thanks mitro
मेरी बिगडेल जिद्दी बहन complete
- rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
thanks mitro
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मम्मी-पापा के आ जाने के बाद मिली घर के कामों में व्यस्त हो गई और मैं ऐसे ही घर में घूमता रहा। घूम तो क्या रहा था.. बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था।
यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, मिली के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था।
इस दौरान मेरी और मिली की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा मिली से सामना होता.. तो मिली मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं।
मैं भी मिली की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो मिली के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था।
करीब दस बजे मिली घर के काम निपटा कर कमरे में आई। मिली ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। मिली के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
मिली मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपने कपड़े निकालने लगी। मैं बस चोर निगाहों से मिली को देख रहा था।
मिली लेटते हुए एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराईं और हँसते हुए मुझसे कहा- सोते समय लाईट बन्द कर देना।
मैं कौन सा पढ़ाई कर रहा था, मिली के बोलते ही मैंने तुरन्त किताबें बन्द कर दीं और लाईट बन्द करके मिली के बगल में जाकर लेट गया।
कुछ देर तक मैं और मिली ऐसे ही लेटे रहे क्योंकि शायद मिली सोच रही थीं कि मैं पहल करूँगा.. मगर मुझसे पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर भी मैंने करवट बदलकर मिली की तरफ मुँह कर लिया और इसी बहाने धीरे से एक पैर भी मिली के पैरों पर रख दिया। पैरों पर तो क्या रखा था बस ऐसे ही छुआ दिया था।
मेरे करवट बदलते ही मिली ने भी करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोड़ा सा मेरे नजदीक भी हो गई.. जिससे हम दोनों के शरीर स्पर्श करने लगे।
वो खिसक कर मेरे बिल्कुल पास आ गई, मिली का चेहरा अब मेरे बिल्कुल पास आ गया था और हम दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के चेहरे पर पड़ने लगी।
मिली ने अपने नाजुक होंठों को मेरे होंठों से छुआ दिया। मुझसे अब रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने होंठों को खोलकर धीरे से मिली का एक होंठ अपने होंठों के बीच थोड़ा सा दबा लिया और अपने होंठों से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा।
मुझे अब भी थोड़ा डर लग रहा था, मगर फिर तभी मिली ने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मुझमें भी अब कुछ हिम्मत आ गई थी। इसलिए मैं भी मिली के होंठों को चूसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ मिली के नितम्बों पर रख कर नाइटी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनके भरे हुए माँसल नितम्बों व जाँघों को सहलाने लगा।
मिली की मखमली जाँघों व नितम्बों पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे कि मक्खन पर मेरा हाथ घूम रहा हो।
मिली के होंठों को चूसते हुए मुझे लगा जैसे कि मिली की जीभ बार-बार मेरे होंठों के बीच आकर मेरे दांतों से टकरा रही हो।
पहले एक-दो बार तो मैंने ध्यान नहीं दिया.. मगर जब बार-बार ऐसा होने लगा तो इस बार मैंने अपने दांतों को थोड़ा सा खोल दिया। मेरे दाँत अलग होते ही मिली की जीभ मेरे मुँह में अन्दर तक का सफर करने लगी। मिली की गर्म लचीली जीभ मेरे होंठों के भीतरी भाग को तो, कभी मेरी जीभ को सहलाने लगी।
