जीवन एक संघर्ष है complete

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Rohit Kapoor
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जीवन एक संघर्ष है complete

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जीवन एक संघर्ष है

दोस्तो एक और कहानी के अपडेट देना शुरू कर रहा हूँ इस कहानी की बिंदास ने लिखा है इसलिए इसका क्रेडिट असली राइटर को ही जाना चाहिए

मेरे जीवन की एक अनोखी काल्पनिक संघर्षगाथा है जिसमे मेरे जीवन के अनछुए पहलुओ को कहानी के माध्यम से आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ ।
कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है वास्तविक जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं है ।
यदि किसी नाम स्थान या घटना के अनुरूप सम्बन्ध जुड़ता है तो ये एक मात्र संयोग होगा ।कहानी पुर्णतः मनोरंजन के लिए प्रकाशित की जा रही है ।
मेरा प्रयास रहेगा की समय समय पर आपको अपडेट देता रहूँ।
कहानी का पूरा एन्ड भी होगा ये मेरा वादा है ।
तो चलिए मित्र आज आपको इस कहानी के
जीवन संघर्ष से रु-ब-रु करवाते हैं।


परिचय-
मेरे पिताजी भानु प्रताप जी
मेरे जन्म के 2 वर्ष बाद ही एक एक्सीडेंट में मारे गए । लाश का भी पता नहीं चला

मेरी माँ- रेखा 42 वर्ष ।
जिन्होंने मुझे लाड प्यार से पाला । पिताजी का न होते हुए भी बड़े संघर्ष से इस घर के लिए दो वक़्त की रोटी का इंतज़ाम किया।

मेरी दीदी-पूनम 24 वर्षीय हैं ।पैसे के अभाव में 12वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाई
घर पर ही रहती हैं।

दूसरी दीदी- तनु 23 वर्षीय हैं। इन्होंने भी 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी पैसे के अभाव में ।
में सूरज 21 वर्षीय 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी।
पारवारिक जीवन खुशहाल रहे । दो वक़्त की रोटी का इंतज़ाम के लिए खेतों में लकड़ी काट कर घर चलाने का प्रयास करता हूँ।

कहानी में और भी पात्र हैं समयनुसार आपको अवगत करवाता रहूँगा ।
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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उत्तर प्रदेश के जिला शामली में बसा मेरा छोटा सा गाँव किशनगढ़ बहुत खूबसूरत सा लगता है ।जितना खूबसूरत दीखता है उतने खूबसूरत लोग नहीं हैं यहां के ।
चार पैसे जेब में आने के बाद घमंड इनको ब्याज के रूप में मिल जाता है ।
गाँव के गरीब मजलूम किसान या मेहनतकश लोग इनके यहां गुलामी की जिंदगी जीने पर मजबूर रहते हैं ।
ये अमीर लोग पैसे से तो अमीर होतें हैं लेकिन दिल के बहुत गरीब होते हैं।
किशनगढ़ गाँव में एक परिवार रहता है सूरज का जो मेहनत कर अपना गुज़ारा करता है ।
लेकिन किसी अमीर के घर गुलामी नहीं करता है ।
पैसे से भले ही सूरज का परिवार गरीब है लेकिन दिल के मामले में बहुत अमीर ।
इसी गाँव के चौधरी राम सिंह जी जिनका राज चलता है । गाँव के लोगों को ब्याज पर पैसा दे कर जीवन भर गाँव के लोगों से गुलामी करबाता है ।
चौधरी साहब का हुकुम इस गाँव का कानून बन जाता है । लोग इनके ख़ौफ़ से ही डरते हैं ।
सूरज के पिता भानु प्रताप चौधरी साहब के यहां मजदूरी करते थे । जिसके चलते उन्होंने कुछ पैसा चौधरी साहब से क़र्ज़ के रूप में लिया था। अब भानु प्रताप तो रहे नहीं । इसलिए अब ये पैसा सूरज की माँ रेखा जंगलो में लकड़ियाँ काट कर गाँव में ही बेचती है और जो पैसा मिलता है उससे पति का लिया हुआ कर्ज़ा चुकाती है और घर भी चलाती है ।
रेखा अकेली इस घर का बोझ उठाती आई है । इसलिए अब सूरज भी लकड़ियाँ काट कर चौधरी का कर्ज़ा उतारने में अपनी माँ की मदद करता है ।
रेखा के परिवार पर गरीबी हटने का नाम ही नहीं ले रही थी । पूनम और तनु की बढ़ती उम्र और शादी की चिंता में ही उसका पूरा दिन कट जाता है ।

सूरज का परिवार अपने टूटे फूटे घर में
रात्रि में सोने की तैयारी कर रहा था। दिन में लकड़ी काटने के कारण इतनी थकावट हो जाती थी की शाम ढलते ही नीद आने लगती थी ।
शाम को खाना खा कर सूरज आँगन में जमीन पर चादर बिछा कर लेट गया ।
उसके घर में एक ही कमरा था जिसमे उसकी दोनों बहने पूनम और तनु सोती थी और साथ में उनकी माँ रेखा भी ।
घर कुछ इस तरह से बना हुआ था ।
एक कच्ची ईंट से बना हुआ कमरा उसके बगल में बरामडा जिसकी छत लोहे की टीन की बनी थी ।
कमरे के सामने बड़ा सा आँगन चार दिबारे खड़ी थी ।
लकड़ी का जर्जर दरबाजा जिसके बराबर में ईंटो से घिरा हुआ बाथरूम स्नान के लिए जिसमे छत भी नहीं थी ।
बाथरूम में एक नल लगा हुआ था।
लेट्रीन के लिए जंगल में ही जाना होता था ।
पुरे गाँव में सबसे ज्यादा गरीब स्तिथि रेखा की ही थी चूँकि उसपर बेहिसाब कर्ज़ा था जिसका न तो मूल का पता था और न ही ब्याज का पता बस चौधरी साहब ने जैसा बता दिया वैसा ही मान लिया ।
कई बार सूरज ने ये जानने का प्रयास भी किया कर्जे की मूल रकम जान्ने की तो चौधरी 80 हज़ार बाँकी है इतना कह कर टहला देता था ।
सूरज पैसो की भरपाई कैसे हो ।
कर्ज़ा कैसे उतरे और बहनो की शादी कैसे हो इन्ही बातों को सोच कर सो जाता था और दिन निकलते ही फिर से बही काम लकडी काटना और बेचना ।
जिंदगी बस ऐसे ही गुज़र रही थी ।
सूरज का परिवार गहरी नींद की आगोश में सोया हुआ था । तभी अचानक दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी ।
सूरज थकावट के कारण आलस्य में सोया रहा । लेकिन दरवाज़ा जोर जोर से थपथपाने के कारण उठ कर गया ।
जैसे ही दरवाजे के नजदीक गया, सूरज ने पूछा "कौन हो,और इतनी रात में क्यूं आए हो??
बहार खड़ा आदमी-"सूरज दरवाजा खोल में हरिया हूँ,चौधरी साहब ने बुलाया है तुझे अभी"

हरिया चौधरी साहब का बफादार कुत्ता था । हरिया बड़ा ही अय्यास और क्रूर प्रवर्ति का व्यक्ति था । चौधरी के इशारे पर किसी को भी मारने पीटने पर तैयार हो जाता था।

सूरज घबरा सा गया इतनी रात में भला क्या काम है मुझे सोचने लगा|
सूरज ने दरवाजा खोला। हरिया के साथ एक और आदमी खड़ा था।
सूरज-" हरिया चाचा अभी रात में क्यूं बुलाया है,में सुबह होते ही चौधरी साहब से मुलाक़ात कर लूंगा।

हरिया-' सूरज तू चौधरी साहब का हुकुम टाल रहा है । चुपचाप चल मेरे साथ।

अब सूरज में इतनी हिम्मत कहाँ थी वह अपनी माँ और बहनो को बिना बताए ही चुपचाप घर से चल देता है ।
माँ और बहने तो गहरी नींद में सो रहीं थी उन्हें भनक तक न लगी ।

