अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ complete
- pongapandit
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
धमाकेदार कहानी है राज भाई
अगले अपडेट का इंतजार रहेगा
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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- rajaarkey
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन सीधा होते हुए-“नहीं तो दीदी, अच्छा भला तो हूँ…”
अनुम उसे घूरकर देखते हुए दिल में सोचती है-“कहीं ये फिर से ब्लू-फिल्में देखकर… नहीं नहीं, ऐसा नहीं है मेरा अमन…”
नाश्ते के बाद दोनों भाई-बहन कॉलेज चले जाते हैं।
अमन-“दीदी, आप फ़िज़ा के साथ घर चली जाना, मुझे कुछ काम है लाइब्रेरी में…”
अनुम कंधे उचकाते हुए-ओके।
रात के 9:00 बजे-अनुम कब का घर आ चुकी थी पर अमन का कोई पता नहीं था।
रजिया और अनुम दोनों परेशान हो रही थीं। उसे कितनी बार काल किया पर उसका सेल बंद आ रहा था। रजिया ने कहा-“तुझे क्या ज़रूरत थी अनुम, उसे अकेला छोड़कर आने की?”
अनुम कुछ बोलती, इससे पहले ही डोरबेल बजती है। अनुम भागते हुए दरवाजा खोलतेी है-“कहाँ थे तुम? कितने देर से आए हो अमन कुछ पता भी है?” और ना जाने कितने सारे सवाल।
अमन अनुम के होंठों पे उंगली रख देता है, और उसे अपने गले लगा लेता है-“दीदी, मैं नाना अब्बू के यहाँ चला गया था। आते वक्त बाइक का टायर पंचर हो गया। मोबाइल में बैटरी नहीं थी। अब बताओ क्या करता?”
रजिया-“उसे छोड़ तो… बच्चे कि सांस रुक जायेगी…”
अमन अनुम को इतने जोर से गले लगाकर बात कर रहा था कि उसे होश ही नहीं रहा-“ओह्म्मह… आई एम सारी…” और अनुम को छोड़ देता है। फिर बोला-“अम्मी, मैं खाना खाकर आया हूँ और दीदी, नाना अब्बू आपको बहुत याद कर रहे थे…”
अनुम-“हाँ… मैं गई नहीं ना कितने दिनों से…” और अनुम अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है।
अमन रजिया की तरफ देखते हुए-क्या हुआ दीदी को?
रजिया-मुझे क्या पता?
अमन रजिया की करीब जाकर-“रूम में चलो स्जीट हार्ट…”
रजिया-“जी नहीं, आपकी 7 दिन की छुट्टी…”
अमन-वो क्यों?
रजिया शरमाते हुए-“5 बजे से पीररयड्स शुरू हो गया है मुझे…”
अमन-“ओह्म्मह… नहीं…” और अमन रजिया के होंठों पे किस करके अपने रूम में सोने चला जाता है।
रेहाना की तरफ इतनी रात गये तो जा नहीं सकता था। गया भी तो रजिया को शक हो जाता तो वो सोने की कोशिश करता है।
अनुम अपने रूम में अपने दिल पे हाथ रखे अपनी सांसें नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी। आज पहली बार अमन ने उसे इतना कसकर हग किया था। अनुम अपनी चुचियों पे हाथ रखकर उसे दबाते हुए-“अह्म्मह… इन्हें कब मसलोगे अमन?”
दूसरी तरफ रेहाना का बुरा हाल था। सुबह से अमन उससे मिलने नहीं आया था। उसकी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी थीं जिसे वो अपने हाथ से शांत करने की कोशिश कर रही थी-“अह्म्मह… अमन…” और वो पानी छोड़ देती है।
सुबह 7:00 बजे-
अमन कसरत करके फ्रेश होने के बाद रेहाना की तरफ चल देता है। उसे पता था कि फ़िज़ा 7:00 बजे सबेरे ही ट्यूशन जाती है। अमन-रेहाना के घर में दाखिल होता है तो रेहाना बेड पे औन्धी लेटी हुई थी। अमन बेड पे जाकर उसे पीछे से पकड़ लेता है-“रेहाना, मेरी जान सो गई क्या?”
