…"मैं इसे पाताल में उतार दूंगा।। होलिका मेया की तरह जलाकर राख करदूगा । मगर किसी की नजरो में नहीं अाने दूंगा । चाहो तो एक सौदा ओंर हो सकते हो ।


"कैसा सौदा?"


" इतने सबके बावजुद अगर पुलिस को पता लग जाता है कि ये मोहतरमा दूनिया से गारत हो चुकी हैं और पुलिस के हाथ तुम्हारी गर्दन की तरफ़ बढने लगते हैं तो मैं अपनी गर्दन पेश कर सकता हू।"

" म-मतलब?"


"कुबूल कर सकता हूँ कि यह हत्या मैंने की है । रुपये पूरे दस लाख लगेंगे ।"


चक्रधर चौबे का चेहरा पीला पड़ गया…" क्या अब भी इस बात की सम्भावना है !"
"कोई सम्भावना नही है सेठ । वर्तमान हालात पर गौर किया जाए तो दूर -- दूर तक कोई सम्भावना नहीं है मगर. .


"फिर मगर?" चक्रधंर चौबे का दिल थाड़-धाड़ कर रहा था । "


" तुम उस शख्स को नहीँ जानते जिसका नाम गोडास्कर है । मैं . . उसकी फितरत से अच्छी तरह वाकिफ़ हूं । कईं वार पाला पड चुका है । जेम्स बांड हो या शर्लाक होम्स -----सबकी मौत के बाद पेश हुआ है वह इसलिए उसमें सभी वे गुण समाए हुए है है पटृठा वहां "फावड़ा' घूसेड़ देता है जहां सुई के घुसने तक की जगह नहीं होती । कहने का मतलब ये-भले ही इस वक्त हमे सारा मामला 'फुल प्रूफ नजर आ रहा है । मगर गोडास्कर इसमें 'छेद' करके तुम्हारी गर्दन ,तक पहुंचने का टेलेन्ट रखता है । उन्ही हालात की बात कर रहा हूं । अगर कुछ होता है तो मैं इस मोहतरमा की हत्या करनी कूबुल कर लूगा । दस लाख मेरे पास जेल में पहूंचा देना ।।।



" जब फांसी हो जाएगी तो रुपये तुम्हारे किस काम'आएंगे?"


मनसब हँसा । हंसकर बोला-"'फांसी से तुम सेठ लोग डरते हो सेठ, मनसब जैसे खेले खाए क्रिमिनल्स नहीं डरते । इसलिए नहीं . डरते क्योकि जानते हैं कानून में आटा छानने की छलनी से भी ज्यादा छेद है ।।। दमखम वाले फ्रिमिनल्स को ज्यादातर को फांसी तो क्या
छोटीमोटी सजा तक नही दे पाता । किसी न किसी से छेद से निकल कर हम कानून की पकड़ से बहुत दूर चले जाते है । खेर, ये बातें शायद तुम्हारी समझ मे नहीं अाएंगी । तुम्हारे समझने के लिए फिलहाल इतना काफी है कि तुम्हें केवल दस लाख देने होगे, जिसकी तुम्हारे लिए कोई खास अहमियत नहीं है, ऐसा आदमी मिल रहा है जो तुम्हरे द्वारा किए गए मर्डर को अपने सिर लेने को तैयार है । बोलो-सौदा मंजूर है या नहीं ?"


" मेरे ख्यालं से तो ऐसी नौबत हो नहीं अाएगी ।"


"'मैं नौबत आने के वाद की बात कर रहा हूं ।"


"ठीक है ।"' चक्रधर चौबे को कहना पडा----" यदि बैसा कुछ हुआ तो दस लाख दूंगा ।"


"ओं.के. वस इसीलिए बुलाया था तुम्हें ।" मनसब की आंखे सौ सौ के बल्बों में तब्दील हो गई थी-------" अब घर जाओ! जितनी व्हिस्की पी सकते हो पीकर चेन से सो जाओ । बैसे भी तुमने खुद बताया ----साऱी रात भी नहीं सके । भूल जाओ तुमने इसका मर्डर क्रिया है । इस लाश को भी भुल जाओ । अब मैं इसे ठिकाने लगाने के बाद तुमहारे आफिस में मिलुगा । "


"इसके पास एक मोबाईल ही था ।"


"अब मेरे पास है।"


"तुम्हारे पास?"


"'फिक्र मत करो । इतंनी अक्ल मुझमें है कि अब उसे इस्तेमाल नहीं करना है । फोन को भी लाश के साथ ठिकाने लगा दूगा ।"



" तो मैं चलूं ?"


" फिलहाल जो जेब में है बह झटको । काम को अंजाम देने में जरूरत पड़ेगी ।।।
मारिया सांस लेने के लिए रुकी थी ।


"उसके बाद?" उस शख्स ने पूछा जिसका कद किसी मी हालत मैं चार फुट से ज्यादा नहीं था ।



"में साढे अाठ बजे ओबराय पहुंची ।" सिगरेट में कश लगाने के बाद मारिया ने पुन: कहना शुरू किंया--"सेबिन्थ फ्लोर पर पहुचने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया ।"



" क्यों ?"' एक लम्बी और बेहद सुदर लड़की ने पूछा ।


"नहीं चाहती थी कोई मेरे उस फ्लोर तक पहुचने का गवाह हो । लिफ्ट का इस्तेमाल करने की सूरतृ मे लिफ्टमेन की नजरो मे अा सकती धी !


सुन्दर और लम्बी लड़की की बडी-बडी आंखों में आश्चर्य उभर ' अाया--.--'"तुम सीढियों के जरिए सेबिन्थ फ्लोर पर पहुची?”


"दूसरा चारा ही क्या था?"

"तुमने तो कमाल कर दिया दीदी ।"

" मेरे भारी शरीर को देखते हुए यह काम दुस्साहस ही था मगर करना पडा! बूरी तरह हाफ़ गई थी मैं । बीच-बीच में कई जगह सीढियों पर बैठना पड़ा ।दिल में लगन हो तो आदमी हर काम कर सकता है ।"


"मगरा" चार फुटा बोला------'"मेरी समझ में नहीं आ रहा,तुमने ऐसा किया क्यों ?"



"कैसा ?"



"जब बिज्जूने अपनी हमराज ही नहीं, पार्टनर बना लिया था । कहा था-खींचने के बाद सीधा तुम्हारे पास अाएगा ।.तो ओबराय जाने की क्या ज़रुरत थी?"



"मुझे उसके कहे पर यकीन नहीं था ।"


" "मतलब ।"


“पूरा शक था-वह "वे" बाते केवल तभी तक कह रहा है जब तक फक्कड़ है । एक बार यह इत्म हो गया कि वह सचमुच मोटा नावां पीटने के बेहद नजदीक है तो पूछेगा भी नहीं मैं कहाँ पडी हूं । भला उस हालत में वह मुझ मोटी थुलघुल को धास डालता भी क्यों? उसके लिए तो एक से एक सुन्दरी के दरवाजे खुल जाने थे ।"



चार फूटे ने साफ कहा-----" मेरे ख्याल से तुम झूठ बोल रही हो साली साहिबा ।"


""यानी?"


