लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

Post Reply
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

Mast update
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर्से मसल दिया…

आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर्से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह… वो अपनी कमर को मेरे लंड के चारों ओर घूमने लगी…

उनकी पीठ पर हाथ ले जाकर मेने उनकी ब्रा को निकाल दिया….. आअहह… क्या मस्त खरबूजे थे चाची के… एकदम गोल-मटोल… बड़े-बड़े, लेकिन सुडौल… जिनपर एक-एक काले अंगूर के दाने जैसे ब्राउन कलर के निपल जो अब खड़े होकर 1” बड़े हो चुके थे…

मेने उन दोनो को अपनी उंगली और अंगूठे में दबाकर मसल दिया…. चाची अपने पंजों पर खड़ी होगयि… और एक लंबी से अह्ह्ह्ह…. उनके मूह से निकल गयी..

अब मेने उनकी चुचियों को चूसना, चाटना शुरू कर दिया था, और एक हाथ से मसलने लगा.. चाची मादक सिसकिया लेते हुए… कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ा रही थी…

चूस-चूस कर, मसल-मसल कर मेने उनके दोनो कबूतरों को लाल कर दिया…

जब मेने एक हाथ उनकी छोटी सी पेंटी के उपर रखा तो वो पूरी तरह कमरस से तर को चुकी थी… मे उनके पेट को चूमते हुए… उनकी जांघों के बीच बैठ गया..

एक बार पेंटी के उपर से उसकी चूत को सहला कर किस कर लिया….

हइई….लल्ला.. ये क्या करते हो… भला वहाँ भी कोई मूह लगाता है…
मेने झिड़कते हुए कहा… आपको मज़ा आरहा है ना… तो उन्होने हां में मंडी हिला दी…

मेने फिर कहा – तो बस चुप चाप मज़ा लीजिए… मुझे कहाँ क्या करना है वो मुझे करने दीजिए..

वो सहम कर चुप हो गयी.. और आने वाले मज़े की कल्पना में खोने लगी..

मेने उनकी उस 4 अंगुल चौड़ी पट्टी वाली पेंटी को भी उतार दिया… उनकी झान्टो के बालों को अपनी मुट्ठी में लेकर हल्के से खींच दिया…

हइई… लल्ला… खींच क्यों रहे हो…? मेने कहा – तो ये जंगल सॉफ क्यों नही किया..?

वो – हाईए.. लल्ला… बस आज माफ़ करदो, आज के बाद ये कभी तुम्हें नही दिखेंगे…

मे उनकी चूत चाटना चाहता था, लेकिन झान्टो की वजह से मन नही किया.. और अपनी उंगलियों से ही उसके साथ थोड़ी देर खेला…

उनकी चूत लगातार रस छोड़ रही थी, जिसकी वजह से उनकी झान्टे और जंघें चिपचिपा रही थी…

और मत तडपाओ लल्ला… नही तो मेरी जान निकल जाएगी… चाची मिन्नत सी करते हुए बोली… तो मेने उन्हें पलंग पर लिटा दिया, और अपना लोवर निकाल कर, लंड को सहलाते हुए उनकी जांघों के बीच आगया..

चाची अपनी टाँगों को मोड हुए जंघें फैलाकर लेटी थी… मेरे मूसल जैसे 8” लंबे और सोते जैसे लंड को देखकर उन्होने झुरजुरी सी ली और बोली – लल्ला आराम से करना.. तुम्हारा हथियार बहुत बड़ा है…

मे – क्यों ऐसा पहले नही लिया क्या..?

वो – लेने की बात करते हो लल्ला… मेने तो देखा भी नही है अब तक ऐसा.. मेरी इसमें अभी तक तुम्हारे चाचा की लुल्ली या फिर मेरी उंगलियों के अलावा और कुच्छ गया ही नही है..

मेने चाची की झान्टो को इधर-उधर करके, उनकी चूत को खोला, सच में उनका छेद अभीतक बहुत छोटा सा था…

मेने एक बार उनकी चूत के लाल-लाल अन्द्रुनि हिस्से को चाटा… चाची की कमर लहराई… और मूह से आससीईईईईईईई… जैसी आवाज़ निकल गयी…

अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर मेने सुपाडा चाची के छेद में फिट किया और एक हल्का सा झटका अपनी कमर में लगा दिया…



आहह… धीरीए…. सीईईईईईई.. बहुत मोटा है… तुम्हारा.. लल्ला…

लंड आधा भी नही गया.. कि चाची कराहने लगी थी…

मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा.. बहुत कसी हुई चूत है चाची तेरी.. मेरे लंड को अंदर जाने ही नही दे रही…

मेरे मूह से ऐसे शब्द सुनकर चाची मेरे मूह को देखने लगी.. मेने कहा.. खुलकर बोलने में ही ज़्यादा मज़ा है.. आप भी बोलो…

मेने फिर एक और धक्का मार दिया और मेरा 3/4 लंड उनकी कसी हुई चूत में चला गया, चाची एक बार फिर कराहने लगी… मेने धीरे-2 लंड को अंदर बाहर किया…

चाची की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी.. मेने धक्के तेज कर दिए… चाची आह..ससिईहह.. करके मज़े लेने लगी, और कमर उठा-2 कर चुदाई का लुफ्त लूटने लगी, हमें पता ही नही चला कब लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया..

