ममेरी बहन के साथ कबड्डी

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jay
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Re: ममेरी बहन के साथ कबड्डी

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मैं उसके ऊपर लगभग लेट गया और उसके आँसू को अपने हाथ से साफ़ करते हुए बोला- सॉरी यार… पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और फिर टाइम भी ज्यादा नहीं था।

मैंने प्रिया से कहा- तुम्हें जो दर्द होना था, वो हो गया, अब तुमको भी कुछ देर बाद मज़ा आएगा।

तो प्रिया तुनक कर बोली- अच्छा ठीक है, पर अभी कुछ देर के लिए अपना लण्ड मेरी योनि से बाहर निकाल लो, बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने प्रिया को बातों में लगाये रखा और साथ साथ ही उसकी चूचियों को भी सहलाता रहा पर उसकी चूत से अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।

कुछ देर बाद शायद प्रिया को दर्द में आराम हो गया था इसलिए वो अपनी गांड को बार बार हिला रही थी।

जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैंने भी अपना लण्ड चूत से बस इतना ही बाहर निकाला की चूत के अन्दर बस मेरे लण्ड का ही टोपा ही रहे।
क्योंकि पूरा लण्ड तो अभी तक प्रिया की चूत में गया ही नहीं था, कुछ लण्ड बाहर ही रह गया था इसलिए मैंने सोचा कि लण्ड बाहर निकाल कर फिर पूरा लण्ड डाल दूंगा उसकी चूत में।

बस फिर क्या था, जिस गति मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला था, फिर वापस उसी गति से डाल दिया चूत में !

‘ऊऊऊऊईईईम्म्म्माआआअ माआआआअ ग्ग्गाआऐईई…’ वो फिर से चीख पड़ी पर अब उसकी चीखो में दर्द के साथ-साथ आनन्द की भी झलक थी।

मैंने उसके होंठों को चूमते हुए कहा- अब कैसा लग रहा है तुमको?

तो वो बोली- भाई, दर्द तो अभी भी हो रहा है पर अब मज़ा भी आ रहा है, करते जाओ।

फिर वो मस्ती में चूर होकर बड़बड़ाने लगी- और लगाओ जोर से धक्का… आज से मैं आपकी हूँ… आज से तुम मेरे साजन भाई हो और मैं आपकी सजनी बहना।


मैंने भी उसकी चूत से अपना लण्ड खींचते हुए फिर से उसकी चूत में लण्ड पलते हुए कहा– हाँ मेरी सजनी बहना। अब तो मैं जब भी आऊँगा यहाँ पर तो मुझसे चुदाई तो करवओगी न?

तो प्रिया बोली– हाँ मेरे साजन भाई, आपका जब मन हो चोद लेना अपनी सजनी बहना को।

प्रिया की बातें सुनते सुनते मुझे और जोश आ गया और फिर मैं पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा।
वो मेरे हर धक्के पर चीख उठती- आआआऐईईईईइह य्यूऊओआआआ’
और वो हर धक्के पर कहती- भाई और जोर से…

तो मैं और जोर लगा कर उसकी चूत पर धक्का मारता।

कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरे लण्ड से लावा निकलने वाला है तो मैंने प्रिया की चुदाई और तेज कर दी।

इधर प्रिया की चूत भी पानी छोड़ने वाली थी, प्रिया भी बोल रही थी- भाई, मेरा भी होने वाला है… और तेज और तेज आआह… आआ… आआऐईईईइ आआअह्ह ह्हह…

और इसके साथ साथ प्रिया ने अपनी चूत में मेरा लण्ड जकड़ लिया और अपनी चूत से पानी छोड़ने लगी, और वो मुझसे ऐसे चिपक गई जैसे दीवार पर छिपकली।

जैसे ही प्रिया की चूत के पानी ने मेरे लण्ड को नहलाया तो मुझसे भी नहीं रहा गया तो मेरे लण्ड अपना सारा लावा उसकी चूत की गहराई में छोड़ दिया।

‘आआअह्ह ह्ह…’ मैं प्रिया की चूत पर जब तक धक्के लगाता रहा जब तक मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में खाली ना हो गया।

फिर मैं भी उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने लबों में दबा कर चूसने लगा।

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैंने प्रिया से पूछा- तुमको कैसा लगा?