चौधरी साहब अपने शयनकक्ष में आराम से बैठे मदिरा पान का आनंद ले रहे थे। सूरज को देखते ही चौधरी साहब बोले ।
चौधरी-" क्यूँ रे सूरज तूने इस महीने का भुगतान नहीं किया । कर्ज़ा लेकर वैठा है ।
इस महीने का भुगतान कब करेगा??
चौधरी साहब गुस्से से बोले ।
सूरज घबरा सा गया । हर महीने क़र्ज़ की रकम की क़िस्त भरनी पड़ती थी । लेकिन इस महीने पैसे नहीं दे पाया ।
सूरज घबराता हुआ बोला-"मालिक कुछ दिन की मोहलत दे दीजिए, पैसो का इंतज़ाम होते ही आपका कर्ज़ा चुका दूंगा ।
चौधरी-" एक सप्तेह के अंदर इस महीने की क़िस्त आ जानी चाहिए । बरना गाँव में रहना दुस्बार कर दूंगा, जाकर अपनी माँ रेखा से बोल दिए, अब तू जा सकता है"
सूरज चौधरी के पैर छू कर वापिस घर लौट आया ।
सूरज जैसे ही घर में घुसा तो देखा उसकी माँ रेखा और दोनों दीदी पूनम और तनु घबराहट उनके चेहरे पर थी ।सूरज के जांने के बाद ।
रेखा जब पिसाब करने उठी तो उसने सूरज के बिस्तर की और देखा,जब सूरज नही दिखा तो उसने दरबाजे की और देखा दरवाजा खुला हुआ था तो घबरा गई थी उसने आनन् फानन में पूनम और तनु से सूरज के न होने की बात कही तो दोनों बहने भी घबरा गई ।
सूरज जैसे ही वापिस आया तो रेखा की जान में जान आई। दोनों बहन भी सूरज को देख कर चैन की सांस ली ।

सूरज के घर पहुचते ही रेखा को बड़ा सुकून मिला लेकिन हज़ारो सवाल उसके मन मव थे वह सोच रही थी की इतनी रात में सूरज कहाँ गया ।
रेखा को बड़ा डर सता रहा था की कहीं सूरज गलत रास्ते पर तो नहीं चल पड़ा है ।
अपनी माँ और बहनो को परेसान देख सूरज बोला-" अरे माँ तुम जाग रही हो सो जाओ"
रेखा -" तू इतनी रात कहाँ गया था सूरज।
जिसका बेटा देर रात घर से बहार बिना बताए कहीं चला जाए तो एक माँ को नींद कैसे आ सकती है ।
अब तू इतना बड़ा हो गया है की बिना किसी को बताए ही बहार चला जाता है"
रेखा गुस्से से बोली ।
सूरज-"अरे माँ में कहीं नहीं गया हरिया चाचा आए थे मुझे बुलाने । उन्ही के साथ चौधरी साहब के घर गया था ।
कर्जे की रकम के लिए हरिया के हाथ संदेसा भेजा था । अब नहीं जाता तो चौधरी हमारा जीना दुश्बार कर देता माँ""
सूरज ने बड़ी गंभीरता के साथ अपनी बात रखी जिसे सुनकर माँ और बहने भी घबरा गई ।
रेखा-" बेटा मुझे बता कर तो जा सकता था । वह अच्छे लोग नहीं हैं अगर तुझे कुछ हो जाता तो हम सब का क्या होता । एक तू ही तो हमारा सहारा है ।
में जल्दी ही पैसो का कुछ इंतज़ाम करुँगी"
पूनम-"सूरज तू अकेला क्यूं गया माँ को साथ ले जाता"
माँ और पूनम की बात सुनकर सूरज बात को टालता हुआ बोला
सूरज-"माँ तू क्यों चिंता करती है अब में बड़ा हो गया हूँ,में जल्दी ही पैसो के लिए ज्यादा लकड़ियाँ काट कर पैसे कमाऊँगा।
इतना बोल कर सूरज अपने बिस्तर पर लेट गया और माँ और दोनों बहनो को सोने के लिए बोला
सूरज-"माँ अब सो जाओ सुबह काम पर जाना है ।
रेखा और दोनो दीदी बेफिक्र होकर सोने अपने कमरे में चली गई ।

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Rohit Kapoor
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सुबह प्रात: ही घर की चहल पहल के कारण सूरज की आँख खुली।
लकड़ी काटने के लिए सुबह से लेकर देर शाम हो जाती है इसी कारण माँ बेटे घर से भोजन खा कर ही निकलते थे।
दोनों बहन पूनम और तनु प्रातः उठ कर माँ और अपने भाई के लिए भोजन बनाने में जुट जाती हैं । यह रोज की दिनचर्या में शामिल था।
सूरज उठ कर सबसे पहले दैनिक क्रिया से निपटारा कर काम पर जाने की तैयारी करने लगता है ।
वैसे तो सूरज और रेखा दोनों एक साथ ही लकड़ी काटने एक ही जंगल में जाते हैं लेकिन कभी कभी ज्यादा मोठे पेड़ काटने के लिए सूरज जंगल के एक कोने से दूसरे कोने तक चला जाता था ।रेखा गाँव के समीप ही लकड़ी काटती थी क्योंकि ज्यादा दूर लकड़ी का बोझ अपने सर पर उठाने में असमर्थ थी ।
जिंदगी बस ऐसे ही कठिन दौर से गुज़र रही थी ।
सूरज और रेखा दोनों एक साथ जंगल के लिए साथ साथ निकल चुके थे ।
दोनों माँ बेटे देर शाम तक लकड़ी को काट कर फिर गाँव के ही जमीदारों को बेचते थे ।
जो पैसा मिलता उससे चौधरी का उधार और घर का राशन ले आते थे ।
यही क्रम अब तक चलता आ रहा था।
इधर दोनों बहन घर में अकेली रह कर घर की साफ़ सफाई व् शाम के भोजन की तैयारी में जुट जाती थी ।
तनु की एक दो सहेलियां भी थी जिसके साथ एक दो घंटा उनके साथ गप्पे लड़ाने में बिता देती थी लेकिन बड़ी बहन पूनम घर से कम ही निकलती थी । ऐसा नहीं है की उसका बहार घूमने का मन नहीं करता था वो बहार लोगों के ताने से डरती थी । उसकी कुछ सहेलियां भी थी जिनकी अब शादी हो चुकी थी ।लगभग उसके साथ की सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी । पूनम भी 24 वर्ष की हो चुकी थी लेकिन उसके घर की माली हालात इतने खराब थे की उसकी शादी के दहेज़ और नगद रकम की व्यवस्था उनके पास नहीं थी । पूनम भी अपने घर के हालात को अच्छी तरह समझती थी इसलिए उसने भी बिना शादी के जीवन जीने की प्रतिज्ञा ले ली थी ।
हालांकि पूनम खुबसुरत थी उसका जिस्म ऐसा था की अच्छे अच्छे को मात देदे ।
गाँव के काफी लोग उसकी बुरी नियत से देखते हैं उसकी गरीबी का फायदा उठाने के षड्यंत्र भी रचते हैं लेकिन पूनम बहुत होशियार और समझदार प्रवर्ती की लड़की है उसने आज तक कोई गलत कदम नहीं उठाया । कई बार उसका भी मन चलता है की शादी हो बच्चे हों,पारवारिक जीवन का आनंद उठाए लेकिन उसने सभी इच्छाओ को अपने वश में कर लिया था ।
पूनम जब स्कूल में पढ़ती थी तब उसकी भी इच्छा थी एक नोकारी मिले और कार बंगाल अच्छा पति हो वर्तमान जीवन को खुल कर जिए।जैसे फिल्मो मे लड़कियों की जीवन शैली होती है लेकिन उसकी सभी इच्छाएं गरीबी की भेंट चढ़ गई ।
अब तो उसने अपने मन को उसी प्रकार ढाल लिया था ।
चोका चूल्हे को ही अपनी असल जिंदगी की वास्तविकता को स्वीकार कर चुकी थी । अपने सारे सपनो को आजीवन तलाक दे चुकी थी ।
गरीबी इस प्रकार छाई थी की उसके पास मात्र दो जोड़ी ही सलवार सूट थे उनमे भी कई जगह से फटे हुए थे जिन्हें सुई से टांका मार कर उन्ही को पहना करती थी। जब कभी एक दो साल में बाजार जाना होता था तो सिर्फ ब्रा और पेंटी ही खरीद कर ले आती थी ।कभी मेकअप का सामान ला कर पैसे का द्रुपयोग नहीं करती थी । लेकिन आज की स्थिति ये थी की उसके पास मात्र एक ही पेंटी बची थी उसका प्रयोग तभी करती थी जब उसको महावारी होती थी चूँकि महावारी के दौरान सलवार खराब न हो इसलिए पेंटी के अंदर कपडा लगाना पड़ता था । वाकी के दिनों में बिना पेंटी के ही सलवार पहन कर घर में रहती थी ।
यह हाल सिर्फ पूनम का ही नहीं बल्कि उसकी माँ रेखा और तनु का भी था ।
ऐसा समझ लीजिए की यह परिवार सिर्फ जी रहा था । अपनी इच्छाओ को मारकर ।
कभी कभी अपने हालात पर रो भी लिया करती थी दोनों बहने और रेखा भी लेकिन किसी के सामने नहीं ।

