लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
भाभी की कमर बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी, मेरे लंड को अपनी चूत के होंठों पर फील कर के उन्होने मेरे होंठों को चब-चबा दिया…
वो मेरे ऊपर किसी भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी थी…, लंड की हालत बहुत ही खराब होती जा रही थी, मुझे लगने लगा कि अब सिबाय पानी छोड़ने के और कोई चारा नही बचा है..
उधर भाभी भी अपने होसो-हवास खो चुकी थी, वो बुरी तरह कमर मटका-मटका कर मेरे लौडे को अपनी चूत की फांकों पर घिस रही थी…
एका एक हम दोनो के शरीर अकड़ने लगे, मेने उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसकर उनकी गान्ड को अपने लंड पर दबा दिया…
इसी के साथ मेरे लंड ने और भाभी की चूत ने एक साथ अपना अपना पानी छोड़ दिया…
वो मेरे गले में बाहें डाले लटक गयी, मुन्डी अपने आप पीछे को लटक गयी…, उनके आमों ने मेरे मुँह को दबा रखा था…
कुछ देर वो ऐसे ही बैठी रही..
फिर जब सब कुछ शांत हो गया तो वो अपनी नज़रें झुकाए नीचे उतर गयी..
और पिच्छली सीट पर जाकर अपने कपड़े चेंज करने लगी, में अपनी टंकी खाली करने झाड़ियों की तरफ चला गया……..!
झाड़ियों के पीछे जाकर मेने पाजामा की जेब से रुमाल निकाला, और अपने लंड और अंडरवेर को उससे पोंच्छ कर सॉफ किया…,
वरना धीरे-2 उसका गीलापन पाजामे के ऊपर से भी दिखने लगता..
रास्ते में हम दोनो के बीच गेहन चुप्पी छाइ रही…
कहीं ना कहीं वो अपने मन में गिल्टी फील कर रही थी…
कुछ देर की चुप्पी के बाद वो बोली – देवर जी सॉरी फॉर दट..! प्लीज़ आप मुझे ग़लत मत समझना… दरअसल मे अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाई…
मे – इट्स ओके भाभी… हम दोनो ही जवान हैं.. अब इतने नज़दीक रह कर ये सब तो हो ही जाता है… प्लीज़ इसके लिए आपको सॉरी कहने की ज़रूरत नही है…
वो कुछ देर चुप रही, फिर बोली – तो क्या मे ये समझू.. कि आज जो कुछ हम दोनो के बीच हुआ… उसे और आगे बढ़ाना चाहिए…..?
मेने उनकी तरफ देखा, वो मुझे ही देख रही थी…फिर मेने अपनी नज़रें सामने कर ली और रास्ते पर ध्यान केंद्रित कर के बोला – मेरे ख्याल से ये सब अब और नही होना चाहिए...., ये ठीक नही होगा…
वो – किस आंगल से ठीक नही होगा…? लाइफ में थोड़ा एंजाय्मेंट मिलता है.. तो उसमें बुराई क्या है..? और ये हम दोनो की ज़रूरत भी है…!
मे – ये भैया के साथ धोखा नही होगा…?
वो – तो आप क्या समझते हो, कि आपके भैया ये सब नही करते होंगे..? ओह्ह.. कामन डार्लिंग… ऐसा कों है इस दुनिया में जो इससे अछुता हो…?
मेने मन ही मन सोचा, कि बात तो आपकी सही है… अब मुझे ही ले लो.., हर रोज़ गिनती बढ़ती जा रही है,
यहाँ तक कि बाबूजी भी नही रह पा रहे हैं इसके बिना… फिर भी मेने प्रत्यच्छ में कहा…
लेकिन मे उनके साथ धोका नही कर सकता…, प्लीज़ भाभी आप मेरी मजबूरी समझने की कोशिश कीजिए…!
वो कशमासाते हुए बोली – धोका तो तब होगा ना, जब ये बात उनको पता चलेंगी, अब ये शरीर की ज़रूरतें तो पूरी करनी ही होगी ना…!
