रामा ने उसके होंठों पर किस किया तो विजेता गन गाना गयी, उसके शरीर में झूर झूरी सी होने लगी, और उसने भी उसको किस कर लिया…
अब वो दोनो एक दूसरे होंठों पर भूखी बिल्लियों की तरह छीना छपटी सी करने लगी…
जैसे – 2 रामा उसके साथ करती, वो बस उसका अनुसरण करने लगती… क्योंकि उसे इस खेल में इतना मज़ा आ रहा था, जो आज से पहले उसने सोचा भी नही था…
किस्सिंग करते – 2 रामा उसके बूब्स दबाने लगी जो उसके बूब्स से भी 21 थे…
फिर जैसे ही रामा का हाथ उसकी टाँगों के बीच उसकी कोरी करारी मुनिया पर गया, उसने अपनी टाँगें भींच ली…और उसके मुँह से मादक सिसकारी फुट पड़ी..
सस्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………….उईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….डीडीिईईईईईई…….नहियीईईईई
रामा ने उसे छेड़ते हुए कहा – क्यों मेरी जान… मज़ा नही आया क्या…
वो – आहह… दीदी कुछ अजीब सी गुदगुदी होने लगती है…
रामा – इसी को मज़ा कहते हैं..मेरी गुड़िया रानी…टाँगें खोल अपनी, देख कितना मज़ा आता है…
उसने अपनी टाँगें खोल दी और उसके बूब्स प्रेस करते हुए अपनी चूत मसलवाने लगी…
दोनो की हालत बाद से बदतर होती जा रही थी…अब उन्हें अपने कपड़े किसी दुश्मन की तरह लगने लगे और वो दोनो जल्दी ही ब्रा और पेंटी में आ गयी…
अब सिचुयेशन ये थी, कि रामा पलंग के सिरहाने से पीठ टिकाए बैठी थी अपनी टाँगें फैलाए, और विजेता उसकी टाँगों के बीच बैठी अपनी टाँगें पसारे बैठी थी…
दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए, रामा उसकी गीली चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी, और विजेता उसकी….
विजेता – आअहह…दीदी… बहुत मज़ा आरहा है… और ज़ोर से रगडो मेरी चूत को..
रामा – मज़ा आरहा है ना…! पर मेरी जान ! जो मज़ा किसी मर्द के हाथ से मिलता है, वो मेरे हाथों से नही मिलने वाला…
वो उसके मुँह की तरफ देखते हुए बोली – क्यों मर्द के हाथ से ज़्यादा क्यों आता है…?
रामा – वो तो तू जब हाथ लगवाएगी तभी पता चलेगा…!
फिर रामा ने उसकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी, बिना कपड़ों के जब उसकी उंगलियाँ विजेता की गीली चूत पर पड़ी, वो मस्ती से भर उठी.. और उसकी कमर हवा में लहराने लगी.
रामा अपने हल्के हाथों से उसके दाने को सहला रही थी…जिससे उसकी चूत और ज़्यादा रस बहाने लगी…
अब उसने भी अपने सारे कपड़े निकल फेंके, और उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गयी,
रामा ने अपना मुँह विजेता की कोरी कुँवारी चूत पर रख दिया और वो उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी…
विजेता तो पता नही कहीं दूसरे ही लोक में पहुँच चुकी थी, लेकिन रामा से भी नही रहा जा रहा था, सो वो उसके मुँह के ऊपर अपनी गीली चूत रख कर उसके ऊपर लेट गयी …
अब वो दोनो 69 की पोज़िशन में आ गयी, और रामा के इशारे पर वो भी उसकी चूत को चाटने लगी…
कमरे में चपर – चपर की आवाज़ सुनाई देने लगी, मानो दो बिल्लियाँ दूध की हांड़ी से दूध चाट – 2 कर पी रही हों…
एक बार रामा ने अपने होंठों को उसकी कोरी चूत के होंठों पर कस कर सक कर लिया…
विजेता को लगा मानो उसके अंदर से कुछ खिंचा चला जा रहा हो, उसकी गान्ड के गोल गोल गुंबद आपस में कस गये…
उसकी देखी देखा, उसने भी रामा की चूत को कस्के सक कर लिया…
वो दोनो ही गून..गून करते हुए अपना-अपना कामरस छोड़ने पर मजबूर हो गयी…
लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
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- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
जब दोनो ही अपने – 2 स्खलन को पा चुकी… और एक दूसरे की टाँगों में मुँह डाले पड़ी रही….