पूनम और तनु दोनों बहने घर की साफ़ सफाई कर रहीं थी । रेखा और सूरज के जंगल जाने के पस्चात दोनों बहनो का रोज का कार्य था ।शाम को रेखा और सूरज थके हुए तथा भूके होते हैं इसलिए दोनों बहने उनके आने से पहले ही खाना तैयार रख लेती हैं ।
पूनम समझदार तथा कम बोलने वाली लड़की थी लेकिन तनु पुरे दिन चपड़ चपड़ कुछ न कुछ बोलटी ही रहती थी।हालांकि तनु वेहद समझदार थी । लेकिन थोड़ी चुलवली प्रवर्ती की थी । गरीबी की आंधी ने सपने तो तनु के भी ध्वस्त कर दिए थे परंतु वह दूसरों के सामने खुश रहने का नाटक करती थी । उसका भी बहुत मन था की दुनिया के ऐसोआराम मिले बड़े बड़े स्कूल में पढ़े।लेकिन आर्थिक तंगी के कारण बिच में ही पढ़ाई छोड़ना उसके लिए बहुत आघात पहुचाने जैसा था।परिवार के हालात और दो वक़्त की रोटी नसीब होती रहे इसलिए उसने भी अपने मन को समझा लिया था।
तनु और पूनम घर की सफाई कर थोड़ी देर के लिए आराम करने के लिए चारपाई पर लेट जाती हैं ।
तभी तनु पूनम से बोलती है ।
तनु-"दीदी अगर चौधरी का कर्जा नहीं उतरा तो क्या चौधरी भैया और माँ को मारेंगे?
तनु की मासूमियत में माँ और भैया के लिए भय दिखाई दिया।पूनम भी जानती थी की चौधरी बहुत हरामी और नालायक किस्म का व्यक्ति है । वह कुछ भी कर सकता है ।
पूनम-" तू क्यूं चिंता करती है पगली।माँ और सूरज दोनों मिल कर जल्दी ही चौधरी का कर्जा चुका देंगे फिर हमें कोई परेसानी नहीं होगी ।
तनु-"लेकिन दीदी बहार कई लड़कियां बोलती हैं की चौधरी बहुत मक्कार इंसान है ।कई लोगो को कर्जा न चुकाने के कारण मौत के घात उतार चुका है ।
पूनम-"ऐसा कुछ भी नहीं करेगा चौधरी । तू ये चिंता छोड़ दे तनु।
दोनों बहने असमय आने वाले इस डर से भयभीत थे । लेकिन एक दूसरे को चिंतामुक्त होने की सलाह दे कर ईश्वर पर छोड़ देते हैं ।
चौधरी का भय और उसकी क्रूरता का के बारे में पुरे गाँव जानता था। कर्जा तो वह जानबूझ कर देता था ताकि कर्जे की आढ़ में भोले भाले लोगों को डरा धमका कर उनकी औरतें और लड़कियों को भोगता था।इसी लालच में चौधरी सूरज की माँ रेखा और पूनम,तनु के जिस्म को भी पाना चाहता था । गाँव के लोग भी चौधरी के इस छिछोरेपन से परिचित थे । पूरा गाँव इस बात को भी जानता था की चौधरी की नियत रेखा और पूनम,तनु दोनों बहनो पर है । रेखा भी इस बात को भलीभात जानती थी की चौधरी उसको आँखे फाड़-फाड़ कर देखता है लेकिन रेखा उसको घास भी नहीं डालती थी।उसके सामने कितनी भी बड़ी समस्या क्यूं न हो लेकिन उसने आज तक अपनी अस्मत पर आंच नहीं आने दी ।
हालांकि रेखा भरे जवानी में विधवा हो गई थी। उसको भी अपने पति की कमी का अहसास होता था । लेकिन अपनी मान मर्यादा की हमेसा हिफाजत की ।
रेखा बहुत शांत स्वाभाव की महिला थी ।
कुछ हालात ने उसे शांत रहने पर मजबूर कर दिया था। गाँव की औरतो में कम उठना बैठना था उसका ।एक दो बार वह गाँव की औरतो में वैठी भी है तो गाँव की औरते अपने साडी और महंगे जेवर दिखा कर उसे जलाती थी। कई औरते उसकी फटी साडी का मजाक भी उड़ाती थी ।इसलिए शर्म और ह्या के कारण उसने अपने जीवन को जंगल और लकडियो के बीच ढाल लिया था।

जंगल का दृश्य
सूरज और सूरज की माँ एक सूखे पेड़ के तने को काटने का बलपूर्वक रूप से प्रयास कर रहे थे।दोनों माँ-बेटे लगन और कड़ी मेहनत से लकड़ी काटने में मगन हैं । और क्यूँ न हो जब इतने बड़े परिवार की खुशियाँ चंद पैसे से कमाई जाने लगे तो माँ और बेटे इन खुशियों के लिए अपना जीवन इन जंगलों की वियावान ख़ौफ़नाक स्थान पर भी अपने परिवार के लिए कड़ी मेहनत करने में मगशूल थे ।चौधरी का कर्जा पूनम और तनु की शादी ये बहुत बड़ी चुनौती इन दोनों माँ बेटे ने स्वीकार कर ली थी । लेकिन सोचना ये था की क्या ये माँ बेटे चंद पैसे कमा कर चौधरी का कर्जा और दोनों बेटियो की शादी करने में सक्षम हो पाएगा।
पिता की मृत्यु के पश्चात् ही रेखा कई सालो से 100-100 रुपए कर्ज की व्याज के रूप में चौधरी को अब तक देती आई है । लेकिन व्याज का पैसा टस से मस नहीं हुआ है ज्यो का त्यों ही बना हुआ है ।
इस प्रकार लकड़ी काट कर न तो चौधरी की व्याज का भुगतान होगा और न ही पूनम और तनु की शादी सम्भव है ।
इस चुनौती से कैसे छुटकारा मिले और परिवार खुश रहे इसी सोच में सूरज भी पुरे डूबा रहता था।बहुत कुछ सोचता लेकिन कोई और रास्ता उसे नहीं सूझता ।यही हाल रेखा का भी था । करे तो क्या करे??
दोनों माँ- बेटे लकड़ी काटने में मगन थे
तभी सूरज अपनी कुल्हाड़ी को रोक कर नीचे घास पर वैठ गया । सुबह से ही कड़ी मेहनत के कारण बहुत थक सा जाता था।
सूरज-"माँ थोड़ी देर आराम कर लो । थोडा पानी पी लो ।
रेखा-" ठीक है बेटा में भी थोडा सुस्ता लेती हूँ । लकड़ी काटना इस दुनिया का सबसे मेहनत का काम है"रैखा सूरज के पास ही घास पर लेटती हुई बोली
सूरज-"माँ ये लकड़ी काट कर क्या चौधरी का कर्जा उतर जाएगा।कितने सालो से हम लकड़ी काट रहें हैं लेकिन अभी तक उस चौधरी का कर्जा ज्यो का त्यों हैं । मुझे तो ऐसा लगता है चौधरी जानबूझ कर हमें परेसान कर रहा है,जब पूछो तब 80 हजार कर्जा बता कर धमकाता रहता है, ऐसे कब तक हम गुलामी में अपना जीवन काटते रहेंगे । और पूनम और तनु दीदी की शादी कब होगी । कहाँ से आएँगे शादी के लिए पैसे? क्या हमारी बहने जीवन भर ऐसे ही अपनी इक्षाओं को मारकर जीती रहेंगी? चौधरी से हिसाब किताब लेना होगा । अब बहुत मुर्ख बना लिया चौधारी ने ""सूरज चिंतित होते हुए बोला । रेखा भी सूरज की बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी । मन ही मन सोच रही थी की सूरज कितना बड़ा और समझदार हो गया था । पारवारिक जीवन को समझने लगा था।रेखा भयभीत भी थी कहीं सूरज चौधरी से बगाबत न कर बैठे ।
रेखा-"बेटा तू परेसान मत हो में खुद ही चौधरी से कर्जमाफी के लिए बात कर लुंगी।बुरा समय ज्यादा दिन के लिए नहीं आता है । एक दिन देखना सब ठीक हो जाएगा। तू चौधरी से बात मत करना । वो बहुत क्रूर और जालिम किस्म का हैवान है ।
मैंने अपने पति को तो खो दिया तुझे खोना नहीं चाहती हूँ मेरे लाल"" रेखा का गला भर्रा गया । रोआंसु हो गई थी।