"हकीकत ये है, तुम ही उसे अपना पार्टनर बनाने के लिए तेयार नहीं थी ।" नाटा कहता चला गया-"तुम उसके द्वारा खींचे गए फोटो अपने कब्जे में लेकर सारा खेल अपने हाथों में समेटने का प्लान वना चुकी थी ।"


" अगर समझ ही गए तो स्वीकार करती हूं सच्चाई यहीं थी ।"


"मेरे ख्याल से ठीक भी यही था ।। बिब्लू पार्टनर बनने लायक था भी नहीं । वस एक ही टेलेन्ट था उसमें-फोटोग्राफी । बाकी सव कमियां ही कमियां थी ।।। दारु. पीकर बह दस जनों के बीच अपने कारनामों का बखान कर सकता था और इस किस्म के कामो में ऐसी मैं बेवकूफीयां जान जोखिम में डाल देती हैं ।



"मैं तुमसे सहमत हूं नाटे ।"


'" आगे तो बताओ ।" क्रिस्टी ब्रोली-तुम सेविन्थ फ्लोर पर पहुच गई । उसके बाद क्या हुआ"'


"संयोग से सेविन जीरो थर्टीन चौड़ी सीढी के सामने था । दरवाजे पर लिखे नम्बर पढते ही मे ठिठकी खडी रह गई उस पर नजर रखने के लिए वह जगह सबसे उपयुक्त लगी । पहली वात-वहाँ से सुईट के दरवाजे पर आसानी से नजर 'रखी जा सकती थी ।
दूसरी बात - जहां मैं थी वहां किसी के द्वारा देख ली जाने का खतरा नही था फ्लोर से सेबिन्थ फ्लोर तक सीढियों पर मूझे आदमी तो क्या चिडिया का बच्चा तक नहीं मिला । कस्टमर्स की तौ बात है दूर, फाईव स्टार के वेटर तक लिफट के इतने आदी हो चुके होते है कि एक फ्लोर केलिए भी सीढियों का इस्तेमाल करते उनकी नानी मरती है । मेरी समझ में नहीं जाता-----"फाइव स्टार होटलों में सीढियां वनाइ ही क्यों जाती हैं?''




"इस सवाल में मत उलझो । यह बताओं वहां छुपी रहकर तुमने क्या देखा? "

" मैं नौ बजने से एक मिनट पहले बहाँ पहुंच गई थी । नौ बजे के आसपास दरवाजा खुला । सूअर की थूथनी जैस शख्स बाहर आया ।

वह लिफ्ट नम्बर फोर की तरफ चला गया दरवाजा वापस बंद होगया था । ठीक नौ बजकर आठ मिनट पर जब एक खूबसूरत नौजवान ने सुईट की बैल बजाई तो मैं समझ गई यह विनम्र । दरवाजा विंदु ने खोला था । वह अंदर चला क्या । दरवाजा पुन: बंद हो क्या । अब _ मैं समझ सकती बी, सुईट में वही सब हो रहा होगा जिसके लिए विनम्र को बुलाया गया था । और विज्जू फोटो खीच रहा होगा वे फोटो जो मुझे मालामाल कर देने वाले थे मगर उस वक्त मेरे सारे ख्वाबो पर बिजली गिर पडी जब केवल तीस मिनट में दरवाजा खुला और विनम्र बाहर आ गया । मेरी सोचो के मुताबिक उसे इतनी जल्दी बाहर नहीं अाना चाहिए था । वह काम इतनी जल्दी खत्म नहीं हो सकता था जिसके लिए उसे बुलाया गया था । तो क्या सुईट में वह सब हुआा ही नहीं? अगर कुछ हुआ ही नहीं था तो विज्जु, फोटो क्या खीचें होगे? मुझे सारी मेहनत पर पानी फिरता नजर जा रहा था । यदि उसी वक्त बिज्जू पर नजर न पड़ जाती तो पूरी तरह निराश हो चली थी ।"


"क्या मतलब"


"मुश्किल से पांच मिनट बाद दरवाजा एक बार फिर खुला । इस बार बिज्जू बाहर आया । उसके चेहरे पर नजर पड़ते ही मेरी सारी शंकाएं हबा हो गई । थोड़ा घबराया जरूर था वह मगर चेहरे पर कामयाबी की चमक थी । माहोल ही ऐसा था कि थोडी घबराहट तो उस पर हावी होनी ही थी परन्तु चेहरे की चमक जता रही थी-----उसे जो चाहिए था, मिल गया था । इसका मतलब विनम्र और बिंदू के बीच तीस मिनट में ही वह चुका था जिसके फोटुओं की कीमत करोडों में थी ।
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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पहले बिज्जू लिफ्ट की तरफ़ वढ़ा फिर अचानक सीढियों की तरफ बढ़ा । मुझे लगा यह भी मेरी तरह खुद को सबकी नजरों से छुपाने की मंशा के तहत संढियों का इस्तेमाल करेगा ।। मेरां हाथ जेब से पहुच गया । अपना काम करने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी । मगर तभी मैंने देखा बिज्जू नीचे जाने की जगह सीढियों पर चढता चला गया । यह बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं अाई । वह ऊपर क्यों जा रहा है । काम ख़त्म करने के बाद तो नीचे जाना चाहिए था । उसके पीछे मैंने भी जल्दी-ज़ल्दी सीढियां चढ़नी शुरू कर दी।। आठवें माले पर पहुंचकर _ देखा वह लिफ्ट नम्बर पांच की तरफ़ बढ रहा था । यदि एक बार लिफ्ट में सवार हो जाता तो उसे मेरी पकड से दूर निकल जाना था । इसलिए तेज़ कदमों के साथ लपकी । लिफ्ट के नजदीक पहुंचते-पहुँचते यह मेरे कदमों की आवाज सुन चुका था । घबराकर घूमा । मुझ पर नजर पडते ही हैरान रह गया ।। मुंह से निक्ला'--“त'-तू-तू यहां?"



"काम हो गया विज्जू ?" मैं लपककर उसके नजदीक पहुंच गई ।।

"काम तो हो गया ऐसा हुआ है कि हम करोडों नहीं अरबों कमा सकते हैं ।। " खुश होने के बावजूद वह गुर्राया- तू यहां क्या कर रही है?"



