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लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Ankit
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- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
मेने विजेता को अपने मुँह पर बिठा लिया, और उसकी कुँवारी चूत को अपने जीभ से चाटने लगा…
रामा मेरे लंड को अंदर बाहर करते हुए विजेता के होंठ चूसने लगी,
ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा कैसे लिया जाता है, इसे किसी को सिखाने की ज़रूरत नही होती, सब अपने आप आने लगता है…
यही विजेता के साथ भी हुआ, और वो अपनी चूत को मेरे मुँह से घिसते हुए, होंठ चूसने में अपनी बड़ी बेहन का साथ देने लगी
उन दोनो की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी, वातावरण चुदाईमय हो गया था…
कुछ देर के धक्कों के बाद रामा झड़ने लगी, और मेरे ऊपर बैठ कर हाँफने लगी…
रामा – भाई अब देर मत कर, अपनी गुड़िया रानी को खोलने का समय आ गया है..
विजेता की चूत पानी बहाते-2 तर हो चुकी थी, तो मेने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगों को मोड़ कर चौड़ा दिया.
रामा ने उसकी फांकों को अपने हाथ से खोल दिया, उसका बारीक सा लाल रंग का छेद दिखने लगा…
रामा ने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी चूत के छोटे से छेद के मुँह पर रख कर कहा – भाई, लगा धक्का और अपना लंड डाल कर चौड़ा कर्दे इसके छेद को भी…
मेने अपने लंड को हाथ का सपोर्ट देकर हल्का सा धक्का दे दिया कमर में…
मेरा सुपाडा उसके संकरे छेद में फिट हो गया, विजेता के मुँह से कराह निकल गयी…
रामा ने उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगी, मौका देख कर मेने एक तगड़ा शॉट लगा दिया, और मेरा लंड विजेता की चूत को फाड़ता हुआ, आधे से ज़्यादा अंदर चला गया…
विजेता ने रामा का सर पकड़ कर अपने से दूर कर दिया और हलाल होते बकरे की तरह डकराती हुई चीख पड़ी….
अरईईईईईई……मैय्ाआआ………रीई….मारगइिईईईईईईईईईईई……ओउफफफ्फ़……मेरी चूत फाड़ दी…..सालीए….हर्मीईिइ….बेहन भाई…दोनो ही हरामी हूओ….
रामा उसे – प्यार से पूचकारते हुए उसके गालों को थप थपा कर शांत करने की कोशिश करने लगी…
विजेता मुझे रोने के साथ – 2 गाली देते हुए बोली – अब निकाल भोसड़ी के, या मार ही डालेगा भेन्चोद…अभी भी सांड की तरह चढ़ा हुआ है मेरे ऊपर
हाई…मम्मी…उन्ह..हुंग…कहाँ फँस गयी मे…इन चोदुओ के बीच.
मे उसके निप्प्लो को सहलाते हुए बोला – बस मेरी गुड़िया हो गया सब, अब कुछ नही होगा तुझे आइ सपथ..…
निपल के सहलाते ही उसमें सेन्सेशन होने लगा जिससे उसका चूत का दर्द कुछ कम लगने लगा, मेने धीरे से अपने लंड को बाहर की ओर खींचा,
विजेता ने एक लंबी सी साँस छोड़कर राहत की साँस ली, की चलो आफ़त टली…लेकिन दूसरे ही पल उसका मुँह फिर खुल गया, वजह मेरा 3/4 लंड फिरसे उसकी चूत में जा चुका था…
ऐसे ही 3/4 लंड की लंबाई से उसको धीरे-2 चोदने के बाद उसको अच्छा लगने लगा, अब वो भी अपनी कमर को उचकाने लगी थी…
जब वो फुल मज़े में आ गयी, तो मेने एक फाइनल शॉट लगा दिया और मेरा पूरा 8”लंबा और ढाई इंच मोटा खूँटा, उसकी नयी फटी चूत में सेट होगया….
वो एक बार फिरसे कराह उठी, लेकिन इस बार वो इस झटके को झेल गयी थी, क्योंकि अब उसकी कुँवारी चूत रस छोड़ने लगी थी…
मेने उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रख लिया जिससे लंड अंदर बाहर होने में आसानी होने लगी…
रामा उसके सर के पास बैठ कर उसकी टाइट चुचियों को चूस रही थी..