सूरज जानता था की माँ का ह्रदय बहुत कोमल होता है । माँ कभी नहीं चाहेगी की में चौधरी से बात करू ।
ऐसे ही दिन गुजरते चले गए । रेखा रोजाना चौधरी का ब्याज का पैसा हरिया के पास जमा कर देती थी। ये सील सिला एक महीने तक चलता रहा । एक दिन रेखा ने पूछ लिया हरिया इस लेखा जोखा रजिस्टर में देख कर बताओ मैंने अब तक कितना पैसा जमा कर दिया?
रेखा भी 8वीं तक पढ़ी थी उसे भी थोडा बहुत गणित आता था ।
हरिया ये बात सुनकर रेखा पर क्रोधित हो जाता है और रेखा को गंवार पागल कह कर दुत्कार देता है ।
हरिया-"तेरी हिम्मत कैसे हुई लेखा जोखा देखने की तू मालिक पर शक कर रही है ? अभी रुक मालिक से कह कर तेरी लेखागिरि निकलवाता हूँ"
रेखा-" मैंने सिर्फ हिसाब किताब देखने की बात कही है,इसमें इतना उल्टा सीधा बोलने की क्या जरुरत है । क्या अपना हिसाब किताब देखना भी गुनाह है? जाओ चौधरी साहब से जाकर कह दो की पहले लेखा झोका दिखाओ फिर कर्जा की क़िस्त जमां करुँगी।
हरिया का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। हरिया-" देख रेखा तू अपनी हद में रह बरना तेरे लिए अच्छा नहीं होगा । कहीं मुह दिखाने के लायक नहीं रहेगी" रेखा का चेहरा भी गुस्से से लाल हो जाता है तभी रेखा एक जोर का तमाचा हरिया के मुह पर मारती है । हरिया तिलमिला जाता है । लकड़ी काटते-काटते उसके हाथ पत्थर जैसे हो गए थे।
रेखा-" तेरी हिम्मत कैसे हुई । अब कोई कर्जा नहीं मिलेगा बहुत लूट लिया तुमने जाकर कह दो चौधरी से ।
इतना बोलकर रेखा गुस्से में तंम तमाती घर की ओर चल देती है। हरिया अपने गाल को सहलाता हुआ गुस्से से बडबडाता है ।
हरिया-" साली तुझे और तेरी बेटियो को अगर टांगों के नीचे न रगड़ा तो मेरा नाम भी हरिया नहीं, रंडी बना दूंगा। पूरे गाँव की रखैल बनेगी तू। हरिया बुदबुदाता है । रेखा के जाने के बाद । हरिया हर हाल में रेखा और उसकी दोनों बेटियो को भोगना चाहता था । हरिया अपनी बेज्जती का बदला जरूर लेगा ।हरिया अपने काम को अंजाम देने के लिए समय का इन्तजार करता है ।
दो तीन दिन बाद हरिया चौधरी साहब के बंगले पर जाता है ।
इधर चौधरी अपने आलिशान बंगले में अपने पालतू आदमियों के साथ बैठा शराब पी रहां था ।
तभी हरिया चौधरी से बोला-" मालिक वो सूरज की माँ रेखा ने चार दिन से व्याज का पैसा नहीं दिया है, आप कहो तो साली को पकड़ कर आपके पास ले आऊँ?
बहुत बिलबिला रही है ।कर्जे का लेखा जोखा मांग रही थी। हरिया सारी बात चौधरी को बता देता है ।
चौधरी भी गुस्से से लाल हो जाता है ।
चौधरी-"उस रेखा की इतनी हिम्मत हमसे बगावत करेगी । बहुत दिन से किसी को रगडा नहीं है । साली के नितम्ब(गांड) देख कर उसे चोदने का मन करता है ।और उसकी दोनों लड़कियों को । हरिया गाडी निकाल साली के घर पर ही चलते हैं ।
हरिया गाडी निकालता है ।
चौधरी और उसके दो पालतू पहलवान भी गाडी में बैठ जाते हैं । हरिया गाडी को चलाता है ।
इधर आज सूरज आज अकेला ही लकड़ी काटने जंगल गया हुआ था । रेखा के सर में दर्द था इसलिए घर पर ही रुक जाती है ।
अब देखते हैं क्या अनहोनी होती है सूरज के परिवार के साथ...
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चौधरी और उसके पालतू कुत्ते रेखा के घर के सामने पहुँचे ।
चौधरी-" हरिया बुला रेखा को।
हरिया-" जी मालिक अभी बुलाता हूँ ।
हरिया रेखा के दरवाजे पर दस्तक देता है जोर-जोर से ।
रेखा अपने कमरे में लेटी आराम कर रही होती है । पूनम घर की साफ़ सफाई में लगी हुई थी ।
तनु गाँव की सहेली के घर खेलने गई थी।
पूनम दरवाजे पर जोर से थपथपाने पर सहम सी गई । उसे आभास हो गया जरूर कोई बात है ।बहार हरिया जोर जोर से रेखा का नाम लेकर बुला रहा था।
पूनम तुरंत अपनी माँ को खबर देती है की बहार दरवाजे पर कोई है ।
रेखा भी सहम जाती है तुरंत दरवाजे के पास
पहुच कर पूंछती है-" कौन है?
हरिया-"रेखा दरवाजा खोल चौधरी साहब आएं है तुझे लेखा झोखा दिखाने" इतना कह कर हरिया जोर से ठहाके मारके हस्ता है।
रेखा भयभीत हो जाती है। वह समझ गई थी की आज ये हरिया जरूर कुछ षड्यंत्र पूर्वक ही आया होगा।
विधि का विधान तो देखो आज रेखा सर दर्द के कारण घर पर ही थी और सूरज जंगल में।
रेखा तुरंत दरवाजा खोलती है ।और चौधरी साहब को प्रणाम करती है ।
रेखा-"प्रणाम मालिक! आज कैसे आना हुआ?
रेखा सहमी सी बोली। घर के अंदर पूनम दरवाजे के पीछे खड़ी छुप कर सुन रही थी।
चौधरी-"क्यूँ री रेखा बहुत बोलने लगी है तू आजकल, तू हमपे शक करे है। लेखा जोखा देखेगी तू।
चौधरी कड़क आवाज़ में बोला रेखा भी शाम गई और अंदर पूनम भी यह बात सुनकर डर गई।
रेखा-"मालिक कई वर्षो से में कर्जा चुका रही हूँ । कितना रुपया जमा कर दिया कितना बाकी रह गया।यही देखने के लिए मैंने कहा।
क्या मेरा इतना भी हक़ नहीं है की में बकाया राशि देख सकूँ?
रेखा की आवाज़ में हक़ और अधिकार की बातें सुनकर चौधरी गुस्से से लाल हो गया।
चौधरी-"तेरी इतनी हिम्मत दू हमसे हिसाब मांगेगी।80 हज़ार रुपया बाँकी है ।तेरे आदमी ने 1 लाख रुपया कर्जा लिया था ।
रेखा-"मालिक अगर 1 लाख का कर्जा लिया तो मेरे पति ने मुझे क्यूँ नहीं बताया। अगर वो कर्जा लेते तो मुझे जरूर बताते।

