चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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Rohit Kapoor
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चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

नमस्कार दोस्तों आप सभी पाठक गण का ढेर सारा प्यार मुझे बार-बार नहीं कहानियां लिखने को प्रेरित करता है। ऐसे ही में एक कहानी को फिर से लिखने जा रहा हूं जो आप लोगों को उम्मीद है कि बेहद पसंद आएगी,,,,,
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है,,,,,, इसके सभी पात्र भी पूरी तरह से काल्पनिक है,,,,,,

यह कहानी एक लड़की के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है जिसका नाम पूनम है।

1,,,, रामदेवी,,,,, पूनम की मम्मी है,, जौकी दिखने में ठीक-ठाक ही है,,,, भरा हुआ बदन बस थोड़ा सा मोटी है बाकी इस उम्र में भी मर्दों के पानी निकालने में पूरी तरह से सक्षम है। मर्दों को आकर्षित करने लायक बड़ी बड़ी गोल चूचियां हां बस थोड़ा सा लटक सी गई है,,,,, बड़ी बड़ी गांड जो कि हमेशा थिरकते रहती है।

2,,,,, संध्या,,,,, पूनम की छोटी चाची,,,,, बेहद खूबसूरत एकदम गोरा रंग लाल लाल हॉठ,,, तनी हुई चुचीयां और उभरी हुई भरावदार गांड जिसे देखते ही सब का लंड खड़ा हो जाता था।
3,,,,, रितु चाची यह पूनम की सबसे छोटी चाची थी। एकदम मॉर्डन टाइप की उसके बदन पर चर्बी का कहीं भी नामोनिशान नहीं था,,,, कपड़े भी एकदम स्टाइलिस पहनती थी।
4,,,,,, सुजाता,,,,,, यह पूनम की बुआ थी जो की उम्र में पूनम से बस 5 साल ही बड़ी थी,,,, अभी तक शादी नहीं हुई थी लेकिन शादी की बात चल रही थी,,,,, सुजाता चुदास से भरी हुई थी लेकिन अभी तक उसने अपनी बुर में लंड डलवा कर उसका,,, अपनी जवानी का उद्घाटन नहीं करवाई थी।

इस कहानी के कुछ मुख्य किरदारो का उल्लेख यहां हो चुका है लेकिन अभी भी बहुत से किरदार आने बाकी है इसलिए उन कीरदारों से कहानी के अंतर्गत ही मुखातिब हो पाएगे,,,,,
अब कहानी का अपडेट जल्द ही देने की पूरी कोशिश करुंगा पर मुझे उम्मीद है कि आप लोग अपने कमेंट से मेरी इस कहानी को भी जबरदस्त रिस्पांस देंगे।
धन्यवाद।
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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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यह कहानी हे एक छोटे से गांव की गांव ज्यादा भी छोटा नहीं था सुख सुविधाओं के सारे सामान उस गांव में मौजूद थे।
पंछियों ने कलर मचाना शुरु कर दिया था,,,, पंछियों की सु मधुर आवाज से गांव की सुबह का नजारा और भी ज्यादा बेहतर हो गया था। पक्षियों की आवाज और मुर्गे की बांग की आवाज सुनते ही गांव के लोग धीरे-धीरे कर के बिस्तर छोड़ना शुरू हो जाते थे,,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर पड़ते ही लगभग पूरा गांव आलस मरोड़ कर अपने अपने कामकाज में लग जाया करता था,,,, और यही उनकी दिनचर्या भी होती थी ऐसे ही रोज की ही तरह रमा देवी अपने कमरे से बाहर आते हुए,,,,, अपनी बेटी को जोर जोर से आवाज लगाकर बुलाने लगी,,,,,

पूनम,,,,,,,,ओ पूनम,,,,,,,, अरे धूप निकलने को आई है और यह लड़की है कि अभी तक सो रही है,,,,,, ना जाने इसे कब अक्ल आएगी इतनी बड़ी हो गई है लेकिन किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी का एहसास नहीं है,,,,।
( रमा देवी को इस तरह से रोज की ही तरह चिल्लाते देख कर संध्या जोकि पूनम की चाची थी वह झाड़ू लगाते लगाते,, बोली,, घर बहुत बड़ा था घर में सब के अलग-अलग कमरे बने हुए थे मेहमान के लिए भी अलग कमरा बना हुआ था और घर का आंगन भी काफी बड़ा था जिसमें रोज साफ सफाई करके झाड़ू लगाना पड़ता था और ज्यादा तर यह काम संध्या ही करतीे थी। आंगन के चारों तरफ दीवार खड़ी करके एक घेरा सा बनाया हुआ था। आंगन के सामने ही बड़ा सा तबेला बना हुआ था जिसमें गाय भैंस बंधी हुई थी। संध्या झाड़ू लगाते लगाते बोली)