दो तरफ़ा हमले से विजेता आनंद सागर की लहरों में उतरती डूबती हुई बुरी तरह से अपनी कमर को झटके देते हुए झड़ने लगी..
उसकी आँखें मज़े के आलम में अपने आप मूंद गयी, और उसके पैर मेरी कमर से कस गये…
दो-टीन मिनिट रुक कर मेने उसे निहुरा कर घोड़ी बना दिया, और आहिस्ता से उसकी नयी चुदि चूत में लंड डाल दिया…
एक दो झटकों में उसे फिर से तकलीफ़ हुई, लेकिन जल्दी ही वो फिरसे मज़े ले लेकर अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-पटक कर चुदाई का आनंद लूटने लगी…
10 मिनिट उसे इस पोज़ में चोदने के बाद मेने अपना वीर्य उसकी नयी फटी चूत में उडेल दिया, और उसकी खेती की पहली सिंचाई कर दी…
उन दोनो जंगली बिल्लियों ने 15 मिनिट में फिरसे मेरे लंड को तैयार कर दिया, और इस बार मेने रामा को अपने ऊपर बिठा कर उसे चोदने लगा…
हम तीनों रात भर पलंग पर उछल कूद मचाते हुए, चुदाई का भरपूर आनंद उठाते रहे, मेरी स्टॅमिना, एक साथ दो चुतो को ठंडा करने की थी..
इसका मुख्य कारण था, शुरू से ही भाभी की ट्रैनिंग, और दिदियो का मुझे सिड्यूस कर के कलपद कर के छोड़ देना..
जिस कारण से धीरे – 2 मुझे अपने पर कंट्रोल करने की ट्रिक अपने आप ही आती गयी…
उसी का फ़ायदा उठाकर मेने उन दोनो को पूरी तरह से तृप्त कर दिया, और वो मेरे दोनो ओर मुझसे लिपट कर सो गयी…
रामा मेरे लंड को अंदर बाहर करते हुए विजेता के होंठ चूसने लगी,
ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा कैसे लिया जाता है, इसे किसी को सिखाने की ज़रूरत नही होती, सब अपने आप आने लगता है…
यही विजेता के साथ भी हुआ, और वो अपनी चूत को मेरे मुँह से घिसते हुए, होंठ चूसने में अपनी बड़ी बेहन का साथ देने लगी
उन दोनो की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी, वातावरण चुदाईमय हो गया था…
कुछ देर के धक्कों के बाद रामा झड़ने लगी, और मेरे ऊपर बैठ कर हाँफने लगी…
रामा – भाई अब देर मत कर, अपनी गुड़िया रानी को खोलने का समय आ गया है..
विजेता की चूत पानी बहाते-2 तर हो चुकी थी, तो मेने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगों को मोड़ कर चौड़ा दिया.
रामा ने उसकी फांकों को अपने हाथ से खोल दिया, उसका बारीक सा लाल रंग का छेद दिखने लगा…
रामा ने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी चूत के छोटे से छेद के मुँह पर रख कर कहा – भाई, लगा धक्का और अपना लंड डाल कर चौड़ा कर्दे इसके छेद को भी…
मेने अपने लंड को हाथ का सपोर्ट देकर हल्का सा धक्का दे दिया कमर में…
मेरा सुपाडा उसके संकरे छेद में फिट हो गया, विजेता के मुँह से कराह निकल गयी…
रामा ने उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगी, मौका देख कर मेने एक तगड़ा शॉट लगा दिया, और मेरा लंड विजेता की चूत को फाड़ता हुआ, आधे से ज़्यादा अंदर चला गया…
विजेता ने रामा का सर पकड़ कर अपने से दूर कर दिया और हलाल होते बकरे की तरह डकराती हुई चीख पड़ी….
अरईईईईईई……मैय्ाआआ………रीई….मारगइिईईईईईईईईईईई……ओउफफफ्फ़……मेरी चूत फाड़ दी…..सालीए….हर्मीईिइ….बेहन भाई…दोनो ही हरामी हूओ….
