असली या नकली
- Kamini
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Re: असली या नकली
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संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
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- shubhs
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Re: असली या नकली
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सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- rocky123
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Re: असली या नकली
aaj asli ya nakli is kahani ki update dunga
or kal phir family me mohabbat or sex restarted us khani ki update dunga
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KONG
- rocky123
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- rocky123
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Re: असली या नकली
UPDATE 14
दूसरी तरफ
सिचुएशन काफी चेंज हो चुकी है पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था,
अपनी चाची की मस्त चुत मारने के बाद आनंद तो खुशी के मारे फुले ही नही समा रहा था, आज उसने अपने जीवन की पहली चूत जो हासिल कर ली थी, और पहली चूत का तो मजा ही कुछ और होता है और यहाँ तो उसकी पहली चूत ही उसकी अपनी सगी चाची की थी और इस बात ने उसे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, भरपूर सेक्स के बाद आनंद और प्रभा दोनों एक दुसरे की बाँहों में सो गये
सुबह घडी की सुई 6 बजा रही थी, आनंद की न जाने क्यूँ आँखे खुल गयी, उसने आँखे मसलते हुए अपने बाजु में देखा तो अपनी नंगी चाची को अपने साथ सोता देखकर सुबह सुबह ही उसका लोडा बगावत करने पर उतर आया, पर वो जानता था कि ये टाइम सही नही है, वैसे भी कल रत तीन बार जमकर चुदाई करने के बाद उसे और उसके लोडे दोनों को आराम की शख्त जरूरत है,
आनंद अभी ये सोच ही रहा था कि उसके दिमाग की बत्ती जली और उसे यद् आया की उसे तो ऑफिस भी जाना है, चपरासी बनकर, एक बार तो उसने सोचा कि रहने दो यार पर फिर उसकी नजरो के सामने चांदनी का खूबसूरत चेहरा आ गया था, इसलिए आनंद फटाफट खड़ा हुआ और लगभग 1 घंटे में वो नहा धोकर पूरी तरह तैयार था , फिर उसने बेसुध सी सोयी अपनी चची को उठाया और उसको एक डीप किस देकर जाने का बोलने लगा
पर तभी अचानक प्रभा की आँखे खुल गयी, उसने देखा कि आनंद उसे छोड़कर सुबह सुबह ना जाने कहाँ जाने को तैयार हो रखा था, जैसे ही आनंद आगे बढने लगा तुरंत प्रभा ने बिस्तर पर बैठकर आनंद के हाथ को पकड़ लिया और खिंच कर उसे अपने उपर गिरा लिया,
अपनी चाची के गदराये बदन पर गिरते ही आनंद के शरीर में फिर से उत्तेज़ना की एक मीठी लहर दौड़ गयी क्यूंकि आनंद का चौड़ा सीना अपनी चाची के दुधिया मम्मो को बुरी तरह मसल रहा था, आनंद अभी इस हमले से उबर की नही था कि प्रभा ने तुरंत अपने कोमल होठों से आनंद के होठों को दबोच लिया और बुरी तरह उनका रस चूसने लगी
दोनों लोग बुरी तरह एक दुसरे में गुथम गुथा होए पड़े थे और एक दुसरे के होठों को खा जाने वाले तरीके से चूस रहे थे, थोड़ी देर बाद वो दोनों इस लम्बे चुम्बन से अलग हुए और फिर प्रभा ने अपनी आँखों और बातो में हवस की चाशनी लपेट कर आनंद की तरफ देखा और कहा
प्रभा – “क्या हुआ मेरे राजा, एक ही दिन में अपनी चाची से मन भर गया जो सुबह सुबह मुझे यूँ अकेला छोडकर जाने की सोच रहे थे???”