क्या दीदी आप भी सुबह-सुबह नन्हीं सी जान पर इतना बरस रही है।

नन्ही सी जान नहीं वह तों शैतान की नानी है। स्कूल जाना है सूरज निकल गया लेकिन यह लड़की अभी तक उठी नहीं है।
( रमा गुस्सा दिखाते हुए बोली और रमा की बात सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

दीदी बेवजह आप परेशान हो रही हैं पूनम तो न जाने कब से उठ चुकी है और इस समय लगभग नहा रही होगी,,,,,,
( संध्या की बात सुनकर रमा देवी को थोड़ा सुकून मिला और वह चिंता के भाव दर्शाते हुए संध्या से बोली,,,)

संध्या तू भी उसको कुछ सिखाओ वरना अभी भी वह बच्चों जैसा ही बर्ताव करती है मेरी तो एक नहीं सुनती तुम्हारी ही बात मानती है इसलिए थोड़ा-बहुत उसे डांटा फटकारा करो,,,


दीदी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए पूनम मेरी बेटी जैसी है और मुझे अच्छे से पता है कि उसे कैसे संभालना है आप जाइए वहं अपने समय पर ही तैयार हो जाएगी,,,,,
( रामादेवी संध्या की बात सुनकर आश्वस्त हो कर चली गई,,,, संध्या पूनम की बड़ी चाची थी जो की चाची का एक दोस्त की तरह ज्यादा रहती थी बेहद खूबसूरत गोल मटोल चेहरा बड़ी बड़ी आंखें गुलाबी होठ,, सुबह सुबह उठने की वजह से बाल थोड़े अस्त व्यस्त थे जो कि बालों की लटे चेहरे पर आती थी जिसकी वजह से संध्या की खूबसूरती में चार चांद लग जाते थे। बड़ी बड़ी चूचियां जोकी ब्लाउज में शमा नहीं पाती थी और बैठ कर झाड़ू लगाने की वजह से चूची का आधे से भी ज्यादा भाग साफ तौर पर नजर आता था। ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जाहिर था कि रात में संध्या के पति ने संध्या के ब्लाउज खोलकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियो को मुंह में भर कर पिया होगा,,, और जी भर कर दोनों खरबूजे से खेल कर निश्चित तौर पर उसकी जमकर चुदाई भी की होगी,, क्योंकि संध्या चलते समय थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी ऐसा तभी होता था जब रात भर संध्या अपने पति से चुदवाती थी। वैसे भी घर का सारा काम काज करते हुए संध्या थक जाती थी लेकिन रात को अपने पति के साथ चुदवा कर अपनी सारी थकान मिटा लेतीे थी। सुबह काम करने की जल्दबाजी में शायद वह ठीक से अपने ब्लाउज के बटन बंद करना ही भूल गई थी इसलिए उपर के दो बटन खुले रह गए थे,,, जिसमें से संध्या के दोनों कबूतर फड़फड़ाते हुए नजर आ रहे थे। संध्या अधिकांश तौर पर बैठे-बैठे ही झाडू लगाया करती थी जब जल्दी झाड़ू लगाते हुए आगे पाव करके आगे की तरफ बढ़ती थी तो उसका पिछवाड़ा,,,, कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल कर उभर जाता था,,, और देखने वालों की तो सांस ही अटक जाती थी। कुल मिलाकर संध्या के बदन में जवानी कूट कूट कर भरी हुई थी।

रमा देवी का पूनम के प्रति चिंतित रहना लाजमी था क्योंकि वह अक्सर अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह ही नजर आती थी उसके स्कूल का समय हो रहा था लेकिन इस समय वह बाथरुम में थी। बाथरूम में घुसते ही वह दरवाजे की कड़ी लगाकर दरवाजे को बंद कर ली,,,।

