bhai sheela ka pati aa gayashubhs wrote:अब क्या हुआ
चूतो का समुंदर
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
अकरम के घर............
सोते -सोते रात हो गई...पर अकरम नही जगा...तब जूही उसे जगाने गई...और कुछ देर आवाज़ देने के बाद अकरम जाग गया ...
थोड़ी देर बाद अकरम फ्रेश हो कर बाहर आ गया और अपनी माँ-बेहन के साथ बैठ कर डिन्नर करने लगा....
खाना खाने का मन ना तो अकरम का था और ना ही सबनम का...पर फिर भी दोनो खाना खाते रहे..ताकि जूही और ज़िया को कोई शक ना हो....
अकरम और सबनम ने पूरे डिन्नर के दौरान एक बार भी एक-दूसरे को नही देखा...दोनो ही संकोच मे थे....
अकरम को ये लग रहा था कि क्या उसने अपनी माँ के साथ ऐसे बात कर के सही किया.....आज मोम को वो सच बोलने पर मजबूर किया जो उन्होने इतने सालो से छिपाया हुआ था....क्या ये सही किया मैने....वो भी ये जाने बिना की उन्होने आख़िर ऐसा क्यो किया ...क्यो..????
और दूसरी तरफ सबनम ये सोच रही थी कि असलियत जानने के बाद अकरम क्या सोचेगा, क्या करेगा....कितने ही सवाल उसके माइंड मे जाग गये होंगे....कैसे समझाउन्गी उसे.....
अकरम ने सबसे पहले डिन्नर ख़त्म किया और बिना किसी से बोले अपने रूम मे घुस गया......
सबनम उसका रबैईया देख कर थोड़ी सी घबरा गई....
सबनम(मन मे)- अकरम से बात करनी ही होगी...नही तो मेरा बच्चे का टेन्षन मे पता नही क्या हाल हो जायगा.....
फिर सबके रूम मे जाने के बाद सबनम चुपके से अकरम के रूम मे गई और रूम अंदर से लॉक कर दिया....
अकरम ने अपनी मोम को रूम मे खड़ा देखा तो चौंक गया...असल मे वो भी सबनम के रूम मे जाने की सोच रहा था ....पर सबनम खुद ही आ गई....
सबनम(अकरम के पास बेड पर बैठ कर)- बेटा...तुम ठीक हो ना....
अकरम- मोम....हाँ मोम...आइ एम फाइन.....
सबनम- मैं जानती हूँ बेटा...जो सच तुझे आज पता चला...वो तुम्हारे लिए कितना दर्दनाक है....और सही भी है...ऐसा सच वाकई मे किसी को भी परेशान कर सकता है....
अकरम- मोम...मैं ...मैं नही जानता कि आपने आज तक ये सच हमसे क्यो छिपाया....पर हाँ...अगर ये आप से पता चलता तो दर्द थोड़ा कम होता...पर....
इतना बोल कर अकरम चुप हो गया और दूसरी तरफ देख कर अपनी आँखो मे उभर आए आँसू छिपाने लगा.....
सबनम- बेटा...अपने आप को दर्द मत दो...मेरी बात सुनो...शायद पूरी बात सुन कर तुम्हारा दर्द कम हो जाए....
अकरम- मोम...मुझे भी पूरी बात जाननी है...पर सिर्फ़ आपके सच छिपाने की बात नही..बल्कि मुझे बहुत कुछ जानना है आपसे....
सबनम(चौंक कर)- क्या...और क्या बेटा....
अकरम ने उठ कर अपनी सेल्फ़ से कुछ फोटोस निकाली और बेड पर रख दी...जिसे देख कर सबनम एक बार फिर से हिल गई...
सबनम- बेटाअ...ये सब...कहाँ से...कैसे ...
अकरम- मोम...मैं आपको सब बताउन्गा...सब कुछ...पर पहले आप बताइए...ये सब कौन है...और इनका क्या रिश्ता है आपसे...मुझसे....डॅड से, आइ मीन वसीम ख़ान से...
सबनम अभी भी अपने सामने पड़ी हुई फोटोस को देख कर शॉक्ड मे थी...अकरम अपनी मोम के करीब आया और उसे कंधे पकड़ कर हिला दिया...
सबनम- ह..हा...
अकरम- प्ल्ज़ मोम..बताइए मुझे...ये सब कौन है...प्ल्ज़ मोम...
सबनम(अपने चेहरे को पोछ कर)- हुह...बेटा...ये सब...ये सब तेरे अपने है...तेरे परिवार वाले और ननिहाल वाले ....
अकरम- क्या...मोम...प्ल्ज़ सब सॉफ-सॉफ बताइए...मुझे पूरी बात जाननी है....ये सब कौन है...कहाँ है...और मेरे डॅड..उनके साथ क्या हुआ...और आपने वसीम ख़ान से शादी क्यो की...प्ल्ज़ मोम...मुझे सब कुछ बताइए...प्लज़्ज़्ज़्ज़...
सबनम ने अकरम के परेशान चेहरे को हाथ मे लिया और फिर सिर सहला कर उसे बोला...
सबनम- बैठो बेटा...मैं सब बताती हूँ...सुरू से.....
-----------------------------------------------------------------------
फ्लेश बेक.....................
जावेद ख़ान एक बहुत ही इज़्ज़तदार इंसान थे....दौलत, सोहरत सब था उनके पास.....सहर मे उनका बहुत रुतवा था.....
उनकी बीवी परवीन भी एक बहुत ही अच्छी औरत थी....सुलझी हुई...और अपने सोहर को भगवान मानने वाली औरत...
दोनो ही मिया-बीवी बहुत ही ख़ुसनसीब थे पर कहते है ना कि...हर किसी को मुकम्मल जहाँ नही मिलता, किसी को ज़मीन तो किसी को आसमान नही मिलता....ऐसा ही कुछ जावेद और परवीन के साथ था....
असल मे जावेद ख़ान को कोई औलाद नही थी...दिनो मियाँ-बीवी ने काफ़ी कोसिस की पर उन्हे औलाद नसीब नही हुई....