मेने उन्हें काफ़ी समझाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्होने कोई ना कोई लॉजिक देकर मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर दिया.. और आख़िर में मुझे कहना ही पड़ा…
जैसा आप ठीक समझो भाभी… अब में आपको क्या कह सकता हूँ… मेरे से ज़्यादा तो आपने दुनियादारी देखी है…
वो – तो फिर आज रात को मेरे कमरे में आजना प्लीज़, मे आपका इंतेज़ार करूँगी !
उनकी इस बात का मेने कोई जबाब नही दिया.., इतने में घर आ गया.. और हम गाड़ी खड़ी कर के घर के अंदर चले गये…!
घर मे घुसते ही दो खबरें एक साथ सुनने को मिली..
एक – मोहिनी भाभी के भाई राजेश की शादी तय हो गयी थी, जिसकी डेट भी नज़दीक थी.. और भाभी को अभी बुलाया गया था…
चूँकि उनके यहाँ कोई और नही था उन्हें ले जाने के लिए.. तो हमें ही छोड़ कर आना था उनको… वो भी दो दिन बाद ही, 15 दिन बाद शादी थी…
दूसरा- मनझले भैया आज आने वाले हैं, .. उनका फोन आ गया था.. वैसे तो वो कामिनी भाभी को ले जाने के लिए आ रहे थे,
ये खबर कामिनी भाभी को कुछ नागवार गुज़री…, उनके चेहरे को देखकर लग रहा था, मानो गरम चूत पर ठंडा पानी डाल दिया हो…
लेकिन चूँकि बड़ी भाभी अपने घर जाने वाली हैं.. तो शायद अगर वो मान गये तो उन्हें कुछ दिनो के लिए और यहाँ रुकना पड़ सकता है…
भैया देर रात घर पहुँचे.. तो आपस में कोई बात नही हो पाई…!
रात को में मोहिनी भाभी के पास बैठने चला गया, क्योंकि अब वो कुछ दिनो मुझसे दूर रहने वाली थी,
मे रूचि को गोद में लिए उनके बगल में बैठा था, कि तभी भाभी ने पुच्छ लिया…!
लल्ला, गाड़ी अच्छे से चलाना आ गया तुम्हें, या और सीखना वाकी है..
मे – चलाना तो सीख गया हूँ भाभी, अब तो बस जैसे-जैसे प्रॅक्टीस होगी, हाथ साफ होता रहेगा..
वो – वैसे आज जब तुम लौटे थे, तो तुम्हारे हॉ-भाव कुछ अजीब से थे, कुछ हुआ था क्या..?
मे – नही तो ऐसा तो कुछ नही हुआ, आपको ऐसा कैसे लगा…?
वो – नही वो, तुम्हारी आँखें कुछ चढ़ि हुई थी, शरीर भी कुछ कांप-कंपा रहा था…, सच बताना कुछ तो हुआ है..
वो मेरे ऊपर किसी भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी थी…, लंड की हालत बहुत ही खराब होती जा रही थी, मुझे लगने लगा कि अब सिबाय पानी छोड़ने के और कोई चारा नही बचा है..
उधर भाभी भी अपने होसो-हवास खो चुकी थी, वो बुरी तरह कमर मटका-मटका कर मेरे लौडे को अपनी चूत की फांकों पर घिस रही थी…
एका एक हम दोनो के शरीर अकड़ने लगे, मेने उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसकर उनकी गान्ड को अपने लंड पर दबा दिया…
इसी के साथ मेरे लंड ने और भाभी की चूत ने एक साथ अपना अपना पानी छोड़ दिया…
वो मेरे गले में बाहें डाले लटक गयी, मुन्डी अपने आप पीछे को लटक गयी…, उनके आमों ने मेरे मुँह को दबा रखा था…
कुछ देर वो ऐसे ही बैठी रही..
फिर जब सब कुछ शांत हो गया तो वो अपनी नज़रें झुकाए नीचे उतर गयी..
और पिच्छली सीट पर जाकर अपने कपड़े चेंज करने लगी, में अपनी टंकी खाली करने झाड़ियों की तरफ चला गया……..!