मैंने भी मिली की नर्म जीभ को अपने होंठों के बीच दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया, मिली के मुँह का मधुर रस अब मेरे मुँह में घुलने लगा और मिली के इस मधुर रस के स्वाद में मैं इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी जीभ मिली की जीभ का पीछा करते हुए उनके मुँह में चली गई।
अब मिली की बारी थी। मिली ने जोरों से मेरी जीभ को दांतों तले दबा लिया और बहुत जोरों से उसे चूसने लगी.. जिससे मुझे दर्द होने लगा।
मैंने मिली से दूर होकर अपनी जीभ को छुड़ाने का प्रयास भी किया मगर मिली ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकड़ लिया। मिली का पहले वाला हाथ जो कि मेरे सिर पर था.. वो अब मेरी कमर पर आ गया और मिली ने मेरे सिर व कमर को पकड़ कर मुझे जोरों से अपनी तरफ खींच लिया। साथ ही मिली ने खुद भी मुझसे चिपक कर अपने दोनों उरोजों को मेरी छाती में धंसा दिए।
यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, मिली के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था।
इस दौरान मेरी और मिली की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा मिली से सामना होता.. तो मिली मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं।
मैं भी मिली की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो मिली के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था।
करीब दस बजे मिली घर के काम निपटा कर कमरे में आई। मिली ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। मिली के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
मिली मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपने कपड़े निकालने लगी। मैं बस चोर निगाहों से मिली को देख रहा था।
मिली लेटते हुए एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराईं और हँसते हुए मुझसे कहा- सोते समय लाईट बन्द कर देना।
मैं कौन सा पढ़ाई कर रहा था, मिली के बोलते ही मैंने तुरन्त किताबें बन्द कर दीं और लाईट बन्द करके मिली के बगल में जाकर लेट गया।
कुछ देर तक मैं और मिली ऐसे ही लेटे रहे क्योंकि शायद मिली सोच रही थीं कि मैं पहल करूँगा.. मगर मुझसे पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर भी मैंने करवट बदलकर मिली की तरफ मुँह कर लिया और इसी बहाने धीरे से एक पैर भी मिली के पैरों पर रख दिया। पैरों पर तो क्या रखा था बस ऐसे ही छुआ दिया था।
मेरे करवट बदलते ही मिली ने भी करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोड़ा सा मेरे नजदीक भी हो गई.. जिससे हम दोनों के शरीर स्पर्श करने लगे।
वो खिसक कर मेरे बिल्कुल पास आ गई, मिली का चेहरा अब मेरे बिल्कुल पास आ गया था और हम दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के चेहरे पर पड़ने लगी।
मिली ने अपने नाजुक होंठों को मेरे होंठों से छुआ दिया। मुझसे अब रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने होंठों को खोलकर धीरे से मिली का एक होंठ अपने होंठों के बीच थोड़ा सा दबा लिया और अपने होंठों से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा।
मुझे अब भी थोड़ा डर लग रहा था, मगर फिर तभी मिली ने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मुझमें भी अब कुछ हिम्मत आ गई थी। इसलिए मैं भी मिली के होंठों को चूसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ मिली के नितम्बों पर रख कर नाइटी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनके भरे हुए माँसल नितम्बों व जाँघों को सहलाने लगा।
मिली की मखमली जाँघों व नितम्बों पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे कि मक्खन पर मेरा हाथ घूम रहा हो।
मिली के होंठों को चूसते हुए मुझे लगा जैसे कि मिली की जीभ बार-बार मेरे होंठों के बीच आकर मेरे दांतों से टकरा रही हो।