पूनम नहाने के लिए बाथरुम में प्रवेश कर के अंदर से बाथरूम की कड़ी लगा दी,,,, वह मन ही मन में कोई प्यारा सा गीत गुनगुनाते हुए अपने गले पर से दुपट्टा उतार कर पास में ही डोरी पर लटका दी,,,, वाह दुपट्टा दूरी पर लटकाने के बाद अपनी ड्रेस को नीचे से ऊपर की तरफ ले जाते हुए इतनी गोरी गोरी बाहों में से होते हुए ड्रेस को भी निकाल दि। उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उस स्कूल जाने के लिए उसे देरी हो रही है इसलिए जल्दी-जल्दी अपनी ब्रा के हुक को भी अपने हाथ को पीछे की तरफ ना कर खोल दी और अगले ही पल ब्रा को भी अपने बदन से अलग कर दी,,,,, ब्रा के अलग होते ही उसके छोटे छोटे नारंगी अपने पूरबहार मौसम को दिखाने लगे थे,,, ऊसकीे छोटी-छोटी और गोल नारंगीयो को देखकर साफ मालूम पड़ रहा था कि पूनम के बदन में अब जवानी चिकोटी काटने लगी थी । कब उसने सलवार की डोरी को खोल कर सलवार को उतार फेंकी पता ही नहीं चला,,, उसके बदन पर मात्र अब पेंटिं रह गई थी,,, जिसे अगले ही पल उंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे सरकाते हुए अपनी लंबी गोरी टांग से बाहर निकाल फेंकी,,,,। इस समय बाथरूम में वह संपूर्ण रूप से निर्वस्त्र हो गई थी,,,, वैसे तो वह जब भी कुएं या हेड पंप पर नहाती थी तो पूरी तरह से अपने कपड़े नहीं निकालती थी लेकिन जब भी वह बाथरूम में नहाती थी तब एकदम नंगी होकर ही नहाती थी। इस तरह से उसे नहाने में बेहद मजा भी आता था क्योंकि बाथरूम के अंदर पूरी तरह से नंगी होकर नहाने में वह अपने बदन के कोने कोने पर साबुन लगा कर नहा पाती थी। इसलिए उसे नहाने में संपूर्ण संतुष्टि का एहसास होता था।
पूनम अपने सारे कपड़े उतार कर नहाना शुरू कर दी ठंडा पानी उसके बदन पर पड़ते हीैं उसका बदन पूरी तरह से गनगना जा रहा था। लेकिन ठंडे पानी में नहाने का सुकून; वह अपने बदन में पूरी तरह से अनुभव करती थी। ठंडा पानी उसके सिर पर पड़कर नीचे की तरफ किसी मोतियों की तरह फिसलते हुए जा रहा था,,,, उसकी गोल गोल चूचियों से होकर के ऊसके चिकने सपाट पेट से होकर के नाभी से गुजर कर पूनम की चिकनी जांघों के बीच से उस पतली सी दरार से होकर नीचे की तरफ गिर रही थी। यह नजारा सामान्य नहीं था बल्कि बड़ा ही उन्मादक और कामोतेजक था। पूनम के लिए तो इस तरह से नहाना बेहद सामान्य सी बात थी लेकिन पूनम को इस तरह से नहाते हुए किसी का देख लेना ही उसकी जिंदगी का बड़ा ही अमूल्य और उत्तेजक क्षण होगा। वैसे भी अक्सर लड़के जो आदमी लड़कियों और औरतों के अंगों को देखने का बहाना ही ढूंढते रहते हैं और ऐसे में अगर उनके सामने उनकी नजरों के सामने पूनम जैसी खूबसूरत लड़की संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में,,, जोकि एकदम गोरी खूबसूरत चिकने बदन वाली,,, और मर्दों की कामोत्तेजना का सबसे उत्तेजक प्रसार बिंदु उसकी दोनों गोलाइयां अपना संपूर्ण रूप लिए नजर आ रही हो, और नितंब जो कि ऐसा लगे कि कुदरत ने खुद किसी कैनवास पर अपनी जादुई पींछी से अंगों को ऊभारकर कर उस में रंग भरे हो,, जिसके बदन का हर कटाव एक अलग ही परिभाषा लिखता हो ऐसी लड़की को देखकर किसी भी मर्द का मन डोल जाए और देखने भर मात्र से ही कब उसका मर्दाना अंग ऊथनात्मक स्थिति में आकर कब पानी छोड़ दे शायद उसको भी पता ना चले,,,, पूनम अद्भुत खूबसूरती का खजाना थी।
देखते ही देखते उसने स्नान कर ली,,,, और नहाने के बाद जैसे ही उसने टॉवल लेने के लिए हाथ बढ़ाई तो उसे ज्ञात हुआ कि उसने तो बाथरूम में टॉवर लाना ही भूल गई थी।
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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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अपनी इस गलती पर उसे फिर से गुस्सा आया क्योंकि ऐसी गलती अक्सर वह बार बार करती थी। पहले की ही तरह उसनें धीरे से बाथरूम का दरवाजा सिर्फ इतना भर खोली कि उसका चेहरा दिखाई दे,,,,, और फिर आदत के अनुसार अपनी छोटी वाली चाची को आवाज लगाने लगी जो की रसोई घर में चाय बना रही थी पूनम की आवाज सुनते ही वह समझ गई कि आज फिर से वह बाथरुम में टावल ले जाना भूल गई है। अक्सर वह पूनम को टावल दे दिया करती थी लेकिन आज उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था और वह मुस्कुरा कर रसोई घर से बाहर आई। वह आकर बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो गई जिसमें से पूनम सिर्फ अपना चेहरा भर दिखा रही थी अपनी चाची को देखते ही वह बोली।