"घबरा मैं भी रही थी मगर घवंराने से सारे मंसूबों पर पानी फिर सकता था ।" मारिया कहती चली गई--सोचने-समझने या सतर्क. हो जाने का मैंने उसे कोई मौका नहीं दिया । बिजली की सी गति से अपना हाथ स्कर्ट की जेब से निकाला । अगले पल रेशमं की मजबूत डोरी का फंदा बिज्जू की पतली गर्दन में था । उसके सारे चेहरे पर हैरानी के भाव थे । एक ही बात कह पाया वह…"मारिया ये तू क्या कर’रही है?" मगर मुझ पर तो जुनून सवार था । दोनो हाथों से रेशम की मज़बूत डोरी के दोनों सिरे पक्रड़े कसती चली गई विज्जू की आवाज उसके हलक में घूट गई चेहरा लाल सूर्ख हो गया । हैरत से फ़टी आखें कटोरियों से बाहर कूदने को तैयार थी । बिज्जू गर्म रेत पर पड्री मछली की मानिन्द फड़फड़ा रहा था । मगर कब तक? कब तक फड़फड़ता वह ।। जल्दी ही ढीला पड़ गया । और जव मुझे यकीन हो गया वह मर चुका है तो एक साथ अपने दोनों हाथ रेशम की डोरी से हटा लिए । विज्जू की लाश 'धुम्म' की आवाज के साथ मेरे कदमों में गिरी ।" इतना कहकर मारिया चुप हो गई लम्बी-लम्बी सांसे ले रही थी वहा ।।। यूं जेसे मीलों लम्बी रेस लगाने के बाद अभी-अभी यहां पहुची हो ।
चेहरे पर खौफ़ के भाव थे । " … वेसे ही भाव क्रिस्टी और नाटे के चेहरों पर भी है ।

मारिया के बैडरुम ने सन्नाटा छाया रहा ।


वेहद पैना सन्नाटा ।"


बिज्जू की हत्या की कल्पना मात्र ने उन्हें ज़ड़वत कर दिया था ।।



करीब एक मिनट बाद नाटा कह सका-दृ-“तो बिज्जू को तुमने मारा है ?"


"मैंने मारा है? मतलब ! यह सब बताने के बाद यह सवाल पूछने का क्या औचित्य रह गया ?"


" यह सवाल नहीं पूछ रहा, लोग पूछ रहे है । मीडिया पूछ रहा ।"



"मैं समझी नहीं ।"


" स्टार प्लस पर न्यूज देखकर आ रहा हूं नाटे ने कहा---" उस पर ओबराय के ही सोन दिखाए जा रहे थे । बिज्जू की लाश दिखाई जा रही थी । हर तरफ़ एक ही सवाल था----उसका मर्डर किसने किया है? पत्रकारों द्वारा पु्छू जा रहे इस सवाल का पुलिस के पासस कोई जवाब नहीं था है उस वक्त सोच भी नहीं सकता था । वह कारनामा तुम्हारा हो सकताहै ।"


"मगर दीदी ।" खूबसूरत लड़की ने कहा'----"हिम्मत बहुत की तुमने । किसी की हत्या करना, यह भी सार्वजनिक स्थल पर बहुत कलेजे का काम है ।"


"करना पड़ता है क्रिस्टी! सामने जब करोडों चमक रहे हो तो हिम्मत अपने आप पैदा हो जाती है । वैसे भी मुझे मालूम था पतले-दुबले बिज्जू में मेरे मुकाबले कोई दम नहीं है । एक वार उसे दबोच लूंगी तो हजार कोशिशों के बावजूद गिरफ्त से नहीं निकल सकेगा । इस हकीकत ने भी मेरा हौंसला बढाया था ।"



"इसका मतलब तुमने अचानक उसकी हत्या नहीं कर दी ।"’ नाटे ने कहा'--"'बल्कि गई ही पूरा प्लान बनाकर थी । पहले ही सोच लिया धा…उसे बहीं खत्म करके रील अपने कब्जे में कर लेनी है ।।

" कबूल कर चुकी हूं रेशम की डोरी लेकर गई थी । क्या इसके बाद भी इसमें कोई शक रह गया कि मैंने जो किया पूरी योजना बनाने के बाद किया ।"
"मगर. . .तुमने उसका खात्मा सार्वजनिक स्थल पर करने का खतरा क्यों उठाया?"


''मतलब ?"


"बाद में अर्थात् अागे चलकर किसी स्पॉट पर वह भले ही तुम्हें आखें दिखाने की कोशिश करता मगर जहां, तक मेरा ख्याल है---ओंबराय से सीधा तुम्हारे ही पास अाता । यहां । यहां! यहाँ तुम्हारे लिए उसका खात्मा करना ज्यादा आसान था इसके मुकाबले तुम्हारे द्वारा ओबराय की गैलरी चुना जाना. . . ।"



" यह तुम्हारा ख्याल है नाटे, मेरा ख्याल ऐसा नहीं था । अगर उसकी हत्या यहां, अपने बेडरूम में करती तो सोचो-मेरे सामने अगली समस्या उसकी लाश को ठिकाने लगाना होती । उसे अगर मेरे पास अाते कोई देख भी सकता था । उसके गायब होने पर इस बात को उड़ने से मैं रोक-नहीं सकती थी कि सबसे अंत मे उसे मारिया बार में देखा गया था । वह "उडती" खबर पुलिस को मुझ तक पहुचा सकती थी । जबकि अब न तो मेरे सामने उसकी लाश को ठिकाने लगाने की समस्या है । न ही पुलिस के मुझ तक पहुंचने का खौफ ।"



"वाकई! सब कुछ बहुत सफाई से हो गया है ।"



"खुद नहीं हो गया नाटे, किया है मैंने ।"



"ऐसा ही सही ।" बह हंसा जिसका चेहरा लम्बे से ज्यादा चोडा था । गाल फूले हूए । माथा छोटा । नाक गोभी के पकोड़े जैसी और कान छोटे-छोटे । आंखें सामान्य मगर भवे बेहद घनी थी । ऐसी कि चेहरे पर वे ही वे नजर अाती थीं उसके हाथ पैर बाकी शऱीर की तरह छोटे-छोटे ही थे ।


कुल मिलाकर उसे एक बदसूरत शख्स कहा जा सकता था । जबकि क्रिस्टी उसके ठीक उलट थी ।।


पांच फुच पांच इंच लम्बी । गदराए जिस्म बाली । गोरी । सुतवां नाक कमानीदार भवें । पतले होठ ।। चोडा मस्तक और खुले बाल कंधों पर फैले हुये थे ।।।

पति - पत्नी वे कहीं से नहीं लगते थे ।

मगर थे ।



भगवान ही जाने कैसे ।।


कैसे क्रिस्टी ने उसे अपना पति स्वीकार कर लिया ??
कुछ देर खामोशी के बाद नाटे ने कहा'-…-"इसका मतलब करोडों उगलने वाले फोटो अब तुम्हारे कब्जे में है ! "


"करोडों की क्या बिसात है ।" मारिया ने कहा--"होशयाऱी से काम ले तो अरबो कमा सकते हैं ।"


"ऐसा?''


" बिल्कुल ऐसा ही है ।"


" क्यों ?"

" कोई भी अरबपति शख्स खुदको बदनामी से बचाने केलिए करोडो तो खर्च कर सकता है, अरबों नहीं?"


" मारिया ने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा-"'फा'सी से बचने के लिए तो कर सकता है ।"



"फांसी से ?"' नाटा चौंका…"फासी की बात कहाँ से आ गई?"