पहले एक-दो बार तो मैंने ध्यान नहीं दिया.. मगर जब बार-बार ऐसा होने लगा तो इस बार मैंने अपने दांतों को थोड़ा सा खोल दिया। मेरे दाँत अलग होते ही मिली की जीभ मेरे मुँह में अन्दर तक का सफर करने लगी। मिली की गर्म लचीली जीभ मेरे होंठों के भीतरी भाग को तो, कभी मेरी जीभ को सहलाने लगी।
मैंने भी मिली की नर्म जीभ को अपने होंठों के बीच दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया, मिली के मुँह का मधुर रस अब मेरे मुँह में घुलने लगा और मिली के इस मधुर रस के स्वाद में मैं इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी जीभ मिली की जीभ का पीछा करते हुए उनके मुँह में चली गई।
अब मिली की बारी थी। मिली ने जोरों से मेरी जीभ को दांतों तले दबा लिया और बहुत जोरों से उसे चूसने लगी.. जिससे मुझे दर्द होने लगा।
मैंने मिली से दूर होकर अपनी जीभ को छुड़ाने का प्रयास भी किया मगर मिली ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकड़ लिया। मिली का पहले वाला हाथ जो कि मेरे सिर पर था.. वो अब मेरी कमर पर आ गया और मिली ने मेरे सिर व कमर को पकड़ कर मुझे जोरों से अपनी तरफ खींच लिया। साथ ही मिली ने खुद भी मुझसे चिपक कर अपने दोनों उरोजों को मेरी छाती में धंसा दिए।
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मेरी जीभ को मिली इतने जोरों से चूस रही थी कि मुझे अपनी जीभ खींच कर मिली के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी। दर्द के कारण मैं छटपटाने लगा मगर मिली छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी मैंने मिली के एक होंठ को दांतों से काट लिया.. जिससे कि मिली ने छटपटा कर मेरी जीभ को छोड़ दिया और मुझसे अलग होकर मेरे कपड़े खींचने लगी।
मुझसे भी अब अपने शरीर पर कपड़े बर्दाश्त नहीं हो रहे थे इसलिए मैं जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब की बार मैंने मिली को पकड़ कर जोरों से भींच लिया.. जिससे उनके दोनों उरोज मेरे सीने से पिस से गए और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिंग से चिपक गई।
तभी मिली मेरी कमर को जोर से पकड़ कर सीधी हो गई.. जिससे कि मैं भी उनके साथ-साथ खींचकर मिली के ऊपर आ गया और मिली का मखमली नर्म मुलायम शरीर मेरे भार से दब गया।
मिली के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया था, जो कि मेरे लिंग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी।
मिली अब भी मेरे होंठों को जोरों से चूम चाट रही थीं। मगर मैं मिली के होंठों को चूसते हुए अब नाइटी के ऊपर से ही उनके दोनों उरोजों को भी सहलाने लगा था।
मिली ने ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिए नाइटी के ऊपर से ही मुझे उनकी मखमली नर्मी का अहसास हो रहा था। उनके चूचुक कठोर होकर अपनी मौजूदगी का अलग ही अहसास करवा रहे थे।
मिली के होंठों को छोड़कर मैं अब उनके गालों व गर्दन पर से होते हुए उनके उरोजों पर ऊपर आ गया और धीरे-धीरे उनके उरोजों को चूमने लगा। मगर मिली के उरोजों व मेरे प्यासे होंठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था।
और तभी..
जैसे कि मिली ने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.. उन्होंने एक ही झटके में ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने दोनों उरोजों को आजाद कर दिया। ब्लाउज के बटन खुलते ही मैं भी उन पर ऐसे टूट पड़ा जैसे कि जन्मों के प्यासे को आज पहली बार कुंआ मिल गया हो।
मैं मिली के दोनों उरोजों को बारी-बारी से चूमने-चाटने लगा, साथ ही हाथों से उन्हें मसल भी रहा था।
मिली अब हल्का-हल्का कराहने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उनके दोनों चूचुक खड़े हो कर तन गए थे जो कि मेरे गालों पर चुभ से रहे थे, मैं भी मिली एक चूचुक को मुँह ने भरकर गप्प कर गया जिससे मिली के मुँह से सिसकी सी निकल गई और उसने मेरे सिर को अपने सीने पर जोरों से दबा लिया।