झाड़ियों के पीछे जाकर मेने पाजामा की जेब से रुमाल निकाला, और अपने लंड और अंडरवेर को उससे पोंच्छ कर सॉफ किया…,
वरना धीरे-2 उसका गीलापन पाजामे के ऊपर से भी दिखने लगता..
रास्ते में हम दोनो के बीच गेहन चुप्पी छाइ रही…
कहीं ना कहीं वो अपने मन में गिल्टी फील कर रही थी…
कुछ देर की चुप्पी के बाद वो बोली – देवर जी सॉरी फॉर दट..! प्लीज़ आप मुझे ग़लत मत समझना… दरअसल मे अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाई…
मे – इट्स ओके भाभी… हम दोनो ही जवान हैं.. अब इतने नज़दीक रह कर ये सब तो हो ही जाता है… प्लीज़ इसके लिए आपको सॉरी कहने की ज़रूरत नही है…
वो कुछ देर चुप रही, फिर बोली – तो क्या मे ये समझू.. कि आज जो कुछ हम दोनो के बीच हुआ… उसे और आगे बढ़ाना चाहिए…..?
मेने उनकी तरफ देखा, वो मुझे ही देख रही थी…फिर मेने अपनी नज़रें सामने कर ली और रास्ते पर ध्यान केंद्रित कर के बोला – मेरे ख्याल से ये सब अब और नही होना चाहिए...., ये ठीक नही होगा…
वो – किस आंगल से ठीक नही होगा…? लाइफ में थोड़ा एंजाय्मेंट मिलता है.. तो उसमें बुराई क्या है..? और ये हम दोनो की ज़रूरत भी है…!
मे – ये भैया के साथ धोखा नही होगा…?
वो – तो आप क्या समझते हो, कि आपके भैया ये सब नही करते होंगे..? ओह्ह.. कामन डार्लिंग… ऐसा कों है इस दुनिया में जो इससे अछुता हो…?
मेने मन ही मन सोचा, कि बात तो आपकी सही है… अब मुझे ही ले लो.., हर रोज़ गिनती बढ़ती जा रही है,
यहाँ तक कि बाबूजी भी नही रह पा रहे हैं इसके बिना… फिर भी मेने प्रत्यच्छ में कहा…
लेकिन मे उनके साथ धोका नही कर सकता…, प्लीज़ भाभी आप मेरी मजबूरी समझने की कोशिश कीजिए…!
वो कशमासाते हुए बोली – धोका तो तब होगा ना, जब ये बात उनको पता चलेंगी, अब ये शरीर की ज़रूरतें तो पूरी करनी ही होगी ना…!
मेने उन्हें काफ़ी समझाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्होने कोई ना कोई लॉजिक देकर मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर दिया.. और आख़िर में मुझे कहना ही पड़ा…
जैसा आप ठीक समझो भाभी… अब में आपको क्या कह सकता हूँ… मेरे से ज़्यादा तो आपने दुनियादारी देखी है…
वो – तो फिर आज रात को मेरे कमरे में आजना प्लीज़, मे आपका इंतेज़ार करूँगी !
उनकी इस बात का मेने कोई जबाब नही दिया.., इतने में घर आ गया.. और हम गाड़ी खड़ी कर के घर के अंदर चले गये…!
घर मे घुसते ही दो खबरें एक साथ सुनने को मिली..
एक – मोहिनी भाभी के भाई राजेश की शादी तय हो गयी थी, जिसकी डेट भी नज़दीक थी.. और भाभी को अभी बुलाया गया था…
चूँकि उनके यहाँ कोई और नही था उन्हें ले जाने के लिए.. तो हमें ही छोड़ कर आना था उनको… वो भी दो दिन बाद ही, 15 दिन बाद शादी थी…
दूसरा- मनझले भैया आज आने वाले हैं, .. उनका फोन आ गया था.. वैसे तो वो कामिनी भाभी को ले जाने के लिए आ रहे थे,
ये खबर कामिनी भाभी को कुछ नागवार गुज़री…, उनके चेहरे को देखकर लग रहा था, मानो गरम चूत पर ठंडा पानी डाल दिया हो…
लेकिन चूँकि बड़ी भाभी अपने घर जाने वाली हैं.. तो शायद अगर वो मान गये तो उन्हें कुछ दिनो के लिए और यहाँ रुकना पड़ सकता है…
भैया देर रात घर पहुँचे.. तो आपस में कोई बात नही हो पाई…!