रामा उसे – प्यार से पूचकारते हुए उसके गालों को थप थपा कर शांत करने की कोशिश करने लगी…
विजेता मुझे रोने के साथ – 2 गाली देते हुए बोली – अब निकाल भोसड़ी के, या मार ही डालेगा भेन्चोद…अभी भी सांड की तरह चढ़ा हुआ है मेरे ऊपर
हाई…मम्मी…उन्ह..हुंग…कहाँ फँस गयी मे…इन चोदुओ के बीच.
मे उसके निप्प्लो को सहलाते हुए बोला – बस मेरी गुड़िया हो गया सब, अब कुछ नही होगा तुझे आइ सपथ..…
निपल के सहलाते ही उसमें सेन्सेशन होने लगा जिससे उसका चूत का दर्द कुछ कम लगने लगा, मेने धीरे से अपने लंड को बाहर की ओर खींचा,
विजेता ने एक लंबी सी साँस छोड़कर राहत की साँस ली, की चलो आफ़त टली…लेकिन दूसरे ही पल उसका मुँह फिर खुल गया, वजह मेरा 3/4 लंड फिरसे उसकी चूत में जा चुका था…
ऐसे ही 3/4 लंड की लंबाई से उसको धीरे-2 चोदने के बाद उसको अच्छा लगने लगा, अब वो भी अपनी कमर को उचकाने लगी थी…
जब वो फुल मज़े में आ गयी, तो मेने एक फाइनल शॉट लगा दिया और मेरा पूरा 8”लंबा और ढाई इंच मोटा खूँटा, उसकी नयी फटी चूत में सेट होगया….
वो एक बार फिरसे कराह उठी, लेकिन इस बार वो इस झटके को झेल गयी थी, क्योंकि अब उसकी कुँवारी चूत रस छोड़ने लगी थी…
मेने उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रख लिया जिससे लंड अंदर बाहर होने में आसानी होने लगी…
रामा उसके सर के पास बैठ कर उसकी टाइट चुचियों को चूस रही थी..
दो तरफ़ा हमले से विजेता आनंद सागर की लहरों में उतरती डूबती हुई बुरी तरह से अपनी कमर को झटके देते हुए झड़ने लगी..
उसकी आँखें मज़े के आलम में अपने आप मूंद गयी, और उसके पैर मेरी कमर से कस गये…
दो-टीन मिनिट रुक कर मेने उसे निहुरा कर घोड़ी बना दिया, और आहिस्ता से उसकी नयी चुदि चूत में लंड डाल दिया…
एक दो झटकों में उसे फिर से तकलीफ़ हुई, लेकिन जल्दी ही वो फिरसे मज़े ले लेकर अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-पटक कर चुदाई का आनंद लूटने लगी…
10 मिनिट उसे इस पोज़ में चोदने के बाद मेने अपना वीर्य उसकी नयी फटी चूत में उडेल दिया, और उसकी खेती की पहली सिंचाई कर दी…
उन दोनो जंगली बिल्लियों ने 15 मिनिट में फिरसे मेरे लंड को तैयार कर दिया, और इस बार मेने रामा को अपने ऊपर बिठा कर उसे चोदने लगा…
हम तीनों रात भर पलंग पर उछल कूद मचाते हुए, चुदाई का भरपूर आनंद उठाते रहे, मेरी स्टॅमिना, एक साथ दो चुतो को ठंडा करने की थी..
इसका मुख्य कारण था, शुरू से ही भाभी की ट्रैनिंग, और दिदियो का मुझे सिड्यूस कर के कलपद कर के छोड़ देना..
जिस कारण से धीरे – 2 मुझे अपने पर कंट्रोल करने की ट्रिक अपने आप ही आती गयी…
उसी का फ़ायदा उठाकर मेने उन दोनो को पूरी तरह से तृप्त कर दिया, और वो मेरे दोनो ओर मुझसे लिपट कर सो गयी…
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
अगले दिन से विजेता की छुट्टियाँ ख़तम हो रही थी, मुझे ही उसे छोड़ने जाना था,
उसने शाम को ही बोला था कि उसे किसी भी तरह स्कूल के समय तक वहाँ पहुँचना है…
तय हुआ कि सुबह पौ फटने से पहले ही निकल लेंगे, जिससे वो समय पर अपने स्कूल भी जा सकेगी, और लौट कर मे अपना कॉलेज भी अटेंड कर लूँगा…
15-20किमी का रास्ता बुलेट से मेरे लिए कोई ज़्यादा समय नही लगना था, फिर भी बुआ के घर पहुँचना, उसके बाद उसकी अपनी तैयारी कर के स्कूल निकलना,
इन सारी बातों को ध्यान में रख कर हम 5 बजते ही घर से चल पड़े…
विजेता ने एक टाइट शर्ट और घुटनों तक की स्कर्ट पहन रखी थी, जिसमें वो अभी भी एक स्कूल जाती हुई कमसिन लड़की ही लग रही थी…
बारिस का मौसम था, घने बादलों के चलते, काफ़ी अंधेरा था अभी…गाड़ी की हेड लाइट में हम 35-40 की स्पीड में मस्त सुबह – सुबह की ठंडी हवा का लुत्फ़ उठाते हुए जा रहे थे…
घर से निकलते ही विजेता की मस्तियाँ शुरू हो गयी… अब वो पहले वाली शर्मीली, छुयि-मुई सी विजेता तो रही नही थी..