मैं भी मिली के चूचुक को अपनी जीभ व दांतों से कुरेद-कुरेद कर चूसने लगा। इससे मिली के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां फूटने लगी।
मिली ने अपने पैरों को फैलाकर मुझे अपनी जाँघों के बीच दबा लिया और अपने नितम्बों को आगे-पीछे करके अपनी योनि को मेरे लिंग से रगड़ने लगी।
तभी मेरे दिमाग में मिली की योनि का ख्याल आया, मैं मिली के ऊपर लेटा हुआ था और मैं इस स्थिति में तो मिली की योनि को नहीं छू सकता था.. इसलिए मिली के उरोजों को चूसते हुए ही मैं थोड़ा सा खिसक कर मिली के शरीर पर से नीचे उतर गया, मैं अपना एक हाथ मिली के उरोजों पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुए उनकी योनि पर ले आया जबकि मेरा दूसरा हाथ अभी भी मिली के उरोजों को ही सहलाने में व्यस्त था।
नाइटी के ऊपर से ही मैंने मिली की योनि का मुआयना किया, मिली ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि मिली का नाइटी का कपड़ा भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था।
नाइटी के ऊपर से ही मैं धीरे-धीरे मिली की योनि को सहलाने लगा.. जिससे कुछ ही देर में मिली की नाइटी का आगे का भाग.. जहाँ पर मैं उनकी योनि को सहला रहा था वो गीला होकर योनि से चिपक गया।
मिली की योनि को सहलाते हुए ही मैंने धीरे-धीरे उनके नाइटी को भी ऊपर खींचकर उनके पेट तक उलट दिया और अब मेरा हाथ मिली की नंगी योनि को छू गया।
जैसे ही मैंने मिली की नंगी योनि को छुआ.. मिली के मुँह से एक हल्की सीत्कार सी फूट पड़ी और स्वतः ही उनकी दोनों जाँघें एक-दूसरे से चिपक गई… मगर फिर जल्दी ही वो खुल भी गई।
मिली की योनि को निर्वस्त्र करने के बाद मैंने मिली के उरोजों को छोड़ दिया और धीरे-धीरे मिली के पेट को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मिली के पेट पर से होते हुए जैसे ही मेरे होंठ मिली की नंगी योनि के पास पहुँचे.. मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशशश..’ की आवाज करके दोनों जाँघों को बन्द करके अपनी योनि को छुपा लिया।
मैंने भी बस योनि के ऊपरी भाग को एक-दो बार चूमा और फिर नीचे जाँघों की तरफ बढ़ गया क्योंकि योनि काफी गीली व चिपचिपी सी थी, उसमें से एक अजीब सी गंध भी आ रही थी।
उस समय मुझे नहीं पता था कि ये क्या था, इसलिए मैं सीधा मिली की मांसल भरी हुई जाँघों पर से होते हुए उनके कोमल पैरों पर पहुँच गया।
मुझसे भी अब अपने शरीर पर कपड़े बर्दाश्त नहीं हो रहे थे इसलिए मैं जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब की बार मैंने मिली को पकड़ कर जोरों से भींच लिया.. जिससे उनके दोनों उरोज मेरे सीने से पिस से गए और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिंग से चिपक गई।
तभी मिली मेरी कमर को जोर से पकड़ कर सीधी हो गई.. जिससे कि मैं भी उनके साथ-साथ खींचकर मिली के ऊपर आ गया और मिली का मखमली नर्म मुलायम शरीर मेरे भार से दब गया।
मिली के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया था, जो कि मेरे लिंग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी।
मिली अब भी मेरे होंठों को जोरों से चूम चाट रही थीं। मगर मैं मिली के होंठों को चूसते हुए अब नाइटी के ऊपर से ही उनके दोनों उरोजों को भी सहलाने लगा था।
मिली ने ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिए नाइटी के ऊपर से ही मुझे उनकी मखमली नर्मी का अहसास हो रहा था। उनके चूचुक कठोर होकर अपनी मौजूदगी का अलग ही अहसास करवा रहे थे।
मिली के होंठों को छोड़कर मैं अब उनके गालों व गर्दन पर से होते हुए उनके उरोजों पर ऊपर आ गया और धीरे-धीरे उनके उरोजों को चूमने लगा। मगर मिली के उरोजों व मेरे प्यासे होंठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था।
