लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

उन्होने झिड़कते हुए कहा.. पूरा पैर क्यों उठाते हो…खाली पंजे का दबाब कम करना है.. हील गाड़ी के फ्लोर पर ही टिकी रहनी चाहिए…

फिर मेने वैसे ही किया.., अब गाड़ी बिना एंजिन बंद हुए आगे को बढ़ने लगी…

वो बोली – यस ! अब स्टीरिंग को जस्ट देखो… और गाड़ी तुम्हारे हिसाब से दूसरी तरफ जाती हुई दिखे तभी उसे हल्के से दिशा देना है… अब थोड़ा-2 एग्ज़िलेटर पर दबाब डालो..

मेने जैसे ही पैर दबाया.. वो थोड़ा ज़्यादा दब गया और गाड़ी झटके के साथ आगे बढ़ने लगी.. हड़बड़ी में मे स्टीरिंग संभालना भी भूल गया..

देखते-2 गाड़ी मैदान से बाहर की तरफ जाने लगी… भाभी एकदम से चिल्लाई.. सम्भालो.. और उन्होने झटके से अपने हाथ स्टीरिंग पर लगाए तो उनकी मांसल गोरी-2 नंगी बाहें मेरे सीने से रगड़ने लगी..

गाड़ी तो कंट्रोल हो गयी.. लेकिन अब भाभी का शरीर मेरे शरीर से और ज़्यादा सॅट गया.. मुझे कंपकपि सी होने लगी…

अभी में अपने होश इकट्ठा करने की कोशिश में ही था… कि तभी वो बोली – देवर जी.. देखो गाड़ी के एंजिन की आवाज़ ज़्यादा है.. इसका मतलव अब तुम्हें दूसरा गियर डालना पड़ेगा..

और उन्होने मेरे क्लच वाले पैर को दबा दिया.. जब क्लच दब गयी तो वो बोली – अब एग्ज़िलेटर कम करो… और दूसरा गियर डालो..

मेने एग्ज़िलेटर कम कर के दूसरा गियर डाला तो वो नही पड़ा.. क्योंकि मे उसे न्यूट्रल स्लॉट में लाना भूल गया था…

वो – अरे.. क्या करते हो देवर जी.. डालो ना.. मेने कहा – पड़ ही नही रहा भाभी..मे क्या करूँ..?

तो फिर उन्होने अपना हाथ लंबा कर के गियर डालने के लिए बढ़ाया.. जिससे उनकी एल्बो…आहह….मेरे लंड को दबा दिया… मेरे मुँह से अह्ह्ह्ह… निकल गयी…
गियर तो पड़ गया… और उन्होने अपनी एल्बो का दबाब भी कम कर दिया.. लेकिन

लेकिन मेरे नाग को जगा दिया… जिसको अब यहाँ मनाने का कोई इलाज़ संभव नही था…

मेरी आह… सुन कर उन्होने एक नज़र मेरी ओर देखा और मुस्करा उठी…

अब लगभग गाड़ी का सारा कंट्रोल तो उनके हाथ में ही था.. तो दूसरे गियर में भी गाड़ी अच्छे से चल रही थी, लेकिन ऐसे हम दोनो को ही बड़ी दिक्कत हो रही थी.

कुछ देर के बाद उन्होने गाड़ी रोक दी और गेट खोल कर बाहर निकल गयी…

उतरो.. उन्होने आदेश सा दिया… मे बाहर आ गया.. तो उन्होने सीट का लीवर उठाकर सीट को थोड़ा और पीछे को कर दिया..

अब बैठिए… वो बोली .. मे सीधा तन्कर बैठ गया..

वो बोली - अरे आराम से पीठ टिका कर बैठिए… जब मे उनके हिसाब से बैठ गया.. तो वो फिर बोली -

अपनी टाँगें चौड़ी करिए…, मेने अपनी टाँगें चौड़ी करदी.., अब मेरे आगे काफ़ी जगह बन गयी थी,

मे अभी ये सोच ही रहा था, कि आख़िर इनका आइडिया है क्या, तभी वो मेरे आगे की जगह पर आकर बैठ गयी…

सत्यानाश हो सिचुयेशन का……वैसे भी साला शरीर में गर्मी बढ़ने लगी थी..

अब ये गुदगूदे रूई जैसे सॉफ्ट कूल्हे एकदम मेरे खुन्टे के सामने रखे थे, वो भी एकदम सट कर,

उनके कपड़े तो वैसे भी इतने सॉफ्ट और टाइट फिट थे, कि उनका होना ना होना एक बराबर था…

ऊपर से उनकी टाइट टीशर्ट से झँकते आमों के उभर और उनका दूध जैसा गोरा सफेद चित्त क्लीवेज मेरी आँखों के ठीक सामने था,

सोने पे सुहागा… उनके बदन से उठती मादक सुगंध….,

कुल मिलकर मेरे लॉड की माM-बेहन एक होने लगी…., वो मेरे शॉर्ट के अंदर किसी ग़ुस्सेल नाग की तरह फुफ्कार मारने लगा…!