रेहाना-“कौन? तो आप हैं… मिल गई फुरसत? क्यों आए हो मुझसे मिलने?”
अमन रेहाना का चेहरा अपनी तरफ घुमकर उसके होंठ पे किस करते हुए-“शौहर अपनी बीवी के पास नहीं आएगा तो क्या पड़ोसी के यहाँ जाएगा?”
रेहाना-“जाकर तो देखो? जान से मार दूंगी उसे भी और खुद को भी…”
अमन जोर से होंठ काटते हुए-“नाराज हो?”
रेहाना-हाँ।
अमन-क्यूँ जान?
रेहाना-आप कल आए क्यों नहीं?
अमन रेहाना की चूत सहलाते हुए-“तेरी चूत ने मुझे ठीक से याद नहीं किया होगा?”
रेहाना-“अह्म्मह… अब ये मेरी कहाँ, ये तो आपकी हो गई है… कल कितना याद कर रही थी आपकी ये चूत अह्म्मह… बोल रही थी-जानू क्यों नहीं आए? याद आ रही है…”
अमन-“साली, अभी उसे खुश कर देता हूँ…” और अमन रेहाना को नंगी करने लगता है।
रेहाना भी अमन को नंगा कर देती है। दोनों एक दूसरे में समा जाने को पागल हुए जा रहे थे। अमन बिना देर किए रेहाना को सीधा कर देता है, और उसके पैर चौड़े कर देता है।
रेहाना-“अह्म्मह… जानू आपका लौड़ा चूसना है…”
अमन-“बाद में, पहले एक बार चोदने दे…”
रेहाना-“चोदिए नाआ अह्म्मह…”
अमन जल्दी से अपने लण्ड पे थूक लगाकर रेहाना की चूत में लण्ड पेल देता है-“ले मेरी रानीईई अह्म्मह…”
रेहाना-“अह्म्मह… जानू धीरे-धीरे उंह्म्मह… आहै…” फिर रेहाना नीचे से कमर हिलाते हुए-“आपको पता है, आपके चाचू कुछ दिनों में आने वाले हैं ऊऊह्म्मह…”
अमन-“पता है रेहाना उंह्म्मह…” और ताकत से लण्ड चूत में पेल रहा था जिससे रेहाना की चूत गीली होने लगी थी।
रेहाना-“जानू, मैं कैसे रहूगी आपके बिना उंन्ह… उंन्ह…”
अमन-“तू फिकर मत कर साली, चाचू कुछ दिनों बाद चला जाएगा फिर तो तू मेरी है अह्म्मह…”
रेहाना-“उंह्म्मह… आग्गघ… जानू, मैं अब किसी और का लौड़ा अपनी चूत में नहीं लेना चाहती जी उंह्म्मह…”
अमन-“हाँ रेहाना हाँ, मैं ही चोदूंगा तुझे हमेशा अह्म्मह…” और दोनों जोश में एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह…”
तभी रजिया चिल्लाते हुए-“अमन कमीने कुत्ते…”
अमन और रेहाना चौंकते हुए पीछे देखते हैं तो पीछे रजिया खड़ी थी। उसकी आँखें अँगारे उगल रही थीं। अमन और रेहाना जल्दी से अलग हो जाते हैं। अमन खड़ा होकर अपनी पैंट पहनने लगता है।
तभी रजिया उसके पास आकर एक जोरदार थप्पड़ उसके मुँह पे रसीद कर देती है-“हरामज़ादे, कितना गिरा हुआ है तू? मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी…” और फिर एक और थप्पड़।
अमन के तो जैसे पैरों के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई थी। थप्पड़ की गूँज उसके कानों में अभी भी बज रही थी।
अनुम उसे घूरकर देखते हुए दिल में सोचती है-“कहीं ये फिर से ब्लू-फिल्में देखकर… नहीं नहीं, ऐसा नहीं है मेरा अमन…”
नाश्ते के बाद दोनों भाई-बहन कॉलेज चले जाते हैं।
अमन-“दीदी, आप फ़िज़ा के साथ घर चली जाना, मुझे कुछ काम है लाइब्रेरी में…”
अनुम कंधे उचकाते हुए-ओके।
रात के 9:00 बजे-अनुम कब का घर आ चुकी थी पर अमन का कोई पता नहीं था।
रजिया और अनुम दोनों परेशान हो रही थीं। उसे कितनी बार काल किया पर उसका सेल बंद आ रहा था। रजिया ने कहा-“तुझे क्या ज़रूरत थी अनुम, उसे अकेला छोड़कर आने की?”