और तभी..
जैसे कि मिली ने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.. उन्होंने एक ही झटके में ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने दोनों उरोजों को आजाद कर दिया। ब्लाउज के बटन खुलते ही मैं भी उन पर ऐसे टूट पड़ा जैसे कि जन्मों के प्यासे को आज पहली बार कुंआ मिल गया हो।
मैं मिली के दोनों उरोजों को बारी-बारी से चूमने-चाटने लगा, साथ ही हाथों से उन्हें मसल भी रहा था।
मिली अब हल्का-हल्का कराहने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उनके दोनों चूचुक खड़े हो कर तन गए थे जो कि मेरे गालों पर चुभ से रहे थे, मैं भी मिली एक चूचुक को मुँह ने भरकर गप्प कर गया जिससे मिली के मुँह से सिसकी सी निकल गई और उसने मेरे सिर को अपने सीने पर जोरों से दबा लिया।
मैं भी मिली के चूचुक को अपनी जीभ व दांतों से कुरेद-कुरेद कर चूसने लगा। इससे मिली के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां फूटने लगी।
मिली ने अपने पैरों को फैलाकर मुझे अपनी जाँघों के बीच दबा लिया और अपने नितम्बों को आगे-पीछे करके अपनी योनि को मेरे लिंग से रगड़ने लगी।
तभी मेरे दिमाग में मिली की योनि का ख्याल आया, मैं मिली के ऊपर लेटा हुआ था और मैं इस स्थिति में तो मिली की योनि को नहीं छू सकता था.. इसलिए मिली के उरोजों को चूसते हुए ही मैं थोड़ा सा खिसक कर मिली के शरीर पर से नीचे उतर गया, मैं अपना एक हाथ मिली के उरोजों पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुए उनकी योनि पर ले आया जबकि मेरा दूसरा हाथ अभी भी मिली के उरोजों को ही सहलाने में व्यस्त था।
नाइटी के ऊपर से ही मैंने मिली की योनि का मुआयना किया, मिली ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि मिली का नाइटी का कपड़ा भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था।
नाइटी के ऊपर से ही मैं धीरे-धीरे मिली की योनि को सहलाने लगा.. जिससे कुछ ही देर में मिली की नाइटी का आगे का भाग.. जहाँ पर मैं उनकी योनि को सहला रहा था वो गीला होकर योनि से चिपक गया।
मिली की योनि को सहलाते हुए ही मैंने धीरे-धीरे उनके नाइटी को भी ऊपर खींचकर उनके पेट तक उलट दिया और अब मेरा हाथ मिली की नंगी योनि को छू गया।
जैसे ही मैंने मिली की नंगी योनि को छुआ.. मिली के मुँह से एक हल्की सीत्कार सी फूट पड़ी और स्वतः ही उनकी दोनों जाँघें एक-दूसरे से चिपक गई… मगर फिर जल्दी ही वो खुल भी गई।
मिली की योनि को निर्वस्त्र करने के बाद मैंने मिली के उरोजों को छोड़ दिया और धीरे-धीरे मिली के पेट को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मिली के पेट पर से होते हुए जैसे ही मेरे होंठ मिली की नंगी योनि के पास पहुँचे.. मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशशश..’ की आवाज करके दोनों जाँघों को बन्द करके अपनी योनि को छुपा लिया।
मैंने भी बस योनि के ऊपरी भाग को एक-दो बार चूमा और फिर नीचे जाँघों की तरफ बढ़ गया क्योंकि योनि काफी गीली व चिपचिपी सी थी, उसमें से एक अजीब सी गंध भी आ रही थी।
उस समय मुझे नहीं पता था कि ये क्या था, इसलिए मैं सीधा मिली की मांसल भरी हुई जाँघों पर से होते हुए उनके कोमल पैरों पर पहुँच गया।
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
कुछ देर मिली के पैरों को चूमने के बाद एक बार फिर मैं ऊपर की तरफ बढ़ने लगा।
मिली की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघों को चूमते सहलाते हुए फिर से उनकी योनि की तरफ बढ़ने लगा। जैसे-जैसे मैं ऊपर की तरफ बढ़ रहा था.. वैसे-वैसे मिली की जाँघें धीरे-धीरे फैलती जा रही थीं।
इस बार भी मैं मिली की जाँघों को चूमते हुए सीधा उसके पेट की तरफ बढ़ने लगा।