आअहह…चाची क्या चूत है.. तेरी.. बहुत पानी छोड़ रही है…

ओह्ह्ह.. मेरे चोदु राजा… तेरा मूसल भी तो कितनी ज़ोर्से कुटाई कर रहा है मेरी ओखली में… पानी ना दे बेचारी तो और क्या करेगी…

अब चाची भी खुलकर मज़े ले रही थी…और मनचाहे शब्द बोल रही थी…

मेरे मोटे डंडे की मार उनकी रामदुलारी ज़्यादा देर नही झेल पाई और जल्दी ही पानी फेंकने लगी..

चाची एक बार झड चुकी थी, मे उनकी बगल में लेट गया और उनको अपने उपर खींच लिया…

चाची मेरे उपर आकर मेरे होठ चूसने लगी, मेने उनकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा… चाची मेरे लंड को अपनी चूत में लो ना…

वो – अह्ह्ह्ह.. थोड़ा तो सबर करो… मेरे सोना.. फिर उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को मुट्ठी में जकड़कर उसे अपनी गीली चूत के होठों पर रगड़ने लगी, जिससे वो फिरसे गरम होने लगी..

मेरे सुपाडे को चूत के मूह से सटा कर धीरे-2 वो उसके उपर बैठने लगी…

जैसे जैसे लंड अंदर होता जा रहा था… साथ साथ चाची का मूह भी खुलता जा रहा था, साथ में कराह भी, आँखें मूंद गयी थी उनकी.

पूरा लंड अंदर लेने के बाद वो हाँफने सी लगी और बोली ….

हाईए… राम.. लल्ला… कितना बड़ा लंड है तुम्हारा… मेरी बच्चेदानी के अंदर ही घुस गया ये तो….

और अपने पेडू पर हाथ रख कर बोली - उफफफफ्फ़… देखो… मेरे पेट तक चला गया… फिर धीरे-2 से वो उसपर उठने बैठने लगी…

हइई… मॉरीइ… मैय्ाआ…. अबतक ये मुझे क्यों नही मिला… अब मे माँ बनूँगी… इसी मूसल से… उउफफफ्फ़.. मेरे सोने राजा… मेरे लल्लाअ.. के बीज़ से…
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

ऐसे ही अनाप-सनाप बकती हुई चाची, लग रहा था अपना आपा ही खो चुकी थी…

मेने भी अब कमान अपने हाथ में ले ली और उनके धक्कों की ताल मिलाते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा..

कमरे में ठप-ठप की अवजें गूँज रही थी.. दोनो ही पसीने से तर-बतर हो चुके थे.. फिर जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरा छूटने वाला है…

मेने झपट कर चाची को फिरसे नीचे लिया, और 20-25 तूफ़ानी धक्के लगा कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया………….!

15 मिनिट के बाद चाची मेरे बगल से उठी और अपने कपड़े समेटने लगी… मेने उनका हाथ पकड़ कर कहा – ये क्या कर रही हो चाची..?

वो – अरे ! फ्रेश तो होने दो… फिर चाय बनाके लाती हूँ.. और साथ में कुच्छ नाश्ता भी कर लेंगे…

मे – ऐसे ही जाओ, जहाँ जाना है..

वो अपने मूह पर हाथ रखकर बोली – हाई… लल्ला तुम तो बड़े बेशर्म हो, और मुझे भी बेशर्म बनाए दे रहे हो…

अब ऐसे नंगी-पुँगी… बाहर कैसे जा सकती हूँ..? किसी ने उपर से देख लिया तो..?

मे – तो एक चादर ओढ़ लो.. बस,… हँसते हुए उन्होने अपने शरीर पर एक चादर डाल ली और बाहर निकल गयी…

बाथरूम तो जैसे मेने पहले ही कहा है.. ओपन ही था,

तो उसी में बैठकर वो मूतने लगी, और बैठे-2 ही अपनी चूत साफ करके किचेन में घुस गयी…

उन्होने चाय बनाने के लिए गॅस पर रख दी, अभी वो उसमें चाय-चीनी डाल ही रही थी, कि मेने पीछे से जाकर उन्हें जकड लिया..

मे एकदम नंगा ही था अब तक..

मेने उनकी चादर हटाकर एक तरफ रख दी, और अपना कड़क लंड उनकी मोटी लेकिन मस्त उभरी हुई गान्ड की दरार में फँसा दिया और अपनी कमर चलाने लगा..

