परिवार में चुदाई की गाथा

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pongapandit
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Re: परिवार में चुदाई की गाथा

Post by pongapandit »

Kamini wrote: 02 Sep 2017 18:04Mast update
VKG wrote: 05 Sep 2017 18:31Nice story good
vnraj wrote: 03 Sep 2017 23:28 Update ka kya hua

thanks

update abhi ki abhi aa raha hai
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pongapandit
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Re: परिवार में चुदाई की गाथा

Post by pongapandit »

रमन- रिंकी इसे छोड़, प्लीज इसे मत पकड़, बहुत दर्द होता है अह्ह्ह्ह….
रिंकी- नहीं छोड़ूंगा, बहुत हीरो बन रहे थे, अब बोलो, अब बोलो, दबा दूँ? चटनी बना दूँ इसकी? बताओ?
रमन- रिंकी देख छोड़, मैं माँ को बुला दूंगा वरना.
रिंकी- पहले सॉरी बोलो.
रमन- सॉरी, सॉरी, सॉरी, प्लीज अब छोड़ जल्दी.
(रिंकी रमन का लण्ड छोड़ देती है, रमन को गुस्सा आता है उसे बहुत दर्द हो रहा था, वो गुस्से में रिंकी को पकड़ता है और कस कर उसके हाथ उसके पीछे बांध देता है और उससे चिपक कर बेड में लेट जाता है, अब रिंकी की चूत के ठीक ऊपर रमन का खड़ा लण्ड झटके मार रहा था, रिंकी की डर से तेज साँसे रमन की साँसों से टकरा रही थीं, रमन की छाती से रिंकी की छाती दबी थी और रमन की छाती में रिंकी के निप्प्ल्स चुभ रहे थे)
रिंकी- भैया, छोडो प्लीज, अब नहीं करूंगी.
रमन- अब कैसे करेगी, अब तो तू मेरी जकड में जो है, ऐसे दबाते हैं नुन्नी को बता? क्यों दबाया इतनी तेज.
रिंकी- आपकी नुन्नी खड़ी थी, मुझे गुस्सा आ गया, आपने बोला था की वो बैठ जायेगी, तो मेने सोचा मैं पिचोड़ दूंगी तो क्या पता आपकी नुन्नी बैठ जाये.
रमन- तो पहले बताती, मैं तुझे पिचोड़ने को दे देता, अब पिछोड़ेगी क्या?
रिंकी- हाँ, पिछोडूँ क्या?
रमन- लेकिन जैसे मैं बताऊंगा वैसे पिछोड़ना, हलके हलके, ठीक है?
रिंकी- हाँ लेकिन अब मेरी कलाई छोडो, और मेरे ऊपर से हटो, कितने भारी हो आप.
(रमन अपनी बहन की नाजुक कलाई छोड़ देता है और अपना पैजामा उसके सामने खोल देता है, रमन का 6 इंच का खड़ा लण्ड देखकर रिंकी घबरा जाती है और शर्म से अपने मुह में हाथ रख लेती है और चौंक जाती है)
रिंकी- भैया ये तो नुन्ना है, कितना बड़ा नुन्ना है ये.
रमन- बहन आज तुझे एक बात बता रहा हूँ लेकिन तू प्रोमिस कर कि किसी को ये बात नहीं बताएगी.
रिंकी- प्रॉमिस भैया.