पर एक दिन उनके रिलेटिव अली ख़ान ने अपने बड़े बेटे को सहर मे जावेद के पास रख दिया...पढ़ने के लिए...जिसका नाम था सरफ़राज़....
सरफ़राज़ ने जल्दी ही जावेद और परवीन का दिल जीत लिया...और कुछ सालो बाद जावेद ने अली से कह कर सरफ़राज़ को गोद ले लिया....
अनवर ख़ान , जावेद के बड़े भाई का बेटा था....लेकिन एक आक्सिडेंट मे जावेद के भाई और भाभी की मौत हो गई और अनवर अनाथ हो गया ...तो जावेद ने उसे भी गोद ले लिया....
अनवर , सरफ़राज़ से बड़ा था...इसलिए जावेद ने अनवर को अपना बड़ा बेटा और सरफ़राज़ को अपना छोटा बेटा बना लिया...
अनवर भी बढ़ा ही सीधा लड़का था...वो जावेद और परवीन को अपने सगे माँ-बाप से ज़्यादा इज़्ज़त देता था और सरफ़राज़ को भी छोटे भाई की तरह प्यार करता था....और सरफ़राज़ भी अनवर को बड़ा भाई मानता था.....
पूरा परिवार खुशी-खुशी जीवन जी रहा था....
अनवर के साथ स्कूल मे एक लड़की पढ़ती थी....सबनम ख़ान...जो अनवर की दोस्त थी और उसको बहुत पसंद थी...
बड़े होते -होते दोनो की दोस्ती प्यार मे तब्दील हो गई और दोनो ने शादी करने का फ़ैसला किया....
सबनम के डॅड परवेज़ ख़ान भी एक खानदानी रहीस थे...उनकी बीवी गुलनार थी...और उनकी सिर्फ़ 2 बेटियाँ थी...सबनम और सादिया....
जब परवेज़ ख़ान के सामने सबमम और अनवर के रिश्ते की बात आई तो उन्होने खुशी-ख़ुसी इस शादी के लिया रज़ामंदी दे दी ...
सबनम की शादी अनवर से हो गई...और कुछ सालों मे सबनम की 3 औलादे भी हो गई...
सबनम की बेहन की शादी भी सकील ख़ान से हो गई....वो भी एक पैसेवाला बंदा था...दुबई मे बिज़्नेस करता था....और साल मे 2-3 बार ही घर आता था.....पर सादिया फिर भी खुश थी....
कुल मिला कर दोनो परिवारों के सब लोग खुशी से अपनी जिंदगी जी रहे थे...
पर एक दिन अचानक एक ऐसा झटका लगा...जिसने सबको हिला दिया...
उस दिन अन्वर ख़ान किसी बिज़्नेस मीटिंग के लिए घर से निकला तो लौट कर नही आया...सिर्फ़ उसके हॉस्पिटल मे होने की खबर आई...उसका आक्सिडेंट हो गया था....
जब सब लोग हॉस्पिटल पहुँचे तो अनवर ने सबनम का हाथ थाम कर उसे एक वादा याद दिलाया और दम तोड़ दिया....
अनवर की मौत के बाद सबनम से सबको उस वादे के बारे मे पता चला.....जो ये था कि अनवर की मौत के बाद सबनम दूसरी शादी कर ले...
पर सबनम तैयार नही थी...फिर भी अनवर की आख़िरी ख्वाहिस पूरी करने के लिए सबनम ने हाँ कर दी...
अब सवाल ये थे कि सबनम की शादी किससे की जाए..जिस से सबनम और अनवर के बच्चो के साथ बुरा सलूक ना हो....
तभी सरफ़राज़ आगे आया और अपने भाई के बच्चो के फ्यूचर के लिए सबनम का हाथ थाम लिया....
सोते -सोते रात हो गई...पर अकरम नही जगा...तब जूही उसे जगाने गई...और कुछ देर आवाज़ देने के बाद अकरम जाग गया ...
थोड़ी देर बाद अकरम फ्रेश हो कर बाहर आ गया और अपनी माँ-बेहन के साथ बैठ कर डिन्नर करने लगा....
खाना खाने का मन ना तो अकरम का था और ना ही सबनम का...पर फिर भी दोनो खाना खाते रहे..ताकि जूही और ज़िया को कोई शक ना हो....
अकरम और सबनम ने पूरे डिन्नर के दौरान एक बार भी एक-दूसरे को नही देखा...दोनो ही संकोच मे थे....
अकरम को ये लग रहा था कि क्या उसने अपनी माँ के साथ ऐसे बात कर के सही किया.....आज मोम को वो सच बोलने पर मजबूर किया जो उन्होने इतने सालो से छिपाया हुआ था....क्या ये सही किया मैने....वो भी ये जाने बिना की उन्होने आख़िर ऐसा क्यो किया ...क्यो..????
और दूसरी तरफ सबनम ये सोच रही थी कि असलियत जानने के बाद अकरम क्या सोचेगा, क्या करेगा....कितने ही सवाल उसके माइंड मे जाग गये होंगे....कैसे समझाउन्गी उसे.....
अकरम ने सबसे पहले डिन्नर ख़त्म किया और बिना किसी से बोले अपने रूम मे घुस गया......
सबनम उसका रबैईया देख कर थोड़ी सी घबरा गई....
सबनम(मन मे)- अकरम से बात करनी ही होगी...नही तो मेरा बच्चे का टेन्षन मे पता नही क्या हाल हो जायगा.....
फिर सबके रूम मे जाने के बाद सबनम चुपके से अकरम के रूम मे गई और रूम अंदर से लॉक कर दिया....
अकरम ने अपनी मोम को रूम मे खड़ा देखा तो चौंक गया...असल मे वो भी सबनम के रूम मे जाने की सोच रहा था ....पर सबनम खुद ही आ गई....
सबनम(अकरम के पास बेड पर बैठ कर)- बेटा...तुम ठीक हो ना....
अकरम- मोम....हाँ मोम...आइ एम फाइन.....
सबनम- मैं जानती हूँ बेटा...जो सच तुझे आज पता चला...वो तुम्हारे लिए कितना दर्दनाक है....और सही भी है...ऐसा सच वाकई मे किसी को भी परेशान कर सकता है....