वो पीछे से मेरी पीठ से चिपक कर अपने दोनो हाथों को आगे कर के मेरे लंड को पॅंट के ऊपर से ही सहलाने लगी…
मुझे अपनी पीठ पर उसकी कठोर चुचियों के उभार महसूस हो रहे थे, ऐसा लग रहा था कि शायद उसने उन्हें शर्ट के बाहर ही निकाला हुआ था..
जब उसके निपल मेरी पीठ से रगड़ते तो शरीर में एक झंझनाहट जैसी होने लगती.
मेने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा – ये क्या हो रहा है वीजू…?
वो मेरे कान की लौ को अपने दाँतों में दवा कर बोली – आप दोनो भाई बहनों ने एक सीधी साधी लड़की को बेशर्म कर दिया, अब पुछ्ते हो कि क्या हो रहा है…
मेने उसी हाथ को साइड में ले जाकर उसकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए कहा – वो तो ठीक है डार्लिंग, लेकिन अब चलती बाइक पर ये सब मत करो,
अभी भी बहुत अंधेरा है, मेरा ध्यान भंग हो गया, और गाड़ी लहरा गयी तो सिंगल रोड पर हम झाड़ियों दिखेंगे…
विजेता अपने कड़क हो चुके निप्पलो को मेरी पीठ पर रगड़ते हुए बोली – तो धीरे – 2 आराम से चलाओ ना भैया, इतनी भी क्या जल्दी है आपको मुझसे दूर होने की…?
मे – अरे यार ! इससे भी क्या धीरे चलाऊ…? अच्छा ठीक है, जो तेरी मर्ज़ी हो वो कर…
मेरे मुँह से इतना कहना ही था कि उसने मेरे पॅंट की जीप खींच दी, और अपना हाथ अंदर डाल कर मेरे लंड को अंडरवेार के बाहर निकाल लिया…
रास्ते में भरपूर अंधेरा था, ऊपर से सुबह होने को थी, इस वक़्त किसी वहाँ के गुजरने के भी कोई चान्स नही थे, सो वो खुलकर अपनी मनमानी पर उतर आई..
मेरा लंड तो उसके हाथ लगते ही अपनी औकात पर आ चुका था, शख्त, गरम लंड को मुट्ठी में कसकर विजेता मेरे कान के नीचे चूमकर उसे मुठियाते हुए बोली..
ये क्या लत लगादि आप लोगों ने मुझे, अब मेरी मुनिया बहुत खुजने लगी है… सीईईईईईई…मम्मूऊऊउ…..कुछ करो ना भैया…. प्लीज़….!
उसका दूसरा हाथ अपनी चूत पर था, जिसे वो खूब ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी….
फिर अचानक से बोली – भैया बाइक रोको, मुझे आपकी गोद में बैठना है…!