मगर इस बार जैसे ही मैं योनि को छोड़कर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा.. मिली ने मेरे सिर को पकड़ लिया और खींचकर अपनी दोनों जाँघों के बीच दबा लिया। मिली की योनि के पास का हिस्सा काफी गीला और चिपचिपा हो रखा था.. इसलिए मेरा दिल तो नहीं कर रहा था। मगर फिर भी मिली का दिल रखने के लिए मैं योनि के पास चूमने लगा.. जिससे मेरे होंठ भी चिपचिपे से हो गए।
मुझे ज्यादा कुछ नहीं पता था इसलिए मैं बेमन से और बस ऊपर-ऊपर से ही योनि को चूम रहा था। कुछ देर ऐसे ही मिली की योनि को बस ऊपर-ऊपर से ही चूमने के बाद मैं फिर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मगर फिर से मिली ने मेरे सिर को पकड़ लिया।
इस बार मिली ने अपने दोनों घुटने मोड़कर फैला लिए और मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को योनि की दोनों फाँकों के ठीक ऊपर रखवा लिया.. जो गीली व चिपचिपी थी, उसमें एक अजीब व तीखी गंध थी।
मैं सोच रहा था कि जहाँ पर मुझे अपना लिंग डालना चाहिए.. वहाँ पर मिली मुझे चूमने के लिए उकसा रही हैं।
खैर.. मैं मिली का इशारा समझते हुए मिली की योनि कि फाँकों को चूमने लगा.. जिससे कि मेरे मुँह का स्वाद बिल्कुल नमकीन और चिकना सा हो गया।
मुझे ये अजीब तो लग रहा था.. मगर मेरे योनि को चूमने पर मिली के मुँह से हल्की-हल्की कराहें फूटने लगी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जो कि मुझे भी उत्तेजित कर रही थीं, इसलिए मैं मिली की योनि को चूमता रहा।
मिली कुछ बोल नहीं रही थीं.. मगर अपनी हरकतों से मुझे क्या कुछ करना है.. ये सब समझा रही थीं। मिली ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ रखा था और धीरे-धीरे मेरे सिर को नीचे दबा रही थीं।
मैं भी अब योनि की फांकों को हल्के-हल्के धीरे-धीरे चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मिली ने घुटने मोड़कर दोनों पैरों को फैला रखा था इसलिए योनि की दोनों फाँके अलग-अलग होकर फैली हुई थीं। मैं दोनों फांकों के बीच चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ रहा था।
तभी मिली का शरीर जोरों से झनझना गया और उन्होंने जोरों से ‘इइईईईई.. श्श्श्शशशश.. अअहहह..राजूऊऊऊऊऊ’ की आवाज करके मेरे सिर को योनि के नीचे की तरफ दबा दिया।
मुझे नहीं पता था कि ये क्या हुआ.. मगर मेरे होंठों ने कुछ छुआ था, जिससे मिली इतनी जोरों से सिसक उठी थीं। दरअसल मेरे होंठ योनि के अनारदाने (क्लिट) को छू गए थे जोकि योनि का सबसे संवेदनशील अंग होता है।
मैं भी योनि की फांकों के बीच चूमता हुआ सीधा नीचे की तरफ बढ़ गया।
थोड़ा सा और नीचे बढ़ते ही मेरे होंठ भीगकर बिल्कुल तर हो गए और मिली के मुँह से आहों और कराहों की मादक ध्वनियाँ आने लगी ‘इईईई.. श्श्श्शशशश.. अआह..राजूऊऊऊऊऊऊऊ करते रहो’
मैं फिर से ऊपर बढ़ना चाहता था.. मगर मिली ने वहीं पर मेरे सिर को दबा लिया। मिली का इशारा समझकर मैं वहीं पर चूमने लगा। पहले तो मुझे मिली की योनि को चूमना अजीब लग रहा था मगर अब मुझे भी मजा आने लगा था।
मैं मिली के योनिद्वार को जोरों से चूसने लगा, साथ ही अपनी जीभ निकाल कर योनि को चाटने भी लगा.. मिली की सिसकारियां भी अब तेज हो गई थीं। मिली को इस तरह उत्तेजित होता देखकर मुझे मजा आ रहा था।
पहले ही मिली की योनि काफी गीली थी, मगर अब तो उसमें मानो बाढ़ सी आ गई थी। जिससे मेरा सारा चेहरा गीला हो गया और मेरे होंठ व जीभ की चपलता और भी अधिक बढ़ गई।
मुझ पर एक खुमार सा छा गया था और मैं अपनी पूरी जीभ निकाल कर मिली की योनि को चूमने चाटने लगा।
तभी मिली ने एक बार फिर से मेरे सिर को पकड़ लिया। अबकी बार मिली ने मेरे सिर को पकड़ कर थोड़ा सा नीचे किया.. जिससे मेरी जीभ सीधी मिली के योनिद्वार में घुस गई और मिली जोरों से मचल उठीं ‘इईईई.. श्श्श्शशशश.. अआहहहह..’