प्लीज प्लीज प्लीज,,,,, चाची मुझे टॉवेल दे दो मुझे स्कूल जाने में बहुत देर हो रही है।

नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल भी टॉवल नहीं दूंगी तुम्हारी यह रोज की आदत हो गई है। ( इतना कहने के साथ ही वह बाकी लोगों को भी आवाज देकर बुलाने लगी।)
संध्या दीदी जल्दी आओ सुजाता देखो तो सही अगर तुम्हें आज असली फिल्म देखनी है तो जल्दी आ जाओ,,,,,, आज बहुत ही बेहतरीन फिल्म देखने को मिलेगी,,,,,,
( अपनी ऋतु चाची की बात सुनते ही पूनम के चेहरे पर बनावटी गुस्सा नजर आने लगा,,, और दूसरी तरफ रितु की आवाज सुनकर संध्या और सुजाता भी आ गई बाथरूम का दृश्य देखकर उन लोगों को समझते देर नहीं लगी कीयहां क्या चल रहा है। अपनी जेठानी और ननद को वहां आया देखकर रितु बोली।)

दीदी आज देखना तुम्हें असली फिल्म देखने को मिलेगी आज पूनम फिर से बाथरुम में टावल ले जाना भूल गई है। और आज पूनम खोल हम लोगों को अपने नंगे बदन का दर्शन कराएगी। ( अपने रीति चाची की बात सुनकर पूनम को गुस्सा आने लगा वह जानती थी कि आज यह लोग मजा लेना चाहते हैं और उसे स्कूल जाने के लिए देर भी हो रहा था,,, इसलिए वहां ऋतु चाची को छोड़कर अपनी संध्या चाची से बोली।)

प्लीज चाची आप दे दो ना मुझे बहुत देर हो रही है मजाक का समय नहीं है।
( पूनम की बात सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली।)

नहीं पूनम आज तो हम लोग तुम्हारी एक भी नहीं सुनने वाले और ना ही तुम्हारी कोई मदद करने वाले हैं।

क्या चाची आप भी,,,,,( पूनम बाथरूम के दरवाजे में से हल्का सा अपना चेहरा बाहर निकाल कर और बड़े ही मासूम बनकर पत्नी संध्या चाची से बोली,,,, लेकिन उसके इस मासूम पन का किसी पर भी कोई असर नहीं हुआ और उसकी संध्या चाची बोली।)

नहीं पूनम आज तुम्हारे किसी भी बात का हम पर कोई असर होने वाला नहीं है भलाई इसी में है कि आज तुम अपने नंगे पंन का दर्शन हमें करा ही दो हम भी तो देखें कि तुम जितनी बाहर से खूबसूरत लगती हो अंदर से कितनी खूबसूरत दीखती हो।,,,,,

क्या चाची आप लोग भी,,,, क्या तुम्हें अच्छा लगेगा अगर तुम मुझे ऐसी हालत में देखोगी तो,,,,,

हां मेरी रानी बिटिया हमें अच्छा लगेगा अब बिल्कुल भी देर मत करो और बाहर आ जाओ हम लोग भी तरस गए हैं तुम्हें नंगी देखने के लिए तुम्हारे खूबसूरत भरावदार नितंब को देखने के लिए।।
( पूनम को स्कूल जाने के लिए देर हो रहा था किसी भी वक्त उसकी सहेलियां घर पर आ सकती थी और जिस तरह की जीद आज उसकी दोनों चाची को नहीं लगा रखी थी उन्हीं के सू्र में उसकी सुजाता बुआ भी सुर लगा रही थी उन्हें भी आज उसे नंगी देखने का नशा चढ़ चुका था थक हारकर पूनम फिर से उन लोगों को समझाते हुए बोली।)

चाची क्यों ऐसी जिद कर रही हो क्या देखना चाहती हो मेरे पास भी वही है जो कि तुम लोगों के पास है फिर ऐसी जिद्द क्यों? ( पूनम बहुत ही भोलेपन में बोली)

