लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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rajsharma
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by rajsharma »

मस्ती से भरपूर कहानी है दोस्त जी चाहता है आप अपडेट देते रहें और हम पढ़ते रहें
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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Kamini
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

विजेता के मुँह से एक जोरदार सिसकी निकल पड़ी, जो उस शांत वातावरण में गूँज कर रह गयी….

आआअहह……….सस्स्सिईईईईईईईईईईईई…… मेरे प्यारे भैय्ाआअ…..चोदो अपनी गुड़िया को….मिटा दो मेरी चूत की खुजलीइीइ……. आआईयईईई…. माआ…. ऊओ…. आअहह….. उउउफफफ्फ़….

मे घचा घच उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था, वो लगातार सिसकती हुई अपनी एक उंगली को पीछे लाकर अपनी गान्ड के छेद को सहलाती जा रही थी….

खुले आसमान के नीचे, हमें किसी के आने का भी डर भय नही रहा… बस लगे थे अपनी-2 मंज़िल पाने में…

और आखिकार हमें हमारी मंज़िल मिल ही गयी… विजेता चीख मारती हुई अपनी गान्ड को पीछे उछाल कर झड़ने लगी…

मेने भी दो-चार धक्के कस कर मारे और उसे अपने लंड से चिपककर उसकी दूसरी टाँग को भी हवा में उठा लिया और अपनी पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी…

कुछ देर हम यौंही चिपके खड़े रहे, फिर उसने पलट कर मेरे होंठों को चूम लिया और बोली – थॅंक यू भैया, आइ लव यू मी स्वीट भैया…

मेने उसके उरोजो को सहला कर पूछा – तू खुश तो है ना गुड़िया…

वो मेरे सीने से लिपट कर बोली – मे बहुत खुश हूँ भैया, जी तो कर रहा है, कि सारी उमर आपसे ऐसे ही चिपकी रहूं, लेकिन काश ये हो पाता,

फिर वो मेरे लॉड को एक बार चूम कर बोली – बहुत याद आएगा ये निर्दयी मेरी मुनिया को…बट कोई नही, इट’स आ पार्ट ऑफ लाइफ…, हो सके तो आते रहना भैया..

कोशिश करूँगा गुड्डो… अब चलो वरना तू स्कूल नही जा पाएगी…जब मेने ये कहा, तो वो बेमन से खड़ी हुई, और अपने कपड़े ठीक कर के हम वहाँ से चल पड़े.

10 मिनिट बाद हम बुआ के घर पर थे, विजेता को छोड़कर मे दरवाजे से ही लौट लिया…

बुआ ने रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेने उनसे बाद में आने का वादा किया और वहाँ से सीधा कॉलेज के लिए लौट लिया…

दूसरे दिन सनडे था, मे तोड़ा लाते तक सोता रहा, जब काफ़ी दिन चढ़ गया तो भाभी ने दीदी को मुझे उठाने के लिए भेजा…

जब वो मुझे उठाने मेरे कमरे में आई, उस समय मे सपने में विजेता की रास्ते वाली चुदाई की पुनरावृत्ति कर रहा था….

मेरा पप्पू इकलौते बरमूडे में अकड़ कर टेंट की शक्ल अख्तियार कर के ठुमके मार रहा था…

जैसे ही रामा की नज़र उसपर पड़ी, उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और होंठों ही होंठों में बुदबुदाई…

हाईए…राम.. सपने में ही कितना बबाल मचाए हुए है इसका तो, फिर वो धीरे से मेरे बगल में आकर बैठ गयी, और बड़े प्यार से मेरे गाल को चूम लिया, फिर हाथ फेरते हुए मुझे आवाज़ दी…

मे नींद में ही कुन्मुनाया और अपनी एक टाँग उसकी जाँघ पर रख दी…

अब मेरा लंड उसकी जाँघ से आकड़ा हुआ था, उसकी चुभन से रामा के मुँह से सिसकी निकल गयी, और स्वतः ही उसका हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया…

वो उसे धीरे-2 सहलाने लगी, अभी वो उसे बाहर निकालने के बारे में सोच ही रही थी, कि भाभी की आवाज़ ने उसे रोक दिया…

अरे क्या हुआ लाडो, तुम भी जाकर लल्ला के साथ सो गयी क्या…?

