अधूरी हसरतें

Post Reply
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

Ankit wrote: 27 Oct 2017 17:59superb update
Ankit wrote: 27 Oct 2017 17:59superb update
thankss dear readres
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

शुभम के लिए अगर इस उत्तेजनात्मक राह पर आगे बढ़ना था तों उसे अपनी मां को अपने मोटे तगड़े लंड का दर्शन कराना बेहद जरूरी था। लेकिन इसके लिए हिम्मत की जरूरत थीै जो कि सोच कर ही शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी। अपनी मां को अपना लंड दिखाने की बात सोच कर ही उसके बदन में रोमांच का अनुभव हो रहा था। लेकिन वह दिखाएं तो दिखाएं कैसे इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था। उसके मन में ढेर सारे सवाल चल रहे थे उसे इस बात का भी डर था कि अगर कहीं उसने हिम्मत करके अपने लंड को दिखा भी दिया और कहीं उसकी मां इस बात से बुरा मान गई तो क्या होगा वह उसके बारे में क्या सोचेगी,,,,, उसका एक मन यह सोच कर परेशान हो रहा था और दूसरा मैं यह कह रहा था कि उसके दोस्तों के कहने के अनुसार उसकी मां जिस तरह की क्रियाकलाप घर के पीछे बिल्कुल नग्न अवस्था में करते हुए उत्तेजित हो करके मस्त हुए जा रहीे थी इस से साफ जाहिर हो रहा था कि वह पूरी तरह से चुदवासी है। और उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है। इस बात को सोचते ही शुभम का बदन एक बार फिर से गंनगना गया।

