मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete

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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

Smoothdad wrote: 30 Nov 2017 14:43 शानदार अपडेट।
जारी रखे, आगे की प्रतीक्षा में
xyz wrote: 30 Nov 2017 18:17nice update
धन्यवाद दोस्तो
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

नुसरत को मेरे पास बैठे हुए थोड़ी देर हो गई मगर उस ने मुझ से कोई बात नही की. लेकिन उस के अंदाज़ से पता चल रहा था कि वो मुझ से कोई बात करना चाहती है मगर कर नही पा रही.

“नुसरत लगता है तुम किसी गहरी सोच में हो,मुझे बताओ क्या बात है” मुझ से जब रहा ना गया तो मैने आख़िर कार उस से पूछ ही लिया.

नुसरत: रुखसाना में तुम से ये पता करना चाहती हूँ कि एक रात अपने भाई सुल्तान के साथ गुज़ारने के बाद क्या तुम प्रेग्नेंट हुई हो या नही?”

में:नहीं अभी तक चेक नही करवाया और ना ही मेरे अभी पीरियड्स आए हैं, वैसे तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो नुसरत”

“वो असल मेन्ंणणन्” नुसरत कुछ कहते कहते खामोश हो गई.

में: वो क्या नुसरत?

नुसरत: वैसे तो मुझे पता है कि मेरे शोहर सुल्तान का “वीर्य” बहुत ताकतवर है और अक्सर एक दफ़ा में अपना काम दिखा देता है मगर्र्रर”

में: मगर क्या, नुसरत मुझे पहेलियाँ मत बुझाओ और खुल कर बात करो”

“वो में कहना ये चाह रही थी कि अगले दो तीन दिन बाद हमारे अम्मी अब्बू घर वापिस आ जाएँगे. और जैसा कि तुम जानती हो कि आज भी हमारे शोहर पी कर ही घर आएँगे तो अगर तुम चाहो तो एक रात दुबारा अपने भाई के साथ गुज़ार लो ताकि बच्चा होने में किसी किसम की कसर ना रहे” नुसरत ने झिझकते हुए धीमी आवाज़ में मुझे कहा.

“क्याआआआआआ” आज हेरान होने की शायद बारी मेरी थी.

नुसरत खामोश रही और उस ने मेरे “क्या” का कोई जवाब नही दिया. मुझे नुसरत की कुछ वक़्त पहले की कही हुई बात याद आ गई.

जब उस ने मुझ बताया था. कि उसे अपने शोहर सुल्तान के साथ कॉंडम लगे लंड की चुदाई का मज़ा नही आता. वो कॉंडम के बगैर चुदाई का मज़ा लेना चाहती है मगर मज़ीद बच्चे पैदा करने का ख़ौफ़ से ऐसा करने से महरूम है.

में समझ गई कि नुसरत को अपने भाई से एक दफ़ा चुदवा कर उस के लंड का चस्का लग गया है.

चस्का चस्का लगा है चस्का
बुरा है चस्का............................

क्यों कि गुल नवाज़ के साथ चुदाई में बच्चा होने का कोई डर ख़तरा नही था. इस लिए वो कॉंडम बगैर अपने भाई से दिल भर कर अपनी फुद्दी मरवा सकती थी.

“पिछली दफ़ा तो जल्दी सो जाने की वजह से गुल नवाज़ ने तुम्हे “तंग” नही किया मगर इस दफ़ा वो कुछ कर बैठा तो” मैने नुसरत को टटोलने के अंदाज़ में पूछा.

“तुम इस बात की फिकर मत करो में ऐसा कुछ नही होने दूँगी” नुसरत ने फॉरन जवाब दिया.

उस की अपने भाई से दुबारा चुदवाने की बेताबी को देख कर मेरे होंठों पर एक शैतानी मुस्कुराहट दौड़ गई.

मेरा दिल तो चाहा कि में नुसरत को बता ही दूं. कि में उस की और उस के भाई गुल नवाज़ की बाथरूम में होने वाली चुदाई को अपनी आँखों से देख चुकी हूँ. मगर फिर कुछ सोच कर खामोश हो गई.

“अगर तुम चाहती हो तो में एक रात और अपने भाई सुल्तान के साथ हम बिस्तरी कर लेती हूँ, लेकिन याद रखना कि अगर कुछ गड़बड हो गई तो सुल्तान और गुल नवाज़ हमें क़तल कर देंगे” मैने नुसरत को कहा.