अकरम- मोम...मैं ...मैं नही जानता कि आपने आज तक ये सच हमसे क्यो छिपाया....पर हाँ...अगर ये आप से पता चलता तो दर्द थोड़ा कम होता...पर....
इतना बोल कर अकरम चुप हो गया और दूसरी तरफ देख कर अपनी आँखो मे उभर आए आँसू छिपाने लगा.....
सबनम- बेटा...अपने आप को दर्द मत दो...मेरी बात सुनो...शायद पूरी बात सुन कर तुम्हारा दर्द कम हो जाए....
अकरम- मोम...मुझे भी पूरी बात जाननी है...पर सिर्फ़ आपके सच छिपाने की बात नही..बल्कि मुझे बहुत कुछ जानना है आपसे....
सबनम(चौंक कर)- क्या...और क्या बेटा....
अकरम ने उठ कर अपनी सेल्फ़ से कुछ फोटोस निकाली और बेड पर रख दी...जिसे देख कर सबनम एक बार फिर से हिल गई...
सबनम- बेटाअ...ये सब...कहाँ से...कैसे ...
अकरम- मोम...मैं आपको सब बताउन्गा...सब कुछ...पर पहले आप बताइए...ये सब कौन है...और इनका क्या रिश्ता है आपसे...मुझसे....डॅड से, आइ मीन वसीम ख़ान से...
सबनम अभी भी अपने सामने पड़ी हुई फोटोस को देख कर शॉक्ड मे थी...अकरम अपनी मोम के करीब आया और उसे कंधे पकड़ कर हिला दिया...
सबनम- ह..हा...
अकरम- प्ल्ज़ मोम..बताइए मुझे...ये सब कौन है...प्ल्ज़ मोम...
सबनम(अपने चेहरे को पोछ कर)- हुह...बेटा...ये सब...ये सब तेरे अपने है...तेरे परिवार वाले और ननिहाल वाले ....
अकरम- क्या...मोम...प्ल्ज़ सब सॉफ-सॉफ बताइए...मुझे पूरी बात जाननी है....ये सब कौन है...कहाँ है...और मेरे डॅड..उनके साथ क्या हुआ...और आपने वसीम ख़ान से शादी क्यो की...प्ल्ज़ मोम...मुझे सब कुछ बताइए...प्लज़्ज़्ज़्ज़...
सबनम ने अकरम के परेशान चेहरे को हाथ मे लिया और फिर सिर सहला कर उसे बोला...
सबनम- बैठो बेटा...मैं सब बताती हूँ...सुरू से.....
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फ्लेश बेक.....................
जावेद ख़ान एक बहुत ही इज़्ज़तदार इंसान थे....दौलत, सोहरत सब था उनके पास.....सहर मे उनका बहुत रुतवा था.....
उनकी बीवी परवीन भी एक बहुत ही अच्छी औरत थी....सुलझी हुई...और अपने सोहर को भगवान मानने वाली औरत...
दोनो ही मिया-बीवी बहुत ही ख़ुसनसीब थे पर कहते है ना कि...हर किसी को मुकम्मल जहाँ नही मिलता, किसी को ज़मीन तो किसी को आसमान नही मिलता....ऐसा ही कुछ जावेद और परवीन के साथ था....
असल मे जावेद ख़ान को कोई औलाद नही थी...दिनो मियाँ-बीवी ने काफ़ी कोसिस की पर उन्हे औलाद नसीब नही हुई....
पर एक दिन उनके रिलेटिव अली ख़ान ने अपने बड़े बेटे को सहर मे जावेद के पास रख दिया...पढ़ने के लिए...जिसका नाम था सरफ़राज़....
सरफ़राज़ ने जल्दी ही जावेद और परवीन का दिल जीत लिया...और कुछ सालो बाद जावेद ने अली से कह कर सरफ़राज़ को गोद ले लिया....
अनवर ख़ान , जावेद के बड़े भाई का बेटा था....लेकिन एक आक्सिडेंट मे जावेद के भाई और भाभी की मौत हो गई और अनवर अनाथ हो गया ...तो जावेद ने उसे भी गोद ले लिया....
अनवर , सरफ़राज़ से बड़ा था...इसलिए जावेद ने अनवर को अपना बड़ा बेटा और सरफ़राज़ को अपना छोटा बेटा बना लिया...
अनवर भी बढ़ा ही सीधा लड़का था...वो जावेद और परवीन को अपने सगे माँ-बाप से ज़्यादा इज़्ज़त देता था और सरफ़राज़ को भी छोटे भाई की तरह प्यार करता था....और सरफ़राज़ भी अनवर को बड़ा भाई मानता था.....
पूरा परिवार खुशी-खुशी जीवन जी रहा था....
अनवर के साथ स्कूल मे एक लड़की पढ़ती थी....सबनम ख़ान...जो अनवर की दोस्त थी और उसको बहुत पसंद थी...
बड़े होते -होते दोनो की दोस्ती प्यार मे तब्दील हो गई और दोनो ने शादी करने का फ़ैसला किया....
सबनम के डॅड परवेज़ ख़ान भी एक खानदानी रहीस थे...उनकी बीवी गुलनार थी...और उनकी सिर्फ़ 2 बेटियाँ थी...सबनम और सादिया....
जब परवेज़ ख़ान के सामने सबमम और अनवर के रिश्ते की बात आई तो उन्होने खुशी-ख़ुसी इस शादी के लिया रज़ामंदी दे दी ...
सबनम की शादी अनवर से हो गई...और कुछ सालों मे सबनम की 3 औलादे भी हो गई...
सबनम की बेहन की शादी भी सकील ख़ान से हो गई....वो भी एक पैसेवाला बंदा था...दुबई मे बिज़्नेस करता था....और साल मे 2-3 बार ही घर आता था.....पर सादिया फिर भी खुश थी....
कुल मिला कर दोनो परिवारों के सब लोग खुशी से अपनी जिंदगी जी रहे थे...
पर एक दिन अचानक एक ऐसा झटका लगा...जिसने सबको हिला दिया...