रमन- इसे नुन्नी या नुन्ना नहीं बोलते.
रिंकी- तो फिर क्या बोलते हैं भैया?
रमन- इसे लण्ड बोलते हैं, या लोडा भी बोल सकती है तू.
(रिंकी हंसने लगती है)
रिंकी- लण्ड, हा हा हा ये कैसा नाम है लण्ड…
रमन- धीरे बोल, वरना माँ आ जायेगी. चल तूने कहा था इसे पिछोड़ेगी, अब हलके हलके पिचोड़ इसे और आगे पीछे भी करना, जब मैं कहूँ तेज कर तो तेज करना, और जब मैं कहूँ धीरे तो आहिस्ता आहिस्ता हाथ चलना समझी?
रिंकी- समझ गयी भैया, पास आओ..
(और रिंकी रमन के लण्ड में अपने दोनों हाथ चलाती है और अपने भाई का मुठ मारने लगती है, रमन के आदेशानुसार रिंकी उसके लण्ड को पिछोड़ती है, आगे पीछे करती है)
रमन- अह्ह्ह्ह… बहन अह्ह्ह्ह…. उफ्फ्फ्फ तेरे हाथों में जादू है बहना, ऐसे ही तेज तेज कर जितनी तुझ पर जान है बहना, अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह….
थोड़ी देर बाद इसमें से बटर निकलेगा अह्ह्ह्ह्ह…
रिंकी- कौन सा बटर भैया, जो हम खाते हैं, अमूल का?
रमन- हा हा हा अह्ह्ह्ह… हाँ वो ही समझ ले, अह्ह्ह्ह… उसमे ताकत होती है, उसे फेकते नहीं है, उसे खाते हैं.
रिंकी- तो भैया मैं खा लुंगी बटर, आप चिंता मत करो, बटर बर्बाद नहीं होगा.
रमन- अगर तुझे खाना है तो ऐसा कर, मेरा लण्ड अपने मुह में डाल ले और वैसे ही आगे पीछे कर जैसे हाथ से कर रही थी, जल्दी, अह्ह्ह्ह…
रिंकी- ओके भैया.
(और रिंकी रमन का लण्ड अब मुह में डाल देती है और आगे पीछे करने लगती है. रमन का मजा सातवें आसमान में पहुच जाता है, एक *** साल की गोरी पतली, सेक्सी, हॉट, कामुक लड़की के मुह में रमन के लण्ड का मुत्थारोपन हो रहा था, रमन सिसकारी भरता है)
रमन- बहन, मक्खन आने वाला है, तेज तेज चूस बहन अह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह गया, उम्म्म्म्म्म्म्म… बहन तू सही में रानी है, अह्ह्ह्ह… मैं आया बहन, मक्खन आया बहन, अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…
(और रमन सारा माल रिंकी के मुह के अंदर छोड़ देता है और रिंकी सारा माल पी जाती है, और फिर रमन रिंकी के होंठ पर अपने होंठ रख देता है और किस करने लगता है, दोनों भाई बहन किस करने में मशगूल हो जाते हैं, फिर किस करते करते रमन रिंकी का टॉप उतार देता है और अब रिंकी केवल नेकर और गुलाबी ब्रा में थी..
फिर रमन रिंकी का ब्रा भी उसके पतले, कच्ची जवानी वाले बदन से अलग कर देता है, और रिंकी के बूब्स जो अभी अभी जवान हुए थे उसके भाई के सामने नग्न थे और रिंकी ने शर्म से अपने बूब्स हाथों से ढक लिए, रमन ने रिंकी के हाथों को हटाया और रिंकी के अधपके गुठली वाले बूब्स अपने मुह में भर लिए और उन पर टूट पड़ा, निप्पल चूसने लगा, रिंकी सिसकारी भरने लगी)