शुभम को यही लगता था कि उसकी मां ने अभी तक उसके मोटे तगड़े लंबे-लंड के दर्शन नहीं किए हैं लेकिन यह वह नहीं जानता था कि ऊसकी मां ने उसके दमदार लंड का दर्शन कर चुकी है और उसमें आए बदलाव का अपली कारण भी उसका दमदार लंड ही था।
इस बात से अनजान वह अपनी मां को अपना टनटनाया हुआ लंड दिखाने की फिराक में लगा रहता था लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हो पाती थी कई बार वह अपनी मां के सामने सिर्फ टॉवल पहन कर भी गया लेकिन एक अजीब सी कशमकश की वजह से उसके लंड में पहले की तरह तनाव डर की वजह से आया ही नहीं। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह अपनी मां को अपना लंड दिखाए भीे तो कैसे दिखाएं,,,,, खेल के मैदान में उसके दोस्तों की गरम बातें सुनकर दिन-ब-दिन उसके बदन में चुदास की गर्मी बढ़ती जा रही थी। अब तो वह रोज अपने ल** को पहले की तरह मसलने की बजाय उसे मुट्ठी में भरकर आगे पीछे करते हुए मुठ मारने लगा था यह भी उसके दोस्तों की ही देन थी कि उसे अब पता चलने लगा था कि जिस क्रिया को वह अपनी हथेली में लेकर करता है उसे मुठ मारना और हस्तमैथुन कहते हैं। जिसने उसे अब आनंद मिलने लगा था वह हर बार हस्तमैथुन करते हुए अपनी मां के बारे में गंदी गंदी बातें सोचता रहता था जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना में प्रचंड बढ़ोत्तरी होती थी और वह ढेर सारी सफेद गाढ़े पानी की पिचकारी मारता था,,,, जितनी ज्यादा पिचकारी निकलती थी उतनी ही ज्यादा उसे आनंद की अनुभूति होती थी।
दूसरी तरफ धीरे-धीरे निर्मला अपने आप में ही खुलने लगी थी घर के पीछे एक बार अपने आप से ही सारी हदें पार करने के बाद उसमें थोड़ी सी हिम्मत आ गई थी। अपनी उंगली से आत्म संतुष्टि पाकर उसे अच्छा लगने लगा था लेकिन उसकी प्यास बहुत बड़ी थी जो की उंगली से शांत होने वाली नहीं थी। इसलिए वह एक बार बैंगन का दुरुपयोग कर चुकी थी लेकिन अब वह खुद ही बाजार में जा कर के अपने हाथों से लंबे मोटे दमदार बैगन को पसंद करके घर में लाती थी। और मौका मिलने पर जब अशोक और शुभम घर पर नहीं होते थे तब वह कमरे को बंद करके एकदम नंगी हो जाती थी और उस बैगन पर हल्का सा तेल लगाकर अपनी बुर में डालते हुए अपनी आंखों को मुंदकर यह कल्पना करने लगती थी कि यह बैगन नहीं बल्की ऊसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड है। और सच पूछो तो इस क्रिया में उसे इतनी ज्यादा आनंद की अनुभूति होती थी कि पूछो मत,,,, उसे बेहद मजा आता था।
धीरे-धीरे उसे इसकी आदत सी पड़ गई वह भी अपना मन मार कर रह जाती थी की पति का न सही इस तरह से सब्जियों से ही सहीं वह अपनी प्यास तो बुझा ले रही है।
उस की रसोई में अब लंबे-लंबे सब्जियों और फलों का ढेर लगा रहता था जिनका उपयोग वह ज्यादा कर अपनी बुर की प्यास बुझाने मे हीं करती थी और एक बार उपयोग करने के बाद उसे कूड़ेदान में फेंक देती थी। लेकिन इसकी भी एक मर्यादा थी आखिर कब तक वह फलों और सब्जियों की लंबाई से अपनी बुर की गहराई नापती रहती,,,, धीरे-धीरे उसे ऐसा लगने लगा था कि फलों और सब्जियों से उससे अब पहले की तरह आनंद प्राप्त नहीं हो रहा है उसे अब जीवित और दमदार लंड की आवश्यकता थी। लेकिन किसका यह एक अनसुलझा सवाल उसके सामने किसी पहाड़ की तरह खड़ा था बाहर अगर इस तरह कि वह हरकत करती है तो शायद इसमें उसके पोजीशन और उसके परिवार के साथ साथ उसकी खुद की बदनामी होने का डर पूरी तरह से था।
और इस तरह की बात फैलते ही पूरी सोसाइटी में उसका नाम बदनाम होने का डर भी था। घर में तो उसका पति उस पर ध्यान ही नहीं देता था अगर वह ध्यान देता तो शायद उसके सामने इस तरह के हालात ही पैदा नहीं होते।
एक दिन वहं बैठकर इसी बात पर गौर कर रही थी कि उसे शीतल की कही बात याद आ गई कि तेरे तो घर में ही जवान लंड है,,,, उसके कहने का मतलब बिल्कुल साफ था वह उसके बेटे शुभम के बारे में ही बात कर रही थी। और उसके पास तो बेहद दमदार और तगड़ा लंड भी था जिससे उसकी बुर की बरसों की प्यास भी पूरी तरह से बुझ सकती थी।
अपनी बेटे का ख्याल मन में आते ही उसके बदन में एकाएक उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,, और उसके दमदार लंड का ख्याल आते ही उसकी बुर पसिजने लगी। लेकिन इस बात से फिर से उसका मन डरने लगा की कहीं इस बात का किसी को पता चल गया तो कोई क्या समझेगा हम दोनों के बीच के पवित्र रिश्ता एकदम तार तार हो जाएगा। फिर उसका मन यह सोचने लगा कि अगर वह इस तरह के कदम उठाने के लिए तैयार भी हो जाती है तो क्या शुभम इस बात के लिए कभी तैयार होगा। वह तो अपनी मां से बेहद प्यार करता है उनकी इज्जत करता है वह ऐसे काम के लिए कभी भी तैयार नहीं होगा बल्कि उसकी नजरों में वह खुद को गिरा देगी फिर कभी भी उसकी आंखों में आंखें डाल कर बात करने लायक नहीं रह जाएंगी। इस बात को सोचकर वह एकदम से डर गई और वह एक विचार को अपने सीने में ही दफन कर गई इस तरह के कदम उठाने से इसका एक ऐसा भयानक अंजाम होगा इस बात को सोचकर ही उसका मन दहल गया। और अपने मन को वह इस बात से दिलासा देकर समझा ले गई की लंड ना सही वह अपनी बुर की प्यास को सब्जीयो की लंबाई से ही बुझाती रहेगी।