उस दिन अन्वर ख़ान किसी बिज़्नेस मीटिंग के लिए घर से निकला तो लौट कर नही आया...सिर्फ़ उसके हॉस्पिटल मे होने की खबर आई...उसका आक्सिडेंट हो गया था....
जब सब लोग हॉस्पिटल पहुँचे तो अनवर ने सबनम का हाथ थाम कर उसे एक वादा याद दिलाया और दम तोड़ दिया....
अनवर की मौत के बाद सबनम से सबको उस वादे के बारे मे पता चला.....जो ये था कि अनवर की मौत के बाद सबनम दूसरी शादी कर ले...
पर सबनम तैयार नही थी...फिर भी अनवर की आख़िरी ख्वाहिस पूरी करने के लिए सबनम ने हाँ कर दी...
अब सवाल ये थे कि सबनम की शादी किससे की जाए..जिस से सबनम और अनवर के बच्चो के साथ बुरा सलूक ना हो....
तभी सरफ़राज़ आगे आया और अपने भाई के बच्चो के फ्यूचर के लिए सबनम का हाथ थाम लिया....
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
सबनम की शादी तो हो गई पर 2 महीने तक सरफ़राज़ और सबनम ने एक-दूसरे को टच भी नही किया.....
पर उसके बाद हालात नॉर्मल होने लगे और सबनम सरफ़राज़ के साथ नई जिंदगी सुरू करने लगी...
पर एक तरफ हालात ठीक हुए ही थे कि तभी एक दिन दोनो परिवारों को एक और बड़ा झटका लगा....
एक दिन जावेद, परवीन, परवेज़, गुलनार और सकील कार से किसी के घर शादी मे गये हुए थे....
वहाँ से वापिस आते वक़्त कुछ लुटेरों ने उन्हे लूटने की कोसिस की....उन्होने जब विरोध किया तो लुटेरे सबको मार कर भाग गये....
एक साथ 5 मौतें...और वो भी सहर के नामी परिवारों से....इस खबर से पूरा सहर दहल उठा...बहुत खोज-बीन हुई...पर कुछ हाथ नही लगा....
इन मौतों ने एक बार फिर से सबनम, सफ़राज़ और सादिया को हिला कर रख दिया....उनकी जिंदगी जैसे रुक सी गई थी...
फिर सरफ़राज़ ने सबनम और सादिया को संभाला और उस सहर मे दोनो परिवारों की सारी प्रॉपर्टी बेच कर इस सहर मे आ गये....ताकि जिंदगी नये सिरे से सुरू कर सके.....
प्रेज़ेंट मे...............
पूरी बात बोलते-बोलते सबनम की आँखो से आँसू बहने लगे थे...और अकरम की आँखे भी नम हो गई थी....
सबनम(आसू पोछ कर)-आहह...तो ये था पूरा सच....इसके आगे का तो तुम जानते ही हो....
अकरम(नम आँखो से)- मोम...
अकरम सिर्फ़ इतना ही बोल पाता है और सबनम को कस के गले लगा कर रो पड़ता है....
सबनम भी अपने बेटे से लिपट कर अपने आप को रोक नही पाती और दोनो रोने लगते है...
थोड़ी देर बाद जब दोनो के दिल का दर्द कुछ कम हुआ तो अकरम अपनी मोम से अलग होता है और उसके आँसू पोछ देता है....
अकरम- मोम...नही...आप रोओ मत....मैं जान चुका हूँ कि आपने कुछ ग़लत नही किया...आपने जो भी फैशला लिया वो आपका नही बल्कि मेरे डॅड का था...प्ल्ज़ मों...चुप हो जाइए....
सबनम- नही बेटा...आज मुझे रो लेने दे...कब्से अंदर ही अंदर घुट रही थी...यही सोच कर कि मेरे बच्चो को सच कैसे बताऊ....
अकरम- बस कीजिए मों..चुप हो जाइए प्ल्ज़...
थोड़ी देर तक अकरम ने अपनी मोम को चुप करवाया और फिर दोनो फ्रेश हो कर बातें कर ने लगे....
सबनम- बेटा...अब मुझे ये तो बता कि तुझे ये सारी फोटोस कहाँ से मिली....
अकरम- वो...वो मोम...ये तो वसीम ख़ान के कवर्ड से मिली...
सबनम- बेटा...उनका नाम मत लो....अब वो तुम्हारे डॅड है...समझे...
अकरम- ओके मोम...डॅड बोलूँगा...पर एक बात और बताइए....
सबनम- हाँ बोलो...
अकरम- अगर डॅड का नाम ..आइ मीन दूसरे डॅड का नाम सरफ़राज़ था..तो ये वसीम ख़ान....
सबनम- ह्म्म...मुझे पता था तू ये ज़रूर पूछेगा....असल मे बेटा...इस सहर मे आने के बाद हमने न्यू लाइफ सुरू की...इसी के चलते सरफ़राज़ ने अपना नाम वसीम रख लिया...क्योकि उनका कहना था कि सरफ़राज़ नाम सुनते ही उनके जख्म हरे हो जाते है....इसलिए यहाँ उन्हे सब वसीम ख़ान के नाम से जानने लगे....
अकरम- ओह...तो ये बात है....अच्छा मोम...एक बात और बताओगी...
सबनम- जो भी पूछना है बेझिझक पूछ बेटा....
अकरम- क्या आप वसीम ख़ान की रियल फॅमिली के बारे मे कुछ जानती है...कुछ भी..आइ मीन...वो कहाँ है...कैसे है...
सबनम- हाँ...उनकी रियल फॅमिली के बारे मे बताया तो था....वो किसी गाँव मे रहते थे...और शायद किसी हादसे मे उनकी मौत हो गई यही...
अकरम- ओह्ह...ओके मोम....अब आप सो जाइए...
सबनम- बेटा....और भी कुछ पूछना हो तो ज़रूर पूछना...मैं सारे सवालो के जवाब दुगी....
अकरम- ह्म्म...कोई सवाल होगा तो ज़रूर पूछुगा मोम...अभी आप सो जाइए....
