Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
- Rohit Kapoor
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
thanks dear such a nice story
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
very tragic and unwanted end to greatest story ever read
- 007
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
thanks dosto
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
bhai iska end change kar do yaar, itna time laga ke story padhi aur end mein sab barbaad ho gya, dil toot gya
- 007
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
Reich Pinto wrote: ↑18 Jun 2017 13:16 bhai iska end change kar do yaar, itna time laga ke story padhi aur end mein sab barbaad ho gya, dil toot gya
दोस्त आपकी फरमाइश पर एक नयी तरह का एंड
गीता – औरत जब किसी को अपना दिल देती है तो बस जिस्म की प्यास ही सबकुछ नहीं होती मैंने टूट के भरोसा किया था तेरे बाप पर पर वो भी बस निकला तो एक फरेबी , और वो रतिया हर दिन तड़पती थी मैं जब भी उसको देखती थी आठ साल इंतजार किया और फिर मुझ को वो मौका मिला उस दिन वो खेत में अकेला था शराब के नशे में चूर मुझे और क्या चाहिए था तडपा तडपा कर मारा मैंने उसको उस दिन मेरी रूह को सुकून मिला
ये दिल भी अजीब होता है देव बेशक मुझे तुझसे नफरत थी पर जो तूने मेरे लिए किया कही मेरे दिल के किसी कोने में तेरे लिए जज्बात भी थे आज भी मैं टूट रही हूँ अन्दर ही अन्दर घायल है मेरा मन जो वार मैंने तुझ पर किये है वो मुझे लहुलुहान कर गए है पर मैं क्या करू तू तेरे पिता का ही अंश है तेरी रगों में भी उसी का खून दौड़ रहा है इस गंदे खून का बह जाना ही ठीक है देव बह जाना ही ठीक है देव , तूने भी तो औरत को बस एक भोग की चीज़ ही समझा था देव
ताई का ध्यान मंजू पर गया और मैंने चुपके से अपना फ़ोन पिस्ता को मिलाया तभी ताई मेरी तरफ मुड़ी मैंने फ़ोन छुपा लिया मैं बस इतना चाहता था कि वो सुन ले यहाँ जो भी हो रहा था क्योंकि वो ही उम्मीद थी मैंने ताई को बातो में उलझाना चाहां
मैं- ताई तुझे क्या पता था की इस वक़्त मैं यहाँ कुएँ पर हूँ
वो- बहुत भोला है तू, मेरे घर के आगे से ही तो आये थे तुम किस्मत से मैं जाग रही थी बस मौका मिल गया और मैं आ गयी दबे पाँव और तुम्हारी किस्मत ख़राब थी देव जो इस समय तुम यहाँ हो पल पल मर रहे हो हो तुम पल पल
मैं- बहुत गलत किया तुमने ताई
मेरी बात बस अधूरी रह गयी उसका चाकू मेरी पसली को चीर गया था मैं भी जान गया था कि अब मैं बचूंगा नहीं पर ऐसे नहीं मर सकता था देव ऐसे नहीं मरना चाहता था मेरी नजर मंजू के पास गयी ताई उस तक पहुच चुकी थी ताई का चाकू मंजू की गर्दन पर था वो चाकू को बेहोश मंजू पर ऐसे घुमा रही थी जैसे कि कोई कसी किसी बकरे पर घुमाता है
“नहीं ताई ” नहीं तू मेरी जान ले ले मंजू को जाने दे इसका कोई लेना देना नहीं है इस से जाने दे मैं तेरे पाँव पड़ता हूँ मंजू को कुछ मत करना जाने दे उसको
वो- तेरी तरह इसकी रगों में भी गन्दाखून दौड़ रहा है ये भी एक गंदगी है आज इसको भी तू लेजा ऊपर अपने साथ वहा दोनों हवस का खेल खेलना
मैं जानता था मैं लाख कोशिश करूं, अब मंजू तक पहुँच नहीं पाउँगा । लेकिन एक दिल मंजू के पास भी था मेरा, अब उसे तो मुझे किसी भी तरह बचाना था।
नीनू और पिस्ता को शायद अंदाजा था कि मैं अकेला बाहर जाता हूँ, कोई भी खतरा कभी भी आ सकता है। इसीलिए मुझे नीनू ने एक छोटी गन थी, जो मेरे पेंट में आगे फसीं हुयी थी।
ताई मंजू को बड़े ही गौर से घुर रही थी, लेकिन मुझे उसका ध्यान उससे हटाना ही था। तो मैंने उसे और बातों में फसाना चाहा।
मैं -- ताई ये तो अब किसी और घर की अमानत है, उसे तो छोड़ दे। मैं तेरे सामने हूं, मुझे मार दे। उस बेचारी को तो पता भी नहीं है कि किस गुनाह के लिए उसे सजा मिल रही है।
ताई -- तू तो मरेगा ही, तुझे तो मरना ही होगा। लेकिन ये किसी और घर चली गयी तो क्या। खून तो वही है ना, और क्या कहा तूने इसे नहीं पता .. हाँ ये तो मैं भूल ही गयी।
ताई ने इधर उधर देखा एक गड्ढे में थोडा सा पानी था। वो मंजू को खींचकर, उसके पास ले गयी। और उसका मुंह उस में दे दिया।
मंजू एक दम से बौखलाकर छटपटाने लगी, इधर में जमीन पर पेट के बल हो गया। अपना पूरा दम लगा कर मैंने वो गन अपने पेंट से खींचकर, लोड करी। अभी थोड़ी देर ताई का ध्यान मंजू पर था।