"आएगी ।" उसने अपने एक-एक शब्द पर जोर दिया----" जब मैं पूरी बात बता चुकूगी तो आ जाएगी ।"


नाटे ने उसे ध्यान से देखा । कहा-----"अब तुम रहस्यमय होती जारही हो साली साहिबा।"


"यह पूछो---"मेने तुम दोनो को ही क्यों बुलाया ?" मारिया मुस्काई ।


"वाकई सवाल ऐसा है जो मेरे द्वारा काफी पहले पूछ लिया जाना चाहिए था । जब सब कुछ तुमने अकेले इतनी सफाई से निपटा लिया है । पुलिस के भी यहां पहुचने की कोई उम्मीद नहीं है । तो अरबों की होने वाली कमाई में शामिल करने के लिए हमें क्यों बुला लिया? आगे का काम भी तुम अकेली ही निपटा सकती थीं ।"



"क्रिस्टी मेरी बहन है! तुन बहनोई । प्यार करती हू तुमसे । सोचा------" मैं अमीर बनने बाली हूं तो तुम्हें भी अमीर होना चाहिए ।। एक बार फिर कहूंगी-अगर होशियारी से काम लिया तो माल इतना मिलने वाला है कि मुझ अकेली की तो बात ही-छोड़ दो । तीनों मिलकर अपने हजार-हजार हाथो से सारे जीवन लुटाते रहैं तब भी खत्म नहीं होगा । नाटे, क्रिस्टी मेरी छोटी वहन है । छोटी बहन वेटी समान होती है । एक मां की तरह मैंने भी यह सोचा---मुझे हासिल होने वाली रकम में मेरी वेटी और 'दामाद' का भी हिस्सा है । इसलिए तुम दोनो को बुलाकर सारी बातें बताई । मैंने गलत तो नहीं सोचा?"

नाटे ने बगैर भावुक हुए पूछा--" कोई और कारण?"


"हां एक दूसरा कारण भी है ।"


"वह क्या?"
मुझे लगा के-बखेड़ा ज्यादा वड़ा है । शायद मैं अकेली नहीं सम्भाल सकुंगी ।।


"मुझे तो नहीं लगता ऐसा ।। जिसमें सार्वजनिक स्थल पर मर्डर कर देने की हिम्मत है उसके करने के लिए आगे अब बचा ही क्या है?

ब्लेकमेल ही तो करना है विनम्र को! वह विंदुकै साथ अपने फोटो देखते ही मुहमांगी रकम देने को तैयार हो जाएगा ।"


"बात इतनी-सी होती तो शायद मेरे दिमाग में तुम्हें बुलाने का ख्याल नहीं अाता ।"


"क्या मतलब ?"



"बात इससे कहीं ज्यादा बडी है ।” बेहद विस्फोटक!"


"क्या पहेलियां बुझा रही हो साली साहिबा । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा ।।"


"समझाती हूं । " कहने के साथ वह सोफे से उठी और हाथी की सुंड जैसी टागों के ऊपरी हिस्से पर मौजूद तरबूज जैसे 'कूल्हों' को मटकाती स्टोर की तरफ बढ़ गई ।। स्टोर का दरवाजा खुला होने के बावजूद क्रिस्टी और नाटा देख नहीं पा रहे थे वह अंदर क्या कर रही है ?"


दोनों की नजरें मिली ।


चारों अाखों में सवाल ही सवाल थे । जवाव किसी ने नहीं ।


नाटे ने पैकिट उठाकर एक सिगरेट सुलगा ली ।



पहला ही कश लिया था कि मारिया स्टोर से बाहर निकलती नजर अाई । उसके हाथो में कुछ फोटो थे । क्रिस्टी और नाटा समझ गए फोटो वही हैं जिनके लिए बिज्जू को वेकुण्ड यात्रा पर रवाना होना पड़ा ।।।


सेन्टर टेबल के नजदीक पहुंच कर मारीया ने फोटो उस पर डाल दिये!!!


सबसे ऊपर वहीँ फोटो था जिसमे विनम्र बिंदू की गर्दन दबाता नजर आ रहा था । "


"अरे । " बुरी तरह चोंकता हुआ यह एक मात्र शब्द क्रिस्टी और नाटे के मुंह से एक साथ निकला । वरवस ही दोनों के हाथ फोटो उठाने के लिए टेबल की तरफ लपके मगर कामयाब नाटा हुआ ।। वह ज़ल्दी-जल्दी एक के बाद एक फोटो देखता चला जा रहा था । क्रिस्टी उस पर झुकी हुई थी । दोनों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे फोटोओ को देखकर मारिया की हुई थी । उस मारिया की जो अब उस सदमे उबर चुकी थी ।।।
जिस सदमे से क्रिस्टी और नाटा गुजर रहे थै । वे अभी फोटुओ में ही घुसे थे जबकि मारिया नई सिगरेट सुलगाने के बाद इत्मीनान से सामने वाले सोफे पर बैठती हुईं वोली-" इन फोटुओ को देखने के बाद मुझ पर यह भेद खुला कि विनम्र तीस मिनट बाद सुईट से क्यो निकल अाया था? तुम समझ सकते हो----दो अजनबियो के बीच केवल तीस मिनट में वह नहीं हो सकता जिसके लिए विनम्र को वहां वुलाया गया था, मगर यह हो सकता है जो हुआ, जिस की गवाही ये दे रहे हैं ।"



“फ-फोटो तो यह कह रहे हैँ…बिनम्र ने बिंदू की हत्या कर दी ।" क्रिस्टी का लहजा खौफ़ और हैरानी के बीच हिचकोले खा रह्म था।


"और फोटो झूठ नहीं बोल सकते ।" मारिया ने कहा ।


" मगर क्यों?'' नाटे ने सवाल उठाया-"विनम्र ने विंदू की हत्या क्यों की?"


"हमारे पास केवल फोटो हैं । वीडियो फिल्म नहीं । वह होती तो शायद हत्या का कारण भी बता सकती थी या बिज्जू बता सकता था । उसने इन दोनों के बीच होने वाला वार्तालाप सुना होगा मगर वह भी हमारे पास उपलब्ध नहीं है । कई बाते ऐसी होती है जिनका अर्थ हमारी समझ में तब नहीं जाता जब वे कही जाती हैं मगर बाद में समझ आ जाता है । एक ऐसी बात विज्जू ने मरने से पहले कही थी । उसने कहा था---काम तो होगया है ऐसा हो गया है कि हम करोडों नहीं अरबो कमा सकते हैं ।' उसके वाक्य का अर्थ उस वक्त मेरी समझ में नहीं अाया था मगर फोटुओं को देखते ही आ गया । विनम्र के सामने अब समस्या बदनामी से बचने की नहीं, फांसी से बचने की है ।"


"पर साली साहिबा, सवाल ये है उसने हत्या की क्यों?"


"यह सवाल जिसके लिए महत्वपूर्ण होगा होगा । हमारे लिए इसकी कोई अहमियत नहीं है । हमारे लिए इतना काफी है उसनें हत्या की है । सबूत हमारे पास हैं । उसे मुहमांगी कीमत देनी होगी ।"
"मगर ।" नाटे के मस्तिष्क में मानो अचानक अणुबम फटा और यह अणुबम ऐसा था कि जिसके प्रभाव से ग्रस्त वह मुह से 'मगर' के अागे एक भी लपज नहीं निकाल सका ।। चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे जहन किसी न समझ में अाने वाले चक्रवात में धिर गया हो ।


कुछ देर तक मारिया और क्रिस्टी उसके बोलने का इंतजार करती रहीं है जब काफी इंतजार के बाद भी नहीं बोला तो 'जिज्ञासा’ के जाल में फंसी मारिया को पूछना पड़ा---"क्या कहना चाहते हो?"