रिंकी- भैया, मुझे अजीब सा फील हो रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है भैया, अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बहुत, ऐसे ही चूसो भैया, अह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह्ह्ह… उईईईईई…. उम्म्म्म्म्म्म्म….. गयीईई… अह्ह्हह्ह्ह्ह भैयाआआह्ह्ह्ह…. चूसो और तेज चूसो, खा जाओ भैया अह्ह्ह…
(रिंकी अपने जीवन में पहली जवानी में पहली बार गरम हुयी थी और सेक्स चढ़ना स्वाभाविक बात थी, जलती जवानी की आग में रमन की *** साल की बहिन रिंकी की कामुकता से भरी सिसकारी पुरे घर में गूंजने लगी, रमन रिंकी के बूब्स खाये जा रहा था..
उसके बाद रमन रिंकी की नाभि और पेट को चाटने लगा, रिंकी मदहोशी में डूब गयी, वो दूसरी दुनिया में थी, उसे कुछ होश नहीं था, जवानी की आग में वो जल गयी, और इस आग में घी उसका अपना भाई रमन डाल रहा था, फिर रमन ने रिंकी का नेकर उसके बदन से अलग किया और उसकी जालीदार पेंटी भी अलग कर दी, अब रिंकी ऊपर से नीचे तक बिलकुल नंगी थी.
** साल का कसा हुआ पतला, गोरा जिस्म, पतली कमर, मोटी गोरी जांघें बहुत ही कामुक लग रही थी, अब रिंकी के शरीर में केवल उसकी टांगों में काले धागे बंधे थे, बाकि पूरा शरीर नंगा था. रिंकी सेक्स से पागल हुए जा रही थी..
रमन ने देखा कि रिंकी की चूत से बहुत सारा पानी निकल रहा है, रिंकी की चूत में हलके हलके रेशमी बाल थे, छोटी सी फूली हुयी गुलाबी चूत बहुत ही टाइट और बिलकुल नयी लग रही थी, अब रमन ने चूत में जीभ फेरना शुरू किया तो रिंकी तो पागल ही हो गयी)
रिंकी- अह्ह्ह्हह….. शहह्ह्ह्ह्ह… उईईईईई….मम्मी मर गयी, ये क्या अह्ह्ह… कर रहे हो भैयाआआह्ह्ह्ह्ह्ह्…. ये जादू है अह्ह्ह्ह….. भैया मजा आह्ह्ह्ह… रहा अह्ह्ह.. है, ऐसे ही चाटो अह्ह्ह्ह…. उम्म्म्म्म….
(रमन जीभ से रिंकी की चूत चोद देता है और उसकी सील तोड़ देता है और रिंकी की चूत से खून निकलता है जो रमन के मुह में लग जाता है, रिंकी खून देखकर डर जाती है लेकिन रमन उसे इसके बारे में समझता है तो रिंकी शांत हो जाती है)
रमन- बहन आज तेरी सील टूट गयी, अब तू वर्जिन नहीं है बहन, तेरी चूत लण्ड लेने लायक हो गयी है.
रिंकी- अह्ह्ह्ह… भैया बहुत मजा आया, लण्ड लेने लायक मतलब? इसमें अब लण्ड डालेंगे, और मक्खन भी?
रमन- मक्खन नहीं बहन, सिर्फ लण्ड डालेंगे क्यों कि मक्खन से तुझे बच्चा हो जायेगा.