आनंद – “नही मेरी जान, तुम्हे छोडकर मैं कहाँ जाऊंगा, एक तुम ही तो जो हो जो मुझे और मेरे इस लोडे को तकलीफ से राहत देती है, वरना बिचारा सारे दिन खड़ा रहकर खुद भी परेशान रहता है और फिर मुझे भी करता है”
प्रभा – “ अच्छा तो फिर मुझे छोडकर क्यूँ जा रहे हो सुबह सुबह, मैंने तो सोचा था कि रात तक जब बाकि घर वाले आयेंगे तब तक हम पुरे दिन भर मजे ले सकते है, पर तुमने तो अभी से पानी फेर दिया मेरे मंसूबो पर”
आनंद –“क्या करूं चाची, दादाजी ने बड़ी सख्ती से आर्डर दिया था कि मुझे सात दिन तक लगातार ऑफिस जाना होगा, अब उनका कहना तो नही टाल सकता ना”
प्रभा – “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी” प्रभा ने मायूस होते हुए कहा
इस तरह चाची को उदास देखकर आनंद का दिल पसीज गया,
आनंद –“आप ऐसे उदास ना हो चाची, आपकी वजह से तो मुझे इतनी खुशी मिली है, तो मैं आपको कैसे दुखी देख सकता हूँ, आप चिंता मत कीजिये , मैं कोई भी बहाना बनाकर वहां से जल्द से जल्द घर आ जाऊंगा”
प्रभा – “सच्च.....” प्रभा के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी
आनंद – हाँ मेरी प्यारी चाची
ये कहकर आनंद ने फिर से प्रभा के होठों को चूम लिया
प्रभा – “तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो, और एक तुम्हारे चाचा है जिन्हें हमारी कोई प्रवाह ही नहीं है”
आनंद – “आप चिंता मत कीजिये चाची आज से आपको खुस रखने की जिम्मेदारी मेरी”
प्रभा – “अच्छा तुमने ये पुराने से कपडे क्यूँ पहन रखें है, तुम तो हमेशा बहुत ही सुंदर और नए कपड़े पहनते हो”
आनंद – “वो ....बस .....यूँ ही पहन लिए....चाची” अब आनंद क्या बताता कि वो एक चपरासी की तरह अपने ऑफिस में जा रहा है ना की बोस की हसियत से
प्रभा –“ह्म्म्म....वैसे तुम मेरा जो ख्याल रख रहे हो इसका इनाम मैं आज तुम्हे जरुर दूंगी जब तुम घर आ जाओगे,,,,”
आनंद – “कैसा इनाम मेरी जान”
प्रभा –“ ये तो एक सरप्राइज होगा मैं अभी तुम्हे नही बता सकती “\
आनंद – “जैसा तुम्हे ठीक लगे मेरी रानी, अच्छा अब मैं चलता हूँ, बाय “
प्रभा – “बाय”
आनंद ने सोचा कि आखिर ऐसा क्या सरप्राइज देने वाली है चाची उसे, पर उसे भी आप लोगो की तरह इस बात की बिलकुल भनक नही थी कि आखिर आज क्या होने वाला है उसकी जिंदगी में
सोचते सोचते आनंद जल्दी ही अपने ऑफिस में पहुंच चूका था, ऑफिस के अंदर घुसते ही उसके सामने काउंटर पर मीना खड़ी थी , आनंद ने जब उसे देखा तो देखता ही रह गया
मीना ने आज एक ऑरेंज कलर का चूड़ी दार सलवार सूट पहन रखा था, वो एक सेक्सी आइटम लग रही थी, उसके बदन से चिपका हुआ कुरता जिसमे से उसके बोबे बाहर की तरफ निकल रहे थे, जिनको उसने अपनी चुन्नी से ढक रखा था , उसकी जांघों और गांड से चिपकी हुई उसकी टाइट और चूड़ी दार सलवार जिसमे से उसकी सेक्सी टांगो और जांघो की सुन्दरता साफ़ नजर आ रही थी, उसकी काजल लगी हुई आँखें, नाक में छोटी सी नोज रिंग, बाल ढीले से रबर से से बंधे हुए जिसके साइड से सामने के बालो की 2 लम्बी लम्बी लटें जो बार बार आकर उसके गालों पे गिरती जिन्हें मीना बार 2 अपनी उँगलियों से अपने कान के पीछे करती, कुल मिलाकर बहुत ही सेक्सी और हॉट लग रही थी मीना, उसकी सलवार उसकी टांगो से इतनी चिपकी हुई थी की उसकी गांड तक का शेप साफ़ साफ नजर आ रहा था, बस उसे देखने वाली आँखे चाहिए थी जो आनंद के पास तो बिलकुल थी