मे उसकी बात सुनकर झटका ही खा गया, पीछे मुड़कर जैसे ही देखा तो उसने मेरे गाल को ज़ोर से काट लिया और बोली… रोको ना जल्दी से…
मेने धीरे-2 कर के बुलेट एक साइड में रोक दी…
वो फ़ौरन से उतर कर रोड की साइड में बैठकर मूतने लगी, मेने उसकी तरफ से ध्यान हटा लिया, मुझे पता ही नही लगा कि कब उसने अपनी पेंटी निकाल कर स्कर्ट की जेब में डाल ली…
दो मिनिट बाद आकर वो मेरे आगे, मेरी तरफ मुँह कर के मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी…
उसने शाम को ही बोला था कि उसे किसी भी तरह स्कूल के समय तक वहाँ पहुँचना है…
तय हुआ कि सुबह पौ फटने से पहले ही निकल लेंगे, जिससे वो समय पर अपने स्कूल भी जा सकेगी, और लौट कर मे अपना कॉलेज भी अटेंड कर लूँगा…
15-20किमी का रास्ता बुलेट से मेरे लिए कोई ज़्यादा समय नही लगना था, फिर भी बुआ के घर पहुँचना, उसके बाद उसकी अपनी तैयारी कर के स्कूल निकलना,
इन सारी बातों को ध्यान में रख कर हम 5 बजते ही घर से चल पड़े…
विजेता ने एक टाइट शर्ट और घुटनों तक की स्कर्ट पहन रखी थी, जिसमें वो अभी भी एक स्कूल जाती हुई कमसिन लड़की ही लग रही थी…
बारिस का मौसम था, घने बादलों के चलते, काफ़ी अंधेरा था अभी…गाड़ी की हेड लाइट में हम 35-40 की स्पीड में मस्त सुबह – सुबह की ठंडी हवा का लुत्फ़ उठाते हुए जा रहे थे…
घर से निकलते ही विजेता की मस्तियाँ शुरू हो गयी… अब वो पहले वाली शर्मीली, छुयि-मुई सी विजेता तो रही नही थी..
वो पीछे से मेरी पीठ से चिपक कर अपने दोनो हाथों को आगे कर के मेरे लंड को पॅंट के ऊपर से ही सहलाने लगी…
मुझे अपनी पीठ पर उसकी कठोर चुचियों के उभार महसूस हो रहे थे, ऐसा लग रहा था कि शायद उसने उन्हें शर्ट के बाहर ही निकाला हुआ था..
जब उसके निपल मेरी पीठ से रगड़ते तो शरीर में एक झंझनाहट जैसी होने लगती.
मेने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा – ये क्या हो रहा है वीजू…?
वो मेरे कान की लौ को अपने दाँतों में दवा कर बोली – आप दोनो भाई बहनों ने एक सीधी साधी लड़की को बेशर्म कर दिया, अब पुछ्ते हो कि क्या हो रहा है…
मेने उसी हाथ को साइड में ले जाकर उसकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए कहा – वो तो ठीक है डार्लिंग, लेकिन अब चलती बाइक पर ये सब मत करो,
अभी भी बहुत अंधेरा है, मेरा ध्यान भंग हो गया, और गाड़ी लहरा गयी तो सिंगल रोड पर हम झाड़ियों दिखेंगे…
विजेता अपने कड़क हो चुके निप्पलो को मेरी पीठ पर रगड़ते हुए बोली – तो धीरे – 2 आराम से चलाओ ना भैया, इतनी भी क्या जल्दी है आपको मुझसे दूर होने की…?
मे – अरे यार ! इससे भी क्या धीरे चलाऊ…? अच्छा ठीक है, जो तेरी मर्ज़ी हो वो कर…
मेरे मुँह से इतना कहना ही था कि उसने मेरे पॅंट की जीप खींच दी, और अपना हाथ अंदर डाल कर मेरे लंड को अंडरवेार के बाहर निकाल लिया…
रास्ते में भरपूर अंधेरा था, ऊपर से सुबह होने को थी, इस वक़्त किसी वहाँ के गुजरने के भी कोई चान्स नही थे, सो वो खुलकर अपनी मनमानी पर उतर आई..
मेरा लंड तो उसके हाथ लगते ही अपनी औकात पर आ चुका था, शख्त, गरम लंड को मुट्ठी में कसकर विजेता मेरे कान के नीचे चूमकर उसे मुठियाते हुए बोली..
ये क्या लत लगादि आप लोगों ने मुझे, अब मेरी मुनिया बहुत खुजने लगी है… सीईईईईईई…मम्मूऊऊउ…..कुछ करो ना भैया…. प्लीज़….!
उसका दूसरा हाथ अपनी चूत पर था, जिसे वो खूब ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी….
फिर अचानक से बोली – भैया बाइक रोको, मुझे आपकी गोद में बैठना है…!