रिंकी- अच्छा मक्खन से बच्चा भी होता है क्या? मतलब आप और मैं मक्खन से हुए है?
रमन- हाँ बहन, पापा ने मक्खन माँ की चूत में डाला था तो हम दोनों हुए. चल अब मैं तेरी चूत में अपना लण्ड डालूँगा, पहले पहले दर्द होगा, बाद में तुझे बहुत मजा आयेगा, ठीक है बहना?
रिंकी- हाँ भैया डालो. जल्दी डालो, अह्ह्ह्ह…
(फिर रमन रिंकी की चूत में लण्ड सेट करता है और हल्के हल्के उसे अंदर डालने की कोशिश करता है, रिंकी की दर्द से चीख निकलती है लेकिन वो सहन करती है..
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pongapandit
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Re: परिवार में चुदाई की गाथा

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फिर रमन पूरा लण्ड रिंकी की चूत में डाल देता है और रिंकी के दर्द से आंसू निकल जाते हैं और रमन अपने होंठ रिंकी के होंठों पर रख देता है और चूसने लगता है, रिंकी भी अपने भाई के होंठ चूसती है.
फिर रमन लण्ड अंदर बाहर करने लगता है, और रिंकी की जीभ से जीभ मिलाने लगता है, भाई बहन की अपवित्र चुदाई शुरू होती है, लण्ड चूत का मिलाप होता है, रिंकी-रमन दो जिस्म एक जान बनकर रह जाते हैं, दोनों बिलकुल नंगे बेड पर चुदाई कर रहे थे, अंततः रमन भूल और मजे में अपना सारा वीर्य रिंकी की योनि के अंदर ही छोड़ देता है और रिंकी भी साथ ही साथ अपना पानी छोड़ देती है.
दोनों एक दूसरे को कस कर पकड़ते हैं और ऐसे ही चिपके रहते हैं, रिंकी को आज चुदाई का ज्ञान हो गया था, अब वो बाहर किसी से भी चुदने को तैयार हो गयी थी लेकिन रमन का वीर्य उसकी योनि में समा गया था जिसके कारण दोनों डर गए थे)