ये हक़ीकत थी कि पकड़े जाने के ख़ौफ़ से इस दफ़ा नुसरत घबराई हुई थी.

“कुछ नही हो गा तुम फिकर मत करो” नुसरत ने मेरी रज़ा मंदी देख कर खुशी से मुझे तसल्ली देते हुए जवाब दिया.

फिर पहली रात की तरह हम दोनो एक दूसरे के कमरे में जा कर अंधेरे में बिस्तर पर लेट गईं.

मैने बिस्तर पर लेटने से पहले ही अपने कपड़े उतार दिए ताकि सुल्तान भाई बिस्तर पर आते साथ ही मुझ पर चढ़ दौड़े.

कुछ टाइम बाद सुल्तान भाई कमरे में दाखिल हुआ और आ कर मेरे साथ पलंग पर लेट गया.

में इस इंतिज़ार में थी कि कब मेरा भाई मुझे अपनी बाहों में ले कर अपना लंड मेरी फुद्दी में डाल दे.

मगर सुल्तान भाई के अंदाज़ से महसूस हो रहा था.कि वो आज फुद्दी मारने के मूड में नही था.

इस लिए वो मेरे साथ लिपटने की बजाय बिस्तर की दूसरी तरफ करवट बदल कर सोने की कॉसिश करने लगा.

भाई का ये रवईया देख कर मेरे अरमानो पर तो जैसे ओस पड़ने लगी.

मुझे लगने लगा कि आज मेरी पानी छोड़ती चूत को अपने भाई का लंड शायद नसीब ना हो.

अब सबर करने के अलावा क्या हो सकता था. इस लिए में भी अपनी फुद्दी को तसल्ली देती हुई अपनी आँखे बंद कर के सोने की तैयारी करने लगी.

अभी मेरी आँख पूरी तरह लगी भी नही थी. कि साथ वाले कमरे में से आती हुई हल्की सी सिसकियों और पलंग की थॅप थॅप के साथ दीवार से टकराने की आवाज़ ने एक दम मेरी आँख खोल दी.

ये आवाज़े सुन कर में फॉरन समझ गई कि दूसरे कमरे में मेरा शोहर गुल नवाज़ अपनी बहन नुसरत की फुद्दी पूरे ज़ोरो शॉरो से मारने में मशगूल है.

अभी में इन आवाज़ो को सुन कर मज़ीद गरम होना शुरू हुई थी. कि मेरे पीछे से मेरे भाई ने करवट बदल कर मेरे नंगे बदन को अपनी बाहों में भर लिया और बोला” अगर तुम्हारा भाई मेरी बहन को सोने नही दे रहा तो में क्यों उस की बहन को सकून से सोने दूं”

ज्यूँ ही सुल्तान भाई के हाथ मेरे नंगे बदन से टकराए वो अंधेरे ही में हैरान होते हुए बोला” ओह हो बहन तो बहन आज तो मेरी बेगम चुदवाने के लिए पहले से ही तैयारी कर के बैठी हुई है”

साथ ही भाई के अपने कपड़े उतारने की आवाज़ मेरे कान में पड़ी और कुछ देर बाद सुल्तान भाई मेरी टाँगें उठा कर साथ वाले कमरे से आती आवाज़ के साथ तान से तान मिला कर मुझे चोदने में मसरूफ़ हो गया.

उस रात भी मेरे भाई ने मुझ मुक्तिलफ स्टाइल में भरपूर तरीके से चोद चोद कर मेरी प्यासी चूत को अपने लंड के पानी से सराब किया और मेरी बच्चे दानी में अपना बीज बो दिया.

दूसरी सुबह फिर उसी तरह में और नुसरत अज़ान के वक़्त वापिस अपने अपने कमरों में चली आईं.

सुबह में देर तक सोती रही और जब सो कर उठी तो दोपहर का वक़्त हो रहा था.

मैने बिस्तर से उठते वक़्त अपने बालों की क्लिप को तलाश करने के लिए तकिये के नीचे हाथ मारा तो क्लिप के साथ साथ सुतलान भाई की दी हुई पायल भी मेरे हाथ लग गई. जो कि में नुसरत को देना भूल गई थी.

मैने सोचा कि में पायल को दुबारा तकिये के नीचे रखने की बजाय क्यों ना इस को पहन लूँ. और जब नुसरत मुझे मिले गी तो उस को उतार कर दे दूँगी.

ये ही सोच कर मैने वो पायल अपने पावं में बाँध ली और फिर अपने बलों में क्लिप लगाती कमरे से बाहर चली आई.