तो बोली- बहुत मज़ा आया भाई, अगर मुझे पहले पता होता कि इस खेल में इतना मज़ा आता है तो मैं रात को ही आपसे चुद गई होती।

मैंने प्रिया को कहा- चोद तो मैं तुझे रात को ही देता पर रात को घर में सब थे इसलिए तुझे मैंने रात को छोड़ दिया था।

प्रिया ने मुझसे कहा- भाई, अब जल्दी से उठो, सबके आने का समय हो रहा है।

मैंने टाइम देखा तो प्रिया सही कह रही थी, इसलिए मैं उठा और फिर प्रिया को उठाने के लिए अपना हाथ दिया तो प्रिया मेरा हाथ पकड़ कर उठ गई।

उठते ही उसने बिस्तर पर देख तो कुछ खून के धब्बे देखे तो उसने पूछा- भाई, ये क्या है?

तो मैंने उसको बताया- जब कोई लड़की पहली बार चुदती है तो उसकी चूत से कुछ खून निकलता है, पर अब कोई फ़िक्र की बात नहीं है, अब तुम कली से फ़ूल बन गई हो।

मैंने और प्रिया ने देखा कि उसकी चूत से मेरा वीर्य और प्रिया का कामरस और खून तीनों मिक्स हो कर निकल रहा था।

यह देख कर हम दोनों ही मुस्कुरा दिए।

फिर प्रिया की चूत को मैंने अपने रूमाल से साफ़ किया और अपने लण्ड को भी साफ़ किया, फिर मैंने अपने कपड़े पहने और प्रिया ने वो कपड़े न पहन कर सूट सलवार पहने।

उस बिस्तर को प्रिया ने छुपाकर रख दिया जो की हमारी प्रेमलीला की गवाही दे रहा था।

कुछ देर बाद पारुल और मुकेश भी आ गए, प्रिया को कुछ चलने में दिक्कत हो रही थी पर उसने यह महसूस नहीं होने दिया कि उसको कोई दिक्कत है।

मैं उन दोनों के आने से पहले ही टी वी चला कर बैठ गया था और प्रिया खाना गर्म कर रही थी जब वो दोनों आये।
फिर हम चारों ने मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद प्रिया बर्तन साफ़ करने के लिए नीचे चली गई और पारुल अपनी बुक निकाल कर पढ़ने बैठ गई और साथ में मुकेश को भी पढ़ने के लिए अपने पास बैठा लिया।

मैं भी टीवी बंद करके नीचे प्रिया के पास रसोई में पहुँच गया, प्रिया रसोई में खड़ी होकर सिंक में बर्तन धो रही थी।

मैंने उससे पीछे से पकड़ लिया और उसके बूब्स को दबाने लगा तो प्रिया ने चौंकते हुए पीछे देखा, तो पीछे मैं खड़ा था।

उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा– भाई, अभी कुछ मत करो, मुझे बूब्स में और नीचे दर्द हो रहा है और फिर मम्मी भी आने वाली हैं। अब जो भी करना हो रात को करना, मैं रात को बिल्कुल भी मना नहीं करुँगी।

मुझे भी लगा कि प्रिया सही कह रही है, अगर लड़की की पहली बार चुदाई हुई है तो उसको कुछ समय तक दर्द तो रहता ही है और उसकी चूत सूज भी जाती है।

उस वक़्त सिर्फ मैंने प्रिया के सेब जैसे गाल पर एक चुम्बन किया और उसके पीछे से हट गया और उससे बोला- अगर तुमको ज्यादा तकलीफ हो रही है तो मैं मदद कर देता हूँ काम करवाने में।

इस पर प्रिया हंसती हुई बोली- रहने दो मेरे सजना, मैं खुद कर लूँगी और यह दर्द तो बहुत मीठा मीठा सा है, इस दर्द में भी मुझे मज़ा आ रहा है।

अभी हम बात कर ही रहे थे कि तभी मामी भी आ गई, मैं तो उससे अलग ही था तो कोई ऐसे बात नहीं हुई जिससे उनको जरा सा भी शक होता कि दाल में कुछ काला है।

मामी के आते ही प्रिया ने उनको खाना लगा कर दिया।

मामी खाना कहते हुए मुझसे बात कर रही थी, कुछ घर की तो कुछ बाहर की, बस ऐसे ही समय निकलता चला गया।