अभी वो ढंग से स्खलन की खुमारी से निकल भी नही पाईं थी, कि भड़क से दरवाजा खुला…!
मे किसी काम से रामा दीदी के कमरे में गया था, दरवाजे को हल्का सा दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…
सामने का नज़ारा देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…
उन दोनो की नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, विजेता ने झट से उसे अपने ऊपर से धकेल दिया और फटा फट से बेड शीट दोनो के ऊपर डाल ली…
मे उल्टे पैर वापस जाने को पलटा, कि तभी रामा दीदी बोली – भाई रुक तो…!
मेने बिना उनकी तरफ पलटे ही बोला – मे सुवह बात करता हूँ आपसे…!
वो – कोई बात नही, तू बोल ना क्या काम था…?
मे - नही कोई खास नही बस ये देखने आया था, कि आप लोग सो तो नही गये…
कुछ देर बैठ कर गप्पें मार लेता और कुछ नही..बस !
वो – तो आ ना, बैठ… बातें करते हैं…
उसकी बात सुन कर विजेता उसके कान में फूस फुसाई… दीदी ! क्या कर रही हो.. जाने दो ना उनको..
रामा उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर…! बैठने दे ना उसे भी, चादर तो ओढ़ रखी है ना हमने, फिर क्या प्राब्लम है तुझे…?
फिर उसने ज़िद कर के मुझे पलंग पर बैठने को मजबूर कर दिया… और में उनके बगल में बैठ कर बातें करने लगा….!
मे जिधर बैठा था, उधर विजेता थी, और उसके साइड में रामा दीदी…., मे पालती लगा कर उनकी तरफ मुँह कर के बात कर रहा था…
दीदी ने चादर के अंदर से ही अपना हाथ विजेता के ऊपर से होते हुए मेरी जाँघ पर रख लिया, और बातें करते हुए उसे सहलाने लगी…
विजेता उसकी हरकत को बराबर देखे जा रही थी…वो धीरे – 2 से उसको मेरी तरफ पुश करते हुए उसका बदन मेरे बगल से सटा दिया…
विजेता ने उसकी तरफ घूर कर देखा, मानो कहना चाहती हो कि ऐसा क्यों कर रही हो..
उसने अपनी आँखों के इशारे से उसे चुप चाप मज़ा करने को कहा… तो वो फिर से मेरी तरफ मुँह कर के बातों में शामिल हो गयी…
रामा – वैसे भाई, तूने हमें किस हालत में देखा था…?
मे उसकी बात का कोई जबाब नही दे पाया, और देना उचित भी नही समझता था, क्योंकि रामा को तो कोई प्राब्लम नही थी,
वो तो मेरे साथ सब कुछ कर चुकी थी, लेकिन विजेता को बहुत फ़र्क पड़ना था, वो अभी इन सब बातों से अंजान थी..
अभी वो ढंग से स्खलन की खुमारी से निकल भी नही पाईं थी, कि भड़क से दरवाजा खुला…!
मे किसी काम से रामा दीदी के कमरे में गया था, दरवाजे को हल्का सा दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…
सामने का नज़ारा देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…
उन दोनो की नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, विजेता ने झट से उसे अपने ऊपर से धकेल दिया और फटा फट से बेड शीट दोनो के ऊपर डाल ली…
मे उल्टे पैर वापस जाने को पलटा, कि तभी रामा दीदी बोली – भाई रुक तो…!
मेने बिना उनकी तरफ पलटे ही बोला – मे सुवह बात करता हूँ आपसे…!
वो – कोई बात नही, तू बोल ना क्या काम था…?
मे - नही कोई खास नही बस ये देखने आया था, कि आप लोग सो तो नही गये…
कुछ देर बैठ कर गप्पें मार लेता और कुछ नही..बस !
वो – तो आ ना, बैठ… बातें करते हैं…
उसकी बात सुन कर विजेता उसके कान में फूस फुसाई… दीदी ! क्या कर रही हो.. जाने दो ना उनको..
रामा उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर…! बैठने दे ना उसे भी, चादर तो ओढ़ रखी है ना हमने, फिर क्या प्राब्लम है तुझे…?
फिर उसने ज़िद कर के मुझे पलंग पर बैठने को मजबूर कर दिया… और में उनके बगल में बैठ कर बातें करने लगा….!
