वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete
- xyz
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
nice update
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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- sexi munda
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
मित्र इंतिहाई मस्त कहानी है
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
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- rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
shukriya dosto
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
इस दौरान बदिश का पानी ज़ोर ज़ोर से दोनो जिन्सी पदमियो के जिस्मो पर पड़ते हुए ज़ाहिद और रज़िया बीबी के लंड और चूत के पानी के ज़ायक़े को उन दोनो के लिए मज़ीद स्वाद वाला बना रहा था.
और ये दोनो मियाँ बीवी आज एक दूसरे के जिस्म के पानी को एक नये अंदाज़ में पी पी कर लुफ्त अंदोज़ हो रहे थे.
जब दोनो माँ बेटा एक दूसरे के लंड और चूत का पानी चाट चाट कर अच्छी तरह मुत्मिन हो गये.
तो ज़ाहिद ने रज़िया बीबी के जिस्म को दुबारा चारपाई पर लिटाया. और फिर बे सूध हो कर अपनी अम्मी के गीले बदन पर ढेर हो गया.
उस दिन के बाद रज़िया बीबी अपने बेटे की बीवी की हैसियत से अब हर रोज़ ज़ाहिद के साथ रात बसर करने लगी. और ज़ाहिद भी अब अपनी अम्मी को माँ से ज़्यादा एक बीवी की तरह ट्रीट करने लगा था.
ज़ाहिद अक्सर शाज़िया और रज़िया बीबी को एक साथ शॉपिंग के लिए ले जाता. और अपनी दोनो बीवियों को अपनी पसंद के मुताबिक कपड़े और अंडर गारमेंट्स खरीद कर देता.
शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अब ज़ाहिद की ख्वाहिश के मुताबिक खुले गले वाले तंग शलवार कमीज़ पहनने लगी थी.
इन तंग कमीज़ों के खुले गालों से जब रज़िया बीबी के भारी मम्मे बाहर को छलकते.
तो अपनी अम्मी के नीम नंगे बदन को देख कर ज़ाहिद का लंड उस की शलवार में से उठ उठ खड़ा होता.
इस दौरान जब शाज़िया की चूत में आग ज़्यादा लगती. तो रज़िया बीबी एक माँ और सौतन का फ़र्ज़ निभाते हुए अपनी बेटी,बहू,और सोतन के गरम फुद्दे की आग को अपनी नुकीली ज़ुबान से सकून पहुँचा देती.
रज़िया बीबी को अब अपने बेटे से अपनी चूत को नंगा चुदवाते हुए तकरीबन एक महीना होने को था. और इस एक महीने में ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को हर हर स्टाइल में चोद लिया था.
(कहते हैं कि जिस तरह अच्छा खाना खाने से इंसान की सेहत बेहतर तो है. उसी तरह रेग्युलर चुदवाने से अक्सर औरतों का वज़न भी बढ़ जाता है.
इस की मिसाल ऐसे दी जा सकती है. कि बहुत सारी कंवारी लड़कियाँ जो शादी से पहले काफ़ी दुबली पतली होती हैं. उन में से अक्सर का वज़न शादी के बाद पहले से ज़्यादा हो जाता है.)
लगता था कि शायद ऐसा ही कुछ रज़िया बीबी के साथ भी हो रहा था. रज़िया बीबी का वजूद तो पहले भी काफ़ी भारी था.
लेकिन ज़ाहिद से चुदवाने के बाद रज़िया बीबी का जिस्म ना सिर्फ़ पहले से भी थोड़ा भर गया था. बल्कि उसके साथ साथ रज़िया बीबी का पेट भी उस के कपड़ों में से पहले से कुछ ज़्यादा ही वज़िया नज़र आने लगा था.
मगर रज़िया बीबी ने अपने इस बेटे हुए वज़न की वजह जानने की ना तो कभी कॉसिश की. और ना ही टीन एज लड़कियों की तरह उस को अपना फिगर खराब होने की परवाह थी.
एक महीने के बाद ज़ाहिद को एक रोज़ किसी काम के सिलसिले में मुर्री जाना था. तो उसने अपनी दोनो ने शाज़िया और अम्मी को साथ जाने को कहा.
