लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

Post Reply
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

mast update
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

दीदी मेरे पीछे से उतर कर बॅग हाथ में लिए घर के अंदर जा रही थी, उसकी चाल कुच्छ बदली-2 सी देख भाभी को कुच्छ शक़ हुआ लेकिन उन्होने कुच्छ कहा नही..

हमें घर पहुँचते-2 शाम के 4 बज गये थे, तो भाभी ने हमें चाय नाश्ता दिया, क्योंकि खाने का तो ये समय ही नही था..

दीदी नाश्ता करके अपने कमरे में आराम करने चली गयी… वो बहुत थकान महसूस कर रही थी…

अब मे और भाभी ही रह गये तो वो मुझे अपने कमरे में ले गयी, और हम दोनो पलंग पर लेटे-लेटे बात करने लगे…

भाभी – और सूनाओ लल्ला… कैसा रहा तुम्हारा शहर का सफ़र… बड़े देवर्जी ने कुच्छ खातिर-वातिर की अपने छोटे भाई बेहन की या ऐसे ही टरका दिया…

मे – अरे भाभी ! पुछो मत ! क्या रूतवा है भैया का… पोलीस वाले उनके आगे-पीछे घूमते हैं…

और फिर मेने वहाँ भैया के साथ जो-जो खरीदारी की वो सब बताया, फिर दूसरे दिन मूवी देखी..

भाभी – अच्छा लल्लाजी ! अब मे जो पुच्छू.. उसका सच-सच जबाब दोगे..?

मे – क्या भाभी ! आपको लगता है कि मे आपसे कभी झूठ भी बोल सकता हूँ..?

वो – नही ! ऐसा अब तक तो नही हुआ है… पर ये सवाल ही ऐसा है कि शायद इसका तुम जबाब ही ना देना चाहो…!

मे – आप निश्चिंत रहो भाभी.. मेरे जीवन में आपसे बढ़कर ऐसी कोई बात नही है जो मे आपसे शेयर ना कर पाउ…आप पुछिये क्या पुच्छना है…

वो – मुझे शक़ है कि तुम्हारे और रामा के बीच ऐसा कुच्छ हुआ है, जो मुझे पता नही है…

आज जब वो बाइक से उतरकर अंदर आ रही थी, तो उसकी चाल कुच्छ बदली-2 सी लग रही थी… ये कहकर वो मुझे स्वालिया नज़रों से घूर्ने लगी..

मे कुच्छ देर चुप रहा और फिर नज़रें नीची करके बोला - सॉरी भाभी ! आज से पहले तो ऐसा कुच्छ नही था हम दोनो के बीच पर आज ही………..

वो – हां बोलो ! आज ही क्या…? बताओ मुझे.. वो मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोली…

मे – आज से पहले हम दोनो के बीच बस कुच्छ बराबर के लड़को-लड़कियों जैसी थोड़ी बहुत छेड़-छाड़ होती रहती थी, जो मेरे लिए तो बस एक नॉर्मल भाई-बेहन वाली ही छेड़-छाड़ जैसी थी, लेकिन दीदी की भावना कुच्छ अलग ही थी मेरे लिए…

कल जब हम मूवी देख रहे थे तब….और फिर मेने जो भी हम दोनो के बीच हुआ, और फिर दीदी ने जो बताया वो सब मेने भाभी को बता दिया… जिसे सुनकर वो एकदम सकते में आ गयी….

फिर मेने आज जो कुच्छ हम दोनो के बीच हुआ वो भी सब बता दिया…उसके बाद रास्ते में जो हमारी बातें हुई वो भी बता दी…. तब जाकर उनको थोड़ा तसल्ली हुई..

मे – अब आप ही बताओ भाभी इसमें मेने कुच्छ ग़लत किया…?

कुच्छ देर वो चुप-चाप मेरे चेहरे को देखती रही… फिर कुच्छ सोच कर बोली – वैसे एक तरह से देखा जाए, तो रामा भी अपनी जगह सही है…

आख़िर उसकी भी उम्र ये सब करने की है ही, और ज़्यादातर लड़के लड़कियाँ इस उम्र में बहक कर ग़लत-सलत कदम उठा लेते हैं.. जिससे कभी-2 बदनामी का भी डर पैदा हो जाता है..