सबनम- ह्म्म..तो चल..तू भी सो जा..मैं आज अपने बेटे को खुद सुलाउन्गी...
फिर सबनम ने अकरम अपने साथ लिटा लिया और उसका सिर सहलाते हुए नीद की आगोश मे चली गई....अकरम अभी भी जाग रहा था.....
अकरम(मन मे)- मोम...अभी तो मुझे कई सवालो के जवाब चाहिए आपसे....पर अभी आप रेस्ट करो....बाकी सवाल सुबह पूछुगा.....
और अकरम अपनी मों की बताई गई बातों के बारे मे सोचता हुआ सो गया........
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
बिल्कुल आराम से
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
शीला के घर पर.........
डोर बेल बजते ही मैं और शीला चौंक गये....शीला तो घबरा ही गई थी....उसने जल्दी से अपनी नाइटी पहनी और मेरे साथ बाहर हॉल मे आ गई....
शीला- क्क़..कौन है....
वर्मा- मैं और कौन...खोल जल्दी..
शीला(मुझसे , धीरे से)- ओह माइ गॉड...मेरा पति आ गया...अब क्या होगा...
मैं- अरे...रिलॅक्स..कुछ नही होगा.... एक काम करो..गेट तब खोलना जब मैं छिप जाउ...और तेरे पति को अंदर आते ही बेडरूम मे ले जाना...तब तक मैं निकल जाउन्गा...ओके....
शीला- ऊ..ओके...
वर्मा- क्या हुआ...खोल ना...किसके साथ बिज़ी है...हाँ...
मैं- तुम गेट खोलो...मैं छिपता हूँ...
फिर मैं छिप गया और शीला ने गेट खोल दिया....
गेट खोलते ही वर्मा नशे मे लड़खड़ाता अंदर आया...उसे ड्राइवर पकड़े हुए था....
वर्मा- किसके साथ सो रही थी ...हाँ...
शीला- किसी के साथ नही...चलिए अंदर...कितनी पी रखी है...चलिए...
फिर शीला ने ड्राइवर को जाने को कहा और अपने पति को सहारा दे कर बेडरूम मे ले गई...
मैं भी मौका मिलते ही वहाँ से निकला और कार ले कर घर आ गया ....
मैं(मन मे)- बहन्चोद वर्मा...साले अभी ही आना था....भोसड़ी के कुछ देर बाद आता तो क्या बिगड़ जाता...
साला चूत मुँह ताल आ कर भी मुँह ना लगी....हॅट भैन्चोद....
मैं वर्मा को गालियाँ देते हुए घर पहुँच गया...
मैने सोचा कि किसी को डिस्टर्ब ना करू...इसलिए ड्यूप्लिकेट की (जो मेरे पास रहती थी) से गेट खोला और आराम से अंदर आ गया....
पर हॉल मे आते ही मुझे सुजाता के रूम की लाइट ऑन दिखी...
मैं(मन मे)- देखु तो...साली रंडी रूम मे कर क्या रही है...
मैं चुपके से गेट के पास गया और झुक कर कीहोल से देखने लगा...
सामने सुजाता लेटी हुई किसी से बातें कर रही थी...मैने कान लगा कर सुनना सुरू ही किया कि पहली लाइन सुन कर मेरा माथा ठनक गया......
सुजाता- बस भैया....कुछ दिन और...फिर आकाश भी ख़त्म और आज़ाद भी....दोनो मेरी मुट्ठी मे है....
सामने- $$$$$$$$$$$$$
सुजाता- हाँ भैया...ऐसा ही होगा....नही तो मैं भी सम्राट सिंग की बेटी नही.....
मैं- सुजाता...सम्राट सिंग की बेटी.....अब ये क्या चक्कर है.....??????
सुजाता की बात सुन कर तो मेरा दिमाग़ ही सुन्न पड़ गया.....
अब तक तो मैं ये सोच रहा था कि सुजाता सिर्फ़ दौलत के लिए हमारे पीछे पड़ी हुई है....पर यहा तो बात ही कुछ और है....
सुजाता तो सम्राट सिंग की बेटी है....मतलब सॉफ है...यहाँ कोई बड़ी गड़बड़ है....
क्योकि हो ना हो...सम्राट सिंग की दुश्मनी तो पैसो के लिए हो नही सकती....उसका तो खुद का महल है और साथ मे उसका शानदार घर....और फिर उसके गाँव मे उसका दव्दबा भी बहुत है...मतलब वो है तो रहीस इंसान....
तो अगर सम्राट हमारे पैसे के पीछे नही तो वजह क्या होगी....क्यो उसकी बेटी हमारे घर मे शादी कर के आई....क्या वजह हो सकती है....
मैं अपने माइंड मे सोचते-सोचते सुजाता के रूम से दूर आ कर सोफे पर बैठ गया था.....
एक मिनिट...क्या मेरे घरवालो को ये पता है कि उनके घर की बहू सम्राट की बेटी है....पहले ये बात पता करनी होगी....
मैने तुरंत फ़ोन निकाला और अपने आदमी से बात की....
( कॉल पर )
मैं- हेलो...आप कहाँ हो...
स- अभी तो घर पर हूँ...बोलो क्या हुआ...कुछ काम था....
मैं- घर पर हो...ओह...नही -नही..कोई काम नही था...बस मैने सोचा कि आप सीक्रेट हाउस पर होंगे....
स- सीक्रेट हाउस पर कुछ काम था क्या...
मैं- ह्म....नही ...कोई खास काम नही...कल सुबह मिलते है...फिर बात करेंगे...ओके...गुड'नाइट....
स- ओके...गुड'नाइट
जैसे ही मैने कॉल कट किया वैसे ही सुजाता के रूम का गेट खुल गया...और मैं उसके देखने के पहले उठ कर आगे जाने लगा....
सुजाता- अरे..अंकित बेटा...क्या कर रहे हो....सोए नही अभी तक....
मैं- नही आंटी...आक्च्युयली मैं संजू के घर गया था...बस अभी आया हूँ...
सुजाता- अभी आए...पर मुझे तो कोई आवाज़ नही आई...मतलब गेट किसने खोला....