“नही भाई आप अम्मी को साथ ले जाओ, मेरी तबीयत खराब है, दोराने सफ़र हमारे बच्चे को कुछ हो ना जाए तो अच्छा नही हो गा ”
शाज़िया ने कमीज़ के उपर से अपने हमला पेट पर हाथ फेरते हुए अपने खाविंद ज़ाहिद को जवाब दिया.
“ठीक है तुम आराम करो,हम शाम तक वापिस आ जाएँगे” ज़ाहिद ने शाज़िया की बात मान ली.
“में कार बाहर निकालता हूँ,आप जल्दी से आ जाएँ अम्मी” शाज़िया से बात करने के बाद ज़ाहिद ने अपनी कार की चाभी उठी. और रज़िया बीबी को जल्दी आने का कह कर ज़ाहिद खुद बाहर निकल गया.
"तुम क्यों नही साथ जा रही शाज़िया” ज़ाहिद के बाहर जाते ही रज़िया बीबी ने शाज़िया से पूछा.
“में तो शादी के बाद मुर्री जा कर ज़ाहिद के साथ अपने हनी मून मना चुकी हूँ,इसीलिए आज आप को मोका देना चाहती हूँ कि आप अकेले ज़ाहिद के साथ जा कर एंजाय कर सको,अम्मी जान”
और ये दोनो मियाँ बीवी आज एक दूसरे के जिस्म के पानी को एक नये अंदाज़ में पी पी कर लुफ्त अंदोज़ हो रहे थे.
जब दोनो माँ बेटा एक दूसरे के लंड और चूत का पानी चाट चाट कर अच्छी तरह मुत्मिन हो गये.
तो ज़ाहिद ने रज़िया बीबी के जिस्म को दुबारा चारपाई पर लिटाया. और फिर बे सूध हो कर अपनी अम्मी के गीले बदन पर ढेर हो गया.
उस दिन के बाद रज़िया बीबी अपने बेटे की बीवी की हैसियत से अब हर रोज़ ज़ाहिद के साथ रात बसर करने लगी. और ज़ाहिद भी अब अपनी अम्मी को माँ से ज़्यादा एक बीवी की तरह ट्रीट करने लगा था.
ज़ाहिद अक्सर शाज़िया और रज़िया बीबी को एक साथ शॉपिंग के लिए ले जाता. और अपनी दोनो बीवियों को अपनी पसंद के मुताबिक कपड़े और अंडर गारमेंट्स खरीद कर देता.
शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अब ज़ाहिद की ख्वाहिश के मुताबिक खुले गले वाले तंग शलवार कमीज़ पहनने लगी थी.
इन तंग कमीज़ों के खुले गालों से जब रज़िया बीबी के भारी मम्मे बाहर को छलकते.
तो अपनी अम्मी के नीम नंगे बदन को देख कर ज़ाहिद का लंड उस की शलवार में से उठ उठ खड़ा होता.
इस दौरान जब शाज़िया की चूत में आग ज़्यादा लगती. तो रज़िया बीबी एक माँ और सौतन का फ़र्ज़ निभाते हुए अपनी बेटी,बहू,और सोतन के गरम फुद्दे की आग को अपनी नुकीली ज़ुबान से सकून पहुँचा देती.
रज़िया बीबी को अब अपने बेटे से अपनी चूत को नंगा चुदवाते हुए तकरीबन एक महीना होने को था. और इस एक महीने में ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को हर हर स्टाइल में चोद लिया था.
(कहते हैं कि जिस तरह अच्छा खाना खाने से इंसान की सेहत बेहतर तो है. उसी तरह रेग्युलर चुदवाने से अक्सर औरतों का वज़न भी बढ़ जाता है.
इस की मिसाल ऐसे दी जा सकती है. कि बहुत सारी कंवारी लड़कियाँ जो शादी से पहले काफ़ी दुबली पतली होती हैं. उन में से अक्सर का वज़न शादी के बाद पहले से ज़्यादा हो जाता है.)