रात को में मोहिनी भाभी के पास बैठने चला गया, क्योंकि अब वो कुछ दिनो मुझसे दूर रहने वाली थी,
मे रूचि को गोद में लिए उनके बगल में बैठा था, कि तभी भाभी ने पुच्छ लिया…!
लल्ला, गाड़ी अच्छे से चलाना आ गया तुम्हें, या और सीखना वाकी है..
मे – चलाना तो सीख गया हूँ भाभी, अब तो बस जैसे-जैसे प्रॅक्टीस होगी, हाथ साफ होता रहेगा..
वो – वैसे आज जब तुम लौटे थे, तो तुम्हारे हॉ-भाव कुछ अजीब से थे, कुछ हुआ था क्या..?
मे – नही तो ऐसा तो कुछ नही हुआ, आपको ऐसा कैसे लगा…?
वो – नही वो, तुम्हारी आँखें कुछ चढ़ि हुई थी, शरीर भी कुछ कांप-कंपा रहा था…, सच बताना कुछ तो हुआ है..
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
मेने मान में सोचा – भाभी आप क्यों इतनी तेज हो, कुछ भी परदा नही रहने दोगि…,
जब कुछ देर मेने कोई जबाब नही दिया, तो उन्होने फिर पूछा – बोलो ना क्या हुआ था..?
मेने हिचकते हुए आज की घटना उन्हें सुना दी, कुछ देर तो वो मौन रहकर मन ही मन मुस्करती रही, फिर बोली –
जिसका मुझे अंदेसा था वही हुआ, खैर छोड़ो ये सब, ये बताओ अब आगे क्या सोचा है..?
मे – किस बारे में…?
वो – अरे कामिनी के बारे में, मेरे पीछे अगर उसने फिरसे पहल की तो…
मे – कोशिश करूँगा, उनसे दूर ही रहूं…, फिर भी बात ना बनी तो साफ-साफ मना कर दूँगा…
वो – भूल से भी ये ग़लती मत करना, एक बार उसे समझाने की कोशिश भर ज़रूर करना, अगर नही माने तो फिर हालत से समझौता कर लेना,
क्योंकि ये ऐसे मामले होते हैं, जिन्हें तूल पकड़ते देर नही लगती…, अपनी बात मनमाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है..
बातों के दौरान रूचि मेरी गोद में ही सो गयी, तो उसे भाभी ने मेरी गोद से लेकर बेड के एक सिरे पर सुला दिया, और फिर वो मुझसे सॅटकर बैठ गयी..
उन्होने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा – मे इतने दिन तुमसे दूर रहूंगी, याद करोगे ना मुझे… या नयी भाभी की मस्ती में भूल जाओगे..?
भाभी सोने से पहले मात्र एक गाउन ही पहनती थी, सो मेने उनके गाउन की डोरी खींच कर आगे से उनके बदन को उजागर कर दिया…
उनके भरे-भरे आमों को प्यार से सहलाया, और होंठों का चुंबन लेकर कहा – ये तो मरते दम तक भी नही हो पाएगा भाभी मुझसे, की मे आपको भूल जाउ..!
मौत आने के बाद ही आप मेरे दिल से निकल पाओगि…!
मेरी बात सुनते ही भाभी ने मुझे अपने अंक से लिपटा लिया, और फिर आँखों में आँसू भरकर भर्राए गले से बोली –
भूल कर भी ऐसे शब्द मत निकालना अपने मुँह से, वरना मे तुमसे कभी बात नही करूँगी,,, समझे.