ऊपर से मुशिबत ये, कि दोनो के बीच इतनी जगह भी नही थी, कि अपना हाथ डालकर उसे अड्जस्ट भी कर सकूँ… साला एक्दाM खूँटे की तरह खड़ा होकर उनकी कमर में ठोकरें मारने लगा…


आख़िर में मेने हथियार डालते हुए कहा… भाभी छोड़िए.., अब घर चलते हैं, ये गाड़ी चलाना मेरे बस का नही है……!

उन्होने तिर्छि नज़र कर के मेरी तरफ देखा… अब उनके कंधे का दबाब भी मेरे सीने पर था, और नज़रों का तीखापन देख कर… मेरी रही सही हिम्मत की माँ चुद गयी…
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

यहाँ तबसे मज़ाक चल रहा है.. उहोने किसी इन्स्ट्रक्टर की तरह कड़क आवाज़ में कहा … चलो चुप चाप गाड़ी स्टार्ट करो.. ऐसा कोई काम है जो इंसान ना कर सके..

बात वो नही थी कि मुझे कोई प्राब्लम हो रही थी…, मेरे लौडे के तो मज़े हो रहे थे, बहुत अच्छा भी लग रहा था… लेकिन मेरे लंड महाराज की उत्तेजना लगातार बढ़ती जा रही थी उसका क्या किया जाए…?

नयी भाभी.. ठीक से अभी तक हसी मज़ाक भी नही हो पाई थी उनके साथ…, ऊपर से एमएलए की बेटी और एसपी की बीवी.., साला कुछ उल्टा-पुल्टा हो गया…., तो इतने जूते पड़ेंगे की गान्ड लाल हो जाएगी… बस ये डर सताए जा रहा था मुझे…!

अब शुरू करो… या सोचते ही रहोगे… ? उनके एक साथ झटके से बोलने पर मेरे हाथ पैर और ज़्यादा फूल गये…, फिर भी काँपते हाथों से मेने गाड़ी स्टार्ट की…

भाभी मेरी स्थिति पर मन ही मन खुश हो रही थी… लेकिन मान-ना पड़ेगा.. कमाल की आक्टिंग थी उनकी…

मज़ाल क्या है…, ज़रा भी फेस पर ऐसा एक्सप्रेशन आने दिया हो कि वो मेरे मज़े ले रहीं हैं…

चलो अब वो सब दोहराओ.. जो पहले कर चुके हैं.. गाड़ी अनकंट्रोल दिखेगी तो ही मे हाथ लगाउन्गी…

मेने क्लच दबा कर गियर डाला.. और धीरे-2 क्लच छोड़ा.. शुरुआत तो सही हुई.. लेकिन लास्ट में झटका लग ही गया.. और वो स्टीरिंग की तरफ झुक गयी…

मे भी झटके से उनकी पीठ से चिपक गया.. झुकने से उनके दशहरी आम एक दम से मेरी नज़रों के सामने आ गये…,

दूसरा सबसे बुरा ये हुआ कि, मेरे सीने के दबाब से वो जैसे ही आगे को हुई, उनकी मखमली गान्ड थोड़ी अधर हो गयी…

लंड महाराज तो इसी ताक में थे, कि कब स्पेस मिले, सॅट्ट से गान्ड के नीचे सरक गये…, और गान्ड की दरार के उपरी भाग पर कब्जा जमा लिया…

खैर.. मेरे पप्पू की तो बल्ले-2 हो रही थी.. लेकिन अपनी तो साली आफ़त में जान अटकी पड़ी थी.., भाभी की गुदगुदी गान्ड के स्पर्श मात्र से ही वो फूल कर कुप्पा हुआ जा रहा था…

भाभी गाड़ी संभालते हुए बोली – कोई बात नही.. ये अच्छा है, कि इस बार गाड़ी बंद नही हुई.. गुड.. अब थोड़ा-2 एग्ज़िलेटर दो…

पैर फिर से थोड़ा ज़्यादा दब गया एग्ज़िलेटर पर, .. और गाड़ी फिर से झटके से आगे बढ़ी.. स्टेआरिंग थोड़ा डिसबॅलेन्स हुई… तो भाभी ने अपने हाथ मेरे हाथों के ऊपर रख कर उसे कंट्रोल कर लिया..