लगता था कि शायद ऐसा ही कुछ रज़िया बीबी के साथ भी हो रहा था. रज़िया बीबी का वजूद तो पहले भी काफ़ी भारी था.
लेकिन ज़ाहिद से चुदवाने के बाद रज़िया बीबी का जिस्म ना सिर्फ़ पहले से भी थोड़ा भर गया था. बल्कि उसके साथ साथ रज़िया बीबी का पेट भी उस के कपड़ों में से पहले से कुछ ज़्यादा ही वज़िया नज़र आने लगा था.
मगर रज़िया बीबी ने अपने इस बेटे हुए वज़न की वजह जानने की ना तो कभी कॉसिश की. और ना ही टीन एज लड़कियों की तरह उस को अपना फिगर खराब होने की परवाह थी.
एक महीने के बाद ज़ाहिद को एक रोज़ किसी काम के सिलसिले में मुर्री जाना था. तो उसने अपनी दोनो ने शाज़िया और अम्मी को साथ जाने को कहा.
“नही भाई आप अम्मी को साथ ले जाओ, मेरी तबीयत खराब है, दोराने सफ़र हमारे बच्चे को कुछ हो ना जाए तो अच्छा नही हो गा ”
शाज़िया ने कमीज़ के उपर से अपने हमला पेट पर हाथ फेरते हुए अपने खाविंद ज़ाहिद को जवाब दिया.
“ठीक है तुम आराम करो,हम शाम तक वापिस आ जाएँगे” ज़ाहिद ने शाज़िया की बात मान ली.
“में कार बाहर निकालता हूँ,आप जल्दी से आ जाएँ अम्मी” शाज़िया से बात करने के बाद ज़ाहिद ने अपनी कार की चाभी उठी. और रज़िया बीबी को जल्दी आने का कह कर ज़ाहिद खुद बाहर निकल गया.
"तुम क्यों नही साथ जा रही शाज़िया” ज़ाहिद के बाहर जाते ही रज़िया बीबी ने शाज़िया से पूछा.
“में तो शादी के बाद मुर्री जा कर ज़ाहिद के साथ अपने हनी मून मना चुकी हूँ,इसीलिए आज आप को मोका देना चाहती हूँ कि आप अकेले ज़ाहिद के साथ जा कर एंजाय कर सको,अम्मी जान”
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- rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )
शाज़िया ने मुस्कराते हुए अपनी अम्मी से कहा. और प्यार भरे अंदाज में अपनी अम्मी के जिस्म के साथ चिपक गई.
“अच्छा तबीयत खराब होना तो सिर्फ़ एक बहाना है,असल बात ये है” रज़िया बीबी भी अपनी बेटी की बात सुन कर मुस्कराई. और फिर शाज़िया को खुदा हाफ़िज़ कह कर ज़ाहिद के साथ कार में आन बैठी.
ज़ाहिद की कार के शीशे टिनटेड थे. इसीलिए ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी कार को पिंडी से बाहर निकाल कर मुर्री हाइवे पर डाला.
तो उस ने अपने काले शीशों का फ़ायदा उठाते हुए अपना एक हाथ फ्रंट सीट पर बैठी अपनी अम्मी की शलवार के उपर से रज़िया बीबी की चूत पर रख दिया.
“शरम करो ज़ाहिद बाहर से कोई देख ले गा बेटा”अपने बेटे की इस ना मतवका हरकत से रज़िया बीबी एक दम परेशान हो कर बोली.
“गाड़ी के शीशे काले होने की वजह से बाहर से अंदर नज़र नही आता मेरी जान” ज़ाहिद ने रज़िया बीबी को समझाया.
इस के साथ ही ज़ाहिद ने अपनी ज़िप खोली .और अपनी अम्मी का हाथ पकड़ कर अपने तने अपने लंड पर रख दिया.
रज़िया बीबी को अपने बेटे के प्यार का ये अंदाज़ बहुत अच्छा लगा. और वो गरम होते हुए चलती कार में ही अपने बेटे की मूठ लगाने लगी. जब कि इस दोरान ज़ाहिद भी अपने हाथ को अपनी अम्मी की फुद्दि के उपर इधर उधर फैरने लगा.
