लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

jay wrote: 03 Dec 2017 18:51 superb.................अगले अपडेट के इंतज़ार में ?
rajaarkey wrote: 04 Dec 2017 12:05 mast.....................
Dolly sharma wrote: 04 Dec 2017 14:45 Superb story
thanks
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

पता नही रात का कॉन्सा प्रहर था, की सोते-सोते मेरी साँसें रुकती सी महसूस होने लगी, सीने में एक गोले सा अटकने लगा, बैचैनि इतनी बढ़ गई…की मे हड़बड़ा कर उठ बैठा…

बॉटल से पानी पिया, लेकिन ज़्यादा राहत नही मिली…तो उठ कर टेंट से बाहर आया, और बाहर आकर टहलने लगा…

चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था, सभी गहरी नींद में डूबे हुए थे… मोबाइल में समय देखा तो 1 बजने को था…

मे थोड़ा टेंट एरिया से निकल कर थोड़ी दूरी पर हरियाली से घिरी एक छोटी सी चट्टान पर आकर बैठ गया…

आसमान में चाँद की रोशनी के बीच तारे टिम-तिमा रहे थे…ठंडी-ठंडी हवा मेरे गालों को सहलकर मेरे बैचैन मन को राहत दे रही थी…

कभी कोई जीव, किसी झाड़ी से निकल कर भागता, तो एक अजीब सा डर का अनुभव भी होता, और मेरे रोंगटे खड़े हो जाते…

इस तन्हाई में घिरे मेरे मन में निशा के साथ बिताए लम्हे याद आते ही मेरे चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान तैर गयी…

मे अपना सर आसमान की तरफ उठाकर चाँद के आस पास के झिलमिलाते तारों में ना जाने क्या तलाश करने लगा…

मे अपने ख्यालों में डूबा हुआ था, कि तभी मुझे अपने पीछे किसी के आने की आहट महसूस हुई, और मेने मुड़कर उधर को देखा…

कुछ दूरी पर मुझे एक मानव आकृति सी दिखाई दी, जो धीरे-2 मेरी तरफ ही बढ़ती चली आ रही थी…..!

चन्द कदमों में वो मेरे इतने पास आ चुकी थी, अब में उसे देख पाने में समर्थ था, और जैसे ही मेने उसे पहचाना…

चोंक कर मे अपनी जगह से खड़ा हो गया और उससे कहा – तुउउंम….इस वक़्त … यहानं..?

ये रागिनी थी, जो अपने शरीर को एक चादर में लपेटे हुए मेरे सामने खड़ी थी, इस समय उसका सिर्फ़ चेहरा ही दिखाई दे रहा था…

मेने उसे देखते ही कहा – रागिनी तुम यहाँ इस वक़्त क्या कर रही हो…?

वो मेरे एकदम पास आकर बोली – यही सवाल में तुमसे करूँ तो…?

वैसे मे टाय्लेट के लिए बाहर निकली थी, तुम्हें अकेले इधर आते देखा तो देखने चली आई, कि यहाँ अकेले क्यों आए हो…?

मे – मन अचानक से बैचैन हो रहा था, तो खुली हवा में चला आया…, तुम जाओ, जाकर सो जाओ, मे थोड़ी देर और बैठकर आता हूँ…!

मेरी बात अनसुनी सी करते हुए वो मेरे पास आई, और हाथ पकड़ कर मुझे उसी पहाड़ी पर बिठाते हुए बोली – आओ थोड़ी देर मे भी तुम्हारे साथ बैठती हूँ, फिर साथ साथ चलेंगे सोने.

रागिनी बात करने के क्रम को आगे बढ़ाते हुए बोली – वैसे जंगल की रात के मौसम की बात ही अलग है, कितना सुहाना मौसम है, नही…

मे – हां, सही कह रही हो तुम, घर की चारदीवारी के अंदर की सारी सुख सुविधाओं के बबजूद इतना सुकून नही मिलता, जितना यहाँ के शांत वातावरण में है…

वैसे तुम्हारा आइडिया सही रहा, वरना ये सब देखने का मौका कहाँ मिलता.. थॅंक्स.

लेकिन रागिनी, यहाँ तो इतनी ठंडक भी नही है, फिर तुमने ये चादर क्यों डाल रखी है अपने ऊपर…

रागिनी – वो तो बस ऐसे ही, नाइट ड्रेस में थी, तो सोचा किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा बस इसलिए….

ये कहकर उसने अपने बदन से चादर हटा कर एक तरफ उछाल दी…लो अब ठीक है..