मे उसकी बात सुनकर झटका ही खा गया, पीछे मुड़कर जैसे ही देखा तो उसने मेरे गाल को ज़ोर से काट लिया और बोली… रोको ना जल्दी से…
मेने धीरे-2 कर के बुलेट एक साइड में रोक दी…
वो फ़ौरन से उतर कर रोड की साइड में बैठकर मूतने लगी, मेने उसकी तरफ से ध्यान हटा लिया, मुझे पता ही नही लगा कि कब उसने अपनी पेंटी निकाल कर स्कर्ट की जेब में डाल ली…
दो मिनिट बाद आकर वो मेरे आगे, मेरी तरफ मुँह कर के मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी…
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
मेने जब उसके ऊपर ध्यान दिया, तो पाया, उसकी शर्ट के ऊपर के सारे बटन खुले हुए थे, और नीचे उसने ब्रा भी नही पहनी थी…
मेरा लंड तो ऑलरेडी तना हुया खड़ा ही था, सो वो मेरी गोद में बैठ कर उसे अपने हाथ से पकड़कर अपनी गीली चूत के होंठों, जो अब पहले के मुक़ाबले थोड़े फूले हुए से लग रहे थे, पर रख कर घिसने लगी…
मेने एक हाथ से उसकी एक चुचि को सहलाते हुए कहा – अब तो चलें….
जबाब में उसने बस हूंम्म्म…ही कहा,
मेने किक लगाई, और गियर डाल कर बुलेट आगे बढ़ा दी…
वो मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़े जा रही थी, बीच – 2 में मेरे होंठों को भी चूस लेती…
मेने भी अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में डालकर उसके चूतड़ को मसल दिया…वो चिंहूक कर ऊपर को हुई,
इसी दरमियाँ मेरा लंड उसके छोटे से छेद के ठीक सामने आ गया, ऊपर से बाइक एक छोटे से खड्डे में कूदी, नतीजा !
मेरा आधा लंड सर-सरकार उसकी गीली चूत में घुस गया…
उसके मुँह पर पीड़ा की एक लहर सी दौड़ गयी, और वो थोड़ा ऊपर को उचकी, जिससे मेरा लंड सुपाडे तक उसकी चूत से बाहर आ गया,
लेकिन दूसरे ही पल, वो उसपर फिरसे बैठ गयी…. और अपने होंठों को कसकर भीचकर, धीरे-2 कर के मेरा पूरा लंड उसने अपनी नयी चुदि चूत में ले लिया…
कुछ देर वो यौंही मेरे सीने से कसकर चिपकी बैठी रही, लंड को अपनी चूत के अंतिम सिरे तक फील करती रही…, लेकिन वो कहते है ना, कि बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती…
बाइक के झटकों ने उसे फिरसे उछल्ने पर मजबूर कर दिया… जिससे मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा…
थोड़ी देर में ही उसको अच्छा लगने लगा और वो खुद से मेरे लंड पर उच्छल कूद करने लगी…
मे कभी इस हाथ से तो कभी दूसरे हाथ से उसके गोल-2 गेंद जैसी गान्ड को मसल रहा था, इससे ज़्यादा मेरे पास करने को था भी कुछ नही…?
आख़िर था तो मे भी एक नौजवान मर्द, कब तक अपने ऊपर कंट्रोल करता, सो मेने एक पेड़ के नीचे लेजाकर बाइक रोक दी,
एक पैर से साइड स्टॅंड लगाया और विजेता की गान्ड के नीचे हाथ लगाकर, उसे अपनी गोद में लिए ही, बाइक की सीट से खड़ा हो गया….
मेरा लंड अभी भी जड़ तक उसकी चूत के अंदर ही था…
मेने बड़े इतमीनान से विजेता को नीचे उतारा, पुकछ की आवाज़ के साथ मेरा लंड उसकी चूत से बाहर आ गया, मानो किसी बच्चे के मुँह से दूध की निपल निकाल ली हो…
उसके बाद हम दोनो ने फटाफट अपने सारे कपड़े अपने बदन से अलग किए, और विजेता का मुँह बाइक के हॅंडल की ओर कर के उसे आगे को झुका दिया,
उसकी एक टाँग बाइक की सीट पर रख दी, आगे उसने बाइक के हॅंडल को पकड़ लिया…
अब उसकी एक टाँग बाइक की सीट पर घुटना टेके हुए रखी थी, और दूसरी टाँग से ज़मीन पर खड़ी बाइक के टॅंक पर झुक गयी….