जब मंजू छटपटाने लगी तो ताई ने उसे पटक दिया। मंजू भारी भारी सासें ले रही थी, जब उसकी हालत संभली तो यहाँ का मंजर देख कर उसकी चीख निकल गयी।
एक पल के लिए ताई की और मेरी आंखे मिली फिर ताई उसकी तरफ बढ़ी।
मंजू -- ताई तुमने ये सब क्यों किया। तुम्हारे पास तो कर्जे के पैसे भी नही होते थे, तो इस सब के लिए पैसे कहाँ से आये।
अब ताई हौले हौले मेरी तरफ बढ़ी फिर बोली- तू भी ये सोच रहा होगा कि एक गरीब गीता ताई ने ये सब कैसे कर दिया मैं जानती हूँ बस यही तेरा अंतिम सवाल है तो सुन
एक गरीब मजलूम औरत की हसियत कैसे हुई , तेरा बाप वो पता नहीं किस मिटटी का बना था जिसे अपना समझ लेता उसका हो जाया करता था बिलकुल तेरी ही तरह , तेरे ताऊ को उसने एक बड़ी रकम और कुछ सोने के गहने दिए थे अब ये बात मुझसे कैसे छिपि रहती उस इंसान ने मुझे रतिया से बचाने की जरा भी कोशिश नहीं की अरे मेरा तो उस से प्रेम का नाता था पर उसने ये पैसे और गहने देकर एक तमाचा मारा था मेरे प्रेम को मैंने उसी के दिए धन से तुम्हारे खिलाफ साजिश की
बस बहुत हुआ देव बहुत हुआ सवाल जवाब में रात निकल जानी है अब तेरे जाने का वक़्त हुआ ताई ने पास में पड़ी बाल्टी ली और मेरे सर पर मारने लगी।
लेकिन मंजू ने उसका हाथ पकड़ लिया। और उसे एक धक्का मारा, ताई थी तो एक मजबूत औरत। धाड़ धाड उसने फिर से मंजू को बाल्टी दे मारी। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया था, मंजू धड़ाम से गिरी और ताई ने चाकू से उस पर वार करने की कोशिश करी।
अब तक मैं इतना तो तैयार हो गया था। गन निकाल कर एक फायर सीधा झोंक दिया ताई पर। उसकी जैसे जान ही निकल गयी। वो गोली उसे लगी नहीं, लेकिन वो सम्भाल नहीं पायी।
मुझमें अब इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि मैं दोबारा गन को लोड कर सकूं। मेरी आंखे बंद होती जा रही थी, कुछ देर में ऐसे ही था। लेकिन वहाँ बहुत कुछ हो रहा था, शायद मंजू को ताई ने मार दिया था। एक चीख के साथ मेरी आँखे बंद हो गयी।
मेरे जिस्म में एक दर्द की हल्की सी लहर दौड़ रही थी। मेरे कानों में एक आवाज सी आई देव .....देव
मैंने अपनी आँखे खोलने की कोशिश की पर सिवाय अँधेरे के मुझे कुछ नहीं दिखा बोलने की कोशिस की पर कोई लफ्ज़ ना निकला।
हाथ पर कुछ गीला सा महसूस करके, आँखे खुली। अब दर्द बहुत हल्का था, लेकिन आराम बहुत था। कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। ये जगह कौन सी है, थोड़ी देर के बाद दिमाग ने काम किया। ये हॉस्पिटल था, मैं बच गया था। लेकिन वो मंजर अभी भी खौफनाक था।
नज़र घुमाकर देखा, कमरे में नीनू मेरे बगल बैठी थी। मेरे हाथ को अपने हाथ में लिए अपने गाल से लगाये रो रही थी। मेरी हरकत देख उसने आँख खोलकर मेरी तरफ देखा। फिर तो गले लगकर रोने लगी।
मैंने उसे बस एक ही सवाल किया...मंजू कहाँ है?
नीनू -- सब कुछ ठीक हो गया देव। सब ठीक हो गया।
तभी बाहर से डॉक्टर आया, और नीनू एक तरफ हो गयी। कुछ चेक अप करने के बाद वो चला गया, पिस्ता के साथ आर्यन अन्दर आया। पीछे पीछे माधुरी, चाचा, मामी और बिमला भी आ गये।
सब दुखी थे, मैंने फिर से पूछा...मंजू कहाँ है?
पिस्ता -- वो दुसरे कमरे में है, उसे भी एडमिट किया है। अब ठीक है वो।
मैं -- वहाँ हुआ क्या था.. मैं बचा कैसे।
जब तुम्हारा फोन आया हम सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन फ़ोन उठाने के बाद हमारे होश ही उड़ गये। लेकिन सबसे पहले तुमने कुएं की बात करी थी तो पिस्ता तुम्हारी दी हुयी गन लेकर भाग निकली।
आर्यन को माधुरी के पास छोड़कर मैं भी उसके पीछे
भाग निकली।जब तुमने फायर किया था, तभी पिस्ता वहाँ पहुँच गयी थी। तुम्हारे फायर से तो ताई बच गयी, लेकिन पिस्ता ने उसके जेहन में सारी गोलियां उतार दी।
लेकिन स्टेटमेंट में वो गोलियां तुमने चलायी हैं, अपने सेल्फ डिफेन्स के लिए।
हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा राज़ सुलझ गया था, लेकिन कीमत बहुत बड़ी थी। पिताजी के बारे में सोचकर मैं बस यही कह सकता था की क्यों आखिर?
गाँव में आकर मुझे अच्छा तो लग रहा था। लेकिन अब पुरानी यादों को नयी यादों ने मिटा दिया था, जो नीनू और पिस्ता मुझे दे रही थी।
समाप्त
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