(फिर दोनों अपने कपडे पहनते हैं और रिंकी सो जाती है और रमन अपनी माँ के कमरे में सोने चला जाता है जहाँ नाईट बल्ब जला था, उसकी माँ बेड पर लेटी थी और उसकी माँ कामना की नाईटी उसकी मोटी सुडौल गोरी झांघों तक सरक गयी थी, 90 प्रतिशत गोरे भारी तरबुझ जैसे बूब्स नाईटी से बाहर थे, बाल बिखरे हुए थे, आधे से ज्यादा निप्पल दिख रहे थे, ये दृश्य देखकर रमन का मन और लन दोनो डोल जाते हैं )
रमन का लण्ड अपनी माँ की ये मदहोशी में सोयी हुयी हालत को देखकर खड़ा हो जाता है, और रमन घूर घूर कर अपनी माँ के आधे से ज्यादा बूब्स को और मोटी गोरी मखमली बालों से भरी जांघों को एकटक देखता रहता है और अपना लण्ड पैजामे के बाहर से ही मसलता है, थोड़ी देर पश्चात रमन कामना के बगल में खड़े लण्ड के साथ लेट जाता है.
रमन के अपनी माँ के बगल में लेटने से कामना की नींद खुल जाती है और वो अपनी नाईटी सही करती है, निकले हुए बूब्स को संभालती है, माँ-बेटे के रिश्ते को व्यवस्थित रखने की पूरी कोशिश करती है)
(कामना और रमन एक दूसरे की तरफ मुह करके बातें करने लगते हैं, कामना के 50 प्रतिशत बूब्स अभी भी बाहर ही थे और सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, छोटा बेड होने की वजह से कामना और रमन पास पास एक दूसरे की तरफ मुह करके बात कर रहे थे, माँ-बेटे की सांसे एक दूसरे से टकरा रही थी)
कामना- आ गया बेटा, इतनी देर क्यों करी? कितना गेम खेलते हो तुम दोनों भाई बहन.
रमन- हाँ माँ वो थोडा देर हो गयी, आप तो गहरी नींद में सोये हुए थे.
कामना- हाँ वो नींद आ गयी थी, चल अब तू भी सोजा, इतनी बदबू क्यों आ रही है तुझ से, तू नहाया नही क्या ट्रेन में जो हुआ उसके बाद ?
रमन- नहाया था माँ, लेकिन ट्रेन में इतना सारा पता नही किसने डाला, उसकी बदबू शायद अभी तक है.
कामना- कंजर हरामी लोग थे ट्रेन में, मुझे पहले से पता था, शक्ल ही कमीनों वाली थी उनकी, बेशर्म कहीं के.
रमन- हाँ माँ, सही बोल रही है तू. वैसे एक बात पूछूँ?
कामना- पूछ बेटा.
रमन- आपको मजा आया सफ़र में?
कामना- हाँ बेटा बहुत मजा आया था, क्या बताऊँ, उन अंकल ने जो मुझे सीट दी बैठने को उसके बाद ज्यादा मजा आया.
रमन- वैसे जब आखिरी सुरंग आई थी तो उन अंकल की और आपकी अजीब अजीब सी आवाज़ें आ रही थी, ऐसा क्यों माँ?
कामना- अरे उस समय पता नहीं चूहा जैसे कुछ घुस गया था मेरे पेटिकोट के अंदर, उसने तूफ़ान मचा दिया था बेटा, अगर मैं हल्ला करती तो सब डर जाते कहीं ट्रेन में बम तो नहीं है, लेकिन मेने हिम्मत से काम लिया और चूहे के जाने का इंतज़ार किया, सुरंग खत्म होने के बाद चूहा चला गया.
रमन- वाह माँ, कितनी बहादुर हो आप, शेरनी हो.
कामना- वो तो हूँ ही बचपन से, लेकिन आजतक घमंड नहीं किया बेटा.
रमन- माँ जब आप रिंकी के रुम में मेरी गोद में बैठी थी तो बहुत मजा आ रहा था.
कामना- मजा कैसे आ रहा था तुझे? मैं समझी नहीं?
रमन- मतलब एक अलग अहसास हो रहा था, मेरा शरीर थका हुआ है ना, तो आप मोटी हो, मेरी जांघों के ऊपर आप बैठी थी तो मसाज हो गयी थी.
कामना- अच्छा जी, ऐसा है, अभी तेरे ऊपर लेट जाऊं क्या? पूरी बॉडी की मसाज हो जायेगी.
रमन- अगर ऐसा हो जाये तो सोने पे सुहागा हो जाये माँ.
कामना- चल हट… बदमाश, मैं तो मजाक कर रही हूँ.
रमन- आप भी ना माँ, ऐसा अच्छा मजाक करती हो. वैसे आप कितनी ज्यादा मोटी हो सही में, आपके दूध भी काफी बड़े हैं माँ.
कामना- बदमाश मेरे दूध देखता रहता है तू हाँ, बचपन में इन्ही को चूसता रहता था तू.
रमन- मैं इतने बड़े टैंकर से खत्म कर देता था क्या दूध?
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कामना- और नहीं तो क्या, चुस चूस कर लाल कर देता था निप्पल, जब नहीं पिलाती थी तो रो रो कर बुरा हाल कर देता था, बड़ा शैतान था बचपन से, जब तू बड़ा हुआ तब थोड़ा मेरी चुच्चियों को आराम मिला बेटा.
रमन- माँ इतनी बड़ी चुच्ची को किसी का भी मन चूसने का करेगा, अभी भी देखो बाहर दिख रही है, आप जब भी मार्किट या कहीं भी जाती हो आपकी चुच्चियां आधी बाहर दिखती हैं माँ, सब लोग आपकी चुच्चियों को घूरते रहते हैं.
कामना- तो क्या हुआ, चुच्चियां तो औरतों की शान होती है, जितनी बड़ी चुच्ची मतलब उतने ही अच्छे घर से है.
रमन- मेरे छोड़ने के बाद किसी ने आपकी चुच्ची चूसी माँ?
कामना- ये कैसा गन्दा सवाल कर रहा है बदमाश, (शरमाते हुए)- हाँ तेरे पापा चूसते हैं जब छुट्टी में आते हैं घर.
रमन- मुझे तो अभी भी आपकी चुच्ची चूसने का मन होता है माँ.
कामना- तुझे तो मैं कभी न चुसाऊं अपनी चुच्ची, बचपन में छोड़ता नहीं था, अब तो बड़ा हो गया है अब तो बिलकुल भी नहीं छोड़ेगा.
रमन- नहीं माँ अब मैं कम चुसुंगा, पिला दो प्लीज…