उसकी कामुक आवाज ने उनके शरीर को अकड़ा दिया और वे अपनी पूरी योनि को मेरे चेहरे पर घिसने लगी। मैं भी मिली का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को मिली के योनिद्वार में डालकर हरकत करने लगा।
मिली अब सिसकारियां भरते हुए मेरी जीभ के साथ-साथ अपनी कमर को हिलाने लगी और फिर अचानक से मिली ने ‘अआआहह… आआह.. इईई.. श्श्श्शश… की आवाज करके मेरे सिर को दोनों जाँघों के बीच जोरों से दबा लिया।
उसका पूरा शरीर कमान की तरह तन गया और उनकी योनि ने मेरे चेहरे पर योनिरस की बौछार सी कर दी।
एक बार तो मैं घबरा गया कि ये क्या हो गया.. मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ में आ गया कि मिली अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गई हैं।
कुछ देर तक तो मिली ने मुझे ऐसे ही अपनी जाँघों के बीच दबाये रखा और फिर आजाद कर दिया। मिली अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसें ले रही थीं। मिली के छोड़ते ही मैं मिली के नंगे शरीर पर लेट गया और उनके गर्दन व गालों पर चूमने लगा। मगर मिली ने करवट बदलकर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर धीरे-धीरे सहलाने लगी।
मिली के कोमल हाथों के स्पर्श से मुझे मजा तो आ रहा था.. मगर इससे तो मेरी आग बढ़ती जा रही थी। एक बार फिर मैंने मिली पर लेटने की कोशिश की.. मगर फिर से मिली ने मुझे पकड़ लिया और खुद उठकर मेरी बगल में बैठ गई।
अभी तक मेरा लिंग मिली के हाथ में ही था.. जिसे वो धीरे-धीरे सहला रही थीं। उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी और मिली का ये व्यवहार मुझे अजीब लग रहा था।
मुझे नहीं पता था कि मिली मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है।
खैर.. उस समय मुझे मिली पर खीज सी आने लगी थी.. मगर फिर तभी मिली मेरे लिंग को पकड़े-पकड़े ही मेरी जाँघों पर झुक गई.. और मेरी जाँघों व मेरे लिंग के चारों तरफ चूमने लगी।
मिली के नर्म होंठों की छुवन से मेरा सारा शरीर कंपकंपा गया और मैंने मिली के सिर को जोरों से अपनी जाँघों पर दबा लिया, जिससे मिली के नर्म मुलायम गाल मेरी जाँघों पर लग गए और उनके नाजुक होंठ मेरे लिंग को छू गए।
अब तो मेरी भी समझ में आ गया था कि मिली के इरादे क्या हैं।
मिली की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघों को चूमते सहलाते हुए फिर से उनकी योनि की तरफ बढ़ने लगा। जैसे-जैसे मैं ऊपर की तरफ बढ़ रहा था.. वैसे-वैसे मिली की जाँघें धीरे-धीरे फैलती जा रही थीं।
इस बार भी मैं मिली की जाँघों को चूमते हुए सीधा उसके पेट की तरफ बढ़ने लगा।
मगर इस बार जैसे ही मैं योनि को छोड़कर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा.. मिली ने मेरे सिर को पकड़ लिया और खींचकर अपनी दोनों जाँघों के बीच दबा लिया। मिली की योनि के पास का हिस्सा काफी गीला और चिपचिपा हो रखा था.. इसलिए मेरा दिल तो नहीं कर रहा था। मगर फिर भी मिली का दिल रखने के लिए मैं योनि के पास चूमने लगा.. जिससे मेरे होंठ भी चिपचिपे से हो गए।
मुझे ज्यादा कुछ नहीं पता था इसलिए मैं बेमन से और बस ऊपर-ऊपर से ही योनि को चूम रहा था। कुछ देर ऐसे ही मिली की योनि को बस ऊपर-ऊपर से ही चूमने के बाद मैं फिर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मगर फिर से मिली ने मेरे सिर को पकड़ लिया।
इस बार मिली ने अपने दोनों घुटने मोड़कर फैला लिए और मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को योनि की दोनों फाँकों के ठीक ऊपर रखवा लिया.. जो गीली व चिपचिपी थी, उसमें एक अजीब व तीखी गंध थी।
मैं सोच रहा था कि जहाँ पर मुझे अपना लिंग डालना चाहिए.. वहाँ पर मिली मुझे चूमने के लिए उकसा रही हैं।
खैर.. मैं मिली का इशारा समझते हुए मिली की योनि कि फाँकों को चूमने लगा.. जिससे कि मेरे मुँह का स्वाद बिल्कुल नमकीन और चिकना सा हो गया।
मुझे ये अजीब तो लग रहा था.. मगर मेरे योनि को चूमने पर मिली के मुँह से हल्की-हल्की कराहें फूटने लगी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जो कि मुझे भी उत्तेजित कर रही थीं, इसलिए मैं मिली की योनि को चूमता रहा।
मिली कुछ बोल नहीं रही थीं.. मगर अपनी हरकतों से मुझे क्या कुछ करना है.. ये सब समझा रही थीं। मिली ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ रखा था और धीरे-धीरे मेरे सिर को नीचे दबा रही थीं।