सुईट से पुलिस को कोई लाश नहीं मिली ।" नाटे ने कहा।



मारिया उछल पडी़ !! मुंह से हक्लाहट निकली--" क क्या बात कर रहे हो?”




" ए--ऐसा कैसे हो सकता है?" क्रिस्टी हैरान ।



"यही तो समझ में नहीं अा रहा मगर-हैं ऐसा ही ।"


"तुम कैसे कह सकते हो?" मारिया की हवा शंट थी---"मेरा मतलब तुम्हें कैसे फ्ता?"


"बताया न, तुम्हरे बुलावे से पहले स्टार टी टी.वी पर न्यूज देखी थी ।"



"क्या दिखाया जा रहा था उस पर?"


विनम्र , नागपाल, गोडास्कर और होटल स्टाफ़ के कई कर्मचारी सुईट में दाखिल होते दिखाए गए थे । सुईट के अंदर से भी खूब अच्छी तरह दिखाया गया ।"


" बिंदू की लाश नहीं थी वहां?"


"कोई ताश नहीं भी मारिया ।"


" क-कैसे?" मारिया का जहन हवा हुआ जा रहा था---"कैसे हो सकता है ऐसा?"



"रहस्य समझ में नहीं आ रहा'--अगर बहाँ कोई मर्डर नहीं हुआ तो ये फोटो कहाँ से अा गए? फोटो सच्चे हैं तो लाश कहाँ गई ? पुलिस को मिली क्यों नहीं? फोटो तो झूठे हो नहीं सकते । इसका मतलब रात ही रात में लाश गायब कर दी किसने किया होगा ऐसा? ओंर क्यो? मामला अब और ज्यादा पेचीदा होता जा रहा है मारिया । वाकई !!! तुम अकेली इसे नहीं सम्भाल सकती थी बल्कि अब तो ऐसा लगरहा तीनों मिलकर भी सम्भाल सकें तो बड़ी बात होगी । हां, याद आया-गोडास्कर को वहां से एक मोती मिला है । बिंदू की माला का मोती । बिल्कुल ऐसा ।" कहने के साथ उसने बह फटो सेन्टर टेबल पर डाल दिया । जिसमे बिंदूं की लाश के पास मोती बिखरे हुए थे । पुन: बोलना------"उसे इन्हीं में से कोई मोती मिला है ।"



"मोती के बोरे में उसका क्या कहना है?"



"उसने तो यही अंदाजा लगाया---बिंदूको किडनैप किया गया है।"




"वहुत जल्दी वह समझ जाएगा-बिंदूकी हत्या कर दी गई है ।
"क्या मतलब?"



"बहुत से सवालो के ज़वाब भले ही न मिल रहे हो मगर बात समझ में अा चुकी है । " मारिया कहती चली गई---" लाश सुईट से गायब की गई । ऐसा किसने और क्यों किया? यह रहस्य बाद में खुलेगा ।"



"कौन कह सकता है खुलेगा भी या नहीं ?? बहुत से रहस्य पुलिस फाइल में दबे रह जाते हैं ।"


"मगर यह खुलेगा ।"


" दावे की वजह ?"


" इन्वेसंटीगेटर गोडास्कर है ।"


"गोडास्कर ?"


"क्या तुम उसे नहीं जानते ?"


" उस विशालकाय इंस्पेक्टर को शहर में कौन नहीं जानता ?"


"वह विशालकाय है, इसके अलावा और क्या जानते हो?"


" मेरा उससे कोइ वास्ता नहीं पड़ा । "
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

Post by Jemsbond »

"मेरा पड चुका है ।' मारिया ने कहा----"एक बार वह 'बार' में अाया था । तब जब 'वार' में दो शराबियों का झगड़ा हुआ । एक ने दूसरे को गोली मार दी । वह मर गया । अपने हवलदार के साथ गोडास्कर अा धमका है तब तक हतियारा भी वार में ही था । मगर वह अकेला नहीं था । करीब बीस कस्टमर थे । उसने पूछा--" किसने की यह हत्या?" किसी ने जवाब नहीं दिया । जवाब देने का मतलब था जग्गु के कहर का शिकीर होना । हत्यारा जग्गू ही था । और जग्गू से कोई पंगा नहीं ले सकता था।इसत्तिए कोई कुछ नही बोला । खुद जग्गू को बोलने की क्या जरूरत थी? गोडास्कर को जव बार-बार पूछने पर भी अपने सबाल का जवाब नहीं मिला तो उसने एक मेज पर रखी कोल्ड ड्रिंक उठा ली । उसे पीने के साथ सबको लाइंन में खडे होने का हुक्म दिया । कस्टमर्स लाईन में खड़े हो गये । उन में जग्गु भी था । गोडास्कर ने लाईन के एक छोर से दूसरे छऱ की तरफ बढ़ना शुरु किया । वह हरेक को अपनी नीली अाखों से गोर से देखता चला जाने के अलाबा और कुछ नहीं कर रहा था । जग्गू के सामने पहुंकर ठिठका । उसका गिरेबान पकड़कर लाईन से बाहर खींचता हुआ गुर्राया--"तूने की हत्या।" मैं आज तक नहीं समझ पाई बीस लोगों में से उसने जाग्गू को कैसे पहचान लिया था? मैं नहीं समझती ऐसे खूंखार इंस्पैक्टर से यह बात ज्यादा दिनो तक छूपी रहेगी कि बिंदू की हत्या हो चुकी है । मैरे ख्याल से तो न विनम्र ज्यादा दिन तक उसके पंजे से बचा रह सकेगा, न ही लाश गायब करने वाला है सारे रहस्यों पर से वह जल्दी ही पर्दा उठा-देगा ।"



"इसका मतलब हमें भी जो करना है जल्दी करना चाहिए ।"


"क्या मतलब?" क्रिस्टी ने पूछा । "



"अगर विनम्र एक बार गोडास्कर द्वारा बिदूकी हत्या के इल्जाम में पक्रड़ा गया तो उससे, इन फोटुओं का हमे 'धेला’ भी नहीं मिलेगा ।" नाटा कहता चला गया----"हमारे लिए भी और विनम्र के लिए भी इनकी कीमत तभी तक है जब तक पकडा न जाए । 'बचने' के लिए ही तो रकम देगा वह । तब क्यों कुछ देगा जब समझ चुका होगा बच नहीं सकता है''



मारिया ने कुछ कहने के लिए मुह खोला ही था कि कमरे के बंद दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी । यह दस्तक वर्तमान माहौल में मारिया को बिल्कुल पसंद नहीं आई । गुस्सा आ गया उसे । झल्लाकर ऊंची आवाज पूछा---" कौन है ?"