शाम को सात बजे तक मामा जी भी आ गए, मामाजी के आने के कुछ देर बाद ही फिर से बारिश शुरू हो गई।

आज की बारिश कल की बारिश से बहुत तेज थी, बारिश के साथ साथ हवा भी चल रही थी जिसके कारण आज शाम को ठण्ड भी क्यों ज्यादा ही हो गई थी।

रात को खाना खाने के बाद मामी ने प्रिया को बोला- आज ठण्ड ज्यादा ही हो गई है, तुम बेड के अन्दर से रजाई निकाल लेना, नहीं तो रात में ठण्ड लगेगी।

प्रिया ने कहा- ठीक है मम्मी, हम रजाई निकाल लेंगे।

इसके बाद मामा और मामी हमें जल्दी सोने के लिए बोल कर अपने कमरे में आज कुछ ज्यादा ही जल्दी अन्दर चले गए।

फिर हम चारों भी ऊपर के रूम में आ गए।

तब तक बारिश भी थम चुकी थी पर हवा अभी भी चल रही थी जिसके कारण हम सभी को ठण्ड भी लग रही थी, इसलिए सबसे पहले प्रिया ने बेड से दो ही रजाई निकाली और हम चारों उन दोनों रजाई में बैठ कर बातें करने लगे क्योंकि अभी 9:30 ही बजे थे।

मुकेश और पारुल एक रजाई में बैठे थे और प्रिया और मैं दूसरी रजाई में।
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रात को खाना खाने के बाद मामी ने प्रिया को बोला- आज ठण्ड ज्यादा ही हो गई है, तुम बेड के अन्दर से रजाई निकाल लेना, नहीं तो रात में ठण्ड लगेगी।

प्रिया ने कहा- ठीक है मम्मी, हम रजाई निकाल लेंगे।

इसके बाद मामा और मामी हमें जल्दी सोने के लिए बोल कर अपने कमरे में आज कुछ ज्यादा ही जल्दी अन्दर चले गए।

फिर हम चारों भी ऊपर के रूम में आ गए।

तब तक बारिश भी थम चुकी थी पर हवा अभी भी चल रही थी जिसके कारण हम सभी को ठण्ड भी लग रही थी, इसलिए सबसे पहले प्रिया ने बेड से दो ही रजाई निकाली और हम चारों उन दोनों रजाई में बैठ कर बातें करने लगे क्योंकि अभी 9:30 ही बजे थे।

मुकेश और पारुल एक रजाई में बैठे थे और प्रिया और मैं दूसरी रजाई में।

मेरी जाँघ प्रिया की जाँघ से सटी हुई थी पर न तो प्रिया ने कुछ हरकत रजाई के अन्दर की और न ही मैंने क्योंकि अभी लाईट जल रही थी और हम नहीं चाहते थे कि ऐसी कोई हरकत उन दोनों की नजर में आये जिससे उन्हें कोई भी शक हो।

कुछ देर बात करने के बाद पारुल ने कहा भी- चलो भाई आज अन्ताक्षरी खेलते हैं।

तो मुकेश भी बोल पड़ा- हाँ दीदी, मैं भी खेलूँगा।

फिर सबकी सहमति से हम चारो अन्ताक्षरी खेलने लगे।

हमें अन्ताक्षरी खेलते हुए रात के 10:30 बज चुके थे और ठण्ड भी बहुत हो रही थी इसलिए मुकेश और पारुल अपनी रजाई में लेट चुके थे।
मुकेश और पारुल एक रजाई में बेड के एक कोने में लेट हुए थे, प्रिया भी अब लेटने की तैयारी में थी जो अब तक मेरे साथ रजाई में बैठी थी।

प्रिया ने लेटते हुए मुझसे कहा- भाई, लाईट बंद कर दो, कहीं ऐसा न हो कि हम सो जाएँ और लाईट जलती रहे।

मैं उठा और कमरे की लाईट बंद कर दी, अब कमरे में इतना अँधेरा हो चुका था कि हमें एक दूसरे के चेहरे भी नजर नहीं आ रहे थे।

तब तक प्रिया भी लेट चुकी थी और उसका मुँह पारुल की तरफ था क्योंकि वो करवट लेकर लेटी हुई थी।