अनुम कुछ बोलती, इससे पहले ही डोरबेल बजती है। अनुम भागते हुए दरवाजा खोलतेी है-“कहाँ थे तुम? कितने देर से आए हो अमन कुछ पता भी है?” और ना जाने कितने सारे सवाल।
अमन अनुम के होंठों पे उंगली रख देता है, और उसे अपने गले लगा लेता है-“दीदी, मैं नाना अब्बू के यहाँ चला गया था। आते वक्त बाइक का टायर पंचर हो गया। मोबाइल में बैटरी नहीं थी। अब बताओ क्या करता?”
रजिया-“उसे छोड़ तो… बच्चे कि सांस रुक जायेगी…”
अमन अनुम को इतने जोर से गले लगाकर बात कर रहा था कि उसे होश ही नहीं रहा-“ओह्म्मह… आई एम सारी…” और अनुम को छोड़ देता है। फिर बोला-“अम्मी, मैं खाना खाकर आया हूँ और दीदी, नाना अब्बू आपको बहुत याद कर रहे थे…”
अनुम-“हाँ… मैं गई नहीं ना कितने दिनों से…” और अनुम अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है।
अमन रजिया की तरफ देखते हुए-क्या हुआ दीदी को?
रजिया-मुझे क्या पता?
अमन रजिया की करीब जाकर-“रूम में चलो स्जीट हार्ट…”
रजिया-“जी नहीं, आपकी 7 दिन की छुट्टी…”
अमन-वो क्यों?
रजिया शरमाते हुए-“5 बजे से पीररयड्स शुरू हो गया है मुझे…”
अमन-“ओह्म्मह… नहीं…” और अमन रजिया के होंठों पे किस करके अपने रूम में सोने चला जाता है।
रेहाना की तरफ इतनी रात गये तो जा नहीं सकता था। गया भी तो रजिया को शक हो जाता तो वो सोने की कोशिश करता है।
अनुम अपने रूम में अपने दिल पे हाथ रखे अपनी सांसें नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी। आज पहली बार अमन ने उसे इतना कसकर हग किया था। अनुम अपनी चुचियों पे हाथ रखकर उसे दबाते हुए-“अह्म्मह… इन्हें कब मसलोगे अमन?”
दूसरी तरफ रेहाना का बुरा हाल था। सुबह से अमन उससे मिलने नहीं आया था। उसकी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी थीं जिसे वो अपने हाथ से शांत करने की कोशिश कर रही थी-“अह्म्मह… अमन…” और वो पानी छोड़ देती है।
सुबह 7:00 बजे-
अमन कसरत करके फ्रेश होने के बाद रेहाना की तरफ चल देता है। उसे पता था कि फ़िज़ा 7:00 बजे सबेरे ही ट्यूशन जाती है। अमन-रेहाना के घर में दाखिल होता है तो रेहाना बेड पे औन्धी लेटी हुई थी। अमन बेड पे जाकर उसे पीछे से पकड़ लेता है-“रेहाना, मेरी जान सो गई क्या?”
रेहाना-“कौन? तो आप हैं… मिल गई फुरसत? क्यों आए हो मुझसे मिलने?”
अमन रेहाना का चेहरा अपनी तरफ घुमकर उसके होंठ पे किस करते हुए-“शौहर अपनी बीवी के पास नहीं आएगा तो क्या पड़ोसी के यहाँ जाएगा?”
रेहाना-“जाकर तो देखो? जान से मार दूंगी उसे भी और खुद को भी…”
अमन जोर से होंठ काटते हुए-“नाराज हो?”
रेहाना-हाँ।
अमन-क्यूँ जान?
रेहाना-आप कल आए क्यों नहीं?
अमन रेहाना की चूत सहलाते हुए-“तेरी चूत ने मुझे ठीक से याद नहीं किया होगा?”