मैं- किसी ने नही..मतलब मेरे पास एक की रहती है...तो बिना किसी को डिस्टर्ब किए आ गया....
सुजाता(मन मे)- थॅंक गॉड....आगे से ध्यान रखना होगा....कभी कुछ गड़बड़ भी हो सकती है...
मैं- वैसे आंटी आप क्यो जाग रही है अब तक...
सुजाता- म्म्मग..मैं...मैं तो बस...पता नही...मुझे नीद नही आ रही....
मैं- ओह..क्यो...कोई प्राब्लम...
सुजाता(मन मे)- यही सही मौका है...रात का वक़्त किसी को हुश्न के जाल मे फसाना आसान होता है...
मैं- क्या हुआ आंटी...कोई प्राब्लम है तो बोलो...
सुजाता- हाँ बेटा...प्राब्लम तो है...
मैं- बोलिए क्या प्राब्लम है...मैं सॉल्व करता हूँ...
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज दिन मे मैने एक फिल्म देखी....मतलब उसका 1 सीन...
मैं- हाँ तो...सीन से क्या....
सुजाता- अरे बेटा...उस सीन को देखने के बाद ही से तो हालत खराब है मेरी...
मैं- ओह्ह...ऐसा क्या देख लिया ...मुझे बताइए...शायद मैं कुछ कर सकूँ....
सुजाता- हाँ बेटा....कर तो तू ही सकता है....और कोई नही...
मैं(मन मे)- ओह...शायद यही है जो कॅबिन मे स्मिता की चुदाई देख रही थी...देखता हूँ कि क्या बकती है....
सुजाता- क्यो बेटा करोगे ना...
मैं- मतलब...ऐसा क्या देख लिया आपने...बताओ तो सही...फिर मुझसे जो बन पड़ेगा वो करूगा....
सुजाता-ह्म्म...आओ रूम मे चल कर बात करते है....
मैं- रूम मे...हाँ क्यो नही...चलिए...पर मेरे रूम मे चलते है...
सुजाता - ह्म्म..चलो...
और फिर मैं सुजाता को साथ ले कर अपने रूम मे आ गया....
रूम मे आते ही हम बेड पर बैठ गये ....सुजाता आज फिर मुझसे चिपक कर बैठी थी....उसकी गान्ड मेरे जिश्म को छु कर हलचल मचा रही थी...
मैं- हाँ तो आंटी...अब बोलिए...क्या देखा आपने जिसने आपकी नीद उड़ा दी...
सुजाता(मुस्कुरा कर)- आज मैने वो जाना...जिससे अंजान थी...असल मे ऐसा सोचा नही था कि ये इतना जानदार होगा...
मैं- क्या...मैं कुछ समझा नही...आप किस बारे मे बोल रही है...ज़रा खुल कर बताइए....
सुजाता- ह्म्म...बेटा ...वो आज ऑफीस मे...वो ऑफीस मे....
मैं- आप हिचकिचाईए मत...खुल कर बोलिए ....तभी तो मैं कुछ कर पाउन्गा....
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज मैने तुम्हारे कॅबिन मे कुछ.....मैं वो..तुझसे मिलने आ रही थी कि...
सुजाता फिर खामोश हो गई ...मुझे बात समझ आ चुकी थी...पर मैं उसके मुँह से सब निकलवाना चाहता था....
मैं- मेरे कॅबिन मे क्या...और आप मुझसे मिलने कब आई...मुझे तो याद नही...
सुजाता- आई थी...पर अंदर आती उसके पहले ही कुछ देख कर वापिस चली गई...
मैं- वापिस क्यो....और क्या देख कर वापिस चली गई ...खुल कर बताइए ना....
सुजाता- कैसे कहूँ...वो तुम उस औरत से बात कर रहे थे ना...तो मैं ...
मैं(बीच मे)- ओह्ह...तो आप तब आई थी...असल मे वो औरत मेरी फ्रेंड है...एक काम से आई थी....
सुजाता(आँखे मटका कर)- हाँ...मैने देखा था...अच्छा काम किया उसका...
मैं(डरने का नाटक कर के)- क्क़..क्या मतलब...आपने क्या देखा....
सुजाता(मन मे)- ये तो घबरा रहा है...चलो...अब इसे डरा कर ही काम निकलवाती हूँ...
मैं- बोलिए आंटी..आपने क्या देखा....
सुजाता(कमीनी मुस्कान दे कर)- अब जो भी देखा ....वो तुम्हारे डॅड को बता दूगी...ओके...
मैं- ड्ड..डॅड को...पर देखा क्या...बोलिए तो...
सुजाता- अब भी नही समझे...अरे बच्चू...मैने सब देख लिया कि तू कौन सा काम कर रहा था उस औरत के साथ...मैं सब तेरे डॅड को बताउन्गी...
मैं(सिर झुका कर)- ओह नो...मतलब आपने सब देख लिया...
सुजाता- ह्म्म..और अब एक-एक बात तेरे डॅड को बोलुगी...
मैं(सुजाता के हाथ पकड़ कर)- नही आंटी...प्ल्ज़...डॅड से कुछ मत कहना...वो..वो मुझे मार डालेगे ..प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता(हाथ झटक कर)- छोड़ मुझे ...और सुन..मैं तेरे डॅड को सब बता दूगी...कि तू कैसे काम करता है...हुह...
मैं- आंटी प्ल्ज़...ऐसा मत करना...मैं बर्बाद हो जाउन्गा...प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता- अच्छा...चल नही बताती...पर तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी...
मैं- आप जो बोलो आंटी...पर प्ल्ज़ ...डॅड को नही बताना...प्ल्ज़ ..
सुजाता(मन मे)- अब आया ना काबू मे...अब देख मैं क्या करती हूँ...अपने जिश्म की भूख भी मिटाउंगी और तुझे अपनी उंगलियों पर भी नचाउन्गी...
मैं- बोलो ना आंटी...क्या सोचने लगी..आप डॅड को नही बोलेगी ना...
सुजाता- ह्म्म..नही बोलुगी...पर तुझे मेरा कहा मानना पड़ेगा...
