कठपुतली -हिन्दी नॉवल complete

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Jemsbond
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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विनम्र कुछ नहीं बोला । बह सोच तक नहीं सकता था श्वेता 'कहां' बोल रही है ।





"क्या बात है । तुम इतने गुमसुम क्यों हो?" कहने के साथ श्वेता ने अपना हाथ वालों से भरे विनम्र के बलिष्ठ सीने पर रख दिया ।।


" कुछ बोल क्यों नहीं रहे तुम ?"




"मामा की हरकत से शॉक लगा है ।"





"मानती हूं । बात है भी शोक लगने की ।" इस बार अागे बढ़कर उसने अपना मुखड़ा बालों पर रख दिया ।





"मगर विनम्र, अच्छा ही हुआ ।। वक्त रहते मामा की असलियत सामने आ गई ऐसे लोगों का भेद जितनी देर से खुलता है, उतना ही ज्यादा नुकसान पहुचा चुकें होते हैं ।"




अब, विनम्र का ध्यान श्वेता के शब्दों पर नहीं, उसकी हरकतों पर था । वे हरकतें उसे वड़ीं विचित्र लग रही थी ।



यह सोचकर तो कुछ ज्यादा बिचित्र कि वे हरकतें श्वेता कर रही थी ।


वह श्वेता जिसने कभी शालीनता की सीमाएं नहीं लाघीं थी ।



"श्वेता । आज हो क्या गया है तुम्हें?" विनम्र ने अपने दोनों हाथ उसके कंधों पर रखे-----“क्यों इतनी लिपटी जा रही ही?”





श्वेता ने अपना चेहरा ऊपर उठाया । उसके चेहरे की तरफ । आंखों में निमन्त्रण भरा । होंठ सैक्सी अंदाज में कंपकंपाए । उनके बीच से वासना में डूबी आवाज निकली ।



"इस रूप मे पहले तुम्हें कभी देखा भी तो नहीं था ।"




" क-किस रूप में?" विनम्र खुद को दुनिया के सबसे ज्यादा 'वोल्टेज' वाले करेंट से धिर गया महसूस कर रहा था ।
"जिस रूप में आज़ हो । बगैर कपडों के ।" सैक्सी आवाज में कहने के साथ श्वेता ने जानबूझकर अपने बगैर 'ब्रा' वाले बक्ष उसके सीने पर टिका दिए------"विनम्र अाज पहली बार जाना-----"तुम्हारा जिस्म इतना ठोस है । पत्थर जैसा । क्या तुम जानते हो----हम लड़कीयां ऐसे ही जिस्म की दिवानी होती है ।"




विनम्र ने 'निप्पल्स' की चुभन सीने में महसूस की तो---------





जहन मे विस्फोट हुआ ।



वहीं विस्फोट जो इन खास हालात में होता था ।


"मार डाल विनम्र । मार डाल इसे!" दिमाग से अज्ञात आवाज़ टकराई।




विनम्र घबरा गया ।



खुद को आवाज के प्रभाव से मुक्त के लिए सिर को जोर से झटका दिया ।




"मुझें अपनी बांहों में भींच जो विनम्र ।" श्वेता अपने उठानों को उसके सीने पर रगड़ रहीं थी ।"




"मुझे तो तुम्हें इस रूप मे देख कर आज पहली बार पता लगा कि मैं कितनी प्यासी हूं ।"




"ये भी वही है । ये भी वही है विनम्र ।' आवाज ने उसके मस्तिष्क में शोर मचा दिया ।



" सारी लड़कियाँ मर्दों को बेवकूफ वनाने वाली होती हैं । यह भी रूबी, बिदू ओर क्रिस्टी की तरह मार डालने लायक है । वाह !! मरने के बाद कितनी खूबसूरत लगी थी । यह भी उतनी ही खूबसूरत लगेगी । उनसे भी ज्यादा । हाथ बढा विनम्र । गर्दन दबा दे । देख । इसकी गर्दन तेरे हाथों के कितने नज़दीक है । मार डाल ।। मार डाल ।। मार डाल इसे !"