दरवाजे के उस पार से कहा गया---गोडास्कर ।"
" गोडास्कर के विशाल कूल्हे ओबराय के रिलेशन के पीछे पडी कुर्सी के दोनों हत्थों के बीच फंसे पड़े थे । अपनी टांगे उपर उठाकर उसने पैर जूतों सहित काउन्टर पर फैला रखे थे । आराम की उस मुद्रा में बड़े मजे से अमरूद खाने के साथ काउंटर पर रखे कम्यूटर से कनेक्टिड की बोर्ड से खेलने में व्यस्त था । होटल स्टाफ़ के मुख्य-मुख्य लोग अर्दलियों की तरह चारों तरफ खडे थे । काफी देर की खामोशी के बावजूद जब गोडास्कर कुछ बोलने की जगह की- बोर्ड से खेलता रहा ।।



तो मैंनेजर को कहना पड़ा--'मेरी समझ में नही आ रहा इंस्पेक्टर, अाप 'होटल के चप्पे चप्पे की तलाशी क्यों लिवा रहे हैं?"



स्क्रीन पर नजर गडाए गोडास्कर बोंला---"और गोडास्कर की समझ में ये नहीं अा रहा, गोडास्कर के इस कृत्य से तुम्हें परेशानी क्या है ?"


"होटल में ठहरे हमारे कस्टमर्स डिस्टर्ब हो रहै है ।" मैंनेजर ने कहा--"आपको समझना चाहिए इंस्पेक्टर । हौंटल व्यवसाय वहुत नाजुक होता है । कस्टमर्स डिस्टर्ब होगे तो वे क्यों रहेगे यहां? शहर में और ढेरों होटल है । इस तरह तो हमारा बिजनेस चौपट…



"पूरे शहर की कानून व्यवस्था चौपट हो जाने के मुकाबले तुम्हारा बिजनेस चौपट हो जाना बेहतर है ।"



“मगर क्यों इंस्पेक्टर?" उसने कहा--"पता तो लगे-----' क्यो पूरे होटल की तलाशी लिवा रहे है?"



"रहते दो मैंनेजर ।" सुनकर तुम्हारा हार्ट फेल हो सकता है ।



"ज जी! मैं समझा नहीं ।"


"समझना ही चाहते हो तो सुनो, गोडास्कर को एक लाश की तलाश है ।"


" ल--लाश की ? "' मैंनेजर उछल पड़ा------" वह तो मिल चुकी है ।"



"जो मिल चुकी, सो मिल चुकी । गोडास्कर को उसकी तलाश है जो मिलनी चाहिए मगर मिल नहीं रहीं ।" अमरुद चबाने के साथ मुंह से वह भले ही चाहे जो कह रहा हो मगर आंखें कम्यूटर स्कीन पर नजर आ रहे होटल में ठहरे कस्टमर्सं के रिकार्ड पर स्थिर थी ।


"क-क्या बात कर रहे हैं अाप ।।" मैनेजर के चेहरे पर हवाइंयां उड़ने लगी थी -- अ-आपका मतलब है होटल में एक और लाश होनी चाहिए ?"


" हां । कुछ ऐसा ही ख्याल है गोडास्कर का! गोडास्कर ने पहले ही कहा था, सुनकर तुम्हारा हार्ट फेल हो सकता है । खैर । वो हुआ नहीं ।
झटका झेल गए तुम । गोडास्कर की तरफ से मुबारकबाद कुबूल फरमाओ ।"


"म-मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा, आप ये क्या कह रहे है?"


"मोहतरमा ।" उसकी बात पूरी होने से पहले गोडास्कर ने नजदीक खडी रिसेप्शनिस्ट से पूछा--“ये रूम नम्बर सेबिन जीरो सेविन्टीन का क्या चक्कर है?"


"च-चक्कर ? जी । मैं समझी नहीं ।" वह हड़बड़ा-सी गई ।।



"तुम्हारे रिकार्ड के मुताबिक यह रूम रात के दस बजकर पैतीस मिनट पर शुरू हुआ ।" अमरूद खाते गोडास्कर ने कम्यूटर स्कीन की तरफ इशारा करने के साथ कहा----“ग्यारह बजे अमरसिंह नाम का कस्टमर काउन्टर पर अाया । चाबी ली और रूम में चला गया । और फिर बारह बजकर तीस मिनट पर "चॉक आऊट' भी कर गया ।।।
यानी कमरा छोड़ गया । मतलब यह कैक्ल डेढ़ घंटा रूम में रहा । इस डेढ घंटे में रूम में कोई सर्विस नहीं की गई किराया अमरसिंह नाम के इस शख्स ने पूरी रात का दिया है । कैश ।"



"हां इंस्पेक्टर साहब ।" रिसेप्शनिस्ट ने कहा------''यह सब लगा मुझे भी अजीब था ।"


"अजीब से मतलब?


"आप जानते होंगे कि किसी भी कस्टमर द्वारा एक बार कमरा लेने पर कोई भी होटल उससे कम से कम चौबीस घंटे का किराया लेता है । भले ही कमरे में रहा वह एक घंटे ही हो । हालांकि ऐसे कस्टमर बहुत कम आते है मगर फिर भी कभी-कभी आ जाते है । आमतौर पर हम उनसे कम समय रहने का कारण नहीं पूछते । पूछने का कोई हक भी नहीं है । हमें । वह पूरा किराया दे रहा है । बात खत्म । हमे उसके जल्दी जाने से क्या लेना-?"


"मतलब तुमने अमरसिंह से भी कुछ नहीं पूछा?"


"संयोंग से पूछ लिया था ।"


''क्या पूछ लिया था ओर क्यों?"


' "क्यों का तो मेरे पास कोई खास जवाब है नहीं । बस यह वात अजीब लगी थी, मिस्टर अमरसिंह कुछ ही देर पहले अाए थे । अव जा भी रहे हैं । पेमेन्ट लेते वक्त मैंने यूंही पूछ लिया-------क्या आपको हमारा होटल और रूम पसन्द नहीं अाया मिस्टर अमरसिंह? वह मुस्कराया । कहा… ऐसी बात नहीं है । दरअसल मुझें सुबह होने से पहले चेन्नई पहुचना था । नाईट फ्लाईट का टिकट ले रखा था । टिकट का वेटिंग नम्बर टुवन्टी फाईव था । सीट मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी । इसलिए रूम ले लिया था परन्तु पन्द्रह मिनट पहले पता लगा…टिकट कन्फर्म हो गया है, सो चल दिए ।' बस । इतनी ही बाते हुई थीं मेरे और उसके बीच ।"


"कुछ सामान भी था उसके पास?"


"जी हां । एक अटैची थी ।"


"कितनी बडी?"


" क-कितनी बड़ी से क्या मतलब?"



गोडास्कर ने सीधा सवाल क्रिया--"क्या उससे लाश अा सकती थी ?" "


" ल--लाश रिसेप्शनिस्ट हकला गई चेहरा सफेद पड़ गया ।
मुंह से निकला --" आप कहना क्या चाहते हैं?"


''गोडास्कर के कहे को समझने की कोशिश करना छोडो़ मोहतरमा! जो पूछा है--उसका जवाब दो, क्या अटैची इतनी वड़ी थी कि उसमें लाश आ सके?"


"ल--लाश तो लम्बी होती है । भला अटैची मैं. ..