चौधरी यह बात सुनकर और गुस्से में आ गया।हालांकि चौधरी भी जानता था की कर्जा तो झूठ है वास्तविक सच्चाई तो रेखा को भोगने की थी।वो रेखा को मजबूर करना चाहता था शारीरिक सम्बन्ध के लिए।
चौधरी-" देख रेखा कान खोल कर सुन ले कर्जा तो तेरे आदमी ने लिया था अगर तूने नहीं भरा तो तेरे घर में लाशें बिछा दूंगा।
रेखा और पूनम यह सुनकर डर गई ।

रेखा-"मालिक थोडा रहम करो,हम गरीब लोग हैं । दो वक़्त की रोटी खानी मुश्किल है ऐसे में हम कैसे आपका कर्जा चुकाएंगे? दो बेटियां शादी के लिए तैयार है। कहाँ से शादी करुँगी?
रेखा रोटी हुई बोली। पूनम भी बुरी तरह से डर रही थी । बेचारी करे तो क्या करे।
चौधरी-" देख रेखा तेरा कर्जा तो माफ़ कर सकता हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है? चौधरी हवस की नजरो से रेखा के जिश्म को घूरता हुआ बोला।44 की उम्र में भी रेखा का बदन एक दम् सुडौल था उसके वक्ष स्थल पहाड़ियों के जैसी दो शिखर की तरह थी।उसका सुन्दर बदन आँखे ऐसी थी मानो जन्म जन्म की प्यासी हो।
रेखा सहमी सी बोली-" बोलिए मालिक आपकी क्या शर्त है। मेरे बश का होगा तो जरूर स्वीकार करुँगी। बस इस कर्जे से मुक्ति मिल जाए हमें ।
चौधरी-"देख रेखा तेरा मर्द तो अब रहा नहीं। तेरी भी बहुत सी इच्छाएं होंगी ।
में बस तुझे एक बार भोगना चाहता हूँ।
इसके बदले में तेरी बेटियो का भी ख्याल रखूँगा ।
रेखा की आँखे फटी की फटी रह गई।
चौधरी की बात पूरी होते ही रेखा ने एक तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया।
रेखा-"कमीने तेरी हिम्मत कैसे हुई । गरीबो की क्या इज्जत नहीं होती है।
रेखा के प्रहार से चौधरी एक दम आग बबूला हो गया। हरिया ने तुरंत रेखा के बाल पकड़ कर जमीन पर धक्का दिया।
हरिया-"शाली हराम जादी तेरी इतनी हिम्मत मालिक पर हाथ उठाया ।
हरिया ने लाते बरसानी सुरु कर दी। पूनम दरवाजे से भाग कर अपनी माँ को बचाने लगी। दो आवला नारी बेचारी क्या करती चार पहलवानो के बीच। आस पास के लोग भी तमासा देखने के लिए आ गए थे। किसी ने रेखा के पक्ष में बोलने का साहस नहीं था। तनु अपनी सहेली के घर गप्पे लड़ा रही थी ।तभी गाँव के एक लड़की ने बताया की तनु को बताया की चौधरी और उसके आदमी तेरी माँ को बुरी तरह से पीट रहें है ।
तनु डर गई और घर की और न जाकर भागती हुई जंगल की और गई जहां सूरज लकड़ी काटने जाता है।
तनु भाग रही थी उसके आँखों से लगातार गंगा जमुना बह रही थी। माँ और पूनम दीदी की चिंता भी सता रही थी ।पता नहीं क्या किया होगा उन जालिमो ने ।तनु भागती हुई जंगल पहुची और सूरज को इधर उधर देखने लगी । उसकी साँसे फूल गई थी।
तभी उसने लकड़ी काटने की आवाज़ सुनी ।
कुल्हाड़ी की आवाज़ आ रही थी । तनु उसी दिशा में सूरज को खोजने लगी।
सूरज पेड़ की डाल पर बैठा दूसरी डाल को काट रहा था । तभी उसने देखा कोई उसे पुकार रहा है। सूरज तुरंत डाल से निचे उतरा उसने देखा कोई लड़की भाग कर उसके पास आ रही है । सूरज तुरंत कुल्हाड़ी लेकर उस लड़की की तरफ भागा
सूरज जैसे कुछ नजदीक आया उसके होश उड़ गए।
सूरज-"तनु दीदी का हुआ, काहे भाग रही हो।
तनु भाग कर सूरज के पास आई। उसकी साँसे उखड गई थी।
सूरज डर गया।उसने तुरंत तनु को अपने सीने से लगा कर बोला-"क्या हुआ दीदी, इतनी डरी हुई क्यूँ हो?
तनु साँसे को स्थिर करती हुई बोली
तनु-"सूरज माँ और दीदी को बचा ले, चौधरी उन्हें मार देगा" तनु के इतना बोलते ही सूरज गुस्से से कुल्हाड़ी लेकर घर की और भागा।