"नहीं ।' वह अज्ञात आवाज से लड़ा-'यह वैसी नहीं है । यह श्वेता है । मेरी श्वेता । पाक । साफ । मैं इससे प्यार करता हूं ।"





'प्यारा हू! क्या है तू! बेवकूफ़ है! ये अलग होती तो क्या वही सब कर रही होती जो इस वक्त कर रही है ??




सचमुच श्वेता बिंदू ओर क्रिस्टी की हरकतों से भी अागे निकल गई थी । बोंहे फैलाकर उसने विनम्र को कस लिया ।




विनम्र का जी चाहा----वह भी ऐसा ही करे । श्वेता की अपनी बांहों में भींच ले ।। बाहें अागे बढ़ी भी लेकिन तभी आवाज जेहन की दीवारों से टकराई-----'क्या कर रहा है विनम्र । यही कर दिया तो यह जीत जाएगी । क्या फर्क रह जाएगा तुझमें और तेरे बाप में ???????

उसने भी तो यही किया था जब रूबी उससे लिपटी तो उसने भी उसे बाहों में भरकर खुद से लिपटा लिया था । अंजाम कया हुआ उसका?



रूबी ने तेरे बाप 'बहका' कर कोरे स्टाम्प पेपर पर साईन ले लिए । यही पेशा है सब लड़कियों का ।



ये मर्द को बेवकूफ बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करती हैं । श्वेता भी उन्हीं में से है । ये भी मार डालने लायक है । विनम्र । मार डाल ।। किस्सा खत्म कर दे इसका भी !'




'हरगिज़ नहीं ।' दिमाग ही दिमाग में यह चिल्लाया-' मेरी श्वेता ऐसी नहीं हो सकती ।'




इस प्रकार, विनम्र के मस्तिष्क में जबरदस्त युद्ध छिड़ गया ।



एक तरफ उसे श्वेता की हत्या कर देने के लिए उकसाने वाली आवाज थी ।



दुसरी तरफ उसकी अपनी आवाज । श्वेता से प्यार करने वाली विनम्र की आबाज ।




हत्या के लिए उकसाने वाली आवाज से श्वेता को प्यार करने वाला विनम्र बुरी तरफ भिड़ा पड़ा था ।




दिमाग में जबरदस्त संघर्ष चल रहा था ।




उस संघर्ष से पूरी तरह बेखबर श्वेता यह जांचने पर आमादा थी---------------विनम्र जुनूनी हत्यारा हैं या नहीं?





उसने धीरे से, अपने ब्लाऊज की गांठ खोल ही थी ।




अज्ञात आवाज से संधर्ष करता श्वेता का प्रेमी जीत गया ।



उसने श्वेता के दोनों कंधे पकड़कर वहुत जोर से धक्का दिया ।



उधर , श्वेता ने लडखड़ाकर खुद को बड्री मुश्किल से गिरने से बचाया ।



इधर, विनम्र हलक फाड़कर चीखा था------"ये तुम क्या कर रही हो श्वेता । मुझे यह सब बिल्कुल पसंद नहीं है ।



भाग जाओ यहां..........


और ।




विनम्र बस इतना ही कह पाया ।




मुंह खुला का खुला रह गया था ।



आंखे स्थिर । वे श्वेता के उठानों को देख रही थीं ।



उसके सीने पर आंदोलित से नग्न उठानों को । इस बार, हत्या के लिए उकसाने वाली आवाज़ पुरजोर अंदाज मे चीखी-----'देख ! देख बिनम्र क्या कमी है इसमे और रूबी में । इसमे और बिंदू में ।। इससे और क्रिस्टी में । है कोई कमी? अगर वे मर जाने लायक थी तो श्वेता उस लायक क्यों नहीं है? '




' इधर उसके दिमाग में शोर मच रहा था उधर श्वेता बिनम्र के चेहरे को देख रही थी ।


दहककर आग का गोला बन गया था । आंखें सुलग लग रही थी । बिनम्र दरिंदा नजर अ रहा था । ठीक वैसी ही मुद्रा थी वह जैसी श्वेता ने स्वीमिंग पूल पर देखी थी ।