उसने हड़बड़कर मेरा लंड ज़ोर से भींचकर खींच दिया…

भड़भडा मेरी आँख खुल गयी, देखा तो वो पलंग के नीचे खड़ी खिलखिला कर हँस रही थी,

मेने आँख मलते हुए गुस्से से उसको देखा.. तो उसने मेरे बरमूडा की तरफ इशारा करते हुए कहा –

जल्दी उठ, भाभी बुला रही हैं, कब तक सोता रहेगा… 8 बज गये..

इतना कहकर वो कमरे से बाहर चली गयी, जब मेने अपने तंबू को देखा तो समझ में आया, असल माजरा क्या है..

मे फटा फट बिस्तर से उठा, नित्य कर्म किए और भाभी को बोलकर ऊपर के कमरे में जाकर एक्सर्साइज़ में लग गया…

कुछ देर बाद रूचि भी आ गयी, और वो भी मेरे साथ-साथ अपने हाथ पैर हिलाने लगी…

आख़िर में मेने पुश-अप करना शुरू किया तो रूचि बोली – चाचू मुझे चड्डू खाने हैं..

मेने कहा – चल फिर आजा मेरी बिटिया रानी अपने घोड़े की पीठ पर….

वो मेरी पीठ पर लेट गयी, और कसकर मुझे पकड़ लिया, मेने डंड पेलना शुरू कर दिया…

वो मेरे शरीर के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी, जिससे उसके मुँह से किलकरियाँ निकल रही थी…कुछ देर बाद नीचे से भाभी की आवाज़ सुनाई दी,

रामा ! लल्ला की एक्सर्साइज़ हो गयी होगी, उनका बादाम वाला दूध तो तैयार कर देना लाडो… और देखो, रूचि कहाँ है, उसे भी थोड़ा तैयार कर देना, मे लल्ला की मालिश करती हूँ…

मे अपना डंड पेलने में लगा पड़ा था, मेरे साथ-साथ रूचि भी ऊपर नीचे हो रही थी, और खिल-खिलाकर हस्ती भी जा रही थी…

कुछ देर बाद भाभी एक लंबा सा मुरादाबादी ग्लास बादाम वाले दूध का भरके ऊपर आई,

कुछ देर तो वो चुप-चाप हम चाचा भतीजी को देखती रही, फिर अंदर आते हुए बोली – अब बस करो पहलवान जी, बहुत हो गयी बरजिस…

और रूचि से बोली - तू नीचे जा, बुआ से तैयार होले…
मेने भाभी को देखा, जो अब भी एक वन पीस मेक्सी (गाउन) में थी, उन्हें देखकर मेने एक्सर्साइज़ बंद कर दी, रूचि दौड़ती हुई नीचे चली गयी…

भाभी ने तौलिया लेकर मेरा पसीना पोन्छा, कुछ देर मे खुली छत पर टहलता रहा, अपना पसीना सुखाता रहा, और साँसों को कंट्रोल करने लगा…

फिर भाभी ने अंदर बुलाकर मुझे दूध का ग्लास पकड़ा दिया, जिसे मे एक साँस में ही गटक गया…

भाभी – ज़रूरत से ज़्यादा एक्सर्साइज़ भी मत किया करो, वरना ये शरीर कम होने जाग जाएगा…

मे – आप ही ने तो कहा है, की खूब मेहनत करो, जिससे खूब पसीना निकलेगा, और शरीर मजबूत होगा…

वो – हां ! हां ! ठीक है, चलो अब इस चटाई पर लेटो, तुम्हारी मालिश कर देती हूँ,

मे इस समय मात्र एक शॉर्ट में ही था, सो पेट के बल लेट गया, भाभी ने कमरे में ही रखी एक स्पेशल आयुर्वेदिक तेल जिसमें कई तरह के मिनरल्स थे निकाली और मेरी मालिश करने लगी,

पहले उन्होने मेरे दोनो बाजुओं की मालिश की उसके बाद अपनी पिंडली तक की मेक्सी को और ऊपर चढ़ाया और मेरी जांघों पर बैठ गयी…
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