मे भी किसी बच्चे की तरह उनसे लिपट गया…, भाभी आगे बोली –
लेकिन समय के साथ ये प्यार बाँटना तो पड़ेगा ही तुम्हें, जब निशा व्याह कर इस घर में आ जाएगी…
मे – वो तो मे अभी भी उससे करता ही हूँ, आगे भी करता रहूँगा, लेकिन जो प्यार आपके लिए है, उसमें कभी कमी नही आएगी.. इतना कह कर मेने भाभी को अपने चौड़े सीने से सटकर उनके होंठों को चूम लिया…
भाभी ने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा – लल्ला जी आज मुझे तुम्हारा इतना प्यार चाहिए की आनेवाले 15-20 दिन तक मुझे तुम्हारी तलब महसूस ना हो..,
मेने मुस्कराते हुए भाभी की चुचियों को मसल कर कहा – जो हुकुम मेरे आका, इतना कहकर उन्हें निवस्त्र कर के, बेड पर लिटा दिया…और उनके नाज़ुक अंगों से खेलने लगा…..
भाभी ने भी, पूरी सिद्दत से अपने बदन को मेरे सुपुर्द कर दिया, बेड पड़ी वो मेरी हरकतों से बिन जल मछलि की तरह मचल रही थी.…
एक समय था, जब मे भाभी के इशारों पर नाचता था, लेकिन आज वो मेरे हाथों के इशारों पर इस तरह मचल रही थी, जैसे उनके बदन का रिमोट मेरे हाथों में हो…
कुछ ही पलों में कमरे का वातावरण वसनामय हो गया…मादकता से भरी आहों, करहों के बीच तूफान आए, चले गये, फिर आए फिर चले गये….
भाभी अब पूरी तरह तृप्त हो चुकी थी, फिर उन्होने मुझे बड़े प्यार से मेरे माथे को चूमकर कोई 3 बजे अपने कमरे में सोने के लिए भेज दिया..
सुबह जब सबने मिलकर नाश्ता किया, उस समय बाबूजी ने भैया से बात चलाई…
बाबूजी – और कृष्णा बेटा, कैसी चल रही है तुम्हारी ड्यूटी…?
भैया – वैसे तो ठीक है बाबूजी, ड्यूटी की कोई प्राब्लम नही है, लेकिन घर में खाने पीने का सब कुछ गड़बड़ रहता है,
सब कुछ नौकरों के सहारे नही हो पता है, तो मे सोच रहा था, कि कामिनी को भी अपने साथ ले जाता हूँ…
बाबूजी – हमें तो कोई दिक्कत नही है, बस एक छोटी सी समस्या है, बड़ी बहू के भाई की शादी है, कल वो अपने घर जाने वाली है, तो तब तक के लिए कामिनी बहू यहाँ बनी रहती तो कुछ सहारा रहता इन बच्चों को…
रामा बिटिया अभी इतनी परिपक्व नही है, जो अकेले घर संभाल ले…
जब कुछ देर मेने कोई जबाब नही दिया, तो उन्होने फिर पूछा – बोलो ना क्या हुआ था..?
मेने हिचकते हुए आज की घटना उन्हें सुना दी, कुछ देर तो वो मौन रहकर मन ही मन मुस्करती रही, फिर बोली –
जिसका मुझे अंदेसा था वही हुआ, खैर छोड़ो ये सब, ये बताओ अब आगे क्या सोचा है..?
मे – किस बारे में…?
वो – अरे कामिनी के बारे में, मेरे पीछे अगर उसने फिरसे पहल की तो…
मे – कोशिश करूँगा, उनसे दूर ही रहूं…, फिर भी बात ना बनी तो साफ-साफ मना कर दूँगा…
वो – भूल से भी ये ग़लती मत करना, एक बार उसे समझाने की कोशिश भर ज़रूर करना, अगर नही माने तो फिर हालत से समझौता कर लेना,
क्योंकि ये ऐसे मामले होते हैं, जिन्हें तूल पकड़ते देर नही लगती…, अपनी बात मनमाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है..
बातों के दौरान रूचि मेरी गोद में ही सो गयी, तो उसे भाभी ने मेरी गोद से लेकर बेड के एक सिरे पर सुला दिया, और फिर वो मुझसे सॅटकर बैठ गयी..