मारे खौफ के यह कांप उठी ।




चीखने के लिए मुंह खुला ही था कि…



विनम्र बाज की तरह झपटा ।



फौलाद के शिकंजो की तरह उसके हाथ श्वेता की गर्दन पर जम गए ।



हलक से चीख निकालनी चाही तो मुह खुला होने के बावजूद उसी में घुटकर रह गई ।


दम घुटने लगा ।


छटपटा उठी यह ।


जबकि हाथों का कसाव लगातार बड़ाते विनम्र के हलक से भेडिए जेसी गुर्राहट निकली-------'" नंगी होकर दिखाती है मुझे । मुझे बाप समझती है विनम्र का? मैं जानता हूं.....…मरने के बाद तेरे ये उठान और ज्यादा सुन्दर लगेंगे । पत्थर की तरह सख्त हो जाएंगे ये । कठोर ! कठोर और कठोर ! और कठोर , दांत भीचे वह बार - बार यही कहता हाथो का दवाब.....अौर दवाब बढ़ाता चला गया ।




श्वेता गर्म रेत पर पडी़ मछली की मानिन्द फड़फड़ा रही थी ।
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Jemsbond
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

Post by Jemsbond »

जिस्म का सारा खून चेहरे पर इकटृठा होगया था ।


एक-एक नस फूल अाई थी उसकी । आंखे और जीभ बाहर निकलने लगी थी ।

मुंह से निकलने बाली "गू-गूं' की आवाज भी की बंद चुकी थी ।



श्वेता की उस हालत को देखकर दिमाग में उसके प्यार करने बाले विनम्र की आवाज गूंजी------------------ये तू क्या कर रहा है विनम्र? अपने हाथों से अपनी जिन्दगी का गला घोंट रहा है?


ये मर गई तो तूं जिन्दा कैसे रहेगा? क्या करेगा जिन्दा रहकर?


श्वेता जैसी भी है, तेरी है । तूं इससे प्यार करता है । तू इसे नहीं मार सकता ।'





हत्या के लिए उकसाने बाली आवाज ने फिर शोर मचाया ।



"शटअप ।' श्वेता से प्यार करने वाला दिल उस पर चीख पड़ा-----'नहीं मारूगां अपनी श्वेता को । तूमुझ पर इतनी हावी नहीं हो सकती कि मेरे हाथों से मेरी अपनी जिन्दगी को खत्म करा दे । श्वेता मेरी जिन्दगी है । मैं विद्रोह करता हूं । अब नहीं बनूंगा तेरी कठपुतली! ले! नहीं मारता श्वेता को । अपनी श्वेता को मैं मार ही नहीं सकता ।' इस आवाज़ के प्रभाव स्वरूप विनम्र क् हाथ की पकड ढीली पड़ती चली गई जो श्वेता मरने के करीब पहुंच चुकी थी । उसकी सांस लोटने लगी । हत्या के लिए उकसाने वाली आवाज चीख अव भी रही थी मगर प्यार करने वाले विनम्र की आवाज उस पर हावी होती चली गई अंतत: वह जीत गई तभी तो उसके हाथ श्वेता की गर्दन से हट गए । चेहरे से दरिन्दगी खत्म होती चली गई ।। मासूमियत लोटने लगी । उधर, आजाद होने के बाद भी श्वेता को संम्भले, सामान्य होने में काफी टाईम लगा ।
नियंत्रित होते ही सबसे पहले उसने ब्लाऊज के उठान ढके ओर विनम्र की मानसिक अवस्था से पूरी तरह अंजान घृणा से चीख पडी ।

'"त-तुम्हीं हो । मैं समझ गई तुम्हीं वो दरिन्दे हो । तुम्हीं ने बिंदु की हत्या की है । तुम्हीं ने क्रिस्टी को मारा है ।"