लेकिन उनकी गान्ड और मेरे खूँटे के बीच एक अच्छा सा घिस्सा लग गया…

जब गाड़ी कंट्रोल हुई.. तो उन्होने क्लच दबा कर गियर चेंज करने को कहा.. मेने क्लच तो दबा दी लेकिन एग्ज़िलेटर कम नही किया.. गाड़ी का एंजिन हों..हों.. करने लगा…

भाभी – देवर्जी ! मेने कितनी बार कहा है.. कि जब क्लच दबाओ तो एग्ज़िलेटर नही देना है….. क्या बुलेट भी ऐसे ही चलाते हो..?

मेने दूसरा गियर ठीक से चेंज कर के कहा – वो तो मेरी प्रॅक्टीस में आ गयी है.. इसलिए…, अब इन्हें कॉन बताए, की इस सिचुयेशन में जो भी आता है वो भी भूले बैठे हैं…

अब धीरे – 2 मेरा थोड़ा-2 कॉन्फिडॅन्स आने लगा था.. तो वो बोली- गुड ! वैसे उसी एक्सपीरियेन्स से इसको भी कंट्रोल करो…

जब गाड़ी ठीक से चलने लगी… तो मेने कहा भाभी अब तीसरा डालूं…

वो – नही, आज दो तक ही प्रॅक्टीस करो.. यहाँ तक की अच्छी प्रॅक्टीस होने दो..
उनके हाथ अभी भी मेरे हाथो पर ही थे..
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

जब गाड़ी सही से कंट्रोल में आने लगी.. तो मेरा ध्यान भटकने लगा… वो मेरे सीने से अपनी पीठ टिकाए हुए थी… मेरा पप्पू उनकी गान्ड की दरार के साथ शरारत कर रहा था…

उसका मे फिलहाल कुछ कर भी नही सकता था, क्योंकि मेरे पास पीछे हटने के लिए स्पेस भी नही था…

लाख कंट्रोल के बबजूद भी वो, गाहे-बगाहे ठुमके मार ही देता था,

उसकी ठोकर भाभी को भी महसूस हो रही थी… मेरा मुँह उनके कान के बिल्कुल पास था… और नाक से निकलने वाली हवा उनके कान की लौ को सर-सरा रही थी…

ऐसे मादक बदन की महक और जवानी से लवरेज़ यौवन अगर किसी युवक की गोद में हो तो ये कहना बेमानी होगी.. कि वो अपने आप पर कंट्रोल रख पाएगा…

मेने अपना मुँह उनके गाल के पास करलिया.. मेरे होंठों और उनके गाल का फासला ना के बराबर था.. मेरे मुँह की भाप से वो भी उत्तेजित हो रही थी…

ना जाने कब उनके हाथ स्टेआरिंग से हटकर मेरी जांघों पर आ गये और वो धीरे-2 उन्हें सहलाने लगी…

उनकी ज़ुल्फो की खुसबु मेरा नियंत्रण खोने पर मजबूर कर रही थी,.. लंड बुरी तरह उनकी गान्ड पर ठोकरें मार रहा था… जिसका वो अपनी आँखे मूंदकर स्वाद ले रही थी…

मेरे लौडे की हालत लगातार बद से बदतर होती जा रही थी, वो अंडरवेर के अंदर एंथने लगा था…प्री-कम से उसका टोपा गीला होने लगा…

मेरा अपने ऊपर से नियंत्रण हटता जा रहा था, नतीजा ध्यान स्टीरिंग से हट गया और मेरे होंठ उनके गाल से जा टकराए….

गाड़ी ना जाने कब मैदान छोड़ कर बाजू के खेत में चली गयी और रेत में जा फँसी…और हों-हों करने लगी..

हम दोनो ही हड़बड़ा गये.. हों-हों कर के एंजिन बंद हो गया.. हम दोनो की नज़रें मिली तो वो एक नशीली मुस्कराहट देकर गाड़ी का गेट खोल कर नीचे उतर गयी..

फिर उन्होने मुझे भी उतरने का इशारा किया.. और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गाड़ी को बॅक गियर में डाल कर वहाँ से निकाला…

फिर उन्होने मुझे बगल वाली सीट पर बैठने का इशारा करते हुए कहा – अब आज के लिए इतना ही काफ़ी है…, आगे का कल सीखना.. चलो अब घर चलते हैं.. वैसे दूसरे गियर तक आपने अच्छा किया… वेल डन…!

फिरसे उन्होने पीछे सीट पर जाकर कपड़े चेंज किए, मौके का फ़ायदा उठाकर मे थोड़ी दूर झाड़ियों के पीछे जाकर अपनी टंकी रिलीस करने चला गया.

खड़े लंड से मूत भी रुक-रुक कर आ रहा था, जिससे बहुत देर तक में मुतते रहा, आख़िर जब टंकी रिलीस हुई, तब जाकर कुछ राहत महसूस हुई.


रास्ते में हमने ज़्यादा कोई बात नही की.. बस कुछ एक दो ड्राइविंग से ही रिलेटेड कुछ बातें…!