इधर रेखा जमीन पर पड़ी हुई थी।हरिया एक पैर रेखा के पेट पर रखा हुआ था ।
पूनम रोटी बिलखती चौधरी के पैर पकड़ कर रहम की भीक मांग रही थी।
चौधरी-" साली ने मेरे गाल पर तमाचा मारा है । अब देखता हूँ कौन तुझे बचाता है ।
पुरे गाँव से अब चुदवाऊँगा इस रेखा को और इसकी दोनों लड़कियों को"
हरिया-"मालिक आप कहो तो दोनो माँ बेटी को यही नंगा कर देता हूँ । बहुत फुदक रही थी बहनकी लोढ़ी । हरिया रेखा को जमींन से उठाता हुआ बोला।
पूनम-"मालिक मेरी माँ को छोड़ दीजिए।
हम सारा कर्जा चुका देंगे। में आपके पाँव पड़ती हूँ " रेखा बिलखती जा रही थी लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी । लोग मूक बधिरो की तरह तमासा देख रहे थे ।
चौधरी-"रेखा को पकड़ कर उठाता है। हवस भरी नजरो से -"में तेरी माँ को छोड़ दूंगा तू मेरे साथ प्यार से एक रात सो जा।बड़े प्यार से तेरी चूत मारूँगा" चौधरी पूनम से हलके स्वर में बोला ताकि कोई और न सुन ले" पूनम फुट फुट कर रोने लगी।
हरिया की लात खा कर रेखा भी अधमरी सी हो गई थी।
पूनम चौधरी की बात सुनकर दहाड़ती हुई बोली-" चौधरी होश में रह । ईश्वर देखता होगा, तेरी बेटी भी मेरी हमउम्र की है, अपनी उम्र और इज्जत का तो लिहाज कर, अगर मेरी माँ को कुछ हो गया तो तेरी खैर नहीं है" पूनम गुस्से से दहाड़ती हुई बोली।
चौधरी गुस्से में आकर पूनम के गाल पर तीन चार थप्पड़ मार देता है। थप्पड़ इतना तेज था की पूनम के मुह से रक्त की धारा बह गई।
चौधरी-"हरिया इन दोनों माँ बेटी को नंगा कर पुरे गाँव में नंगा घुमा, साली दोनों माँ बेटी बहुत जवान लड़ा रही हैं ।
हरिया ने तुरंत रेखा की साडी को उतारने लगा । पूनम बिलख रही थी ।
हरिया ने रेखा की साडी को उतार कर फेंक दी।
अब जैसे ही हरिया ने रेखा के ब्लाउज को पकड़ा वैसे ही हरिया के सर के दो टुकड़े जमीन पर फड़फड़ाने लगे। चौधरी और उसके आदमी आँखे फाड़े खड़े के खड़े बुत से बन गए थे। जो लोग खड़े अब तक तमासा देख रहे उनमे अफरा तफरी मच गई। सब अपने घरो की ओर भागने लगे।
जैसे ही हरिया ने रेखा का ब्लाउज पकड़ा तुरंत ही सूरज भागते हुए अपनी कुल्हाड़ी से हरिया के सर में दे मारी। हरिया के सर के दो टुकड़े जमीन पर पड़े हुए थे। इतनी तेजी से सूरज ने प्रहार किया लोगों के पसीने छूटने लगे ।
पलक झकपकते ही खून की पिचकारी बहने लगी ।
पूनम ने देखा सूरज क्रोधित होकर गुस्से से चौधरी की तरफ लपका ।
सूरज-" चौधरी तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी माँ और बहनो को छेड़ने की । आज तेरी लाश जाएगी यहां से" सूरज का रोद्र रूप देख कर चौधरी भयभीत हो गया। चौधरी के दो आदमी हरिया की सर कटी लाश देख कर भाग गए । अकेला चौधरी ही बचा था ।
पूनम-" सूरज आज इस चौधरी के कुत्ते को छोड़ना मत । तुझे राखी की सौगंध है भाई।
इसने माँ को बहुत जलील किया है । बहुत शोषण किया है हम दोनों का। आज इस शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए तुझे इसका नरसंहार करना होगा भाई ।
पूनम रोती बिलखते हुए बोली ।
चौधरी की हवा खुसक हो गई थी । डर उसके माथे पर पसीना बन कर बह रहा था ।
सूरज-"चौधरी तेरे पापो का अंत हो चुका है । एक माँ की इज्जत से खेलने का दंड तुझे जरूर मिलेगा" सूरज कुल्हाड़ी लेकर चौधरी के पास पहुचा
चौधरी-"कपकपाता हुआ बोला "बेटा सूरज मुझे माफ़ कर दे । में सारा कर्जा माफ़ कर देता हूँ । मेरी जान बक्स दे"लेकिन सूरज तो अपना आपा खो बैठा था । उसे तो सिर्फ बदला दिखाई दे रहा था।
सूरज ने एक जोर का तमाचा चौधरी के गाल पर मारा । तमाचा पड़ते ही चौधरी बिलबिला उठा । लकड़ी काटने से सूरज का बदन पत्थर की तरह हो गया था ।
चौधरी जमीन पर गिर पड़ा । सूरज चौधरी को मारने के लिए जैसे ही कुल्हाड़ी उठाता है रेखा तुरंत सूरज को रोकती है।
रेखा-"सूरज ठहर जा, तुझे मेरी कसम है ।
इसको छोड़ दे, भगवान् इसे सजा देगा।
सूरज-" नहीं माँ नहीं इस कमीने ने तुम्हे बहुत लज्जित किया है । में इसको जिन्दा जमीन में गाड दूंगा ।सूरज बहुत क्रोधित होते हुए बोला, चौधरी पसीने से लथपथ हो चूका था, कभी सूरज को देखता तो कभी हरिया को देखता जो खून से लथपथ पड़ा था ।
रेखा-" नहीं सूरज । तुझे मेरी कसम..... इतना कह कर दर्द से कराह उठी रेखा और बेहोस सी हो गई ।
सूरज तुरंत रेखा की ओर भागा ।
रेखा को उठाते हुए अपने गोद में सर रख लेता है रेखा का । पूनम माँ की साड़ी को उठाकर रेखा के अधनंगे शारीर पर डाल देती है ।
चौधरी मौका देख कर भाग जाता है । सूरज उसे पकड़ने के लिए उठने लगता है तभी तनु उसे रोक लेती है
तनु-"नहीं सूरज रहने दे । पहले माँ को देख क्या हो गया है माँ को।
पूनम जल्दी से भागती हुई पानी लेकर आती है और माँ के चेहरे पर डालती है ।
गाँव के लोग अपने घरो की छत से छुप कर तमासा देख रहे थे ।तभी सूरज दहाड़ता है ।
सूरज-" तुम लोगों में इंसानियत मर चुकी है । सब के सब नपुसंको की तरह तामासा देख रहे थे । किसी ने भी आ कर बचाने का साहस नहीं किया । कान खोल कर सुन लो गांव वालो आज मेरे परिवार के साथ किया है कल तुम्हारे साथ भी ऐसा ही होगा ।
सूरज की आवाज़ सुन कर गाँव वाले अपने घरो में कैद हो गए ।
रेखा को होश आ चुका था ।
रेखा-" सूरज चौधरी कहाँ गया, क्या मार दिया तूने उसे भी ?
सूरज -" नहीं माँ भाग गया साला ।
सूरज अपनी माँ को उठा कर घर के अंदर ले आता है ।
इधर चौधरी गाँव के 100-200 लोगों को इकठ्ठा कर सूरज को मारने के लिए लोगो को इकठ्ठा करने लगता है । हरिया की मौत का बदला लेने के लिए गाँव के सरपंच और सभी बुजुर्ग को इकठ्ठा कर सूरज के घर की और आने लगता है ।
चौधरी गाँव वालो को सूरज और रेखा के विरोध में कान भरने लगता है ।
चौधरी-" सरपंच जी में रेखा से अपना कर्ज मागने गया था, लेकिन रेखा ने मना कर दिया और बोली की कर्जे के बदले आप मेरे साथ सारीरिक सम्बन्ध बना लीजिए।
में भला शरीफ आदमी मैंने रेखा को तमाचा मार दिया । सूरज ने आकर हरिया की कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी, बताओ मैंने क्या बुरा किया""
चौधरी ने झूठ बोलकर गाँव के लोगो को अपनी ओर कर लिया ।
गाँव के लोग जोर जोर से बोलने लगे की
रेखा बदचलन औरत है इसको गाँव से बहार निकालो बरना हमारे बच्चे बिगड़ जाएंगे।
गाँव के सभी लोग आक्रोशित होकर रेखा के घर की तरफ बड़ने लगे ।
पुरे गाँव में ये अफवाह फ़ैला दी की रेखा बदचलन है और उसकी दोनों लड़कियां भी ।
गाँव का एक शरीफ आदमी भोला भागते हुए सूरज के घर आया और उसने सारी बातें सूरज को कह दी ।
सूरज 5-6लोगों से तो लड़ सकता था लेकिन पुरे गाँव से नहीं ।
भोला की बातें रेखा और पूनम तनु ने भी सुन ली थी ।
रेखा-" सूरज अब इस गाँव से चलो कहीं और रह लेंगे । इस गाँव के लोग गरीबो की बात नहीं सुनेंगे ।
पूनम-"हाँ भैया चलो अब इस गाँव से और बेज्जती सहन नहीं होगी मुझसे ।
तनु भी रोते हुए यही बोली ।
सूरज -" चलो माँ अब मेरा भी इस गाँव में रहने का दिल नहीं कर रहा है ।
सूरज ने अपनी बहनो से कहा की जरुरत का सामान रख लो । बैग तैयार कर लो ।
पूनम और तनु ने आनन् फानन में कपडे और जरुरत का सामान बाँध लिया और घर के दरवाजे पर ताला मार कर शहर की और चल दिए ।घर के पास ही शहर को जाने वाली सड़क पर आकर एक बस में सवार होकर अपने गाँव को अलविदा कह दिया ।
जब चौधरी रेखा के के घर के पास आया तो देखा दरवाजे पर ताला लगा हुआ था ।
चौधरी-"देखा गाँव वालो रेखा अपने बच्चों को लेकर भाग गई ।
गाँव वाले चौधरी की बात का यकीन करने लगे ।
गाँव वाले-" चौधरी साहब रेखा कभी तो आएगी गाँव वापिस लौट कर आएगी ।
जब भी आएगी हम सब लोग उस बदचलन औरत से आपका बदला जरूर लेंगे ।इतना कह कर गाँव के लोग अपने घरो की ओर लौट गए ।
हरिया की लाश को ले जा कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया ।
अब देखते हैं शहर में रेखा और सूरज की ज़िन्दगी कैसे गुज़रती है....
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