मैने कमरे से बाहर निकल कर देखा तो घर में कोई भी नही था.

गुल नवाज़ और सुल्तान भाई के बारे में तो मुझे यकीन था कि वो डेरे पर चले गये होंगे.

जब कि नुसरत के बारे में मुझे शक था कि वो भी शायद गुल नवाज़ और सुल्तान को लस्सी पानी देने के लिए डेरे पर गई हो गी.

मुझे भूक बहुत लगी हुई थी. इस लिए मैने नहाने से पहले चाय के साथ रस ली और फिर नहाने के लिए बाथरूम में जा घुसी.

नहाने के बाद मैने अपने जिस्म को पूरा खुसक भी ना किया और थोड़े गीले बदन पर ही अपने कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर निकल आई.

जब में बाथरूम से बाहर निकली तो उस वक़्त मेरी कमीज़ मेरे गीले बदन से चिपके होने की वजह से मेरे गुदाज मम्मे मेरी कमीज़ में से बहुत ज़्यादा नज़र आ रहे थे.

जब कि बाथरूम के फर्श पर पानी पर खड़ा होने की वजह से मैने अपनी शलवार को थोड़ा उँचा कर के बाँधा हुआ था. जिस वजह से मेरी टाँगों की पिंदलियां और टखने नंगे हो रहे थे.

में अपने पावं में पड़ी पायल को” छन छन” की आवाज़ में छनकाती ज्यूँ ही बाहर निकली तो मेरी नज़र बाहर खड़े अपने भाई सुल्तान पर पड़ी.

सुल्तान एक बुत की तरह मेरे सामने जमा खड़ा था और एक हेरतजदा चेहरे के साथ उस की नज़रे मेरे पावं में पहनी हुई पायल पर जमी थीं.

सुल्तान भाई की नज़र अपने पावं में पड़ी पायल की तरफ़ जमी देख कर मेरे चेहरे का रंग ही उड़ गया.

अब हालत ये थी कि हम दोनो बहन भाई एक दूसरे के सामने दम ब खुद खड़े थे.

और सुल्तान भाई की नज़रे तेज़ी के साथ मेरे पावं से ले कर चेहरे तक जा कर मेरे पूरे जिस्म का मुयाइना कर रही थीं.

“ये”झांझर” (पायल) तुम्हारे पास कैसे आई” सुल्तान भाई ने सख़्त लहजे में मुझ से सवाल किया.

“ वो भाईईइ वूऊ” मैने हकलाते हुए जवाब दिया.

सही बात ये थी कि भाई के सवाल का मुझ से कोई जवाब नही बन पा रहा था.

मुझे यूँ हकलाते देख कर सुल्तान भाई जैसे सारा मामला बिना बताए ही समझ गये थे.

कि रात के अंधेरे में जिसे उस ने अपनी बीवी समझ कर तोहफे में पायल पहनाई थी. और फिर दिल भर कर उस की फुद्दी से लुफ्त अंदोज़ हुआ था .वो उस की बीवी नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बहन निकली.

और शायद ये ही बात सोच सोच कर सुल्तान भाई का चेहरा गुस्से से लाल पीला हो रहा था.

इधर मेरी ये हालत थी. कि अपनी चोरी इस तरह पकड़े जाने पर में एक ज़िंदा लाश की तरह अपने भाई के सामने खड़ी थी.

और में ये सोच रही थी. कि काश मेरे पावं के नीचे से ज़मीन फट जाय और में उस में ज़िंदा दफ़न हो जाऊ.

इस से पहले कि सुल्तान भाई मज़ीद कुछ कहता या पूछता. मैने हिम्मत कर के अपने आप को संभाला और अपनी आधी नंगी होती हुई छातियों को अपने दुपट्टे से छुपाती अपने कमारे की तरफ भाग निकली.

कमरे में दाखिल हो कर मैने अपना दरवाज़ा बंद करने की कोशिस की मगर सुल्तान भाई ने बाहर से एक ज़ोरदार धक्का मार कर कमरे के दरवाज़े को खोल दिया.

में भाई के गुस्से से डर कर अपने बिस्तर पर जा बैठी और भाई से नज़रें चुरा का थर थर काँपने लगी.
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by pongapandit »

ab kya hoga ......... chori pakadi gai
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by jay »

SUPERB STORY BRO......NICE UPDATE..... NICE GOING BHAI......WAITING FOR NEXT...
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