मैं फिर से प्रिया की रजाई में घुस गया, जैसे ही मैं रजाई के अन्दर बैठा तो मेरा हाथ प्रिया के चूतड़ से छू गया।

मुझे कुछ अजीब सा लगा तो मैंने उसके चूतड़ को सही से हाथ फेर कर देखा तो पता चला कि प्रिया ने सलवार उतार दी थी, वो नीचे से पूरी नंगी थी।

हम अब भी चारों अन्ताक्षरी खेल रहे थे और मैं बैठा हुआ प्रिया की नंगी चूत को सहला रहा था।

कुछ ही देर में प्रिया की चूत गीली हो गई।

फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और उसकी चूत को अपनी उंगली से ही चोदने लगा।

कुछ देर बाद प्रिया ने मुझसे कहा- भाई आप भी लेट जाओ।

प्रिया के कहने पर मैं भी उसी रजाई में लेट गया, उसकी गांड अब भी मेरी तरफ थी, तो मैं भी करवट ले कर लेट गया।

मेरा लण्ड प्रिया की गांड से छू रहा था और मैं अपने एक हाथ से प्रिया की चूची दबा रहा था।

प्रिया के बदन पर अभी कमीज बाकी था जिसके कारण मैं उसकी चूची को सही से पकड़ नहीं पा रहा था इसलिए मैंने प्रिया के कमीज को ऊपर की ओर खींचते हुए इशारा किया कि वो अपना कमीज भी उतार दे।

मेरी यह बात प्रिया आसानी से मान गई और वो थोड़ा ऊपर हुई और रजाई के अन्दर ही अपना सूट उतरने लगी।

उसके सूट उतारने मैं मैंने भी उसकी मदद की और कुछ ही पलों बाद उसका कमीज उतर गया।

अँधेरा इतना था कि उसके कमीज उतारने का किसी को कुछ भी पता नहीं चला।
अब प्रिया पूरी नंगी मेरे साथ लेटी थी।

कुछ देर बाद मेरा लण्ड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया और अब शायद प्रिया की गांड में चुभ रहा था इसलिए तो प्रिया ने अपना एक हाथ पीछे की ओर किया और मेरे लोअर को पकड़ कर नीचे करने लगी।

हम अभी तक अन्ताक्षरी ही खेल रहे थे और उन दोनों को यह नहीं पता था कि हम अन्ताक्षरी के साथ साथ कुछ और भी खेल रहे हैं।
रजाई के अन्दर की हलचल को वो देख नहीं सकते थे क्योंकि पूरे कमरे में अँधेरा जो था।

मैंने भी प्रिया की मन की बात को समझते हुए अपना लोअर और अपनी टी शर्ट पूरी तरह से निकाल दी।

अब प्रिया और मैं पूरी तरह से नंगे थे।

फिर मैंने अपने हाथ से अपना खड़ा लण्ड प्रिया की चूत से सटा दिया और उसके मम्मे दबाते हुए हम ऐसे ही लेटे हुए हम अन्ताक्षरी खलते रहे थे।

मेरा लण्ड प्रिया की चूत से सटा हुआ था इसलिए प्रिया की चूत और भी गीली हो गई, उसकी चूत से इतना पानी निकला कि मेरा लण्ड भी उसकी चूत के पानी से गीला हो गया।

जब मुझे अपने लण्ड पर गीलेपन का एहसास हुआ तो मैंने उसकी चूची जरा जोर से दबा दी।

जैसे ही मैंने प्रिया की चूची जोर से दबाई, तो वो कुछ ऊपर की तरफ उछल पड़ी पर अपने मुंह से जरा भी आवाज नहीं निकाली और उसी वक़्त मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी नीचे वाली बगल में डाल दिया।

फिर जैसे ही वो नीचे हुई तो मैंने उसकी दूसरी चूची भी पकड ली।
अब मेरे दोनों हाथो में प्रिया के मम्मे थे और उनको मैं धीरे धीरे दबा रहा था।

इधर प्रिया ने अपनी गांड ओर भी पीछे की ओर कर दी और अपना एक हाथ अपनी चूत के नीचे लाकर मेरे लण्ड को पकड़ा ही था।