गांव छोड़ने का दुःख रेखा और सूरज के चेहरे पर उदासी बन कर साफ़ छलक रही थी । जिस गाँव में पूरा जीवन व्यतीत किया, जन्म से लेकर अबतक का सफ़र किसी दृश्य की तरह सभी के दिलो दिमाग पर छाया हुआ था ।
बस में बैठे चारो लोग गुमसुम थे । आगे क्या होगा, शहर में कहाँ रहेंगे? क्या खाएंगे?
ये बातें सब के मन में चल रही थी ।
एक तरफ ध्यान चौधरी और हरिया की खून से लथपथ लाश पर जाता तो सबका मन झकझोर उठता ।
इन्ही बातों को सोचते-सोचते शहर कब आ जाता है पता ही नहीं चलता ।
कंडेक्टर के आवाज़ लगाने पर चारो लोग चोंकते हुए उठते हैं ।
बस से निचे उतरते ही चारो के मन में बस एक ही बात आ रही थी" नया शहर नई ज़िन्दगी" कहाँ जाए? चारो लोग बस से उतरते हैं ।
लेकिन अब जाना कहाँ है, ये किसी को नहीं मालुम ।
तनु-" मम्मी हम शहर तो आ गए लेकिन अब कहाँ रहेंगे,
रेखा-" बेटा जहां ऊपर बाला लेकर जाएगा, ईश्वर जरूर कुछ इंतजाम करेगा।
सूरज-"माँ चलो कुछ न कुछ में इंतज़ाम करता हूँ ।किसी झोपड़ पट्टी में शायद कुछ रहने का इंतज़ाम हो जाए ।
में यहीं कहीं अपने लिए काम ढूंढ लेता हूँ ।
पूनम-" माँ सुबह से किसी ने कुछ खाया भी नहीं है । आपका तो बहुत सारा रक्त भी बह गया । पहले कुछ खा लेते हैं ।
सूरज-" हाँ दीदी चलो पहले कहीं बैठने का इंतज़ाम करते हैं । आप लोग वहीँ बैठना में कुछ खाने का इंतज़ाम कर लूंगा।
सभी लोग शहर की सड़को पर चलते चलते काफ़ी दूर निकल आए ।
रेखा की हालात ठीक नहीं थी, फिर भी अपना दर्द छुपा कर आराम आराम चल रही थी ।
तभी सूरज को एक मंदिर दिखाई पड़ा ।
काफी विशाल और भव्य दिखाई दे रहा था । नव दुर्गा के कारण काफी भीड़भाड़ भी थी ।
सूरज-"माँ चलो इस मंदिर में चलते हैं ।थोड़ी देर विश्राम कर लो ।
पूनम और तनु तो शहर की चका चोंध और बड़ी-बड़ी इमारते देखने में आश्चर्य महसूस कर रही थी । गाँव और शहर की ज़िन्दगी की तुलना उनके मन में चल रही थी ।
सूरज सभी लोगो को मंदिर लेकर जाता है ।
मंदिर इतना बड़ा था की उनका गाँव भी इसके आगे बहुत छोटा लग रहा था ।
पूनम और तनु तो आने वाले लोगो। को देख रही थी । काफी श्रद्धालु मन्नत मागने के लिए ईश्वर के सामने प्रार्थना कर रहे थे ।
पूनम और तनु भी मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी की सब कुछ ठीक हो जाए । रहने को घर और खाने को दो वक़्त की रोटी नसीब हो जाए ।
ईश्वर को देख कर लगभग सभी के मन में यही प्रार्थना थी ।
मंदिर के अंदर बहुत बड़ा आलिशान चबूतरा बना हुआ था । रेखा और पूनम, तनु वहीँ वैठ गए ।
सूरज कुछ खाने के इंतज़ाम के बारे में सोच रहा था । तभी मंदिर के दूसरे स्थान पर कुछ लोग भंडारा कर रहे थे ।सूरज तुरंत ही भंडारे की तरफ भाग कर गया, और सभी के लिए भोजन ले आया ।
चारो ने भोजन किया और ईश्वर को धन्यवाद दिया ।
भोजन करने के उपरान्त रेखा पूनम और तनु चबूतरे पर लेट गई ।
सूरज-" माँ में रहने के लिए घर का इंतज़ाम करके आता हूँ और कुछ काम भी ढूंढ लूंगा अपने लिए ।
मुझे आने में समय लग सकता है आप लोग कहीं जाना नहीं ।
रेखा-"बेटा इतने बड़े शहर में कहाँ घर ढूंढेगा । कुछ दिन इसी मंदिर में रह लेते हैं ।खाने के लिए भंडारे की व्यवस्था है ही ।
सूरज-" माँ घर तो ढूँढना ही पड़ेगा। मंदिर में एक दो दिन तो रह सकते हैं ज्यादा दिन नहीं ।
पूनम-" हाँ माँ सूरज सही कह रहा है ।
माँ में भी कुछ काम ढूंढ लुंगी अपने लिए ।
फिर कोई समस्या नहीं आएगी।
सूरज-"नहीं दीदी आपको काम करने की जरुरत नहीं है.आपका भाई सब ठीक कर देगा । दीदी आप माँ और तनु दीदी का ख्याल रखना में रहने का कुछ इंतज़ाम करता हूँ ।
रेखा-" बेटा अपना ध्यान रखना । और जल्दी आ जाना' रेखा चिंतित होती हुई बोली
सूरज वहां से चल दिया। मंदिर से वहार निकलते ही एक बार फिर पलट कर अपनी माँ और दोनों दीदी को देखता है ।सभी लोग सूरज को ही देख रहे थे ।
तीनो लोगों की आँखों में एक उम्मीद और जिम्मेदारी दिखाई दे रही थी सूरज के प्रति ।
सूरज मंदिर से बहार निकला ही था तभी उसने देखा एक सुन्दर सी महिला जो मंदिर में पूजा करने आई थी, देखने से ही अमीर घराने की लग रही थी । वह महिला मंदिर से जैसे ही बहार के लिए निकली दो गुंडे उसे मारने के लिए आए । दोनों गुंडे के हांथो में हॉकी और कमर में तमंचा लगा हुआ था।
जैसे ही उस महिला के सामने दोनों गुंडे पहुंचे महिला डर से इधर उधर भागने लगी।
सूरज बड़े गौर से देख रहा था । सूरज उस महिला को बचाने के लिए जैसे उस गुंडे के सामने गया । दोनों गुंडे सूरज को देख कर चोंक गए ।और आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगे ।
सूरज उस महिला के सामने पंहुचा तो वह महिला भी सूरज को देख कर उसके आँखों में आंसू बहने लगे ।
सूरज भी चकित था की यह लोग मुझे देख कर इतने हैरान क्यों है ?
तभी दोनों गुंडे सूरज पर हॉकी से बार करते हैं ।
एक गुंडा-" तू अभी तक जिन्दा है सूर्य प्रताप"' हमने तो सोचा तू मर गया होगा"