"अकड़ने से पहले तक उसे मोड़-तोडकर अटैची में भरा जा सकता है ।"


"है भगवान ।" रिशेप्सनिस्ट का चेहरा पीला पड़ गया---"क्या उसमे सचमुच लाश थी ।


"गोडास्कर के सवाल _का ज़वाब दो मोहतरमा! क्या अटैची इतनी बड़ीं थी कि .......



" हां । बड़ी तो वह काफी थी ।" और .......वह एक वेटर की तरफ़ घूमी । आवाज में खौफ और जिज्ञासा थी…“वदनसिंह्र तुम्हें याद है न । तुम उस अटैची को उठाना चाहते थे, उसने इंकार कर दिया था ।"



वेटर जवाब न दे सका । बस मुह फाडे रिशेप्सनिस्ट की तरफ देखता रहा ।


"बदनसिंह । " गोडास्कर ने अपने पैर काउन्टर से समेटकर कुर्सी से नीचे लटका लिए…"क्या मोहतरमा दुरुस्त फरमा रही हैं?"

"हां साब ।" आवाज उसकी भी कांप रही थी…"हुआ तो था ऐसा ।"


"कैसा ?"



"मेरी तो डूयूटी ही यह है साब ।" बदनसिंह इस तरह कहता चला गया जैसे उसे अपने ही फस जाने का डर हो-----" कस्टमर के जाने पर उसका सामान रुम में पहुंचाना! चॉक आउट पर मेन गेट के बाहर टैक्सी तक पहुंचाना! यही कोशिश उस वक्त भी की थी मगर उसने इंकार कर दिया । कहा -- रहने दो! मैं खुद ले जाऊंगा।"


"उसके बाद?"


"मैं क्या कर सकता था? कोई जबरदस्ती तो थी नहीं, मगर ऐसे कस्टमर हमारे होटल में इवका दूक्का ही हैं । सामान का वजन चाहे एक किलो ही हो उठाना हमें ही पड़ता है ।, मगर उसने तो अटैची को हाथ तक नहीं लगाने दिया । उसमें पहिये लगे थे । उसे उन्हीं पर चालाता गेट से बाहर ले गया ।
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

Post by Jemsbond »

पोर्च के नीचे मौजूद टैक्सी वाले ने
खिडकी खोली । मुझे अब भी याद है साव यहीं खड़े रहकर मैंने कांच से बाहर का सीन देखा था । टैक्सी वाले ने अटैची उठाकर डिक्की से रखनी चाही । उन साब ने उसे भी ऐसा करने से रोक दिया । अटैची खुद उठाकर डिक्की मे रखी । मैंने सोचा था ये शख्स फाईव स्टार के कल्चर से थोड़ा अलग है । यहां अाने वाले खुद अपने सामान को हाथ कहाँ लगातें हैं ?"


गोडास्कर ने उत्सुक्तापूर्बक पूछा----"क्या महसूस किया तुमने? क्या अटैची वजनी थी?"


" नहीं साब, जब बह आया था तब तो उसमे कोई खास वज़न नहीं था बल्कि मेरे ख्याल से तो खाली ही थी ।"



"क्या मतलब?"


"उसे मैं ही तो रुम नम्बर सेबिन जीरो सेबिन्टीन तक लेगया था ।"



"यानी अाते बक्त उसने अटैची को टैक्सी ड्राईवर को भी हाथ नहीं. लगाने दिया?"

" ऐसा ही हुआ था साब । बिल्कुल ऐसा ही हुआ था ।"



रिसेप्शनिस्ट बोली-----" सर आमतौर पर होता यह है कि जब किसी कस्टमर को चॉक आऊट करना होता है तो वह रुम ही से रिसेप्शन पर फोन करके एकाऊन्ट बनाने और सामान उठबाने के लिए वेटर को रुम में भेजने के लिए कहता है । मगर अमरसिंह ने बैसा कुछ नहीं किया! बह साढे बारह बजे अटैची सहित सीधा यहाँ आया । बौला--"एकाऊन्ट वना दो । मैं चॉक आऊट कर रहा हूं !" है भगवान । अब उसकी हर हरकत अलग ही नजर आ रही ।"'



"पक्का हो गया सर ! पक्का होगया । उत्साह से भरा प्रसाद खत्री कह उठा --" फिल्म का नाम याद नहीं आ रहा मगर ऐसा सीन किसी फिल्म में मैंने देखा ज़रूर है । एक शख्स खाली अटैची लेकर होटल में आया और एक लाश को उसमे कंचरे की तरह भरकर चला गया किसी को भनक तक नहीं लगी कि अटैची में लाश है । ठीक ऐसा ही हूआ होगा । वह खाली, अटैची लाया और उसमें लाश भरकर ले गया है !"


" किसकी?" गोडास्कर ने पूछा ।



"म-मुझे क्या पता?" गोडास्कर के सीधे सवाल पर वह बैखला गया --" फ फिल्म में वो लाश हैलन की थी ।"
" जब तक पूरी बात समझ ने न अाए तब तक चोंच मत खोला करो।"
गोडास्कर ने उसे डांटा-----''वहाँ भेज दूगा ज़हां एक भी नई फिल्म देखने को नहीं मिलेगी ।"


"ज-जी! मैं समझ गया । अाप जेल की बात कर रहे है न?"



गोडास्कर उसकी बात पर ध्यान दिए बगैर रिसेप्शनिस्ट ओर बदनसिंह से मुखातिब होता बोला----"क्या तुम अमरसिंह को पहचान सकते हो?" दोनों ने एक-दूसरे को देखा, फिर एक साथ कहा----" हां सर ।"


"रतिराम ।। "



"यस सर ।" एक कांस्टेबल तनकर ख़ड़ा हो गया ।



"गोडास्कर की जीप मे क्रिमिनल्स की एलबम्स पडी है, उन्हें उठा ला । "


" अभी लाया सर ।" कहने के बाद वह मुख्य द्वार की तरफ़ दौड़ता चला गया ।


"एक और ऐन्ट्री गोडास्कर का ध्यान अपनी तरफ खीच रही है।"कहते वक्त उसकी नीली आंखे कम्यूटर स्कीन पर स्थिर थीं---रुम नम्बर सेविन जीरो थर्टीन की । ये रूम शाम को पांच बजे किसी किशोर साहनी ने लिया और अमर सिंह के लगभग पीछे ही होटल से चला गया । "

गोडास्कर के कुछ कहने से पहले रतिराम एलवम्स लिए बहां पहुच गया ।

वे चार एलबम थीं । चारों काउन्टर पर रख दी । गोडास्कर ने रिसेप्शनिस्ट और बदनसि'ह से कहा--"एक-एक फोटो को ध्यान से देखो! अमरसिंह और किशोर साहनी की पहचानने की कोशिश करो ।" कहने के साथ उसने काउन्टर पर रखे कई फोनों में से एक का रिसीवर उठाया । वह नम्बर मिलाया जिसके जरिए रूम नम्बर सेबिन जीरो सेविन्टीन बुक कराया गया था ।
" जब तक पूरी बात समझ ने न अाए तब तक चोंच मत खोला करो।"
गोडास्कर ने उसे डांटा-----''वहाँ भेज दूगा ज़हां एक भी नई फिल्म देखने को नहीं मिलेगी ।"


"ज-जी! मैं समझ गया । अाप जेल की बात कर रहे है न?"