मे जिधर बैठा था, उधर विजेता थी, और उसके साइड में रामा दीदी…., मे पालती लगा कर उनकी तरफ मुँह कर के बात कर रहा था…
दीदी ने चादर के अंदर से ही अपना हाथ विजेता के ऊपर से होते हुए मेरी जाँघ पर रख लिया, और बातें करते हुए उसे सहलाने लगी…
विजेता उसकी हरकत को बराबर देखे जा रही थी…वो धीरे – 2 से उसको मेरी तरफ पुश करते हुए उसका बदन मेरे बगल से सटा दिया…
विजेता ने उसकी तरफ घूर कर देखा, मानो कहना चाहती हो कि ऐसा क्यों कर रही हो..
उसने अपनी आँखों के इशारे से उसे चुप चाप मज़ा करने को कहा… तो वो फिर से मेरी तरफ मुँह कर के बातों में शामिल हो गयी…
रामा – वैसे भाई, तूने हमें किस हालत में देखा था…?
मे उसकी बात का कोई जबाब नही दे पाया, और देना उचित भी नही समझता था, क्योंकि रामा को तो कोई प्राब्लम नही थी,
वो तो मेरे साथ सब कुछ कर चुकी थी, लेकिन विजेता को बहुत फ़र्क पड़ना था, वो अभी इन सब बातों से अंजान थी..
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
जब कुछ देर तक मेने कोई जबाब नही दिया तो वो फिर बोली – छोटू बता ना यार ! तूने हमें किस हालत में पाया था…?
मे कुछ बोलता उससे पहले विजेता बोल पड़ी…दीदी प्लीज़ ! मत पूछिए ना भैया से ऐसा सवाल..
वो उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर.. तुझे क्यों प्राब्लम हो रही है…?
विजेता – भैया कैसे बता पाएँगे… अपनी बहनों के बारे में ऐसी बात…आप क्यों शर्मिंदा करना चाहती हैं बेचारे को…?
रामा – भैया की चमची…तू ज़्यादा जानती है उसके बारे में या मे, चुप-चाप लेटी रह… और उसने विजेता बेचारी को चुप करा ही दिया…
फिर वो मेरे से बोली – हां ! बोल भाई… अब बता भी दे.. ना, क्यों ज़्यादा नखरे कर रहा है, धरी लुगाई की तरह…
उसके जुमले पर हम तीनों ही हँसने लगे…, मेने कहा – सुनना ही चाहती हो.. नही मानोगी..? तो लो…….
और मेने उन दोनो के ऊपर से चादर खींच कर एक तरफ को उच्छाल दी, और बोला – इस हालत में देखा था… अब खुश.
विजेता तो शर्म से दोहरी हो गयी, उसने अपनी टाँगें जोड़कर घुटने अपने सीने से सटा लिए…
लेकिन रामा ने मेरे ऊपर छलान्ग ही लगा दी.. और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे ऊपर बैठ गयी… एक दम नंगी, और गुर्राकर कर बोली…
तेरी ये हिम्मत, अब देख तू … इतना कह कर उसने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया…
मेरे हाथ उसके मोटे-मोटे तरबूजों पर कस गये और मे उसकी मखमली गान्ड को मसल्ने लगा…
विजेता ये सीन देख कर भोंचक्की सी रह गयी, अपनी बड़ी-2 कजरारी आँखें फाड़ कर हम दोनो को देखने लगी…
मेरे होंठ छोड़ कर वो बोली – विजेता तू इसके कपड़े निकाल… इसकी हिम्मत कैसे हुई हमें नंगा करने की…
विजेता तो बेचारी वैसे ही शॉक्ड थी, ये बात सुन कर और ज़्यादा सुन्न पड़ गयी…
जब विजेता की तरफ से कोई रिक्षन ना हुआ तो उसने मेरे ऊपर बैठे हुए ही उसको भी बाजू से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और बोली – अब भी शरमाती रहेगी… मेरी लाडो..
मज़े ले ना हमारे साथ, आज देख तुझे हम दोनो मिल कर स्वर्ग की सैर पर ले चलते हैं… ऐसा मौका तुझे फिर कभी नही मिलेगा मेरी जान… आजा, चूस भाई के होंठ…
उसे मेरे होंठों से लगा कर खुद मेरे कपड़े निकालने लगी, और दो मिनिट में ही मुझे भी अपनी लाइन में खड़ा कर लिया…
मेने विजेता को अपनी बाहों में कस लिया और उसके नाज़ुक अन्छुए मादक गोल-2 उरजों को चूसने – चाटने लगा…प्रथम पुरुष स्पर्श उसके लिए वरदान साबित हुआ..