मैं- हाँ आंटी...मैने बोला ना कि मैं हर बात मानूँगा....आप बस हुकुम करो....
सुजाता- अच्छा...तो चल..रूम का गेट लॉक करके आ...फिर बताती हूँ...
मैं किसी नौकर की तरह उसकी आग्या का पालन करने लगा.....
डोर बेल बजते ही मैं और शीला चौंक गये....शीला तो घबरा ही गई थी....उसने जल्दी से अपनी नाइटी पहनी और मेरे साथ बाहर हॉल मे आ गई....
शीला- क्क़..कौन है....
वर्मा- मैं और कौन...खोल जल्दी..
शीला(मुझसे , धीरे से)- ओह माइ गॉड...मेरा पति आ गया...अब क्या होगा...
मैं- अरे...रिलॅक्स..कुछ नही होगा.... एक काम करो..गेट तब खोलना जब मैं छिप जाउ...और तेरे पति को अंदर आते ही बेडरूम मे ले जाना...तब तक मैं निकल जाउन्गा...ओके....
शीला- ऊ..ओके...
वर्मा- क्या हुआ...खोल ना...किसके साथ बिज़ी है...हाँ...
मैं- तुम गेट खोलो...मैं छिपता हूँ...
फिर मैं छिप गया और शीला ने गेट खोल दिया....
गेट खोलते ही वर्मा नशे मे लड़खड़ाता अंदर आया...उसे ड्राइवर पकड़े हुए था....
वर्मा- किसके साथ सो रही थी ...हाँ...
शीला- किसी के साथ नही...चलिए अंदर...कितनी पी रखी है...चलिए...
फिर शीला ने ड्राइवर को जाने को कहा और अपने पति को सहारा दे कर बेडरूम मे ले गई...
मैं भी मौका मिलते ही वहाँ से निकला और कार ले कर घर आ गया ....
मैं(मन मे)- बहन्चोद वर्मा...साले अभी ही आना था....भोसड़ी के कुछ देर बाद आता तो क्या बिगड़ जाता...
साला चूत मुँह ताल आ कर भी मुँह ना लगी....हॅट भैन्चोद....
मैं वर्मा को गालियाँ देते हुए घर पहुँच गया...
मैने सोचा कि किसी को डिस्टर्ब ना करू...इसलिए ड्यूप्लिकेट की (जो मेरे पास रहती थी) से गेट खोला और आराम से अंदर आ गया....
पर हॉल मे आते ही मुझे सुजाता के रूम की लाइट ऑन दिखी...
मैं(मन मे)- देखु तो...साली रंडी रूम मे कर क्या रही है...
मैं चुपके से गेट के पास गया और झुक कर कीहोल से देखने लगा...
सामने सुजाता लेटी हुई किसी से बातें कर रही थी...मैने कान लगा कर सुनना सुरू ही किया कि पहली लाइन सुन कर मेरा माथा ठनक गया......
सुजाता- बस भैया....कुछ दिन और...फिर आकाश भी ख़त्म और आज़ाद भी....दोनो मेरी मुट्ठी मे है....
सामने- $$$$$$$$$$$$$
सुजाता- हाँ भैया...ऐसा ही होगा....नही तो मैं भी सम्राट सिंग की बेटी नही.....
मैं- सुजाता...सम्राट सिंग की बेटी.....अब ये क्या चक्कर है.....??????
सुजाता की बात सुन कर तो मेरा दिमाग़ ही सुन्न पड़ गया.....
अब तक तो मैं ये सोच रहा था कि सुजाता सिर्फ़ दौलत के लिए हमारे पीछे पड़ी हुई है....पर यहा तो बात ही कुछ और है....
सुजाता तो सम्राट सिंग की बेटी है....मतलब सॉफ है...यहाँ कोई बड़ी गड़बड़ है....
क्योकि हो ना हो...सम्राट सिंग की दुश्मनी तो पैसो के लिए हो नही सकती....उसका तो खुद का महल है और साथ मे उसका शानदार घर....और फिर उसके गाँव मे उसका दव्दबा भी बहुत है...मतलब वो है तो रहीस इंसान....
तो अगर सम्राट हमारे पैसे के पीछे नही तो वजह क्या होगी....क्यो उसकी बेटी हमारे घर मे शादी कर के आई....क्या वजह हो सकती है....
मैं अपने माइंड मे सोचते-सोचते सुजाता के रूम से दूर आ कर सोफे पर बैठ गया था.....
एक मिनिट...क्या मेरे घरवालो को ये पता है कि उनके घर की बहू सम्राट की बेटी है....पहले ये बात पता करनी होगी....
मैने तुरंत फ़ोन निकाला और अपने आदमी से बात की....
( कॉल पर )
मैं- हेलो...आप कहाँ हो...
स- अभी तो घर पर हूँ...बोलो क्या हुआ...कुछ काम था....
मैं- घर पर हो...ओह...नही -नही..कोई काम नही था...बस मैने सोचा कि आप सीक्रेट हाउस पर होंगे....
स- सीक्रेट हाउस पर कुछ काम था क्या...
मैं- ह्म....नही ...कोई खास काम नही...कल सुबह मिलते है...फिर बात करेंगे...ओके...गुड'नाइट....
स- ओके...गुड'नाइट
जैसे ही मैने कॉल कट किया वैसे ही सुजाता के रूम का गेट खुल गया...और मैं उसके देखने के पहले उठ कर आगे जाने लगा....
सुजाता- अरे..अंकित बेटा...क्या कर रहे हो....सोए नही अभी तक....
मैं- नही आंटी...आक्च्युयली मैं संजू के घर गया था...बस अभी आया हूँ...
सुजाता- अभी आए...पर मुझे तो कोई आवाज़ नही आई...मतलब गेट किसने खोला....
मैं- किसी ने नही..मतलब मेरे पास एक की रहती है...तो बिना किसी को डिस्टर्ब किए आ गया....
सुजाता(मन मे)- थॅंक गॉड....आगे से ध्यान रखना होगा....कभी कुछ गड़बड़ भी हो सकती है...
मैं- वैसे आंटी आप क्यो जाग रही है अब तक...