मेरा लंड उनकी गान्ड के छेद से लेकर चूत के मूह तक सरकने लगा…

आहह………सीईईईईईईईईईईईईईईईई……………लल्लाआाआ…. रुकूऊ…चाय तो बनाने दो… सच में बहुत बेसबरे हो तुम…

मेने बिना कोई जबाब दिए चाची को पलटा लिया और किचेन के स्लॅब से सटा कर उनके होठ चूसने लगा…

चाय जल जाएगी मेरे सोनााआ….आआईयईई…..नहियिइ…..रकूओ…प्लेआस्ीई… उनकी चुचि को दाँतों से काटते हुए मेने हाथ लंबा करके गॅस बंद कर दी..

मेने अपने हाथ की दो उंगलियाँ उनकी चूत में घुसा दी और अंदर बाहर करते हुए चुचियों को चूसने मसल्ने लगा….

ओह्ह्ह्ह…उफ़फ्फ़…. बहुत बेसबरे हो मेरे सोनाआ….सीईईई…आअहह….आययीईई…

तुम्हारी चुचियों को देखकर किस मदर्चोद को सबर होगा चाची… क्या मस्त माल हो तुम…

उनके होठ चबाते हुए मेने कहा- चाचा भोसड़ी का चूतिया है.. जो इतने मस्त माल को भी नही चोदता …

उस चूतिया का नाम लेकर मज़ा खराब मत करो लल्लाआ……सीईईईई……..चाची अपने खुश्क हो चुके होठों पर जीभ से तर करते हुए बोली.

फिर मेने चाची की एक जाँघ के नीचे से हाथ फँसा कर उठा लिया और अपना लंड उनकी गीली चूत में खड़े-2 पेल दिया….

अहह……………मैय्ाआआआआ……मारगाई………..भोसड़ी के धीरीईई…..नहियीईईईईई….डाल सकताआआआअ…..आआआआआअ…..धीरे….

चाची का एक पैर ज़मीन पर था, एक हाथ स्लॅब पर टिका लिया था और दूसरा हाथ मेरे गले में लपेट लिया…

हुमच-हुमच कर धक्के लगाने से चाची का बॅलेन्स बिगड़ने लगा..

मेने दूसरी टाँग को भी उठा लिया, अब चाची हवा में मेरी कमर पर अपने पैरों को लपेटे हुए थी.. एक हाथ अभी भी उनका स्लॅब पर ही टिका रखा था…

इस पोज़ में लंड इतना अंदर तक चला जाता, की चाची हर धक्के पर कराह उठती…

एक बार फिर चाची हार गयी.. और उनकी चूत पानी फेंकने लगी…

मेने उनको नीचे उतारा और स्लॅब पर दोनो हाथ टिका कर घोड़ी बना लिया…

उनकी गान्ड देख कर तो में वैसे ही पागल हो जाता था, सो पेल दिया लंड दम लगा कर उनकी चूत में … एक ही झटके में मेरे टटटे… गान्ड से टकरा गये..

मेरे धक्कों से चाची हाई..हाई… कर उठी… 20 मिनिट के धक्कों ने उनकी कमर चटका दी..

आख़िर में उनकी ओखली को अपने लंड के पानी से भरकर मेने चादर से अपना लंड पोन्छा और कमरे में चला गया…

10 मिनिट बाद चाची चाय लेकर कमरे में पहुँची.. तो मेने उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनो चाय पीते हुए बातें करने लगे…

बहुत कुटाई करते हो लल्ला तुम… सच में मुझे तो तोड़ ही डाला… पूरी तरह..

मे – मज़ा नही आया आपको..?

वो – मज़ा..? मेने आज पहली बार जाना है कि चुदाई ऐसी भी होती है… इससे ज़्यादा जिंदगी में और कोई सुख नही हो सकता… सच में…

चाय ख़तम करके चाची बोली – लल्ला.. मानो तो एक बात कहूँ..?

मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा… अब इससे बड़ी और क्या बात होगी जिसके लिए मे ना कर दूं…

वो – लल्ला ! अब तुम बड़े हो गये हो.. कॉलेज जाने लगे हो.. अब थोड़ा घर के कामों में भी हाथ बटाना चाहिए तुम्हें.. जेठ जी और कब तक करेंगे…

मे समझा नही चाची.. किन कामों की बात कर रही हो.. सारा काम तो नौकर ही करते हैं ना..!

वो – तो क्या हुआ, उनकी देखभाल भी तो करनी होती है.. मे बस यही कहूँगी.. कि तुम भी थोड़ा खेतों की देखभाल करो… जिससे तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले…और आगे चल कर तुम ये सब संभाल सको…

मेने कहा – ठीक है चाची मे आपकी बात समझ गया, आज से कोशिश करूँगा.. और फिर अपने कपड़े पहन कर उनके पास से चला आया……!

अभी मे अपने घर जाने की सोच ही रहा था….कि चाची के शब्द याद आगाये…”तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले”…!!!

चाची किस बारे में बोली..? कुच्छ तो ऐसा है.. जो चाची मुझे समझाना चाहती हैं…?
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

mast update
Post Reply