दूसरा गुंडा-" सूर्य प्रताप तू आज नहीं बचेगा । तुझे और तेरी माँ को आज एक साथ मार देंगे । दोनों गुंडे जोर से हस्ते हुए बोले ।
लेकिन सूरज उनकी बातें सुनकर चोंक गया । ये किस सूर्य प्रताप की बात कर रहें हैं ।
तभी वह औरत सूरज के पास आकर बोली
सूर्या बेटा तू कहाँ चला गया था । कितना परेसान थी में । रोजाना मंदिर में आकर तेरे लिए प्रार्थना करती हूँ ।
इतना ही बोल पाई वह औरत तब तक एक गुंडे ने उस औरत के सर पर हॉकी से बार कर दिया ।
सूरज ने तुरंत उस गुंडे के सीने में एक जोर से लात मारी गुंडा सीढ़ीयों से नीचे गिरा ।
दूसरे गुंडे को भी लात मारता है ।फिर हॉकी उठा कर दोनों गुंडे को मार मार कर अधमरा कर देता है ।
सूरज उस औरत के पास आता है जो बेहोस पड़ी थी ।सूरज उस औरत को नीचे लेकर आता है तभी एक फॉर्च्यूनर गाडी सूरज के पास आकर रुकी ।
गाड़ी से ड्रावर बहार निकला ।
ड्रावर-" साहब मालकिन को क्या हो गया है?
सूरज-" कुछ गुंडों ने इनके ऊपर हमला किया था । बेहोस हैं अस्पताल लेकर जाना पड़ेगा"
ड्रावर-" चलो सूर्या भैया गाडी में बैठो। मालकीन को हॉस्पिटल लेकर चलते हैं ।
सूरज तुरंत गाडी में बैठ जाता है । उस महिला को आराम से बीच बाली सीट पर लेटा देता है और खुद आगे आकर बैठ जाता है ।
सूरज बार बार यह सोच रहा था की ये सूर्यप्रताप कौन है ? गुंडे दोनों माँ बेटे को क्यों मारना चाहते हैं ?
मुझे देख कर सभी लोग चोंक क्यूँ गए?
मुझे बार बार सूर्यपताप कह कर क्यूँ पुकार रहें हैं?
इन्ही बातो को लेकर सूरज परेसान था तभी वह ड्रावर से पूछता है ?
सूरज-" ड्रावर भैया ये सूर्यप्रताप कौन है और ये औरत कौन है ?
ड्रावर" हैरान होकर सूरज से बोलता है!" मालिक मज़ाक क्यों कर रहे हो ?
आप ही तो सूर्याप्रताप हो । ये आपकी माँ राधिका प्रताप हैं । आप कहाँ चले गए थे मालिक ?
मालकिन रोज आपके लिए मंदिर में दुआ माँगने आती हैं"""
सूरज बहुत चकित था और परेसान था यह क्या हो रहा है उसके साथ ।
कौन हैं यह लोग और मुझे सूर्यप्रताप कयूँ बोल रहें हैं ।
इन्ही बातों को सोचते सोचते हॉस्पिटल आ जाता है ।
सूरज राधिका के लिए गाडी से बहार निकलता है और इमरजेंसी वार्ड में लेकर भर्ती करवाता है ।
ड्रावर फोन करके परिवार के लोगों को घटना की सुचना देता है ।
डॉक्टर राधिका के लिए तुरंत भर्ती करते हैं और ट्रीटमेन्ट सुरु कर देते हैं ।
सूरज वार्ड के बहार कुर्सी पर आज की पूरी घटनाक्रम के बारे में सोच रहा था ।
गाँव से लेकर हरिया का क़त्ल और चौधरी की पिटाई से लेकर गाँव छोड़कर भागने से अब तक परेसानियां एक एक करके उसके दिमाग में चल रही थी ।
सूर्यप्रताप और राधिका उसके दिमाग़ में अभी भी प्रश्नचिन्ह की तरह बने हुए थे ।
तभी हॉस्पिटल के अंदर एक सुन्दर सी लड़की अंदर की ओर भागती हुई आती है ।
जीन्स और टॉप पहने हुए लगभग 24 वर्षीय होगी ।
लड़की-" डॉक्टर से " मेरी माँ कहाँ है ?
क्या हुआ है उन्हें ? अब कैसी हैं?
डॉक्टर-" आप राधिका जी की बेटी हैं?
लड़की-" जी हाँ डॉक्टर साहब में उनकी बेटी तान्या हूँ" लड़की परेसान सी थी, तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और गुस्से से मेरी तरफ आकर एक जोर से तमाचा मेरे गाल पर मारा । मेरे तो होश ही उड़ गए ।
उस लड़की की आँखों में मेरे लिए नफरत साफ़ दिखाई दे रही थी ।में बूत की तरह सिर्फ उसे ही देखे जा रहा था ।
तभी वह लड़की मेरी और गुस्से से देखती हुई बोली जिसका नाम तान्या था।
तान्या-" आज माँ की यह हालात सिर्फ तेरी बजह से है, तेरी बजह से ही माँ वो लोग माँ की जान के दुश्मन बने हुए हैं ।
जब तू घर से भाग गया तो अब वापिस क्यूँ आया ।
सूरज की समझ में नहीं आ रहा था की आखिर ये हो क्या रहां था ।
तभी डाक्टर उनके पास आया ।
डॉक्टर-"राधिका जी के लिए होश आ गया है । वो बिलकुल ठीक हैं आप उनसे मिल सकते हैं । आप उन्हें घर भी ले जा सकते हैं ।

तान्या और सूरज राधिका के की तरफ जाते हैं ।
राधिका सूरज को देख कर रोने लगती है ।उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते हैं ।
राधिका सूरज की ओर देखते हुए
राधिका-" बेटा तू कहाँ चला गया था । एक महीने से तुझे कहाँ -कहाँ नहीं ढूंढा, अब तू कहीं मत जाना मुझे छोड़ कर बेटा ।
सूरज से राधिका के आंसू देखे नहीं गए । वह राधिका के आंसू पोंछता है ।
सूरज-"माँ आप परेसान मत होइए ।
में कहीं नहीं जाऊँगा ।
राधिका सूरज को अपने सीने से लगा लेती है ।
तभी ड्रावर और तान्या राधिका को हॉस्पिटल से छुट्टी कराकर घर के लिए निकलती है ।
सूरज भी आगे वाली सीट पर बैठा अपनी माँ और बहनो के बारे में सोच रहा था ।
उसे मंदिर से निकले लगभग 3 घंटे हो चुके थे ।किराए का घर और अपने लिए काम ढूंढ़ने निकला था ईश्वर ने कैसी मुसीबत में डाल दिया यही सब सोच रहा था ।
अभी गाडी एक आलिशान कोठी पर आकर रुकी ।
ड्रावर-" मालिक घर आ गया उतरो" सूरज को हिला कर बोला जो अपनी सोच में डूबा हुआ था ।
सूरज ने जैसे ही गाडी से उतर कर कोठी की ओर देखा उसकी आँखे चोंधियां गई ।
ये बहुत बड़ी कोठी थी।जिसकी भव्यता देखने लायक थी ।
सूरज ने राधिका को सहारा देकर कोठी के अंदर प्रवेश किया ।कोठी बहुत सुन्दर ओर आलिशान बनी हुई थी । ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना देख रहा हूँ । गाँव की टूटी फूटी चार दीवारों में रहने बाले के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था ये घर ।
राधिका को सोफ़ा पर लेटा कर सूरज खुद दूसरे सोफे पर बैठ गया तभी नोकर सूरज के लिए जूस लेकर आया । सूरज जूस पी कर कोठी का मुयायना कर रहस था।
तभी राधिका-" बेटा अपने रूम में जा कर फ्रेस हो जा, और ये कपडे कितने गंदे पहना है इन्हें उतार कर दूसरे कपडे पहन ले"
सूरज सब कुछ सच बता देना चाहता था ।शायद गलत फहमी का शिकार हुआ हूँ में
इनका बेटा में नहीं हूँ ।
सूरज-' माँ में कुछ बात करना चाहता हूँ आपसे" सूरज इतना ही बोला तभी राधिका बोल पड़ी
राधिका-"बेटा बातें तो मुझे भी तुझसे बहुत सारी करनी है लेकिन अभी नहीं पहले तू फ्रेस हो जा और ये गंदे मैले कपडे उतार दे।
तभी राधिका एक नोकर को सूरज के साथ उसके साथ रूम में भेजती है।
राधिका-" नोकर से! शंकर सूर्या के रूम का ताला खोल दे ।
शंकर सूरज को लेकर ऊपर छत पर बने एक रूम का ताला खोल देता है ।
सूरज जैसे ही उस रूम में प्रवेश करता है एक दम चोंक जाता है ।
रूम बहुत आलिशान बना हुआ था । रूम की दीवार पर सूरज की फोटो लगी हुई थी ।
सूरज पूरा माजरा समझ जाता है की सूर्यप्रताप इनका बेटा है जिसकी सकल मुझसे मिलती है जो बिलकुल मेरी ही तरह था ।
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