पीछे से उसकी चूत बाहर को हो गयी, जो अब लंड डालने के लिए परफेक्ट पोज़िशन थी, सो मेने अपना लंड पीछे से उसकी गीली चूत में पेल दिया.
मेरा लंड तो ऑलरेडी तना हुया खड़ा ही था, सो वो मेरी गोद में बैठ कर उसे अपने हाथ से पकड़कर अपनी गीली चूत के होंठों, जो अब पहले के मुक़ाबले थोड़े फूले हुए से लग रहे थे, पर रख कर घिसने लगी…
मेने एक हाथ से उसकी एक चुचि को सहलाते हुए कहा – अब तो चलें….
जबाब में उसने बस हूंम्म्म…ही कहा,
मेने किक लगाई, और गियर डाल कर बुलेट आगे बढ़ा दी…
वो मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़े जा रही थी, बीच – 2 में मेरे होंठों को भी चूस लेती…
मेने भी अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में डालकर उसके चूतड़ को मसल दिया…वो चिंहूक कर ऊपर को हुई,
इसी दरमियाँ मेरा लंड उसके छोटे से छेद के ठीक सामने आ गया, ऊपर से बाइक एक छोटे से खड्डे में कूदी, नतीजा !
मेरा आधा लंड सर-सरकार उसकी गीली चूत में घुस गया…
उसके मुँह पर पीड़ा की एक लहर सी दौड़ गयी, और वो थोड़ा ऊपर को उचकी, जिससे मेरा लंड सुपाडे तक उसकी चूत से बाहर आ गया,
लेकिन दूसरे ही पल, वो उसपर फिरसे बैठ गयी…. और अपने होंठों को कसकर भीचकर, धीरे-2 कर के मेरा पूरा लंड उसने अपनी नयी चुदि चूत में ले लिया…
कुछ देर वो यौंही मेरे सीने से कसकर चिपकी बैठी रही, लंड को अपनी चूत के अंतिम सिरे तक फील करती रही…, लेकिन वो कहते है ना, कि बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती…
बाइक के झटकों ने उसे फिरसे उछल्ने पर मजबूर कर दिया… जिससे मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर होने लगा…
थोड़ी देर में ही उसको अच्छा लगने लगा और वो खुद से मेरे लंड पर उच्छल कूद करने लगी…
मे कभी इस हाथ से तो कभी दूसरे हाथ से उसके गोल-2 गेंद जैसी गान्ड को मसल रहा था, इससे ज़्यादा मेरे पास करने को था भी कुछ नही…?
आख़िर था तो मे भी एक नौजवान मर्द, कब तक अपने ऊपर कंट्रोल करता, सो मेने एक पेड़ के नीचे लेजाकर बाइक रोक दी,
एक पैर से साइड स्टॅंड लगाया और विजेता की गान्ड के नीचे हाथ लगाकर, उसे अपनी गोद में लिए ही, बाइक की सीट से खड़ा हो गया….
मेरा लंड अभी भी जड़ तक उसकी चूत के अंदर ही था…
मेने बड़े इतमीनान से विजेता को नीचे उतारा, पुकछ की आवाज़ के साथ मेरा लंड उसकी चूत से बाहर आ गया, मानो किसी बच्चे के मुँह से दूध की निपल निकाल ली हो…
उसके बाद हम दोनो ने फटाफट अपने सारे कपड़े अपने बदन से अलग किए, और विजेता का मुँह बाइक के हॅंडल की ओर कर के उसे आगे को झुका दिया,
उसकी एक टाँग बाइक की सीट पर रख दी, आगे उसने बाइक के हॅंडल को पकड़ लिया…
अब उसकी एक टाँग बाइक की सीट पर घुटना टेके हुए रखी थी, और दूसरी टाँग से ज़मीन पर खड़ी बाइक के टॅंक पर झुक गयी….
पीछे से उसकी चूत बाहर को हो गयी, जो अब लंड डालने के लिए परफेक्ट पोज़िशन थी, सो मेने अपना लंड पीछे से उसकी गीली चूत में पेल दिया.
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
bahut hi uttejak update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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