"हां । वह मैं ही हूं श्वेता ।" वह श्वेता की तरफ बढा------'' कुसूर मेरा नहीं है । मैंने नहीं मारा है उन्हें । मैं तो मैं तो कठपुतली हूं । हत्यारा तो उनका कोई और ही था आज़ मैंने उसे हरा दिया है ।"




श्वेता अव उसके हाथ नहीं अाना चाहती थी । लगातार पीछे हटती हुई चीखी-----“तुम जुनूनी हो! दरिन्दे हो! वहशी और राक्षस हो! तुम्हें जेल में होना चाहिए । या पागलखाने में ।"




"समझने की कोशिश करो श्वेता । मैं तुमसे प्यार करता हूं ।"



" प-प्यार । और तुम जैसे नरभक्षी से? हत्यारे से? तुमसे कौन लड़की प्यार कर सकती है ?"


" मैने उसे हरा दिया है श्वेता । तुम्हारे प्यार के बूते पर ही, हरा सका हू उसे । अब शायद वह आवाज कभी अपनी कठपुतली नहीं बना सकेगी । अगर कोई कमी रह भी गई तो मां बता चुकी है । मेरा इलाज हो जाएगा । बिल्कुल ठीक हो जाऊंगा मैं । तुम्हारे मेरे , मां और मामा के अलावा कभी कोई नहीं जान सकेगा मेरे हाथो कुछ कत्ल हुए है ।"




"औह ।। छूपाना चाहते हो ।" श्वेता की घृणा पराकाष्ठा पर पहुंच 'गई-----"इतने कत्ल करने के वावजूद जिंदा रहना चाहते हों ?"




"हाँ श्वेता । यह ख्वाहिश केवल तुम्हारे प्यार की खातिर है । उसी की ताकत से मैं खुद को मुक्त करा सका हूं।"




"मगर मैं इतने खतरनाक हत्यारे को खुले समाज में यूं घूमता नहीं रहने दे सकती । अभी जाकर भैया को वताऊ'गी जिस पागल हत्यारे की तुम्हें तलाश है, वह तुम्हीं हो ।" कहने के साथ वह उस दरवाजे की तरफ बढी जिसे यहां आने के बाद खुद अपने हाथो से वंद किया था ।





हाथ बढाकर चटकनी खोली ।
विनम्र चाहता तो श्वेता निकल नहीं सकती थी । वह एक ही जम्प में उसे दबोच सकता था मगर ऐसा किया नहीं उसने । ऐसा करने की जगह वहुत ही मार्मिक अंदाज में गिड़गिडाया----" ऐसा मत करो श्वेता । प्लीज ऐसा मत करो । मेरी अपनी जिन्दगी तो अब शुरू हुई है है अब तक की जिंदगी तो किसी और की कठपुतली बनकर जी थी मैंने । मैं जीना चाहता हूं श्वेता । प्यार करना चाहता हुं तुमसे । तुम्हारा प्यार पाना चाहता हूं । लोट आओ श्वेता ।। तुम नहीँ लोटी तो मैं जी नहीं सकूंगा । तुम्हारे बगैर जीकर करूगा भी क्या? सच कहता हूं ----" अगर तुम यंहा से गई तो गोडास्कर को मैं नहीं, मेरी लाश मिलेगी ।



परन्तु भन्नाई हुई श्वेता पर उसके किसी शब्द का कोई असर नहीं हुआ ।। कमरे से निकलते वक्त उसने 'धाड़' से दरवाजा बंद किया और तेज कदमों के साथ लॉबी पार करती चली गई अभी वह मुख्य द्वार तक पहुंची भी नहीं पाई थी कि ------------






"धांय ।" विनम्र के कमरे से गोली चलने की आवाज अाई ।।।।


पांव जहाँ के तहाँ ठिठककर रह गए ।



विला में हंगामा मच गया था ।। सारे नौकर हड़बड़ाए हुए से विनम्र के कमरे की तरफ़ दौड़ रहे थे ।।


कुंती देवी को भी उसने उधर ही दौडते देखा था ।।



और फिर, उधर से हुदय विदारक रुदन उभरा ।


THE END
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल complete

Post by Kamini »

Dimag ko hila dene vala novel
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