(कामना रमन की छाती में बालों में हाथ फेरती है)
कामना- तेरी छाती में कितने बाल है बाप रे, इतने तो सर में होते हैं, कहाँ तक फैलें हैं ये?
रमन- पेट से भी नीचे तक माँ, रुको मैं बनियान उतरता हूँ, अब देखो.
कामना- बाप रे इतने बाल हैं पेट तक.
रमन- माँ पेट से भी नीचे तक घने बाल हैं टांगों में खत्म होते हैं सीधे.
(कामना चौंकते हुए अपने बेटे की चौड़ी छाती के बाल देखती है, पेट से छाती तक बालों में हाथ फेरती है, कामना की नजर रमन के पैजामे में खड़े झटके मारते हुए लण्ड पर भी जाती है, और कामना हंसने लगती है)
कामना- अब बड़ा हो गया तू, गबरू जवान. कोई गर्लफ्रेंड है क्या कॉलेज में?
रमन- नहीं माँ अभी नहीं, मुझे कोई पसंद ही नहीं आती.
कामना- क्यों, कैसी लड़की पसंद है तुझे?
रमन- माँ आपके जैसी, मोटी सी, जिसकी चूचियाँ मोटी हों, जिनका दूध में रात भर पी सकूँ.
कामना- तेरे साथ जिसकी शादी होगी उसकी चुच्ची को चूस चूस कर पका देगा तू तो, बड़ा ही दीवाना है तू चुच्ची का.
रमन- हाँ माँ तभी तो आपकी चुच्ची चूसना चाहता हूँ. प्लीज चूसने दो.
कामना(रमन के सर पर हाथ फ़ेरते हुए)- माँ की चुच्ची चुसेगा? लेकिन ज्यादा मत चूसना बचपन की तरह ठीक है?
रमन- हाँ माँ, कम चुसुंगा. जल्दी दिखाओ चुच्ची प्लीज प्लीज प्लीज..
कामना- ज्यादा जोश में मत आ, जोश में होश मत खो देना तू.
(फिर कामना नाईटी के ऊपर से ही अपने दोनों बूब्स बाहर निकाल देती है जो अब रमन के सामने नंगे थे, सुर्ख काले रंग के खड़े निप्पल बड़े बड़े गोरे बूब्स में ठीक वैसे लग रहे थे जैसे अंग्रेजों के बीच में कोई नीग्रो)
कामना- आजा, चूस ले इन्हें.
(कामना के इतना कहते ही रमन बूब्स में भूखे शेर की तरह झपट जाता है और रगड़ रगड़ के निप्पल को चूसता है, कामना सिहर उठती है और अपने बूब्स को दबाते हुए जैसे उनसे दूध निकाल रही हो रमन को चुसवाती है)
कामना- अह्ह्ह… ठीक ऐसे ही चूसता था रमन तू इन्हें बचपन में, तूने पुरानी यादें ताज़ा करदी कसम से बेटे. अह्ह्ह्ह…
(रमन लगातार बूब्स को चूसता है, उसे काफी समय बाद इतने विशालकाय और गोरे बूब्स चूसने को मिले थे, एक पल भी वो इन्हें बिना चूसे व्यर्थ नही करना चाहता था इसलिए वो पागलों की तरह चूसे जा रहा था और कामना भी इसका फायदा उठा कर मजे ले रही थी, पैजामे में लगातार रमन का लण्ड झटके मार रहा था, और उसने ऊपर से भी कुछ नहीं पहना था, कामना रमन की छाती में हाथ फ़ेरने लगती है)
कामना- कितना भूखा है मेरा लाडला बेटा, पी ले बेटा दूध आज जितना भी पी सकता है, अह्ह्ह्ह… उम्म्म्म्म…
(आधा घंटा हो गया अब भवना को नींद आ रही थी लेकिन रमन चुच्चियां चूसे जा रहा था, रुकने का नाम नही ले रहा था, और कामना को नींद आ जाती है…
सुबह जब कामना उठती है तो देखती है रमन अभी भी उसके बूब्स चूस रहा है, और वो गुस्से से रमन को अलग करती है और देखती है उसके बूब्स के काले निप्पल में सूजन आ गयी थी और वो फूल कर बहुत मोटे दाने जैसे हो गए थे)
कामना- पागल लड़के, तू सोया नहीं क्या?
रमन- नहीं माँ, मैं निप्पल चूस रहा था, बहुत मजा आया, रात भर आपके निप्पल चूसे, इसमें से हल्का सा दूध भी आया.
कामना- उफ्फ्फ ये लड़का तो पागल है, इतना चूसेगा तो दूध तो निकलेगा ही, अब देख कितने मोटेे हो गए ये, डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा अब.
इससे बढ़िया रोज़ थोडा थोडा चूसता, अब ऐसे ही बैठा रह तू.
रमन- सॉरी माँ, डॉक्टर को मत दिखाओ ऐसे ही सही हो जायेगा ये.
कामना- तू डॉक्टर है क्या?
रमन- मेने इंटरनेट में पढ़ा था इसके बारे में.
कामना- चल ठीक है, अब उठ जा तू, रिंकी तो स्कूल जायेगी अभी. उसके लिए लंच पैक कर देती हूँ, तब तक तू भी नाहा धो ले, बदबू फैला रखी है तूने कमरे में.
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(रिंकी स्कूल चली जाती है, अब कामना और रमन घर में अकेले थे, आज कामना ने अलग टाइप की नाईटी पहनी जो रमन ने पहले कभी अपनी माँ को पहने हुए नहीं देखा था, कामना ने चिपले फिसलनदार कपडे की लाल रंग की बिना बाहों की नाईटी पहनी थी, जिसका गला बहुत ज्यादा खुला हुआ था, बैकलेस थी, और नीचे से भी स्कर्ट के जैसी झांघों से ऊपर तक थी, रमन की आँखें हवस से लाल हो गयी और वो आँखें फाड़ फाड़ कर अपनी माँ को देखे जा रहा था और कामुक ख्यालों में डूब गया)
कामना- अरे लाडले कहाँ खो गया?
रमन- तेरे ख्यालों में माँ, माँ आज तू बहुत ही खूबसूरत लग रही है, बिलकुल परी जैसे.
कामना- ओहो, आज तो माँ की तारीफ़ हाँ, इतनी मोटी हूँ, अगर पतली हो जाउंगी तो तेरे साथ कॉलेज जाउंगी, बच्चे मुझे तेरी माँ नहीं गर्लफ्रेंड समझने लगेंगे.