रेहाना-“अह्म्मह… अब ये मेरी कहाँ, ये तो आपकी हो गई है… कल कितना याद कर रही थी आपकी ये चूत अह्म्मह… बोल रही थी-जानू क्यों नहीं आए? याद आ रही है…”
अमन-“साली, अभी उसे खुश कर देता हूँ…” और अमन रेहाना को नंगी करने लगता है।
रेहाना भी अमन को नंगा कर देती है। दोनों एक दूसरे में समा जाने को पागल हुए जा रहे थे। अमन बिना देर किए रेहाना को सीधा कर देता है, और उसके पैर चौड़े कर देता है।
रेहाना-“अह्म्मह… जानू आपका लौड़ा चूसना है…”
अमन-“बाद में, पहले एक बार चोदने दे…”
रेहाना-“चोदिए नाआ अह्म्मह…”
अमन जल्दी से अपने लण्ड पे थूक लगाकर रेहाना की चूत में लण्ड पेल देता है-“ले मेरी रानीईई अह्म्मह…”
रेहाना-“अह्म्मह… जानू धीरे-धीरे उंह्म्मह… आहै…” फिर रेहाना नीचे से कमर हिलाते हुए-“आपको पता है, आपके चाचू कुछ दिनों में आने वाले हैं ऊऊह्म्मह…”
अमन-“पता है रेहाना उंह्म्मह…” और ताकत से लण्ड चूत में पेल रहा था जिससे रेहाना की चूत गीली होने लगी थी।
रेहाना-“जानू, मैं कैसे रहूगी आपके बिना उंन्ह… उंन्ह…”
अमन-“तू फिकर मत कर साली, चाचू कुछ दिनों बाद चला जाएगा फिर तो तू मेरी है अह्म्मह…”
रेहाना-“उंह्म्मह… आग्गघ… जानू, मैं अब किसी और का लौड़ा अपनी चूत में नहीं लेना चाहती जी उंह्म्मह…”
अमन-“हाँ रेहाना हाँ, मैं ही चोदूंगा तुझे हमेशा अह्म्मह…” और दोनों जोश में एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह…”
तभी रजिया चिल्लाते हुए-“अमन कमीने कुत्ते…”
अमन और रेहाना चौंकते हुए पीछे देखते हैं तो पीछे रजिया खड़ी थी। उसकी आँखें अँगारे उगल रही थीं। अमन और रेहाना जल्दी से अलग हो जाते हैं। अमन खड़ा होकर अपनी पैंट पहनने लगता है।
तभी रजिया उसके पास आकर एक जोरदार थप्पड़ उसके मुँह पे रसीद कर देती है-“हरामज़ादे, कितना गिरा हुआ है तू? मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी…” और फिर एक और थप्पड़।
अमन के तो जैसे पैरों के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई थी। थप्पड़ की गूँज उसके कानों में अभी भी बज रही थी।
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया रेहाना की तरफ देखते हुये-“और तू छिनाल… तुझे और कोई नहीं मिला अपनी चूत की आग बुझाने के लिये… खबरदार वो आज के बाद मुझे अपनी मनहूस सूरत दिखाई भी तो… और तू खड़ा क्या है? कपड़े पहन और चल यहां से…”
रेहाना मारे डर के काँपने लगी थी।
अमन जल्दी से अपने कपड़े पहन लेता है, और रेहाना के घर से जाने लगता है। तभी उसे मेन-गेट पे फ़िज़ा खड़ी हुई मिलती है। वो शायद अपनी किताब भूल गई थी, और उसे वापस लेने घर आई थी। उसने रजिया की सारी बातें सुन ली थी, और रोते हुए अपने रूम में भाग गई थी
अमन अपने घर चला जाता है। उसके पीछे रजिया भी चली जाती है।
रेहाना से अब खड़ा रहना मुश्किल था उसके पैरों में तो जैसे जान ही नहीं थी। वो बेड पे बैठ जाती है, और सिर पकड़ लेती है। उसने मुख्य दरवाजा बंद क्यों नहीं किया? और फ़िज़ा, उसकी अपनी बेटी, उसपे क्या गुजर रही होगी? उसने तो सारी बातें सुन ली हैं। यही सब बातें उसे परेशान कर रही थीं, और रेहाना फूट-फूट के रोने लगती है।
अमन अपने रूम में था। रजिया उसके पीछे उसके रूम में घुस जाती है।
अमन-“अम्मी, आप प्लीज़ मुझे माफ कर दो…”
रजिया तो जैसे आग बनी हुई थी-“मुझे कुछ नहीं सुनना अमन। आज के बाद तू जहाँ नहीं जाएगा और अगर गया तो मेरा मरा हुआ मुँह देखेगा…”
अमन की आँखों में आँसू आ जाते है।
रजिया उसके रूम से बाहर चली जाती है।
अनुम हाल में बैठी थी, कहा-“क्या हुआ अम्मी, आप अमन को डांट क्यूँ रही थी? आप तो उसे नाश्ते के लिये बुलाने गये थे…”
रजिया-“कुछ नहीं, तू नाश्ता कर…” और रजिया अपने रूम में चली जाती है।
अनुम उठकर अमन के रूम में चली जाती है-“अमन क्या हुआ?”