उन्होने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा – मे इतने दिन तुमसे दूर रहूंगी, याद करोगे ना मुझे… या नयी भाभी की मस्ती में भूल जाओगे..?
भाभी सोने से पहले मात्र एक गाउन ही पहनती थी, सो मेने उनके गाउन की डोरी खींच कर आगे से उनके बदन को उजागर कर दिया…
उनके भरे-भरे आमों को प्यार से सहलाया, और होंठों का चुंबन लेकर कहा – ये तो मरते दम तक भी नही हो पाएगा भाभी मुझसे, की मे आपको भूल जाउ..!
मौत आने के बाद ही आप मेरे दिल से निकल पाओगि…!
मेरी बात सुनते ही भाभी ने मुझे अपने अंक से लिपटा लिया, और फिर आँखों में आँसू भरकर भर्राए गले से बोली –
भूल कर भी ऐसे शब्द मत निकालना अपने मुँह से, वरना मे तुमसे कभी बात नही करूँगी,,, समझे.
मे भी किसी बच्चे की तरह उनसे लिपट गया…, भाभी आगे बोली –
लेकिन समय के साथ ये प्यार बाँटना तो पड़ेगा ही तुम्हें, जब निशा व्याह कर इस घर में आ जाएगी…
मे – वो तो मे अभी भी उससे करता ही हूँ, आगे भी करता रहूँगा, लेकिन जो प्यार आपके लिए है, उसमें कभी कमी नही आएगी.. इतना कह कर मेने भाभी को अपने चौड़े सीने से सटकर उनके होंठों को चूम लिया…
भाभी ने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा – लल्ला जी आज मुझे तुम्हारा इतना प्यार चाहिए की आनेवाले 15-20 दिन तक मुझे तुम्हारी तलब महसूस ना हो..,
मेने मुस्कराते हुए भाभी की चुचियों को मसल कर कहा – जो हुकुम मेरे आका, इतना कहकर उन्हें निवस्त्र कर के, बेड पर लिटा दिया…और उनके नाज़ुक अंगों से खेलने लगा…..
भाभी ने भी, पूरी सिद्दत से अपने बदन को मेरे सुपुर्द कर दिया, बेड पड़ी वो मेरी हरकतों से बिन जल मछलि की तरह मचल रही थी.…
एक समय था, जब मे भाभी के इशारों पर नाचता था, लेकिन आज वो मेरे हाथों के इशारों पर इस तरह मचल रही थी, जैसे उनके बदन का रिमोट मेरे हाथों में हो…
कुछ ही पलों में कमरे का वातावरण वसनामय हो गया…मादकता से भरी आहों, करहों के बीच तूफान आए, चले गये, फिर आए फिर चले गये….
भाभी अब पूरी तरह तृप्त हो चुकी थी, फिर उन्होने मुझे बड़े प्यार से मेरे माथे को चूमकर कोई 3 बजे अपने कमरे में सोने के लिए भेज दिया..
सुबह जब सबने मिलकर नाश्ता किया, उस समय बाबूजी ने भैया से बात चलाई…
बाबूजी – और कृष्णा बेटा, कैसी चल रही है तुम्हारी ड्यूटी…?
भैया – वैसे तो ठीक है बाबूजी, ड्यूटी की कोई प्राब्लम नही है, लेकिन घर में खाने पीने का सब कुछ गड़बड़ रहता है,
सब कुछ नौकरों के सहारे नही हो पता है, तो मे सोच रहा था, कि कामिनी को भी अपने साथ ले जाता हूँ…
बाबूजी – हमें तो कोई दिक्कत नही है, बस एक छोटी सी समस्या है, बड़ी बहू के भाई की शादी है, कल वो अपने घर जाने वाली है, तो तब तक के लिए कामिनी बहू यहाँ बनी रहती तो कुछ सहारा रहता इन बच्चों को…
रामा बिटिया अभी इतनी परिपक्व नही है, जो अकेले घर संभाल ले…
- Smoothdad
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
अगली कड़ी के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा में . . .
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
thodi hi der me