हां मेरी पूनम रानी हम लोगों के पास जिस तरह के अंग है तुम्हारे पास भी वही सब है,,,, लेकिन अब तुम्हारे जैसी कड़क माल हम लोग नहीं रह गए हैं,,,,,( संध्या की इस बात पर उसकी रितु चाची हंसने लगी और साथ में उसकी सुजाता बुआ भी हंसने लगी,,,, पूनम समझ गई कि आज उसे लगता है कि इन लोगों के बीच उसे एकदम नंगी ही अपने कमरे में जाना होगा,,,,,, उसका कमरा बाथरूम के ठीक सामने ही तीन चार कदम की ही दूरी पर थे,,, लेकिन यह तीन चार कदम उसे मीलों से कम नहीं लग रहे थे। वह बिना कपड़ों के ही अपने कमरे में जाने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली वह बाहर कदम बढ़ाने ही वाली थी और बाहर खड़ी उसकी चाची और बुआ उसे एकदम नंगी देखने का इंतजार ही कर रहे थे कि तभी उसे याद आया कि वह दुपट्टा ओढ़़ कर आई थी। यह ख्याल आते ही उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी,,, और वह तुरंत पलटी और बाथरूम में जाकर दुपट्टे को अपनी चूचियों से होकर के लपेट ली जोकि दुपट्टा ज्यादा बढ़ा तो नहीं था लेकिन फिर भी उसके नितंबों को ढक ले रहा था। पूनम अपने दुपट्टे को इंसान से बांधकर बाथरुम के बाहर अपना कदम बाहर निकाली और उसे बाहर आता देखकर उसकी दोनों चाचियां और बुआ के चेहरे पर मुस्कान फेलने लगी,,, वह लोग केवल पूनम की नंगी टांग ही देखे थे और उन्हें लगने लगा था कि आज सचमुच पूनम को पूरी तरह से नंगी देखने का सुख प्राप्त कर लेंगी लेकिन तभी
पुनम अपने चेहरे पर विजयी मुस्कान लिए बाथरुम से बाहर आने लगी,,, उसके बदन को दुपट्टे से ढका हुआ देखकर उन लोगों के चेहरे उतर गए और उन लोगों का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूनम जोर-जोर से उन्हें चिढ़ाते हुए हंसने लगी,,,,, क्योंकि उन लोगों को पूनम का जो अंग देखना था वह तो पूरी तरह से दुपट्टे से ढंका हुआ था,,, और बस चिकनी जांघे और गोरी लंबी टांगें ही नंगी नजर आ रही थी,,,, इसलिए उन लोगों के चेहरे पर निराशा फैल गई,,,,, लेकिन जैसे ही पूनम उन लोगों से आगे निकली,,,, कि तभी तीनो की नजर उसकी पीठ की तरफ से होती हुई कमर के नीचे की तरफ गई तो उन लोगों की आंखें पूनम के पीछे का नजारा देखकर फटी की फटी रह गई और वह लोग जोर जोर से हंसने लगी,,, उन लोगों को हंसता देखकर पूनम को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर यह लोग हंस क्यों रही हैं। वह अपने कमरे के करीब पहुंच चुकी थी लेकिन उन लोगों को हंसता हुआ देखकर उसने नजर घुमाकर उन लोगों को देखी तो उन लोगों की नजर उसके पिछवाड़े पर टिकी हुई थी और वह लोग जोर जोर से हंस रही थी। जैसे ही पूनम की नजर नीचे की तरफ अपने नितंबों पर गई तो ऊसे अपनी गलती का एहसास होते ही वहां जल्दी से अपने कमरे में चली गई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दी,, कमरे के अंदर पहुंचकर अपनी गलती पर उसे भी हंसना आ गया,,,, क्योंकि दुपट्टा का कपड़ा एकदम पतला था और उसका बदन पूरी तरह से पानी में भीगा हुआ था जिसकी वजह से जैसे ही वह दुपट्टे को अपने बदन पर लपेटी तो गीले बदन होने की वजह से वह दुपट्टे का पतला कपड़ा पूनम के नंगे बदन से एकदम चिपक सा गया,,,,, जो कि उसके भरावदार नितंबों को उभार कर प्रदर्शित करने लगा,,,,, जिसकी वजह से दुपट्टे से ढंकने के बावजूद भी उसके भरावदार नितंबों का उभार और कटाव एकदम साफ साफ गोरे रंग सहित नजर आ रहा था जिसको देखकर उसकी दोनों चाचिया और बुआ खिलखिलाकर हंस रही थी।
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by jay »

superb ..................
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