अमन-“दीदी, मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज़…”
अनुम-“अरे बोल तो सही, हुआ क्या है?”
अमन गुस्से से-“मैंने कहाँ ना मुझे अकेला छोड़ दो…”
अनुम रूम से बाहर चली जाती है। उसे पता ही नहीं था कि आखिर माज़रा क्या है?
दिन यूँ ही गुजर रहे थे। रजिया का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। अमन ने कई बार रजिया से बात करने की कोशिश की, पर रजिया उससे बात करने को तैयार नहीं थी।
उधर रेहाना रजिया की तरफ आने से डर रही थी।
फ़िज़ा गम और गुस्से में अपनी अम्मी रेहाना से नज़रें नहीं मिला रही थी।
अमन का तो सबसे बुरा हाल था। आखिर उसने फैसला किया कि वो रजिया को सबक सिखाकर रहेगा। वो साली खुद को समझती क्या है? खुद भी तो मुझसे चुदा चुकी है। और मैं किसी और को चोदूं तो उसकी गाण्ड जलती है। ठीक है, अब मैं उसे और तड़पाऊँगा और इतना कि वो खुद मेरे पैरों में गिरकर अपनी चूत मेरे सामने रखेगी और रेहाना को चोदने के लिये खुद मेरे पास लाएगी।
अमन ने फैसला कर लिया था।
वक्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था। आज 7 दिन हो गये थे अमन और रजिया की बीच बात नहीं हुई थी।
अमन भी कुछ परेशान सा हो गया था। एक तो उसे चूत नहीं मिली थी, दूसरे वो जिन लोगों से प्यार करता था वो उसे इग्नोर कर रही थी।
रजिया अपने रूम में लेटे करवटें बदल रही थी। दोपहेर का वक्त था। अमन और अनुम कॉलेज गये थे। रजिया दिल में सोचते हुए कि अमन पे मुझे कितना भरोसा था, उसने ऐसा क्यों किया? वो भी अपनी चाची के साथ। मैं उससे कभी बात नहीं करूंगी।
पर उसके दिल के किसी कोने से आवाज़ आई-“रजिया तू ने क्या किया? तूने भी तो अपनी चूत की आग बुझाने के लिये अमन का फायदा उठाया। आज जिस कष्ट में तू बैठी है, उसी में रेहाना भी है। वो भी तो तेरी तरह लण्ड के लिये तड़प रही होगी, उसका भी शौहर उससे दूर है। तू ख़ुदग़र्ज़ हो गई है। रजिया अमन जितना तेरा है, उतना ही रेहाना का भी है। तुझे रेहाना से बात करनी चाहिए और अमन से भी। कितने जोर से थप्पड़ मारा तूने उस बच्चे को…”
फिर रजिया बेड पे उठकर बैठ जाती है, और खुद से बातें करने लगती है-“हाँ मैं बात करूंगी अमन से और रेहाना से भी। वो मेरा बेटा है, और मेरे जान भी। अब रजिया ने फैसला कर लिया था कि वो रेहाना और अमन के रिश्ते को अपना लेगी और उसके चेहरे पे खुशी के भाव साफ नज़र आ रहे थे, और आज 7 के दिन बाद उसकी चूत में सरसराहट सी होने लगी थी।
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