लेकिन अब तुम दोनो एक लिमिट में रह कर ही ये सब आगे करना, वैसे मे उससे भी बात करूँगी… पर तुम भी ये बात ध्यान रखना… कि अब अपना वीर्य उसके अंदर कभी मत छोड़ना… ठीक है..

फिर उन्होने मेरे होठों पर एक किस करके कहा – अब तुम थोड़ा अपने कॉलेज पर ध्यान दो, कल से रेग्युलर क्लास अटेंड करना…

फिर थोड़ा स्माइल करते हुए बोली - और हां ! समय निकाल कर थोड़ा छोटी चाची के पास चले जाया करो..

मे – क्यों ? उनको मुझसे क्या काम है.. मेने आपको बताया था ना, उनके बारे में..

वो – इसी लिए तो कह रही हूँ… मेरे अनाड़ी बलम… उन्हें तुम्हारी ज़रूरत है..शादी के इतने सालों बाद भी वो माँ नही बन पाई.. बेचारी अधूरी सी हैं…तो तुम थोड़ा कोशिश करो…प्लीज़… उन्हें भी खुशी होगी.

मे – क्या आप भी यही चाहती हैं..?

वो – मे भी यही चाहती हूँ… इसलिए तो कह रही हूँ… बोलो ! दोगे ना उन्हें ये खुशी…
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

वो – मे भी यही चाहती हूँ… इसलिए तो कह रही हूँ… बोलो ! दोगे ना उन्हें ये खुशी…

मे – मेरी भाभी का हुकुम सर आँखों पर… फिर मेने उनको अपनी बाहों में कस लिया और बोला –

पहले अपनी डार्लिंग भाभी को तो खुशी दे दूं, ये बोलकर उनके होठ चूसने लगा……!

फिर हम दोनो ही अपना आपा खोते चले गये, दीं दुनिया से बेख़बर एक दूसरे में समाते चले गये..… !

दूसरे दिन मे अपनी बुलेट से कॉलेज पहुँचा… कॉलेज की नयी बिल्डिंग भी हमारे पुराने स्कूल से ही सटी हुई थी… बस गेट ही अलग था…

कॉलेज का ये पहला ही साल था… और ज़्यादातर हमारे स्कूल से पास हुए बच्चे ही थे.. तो सभी जानते ही थे…

मुझे बुलेट पर देख कर सारे फ्रेंड्स ने मुझे घेर लिया, और गाड़ी की खुशी में पार्टी माँगने लगे.. तो मुझे सभी को चाय नाश्ता कराना पड़ा…

अभी भी अड्मिशन चल ही रहे थे.. कॉलेज के प्रिन्सिपल मेरे पिताजी के मित्र थे.. और उपर से मे अपने स्कूल का टॉपर था…

तो उन्होने मुझे अपने ऑफीस में बुलाया और मुझसे थोड़ा कॉलेज के कामों में मदद करते रहने के लिए कहा..

क्लास तो अभी लगने नही थे, तो टीचर्स के साथ इंटरॅक्षन वग़ैरह कर-करके मे जल्दी ही वापस घर लौट आया….

अभी गाड़ी स्टॅंड की ही थी, कि भाभी बोली – लल्लाजी.. थोड़ा छोटी चाची के यहाँ चले जाओ.. उनको कुच्छ काम है.. शायद बाज़ार जाना है उनको..

मे उल्टे पैर चाची के घर पहुँचा… वो नहा धोकर तैयार हो रही थी.. थोड़ा सा मेक-अप भी किया हुआ था, जैसा गाओं में नॉर्मली औरतें करती हैं..

जैसे क्रीम, पाउडर.. हल्की सी लाली होठों पर, बारीक आँखों में काजल..

इतने में ही चाची चमक रही थी, साड़ी भी थोड़ा कसकर लपेटे हुई थी, जिसमें उनके उभरे हुए कूल्हे कुच्छ ज़्यादा ही मादक लग रहे थे.