तभी पारुल ने कहा- मुकेश तो सो गया है तो हम तीनों ही अन्ताक्षरी खेलते हैं क्योंकि मुझे अभी नींद नहीं आ रही।

पारुल की आवाज सुनकर प्रिया ने मेरा लण्ड नहीं छोड़ा बल्कि जो वो कर रही थी वो करते करते रुक जरुर गई थी।

पारुल की बात सुनकर प्रिया ने भी कहा- मुझे भी नींद आ रही है तो तुम दोनों ही खेल लो और इतना कह कर प्रिया ने अपना मुंह भी रजाई में छुपा लिया।

मैंने प्रिया के चूचे दबाते हुए पारुल से कहा- कोई बात नहीं, इनको सोने दो, हम दोनों ही खेलते हैं।

फिर पारुल और मैं अन्ताक्षरी खेलने लगे और रजाई के अन्दर प्रिया अपना काम करने लगी।

प्रिया ने मेरा लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाया और फिर खुद ही अपनी गांड पीछे की ओर कर दी जिससे मेरे लण्ड का टोपा उसकी चूत में घुस गया और वो कुछ पल के लिए रुक गई, फिर प्रिया ने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरे नंगे चूतड़ पर हाथ से इशारा किया की पूरा लण्ड चूत में पेल दो।

प्रिया का इशारा मेरी समझ में आ गया था तो मैंने उसके चूचे को दोनों हाथ से दबाते हुए नीचे अपना लण्ड प्रिया की चूत पर दबा दिया।

मेरा लण्ड अभी आधा ही गया था कि प्रिया ने फिर से मुझे मेरे चूतड़ को पकड़ कर रुकने का इशारा किया तो मैं रुक गया और उसके चूचे दबाते हुए उसकी पीठ पर चुम्बन करने लगा।

तभी पारुल ने अपना गाना ख़त्म किया और बोली- भाई, ‘य’ से गाना है।

मैं प्रिया के मम्मे मसलते हुए गाना सोच रहा था, अभी कुछ ही देर हुई थी कि प्रिया ने फिर इशारा किया कि अब डालो, तभी मुझे भी गाना याद आ गया।
‘याहूऊऊऊऊऊऊऊ’ इतना कहते ही मैंने प्रिया की दोनों चूची को मसलते हुए एक जोर का घक्का उसकी चूत पर मारा और फिर गाना गाने लगा।


मेरा पूरा लण्ड प्रिया की चूत की गहराई में जाकर खो गया था।

प्रिया के मुंह से बस ‘ऊऊह्ह्ह्हूऊऊऊऊ’ की ही आवाज निकल पाई थी क्योंकि उसने अपना मुंह अपने एक हाथ दबा लिया था और जो आवाज निकली भी थी तो वो इतनी तेज नहीं थी कि पारुल उसको सुन सके।

मेरा गाना ख़त्म होने के बाद पारुल मेरे दिए हुए शब्द से गाना सोचने लगी और मैं प्रिया के बूब्स दबाता हुआ उसकी पीठ और गर्दन पर किस कर रहा था।

हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, न तो प्रिया ने ही अपनी चूत हिलाई और न ही मैंने अपना लण्ड।
बस चूत में लण्ड डाले दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।

कुछ देर बाद पारुल भी गाना सोचते सोचते वो भी सो गई।

जब काफी देर हो गई तो मैंने प्रिया के बूब्स दबाते हुए पारुल को आवाज दी- पारुल ! पारुल ! पारुल सो गई क्या?

पर पारुल ने कोई जवाब नहीं दिया वो सो चुकी थी।

प्रिया ने मुझसे धीरे से कहा– मेरे सजना, पारुल सो गई है।

यह तो मुझे भी पता चल चुका था इसलिए मैंने पीछे से ही अपने लण्ड को बाहर खींचा और कई धक्के उसकी चूत पर मार दिए।

प्रिया के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर बहुत धीरे धीरे।

फिर मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसको अपनी ओर घुमा लिया।

अब हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे।
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मैंने प्रिया को अपनी बांहों के आगोश में लेते हुए उसके लबों को चूमने लगा और प्रिया नीचे मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी।