गोडास्कर उसकी बात पर ध्यान दिए बगैर रिसेप्शनिस्ट ओर बदनसिंह से मुखातिब होता बोला----"क्या तुम अमरसिंह को पहचान सकते हो?" दोनों ने एक-दूसरे को देखा, फिर एक साथ कहा----" हां सर ।"


"रतिराम ।। "



"यस सर ।" एक कांस्टेबल तनकर ख़ड़ा हो गया ।


"गोडास्कर की जीप मे क्रिमिनल्स की एलबम्स पडी है, उन्हें उठा ला । "


" अभी लाया सर ।" कहने के बाद वह मुख्य द्वार की तरफ़ दौड़ता चला गया ।


"एक और ऐन्ट्री गोडास्कर का ध्यान अपनी तरफ खीच रही है।"कहते वक्त उसकी नीली आंखे कम्यूटर स्कीन पर स्थिर थीं---रुम नम्बर सेविन जीरो थर्टीन की । ये रूम शाम को पांच बजे किसी किशोर साहनी ने लिया और अमर सिंह के लगभग पीछे ही होटल से चला गया । "

गोडास्कर के कुछ कहने से पहले रतिराम एलवम्स लिए बहां पहुच गया ।

वे चार एलबम थीं । चारों काउन्टर पर रख दी । गोडास्कर ने रिसेप्शनिस्ट और बदनसि'ह से कहा--"एक-एक फोटो को ध्यान से देखो! अमरसिंह और किशोर साहनी की पहचानने की कोशिश करो ।" कहने के साथ उसने काउन्टर पर रखे कई फोनों में से एक का रिसीवर उठाया । वह नम्बर मिलाया जिसके जरिए रूम नम्बर सेबिन जीरो सेविन्टीन बुक कराया गया था ।
पता लगा नम्बर पी .सी . ओं. का था ।। जब गोडास्कर को यह पता लगा'-…-पी. सी . ओ. ओबराय के बाहर' सडक के ठीक सामने है तो होठों पर कामयाबी की मुस्कान फैल गई दुसरा फोन किशोर साहनी के नाम के सामने लिखे नम्बर पर मिलाया । पता लगा'--टेलीफोन नम्बर ही नहीं, किशोर साहनी का पता भी 'फाल्स' है । रिसीवर वापस रखते वक्त उसने मेनेजर से कहा'-…“पेघ खुलने शुरू हो गए है मिस्टर मेनेजर । न किशोर साहनी का असली नाम किशोर साहनी था, न ही अमरसिंह का नाम अमरसिंह । दोनों कमरे फ़र्जी नाम-पतों के साथ बुक कराये गए थे और इतनी बात तो तुम्हारी बुद्धी में भी आती ही होगी कि जब फर्जी नाम के कमरे बुक कराए जाते हैं तो बुक कराने वाले का कनेक्शन 'गड़वड़ेशन" से होता है । अब पता ये लगाना है कि इनके असली नाम क्या थे?"



"य-ये-ये था वह शख्स !" एलबम देखता बदनसिंह कह उठा । सबका ध्यान उस तरफ आकर्षित हो गया । जिस फोटो पर उसने उंगली रख रखी थी उसके नीचे 'मनसब' लिखा था । गोडास्कर की नीली आंखों में जुगनू से जगमगा उठे । अमरुद में एक और बुड़क मारा उसने ।।। जबड़ा जुगाली करने बाले अंदाज में चलाता बोला…"कौन है ये…अमरसिंह या किशोर साहनी?"



" य-यह बही है सहवा अटैची वाला ।"


"यानी अमरसिंह?" गोडास्कर ने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखा----" तुम क्या कहती हो?"


" बदनसिंह ठीक कह रहा है ।" उसने इस तरह कहा जैसे समझ न पा रही हो कि "शिनाख्त" करके वह ठीक कर रही है या गलत?


"वैरी गुड ।" गोडास्कर का मुह अब काफी तेजी से चलने लगा था-और देखो, मुमकिन है किशोर साहनी भी इसी में मिले ।"



वदनसि'ह एलबम के पन्ने पलटने लगा ।


गोडास्कर ने एक बार फिर रिसीवर उठाया । एयरपोर्ट की इन्कवायऱी पर फौन किया । अपना परिचय देने के बाद --"चेन्नई जाने वाली रात की फ्लाईट में वेटिंग नम्बर टुवेन्टी फाईव के कस्टूमर का नाम क्या था ? जबाब मिलां-"फ्लाईट से फूल अाई थी । यहां से कोई यात्री प्लेन में नहीं चढा और वेटिंग नम्बर टुवेन्टी फाईव तो टिकट भी इंशू नहीं किया गया ।'
जवाय सुनते ही गोडास्कर ने रिसीवर क्रेडिल पर रखा और मैंनेजर से कहा-------"होटल की तलाशी ले रही पुलिस टुकडी को खबर पहुचा दो-------सर्च बंद कर दे ।


मैनेजर तो चाहता ही यह था । उसने फोरन असिस्टेन्ट मेनेजर को 'सर्च टुकडी’ के पास जाकर गौडास्कर का हुक्म सुनाने के लिए कहा।


असिस्टेन्ट मैनेजर तुरन्त लिफ्ट की तरफ लपका ।



"नहीं!" दूसरा आदमी इनसे नहीं है ।" बदनसिंह ने अंतिम एलबम देखते हुए कहा ।



"मतलब वह सफेदपोश था ।" गोडास्कर वडबड़ाया एेसा सफेदपोश जो अभी पुलिस एलबम तक नहीं पहुच सका है।। खैर वहुत जल्द गोडास्कर उसे भी एलबम में पहुचा देगा "



"इंस्पेक्टर ।" मेनेजर ने कहा---“इजाजत दे तो मैं आपसे एक बात पूछू ?"



"पूछ लो ।" गोडास्कर ने इस तरह कहा जैसे उस पर एहसान किया हो ।



"आप कर क्या रहे हैं? किसकी लाश की तलाश है आपको ?"



"छोडो मैनेजर. गोडास्कर का इरादा यहाँ एक और लाश गिराने का बिस्कूल नहीं हैं जानता हूं सुनते ही हार्ट फेल हो जाएगा। "



कहने के लिए मेनेजर को कुछ सूझा नहीं ।।



तभी बहां दौलतराम आगया । गोडास्कर का मुंह चढा । उसने सैल्यूट मारा । गोडास्कर ने डांटा----"क्यों बे, यहां सब काम में लगे हैं! तुम कहा मटरगश्ती मार रहा था?"



"आप ही ने तो भेजा था सर ।"


" कहां?"


" यह पता लगाने के लिए कि यहाँ से पहले बिज्जू को कहाँ देखा गया ?"


" क्या पता लगा ?"


दौलतराम ने कहा ---- " मारिया बार में ।।।। मारिया के पास ।"
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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