रमन- तो पतले हो जाओ आप, जिम जाया करो.
कामना- अच्छा मतलब मुझे गर्लफ्रेंड बनाएगा अपनी. ह्म्म्म्म.. शैतान है बहुत.
रमन- आप हो ही इतनी खूबसूरत, कोई भी आपको अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहे. चुच्ची कैसी है अब आपकी, दर्द है क्या?
कामना- अब थोडा ठीक है, रात में चूस चूस कर तूने कचुम्मर निकाल दिया सही में. मेरी तो जान ही निकल गयी थी मानों.
(तब कामना किचन में काम करती है, और रमन उसे काम करते हुए देखता है, कामना को स्लीप से एक डब्बा निकालना था, कामना अपने पैर के पंजों के बल खड़ी होकर डब्बा निकालने की कोशिश करती है लेकिन लंबाई कम होने के कारण नहीं पहुच पाती..
लेकिन उसके पंजों के बल खड़े होने से उसकी नाईटी ऊपर होती है और उसकी गांड के बाल दिखने लगते हैं, कामना ने अंदर से न तो कच्छी पहनी थी और न ही ब्रा, रमन ये सब देखकर पागल हो जाता है और अपनी माँ की मदद के लिए दौड़ता है)
रमन- माँ, मैं कुछ मदद करूँ क्या?
कामना- हाँ जरा मुझे पकड़ कर उठा दे, वो डब्बा निकालना है.
रमन- ठीक है माँ.
(रमन कामना को पीछे से पकड़ता है और ऊपर उठाता है, फिर भी कामना डब्बे तक नहीं पहुच पाती, दरअसल डब्बा निकलना तो एक बहाना था, डब्बा इतने ऊपर था कि उसे निकालने के लिए स्टूल चहिये था, लेकिन ये सब कामना की सोची समझी रणनिति थी)
कामना- रमन थोडा और कोशिश कर बेटा, ऊपर उठा.
(रमन कोशिश करता है, कामना की नाईटी कमर तक सरक गयी थी, उसकी गांड नंगी थी, जब ऊपर उठाने के बाद कामना नीचे आ रही थी तो रमन का खड़ा लण्ड कामना की नंगी गांड को छू रहा था..
लेकिन कामना ने रमन को और कोशिश करने को बोला, अब रमन ने चुपके से अपना पैजामा उतार दिया, अब रमन केवल टी शर्ट में था और उसका नंगा लण्ड उसकी माँ की नंगी गांड में छू रहा था, वो बार बार अपनी माँ को ऊपर नीचे उठाने का नाटक करने लगा और लण्ड को गांड में घिसते रहा)
कामना- कोशिश करते रह निकल जायेगा बेटा… अह्ह्ह्ह…
रमन- हाँ माँ, अह्ह्ह्ह्ह… उम्म्म्म… कर रहा हूँ अह्ह्ह्ह…
(और रमन कामना की नंगी गांड में अपना गरम गरम वीर्य छोड़ देता है और कामना को भी वीर्य का अहसास होता है, और रमन कामना के पीछे उसे कस के पकड़ लेता है)
रमन- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. माँ, निकल गया अह्ह्ह्ह…
कामना- लेकिन मेरा नहीं निकला बेटा. मेरा भी निकाल दे. मैं तड़प रही हूँ कबसे.
(रमन कामना को अपनी तरफ सीधा करता है और उसके होंठ पर अपने होंठ रख देता है फिर जोरदार चुम्बन शुरू हो जाता है, जीभ से जीभ का मिलन, थूक से थूक का आदान प्रदान माँ बेटे के मुह से चलता है, दोनों मस्ती में चूर हो जाते हैं, सारी सिमाएं पार कर, सभी बंधनों को तोड़कर, सारे रिश्ते नाते भूल कर केवल पुरूष-महिला का रिश्ता ही समझते हुए एक दूसरे से चिपक जाते हैं और किस करते हैं..
उसके बाद रमन अपनी माँ की नाईटी उसके शरीर से अलग फेंक देता है, अब उसकी माँ उसकी आँखों के सामने बिलकुल नंगी थी, माथे पे लाल बिंदी, सर पर लाल सिंदूर, हाथों में चूड़ियाँ और पैरों में घुंघरू बांधे उसकी माँ नंगी अपने बेटे से चुदाई करवाने को बेकरार थी..
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