सुजाता- म्म्मग..मैं...मैं तो बस...पता नही...मुझे नीद नही आ रही....
मैं- ओह..क्यो...कोई प्राब्लम...
सुजाता(मन मे)- यही सही मौका है...रात का वक़्त किसी को हुश्न के जाल मे फसाना आसान होता है...
मैं- क्या हुआ आंटी...कोई प्राब्लम है तो बोलो...
सुजाता- हाँ बेटा...प्राब्लम तो है...
मैं- बोलिए क्या प्राब्लम है...मैं सॉल्व करता हूँ...
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज दिन मे मैने एक फिल्म देखी....मतलब उसका 1 सीन...
मैं- हाँ तो...सीन से क्या....
सुजाता- अरे बेटा...उस सीन को देखने के बाद ही से तो हालत खराब है मेरी...
मैं- ओह्ह...ऐसा क्या देख लिया ...मुझे बताइए...शायद मैं कुछ कर सकूँ....
सुजाता- हाँ बेटा....कर तो तू ही सकता है....और कोई नही...
मैं(मन मे)- ओह...शायद यही है जो कॅबिन मे स्मिता की चुदाई देख रही थी...देखता हूँ कि क्या बकती है....
सुजाता- क्यो बेटा करोगे ना...
मैं- मतलब...ऐसा क्या देख लिया आपने...बताओ तो सही...फिर मुझसे जो बन पड़ेगा वो करूगा....
सुजाता-ह्म्म...आओ रूम मे चल कर बात करते है....
मैं- रूम मे...हाँ क्यो नही...चलिए...पर मेरे रूम मे चलते है...
सुजाता - ह्म्म..चलो...
और फिर मैं सुजाता को साथ ले कर अपने रूम मे आ गया....
रूम मे आते ही हम बेड पर बैठ गये ....सुजाता आज फिर मुझसे चिपक कर बैठी थी....उसकी गान्ड मेरे जिश्म को छु कर हलचल मचा रही थी...
मैं- हाँ तो आंटी...अब बोलिए...क्या देखा आपने जिसने आपकी नीद उड़ा दी...
सुजाता(मुस्कुरा कर)- आज मैने वो जाना...जिससे अंजान थी...असल मे ऐसा सोचा नही था कि ये इतना जानदार होगा...
मैं- क्या...मैं कुछ समझा नही...आप किस बारे मे बोल रही है...ज़रा खुल कर बताइए....
सुजाता- ह्म्म...बेटा ...वो आज ऑफीस मे...वो ऑफीस मे....
मैं- आप हिचकिचाईए मत...खुल कर बोलिए ....तभी तो मैं कुछ कर पाउन्गा....
सुजाता- ह्म्म..असल मे आज मैने तुम्हारे कॅबिन मे कुछ.....मैं वो..तुझसे मिलने आ रही थी कि...
सुजाता फिर खामोश हो गई ...मुझे बात समझ आ चुकी थी...पर मैं उसके मुँह से सब निकलवाना चाहता था....
मैं- मेरे कॅबिन मे क्या...और आप मुझसे मिलने कब आई...मुझे तो याद नही...
सुजाता- आई थी...पर अंदर आती उसके पहले ही कुछ देख कर वापिस चली गई...
मैं- वापिस क्यो....और क्या देख कर वापिस चली गई ...खुल कर बताइए ना....
सुजाता- कैसे कहूँ...वो तुम उस औरत से बात कर रहे थे ना...तो मैं ...
मैं(बीच मे)- ओह्ह...तो आप तब आई थी...असल मे वो औरत मेरी फ्रेंड है...एक काम से आई थी....
सुजाता(आँखे मटका कर)- हाँ...मैने देखा था...अच्छा काम किया उसका...
मैं(डरने का नाटक कर के)- क्क़..क्या मतलब...आपने क्या देखा....
सुजाता(मन मे)- ये तो घबरा रहा है...चलो...अब इसे डरा कर ही काम निकलवाती हूँ...
मैं- बोलिए आंटी..आपने क्या देखा....
सुजाता(कमीनी मुस्कान दे कर)- अब जो भी देखा ....वो तुम्हारे डॅड को बता दूगी...ओके...
मैं- ड्ड..डॅड को...पर देखा क्या...बोलिए तो...
सुजाता- अब भी नही समझे...अरे बच्चू...मैने सब देख लिया कि तू कौन सा काम कर रहा था उस औरत के साथ...मैं सब तेरे डॅड को बताउन्गी...
मैं(सिर झुका कर)- ओह नो...मतलब आपने सब देख लिया...
सुजाता- ह्म्म..और अब एक-एक बात तेरे डॅड को बोलुगी...
मैं(सुजाता के हाथ पकड़ कर)- नही आंटी...प्ल्ज़...डॅड से कुछ मत कहना...वो..वो मुझे मार डालेगे ..प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता(हाथ झटक कर)- छोड़ मुझे ...और सुन..मैं तेरे डॅड को सब बता दूगी...कि तू कैसे काम करता है...हुह...
मैं- आंटी प्ल्ज़...ऐसा मत करना...मैं बर्बाद हो जाउन्गा...प्ल्ज़ आंटी...
सुजाता- अच्छा...चल नही बताती...पर तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी...
मैं- आप जो बोलो आंटी...पर प्ल्ज़ ...डॅड को नही बताना...प्ल्ज़ ..
सुजाता(मन मे)- अब आया ना काबू मे...अब देख मैं क्या करती हूँ...अपने जिश्म की भूख भी मिटाउंगी और तुझे अपनी उंगलियों पर भी नचाउन्गी...
मैं- बोलो ना आंटी...क्या सोचने लगी..आप डॅड को नही बोलेगी ना...
सुजाता- ह्म्म..नही बोलुगी...पर तुझे मेरा कहा मानना पड़ेगा...
मैं- हाँ आंटी...मैने बोला ना कि मैं हर बात मानूँगा....आप बस हुकुम करो....
सुजाता- अच्छा...तो चल..रूम का गेट लॉक करके आ...फिर बताती हूँ...
मैं किसी नौकर की तरह उसकी आग्या का पालन करने लगा.....