फिर कुछ देर बाद मैं थोड़ा सा नीचे की ओर सरक गया अब प्रिया के मम्मे मेरे मुंह के सामने थे, मैं उसकी एक चूची को अपने मुंह में लेकर उसके चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसल रहा था।

मैं प्रिया की चूची बदल बदल कर चूस और पी रहा था, कभी कभी तो मैं उसकी चूची के निप्पल को अपने दांतों से काट लेता।

बड़ा ही मज़ा आ रहा था प्रिया के दूध पीकर।

मेरे ऐसा करने से उसकी और भी ज्यादा हालत खराब हो गई थी वो अब धीरे धीरे ‘ऊऊह्ह्ह्हूऊऊऊऊ आअह्ह्ह्ह’ कर रही थी।

जब प्रिया से नहीं रहा गया तो वो मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी पर इस पोजीशन में मेरा लण्ड प्रिया की चूत के अन्दर नहीं जा रहा था तो प्रिया खुद ही मेरे ऊपर चढ़ गई, मैं उसके दोनों पैरों के बीच में लेटा हुआ था और प्रिया घुटने मोड़ कर मेरे लण्ड के ऊपर बैठी थी।

प्रिया ने अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर लगाया और थोड़ा सा नीचे को बैठने लगी।

मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा, जब मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया तो वो मेरे ऊपर लेट सी गई और उसने मेरे होंठ को अपने होंठ में दबाकर के जोर का धक्का मेरे लण्ड पर दे मारा।

‘ऊऊईईईईम्म्म्माआआआ!’

मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरा समा गया, प्रिया की आवाज मेरे और उसके मुंह के अन्दर ही घुट कर रह गई।

प्रिया की चूची मेरे छाती पर दबी ही थी और मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ को सहला रहे थे।

प्रिया कुछ देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटी रही और फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी।

मैं उसकी जीभ को चूसने लगा और वो अपनी चूची मेरी छाती पर रगड़ने लगी।

कुछ देर बाद उसने अपनी गांड उठाकर मेरे लण्ड पर मारने लगी, एक तो हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी ओर ऊपर से हमारे ऊपर रजाई थी।

रजाई के अन्दर इतनी गर्मी हो गई थी कि हम दोनों को पसीने आ गए।

फ़िर मैं उसकी चूची अपने मुंह में डालकर पीने लगा और साथ ही मैंने उसके चूतड़ को अपने दोनों हाथों से कुछ ऊपर किये और फिर नीचे से उसकी चूत में लण्ड पेलने लगा।

मैं लगातार उसके बूब्स को चूसे जा रहा था और साथ ही मैं उसकी चूत पर नीचे से धक्के लगाये जा रहा था।

कमरे में हमारी चुदाई का मधुर संगीत गूंज रहा था, प्रिया की चूत से इतना पानी निकल रहा था कि जब भी मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर बाहर होता तो फच फच फच फच की आवाज आती।

हमारी चुदाई के मधुर संगीत को कोई सुनने वाला नहीं था क्योंकि पारुल और मुकेश तो सोये हुए थे।

कुछ देर बाद ही प्रिया मेरे ऊपर लेटे लेटे थक गई तो उसने में कान में धीरे से कहा- भाई, मुझे नीचे लेकर चोदो।

प्रिया मेरे ऊपर से उतर कर नीचे बेड पर लेट गई उसके नीचे लेटते ही मैं उसके पैरों के बीच आया और पहले उसकी चूत को किस किया फिर उसकी चूत को चाटने लगा, अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा।

कुछ देर ऐसे ही चूत चाटने के बाद मैं प्रिया के मुंह की तरफ आया और अपने हाथ से अपना लण्ड उसके होंठों पर रख दिया।

प्रिया ने अपना मुंह खोल कर मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया, मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपने होंठों में दबा कर उसको चूसने लगी। मेरा लण्ड चूसते हुए वो अपनी जीभ से मेरे लण्ड के सुपाड़े के छेद को कुरेदने लगी, उसके ऐसा करने से मुझे अपार आनन्द आ रहा था।

मेरा लण्ड प्रिया ने चूस चूस कर अपने थूक से तर कर दिया।

जब मेरा लण्ड प्रिया के थूक से तर हो गया तो मैं फिर से प्रिया के पैरों के बीच आ गया और उसके पैरों को चौड़ा करके अपना लण्ड उसकी चूत पर लगा कर एक जोरदार धक्का उसकी चूत पर दे मारा।