दूसरी तरफ शुभम की भी प्यास बढ़ती ही जा रही थी वह रात दिन अपनी मां को अपने लंड के दर्शन कराने की फिराक में लगा रहता था लेकिन उसमे कभी भी उसे कामयाबी नहीं मिल पा रही थी। इस बात से वह एकदम परेशान हो गया था लेकिन एक दिन सुबह सुबह रविवार के दिन बिस्तर से उठते ही उसके मन में एक विचार एक युक्ति ने जन्म लिया।
बिस्तर से उठते ही उसने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और एकदम नंगा हो गया, केवल एक टॉवल लपेटकर कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को इधर-उधर ढूंढने लगा।
उसके पापा घर पर नहीं थे वह दो-तीन दिनों के लिए बाहर गए हुए थे। वह अपनी मां के कमरे में भी उन्हें ढूंढने के लिए गया लेकिन उसके मन में यह आस भी बनी हुई थी कि शायद आज भी उसकी मां उसे नंगी नजर आ जाए लेकिन कमरे में भी उसकी मां नजर नहीं आई तो अब समझ गया कि उसकी मां रसोई घर में ही होगी वैसे तो छुट्टी के दिन वह देर में ही रसोई घर में जाती थी लेकिन कहीं ना पाकर उसे ऐसा लग रहा था कि वह शायद रसोईघर में नाश्ता तैयार कर रही होंगी इसलिए वह सीधे रसोई घर की तरफ गया। और उसके सोचने के मुताबिक उसकी मां रसोई घर में ही थी जो कि एक दम रेशमी मरून रंग का गाउन पहने हुए थे जो कि उसके बदन से एकदम जगह जगह के उभार और कटाव से चिपका हुआ था जिसकी वजह से उसके बदन का पोर पोर गाउन पहने होने के बावजूद भी उभरकर नजरों को गर्मी प्रदान कर रहा था। एक बार तो वह कुछ पल के लिए वहीं रुक कर अपनी मां के भराव दार बदन को गाउन के अंदर के उभरे हुए उभारों को देखकर उत्तेजित होने लगा उसके लंड में हल्का हल्का सा तनाव उत्पन्न होने लगा। इस तरह के परिवेश में वह अपनी मां को पहले भी देख चुका था लेकिन पहले उसका नजरिया साफ था लेकिन अब उम्र के साथ-साथ उसकी नजरों में भी औरतों के बदन के आकर्षण को भाप लिया था इसलिए तो इस समय वह अपनी मां को इस तरह से गाऊन. में खड़े हुए देखकर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था। उसकी मां कुछ काम कर रही थी जिसकी वजह से उसके बदन में हो रहे हलन -चलन की वजह से उसके नितंबों मेंथिऱकन सी हो रही थी। लेकिन पहले की अपेक्षा यह थिरकन इस रेशमी गाउन में साफ-साफ महसूस हो रही थी। जिसे देख कर शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और उसके लंड का तानाब कुछ ज्यादा ही बढ़ता हुआ नजर आ रहा था। टॉवल का आगे वाला भाग ऊपसता ही जा रहा था। जिसकी वजह से शुभम को मजा तो आ रहा था लेकिन डर भी लग रहा था कही ऊसकी मां की नजर उस पर ना पड़ जाए।
शुभम मात्र अपने बदन पर टावल लपेटे किचन के बाहर खड़ा था। रोजाना कसरत और व्यायाम करने की वजह से इस उम्र में थी शुभम का बदन एकदम गठीला हो चुका था चौड़ा सीना मजबूत बांहे,,, किसी भी औरत या लड़की को आकर्षित करने के लिए काफी था। और तो और उसके पास हथियार भी ऐसा था कि किसी भी औरत को वह दीवानी बना दे।
कुछ देर तक शुभम यूं ही दरवाजे पर खड़ा अपनी मां को निहारता रहा और फिर किचन में प्रवेश करते हुए बोला।


मम्मी,,,,,, ओ,,,,,,,, मम्मी,,,,,,

क्या हुआ बेटा (वह शुभम की तरफ बिना देखे ही कढ़ाई में चमची हिलाते हुए बोली)

मम्मी घर मे मूव या आयोडेक्स है क्या?
( मूव और आयोडेक्स का नाम सुनते ही निर्मला पीछे की तरफ घूमी,,,, जैसे ही उसकी नजर शुभम के बदन पर गई तो उस के अधनंगे बदन को देखती ही रह गई,,,, और हड़बड़ाते हुए दबी दबी आवाज में बोली,,,,,।)

मममुव,,,, और आयोडेक्स लेकिन क्यों? ( इतना कहने के बावजूद भी उसकी नजर शुभम के चौड़े सीने पर और नीचे की तरफ टॉवल में बने हल्के हल्के उभार पर ऊपर से नीचे फिर रही थी। शुभम को इस तरह से टॉवल में देखकर वह एकदम हैरान थी। क्योंकि इस तरह से केवल टावल पहन कर वहं उसके सामने जल्दी नहीं आता था।
User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: अधूरी हसरतें

Post by Smoothdad »

superb...
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अधूरी हसरतें

Post by 007 »

awesome update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
Post Reply