अपनी सारी शादी शुदा ज़िंदगी में ज़ाहिद के मरहूम अब्बू के साथ रज़िया बीबी ने अपने घर से बाहर इस तरह की किसी हरकत का तसव्वुर नही किया था.
मगर आज अपने ही सगे बेटे के साथ दोरान सफ़र मे मस्ती भरी ये हरकत रज़िया बीबी को बहुत अच्छी लग रही थी.
इसीलिए वो पूरे सफ़र के दोरान ज़ाहिद के लंड से हल्की हल्की छेड़ छाड़ करती रही. और ज़ाहिद भी अपनी अम्मी की चूत और मम्मो को अपने हाथ से मसलता और दबाता रहा.
मुरी पहुँचने तक ज़ाहिद ने रज़िया बीबी को और रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को अपने अपने हाथों से खूब गरमा दिया था.
हिल पर जा कर ज़ाहिद को अपने काम से फारिग होते शाम के 3 बज गये.
इस दोरान ज़ाहिद और रज़िया बीबी को ज़ोर की भूक लग रही थी. इसीलिए ज़ाहिद के काम से फारिग होते ही दोनो माँ बेटा एक रेस्टोरेंट में खाना खाने बैठ गये.
अभी ज़ाहिद और रज़िया बीबी को खाना ख़ाते थोड़ी देर ही हुई थी. कि इस दोरान अचानक शदीद किसम की बारिश स्टार्ट हो गई.
बदिश स्टार्ट होने की देर थी. कि रेस्टोरेंट में लगे टीवी सेट पर ब्रेकिंग न्यूज़ चलने लगी.
ब्रेकिंग न्यूज़ के मुताबिक मुर्री में होने वाली तेज बदिश की वजह से मिट्टी का एक तोड़ा सड़क पर गिरने से पिंडी वाली रोड ब्लॉक हो गई है.
इस तेज बारिश की वजह से इम्दादी काम में मुश्किल पेश आ रही थी. जिस वजह से बंद रोड का कल दूसरे दिन तक ही खुलने का इम्कान है.
“चलो कर लो गल” न्यूज़ सुन कर ज़ाहिद ने अपने सामने बैठ कर खाना खाती हुई अपनी अम्मी रज़िया की तरफ देखा और बोला.
“अब क्या हो गा ज़ाहिद” रज़िया बीबी ये खबर सुन कर परेशान हो गई, क्यों कि शाज़िया घर में अकेली थी.
“अब हमें शाज़िया को फोन कर के ये बात बताना पड़े गी, और फिर रात इधर ही रुकना पड़े गा” ज़ाहिद ने जवाब दिया.
“ठीक है अब इस के अलावा हो भी क्या सकता है” रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की हां में हां मिला दी.
दोनो माँ बेटा खाने से फारिग हो कर एक करीबी होटेल में आए. और एक रूम ले कर अपने कमरे में चले गये.
कमरे में पहुँच कर ज़ाहिद ने शाज़िया को इतला दी. और उसे शाज़िया को अपने पास बुलाने का कह दिया.
जिस वक्त ज़ाहिद शाज़िया से बात कर रहा था. उसी दोरान रज़िया बीबी के पेट में अचानक मरोड़ (दर्द) हुआ. और उसे ऐसा लगा जैसे वो एक दम से उल्टी (वॉमिटिंग) कर देगी .
रज़िया बीबी समझी कि शायद रेस्टोरेंट के खाने में कोई ऐसी चीज़ थी. जिस वजह से उस की तबीयत खराब होने लगी है.वो उठी और बाथरूम में जा कर उल्टी करने लगी.
“आप की तबीयत तो ठीक है अम्मी” फोन बंद करते ही ज्यों ही ज़ाहिद के कान में अपनी अम्मी की उल्टियो की आवाज़ पड़ी. तो वो दौड़ कर बाथरूम गया और अम्मी से पूछा.
“पता नही क्यों खाना खाते ही उल्टी होने लगी है,अभी ठीक हो जाउन्गी ,तुम फिकर ना करो” रज़िया बीबी ने जवाब दिया.
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