मेने जाकर चाची को आवाज़ दी, तो वो अपने कमरे से बाहर आई.. सीने पर साड़ी का पल्लू कस कर कंधे पर पिन किया हुया था.. मेरी नज़र में वो एकदम माल लग रही थी, जिसे अगर मिल जाए तो कोई भी चोदने को तैयार हो जाए..

वो – आगये लल्ला…

मे – जी चाची ! क्या काम था.. बोलिए…?

वो – मुझे थोड़ा बाज़ार जाना था, अब तुम्हारे चाचा तो समय देते नही हैं.. सुबह स्कूल, फिर खेत….

हो सके तो मेरे साथ थोड़ा बाज़ार तक चलो ना..! इसी बहाने तुम्हारी बुलेट रानी पर बैठने का मौका मिल जाएगा मुझे भी… इतना कह कर वो हँसने लगी..

मे – अरे क्यों नही चाची..! वैसे लगता है आप बाज़ार में आज बिजलियाँ गिराने वाली हो… क्या लग रही हो…, मेने अपने उंगली और अंगूठे को मिलाकर टंच माल का इशारा किया.

वो शर्मा कर सर झुककर मुस्कराते हुए बोली – क्या लल्ला तुम भी कैसी मज़ाक करते हो.. मे ऐसी भी सुंदर नही लग रही…

मे – नही.. चाची सच में आज आप एकदम मस्त माल लग रही हो…

वो – हाए दियाय्ाआ…. लल्ला ! अपनी चाची को ही माल बोल रहे हो… बहुत बिगड़ते जा रहे हो…. लगता है जेठ जी को बोल कर जल्दी ही फेरे करवाने पड़ेंगे तुम्हारे…

मे – अब यहीं खड़े-2 फेरे करवाएँगी मेरे, या बाज़ार भी चलना है….

वो – हां चलो… मे तो एकदम रेडी हूँ… तुम अपनी फट-फटी तो लाओ…

चाची मेरे पीछे एक तरफ को दोनो पैर करके बैठ गयी, और बोली- लल्ला ये तुम्हारी हथिनी जैसी गाड़ी है, थोड़ा संभाल कर च्लना... मुझे तो डर लगता है..

मे – आप चिंता ना करो.. बस आप मुझे पकड़े रहना.. तो उन्होने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. और थोड़ी तिर्छि सी होकर बैठ गयी…, मेने गाड़ी बाज़ार की तरफ बढ़ा दी…

अभी गाओं से निकले ही थे, चौथा गियर डाला ही था, कि एक गाय सामने आगयि.., मुझे एक साथ ब्रेक लगाने पड़े, और चाची का वजन मेरे उपर…

उनकी 36” की चुचि जो अभी तक कोई बच्चा ना होने की वजह से अभी भी मस्त ठोस बनी हुई थी मेरी पीठ से दब गयी….

चाची एक साथ डर गयी… और बोली – हाए लल्ला… लगता है मारोगे मुझे आज.. मेने तुम्हारे साथ आकर ग़लती करदी ..

मे – चाची आप डरती बहुत हो… अब ये साइकल तो है नही जो धीरे -2 चलेगी.. ब्रेक तो लगाने ही पड़ते हैं.. आप एक काम करो, मेरी कमर पकड़ लो कस्के..

तो उन्होने मेरी कमर में अपनी बाजू लपेट दी,., और सट कर बैठ गयी.. उनकी चुचियों की चुभन मे अपनी पीठ पर महसूस कर रहा था, जिससे मेरा मूसल चन्द पॅंट में खड़ा होने लगा.

कस्बे का बाज़ार थोड़ी दूर ही था, सो 10 मिनिट में ही बाज़ार पहुँच गये…

चाची अपना समान खरीदने लगी.. सारा समान लेने के बाद वो अंडर गारमेंट की एक छोटी सी दुकान पर पहुँची. चाची की ही उमर का दुकानदार देखते ही बोला..

आइए .. आइए बेहन जी इस बार तो आप काफ़ी दिनों के बाद आई हैं… बोलिए क्या दिखाऊ..?

चाची ने अपनी पुरानी ब्रा बॅग से निकाली… और बोली – भैया मुझे अपने लिए अंगिया और कच्छि लेनी थी…ये अंगिया छोटी हो गयी है, इससे बड़ा साइज़ का दीजिए..
Post Reply