‘ऊऊऊईईम्म्म्माआआअ…’ वो धीरे से चीखी मेरा लण्ड पूरा उसकी चूत में उतर गया।

फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा और जोर जोर से धक्के मारने लगा।

हर धक्के पर उसके मुंह से ‘अऊऊआअय्य्य’ करके आवाज आती।

प्रिया चुदते हुए मेरी कमर को सहलाती तो कभी मेरे चूतड़ों को।

कुछ देर बाद ही मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने प्रिया को कहा- जान, मेरा होने वाला है।

तो प्रिया भी बोल पड़ी- भाई रुकना नहीं, रुकना नहीं मेरा भी होने वालाआआआआअ है!
और इतना कहते ही उसने मुझे जकड़ लिया, उसकी चूत से काम रस बह निकला जो मेरे लण्ड को तर कर रहा था।

मेरा भी अब होने की कगार पर था, मैंने आठ दस धक्के उसकी चूत पर कस कस के मारे और फिर मेरे लण्ड ने भी प्रिया की चूत में लावा उगल दिया, हम दोनों ही झड़ चुके थे।
मैं प्रिया के ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा जब तक मेरे लण्ड सिकुड़ कर उसकी चूत से बाहर न आ गया।

फिर प्रिया ने मुझे अपने ऊपर से हटने को कहा तो मैं उसके ऊपर से हट कर साइड में लेट गया।

वो उठी और बाथरूम में अपनी चूत को साफ़ करके फिर से मेरे पास आकर लेट गई।

मैंने प्रिया को बोला- कर लिया अपनी चूत को साफ़?

तो वो बोली- हाँ भाई!

तो मैंने कहा- मेरा लण्ड कौन साफ़ करेगा?

तो उसने कहा- सॉरी भाई, मैं भूल गई।

इतना कहने के बाद वो मेरे लण्ड के पास गई और फिर मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसको अपनी जुबान से चाट चाट कर साफ़ कर दिया।

मेरा लण्ड साफ़ करने के बाद वो फिर से मेरे पहलू में आकर लेट गई।

प्रिया नंगी ही बाथरूम गई थी जिसकी वजह से उसको ठण्ड लग रही थी, वो मुझसे लिपट कर लेटी हुई थी, वो अब भी कांप रही थी तो उसको मैंने अपने आगोश में पूरी तरह ले लिया।

कुछ देर बाद मेरे शरीर की गर्मी मिलने के कारण उसका बदन भी गर्म हो गया था।

कुछ देर बाद प्रिया ने कहा- भाई, चलो अब कपड़े पहन लेते हैं नहीं तो मुझे आपके आगोश में पड़े हुए बहुत जल्द ही नींद आ जायेगी।

मैंने प्रिया के लबों को चूमते हुए कहा- मेरा मन तेरे साथ नंगे सोने का है।

तो प्रिया ने मुझे समझाते हुए कहा- मेरे सजना, मेरे बलम… मेरी बात मान जाओ, जिद नहीं करते, अगर किसी ने हमको इस हालत में देख लिया तो बहुत मुश्किल हो जायेगी। जब घर में कोई नहीं होगा, तब तुम जो कहोगे, मैं वो सब करुँगी पर अभी खुद भी कपड़े पहन लो और मुझे भी पहने दो।

प्रिया की बात तो सही थी, इसलिए मैंने उसको कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने कपड़े पहन लिए और प्रिया भी सूट सलवार पहन कर मुझसे चिपक कर लेट गई और मुझसे पूछा- भाई, आप मुझसे नाराज तो नहीं हो न?

तो मैंने कहा- नहीं जान, मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ।

और इतना कह कर हम दोनों एक दूसरे की कोली भर कर सोने की कोशिश करने लगे।

दोस्तो, यह थी मेरी और प्रिया की कबड्डी…
आपको कैसी लगी।
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pongapandit
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Re: ममेरी बहन के साथ कबड्डी

Post by pongapandit »

Jay bhai maine Rajsharmastories par aapki se badhkar ek hot kahani padhi par pichhle kafi dino se koyi nayi kahani apne start nahi ki hai. Please bhai koi hot kahani start karo na
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