घर आते-2 शाम हो चुकी थी…. तो मे थोड़ी देर के लिए चाची के पास चला गया.. बच्चे को गोद में लेकर खेलता रहा.. चाची अपने काम काज में लगी रही…

रात का खाना खा-पीकर मोहिनी भाभी ने मुझे अपने कमरे में आने का इशारा किया…

मेरे पहुँचते ही वो बोली – हां तो आज कितना तक सीखा..?

तो मेने उन्हें बताया कि आज दूसरे गियर तक ही सीखा है.. लगता है हफ्ते-दस दिन में आजाएगी…!

वो – थोड़ा डीटेल में बताओ.. कैसे शुरुआत की क्या-2 प्राब्लम हुई.. ?

मे – अरे ! इन सबको जान कर आपको क्या लेना देना..?

वो – मेरा भी मन किया तो मे तुमसे सीख लूँगी ना.. वो थोड़ा शोख अंदाज में बोली…

मे उनके कहने का मतलव समझ गया… और वैसे भी मे भाभी से कोई बात छिपा भी नही पाता था… पता नही वो कैसे मेरे मन के चोर को भाँप लेती थी..

सो मेने सब डीटेल उन्हें बता दिया… वो कुछ देर तक मुस्करती रही…

मेने पूछा – आप मुस्करा क्यों रही हो .. ?

वो – बस ऐसे ही.. अब तुम मन लगा कर ऐसे ही सीखते रहो…अब जाओ आराम करो.. कल कॉलेज भी जाना है..

मे अपने कमरे में चला आया और कुछ देर किताब निकाल कर पढ़ता रहा.. और फिर सो गया..

दूसरे दिन मे और सोनू कॉलेज गये…लेक्चर अटेंड किए..

तीसरे पीरियड में पीयान ने आकर कहा – अंकुश शर्मा..! आपको प्रिन्सिपल साब बुला रहे हैं..

मे जब उनके ऑफीस में पहुँचा.. ! देखा कि उनके सामने एक अधेड़ व्यक्ति मध्यम हाइट.. गोरा लाल चेहरा.. जिसपर बड़ी-2 ठाकुरयती मुन्छे फक्क सफेद कुर्ता और धोती.. ऊपर से एक नेहरू कट जकेट पहने बैठे हुए थे.

मेने ऑफीस के गेट से ही अंदर जाने की पर्मिशन ली … प्रिन्सिपल साब मुझे देखते ही बोले –

आओ अंकुश.. हम तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहे थे… इनसे मिलो.. ठाकुर सुर्य प्रताप सिंग.. यहाँ के ज़मींदार… साब..

और ठाकुर साब यही है.. अंकुश.. बहुत ही नेक और मेहनती लड़का है.. अपनी पढ़ाई के अलावा वाकी से इसको कोई मतलव नही… सभी स्टूडेंट्स इसे बहुत मानते हैं..

मेने उनको नमस्ते किया.. तो उन्होने अपनी बगल वाली कुर्सी पर बैठने के लिए कहा…

मेने कहा – मे ऐसे ठीक हूँ.. ठाकुर साब.. फिर उन्होने बात शुरू की…

बेटे तुम *** गाँव के मास्टर सुंदर लाल शर्मा के बेटे हो ना.. ?
मेने कहा – जी..

वो बोले – बड़े ही भले आदमी हैं मास्टर जी, मेरे ख्याल से सबसे ज़्यादा पढ़ा लिखा परिवार है तुम्हारा… एक भाई प्रोफेसर है,.. और दूसरा भाई एसपी है..

मे सही कह रहा हूँ ना..

तो मेने कहा जी बिल्कुल…

और एसपी साब की शादी अपने एमएलए की बेटी से हुई है.. है ना.. !

देखो बेटे… मे यहाँ अपनी बेटी और लड़के की हरकतों के लिए तुम्हारे पिताजी से माफी माँगने जाने वाला था.. फिर सोचा उससे पहले तुम से मिल लूँ..!

बेटा ! मेरे बच्चों से अंजाने में जो ग़लती हुई है… उसे तो मे सुधार नही सकता.. लेकिन आगे के लिए विश्वास दिलाता हूँ कि ऐसा फिर कभी नही होगा..

मे – मुझे आपकी बात पर भरोसा है ठाकुर साब…!

वो – अब मे तुम्हारे पिताजी के पास जा रहा हूँ… क्या तुम मेरे साथ चलना चाहोगे..?

मे – बिल्कुल चलिए.. मेरे घर पर आपका स्वागत है… ये कह कर वो उठ गये.. और प्रिन्सिपल साब को नमस्ते बोल कर हम बाहर आ गये…
वो अपनी गाड़ी में थे… मे आगे-2 अपनी बुलेट पर आ रहा था, हम घर की तरफ चल दिए…….
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