मेरी जैसे ही नज़र उसके तरफ गयी… तो… उसे देखते ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…

वो इस समय एक पारदर्शी मिनी गाउन में थी, जो बस उसकी कमर से थोड़ा सा ही नीचे तक था, उसका वो गाउन उसके सीने पर इतना टाइट था, मानो उसकी चुचियाँ उसमें जबर्जस्ती से ठूँसी गयी हों.
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

उसके पारदर्शी कपड़े से उसकी ब्रा में कसे हुए उसके 34 साइज़ के बूब्स चाँद की चाँदनी में साफ-साफ दिखाई दे रहे थे…

वो मेरी जाँघ सहलाते हुए बोली – वैसे थॅंक्स तो मुझे कहना चाहिए, कि तुमने मेरे प्रपोज़ल पर अपनी हामी भर दी,

वरना तुम्हारे बिना कोई तैयार नही होता यहाँ आने को…और शायद कॉलेज से भी पर्मिशन नही मिलती.

उसका हाथ लगते ही मेरे बदन में एक अजीब सी हलचल होने लगी, जहाँ कुछ देर पहले एक अजीब सी बैचैनि थी, वहीं अब उत्तेजना पैदा होने लगी…

मेरा सर थोड़ा भारी सा होने लगा, मानो उसको कोई पकड़े हुए हो, साँस भी रुकने लगी थी…

लेकिन इस सब के बबजूद मेरे लंड में अजीब सी हलचल पैदा हो रही थी, वो शॉर्ट के अंदर अपना आकर बढ़ाता ही जा रहा था…

जांघें सहलाते हुए रागिनी ने अपनी उंगलियाँ मेरे कोबरा से टच करा दी, जिससे वो और भड़क गया…

उसकी हलचल वो अपनी उंगलियों पर अच्छे से फील कर रही थी, मेरी आँखों में देखते हुए बोली –

सच कहूँ तो मेरी ये फेंटसी रही है, कि रात के इस सुहाने से मौसम में खुले आसमान के नीचे तारों की छान्व तले, किसी जंगल में एक साथी के साथ बैठकर बातें करूँ..

मे उसकी बातों में खोता जा रहा था, की तभी रागिनी ने मेरे नाग का फन अपनी मुट्ठी में दबा लिया, और उसे धीरे-2 सहलाने लगी…

मे उसे ये सब करने से रोकना चाहता था, लेकिन पता नही क्यों उसे रोक नही पा रहा था…

कुछ देर शॉर्ट के ऊपर से ही सहलाने के बाद रागिनी अपना हाथ मेरे शॉर्ट के अंदर डालने लगी…

इससे पहले की वो मेरे हथियार को पकड़ पाती, मेने उसका हाथ पकड़कर झटक दिया, और अपनी जगह से खड़ा होकेर कुछ दूर जाकर उसकी तरफ पीठ कर के खड़ा हो गया…!

दूसरी तरफ मुँह किए हुए ही मेने उसे कहा – तुम यहाँ से जाओ रागिनी, प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दो…!

अभी मे खड़ा उसके जाने की आहट सुनने की कोशिश कर ही रहा था, कि तभी
उसने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया, उसके कठोर लेकिन मखमली उभार मेरी पीठ से दबे होने का अहसास दे रहे थे…

वो मेरी गर्दन चूमते हुए बोली – इतना क्यों दूर भागते हो मुझसे… क्या मेरे शरीर में काँटे हैं, जो तुम्हें चुभते हैं…!

मे तो सिर्फ़ तुमसे तुम्हारे कुछ पल चाहती हूँ, फिर क्यों मुझे बार-बार जॅलील कर के दूर चले जाते हो…

उसके इस तरह लिपटने से मेरी उत्तेजना में और इज़ाफा हो रहा था, मेने बिना कुछ किए उससे कहा – देखो रागिनी ! हम दोनो परिवारों के संबंध किसी तरह से सुधरे हैं…

मे नही चाहता कि फिरसे उसमें कोई दरार पैदा हो, सो प्लीज़ मुझसे दूर ही रहो तो ये हम दोनो के लिए अच्छा होगा…!

मेरी बात सुनकर उसने मुझे अपनी बाहों से आज़ाद किया और मेरा बाजू पकड़ कर अपनी ओर घूमाकर थोड़ी दबे लेकिन सख़्त लहजे में बोली…

किस दरार की बात कर रहे हो..? ये होगा भी कैसे..? यहाँ वीराने में हम दोनो को देखने वाला कॉन है, कि हम क्या कर रहे हैं… तो उन्हें कैसे पता लगेगा..?

सीधे – 2 क्यों नही कहते कि तुम मुझे जान बूझकर अवाय्ड करना चाहते हो…क्या मे इतनी बुरी हूँ..? तुम्हारा दो पल का प्यार ही तो माँग रही हूँ..

वादा करती हूँ, इसके बाद मे कभी तुम्हारे रास्ते में नही आउन्गि….!
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