मैं भी अब योनि की फांकों को हल्के-हल्के धीरे-धीरे चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मिली ने घुटने मोड़कर दोनों पैरों को फैला रखा था इसलिए योनि की दोनों फाँके अलग-अलग होकर फैली हुई थीं। मैं दोनों फांकों के बीच चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ रहा था।
तभी मिली का शरीर जोरों से झनझना गया और उन्होंने जोरों से ‘इइईईईई.. श्श्श्शशशश.. अअहहह..राजूऊऊऊऊऊ’ की आवाज करके मेरे सिर को योनि के नीचे की तरफ दबा दिया।
मुझे नहीं पता था कि ये क्या हुआ.. मगर मेरे होंठों ने कुछ छुआ था, जिससे मिली इतनी जोरों से सिसक उठी थीं। दरअसल मेरे होंठ योनि के अनारदाने (क्लिट) को छू गए थे जोकि योनि का सबसे संवेदनशील अंग होता है।
मैं भी योनि की फांकों के बीच चूमता हुआ सीधा नीचे की तरफ बढ़ गया।
थोड़ा सा और नीचे बढ़ते ही मेरे होंठ भीगकर बिल्कुल तर हो गए और मिली के मुँह से आहों और कराहों की मादक ध्वनियाँ आने लगी ‘इईईई.. श्श्श्शशशश.. अआह..राजूऊऊऊऊऊऊऊ करते रहो’
मैं फिर से ऊपर बढ़ना चाहता था.. मगर मिली ने वहीं पर मेरे सिर को दबा लिया। मिली का इशारा समझकर मैं वहीं पर चूमने लगा। पहले तो मुझे मिली की योनि को चूमना अजीब लग रहा था मगर अब मुझे भी मजा आने लगा था।
मैं मिली के योनिद्वार को जोरों से चूसने लगा, साथ ही अपनी जीभ निकाल कर योनि को चाटने भी लगा.. मिली की सिसकारियां भी अब तेज हो गई थीं। मिली को इस तरह उत्तेजित होता देखकर मुझे मजा आ रहा था।
पहले ही मिली की योनि काफी गीली थी, मगर अब तो उसमें मानो बाढ़ सी आ गई थी। जिससे मेरा सारा चेहरा गीला हो गया और मेरे होंठ व जीभ की चपलता और भी अधिक बढ़ गई।
मुझ पर एक खुमार सा छा गया था और मैं अपनी पूरी जीभ निकाल कर मिली की योनि को चूमने चाटने लगा।
तभी मिली ने एक बार फिर से मेरे सिर को पकड़ लिया। अबकी बार मिली ने मेरे सिर को पकड़ कर थोड़ा सा नीचे किया.. जिससे मेरी जीभ सीधी मिली के योनिद्वार में घुस गई और मिली जोरों से मचल उठीं ‘इईईई.. श्श्श्शशशश.. अआहहहह..’
उसकी कामुक आवाज ने उनके शरीर को अकड़ा दिया और वे अपनी पूरी योनि को मेरे चेहरे पर घिसने लगी। मैं भी मिली का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को मिली के योनिद्वार में डालकर हरकत करने लगा।
मिली अब सिसकारियां भरते हुए मेरी जीभ के साथ-साथ अपनी कमर को हिलाने लगी और फिर अचानक से मिली ने ‘अआआहह… आआह.. इईई.. श्श्श्शश… की आवाज करके मेरे सिर को दोनों जाँघों के बीच जोरों से दबा लिया।
उसका पूरा शरीर कमान की तरह तन गया और उनकी योनि ने मेरे चेहरे पर योनिरस की बौछार सी कर दी।
एक बार तो मैं घबरा गया कि ये क्या हो गया.. मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ में आ गया कि मिली अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गई हैं।
कुछ देर तक तो मिली ने मुझे ऐसे ही अपनी जाँघों के बीच दबाये रखा और फिर आजाद कर दिया। मिली अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसें ले रही थीं। मिली के छोड़ते ही मैं मिली के नंगे शरीर पर लेट गया और उनके गर्दन व गालों पर चूमने लगा। मगर मिली ने करवट बदलकर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर धीरे-धीरे सहलाने लगी।
मिली के कोमल हाथों के स्पर्श से मुझे मजा तो आ रहा था.. मगर इससे तो मेरी आग बढ़ती जा रही थी। एक बार फिर मैंने मिली पर लेटने की कोशिश की.. मगर फिर से मिली ने मुझे पकड़ लिया और खुद उठकर मेरी बगल में बैठ गई।
अभी तक मेरा लिंग मिली के हाथ में ही था.. जिसे वो धीरे-धीरे सहला रही थीं। उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी और मिली का ये व्यवहार मुझे अजीब लग रहा था।
मुझे नहीं पता था कि मिली मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है।
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Re: मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
बिंदास
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हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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