जब मीना ने आनंद को इसे खुद को घूरते हुए देखा तो वो थोड़ी शर्मा सी गयी और फिर बोली
मीना – “ क्या हुआ आनंद ऐसे क्यूँ देख रहे हो मुझे”
आनंद –“नही तो .....मैं कहाँ देख रहा था....वो तो बस यूँ ही ....” आनंद मीना की बात सुनकर थोडा झेंप गया
आनंद को इस तरह हडबडाता देखकर मीना के होठों पर हलकी सी हंसी आ गयी, जिसे आनंद ने भी देख लिया और वो भी थोडा मुस्कुरा दिया, थोड़ी देर तक ऐसे ही बात करने के बाद आनंद अपने काम में लग गया था, आज उसने देखा कि चांदनी नही आई थी. उसने मीना से पूछा तो पता चला कि चांदनी आज नही आएगी, फिर वो दोबारा अपने कामो में लग गया
जब दोपहर के 12 बजने को आये तो आनंद ने सोचा कि अब उसे किसी तरह घर चले जाना चाहिए वरना चाची नाराज़ हो जाएगी, ये सोचकर उसने शर्मा जी के पास बहाना बनाकर किसी तरह छुट्टी ली और फिर घर की तरफ रवाना हो गया
दूसरी तरफ
सिचुएशन काफी चेंज हो चुकी है पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था,
अपनी चाची की मस्त चुत मारने के बाद आनंद तो खुशी के मारे फुले ही नही समा रहा था, आज उसने अपने जीवन की पहली चूत जो हासिल कर ली थी, और पहली चूत का तो मजा ही कुछ और होता है और यहाँ तो उसकी पहली चूत ही उसकी अपनी सगी चाची की थी और इस बात ने उसे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, भरपूर सेक्स के बाद आनंद और प्रभा दोनों एक दुसरे की बाँहों में सो गये
सुबह घडी की सुई 6 बजा रही थी, आनंद की न जाने क्यूँ आँखे खुल गयी, उसने आँखे मसलते हुए अपने बाजु में देखा तो अपनी नंगी चाची को अपने साथ सोता देखकर सुबह सुबह ही उसका लोडा बगावत करने पर उतर आया, पर वो जानता था कि ये टाइम सही नही है, वैसे भी कल रत तीन बार जमकर चुदाई करने के बाद उसे और उसके लोडे दोनों को आराम की शख्त जरूरत है,
आनंद अभी ये सोच ही रहा था कि उसके दिमाग की बत्ती जली और उसे यद् आया की उसे तो ऑफिस भी जाना है, चपरासी बनकर, एक बार तो उसने सोचा कि रहने दो यार पर फिर उसकी नजरो के सामने चांदनी का खूबसूरत चेहरा आ गया था, इसलिए आनंद फटाफट खड़ा हुआ और लगभग 1 घंटे में वो नहा धोकर पूरी तरह तैयार था , फिर उसने बेसुध सी सोयी अपनी चची को उठाया और उसको एक डीप किस देकर जाने का बोलने लगा
पर तभी अचानक प्रभा की आँखे खुल गयी, उसने देखा कि आनंद उसे छोड़कर सुबह सुबह ना जाने कहाँ जाने को तैयार हो रखा था, जैसे ही आनंद आगे बढने लगा तुरंत प्रभा ने बिस्तर पर बैठकर आनंद के हाथ को पकड़ लिया और खिंच कर उसे अपने उपर गिरा लिया,
अपनी चाची के गदराये बदन पर गिरते ही आनंद के शरीर में फिर से उत्तेज़ना की एक मीठी लहर दौड़ गयी क्यूंकि आनंद का चौड़ा सीना अपनी चाची के दुधिया मम्मो को बुरी तरह मसल रहा था, आनंद अभी इस हमले से उबर की नही था कि प्रभा ने तुरंत अपने कोमल होठों से आनंद के होठों को दबोच लिया और बुरी तरह उनका रस चूसने लगी
दोनों लोग बुरी तरह एक दुसरे में गुथम गुथा होए पड़े थे और एक दुसरे के होठों को खा जाने वाले तरीके से चूस रहे थे, थोड़ी देर बाद वो दोनों इस लम्बे चुम्बन से अलग हुए और फिर प्रभा ने अपनी आँखों और बातो में हवस की चाशनी लपेट कर आनंद की तरफ देखा और कहा
प्रभा – “क्या हुआ मेरे राजा, एक ही दिन में अपनी चाची से मन भर गया जो सुबह सुबह मुझे यूँ अकेला छोडकर जाने की सोच रहे थे???”