और जैसा रामा ने उससे कहा था, दुगना मज़ा उसको आ रहा था…
रामा ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया, और लॉलीपोप की तरह उसे चूसने लगी…
मे – देख वीजू… दीदी कैसे मेरा लंड चूस रही है, सीखले, जिंदगी में बहुत काम आने वाला है ये तेरे…
वो गौर से उसे लंड चूस्ते हुए देखने लगी…
कुछ देर लंड चूसने के बाद रामा उसके ऊपर बैठ गयी, और धीरे- 2 पूरा लंड अपनी चूत में डालकर कमर चलकर चुदने लगी या कहो मुझे चोदने लगी…
मे कुछ बोलता उससे पहले विजेता बोल पड़ी…दीदी प्लीज़ ! मत पूछिए ना भैया से ऐसा सवाल..
वो उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर.. तुझे क्यों प्राब्लम हो रही है…?
विजेता – भैया कैसे बता पाएँगे… अपनी बहनों के बारे में ऐसी बात…आप क्यों शर्मिंदा करना चाहती हैं बेचारे को…?
रामा – भैया की चमची…तू ज़्यादा जानती है उसके बारे में या मे, चुप-चाप लेटी रह… और उसने विजेता बेचारी को चुप करा ही दिया…
फिर वो मेरे से बोली – हां ! बोल भाई… अब बता भी दे.. ना, क्यों ज़्यादा नखरे कर रहा है, धरी लुगाई की तरह…
उसके जुमले पर हम तीनों ही हँसने लगे…, मेने कहा – सुनना ही चाहती हो.. नही मानोगी..? तो लो…….
और मेने उन दोनो के ऊपर से चादर खींच कर एक तरफ को उच्छाल दी, और बोला – इस हालत में देखा था… अब खुश.
विजेता तो शर्म से दोहरी हो गयी, उसने अपनी टाँगें जोड़कर घुटने अपने सीने से सटा लिए…
लेकिन रामा ने मेरे ऊपर छलान्ग ही लगा दी.. और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे ऊपर बैठ गयी… एक दम नंगी, और गुर्राकर कर बोली…
तेरी ये हिम्मत, अब देख तू … इतना कह कर उसने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया…
मेरे हाथ उसके मोटे-मोटे तरबूजों पर कस गये और मे उसकी मखमली गान्ड को मसल्ने लगा…
विजेता ये सीन देख कर भोंचक्की सी रह गयी, अपनी बड़ी-2 कजरारी आँखें फाड़ कर हम दोनो को देखने लगी…
मेरे होंठ छोड़ कर वो बोली – विजेता तू इसके कपड़े निकाल… इसकी हिम्मत कैसे हुई हमें नंगा करने की…
विजेता तो बेचारी वैसे ही शॉक्ड थी, ये बात सुन कर और ज़्यादा सुन्न पड़ गयी…
जब विजेता की तरफ से कोई रिक्षन ना हुआ तो उसने मेरे ऊपर बैठे हुए ही उसको भी बाजू से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और बोली – अब भी शरमाती रहेगी… मेरी लाडो..
मज़े ले ना हमारे साथ, आज देख तुझे हम दोनो मिल कर स्वर्ग की सैर पर ले चलते हैं… ऐसा मौका तुझे फिर कभी नही मिलेगा मेरी जान… आजा, चूस भाई के होंठ…
उसे मेरे होंठों से लगा कर खुद मेरे कपड़े निकालने लगी, और दो मिनिट में ही मुझे भी अपनी लाइन में खड़ा कर लिया…
मेने विजेता को अपनी बाहों में कस लिया और उसके नाज़ुक अन्छुए मादक गोल-2 उरजों को चूसने – चाटने लगा…प्रथम पुरुष स्पर्श उसके लिए वरदान साबित हुआ..
और जैसा रामा ने उससे कहा था, दुगना मज़ा उसको आ रहा था…
रामा ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया, और लॉलीपोप की तरह उसे चूसने लगी…
मे – देख वीजू… दीदी कैसे मेरा लंड चूस रही है, सीखले, जिंदगी में बहुत काम आने वाला है ये तेरे…
वो गौर से उसे लंड चूस्ते हुए देखने लगी…
कुछ देर लंड चूसने के बाद रामा उसके ऊपर बैठ गयी, और धीरे- 2 पूरा लंड अपनी चूत में डालकर कमर चलकर चुदने लगी या कहो मुझे चोदने लगी…
- sexi munda
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Hot update.........
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
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.तबाही.....शादी का मन्त्र .....हादसा ..... शैतान से समझौता ..... शापित राजकुमारी ..... संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा ....