जुआरी complete
- Kamini
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Re: जुआरी
विजय ने कुणाल को अपने पास बिठाया और 3-3 पत्ते बाँट दिए...
और पत्ते उठाने से पहले वो बोला : "आज दीवाली है,इसलिए कुछ धमाकेदार होगा यहाँ पर, जो आज से पहले शायद नही हुआ होगा...''
ऐसा कहते हुए उसने अपनी बीबी और पायल के चेहरों की तरफ देखा, क्योंकि आज उन दोनो की जम कर लगने वाली थी..
विजय : "आज का खेल हमेशा की तरहा कुणाल और मेरे बीच चलेगा... लेकिन इस खेल मे हारने वाला खुद ही अपनी बीबी से वो सब जीतने वाले के लिए करवाएगा, जो वो अगली गेम जीतने पर खुद के साथ करवाने की इच्छा रखता हो...''
सभी एक दूसरे के चेहरों को देखने लगे...
कुणाल और कामिनी तो समझ गये पर वो बोडम महिला पायल नही समझ पाई...
फिर कामिनी ने उसे समझाया
कामिनी : "इनके कहने का मतलब है की अगर तुम्हारा पति कुणाल हार गया तो वो खुद तुम्हे कुछ करने को कहेगा और वो तुम्हे करना भी पड़ेगा विजय के साथ...और वो इसलिए की विजय अगली गेम में जब हारेगा तो मुझे भी सेम तो सेम कुणाल के साथ करना पड़ेगा...''
कुणाल ने मन में सोचा 'सीधा बोलो ना मेंमसाब्, चुदाई करनी पड़ेगी...ये कुछ-2 क्या होता है...'
सारी बात सुनकर पायल भी शरमा कर रह गयी...
इस गेम के बाद होने वाली पॉसिबिलिटीस को सोचकर शायद उसकी चूत फिर से पनिया रही थी....
आज तक तो ऐसा नही हुआ था की उसके पति कुणाल ने खुद उसे किसी और से चुदने के लिए बोला हो...
आज वो भी देखने को मिलेगा..
और देखते है की इन मर्दों में कितनी हिम्मत है अपनी ही बीबी को दूसरे मर्द के सामने किस हदद तक पेश कर सकते है वो...
कुणाल ने अपने पत्ते उठा कर देखे और पहली बार में ही वो समझ गया की वही जीतेगा...
उसके पास 8,9,10 का सीक़वेंस आया था.
विजय ने अपने पत्ते देखे, उसके पास K का पेयर आया था.
दोनो मुस्कुरा दिए...
विजय को लग रहा था की वो जीत गया है, इसलिए उसने बड़ी ज़ोर से अपने पत्ते टेबल पर पटके और एक ठहाका भी लगाया...
पर कुणाल ने जब अपने पत्ते फेंके तो उसकी वो हँसी गायब हो गयी...
और कुणाल मुस्कुरा दिया.
कुछ वैसी ही मुस्कुराहट इस वक़्त कामिनी के चेहरे पर भी थी...
आज वो पहली बार अपने पति के कहने पर कुणाल के पास जाएगी...
पर शायद विजय ने इस बारे में भी सोच रखा था, क्योंकि अगली बार जीतने पर उसे भी तो पायल को उसी तरह से भोगने का अवसर मिलना था जैसा इस वक़्त कुणाल को मिल रहा था..
वो कामिनी से बोला : "तुम कुणाल के पास जाओ और कुणाल तुम्हारी गांड को चूमेगा...''
कामिनी के बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी ये सुनकर...
भले ही सुनने में थोड़ा अजीब सा लगा की उसका खुद का पति उसे ऐसा करने के लिए कह रहा है पर फिर भी उसे सुनकर जो रोमांच उसके अंदर दौड़ा उसका कोई और मुकाबला ही नही था...
कामिनी ने तो एक पतली सी नाईटी पहनी हुई थी जिसके अंदर भी कुछ नही था, उसने वो बड़ी ही बेबाकी से उतार दी
उसका नंगा और मदमस्त बदन कुणाल की प्यासी आँखो के सामने लहराने लगा..
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- jay
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Re: जुआरी
nice story Kamini
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: जुआरी
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Re: जुआरी
वो जानबूझकर विजय की तरफ घूमी और अपनी फेली हुई गांड मटकाती हुई उल्टी चलकर कुणाल की तरफ जाने लगी... कुणाल को ऐसा लग रहा था जैसे शेर के मुँह में माँस खुद चल कर आ रहा है...
वो अपनी गांड को मतकाते हुए उसके करीब आई और फिर झुककर घोड़ी बन गयी....
कुणाल ने अपना ऊँट जैसा मुँह आगे किया और उसके मखमली बदन को किसी गली के कुत्ते की तरह सूँघा...
और फिर उसने कामिनी मेडम के कुल्हों पर अपने पंजे जमा कर अपने दाँत उसकी गांड पर गाड़ दिए..
वो दर्द से कराह उठी...
कुणाल के दांतो से उसके गोरे बदन पर लाल निशान बन गये...
दूर बैठा विजय अपनी पत्नी के उपर ऐसा अत्याचार होता देखकर भी कुछ नही बोल सका...
उसे तो अपनी बारी का इंतजार था, जिसमे वो उसका बदला लेने वाला था..
कुणाल ने अपनी जीभ निकाली और उसकी गांड को चाटने लगा...
जैसे उसपर शहद लगा हो...
और चाटते-2 वो उसकी गांड के छेद तक पहुँच गया
अंदर से आ रही भीनी खुहबु उसे दीवाना बना रही थी
उसे सुबह की गांड मराई याद आ गयी, उसने उसी पल को सोचकर, उत्तेजना में भरकर अपनी जीभ को कड़क किया और उसकी गांड के छेद में उतार दिया.
कामिनी का पूरा शरीर काँप रहा था
आज तक ऐसी तरंगे उसके बदन से नही निकली थी जैसी अब निकल रही थी...
पायल भी वो सब देखकर, अपनी आने वाली चुसाई के बारे में सोचकर, उत्तेजित होने लगी....
और उसी उत्तेजना में भरकर वो अपनी चूत को रगड़ने लगी..
कुणाल ने उसकी गांड को अच्छी तरह से चूसा, उसमे अपनी लार डालकर उसे अच्छे से रंवा कर दिया...
और फिर नीचे झुककर उसने चूत को भी चूसा...
कुछ देर रुककर उसने विजय को देखा, जैसे उनके अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहा हो..
विजय : "ओके ...अब आ जाओ, अगली बाजी के लिए...''
बेचारे कुणाल का दिल टूट सा गया....
उसका तो मन अच्छे से चूस्कर चुदाई करने तक का था, पर विजय था की खेल के माध्यम से वो सब धीरे-2 करवाना चाहता था..
विजय ने अगले पत्ते बिछाए और इस बार उसकी किस्मत अच्छी थी, फिर से उसके पास पेयर आया, इस बार 4 का पर फिर भी कुणाल के मुक़ाबले वो अच्छे पत्ते थे, क्योंकि कुणाल के पास तो 4,9,11 नंबर आए थे जो किसी काम के नही थे.
इसलिए विजय की नज़रें अब पायल की तरफ घूम गयी....
उसने तो बिना किसी के बोले अपनी साड़ी खोलनी शुरू कर दी....
और ब्लाउस और पेटीकोट उतार कर एक किनारे फेंक दिया...
और हमेशा की तरह आज भी उसने अंदर ब्रा-पेंटी नही पहनी थी..
अब कुणाल की बारी थी..
वो पायल को बोला : "वही सब करो...जो विजय साहब ने पहले कहा था....जाओ...''
अपनी पत्नी को अपने मलिक के पास जाकर अपनी गांड चटवाने के लिए बोलना किसी पति के लिए आसान काम नही होता...पर आज इस दीवाली के जुए में वो सब बड़ी आसानी से हो रहा था.
पायल सीधा जाकर सोफे पर उल्टी होकर लेट गयी और पीछे गर्दन घुमा कर उसने विजय को अपनी आँखो के इशारे से बुलाया...
विजय मुस्कुराता हुआ आया और उसने अपना मुँह सीधा लेजाकर उसकी काली और सुगंधित गांड में डाल दिया... और ज़ोर से सूँघकर उसने अपनी जीभ को किसी चाक़ू की नोक की तरह उसकी गांड के छेद में उतार दिया..
''आआआआआआआआआआआआआआआहह .......... उम्म्म्मममममममममम''
ठंडे और कड़क छेद में गर्म जीभ का जाना ऐसा लग रहा था जैसे आइस्क्रीम में गर्म छुरी डाल दी हो...
वो खुद ही अपनी गांड को मटकाती हुई उसके मुँह पर दबाने लगी...
जैसा विजय ने सोचा था ठीक वैसा ही फील हो रहा था उसे...
उसने सुबह से ही सोच रखा था की आज उसकी गांड के छेद को चूस्कर वो उसे इतना चिकना कर देगा की उसका लंड उसमे आसानी से उतार जाए...
यानी वो उसकी कुंवारी गांड मारने के मूड में था आज.
ये वो काम था जो आज तक कुणाल भी नही कर पाया था..
वो सीधा सैक्स करने में विश्वास करती थी, पर आज विजय उसकी गांड की सील तोड़कर उसका स्वाद भी लेना चाहता था..
वो बुरी तरह से उसकी गांड को चूस रहा था...
उसके अंदर जीभ डालकर उसे ज़्यादा से ज़्यादा खोलने की कोशिश कर रहा था.
और इसी बीच उसने अपने लंड को भी बाहर निकाल लिया...
और पायल को खींचकर उसने थोड़ा उपर किया, उसे घोड़ी बनाया और अपने लंड को उसने गांड के छेद पर लगा दिया.
कुणाल की बारी में तो उसने खेल को वहीं रोक दिया था पर अपनी बारी आई तो उससे सब्र ही नही हुआ...
नौकर और मालिक में यही फ़र्क होता है..
और दूसरी तरफ अपनी गांड से आ रही करंट वाली फीलिंग से वो उभरी भी नही थी की उसे उसी छेद पर कुछ कड़क सा महसूस हुआ...
और इससे पहले की वो कुछ सोच पाती एक जोरदार झटके ने उसकी गांड के अंदर सजी बैठी कौमार्य की देवी के परखच्चे उड़ा दिए...
और एक तेज आवाज़ के साथ वो छटपटा उठी...
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- Rohit Kapoor
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Re: जुआरी
Next updates awaited dear ??
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