आनंद – “नही मेरी जान, तुम्हे छोडकर मैं कहाँ जाऊंगा, एक तुम ही तो जो हो जो मुझे और मेरे इस लोडे को तकलीफ से राहत देती है, वरना बिचारा सारे दिन खड़ा रहकर खुद भी परेशान रहता है और फिर मुझे भी करता है”
प्रभा – “ अच्छा तो फिर मुझे छोडकर क्यूँ जा रहे हो सुबह सुबह, मैंने तो सोचा था कि रात तक जब बाकि घर वाले आयेंगे तब तक हम पुरे दिन भर मजे ले सकते है, पर तुमने तो अभी से पानी फेर दिया मेरे मंसूबो पर”
आनंद –“क्या करूं चाची, दादाजी ने बड़ी सख्ती से आर्डर दिया था कि मुझे सात दिन तक लगातार ऑफिस जाना होगा, अब उनका कहना तो नही टाल सकता ना”
प्रभा – “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी” प्रभा ने मायूस होते हुए कहा
इस तरह चाची को उदास देखकर आनंद का दिल पसीज गया,
आनंद –“आप ऐसे उदास ना हो चाची, आपकी वजह से तो मुझे इतनी खुशी मिली है, तो मैं आपको कैसे दुखी देख सकता हूँ, आप चिंता मत कीजिये , मैं कोई भी बहाना बनाकर वहां से जल्द से जल्द घर आ जाऊंगा”
प्रभा – “सच्च.....” प्रभा के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी
आनंद – हाँ मेरी प्यारी चाची
ये कहकर आनंद ने फिर से प्रभा के होठों को चूम लिया
प्रभा – “तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो, और एक तुम्हारे चाचा है जिन्हें हमारी कोई प्रवाह ही नहीं है”
आनंद – “आप चिंता मत कीजिये चाची आज से आपको खुस रखने की जिम्मेदारी मेरी”
प्रभा – “अच्छा तुमने ये पुराने से कपडे क्यूँ पहन रखें है, तुम तो हमेशा बहुत ही सुंदर और नए कपड़े पहनते हो”
आनंद – “वो ....बस .....यूँ ही पहन लिए....चाची” अब आनंद क्या बताता कि वो एक चपरासी की तरह अपने ऑफिस में जा रहा है ना की बोस की हसियत से
प्रभा –“ह्म्म्म....वैसे तुम मेरा जो ख्याल रख रहे हो इसका इनाम मैं आज तुम्हे जरुर दूंगी जब तुम घर आ जाओगे,,,,”
आनंद – “कैसा इनाम मेरी जान”
प्रभा –“ ये तो एक सरप्राइज होगा मैं अभी तुम्हे नही बता सकती “\
आनंद – “जैसा तुम्हे ठीक लगे मेरी रानी, अच्छा अब मैं चलता हूँ, बाय “
प्रभा – “बाय”
आनंद ने सोचा कि आखिर ऐसा क्या सरप्राइज देने वाली है चाची उसे, पर उसे भी आप लोगो की तरह इस बात की बिलकुल भनक नही थी कि आखिर आज क्या होने वाला है उसकी जिंदगी में
सोचते सोचते आनंद जल्दी ही अपने ऑफिस में पहुंच चूका था, ऑफिस के अंदर घुसते ही उसके सामने काउंटर पर मीना खड़ी थी , आनंद ने जब उसे देखा तो देखता ही रह गया
मीना ने आज एक ऑरेंज कलर का चूड़ी दार सलवार सूट पहन रखा था, वो एक सेक्सी आइटम लग रही थी, उसके बदन से चिपका हुआ कुरता जिसमे से उसके बोबे बाहर की तरफ निकल रहे थे, जिनको उसने अपनी चुन्नी से ढक रखा था , उसकी जांघों और गांड से चिपकी हुई उसकी टाइट और चूड़ी दार सलवार जिसमे से उसकी सेक्सी टांगो और जांघो की सुन्दरता साफ़ नजर आ रही थी, उसकी काजल लगी हुई आँखें, नाक में छोटी सी नोज रिंग, बाल ढीले से रबर से से बंधे हुए जिसके साइड से सामने के बालो की 2 लम्बी लम्बी लटें जो बार बार आकर उसके गालों पे गिरती जिन्हें मीना बार 2 अपनी उँगलियों से अपने कान के पीछे करती, कुल मिलाकर बहुत ही सेक्सी और हॉट लग रही थी मीना, उसकी सलवार उसकी टांगो से इतनी चिपकी हुई थी की उसकी गांड तक का शेप साफ़ साफ नजर आ रहा था, बस उसे देखने वाली आँखे चाहिए थी जो आनंद के पास तो बिलकुल थी
जब मीना ने आनंद को इसे खुद को घूरते हुए देखा तो वो थोड़ी शर्मा सी गयी और फिर बोली
मीना – “ क्या हुआ आनंद ऐसे क्यूँ देख रहे हो मुझे”
आनंद –“नही तो .....मैं कहाँ देख रहा था....वो तो बस यूँ ही ....” आनंद मीना की बात सुनकर थोडा झेंप गया
आनंद को इस तरह हडबडाता देखकर मीना के होठों पर हलकी सी हंसी आ गयी, जिसे आनंद ने भी देख लिया और वो भी थोडा मुस्कुरा दिया, थोड़ी देर तक ऐसे ही बात करने के बाद आनंद अपने काम में लग गया था, आज उसने देखा कि चांदनी नही आई थी. उसने मीना से पूछा तो पता चला कि चांदनी आज नही आएगी, फिर वो दोबारा अपने कामो में लग गया
जब दोपहर के 12 बजने को आये तो आनंद ने सोचा कि अब उसे किसी तरह घर चले जाना चाहिए वरना चाची नाराज़ हो जाएगी, ये सोचकर उसने शर्मा जी के पास बहाना बनाकर किसी तरह छुट्टी ली और फिर घर की तरफ रवाना हो गया
KONG